साथ में जादू , साथ मे जीत
( एक बार की बात है एक लड़की अपने कमरे में अपने मेज़ और कुर्सी पर बैठी थी जहां पर वह लड़की बैठी थी उसके सामने ही एक खिड़की थी रात का समय था इसलिए वह लड़की बाहर चांद और तारों को देख रही थी उस लड़की के पास केवल एक कमरा था एक बिस्तर एक अलमारी और कुछ भी नहीं और वह कमरा भी किराए का था वह लड़की बहुत उदास लग रही थी तभी उसका दरवाजा खड़खडाया लड़की ने उठकर दरवाजा खोला तो सामने उसकी दोस्त अदिति खड़ी थी अदिति एक खुश मिसाज बंदी थी वह छोटी-छोटी बातों पर खुश और छोटी बातों पर दुखी हो जाती थी तभी अदिति ने लड़की को गले लगाते हुए कहा।)
अदिति : बधाई हो ! बधाई हो ! मटिल्डा !
( जी हां उसे लड़की का नाम माटिल्डा था तभी मटिल्डा ने अदिति को दूर करते हुए कहा। )
मटिल्डा : अरे क्या हुआ अदिति इतनी खुश क्यों लग रही है ?
अदिति : तुझे पता नहीं तूने आज का अखबार नहीं पड़ा ?
मटिल्डा : तू भूल गई क्या अब मैंने अखबार पढ़ना छोड़ दिया है कोई अच्छी खबर तो आती ही नहीं है ।
अदिति : आज का पड़ आज बहुत अच्छी खबर है ।
मटिल्डा : एक ऐसे जहान में जहां पर हर वक्त लड़ाई चलती रहती है कोई भी शांति से रह नहीं सकता उस जहान में खुशखबरी नहीं हो सकती ।
अदिति : इस बार सिर्फ खुशखबरी नहीं बहुत अच्छी खबर है सुन !
मटिल्डा : बोल सुन रही हूं ।
अदिति : हम लोग अब एक देश फिर दूसरे देश तक जा सकते हैं दुनिया में युद्ध खत्म हो चुका है अब कोई भी एक जगह से दूसरी जगह शांति से जा सकता है ।
( अदिति के मुंह से ऐसी बात सुन माटिल्डा वही सुन हो गई तभी अदिति ने माटिल्डा का हाथ पकड़ कर उसे हिलाते हुए कहा।)
अदिति : चल हम दोनों भी यहां से चलते हैं और अपने मां-बाबा को ढूंढते हैं लगभग 10 साल पहले जो हादसा हुआ था उसकी भरपाई करते हैं चल जिस तरह हम दोनों एक साथ हैं हमारे मां-बाबा भी एक साथ ही होंगे माटिल्डा चलना।
( मटिल्डा अभी भी सदमें में थी तभी अदिति ने उसके पास पड़ा पानी का गिलास उठाया और उसमें पानी भरा और उसे माटिल्डा के मुंह पर फेंक दिया। माटिल्डा अपने ख्यालों से बाहर आई और कहा । )
मटिल्डा : तो क्या हो गया हम लोग कहीं नहीं जाएंगे हम लोग यही रहेंगे इसी तरह खुश ?
