मटिल्डा : पिछले 10 साल ये मेरा ही घर था जब आप मुझे भूल गई थी मुझसे दूर रही हमें पता है हमने पिछले 10 साल कितना कुछ सहा वो सब सिर्फ और सिर्फ आपकी वजह से आपके मनघड़ंत कहानियों की वजह से ।
अध्या : मटिल्डा तुझे गलतफहमी हुई है मैं जानती हूं तुमने कितना कुछ सहा होगा लेकिन मेरी मजबूरी थी अगर तुम यहां रहती तो शायद हर पल मुसीबत में रहती मैं तुम्हें मुसीबत में कैसे देख सकती थी जरा मेरे बारे में तो सोचो ।
( मटिल्डा अपनी जगह से खड़ी हुई और टेबल पर अपने दोनों हाथ पटकते हुए कहा। )
मटिल्डा : ( ऊंची आवाज में) आपके बारे में सोचें आपने सोचा था मेरे बारे में एक 2 साल की बच्ची अपने मां-बाप के बगैर कैसे रहेगी एक बार भी सोच एक 5 साल की लड़की को कितना कुछ करना पड़ता होगा उस 2 साल के बच्चे को पालने के लिए कितने ताने सुनने पढ़ते होंगे कितने लोगों को से काम के लिए भीख मांगनी पड़ती होगी इतनी मुश्किल से अपनी पढ़ाई की होगी हम लोगों ने कितनी मुश्किल से जिंदगी काटी होगी लेकिन नहीं आपको सिर्फ और सिर्फ यह दिख रहा था कि आप हमारी जान कैसे बचाएं इससे अच्छा तो ना ही बचाती हमारी जान ज्यादा ठीक था।
( अदिति ने माटिल्डा को रोकते हुए कहा।)
अदिति : शांत हो जा तू ज्यादा कर रही है।
( तभी आध्या ने अदिति को रोकते हुए कहा । )
आध्या : रुक जा अदिति सब कुछ मेरी वजह से ही हो रहा है अदिति एक काम करना तुम अपने माता-पिता के साथ जा सकती हो मतलब तुम चारों एक साथ एक घर में रह सकते हो चाहे तो उधर ही चले जाना जहां पर अभी तक रह रही थी ।
अदिति : ये आप क्या कह रही है आपको अकेला छोड़कर कैसे ?
आध्या : मेरी चिंता मत करो मैंने अकेला जीवन जीना सीख लिया ।
( आध्या ने इतना कहा ही था कि तभी बाहर से एक गाड़ी रोकने की आवाज आई तभी आध्या ने दोनों को चुप रहने का इशारा किया और जाकर अपना एक कान दरवाजे पर लगा लिया और बाहर की बातें सुनाने लगी बाहर दो आदमी खड़े थे एक गाड़ी में ड्राइविंग सीट पर बैठा था और दूसरा बाहर खड़े होकर उससे बातें कर रहा था तभी ड्राइविंग सीट वाले आदमी ने बाहर खड़े आदमी से पूछा। )
ड्राइवर : क्या रे तू हमेशा यहां पर क्यों उतरता है इतनी रात को यहां क्या काम करता है तू ?
आदमी : कुछ नहीं मेरे घर पर ज्यादा देर जा नहीं सकते और तू हमेशा 1:00 ही छोड़ता है अब क्या करूं यही आना पड़ता है ।
ड्राइवर : तो क्या यह भी तुम्हारा ही है ?
