मटिल्डा की नाराजगी

आध्या : तुम अरनव मुकेश को यह कहना कि दोनों मेरे साथ है और मैं किसी काम से गई हूं और रही बात हमारे वापस लौटने की तो हमें 1 से 2 साल भी लगा सकते हैं ।

ओलिविया ,मटिल्डा ,अदिति : ( हैरानी से ) 1 से 2 साल ।

रिची : हां कम से कम इतना तो लगेगा ही ।

मटिल्डा : लेकिन कैसे ?

ओलिविया : मैं मुकेश और अरनव को 2 साल तक कैसे रोकूंगी।

आध्या : नहीं - नहीं ओलिविया तुम्हे कुछ करने की जरूरत नहीं है हमारे यहां से जाते ही वह लोग आ जाएंगे जो की पहले से ही माल्टा हो आए हैं।

अदिति : मतलब ?

आध्या : मतलब लगभग 2 से 3 घंटे में यहां पर 1 से 2 साल बाद वाले आध्या मटिल्डा और अदिति आ जाएंगे जो की होंगे तो बिल्कुल हमारे जैसे लेकिन उनके दिमाग में वह सारी यादें और बहुत सारे काम भी होंगे जो उन्होंने माल्टा में जाकर या जो हमने माल्टा में जाकर अभी करने हैं ।

मटिल्डा : मतलब टाइम ट्रैवल !

आध्या : हां समय चक्र में मेरे यहां न होने के कारण दिक्कत आ सकती है इसलिए हम लोग टाइम ट्रेवल करके वापस 2 घंटे के अंदर - अंदर यहां आ जाएंगे मतलब ओलिविया तुम लोगों के लिए केवल 2 घंटे ही हम लोग बाहर रहेंगे और हम लोगों के लिए हम पूरे 1 से 2 साल तक घर नहीं लौटे होंगे ।

अदिति : इसका मतलब हम लोग 1 से 2 साल के लिए अलग हो रहे हैं ।

रिची : नहीं आप लोगों को वहां जाकर कुछ फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि वहां का एक दिन यहां के कई दोनों का होता है इसलिए आपको तो वहां पर सिर्फ 10 या 15 दिन लगेंगे लगभग इससे ऊपर नहीं लग सकते।

मटिल्डा : तो अब समझ आया मतलब हम लोग लगभग 10 या 15 दिन के लिए ही जा रहे हैं ।

ओलिविया : ठीक है अपना ख्याल रखना ।

आध्या : चिंता मत करो मेरे होते किसी को कुछ नहीं हो सकता ।

( इतना कहकर आध्या ने अपना हाथ सामने रखा आध्या का हाथ सामने रखते ही उसके हाथ से लाल रंग की रोशनी निकलने लगी उसके बाद गाड़ी अपने आप ही चलने लगी तभी मटिल्डा ने अंदर बैठे पूछा । )

मटिल्डा : यह क्या हो रहा है ?

अदिति : गाड़ी अपने आप कैसे चल रही है ?

आध्या : मेरे हाथ रखने से गाड़ी चल पड़ी ।

रिची : लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है ?

आध्या : मेरा हाथ मैंने इस गाड़ी पर अपना हाथ रख और इस गाड़ी ने मेरे मन की बात जान ली मतलब अब मैं जहां जैसे चाहूंगी वैसे ही गाड़ी चलेगी ।

मटिल्डा : मतलब कोई भी यह गाड़ी चला सकता है ?

आध्या : कोई भी चला सकता है ।

अदिति : तो क्या मैं चलाऊं मैं भी चलना चाहूंगी ।

आध्या : क्या तुम दोनों को पता है कि हमें कहां जाना है ?

मटिल्डा : मतलब रास्ता !

अदिति : नहीं !

रिची : लेकिन आपको कैसे पता है जहां तक मैं जानता हूं इस दुनिया से उस दुनिया में जाने का केवल एक ही रास्ता है जो कि हर कोई नहीं जानता।

आध्या : मैं भी जानती हूं रिची लेकिन बात यह है कि मुझे वो रास्ता पता है ।

रिची : लेकिन कैसे ?