अदिति : अच्छा अभी सिर्फ इतनी सी खबर सुनकर तू खयालों में चली गई चलना हम लोग मिलकर अपने मां-बाबा को ढूंढेंगे ।
( अदिति के ज्यादा बोलने पर मटिल्डा ने कहा। )
मटिल्डा : मेरे मां-बाबा मुझे छोड़ कर जा चुके हैं वह नहीं चाहते थे कि मैं उनके साथ रहूं
अदिति : ऐसा कुछ भी नहीं है माटिल्डा उस वक्त के हालात ही कुछ ऐसे थे कि तेरी जान बचाने के लिए उन्होंने छोटी सी माटिल्डा मेरे हाथों में सौंपी थी ।
( मटिल्डा आपने खयालों में खोई हुई थी ये बात 10 साल पुरानी है जब माटिल्डा कुछ ज्यादा बड़ी नहीं 2 साल की ही थी उस वक्त हर जगह बारूद लगाए गए थे एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए रेलगाड़ी का इस्तेमाल कर जा रहा था मटिल्डा अदिति और उनके मां-बाबा वो लोग दोनों बच्चों को बचाने के लिए एक देश से दूसरे देश जा रहे थे लेकिन इससे पहले की वह लोग रेलगाड़ी में चढ़ पाते गाड़ी चलने लगी जिसके कारण उन लोगों की रेल छूट गई अदिति 2 साल की माटिल्डा को लेकर रेलगाड़ी से निकलने की कोशिश की तभी अदिति की मम्मी ने उसे रोकते हुए कहा । )
अदिति की मम्मी : रुक जा बेटा हम लोग अपना ख्याल रख लेंगे तू बस अपना और माटिल्डा का ख्याल रखना उसकी जिम्मेदारी भी तेरे ऊपर है वादा कर रखेगी ना उसका ख्याल ।
अदिति : ( रोते हुए) हां रखूंगी अपना ख्याल रखना हम जल्दी लौटेंगे ।
( इतना कह कर वो रेलगाड़ी उस स्टेशन से बहुत दूर चली गई तभी माटिल्डा अपने ख्याल से बाहर आए और माटिल्डा ने कहा । )
मटिल्डा : उन्होंने उस वक्त हमारी जान बचाने के लिए हमे अपने आप से दूर तो कर दिया लेकिन यह नहीं सोचा कि हम लोग कैसे रहेंगे इतना कठिन जीवन जिया है हम लोगों ने
अदिति : जो जीवन जीना था वह जी लिया अब बचा हुआ जीवन अपने मां-बाबा के साथ बिताएंगे चल शायद ये हमारा आखरी मौका है शायद इसके बाद हम कभी भी अपने घर वालों से मिलने का मौका ना पा पाएं ।
मटिल्डा : नहीं मिलना मुझे अपने घर वालों से तुझे नहीं जाना है तू जा ।
अदिति : मैं तुझसे 5 साल बड़ी हूं तू मेरा कहा माने गी माटिल्डा तुम हमेशा ऐसे ही करती हो । अदिति अब इसमें मैं आपका कहा नहीं मानने वाली मैं नहीं जाना चाहती ।
अदिति : अच्छा तुझे नहीं जाना मत जा लेकिन मेरे साथ मेरे मम्मी पापा को ढूंढने तो चल सकती है अपने मम्मी पापा को मत ढूंढना ।
मटिल्डा : लेकिन अदिति !
अदिति : अब नहीं मैं तू चल रही है मतलब चल रही है तुझे मेरी कसम ।
( अदिति ने मटिल्डा का एक हाथ अपने सर पर रखते हुए कहा । )
मटिल्डा : अच्छा ठीक है चल रहे हैं।
अदिति : ठीक है हम कल सुबह निकलेंगे तैयार रहना।
मटिल्डा : ठीक है !
( मटिल्डा को मनाने के बाद अदिति वहां से चली गई अगले दिन सुबह 5:00 बजे मटिल्डा के घर का दरवाजा खटखटाया मटिल्डा सो रही थी उसने उठकर दरवाजा खोला सामने अदिति दो बड़े सूटकेस के साथ खड़ी थी मटिल्डा ने हैरान होते हुए कहा। )
मटिल्डा : ( हैरानी से ) इतने बड़े सूटकेस कहां जा रही हो ?
अदिति :( सूटकेस को दीवार के साथ अटकत हुए ) क्यों तुमने अपना सामान पैक नहीं किया हम लोग आज जा रहे हैं भूल गई क्या ?
