छोटी जीत

( दूसरी तरफ आध्या और अदिति एक घने जंगल में पहुंचे आध्या ने अदिति से कहा । )

आध्या : अदिति रुको मैं अपना जीवन कुंज लेकर आता हूं ।

अदिति : आध्या जी आप सही में जीवन कुंज लेने जा रही हैं ?

आध्या : हां कोई दिक्कत है क्या ?

अदिति : आपको नहीं लगता कि घर पर सब लोग बदल चुके हैं मतलब हर एक का बर्ताव मैं कुछ बदलाव लग रहा है ।

आध्या : अदिति बच्चा तू ऐसा क्यों कह रही है ऐसा कुछ भी नहीं है सब लोग बस मटिल्डा को शक्तियां न मिलने के कारण परेशान है ।

अदिति : आध्या जी क्या आपने कभी मम्मी को गुस्सा करके देखा है मैंने तो कभी नहीं देखा और पापा की छोटी सी बात पर मम्मी गुस्सा हो गई और रही बात अरनव जी तो कभी भी आपको अपनी जान खतरे में डालने के लिए नहीं खाएंगे चाहे उसके लिए उन्हें पूरी दुनिया ही क्यों ना खतरे में डालनी पड़े और सोचिए जीवन कुंज आपके लिए कितना जरूरी है अगर उसे कुछ हो गया तो आप जिंदा नहीं रह पाएंगी तो फिर सब आपके जीवन कुंज लाने के लिए क्यों कह रहे होंगे ।

आध्या : क्योंकि मटिल्डा की शक्तियां अभी तक काम नहीं कर रही मटिल्डा की शक्तियां उसे मिलना भी जरूरी है।

अदिति : वही तो बात है आध्या जी मैं मटिल्डा को बचपन से जानती हूं वह कभी भी कोई जिम्मेदारी इतनी आसानी से नहीं लेती और अब देखो उसने दुनिया की जिम्मेदारी अपने कंधे से ले ली वह भी तब जब वह आप सबसे नाराज थी।

आध्या : बात तो सही है यह चीज तो मैंने ध्यान ही नहीं दी की मटिल्डा हमसे नाराज थी और उसने 1 मिनट में ही हमें माफ कर दिया ।

अदिति : सिर्फ इतना ही नहीं जरा ध्यान दीजिए मटिल्डा का बर्ताव बहुत बदल चुका है और उसका निशान जब हमने देखा था तब उसमें चमक थी लेकिन जब आपने उसे शक्तियां दी तब वह तो बिल्कुल मुरझाया हुआ था मतलब लग रहा था कि उसकी सारी ऊर्जा ही खत्म हो गई हो ।

अध्या : मतलब तुम कहना क्या चाहती हो ।

अदिति : आध्या जी अब भी आपको बताना पड़ेगा ।

आध्या : देखो मुझे तुम्हारी कोई भी बात समझ नहीं आ रही है तुम कहना चाहती हो कि हमारे घर वाले असली नहीं है ?

अदिति : हां आध्या जी हमारे घर वाले असली नहीं है मुझे लगता है किसी की चाल है सिर्फ और सिर्फ आपका जीवन कुंज लेने के लिए क्योंकि मटिल्डा का सुरक्षा कवच हटाते ही आप उसकी शक्तियां उसे मिल जानी चाहिए थी आपने कहा था उसके पास पहले से शक्तियां थीं लेकिन आपने उसे रोका था ।

आध्या : लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है अगर वह हमारे घर वाले नहीं है तो हमारे घर वाले कहां है ?

अदिति : वह तो मुझे भी नहीं पता ।

आध्या : तो फिर अब हम क्या करेंगे कैसे पता लगाएंगे की कहां है हमारे घर वाले ?