आध्या : क्योंकि मैंने इस तरह की जगह के बारे में अपनी पुरानी किताबों में पढ़ा था ।

अदिति : जब यहां से वहां कोई जा ही नहीं सकता तो पुरानी किताबों में सही कैसे झाहोगा ?

आध्या : क्योंकि वह किताब यहां से नहीं बल्कि खास किताब हैं जो कि मुझे उस कोहरे ने दी थी ।

रिची : कौन सा कोहरा ?

आध्या : मैं तुम्हें सब कुछ तो नहीं बता सकती लेकिन यह लगा लो उस कोहरे ने मुझे शक्तियां दी थी और किताब भी मैं जिस भी मैं जिस भी चीज के बारे में जानना चाहूं वह किताब मुझे अपने आप ही बता देती है ।

रिची : अरे वाह बड़ी अच्छी किताब है मैं भी देखना चाहूंगा ।

आध्या : माफ करना लेकिन मैं किसी को दिखा वह किताब नहीं दिखा सकती मुझे इसकी इजाजत नहीं ।

अदिति : आप सब कुछ छुपाती क्यों है आध्या जी ?

मटिल्डा : और किताब किसी को दिखाने में हर्ज ही क्या है मां आप हर चीज छुपाती है यहां तक की अपने परिवार से भी क्यों ?

आध्या : मुझे पता है तुम लोगों को अच्छा नहीं लग रहा है कि मैं आप इतना कुछ छुपा रही हूं लेकिन मेरी भी मजबूरी है मैं हर एक चीज किसी को नहीं बता सकती क्योंकि.....

मटिल्डा : किसी को अपने परिवार को भी नहीं बता सकती ?

आध्या : मैं किसी को भी अपने बारे में ज्यादा कुछ बताया तो उसकी जान खतरे में पड़ सकती है देखो जैसे वह दरिंदा आया था वह सिर्फ इसीलिए आया था क्योंकि उसे पता चल गया था कि तुम मेरी कुछ लगती हो उसे ये नहीं पता कि क्या बस मेरी कुछ लगती हो इसलिए ।

अदिति : तो कब तक जिएंगी आप ऐसे गुमनाम जिंदगी ?

आध्या : तब तक जब तक मुझे इजाजत न मिल जाए ।

मटिल्डा : अच्छा और कौन देगा कब देगा आपको ?

आध्या : शायद कभी नहीं अच्छा चलो अब यह सब छोड़ो तुम लोगों को अपनी शक्तियों के बारे में नहीं जाना कैसे इस्तेमाल कर सकते हो तुम अपनी शक्तियां वहां पहुंचकर अपनी रक्षा कैसे करोगे वैसे भी अभी हम इस रोशनी से निकलने वाले हैं ज्यादा समय नहीं है इससे पहले हम रोशनी से निकले हमें सब कुछ तुम्हें सब कुछ सीखना होगा क्योंकि बाहर निकालने के बाद शायद मुझे तुम्हारी मदद चाहिए हो।

( अभी सब लोग एक गुलाबी रंग की रोशनी में वाले रास्ते पर चल रहे थे वह रास्ता उन्हें एक जंगल की तरफ ले जा रहा था जो कि शायद उन लोगों के लिए खतरा हो सकता था तभी रिची ने कहा । )

रिची : हां इस रोशनी से निकलने के बाद एक जंगल आता है जो की बहुत खतरनाक है उस पार करना बहुत मुश्किल है ।

अदिति : हम लोगों के लिए नहीं हमारे साथ आध्या जी जो है ।

आध्या : अदिति मेरे ऊपर इतना भरोसा मत करो मेरा कुछ पता नहीं मैं कब कहां पलट जाऊं ।

मटिल्डा : फिर चाहे किसी की जान ही क्यों ना चाली जाए ।

आध्या : मटिल्डा तुम मुझे ताने मार रही हो ?

मटिल्डा : मैं आपको तने कैसे मार सकती हूं मैं तो बस बता रही थी।

आदिति : मटिल्डा बस हो गया अब और नहीं ।

( अदिति की बात सुन मटिल्डा चुप हो गई तभी अदिति ने अपनी बात आगे बढ़ते हुए कहा । )

अदिति : कहिए आध्या जी क्या बात है मतलब हम अपना जादू कैसे उसे कर सकते हैं ?