मटिल्डा : याद है लेकिन हम लोग तो शाम तक निकलेंगे ना ?
( अदिति ने अपना सर पकड़ लिया और कहा।)
अदिति : माटिल्डा जी शाम 7:00 की नहीं सुबह 7:00 की रेलगाड़ी है।
मटिल्डा : ( हैरानी से ) क्या तो तुमने क्यों नहीं ?
अदिति : बताया तुम अपने ख्यालों से बाहर आओगी तो मेरी बात सुनोगे ना और जरा ध्यान से देखो टिकट पर भी तो लिखा है ।
मटिल्डा : तो फिर जल्दी आ समान बंधवाने में मेरी मदद कर हमारे पास समय नहीं है ।
अदिति : नहीं मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं करने वाली ।
मटिल्डा : क्यों ?
अदिति : क्योंकि मुझे पता था तुम्हारा यही कारनामें होने वाले हैं इसलिए।
मटिल्डा : इसलिए क्या ?
आदिती : इसलिए मैं रात को तेरी खिड़की से कूद कर तेरे कमरे में आई थी और तेरा सारा सामान सीमेंट दिया था ।
मटिल्डा : क्या लेकिन कब और कहां पर है मेरा सामान ?
अदिति : जब तू सो रही थी तब और तेरा सामान उस अलमारी में है।
( अदिति ने अलमारी की तरफ इशारा करते हुए कहा मटिल्डा ने जाकर अलमारी खोली तो उसने दो बड़े सूटकेस पड़े थे। जिसमें में मटिल्डा का सारा सामान था तभी मटिल्डा ने कहा। )
मटिल्डा : अरे अदिति तुमने सारा सामान पैक कर दिया लेकिन मैं अब क्या पहनूंगी और मुझे तो भूख भी लगी है ।
अदिति : इतनी सुबह-सुबह भूख
मटिल्डा : तुझे तो पता है ना मैं कितना खाती हूं ।
( अदिति ने मटिल्डा को ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहा । )
अदिति : दिख रहा है सूखी लकड़ी हुई पड़ी है जल्दी चल ऐसे ही चल पर खाना रास्ते में देख लेंगे चल-चल जल्दी चल अदिति जल्दी-जल्दी मटिल्डा को ले गई दोनों ने अपने-अपने सूटकेस पकड़े हुए थे और रेलवे स्टेशन पैदल ही जा रहे थे अदिति बहुत ज्यादा उत्सुक थी अपने मम्मी- पापा को ढूंढने के लिए उनसे फिर से मिलने के लिए उनका हाल पूछने के लिए उनके बारे में जानने के लिए लेकिन मटिल्डा परेशान थी वह उस जगह उन गलियों में वापस नहीं लौटना चाहती थी जिन जगहों से उसकी इतनी बुरी यादें जुड़ी हुई है मटिल्डा को कभी भी उस जगह पर नहीं लौटना था जिस जगह पर उसने उसके परिवार ने इतना कुछ सहा लेकिन अदिति के कारण माटिल्डा भी चुप - चाप उसे जगह दार्जिलिंग जा रही थी मटिल्डा और अदिति दार्जिलिंग से थे तभी रेलवे स्टेशन आ गया दोनों ने अपनी-अपने टिकट ली और जाकर अपनी सीट पर बैठकर लगभग 2 घंटे बाद दार्जिलिंग आ गया अदिति भागते हुए दार्जिलिंग के रेलवे स्टेशन से बाहर निकली मटिल्डा 4 सूटकेस पकड़े हुए थे और उसे लेते हुए मटिल्डा अदिति के पीछे भाग रही थी तभी अतिथि रेलवे स्टेशन के बाहर जाकर रुकी और चिल्लाते हुए कहा। )
अदिति : ( चिल्लाते हुए ) स्वागत नहीं करोगे हमारा हम वापस आ गए अपने घर दार्जिलिंग में !
