चर्च से शुरू होकर फैले खुले सड़कीय ठेले, जैसा कि पाठक याद रखेगा, ठेनार्डीयों के ढेर तक फैल गए। इन ठेलों में सब चीजें बतोरी-लताएं हुई थीं, क्योंकि नगरवासी बच्चे शान्तमय च्रोटा में दिखाई देते हुए दरबारी की टेबल पर बैठे हुए विद्यालयाचार्य तक जाते हुए एकाएक तथाकथित "प्रभाव" उत्पन्न कर रही पेपर के कंधे ज...
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कम दुखी
अध्याय 96
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