आध्या : मेरी बात ध्यान से सुनो जादू इस्तेमाल करना कोई ज्यादा मुश्किल काम नहीं है लेकिन तुम्हें उसे बहुत ज्यादा अच्छे से करना सीखना होगा ।

अदिती : लेकिन इतने कम समय में हम जादू को अच्छे से ऐसी करना कैसे सीख जाएंगे ?

आध्या : तुम चिंता मत करो बस मेरी बातें सुनो ।

मटिल्डा : आपकी बातें सुनने से हमें जादू आ जाएगा क्या ?

आध्या : बिल्कुल आ जाएगा बात सुनकर तो देखो ।

अदिति : आप बोलिए मटिल्डा अगर अब तूने कुछ बोला ना तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा ।

मटिल्डा : ठीक है लेकिन...

अदित : लेकिन नहीं चुपचाप बैठ।

( मटिल्डा अपने हाथ बांधकर चुपचाप बाहर देखने लगी तभी आध्या ने कहा। )

आध्या : मटिल्डा बाहर देखने से कुछ नहीं होगा मेरी बात सुनो ।

अदिति : आप कहिए ।

आध्या : देखो बच्चों इस वक्त लड़ने का समय नहीं है शायद आगे चलकर बहुत बड़ी दिक्कत आ जाए ठीक है तुम लोग मेरी बात सुनो दरअसल जादू इस्तेमाल करने के लिए तुम्हें बस अपने मन में सोचना होगा कि तुम्हें क्या करना है जैसे अगर मुझे यहां पर कुछ मंगवाना है जैसे कोई चॉकलेट मंगवानी है तो बस मुझे अपना हाथ हवा में उठाना होगा और अपने मन में सोचना होगा कि मुझे कौन सी चॉकलेट मंगवानी है वह अपने आप ही मेरे हाथ में आ जाएगी ।

अदिति : समझ गई लेकिन एक बारी आप करके दिखाइए ना !

आध्या : ठीक है

( आध्या ने अपना एक हाथ हवा में उठाया और अपनी आंखें बंद की तभी आध्या ने कहा । )

आध्या : चॉकलेट !

( आध्या की चॉकलेट कहते ही आध्या के हाथ में एक बड़ी चॉकलेट आ गई फिर आध्या ने अपनी आंखें खोली और अपने हाथ की मुट्ठी बनाई आध्या के मुट्ठी बनते ही चॉकलेट अपने आप ही गायब हो गई तभी अदिति ने कहा। )

अदिति : जादू तो बहुत अच्छा है मतलब अगर हम कुछ सामान लिए बगैर भी कहीं जाए तो आराम से सामान मंगा सकते हैं ।

आध्या : बच्चों अभी भी तुम्हें इन सब चीजों के बारे में सोचने की पड़ी है तुम लोग एक बारी खुद कोशिश करके देखो ।

अदिती : लेकिन क्या हमें बोलना जरूरी है ।

आध्या : बिल्कुल नहीं तुम अपने मन में सोचो और करो मैंने तुम्हें दिखाने के लिए कहा था मटिल्डा तुम कोशिश करना चाहोगी ?

( मटिल्डा अभी भी मुंह फुला कर बाहरी देख रही थी तभी अदिति ने कहा । )

अदिति : मटिल्डा को छोड़िए मैं कोशिश करती हूं ।

( अदिति ने बिल्कुल आध्या की तरह कोशिश की लेकिन उसका जादू शायद इतना शक्तिशाली नहीं था पहली बार में वह पूरा नहीं कर पाई तभी आध्या ने कहा । )

आध्या : ध्यान लगाओ अदिति तुम ध्यान नहीं लग पा रही हो सिर्फ ध्यान का फर्क आ रहा है अगर तुम ध्यान लगाओगी तो कोई दिक्कत नहीं आएगी।