अदिति : मेरे पास एक आइडिया है ।

( अदिति ने सारा आइडिया आध्या को बताया अदिति का आईडिया सुनने के बाद आध्या ने अतिथि से के चेहरे पर हाथ रखते हुए कहा । )

आध्या : लेकिन अदिति इन सब में तुम्हारी जान खतरे में जा सकती है मैं तुम्हारी जान को खतरे में नहीं डाल सकती ।

अदिति : अब अपने घर वालों को बचाने के लिए इतना तो कर ही सकती हूं ।

आध्या : लेकिन अदिति यह खेल बहुत बड़ा है तुम्हें नहीं लगता हमें कुछ और भी ज्यादा करना चाहिए ।

अदिति : आध्या जी उन्होंने बहुत बड़ा खेल खेला है लेकिन हम उसे खत्म करेंगे वह भी उस तरह जिस तरह मैं कहूंगी क्योंकि इस बार उन्होंने मेरे घर वालों से पंगा लिया मैं उन्हें छोडूंगी नहीं।

( अदिति की आग देख आध्या ने कहा। )

आध्या : अच्छा बाबा तुम्हारे आगे मैं हार गई मैं नहीं जीत सकती तुमसे ।

( अदिति मुस्कुराई और तभी आध्या ने अपना काम शुरू कर दिया वहीं दूसरी तरफ सारे बर्फ के पुतले एक साथ सोफे पर बैठे आध्या और अदिति का इंतजार कर रहे थे। आध्या और अदिति जल्दी वहां पर वापस लौट आए उन दोनों को देख सारे बर्फ के पुतले अपनी जगह से खड़े हो गए तभी उन्होंने ध्यान दिया अदिति के हाथ में एक बड़ा सा डब्बा था तभी बर्फ से बनी मटिल्डा ने मन में सोचा । )

बर्फ से बनी मटिल्डा : ( मन में ) लगता है इस डब्बे में ही शक्ति जीवन कुंज होगा बर्फ से बना ।

मुकेश : ( मन में ) इस बार अच्छाई हारेगी और बुराई जीतेगी।

( वहीं दूसरी तरफ सब लोग ठंड में कांपते हुए बाहर अदिति और आध्या को देख रहे थे तभी मटिल्डा ने कहा।)

मटिल्डा : नहीं अदिति चली जाओ यहां से यह जीवन कुंज उन्हें मत दो वह असली नहीं है ।

मुकेश : आध्या वह तुम्हारी जान ले लेंगे इस दुनिया को बचाने के लिए ले जाओ अपना जीवन कुंज को वापस ।

अरनव : आध्या तुम्हें अपने आप को मटिल्डा को और अदिति को बचाना होगा ।

( इससे पहले कोई कुछ कह पता आध्या ने कहा। )

आध्या : अदिति तुम इस जीवन कुंज को लेकर यही बैठो मैं कुछ सामान लेकर आई जिससे इस जीवन कुंज कि शक्तियां मटिल्डा को दी जा सकती है ।

अदिति : ठीक है मैं आपका इंतजार कर रही हूं जल्दी आना ।

( अदिति की बात सुन आध्या वहां से चली गई आध्या के वहां से जाते ही सब लोग गुस्से से अदिति को देखने लगे अदिति ने शांत स्वर में कहा।)

अदिति : क्या हुआ आप मुझे इस तरह को देख रहे हैं कोई बात है क्या ?

( तभी बर्फ से बनी ओलिविया ने कहा। )

बर्फ से बनी ओलिविया : नहीं बेटा कोई दिक्कत नहीं है बस एक ही दिक्कत है अब तुम्हारी जान जाने वाली है ।

बर्फ से बना मुकेश : अब तुम्हारा क्या होगा बेटा ?

अदिति : आप लोग यह क्या कह रहे हैं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा ?

( इससे पहले अदिति और कुछ कह पाती बर्फीला उसके सामने आ गई और साथ-साथ ही उसके माथे पर अपना हाथ रख दिया जिसे अदिति का बर्फ का पुतला भी बनकर तयार हो गया जीवन कुंज अभी भी मेज़ पर ही पड़ा था और बर्फ से बानी अदिति सोफे पर बैठी थी तब ही आध्या कुछ समान लेकर वापस आई उसने अदिति से पूछा । )

आध्या : अदिति सब ठीक है ना ?

अदिति : सब ठीक है ?