आदमी : यही लगा लो ।
( इतना कह कर ड्राइवर चला गया तभी आदमी अंदर आया आध्या ने मटिल्डा और अतिथि के हाथ पकड़े और उन्हें ले जाकर बक्सों के पीछे छुप गए और वहां से कुर्सियां भी गायब कर दी तभी आदमी अंदर आया उसने कारखाने की लाइट जली देखी तो कहा।)
आदमी : अरे लगता है मैं कल लाइट बंद करना ही भूल गया था ।
( आध्या को अभी तक आदमी की शक्ल नहीं देखी थी इसलिए वह पहचान नहीं पा रही थी कि वहां पर था कौन आध्या को लग रहा था कि उसका कोई दुश्मन वहां पर आया है ताकि उसकी बातें सुन सके तभी आदमी जाकर सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गया और अपने पांव मेज पर रख लिए और कहा।)
आदमी : शुक्र है कम से कम यह जगह तो है वरना रात को बाहर सड़क पर ही सोना पड़ता ।
( आध्या ने छुपके छुपाते उस आदमी का चेहरा दिखा चेहरा देखने पर छु हैरान थी वहां पर अदिति का पिता मुकेश राणा था तभी आध्या ने अदिति और माटिल्डा को बाहर आने का इशारा किया आध्या अदिति और माटिल्डा को बाहर आता देख मुकेश अपनी जगह पर जगह से खड़ा हुआ और कहा।)
मुकेश : आध्या तुम यहां तुम भी आज देर से गई थी क्या और यह दोनों कौन है अच्छा तुम अकेले बोर ना हो जाओ इसलिए तुम इन दोनों को अपने साथ ले आई बहुत अच्छा किया पता है मुझे भी अकेले रहना पसंद नहीं लेकिन काम इतना होता की रात को देर से आता हूं तो यही सोना पड़ता है ।
आध्या : पूछोगे नहीं यह दोनों कौन है ?
मुकेश : पूछने की क्या बात है तुम्हारी दोस्त होगी और कौन ?
आध्या : अच्छा सही में मुझे नहीं लगा था तुम मुझे इतने अच्छी तरीके से जानते हो !
( मुकेश फिर से कुर्सी पर बैठा और अपना लैपटॉप निकलते हुए कहा।)
मुकेश : और कौन ही होगी हमारी बेटियां तो होगी नहीं क्योंकि अगर तुम इन्हें उन्हें उन्हें यहां लाई तो वह मर जाएंगे इसलिए या तो बता दो कि कौन है या फिर पहेलियां बुझाना बंद करके शांति से बैठ जाओ मुझे बहुत कम है ।
आध्या : मुकेश एक बार बात तो सुनो शायद इस बार तुम सही हो !
( मुकेश गुस्से में अपनी जगह से खड़ा हुआ और आध्या की आंखों में आंखें डाल कर गुस्से में कहा । )
मुकेश : ( गुस्से में ) अच्छा पिछले 10 सालों से मुझे यही झूठ बोल रही है की तुम हमारे बच्चों का ख्याल रख रही हो तुम देख रही हो कहां है वो तुम देख पा रही हो कि हाल में है सब झूठ था बोल क्या वह सच था झूठ नहीं था क्या मुझे गलतफहमी हुई है तुझे क्या लगा 10 सालों तक तू मुझे बेवकूफ बनाती रहेगी और मैं बनता रहूंगा क्या समझ रखा है तूने तुम्हारी वजह से आज हमारी बच्ची हमारे साथ नहीं सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी वजह से !
( तभी अतिथि बीच में आई और कहा।)
अदिति : शांत हो जाइए ! शांत हो जाइए ! आपको तो पता ही है ना क्यों छोड़ा था आप लोगों ने हमें तो फिर उस बात का ज़ख्म अभी तक खड़ा क्यों है 10 साल हो गए हैं बस कीजिए सब कुछ बीत चुका है अब बीती बातों को लेकर बैठे रहेंगे तो कैसे काम चलेगा ।
मुकेश : अच्छा तो अब तुम भी मेरी बेटी बनना चाह रही हो ।
अदिति : ऐसा कुछ भी नहीं है मेरी बात तो सुनिए मुकेश क्या सुनूं कोई जरूरत नहीं है मेरी बेटी बनने की मेरी बेटी जहां भी होगी अपनी बहन के साथ खुश होगी ।
आध्या : और तेरा क्या जो पिछले 10 सालों से अपने आप को इतना बिजी कर रखा है कि सांस लेने तक की फुर्सत नहीं है तेरे पास 18- 18 घंटे काम करता है आसान है क्यों कर रहा है यह सब कुछ ?