( अदिति बहुत खुश थी उसने अपने दोनों हाथ हवा में उठा लिए मटिल्डा वहां की हवाएं महसूस कर रही थी वहां की खुशबू वहां का वातावरण सब कुछ महसूस कर रही थी तभी पीछे से मटिल्डा ने अदिति को एक प्यार से थप्पड़ मारते हुए कहा। )
मटिल्डा : वैसे तो तुम मुझसे 5 साल बड़ी हो लेकिन हरकतें बच्चों जैसी है तुम्हारी ।
अदिति : तू यहां कैसे ?
मटिल्डा : अपनी बहन को भी भूल गई कोई नहीं मैं वापस चली जाती हूं वैसे भी मुझे तो यहां आना ही नहीं था।
( अदिति ने मटिल्डा को रोकते हुए कहा। )
अदिति : जाने की जरूरत नहीं है मुझे पता है मुझे सब याद है।
मटिल्डा : अच्छा तो फिर अपना सामान भी संभाल लो इतन सारा सामान मैं अकेले कैसे उठाऊंगी ?
अदिति : हां हां
( अदिति ने मटिल्डा से सूटकेस लिए और कहा।)
अदिति : तो चल !
मटिल्डा : कहां ?
अदिति : अभी तो हम एक धर्मशाला में रखेंगे जो कि यहां से कुछ ही दूरी पर है उसके बाद आज शाम तक हम लोग मां-बाबा की तलाश में निकल जाएंगे ।
मटिल्डा : अच्छा ठीक है लेकिन ?
अदिती : लेकिन क्या ?
मटिल्डा : मुझे भूख लगी है ।
अदिति : ( हंसते हुए ) अरे हां मैं भूल गई थी मेरे साथ बुखड़ है आई है ।
मटिल्डा : मैं बुखड़ नहीं हूं।
अदिति : मुझे पता है ।
(अदिति और मटिल्डा पैदल ही धर्मशाला की ओर निकल गए कुछ ही देर में वह दोनों धर्मशाला में पहुंच गए उन दोनों को एक कमरा मिला और उसे कमरे में ही उन दोनों को खाना भी दे दिया गया दोनों ने खाना खाया तभी मटिल्डा बिस्तर पर लेट गई और कहा। )
मटिल्डा : हम लोग कल सुबह चलेंगे ढूंढने अभी नहीं मुझे नींद आई है।
अदिति : तूने किया क्या है जो तुझे नींद आई है ।
मटिल्डा : मैंने मैं तुम्हारे साथ आ गई यह बहुत बड़ी बात नहीं है ?
अदिति : जी बिल्कुल बहुत बड़ी बात है सो जा कल सुबह 5:00 बजे उठी हुई मिलनी चाहिए ।
मटिल्डा : अब सुबह 5:00 बजे उठकर क्या करेंगे हम ?
अदिति : मां - बाबा को ढूंढने जाएंगे।
मटिल्डा : सुबह 5:00 बजे कहां से ढूंढोगे तुम मां-बाप को सुबह 5:00 बजे वह लोग उठाते भी नहीं होंगे।
अदिति : हम 7:00 बजे तक निकल सकते हैं हमे हर जगह ढूंढना है हमें उन दोनों को यह शहर कोई छोटा शहर नहीं है दार्जिलिंग बहुत बड़ा शहर है और तू तो जानती है तुझे बताने की क्या जरूरत है फिर भी तो ऐसे कह रही है ।
मटिल्डा : अच्छा बाबा उठ जाऊंगी अब सोने तो दे तभी उठूंगी ।
अदिति : सो जा !
क्या होगा अब क्या मिल पाएंगे मटिल्डा और उसकी मां या फिर कोई नया खतरा आने वाला है मटिल्डा के ऊपर क्या बच्चों का सपना पूरा हो पाएगा जानने के लिए पढ़िए" साथ में जादू साथ में जीत।"
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