( अदिति के इतना कहते ही आध्या समझ गई की अदिति भी गायब हो चुकी है क्योंकि अदिति की योजना में से एक छोटा सा हिस्सा यह भी था कि आध्या अदिति को किस तरह पहचान सकती है आध्या के अदिति को पहचानने का एक ही रास्ता था जब भी आध्या अदिति से पूछे कि सब ठीक है तब अदिति का जवाब होना था अन्ना लेकिन इस बार अदिति ने सब ठीक है कहा उसने अन्ना शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जिसके कारण आध्या सारा सच जान गई तभी आध्या ने सारा सामान मेज पर रखा था जिसके अंदर कोई नहीं जानता था कि क्या था वहीं दूसरी तरफ अदिति भी उस बर्फ के कमरे में पहुंच गई सब ने मिलकर अदिति को उठाया और अदिति सबको देखकर बहुत खुश हुई अदिति में सब मटिल्डा को गले लगाया और कहा । )

अदिति : शुक्र है आप सब लोग मिल गए आप लोग समझ नहीं पा रहे थे मुझे कितनी फिक्र हो रही थी आप लोगों की ।

ओलिविया : अदिति अब तेरी जान खतरे में आ जाएगी आध्या को कुछ पता ही नहीं है कि क्या चल रहा है हम लोग नकली है असली नहीं वह सब बर्फ के पुतले हैं ।

अदिति : बर्फ के पुतले मतलब चलता फिरता बर्फ !

मुकेश : अदिति इस वक्त मजाक करने का समय नहीं है जल्दी हमें कुछ करना होगा वरना दोनों मर जाएंगे।

अदिति : पापा शांत हो जो कुछ नहीं होगा ।

मटिल्डा : कैसे नहीं होगा अदिति इतनी देर से हम लोग तुम्हें रोकने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कुछ नहीं कर पा रहे मैं तो न जाने कितने घंटे से यहां बंद हूं अब पता नहीं किस तरह की विधि करने वाली है ।

अदिति : विधि ! कौन सी विधि ?आध्या जी केवल हमें निकालने की विधि करेंगे ।

ओलिविया : कहना क्या चाहती है तू अदिति ?

( अदिति ने अपनी जेब से एक गोल छोटी गेंद निकली उसमें अलग-अलग रंग भरे हुए थे उसमें से एक अलग तरह की ऊर्जा आ रही थी जो की सब लोग महसूस कर पा रहे थे तभी अरनव ने कहा। )

अरनव : जीवन कुंड !

अदिति : जी बिल्कुल यह आध्या जी का जीवन कुंड है ।

मुकेश : मतलब बाहर जो जीवन कुंज है वह नकली है ।

अदिति : बाहर कोई जीवन कुछ है ही नहीं वह तो केवल एक खाली डब्बा है माटिल्डा इस जीवन कुंज की मदद से केवल तुम बाहर जा सकती हो इस को लो और बाहर जाओ और आध्या जी को सब कुछ सच-सच बता देना और उन्हें यह भी बता देना कि इस वक्त तुम असली और वह नकली है ।

मटिल्डा : लेकिन मां मेरी बातों पर विश्वास क्यों करेंगी ?

अदिति : क्योंकि वह मन है माता पर विश्वास कर ही लेंगी ।

मटिल्डा : लेकिन चाहे कुछ भी हो जाए मैं आप लोगों को इस हालत में छोड़कर नहीं जाने वाली ।

अरनव : मटिल्डा एक तुम ही हमारी आखिरी उम्मीद हो ।

मुकेश : मटिल्डा तुम ही हम सबको बचा सकती हो जाओ बचा लो हम लोगों को ।

ओलिविया : आध्या तुम्हारी बात का विश्वास करेगी मुझे पूरा यकीन है जो हम लोग यहां पर संभाल लेंगे ।

अदिति : चिंता मत करो मैं भी हूं यहां पर किसी को कुछ नहीं होने दूंगी वादा रहा ।

मटिल्डा : लेकिन मां मेरी बात क्यों मांगी ?

अदिति : वह तो वहां जाकर ही पता चलेगा ।

( मटिल्डा ने अपने एक हाथ में जीवन कुंज लिया और कमरे से बाहर जाने लगी जैसे ही मटिल्डा दीवार के पास पहुंची तो एक जादूइ पोर्टल अपने आप ही बन गया ने सबसे पहले मुड़कर ने पीछे देखा सब लोगों ने उसे जाने का इशारा किया तभी मटिल्डा बाहर आ गई बाहर आते ही सबसे पहले मटिल्डा ने एक खंजर अपने हाथ में लिया और उसे पीछे छुपा लिया उसके एक हाथ में खंजर और दूसरे हाथ में जीवन कुंज था तभी वह बिना घबराए सबके सामने आ गई और गुस्से में कहा। )