( अदिति ने एक लंबी सांस ली और फिर से कोशिश की इस बार अदिति सफल हो गई अदिति चॉकलेट देख कर इतनी खुशी हुई की उसने खुश होते हुए कहा । )

अदिति : ( खुश होते हुए ) आध्या जी देखा आखिर कार में जीत गई मैं इस चीज को प्राप्त कर लिया मैंने जादू करना सीख लिया।

( आध्या ने खुश होते हुए कहा । )

आध्या : बहुत अच्छी बात है अदिति बस अपना ध्यान हटाने मत देना चाहे कुछ भी हो जाए मटिल्डा चलो तुम भी कोशिश करके देखो ।

( अदिति ने मटिल्डा के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। )

अदिति : मटिल्डा कहां खोई हुई हो ?

( मटिल्डा ने अदिति का हाथ उससे दूर किया तभी आध्या ने कहा । )

मटिल्डा : प्लीज अभी नाराज मत हो वैसे भी मैं तुम्हारे कहने पर ही तुम्हें माल्टा ले जा रही हूं अगर तुम नाराज रहोगी तो मैं तुम्हें माल्टा कैसे ले जा पाऊंगी ?

मटिल्डा : नाराज रहने और माल्टा जाने में कोई भी कनेक्शन नहीं है इतना तो मुझे भी पता है ।

अदिति : मटिल्डा इस वक्त भी तुम्हें झगड़ना सूज रहा है चलो अपने जादू की प्रेक्टिस करो एक बारी कोशिश करके तो देखो शायद तुमसे भी पहली बार ना हो पाए ।

मटिल्डा : मैं कुछ नहीं करने वाली और जादू भी नहीं करूंगी।

आध्या : तो फिर ठीक है मैं सबसे पहले तुम्हें वापस छोड़ कर आता हूं क्योंकि मैं ऐसे तुम्हें नहीं ले जा सकती तुम्हारी जान खतरे में हो सकती है अगर तुम जादू ही नहीं कर पाओगी तो फिर कैसे चलेगा ।

मटिल्डा : मैं वापस घर नहीं जाऊंगी ।

अदिति : तो फिर जादू कर।

मटिल्डा : मुझे नहीं करना ।

आध्या : तो फिर ठीक है मैं गाड़ी वापस ले रही हूं मैं तुम्हें पहले घर छोड़ जाऊंगी मैं तुम्हें वहां ले जाकर तुम्हारी जान के साथ खतरा मोल नहीं ले सकती ।

अदिति : नहीं आध्या जी आप ऐसा नहीं कर सकती ।

रिची : हमारे पास समय नहीं है ।

अदिति : आध्या जी आप ऐसा कैसे कर सकती है आपने वादा किया था कि आप हमें माल्टा घूमाकर लाएंगी ।

आध्या : अदिति मैं तुम्हारी नहीं मटिल्डा की बात की है मटिल्डा अकेले वहां रुकेगी ।

( आध्या की बात सुन मटिल्डा की आंखों में आंसू झलक आया लेकिन उसने अपने आप को संभाला बाहर देखते हुए कहा । )

मटिल्डा : ठीक है छोड़ आईए मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता ।

अदिति : सही में तुझे कोई फर्क नहीं पड़ता पर फिर सोच ले आध्या जी प्लीज मेरी बात मानिए मैं मटिल्डा की रक्षा कर लूंगी।

आध्या : और जब तुम उसके साथ नहीं होगी तब क्या ?

अदिति : आध्या जी मैं आपको कह रही हूं ना मैं हमेशा उसके साथ रहूंगी।

रिची : और मैं भी पूरा ध्यान रखूंगा कि मटिल्डा अकेली ना रहे ।

आध्या : ठीक है लेकिन मटिल्डा तुम्हारा यह जो गुस्सा और बदतमीजी चल रही है ना कहीं ऐसा ना हो किसी दिन मैं कुछ ऐसा कर बठुन जो मुझे ना करना हो।

मटिल्डा : ( गुस्से में ) तो क्या आप मुझे धमकी दे रही है ?