मुकेश : सिर्फ और सिर्फ एक चीज के लिए ।
( मुकेश ने एक लंबी सनी तभी आध्या ने पूछा। )
आध्या : तो फिर वह चीज हमें भी बता दो ।
मुकेश : बिल्कुल नहीं तुम उसके लायक नहीं ।
( इतना कह कर मुकेश वापस से लैपटॉप पर काम करने लगा तभी अदिति आई और उसका लैपटॉप बंद कर दिया और कहा। )
अदिति :अच्छा इतना प्यार करते हो अपनी बेटी से तो अगर कभी सामने आई तो पहचान लोगे ।
( अदिति की यह बात सुन आध्या ने अदिति के पास जाना चाहा लेकिन मटिल्डा ने उसे रोकते हुए कहा । )
मटिल्डा : अब तो यह बेटी और पापा के बीच की बात है आपको पढ़ने की जरूरत नहीं है ।
अध्या : अरे पर
मटिल्डा : अब पर वर कुछ नहीं इन दोनों को आपस में सुलझाने दो।
( इतना कहकर माटिल्डा और अध्या वहीं रुक गए तभी मुकेश ने अपने चेहरे पर झूठी मुस्कान लाई उसकी आंखों में आंसू थे लेकिन जैसे उसने पिछले 10 सालों में आंसू को छुपाना सीख लिया हो उसने मुस्कुराते हुए अदिति से कहा।)
मुकेश : ( मुस्कुराते हुए ) दो बातें हैं पहले मेरी किस्मत इतनी अच्छी नहीं कि मैं अपनी बेटी से फिर मिल सकूं दूसरी मैं इतना अच्छा बाप नहीं जो उसे देखते ही पहचान लो अब तो पता नहीं वह कितनी बड़ी हो गई होगी ?
अदिति : अच्छा और आप उसे पहचानेंगे कैसे अगर आपके सामने आपकी बेटी आई तो ?
मुकेश : तुम ऐसा सवाल क्यों पूछ रही हो खैर सवाल पूछा ही है तो जवाब भी सुनती जाओ मेरी बेटी को पहचानने का एक ही तरीका है ।
अदिति : और वो क्या है ?
( मुकेश मुस्कुराने लगा और कहा।)
मुकेश :( मुस्कुराते हुए) अगर मेरी बेटी मेरे सामने आएगी ना तो मैं उसे पहचानपाऊं या ना पहचान पाऊं वह मुझे जरूर पहचान लेगी और आकर जोर से गले लगाने की ।
( तभी ना जाने मुकेश ने क्या सोच और उसकी मुस्कान परेशानी में बदल गई तभी मुकेश ने परेशान होते हुए कहा।)
मुकेश : शायद मैं गलत समझ रहा हूं इतना कुछ सहा होगा उसने अपनी जिंदगी में सिर्फ और सिर्फ मेरी वजह से ।
अदिति : अच्छा !
मुकेश : ( दुखी मन से )अब तुम और कोई सवाल भी पूछना चाहती हो वरना मेरा लैपटॉप तो मुझे बहुत कम है ।
अदिति : काम तो इतना नहीं है लेकिन अपने आप को बिजी दिखाने के लिए और अपना दुख छुपाने के लिए यह करते हैं ना पापा !
( अदिति के मुंह से पापा सन मुकेश अपनी जगह से खड़ा हो गया तभी मुकेश ने गुस्से में कहा )
मुकेश : ( गुस्से में ) देखो अब तुम हद पार कर रही हो बस करो मुझे मेरा लैपटॉप दो मुझे काम करना है ।
अदिति : अच्छा क्या प्रूफ दूं कि मैं आपकी बेटी हूं वह रेलवे स्टेशन वाला सीन या फिर वह समय जब हम दोनों ने एक साथ समय बताया करते थे या फिर तब जब मैंने एक कड़वा करेला आप को खिला दिया था क्योंकि मम्मी ने कहा था कि पूरा खत्म करना है और मुझे करेला बिल्कुल पसंद नहीं था इसलिए मैंने पूरा पूरी डाबी भर के करेला आपको खिलाया था ।
( ये सुन मुकेश को बहुत सारी बातें और यादें वापस अपनी आंखों के सामने झलकने लगी अपनी ख्यालों की दुनिया से बाहर आया और कहा )
मुकेश : क्या सच में तुम अदिति हो ?
अदिति : अब इतना बड़ा सबूत दे दिया अभी भी सवाल करना बाकी था क्या ?
( मुकेश ने बिना कुछ सोचे अदिति को अपने गले लगा लिया और कहा )
मुकेश : इतने सालों बाद वापस आई वह भी ऐसे!