मटिल्डा : ( गुस्से में ) बस बहुत हो गया मां यह लोग असली नहीं है सब लोग नकली है बर्फ से बने पुतले।

( मटिल्डा को बाहर देखकर बहुत हैरान थे तभी बर्फ से बनी मटिल्डा ने अपना बचाव करते हुए कहा। )

बर्फ से बनी मटिल्डा : नहीं मम्मी ये झूठ बोल रहे हैं रही है मैं तो कितने समय से आपके साथ ही हूं आपके सामने पता नहीं ये अब कहां से आ गई यह जरूर उस दरिंदे की चाल होगी।

बर्फ से बनी ओलिविया : आध्या तुम इसे मार दो कहीं ऐसा ना हो कि इसका जिंदा रखना हमारे लिए खतरा बन जाए ।

बर्फ से बना मुकेश : हां आध्या मुझे ओलिविया की बात सही लग रही है यह हमारे लिए कोई ना कोई मुसीबत ही खड़ी करेगी बर्फ से बना ।

अरनव : यकीन नहीं हो रहा इन लोगों ने अभी से माटिल्डा को अपना शिकार बना लिया।

मटिल्डा : नहीं मां मैं झूठ नहीं बोल रहें सच में मैं असली मटिल्डा हूं यह लोग आप को फ़साना चाहते हैं सिर्फ और सिर्फ आपका जीवन कुंज लेने के लिए ।

बर्फ से बनी ओलिविया : अच्छा

हम कैसे माने तुम हमारी मटिल्डा हो क्या सबूत है तुम्हारे पास ?

मटिल्डा : मैं सच बोल रही हूं मां मुझे पहचानने की कोशिश कीजिए ।

( तभी बर्फ से बने अरनव ने ध्यान दिया कि आध्या वहीं चुपचाप खड़ी सारा तमाशा देख रही थी तभी बर्फ से बने अरनव ने कहा । )

बर्फ से बना अरनव : आध्या तुम चुपचाप क्यों खड़ी हो तुम्हें लगता है कि यह सच बोल रही है ?

मटिल्डा : में सच बोल रही हूं मेरी बात का यकीन कीजिए ।

आध्या : मुझे कोई बोलने का मौका तो दो तभी बोलूंगी ना।

बर्फ से बना मुकेश : आध्या तुम्हें मौका क्यों नहीं मिलेगा बोलो क्या कहना चाहती हो तुम किसकी तरफ हो मुझे पूरा यकीन है तुम जानती हो यह तुम्हारी मटिल्डा नहीं है ।

आध्या : मैं अच्छे से जानती हूं कि इन दोनों में से एक मेरी मटिल्डा नहीं है ।

( आध्या बर्फ से बनी मटिल्डा के पास गई और बर्फ से बनी मटिल्डा के सामने खड़े होते हुए कहा। )

आध्या : मैं सब कुछ जानती हूं कौन असली है और कौन नकली ।

बर्फ से बनी मटिल्डा : मतलब आप समझ गए कि यह नकली है ।

मटिल्डा : नहीं मां मेरी बात पर विश्वास कीजिए मैं सच बोल रही हूं यह झूठी है यह बर्फ से बनी है बर्फ से बनी ।

बर्फ से बनी ओलिविया : अच्छा

हम कैसे माने तुम हमारी मटिल्डा हो क्या सबूत है तुम्हारे पास ?

मटिल्डा : मैं सच बोल रही हूं मां मुझे पहचानने की कोशिश कीजिए ।

( तभी बर्फ से बने अरनव ने ध्यान दिया कि आध्या वहीं चुपचाप खड़ी सारा तमाशा देख रही थी तभी बर्फ से बने अरनव ने कहा । )

बर्फ से बना अरनव : आध्या तुम चुपचाप क्यों खड़ी हो तुम्हें लगता है कि यह सच बोल रही है ?