आध्या : वही समझ लो ! सामने देखो हम पहुंचने वाले हैं सामने जंगल आएगा जो की बहुत खतरनाक है तो ख्याल रखना ।

मटिल्डा : नहीं रखेंगे ख्याल तो क्या कर लेंगी आप

( अदिति ने मटिल्डा का हाथ पकड़ लिया तभी आध्या ने कहा । )

आध्या : मुझे चैलेंज मत दो मटिल्डा कि मैं क्या कर सकती हूं मेरी हद तुम नहीं जानती ।

अदिति : आपको नाराज़ होने की ज़रूरत नहीं मटिल्डा को संभाल मैं लूंगी आप प्लीज ड्राइविंग पर ध्यान दीजिए ।

( आध्या ने अपना गुस्सा शांत किया और सामने जंगल की ओर गाड़ी ले गई उसे गुलाबी रोशनी से निकलने के कारण एक पल के लिए सब की आंखों में सफेद रोशनी पड़ी जिसके कारण सबकी आंखें बंद हो गई जैसे ही सबने अपनी आंखें खोली उनके सामने एक जंगल था लेकिन तभी सामने से एक पेड़ की जड़ उन्हें नीचे गिराने के लिए उनके पास आ रही थी इससे पहले की गाड़ी नीचे गिर पाती आध्या ने गाड़ी को ऊपर ले लिया तभी आध्या ने सबको कहा । )

आध्या : सब लोग किसी चीज को पकड़ कर बैठ जाओ अब यहां पर कुछ भी हो सकता है ।

( सबने आध्या की बात मानी और किसी न किसी चीज को जैसे की गाड़ी की सीट गाड़ी का दरवाजा पकड़ लिया ध्यान देने पर पता चला कि कई जगह से जड़ें उन पर वार कर रही है आध्या ने जैसे - तैसे कर कुछ देर तक गाड़ी को इन जड़ों से दूर रखा लेकिन तभी एक जड़ ने गाड़ी के ऊपर हमला कर दिया जिसके कारण गाड़ी जाकर एक पेड़ से टकराई रिची और अदिति के बीच जो जगह थी उस जगह का हिस्सा बिल्कुल उनके आगे आ चुका था मटिल्डा ने अदिति को हाथ पकड़ अपनी तरफ करने की कोशिश की आध्या ने कहा । )

आध्या : मत करो !

( मटिल्डा ने आध्या की बात नहीं सुनी और अदिति को अपनी तरफ ले लिया तभी पेड़ से टकराई गाड़ी नीचे गिरने लगी जिसके कारण आध्या और मटिल्डा की साइड नीचे लगने वाली थी इससे पहले की गाड़ी नीचे जमीन से तकरा पाती आध्या ने रिची और अदिति का हाथ पकड़ उन्हें ऊपर पेड़ के डाल पर खड़ा कर दीया और वापस मटिल्डा को लेने गई इससे पहले की मटिल्डा गाड़ी के साथ नीचे गिर पति आध्या ने उसका हाथ पकड़ उसे ऊपर खींच लिया लेकिन इससे पहले कि वह गाड़ी से ज्यादा दूर आ पाते गाड़ी में एक धमाका हुआ जिसका करण हर जगह धुआं फैल गया अदिति को लगा कि मटिल्डा और आध्या को कुछ हो गया है तभी अदिति जोर से चलाई । )

अदिति : ( चिल्लाते हुए ) नहीं..........!

( रिची सदमे में चला गया था तभी उसने अपनी नजरों को धमाके की ओर रखते हुए धीरे से कहा । )

रिची : ( धीमी आवाज में ) ऐसा नहीं हो सकता मैं ऐसा नहीं होने दे सकता मेरी वजह से इन दोनों की जान नहीं जा सकती !

अब क्या होगा ?

क्या सही में अध्या और माटिल्डा मर चुके हैं ?

क्या उनका सफर यहीं तक था ?

क्या मां बेटी मिलकर भी जुदा ही रह जाएंगे ?

क्या कभी मटिल्डा अपना जादू इस्तेमाल कर भी पाएगी ?

या यहीं पर हो जाएगी उन दोनों के सफर का अंत ?

जानने के लिए पढ़िए "साथ में जादू साथ में जीत।"

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