( मुकेश अदिति से दूर हुआ तभी मुकेश ने माटिल्डा की तरफ देखते हुए कहा। )
मुकेश : इसका मतलब तुम मटिल्डा हो ?
मटिल्डा : हां लेकिन आपको कैसे पता ?
मुकेश : मुझे पूरा यकीन था तुम दोनों एक साथ ही रहोगे अच्छा अब यहां आ ही गए हो तो घर चलो सब लोग तुम्हें देख कर बहुत खुश होंगे ।
अदिति : हां बिल्कुल चलेंगे ना !
मटिल्डा : लेकिन !
अदिती : लेकिन क्या तुम घर नहीं चलोगे ?
अध्या : सबसे तो मिलेगी ना ?
मुकेश : तुम कहना क्या चाहते हो ?
मटिल्डा : मैं कल सुबह 12:00 बजे की ट्रेन बुक कर ली है मैं कल वापस चली जाऊंगी।
अदिति ,मुकेश, आध्या : क्या पर क्यों ?
अदिति : तुमने कहा तुम्हारी मतलब मीट नहीं की ?
मटिल्डा : नही अदिती तुम यहां ज्यादा खुश रहोगी ।
अदिती : तो तुम हमें छोड़ कर जाना चाहती हो ?
अध्या : अभी तो मिली हो हमें।
मटिल्डा : 10 साल पहले आपने मुझे छोड़ा था और 10 साल बाद मैं आप लोगों को छोड़ रही हूं मैं यहां पर आना नहीं चाहती थी इसके चक्कर में आई मुझे लगा ठीक है यह भी तो अपने मां-बाबा से मिलना चाहती होगी बस इसके चक्कर में आई मैं यहां से चली जाऊंगी और फिर वापस लौटकर कभी नहीं आऊंगी उम्मीद है किसी को कोई हर्ज नहीं होगा ।
मुकेश : हर्ज कैसे नहीं होगा तुम भी हमारी बेटी ही हो और ऐसे कैसे तुम हमें छोड़ कर जा सकती हो ?
मटिल्डा : बिल्कुल उसी तरह जिस तरह 10 साल पहले आप लोगों ने हमें छोड़ा था ।
अदिति : वही हमें छोड़ा था सिर्फ तुम्हें नहीं मैं भी तो यहां सब के साथ रह रही हूं ना तो तुम्हें क्या दिक्कत है ?
अध्या : देखो मटिल्डा तुम ज्यादा ओवर रिएक्ट कर रही हो ठीक है यार थोड़ा बहुत चलता है लेकिन इस तरह वापस जाने की बात है तुम्हारे मुंह से शोभा नहीं देती तुम तो बहुत समझदार हो ऐसी बातें क्यों कर रही हो ?
मटिल्डा : समझदार हूं इसीलिए ऐसी बातें कर रही हूं अदिति भोली है प्यार में कुछ भी कर जाती है और मुझे पता है यह सब लोग किसी से प्यार नहीं करते यहां पर सिर्फ और सिर्फ अपना मकसद ढूंढते हैं ।
आध्या : तो मेरा तुम्हें रोकने का क्या मकसद है ?
( मटिल्डा मुस्कुराने लगी और कहा।)
मटिल्डा : अब आपको भी आपका मकसद बताना होगा रहने दीजिए आप अपना मकसद जानती हैं मुझे बताने की जरूरत नहीं है ।
मुकेश : मटिल्डा अपना गुस्सा शांत करो और मकसद बताओ कैसा मकसद ?
मटिल्डा : मकसद जानना चाहते हैं ना तो सुनिए इन्हें मेरी जरूरत है सिर्फ इसीलिए आज यह मुझे रोकना चाहती है ।
आध्या : यह तुम कैसी बातें कर रही हो मटिल्डा तुम बेटी हो मेरी ऐसे कैसे मैं तुम्हारा इस्तेमाल कर सकती हूं ?