मटिल्डा : में सच बोल रही हूं मेरी बात का यकीन कीजिए ।

आध्या : मुझे कोई बोलने का मौका तो दो तभी बोलूंगी ना।

बर्फ से बना मुकेश : आध्या तुम्हें मौका क्यों नहीं मिलेगा बोलो क्या कहना चाहती हो तुम किसकी तरफ हो मुझे पूरा यकीन है तुम जानती हो यह तुम्हारी मटिल्डा नहीं है ।

आध्या : मैं अच्छे से जानती हूं कि इन दोनों में से एक मेरी मटिल्डा नहीं है ।

( आध्या बर्फ से बनी मटिल्डा के पास गई और बर्फ से बनी मटिल्डा के सामने खड़े होते हुए कहा। )

आध्या : मैं सब कुछ जानती हूं कौन असली है और कौन नकली ।

बर्फ से बनी मटिल्डा : मतलब आप समझ गए कि यह नकली है ।

मटिल्डा : नहीं मां मेरी बात पर विश्वास कीजिए मैं सच बोल रही हूं यह झूठी है यह बर्फ से बनी है बर्फ से बनी ।

मटिल्डा : अरे ऐसे कैसे कोई बर्फ से बन सकता है ?

मटिल्डा : मैं दिखती हूं कैसे ?

( इससे पहले की बर्फ से बनी मटिल्डा कुछ कह पाती मटिल्डा आगे आई और अपने हाथ में छुपाया हुआ खंजर बर्फ से बनी मटिल्डा के पेट में खोप दिया जैसे ही मटिल्डा ने खंजर बाहर निकला तब बर्फ से बनी मटिल्डा एक छोटे से धमाके के साथ खत्म हो गई उसके शरीर में से कुछ पानी के की बूंदे निकली जो कि पूरे कमरे में फैल गई तभी मटिल्डा ने आध्या की तरफ देखते हुए कहा। )

मटिल्डा : देखा मां मैं आपको कहा था इनमें से कोई भी असली नहीं है यह सब नकली है ।

आध्या : पहले मुझे तो कहने दे मैं जानती हूं कि यह सब असली नहीं नकली है तू असली है ।

मटिल्डा : लेकिन कैसे ?

आध्या : अभी इन सब बातों का वक्त नहीं।

( तभी बर्फीला भी वहां पर आगायी और उसने कहा । )

बर्फीला : मटिल्डा तू वहां से तो बच गई लेकिन यहां से नहीं बच पाएगी वहां पर तेरे घर वाले वहां मारेंगे और यहां पर तू ।

( इससे पहले बर्फीला मटिल्डा की तरफ बढ़ पाती आध्या मटिल्डा के आगे आई और कहा। )

आध्या : मटिल्डा को छूने से पहले तुझे मुझसे लड़ना होगा मटिल्डातुम इन चारों को मार कर सबको आजाद करो और मैं इसे संभालती हूं ।

मटिल्डा : ठीक है ।

( बर्फीला ने अपने दोनों हाथ आगे की है और आध्या की ओर लाल रंग की किडनी छोड़ने लगी और आध्या ने भी अपने दोनों हाथ आगे कर पीले रंग के छोड़ने लगी दोनों की शक्तियां बराबर थी जिसके कारण ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा था लेकिन कुछ ही देर में बर्फीला पर आध्या हावी होने लगी क्योंकि आध्या की शक्ति बर्फीला से कई गुना ज्यादा थी वहीं दूसरी तरफ मटिल्डा ने एक-एक कर अरनव मुकेश और ओलिविया को आजाद कर दिया लेकिन अदिति अभी भी अंदर कैद थी तभी अंदर बर्फ के कमरे में काले बदल आने लगे इसका मतलब था कि वहां पर तूफान आने वाला था तभी ओलिविया ने मटिल्डा को आगाह करते हुए कहा । )

ओलिविया : मटिल्डा समय हो गया है जल्दी बर्फ के कमरे में तूफान आ जाएगा तुम्हें किसी भी तरह अदिति को आजाद करना होगा ।