मटिल्डा : अच्छा आपको इस्तेमाल नहीं करना था तो फिर बताइए क्यों बचाई थी उस वक्त हमारी जान क्योंकि आपको उस वक्त सिर्फ और सिर्फ इस दुनिया की पड़ी थी हमारी नहीं आपको कोई मतलब नहीं था कि हम किस तरह अपनी जिंदगी जिएंगे आपको सिर्फ एक चीज से मतलब था मेरी जान बच जाए ताकि कल आप मेरा इस्तेमाल उन दरिंदों से लड़ने के लिए कर सके क्या मैं झूठ बोल रही हूं मुकेश जी आप यह बताइए क्या मैं झूठ बोल रही हूं ?
( मुकेश ने अपनी गर्दन झुका ली और गंभीर आवाज में कहा।)
मुकेश : पहले तो मुझे ऐसा कभी नहीं लगा लेकिन तुम्हारे कहने पर पता चल रहा है कि तुम सही कह रहे हो आध्या ने हमेशा हर एक का इस्तेमाल किया है ।
आध्या : मुकेश तुम भी तुम्हें मटिल्डा को समझना चाहिए और तुम उसका साथ दे रहे हो क्यों ?
मुकेश : क्योंकि काफी समय बाद मुझे तुम्हारी असलियत पता चली है आज लग रहा है क्या सच्चाई है और क्या झूठ तुम्हारी यह मासूम शक्ल झूठी मुस्कान सब झूठ है सब कुछ झूठ है।
अदिति : देखिए आप लोग आध्या जी को गलत समझ रहे हो आप लोग एक बारी अपने आप को उनकी जगह रखकर देखिए उस वक्त कितनी मजबूर होगी ये कितना दिल दुखा होगा हम लोगों को उसे रेलगाड़ी में चढ़ते वक्त समझने की कोशिश कीजिए और पापा आप मटिल्डा का तो मैं समझ सकती हूं लेकिन आप भी आपने भी तो मुझे उस रेलगाड़ी में चढ़ाया ही था ना और इस तरह से तो मुझे भी वापस ही चले जाना चाहिए क्योंकि आप लोगों ने भी मुझे अपने आप से दूर कर दिया था ।
मुकेश : हमने नहीं अदिति हम कभी भी तुम्हें अपने आप से दूर नहीं करना चाहते थे लेकिन उस वक्त आध्या ने हम लोगों को पता ही नहीं लगने दिया और जब हमें पता लगा तो रेलगाड़ी बहुत आगे तक चली गई थी मैंने काफी दूर तक तुम्हारा पीछा करने की कोशिश की लेकिन बदकिस्मती से उस वक्त तुम चली गई थी ।
अदिति : ऐसा कैसे हो सकता है मुझे अच्छी तरीके से याद है आप मेरे सामने खड़े थे।
(आध्या ने अपना सर झुका लिया और कहा।)
आध्या : उस वक्त तुम्हारे असली मम्मी पापा नहीं बल्कि मेरे जादू के द्वारा बनाया बनाए गए पुतले तुम्हारे आगे खड़े थे तुम्हारे मम्मी पापा उस वक्त तुमसे बहुत दूर थे ।
मुकेश : देखा हर एक झगड़े की वजह हर एक झगड़े की फसाद यही है।
आध्या : मुझे माफ कर दो लेकिन मेरी भी मजबूरी थी इन लोगों की जान बचाने के लिए मुझे करना पड़ा।
मटिल्डा : बस कीजिए जान बचाने के लिए करना पड़ा करना पड़ा करना पड़ा बस इसी चीज की लत लगा रखी है आपने सुबह हो गई है घर चले वरना मैं बिना किसी से मिले ही चली जाऊंगी ।
मुकेश : मटिल्डा चलो भी अब माफ कर दो ना जो हो गया सो हो गया अब आगे बढ़ो।
मटिल्डा : कैसे आगे बढ़ो मुकेश जी आप बढ़ पाए मैं भी नहीं बढ़ पाऊंगी और पूरी सच्चाई जानने के बाद तो बिल्कुल भी नहीं।
( सब लोग कारखाने से बाहर निकल बाहर मुकेश का ड्राइवर पहले ही गाड़ी लेकर खड़ा था सब लोग जाकर गाड़ी में बैठ गए ।
अब क्या होगा ?
क्या सही में मटिल्डा सब से दूर चली जाएगी ?
या वो सब मिलकर रोक लेंगे मटिल्डा को
या मटिल्डा किसी परेशानी में पड़ जाएगी ?
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