( लेकिन चिंता की बात यह थी कि अदिति मटिल्डा से बचने के लिए भाग रही थी अब उनमें से कोई भी घर के बाहर तो जा नहीं सकता था इस घर में ही मैं अदिति छुपाने की कोशिश कर रही थी लेकिन मटिल्डा ने भी कच्ची गोलियां नहीं खेली थी उसे किसी भी तरह अपनी बहन को बचाना था उसने बिना कुछ सोच अपने हाथ के खंजर को अदिति की तरफ फेंक दिया अदिति उससे बचने के लिए नीचे झुकी लेकिन मटिल्डा का अंदाजा सही था इसलिए खंजर सीधा जाकर अदिति को लगा जिससे अंदर बर्फ के कमरे की अदिति भी आजाद हो गई वहीं दूसरी तरफ बर्फीला और आध्या का युद्ध अभी भी चल रहा था बर्फीला लगभग हार चुकी थी लेकिन अपने बचाव के लिए बर्फीला ने अपने हाथ में एक बर्फ से बनी तलवार ले आई जो की बर्फीला आध्या को मारना चाहती थी लेकिन इससे पहले की बर्फीला आध्या को वह तलवार मार पाती अदिति ने वह खंजर उठाया और जाकर बर्फीला की पीठ में खोप दिया जिससे बर्फीला भी खत्म हो गई। तभी मटिल्डा ने अदिति के कंधों पर हाथ रखा और कहा । )

मटिल्डा : ( हस्ते हुए ) अदिति ये तूने क्या किया बर्फीला का कत्ल कर दिया तू तो कातिल बन गई।

( मटिल्डा अदिति के कंधे पर सिर रखकर खड़ी थी तभी अदिति ने अपना हाथ मटिल्डा के चेहरे पर रखते हुए कहा। )

अदिति : अच्छा तो फिर तूने तो चार कत्ल किए फिर तो तू मुझसे भी बढ़ी कातिल हुई ।

आध्या : बच्चों एक दूसरे की टांग खींचना बंद करो और मेरा जीवन कुंज दो मैं उसे वापस रख आती हूं ।

( मटिल्डा ने जीवन कुंज आध्या को दे दिया आध्या जाकर जीवन कुंज को वापस रख आई। सब लोग सोफे पर बैठे बातें कर रहे थे। )

आध्या : मटिल्डा मैं तुमहारा जादू तुम्हे देना चाहती हूं ।

मटिल्डा : बिल्कुल नहीं मैं तो यहां रुकना भी नहीं चाहती और आप मुझे जादू लेने को कहा रहे हो बिल्कुल नहीं।

अरनव : मटिल्डा ये तुम क्या कह रही हो तुम्हे जादू नहीं चाहिए कोई बात नहीं लेकिन कम से कम हमे छोड़ कर जाने की बात तो मत करो।

अदिति : मटिल्डा फिर से तुम्हारी बकवास शुरू हो गई । चुप रह बस अब तुझे मेरी कसम चुप चाप यहीं बैठ जा ।

मटिल्डा : अदिति तुम मुझे फोर्स कर रही हो ।

अदिति : हां और तुम्हे जादू क्यों नहीं चाहिए अगर मेरे पास ऐसी कोई ऑप्शन होता तो मैं बिल्कुल लेती क्योंकि जादू एक कला है खुद सोच कितना मजा आता होगा एक जादू करने में जब तू लोगों की जान बचा पाएगी तो कितना सुकून मिलेगा तुझे ?

मटिल्डा : सुकून के लिए मैं अपने आप को खत्म नहीं करूंगी तेरी कसम की वजह से मुझे यहां रुकना पड़ रहा है लेकिन मैं अपना जीवन अपनी शर्तो से जिऊंगी ।

आध्या : ठीक है मटिल्डा तु जैसे अपना जीवन जीना है जियो ।

ओलिविया : और वैसे भी हम तुम पर दबाव नहीं डाल रहे हैं।

मुकेश : तुम पर दबाव डालने का कोई फायदा नहीं है मटिल्डा क्योंकि अगर हम तुम्हें दबाव डालकर शक्ति दे भी दे तो तुम उसे इस्तेमाल ही नहीं कर पाओगी और उसका फायदा ही क्या ?

( मटिल्डा ने अपने आप को शांत किया तभी आध्या ने कहा। )

आध्या : समय बहुत हो गया है हम कल सुबह बात करते हैं चलो सो जाओ ।

क्या मटिल्डा अपना जादू कभी नहीं लगी ?

क्या हमेशा आध्या से इसी तरह नाराज रहेगी ?

क्या आध्या मटिल्डा को मनाने में कामयाब हो जाएगी ?

जानने के लिए पढ़िए "साथ में जादू साथ में जीत।"

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