आग का दरिया

( मटिल्डा सो गई और अतिथि कमरे में लगे एक बड़ी कांच की तरफ आकर खड़ी हो गई वह उसे शीशे से आर पार देख सकते थे अदिति बाहर दार्जिलिंग के नजारे का आनंद उठा रही थी तभी धर्मशाला की के रसोई घर में एक धमाका हुआ धमाके से सब लोग धर्मशाला के रसोई घर में पहुंच गए लेकिन अदिति और माटिल्डा आराम से अपना काम कर रहे थे उन्हें नहीं पता था उस धमाके के बारे में लोगों ने वहां जाकर देखा तो पूरे रसोई घर में आग फैल चुकी थी और लगभग आदि धर्मशाला भी आग की चपेट में थी तभी धर्मशाला के मालिक ने कहा ।)

मलिक : सब लोग बाहर निकालो अपनी जान बचाओ ।

( मलिक के इतना कहते ही पूरे धर्मशाला में भगदड़ मच गई लेकिन अदिति और माटिल्डा को वहां पर क्या हो रहा था इसका कोई अंदाजा नहीं था तभी मलिक ने फैब्रिकेटेड को फोन किया वहीं दूसरी तरफ सब लोग बाहर निकल चुके थे मालिक भी बाहर आ गया उन्हें नहीं पता था कि धर्मशाला में अभी भी दो लोग हैं तभी उधर से एक काले रंग के कोट पेंट में एक महिला अपनी बाइक से धर्मशाला के पास से गुजर रही थी उसके काले घने बाल थे जो की बिल्कुल सीधे थे उसकी काली और गहरी आंखें जिसके ऊपर वह हमेशा काजल लगा कर रखती थी उसके गुलाबी होंठ जिस पर उसने कुछ भी नहीं लगा रखा था लेकिन मैं फिर भी गुलाब की पंखुड़ियां की तरह गुलाबी थे तभी उसने धर्मशाला की तरफ देखा और बाइक को रोक दिया और उस धर्मशाला  के दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी तभी मलिक ने उस औरत को रोकते हुए कहा। )

मलिक : अंदर खतरा है आप कौन है अंदर मत जाइए ।

( औरत ने मालिक से अपना हाथ छुड़वाया और कहा।)

औरत : मुझे पता है मैं क्या कर रही हूं।

( इतना कह कर औरत धर्मशाला के अंदर दौड़ गई मलिक ने औरत को रोकने की कोशिश की लेकिन वह रोक नहीं पाया तभी मटिल्डा ने अपनी आंखें खोली और डरते हुए बोला । )

मटिल्डा : अदिति कहां खोई हुई है आग !

अदिति : देख बेवकूफ मत बना मुझे इस वक्त तेरे मजाक का समय नहीं है....।

( इतना कहते हुए अदिति ने पीछे मुड़कर देखा पीछे आग देखकर अदिति भी डर गई उस कमरे में बाहर जाने का केवल एक ही रास्ता था और वह पूरा रास्ता आग की चपेट में आया हुआ था तभी अदिति ने माटिल्डा को इस कांच के शीशे की तरफ खींच लिया और उसको गले लगाते हुए कहा। )

अदिति : मटिल्डा शांत रह कुछ नहीं होगा ।

मटिल्डा : इतनी आग लगी कैसे कहां खोई हुई थी तुम ?

अदिति : मुझे पता नहीं चला कब आग लग गई मैं तो बाहर देख रही थी।

मटिल्डा : बहुत अच्छा काम किया अब हम बचेंगे कैसे ?

अदिति : ( डरते हुए ) पता नहीं लेकिन कुछ तो करना ही पड़ेगा।

मटिल्डा : लेकिन क्या ?

अदिति : मुझे नहीं पता ।

मटिल्डा : तो फिर बोल क्यों जल्दी कुछ सोचो!

( इससे पहले की अदिति कुछ कह पाती बाहर से एक औरत की आवाज आई ये वही औरत थी जो की धर्मशाला के अंदर बिना डरे चल पड़ी थी उस औरत ने कहा )

औरत : डरो मत बच्चों मैं तुम्हें बचा लूंगी ।

मटिल्डा : आप जाईए यहां से हमारी चिंता मत कीजिए हम लोग बच जाएंगे ।

औरत : अच्छा कैसे बचोगे ?

अदिति : आप हमारी चिंता मत कीजिए प्लीज अपनी जान बचा लीजिए जाइए ।

( औरत ने दोनों की बातें इग्नोर की और बिना डरे भागते हुए आग को पार कर लिया उसके कपड़ों पर थोड़ी बहुत आग लग गई थी जो कि उसने अपने हाथों से ही बुझा दी तभी अदिति ने औरत का हाथ पकड़ा और कहा । )

अदिति : आपको हमारे लिए इतना कुछ करने की क्या जरूरत थी ?

( तभी अतिथि ने औरत का हाथ देखा हैरानी की बात यह थी कि उस औरत के हाथ पर एक भी निशान नहीं था तभी अतिथि ने हैरान होते हुए कहा।)

अदिति : मटिल्डा देखो इस उनके हाथ पर एक भी निशान नहीं है

( औरत ने अपना हाथ अदिति से छुड़वाया और कहा।)

औरत : ये सब बातों का समय नहीं है चलो !

मटिल्डा : लेकिन कहां ?

( तभी औरत ने सामने कांच से बनी दीवार को दिखा और कहा। )

औरत : उधर अदिती लेकिन हम पांचवें फ्लोर पर हैं अगर हम यहां से कूदने की कोशिश करेंगे तो जिंदा नहीं बच पाएंगे अगर मरना ही है तो इस आग में ही मर जाते हैं

(औरत उस कांच की दीवार के पास आई और उस पर एक मुक्का जड़ दिया दोनों देखकर हैरान थे औरत के मुक्का मारते ही वह कांच की दीवार जो की बहुत मोटी थी वह चकनाचूर होकर नीचे गिर गई तभी अदिति ने हैरानी से कहा । )

अदिति : (हैरानी से) ये आपने कैसे किया ।

औरत : वह सब छोड़ो अभी चलो!

( औरत ने अदिति और माटिल्डा का हाथ पकड़ा और बिना कुछ सोचे समझे पांचवी मंजिल से नीचे कूद गई।)

मटिल्डा : आपका दिमाग खराब है क्या अपने साथ-साथ हमारी जान भी खतरे में डाल दी !

औरत : जान तो तुम्हारी पहले से ही खतरे में थी ।

( अदिति ने अपनी आंखें बंद कर ली और कहा। )

अदिति : बचाओ कोई है बचाओ !

औरत : कोई बचाने नहीं आएगा तुम्हें ।

मटिल्डा :तो क्या करना है ?

औरत : मेरी शक्ल देखो।

( मटिल्डा ने भी अपनी आंखें बंद कर ली। )

मटिल्डा : अरे आपकी शक्ल देखने से हम बच नहीं जाएंगे  ।

औरत : बिल्कुल नहीं

( औरत ने मटिल्डा और अदिति का हाथ एक-एक हाथ पकड़ा हुआ था तभी औरत ना जाने कैसे हवा में उड़ने लगी औरत ऊपर थी और माटिल्डा और अदिति नीचे औरत के पकड़ने के कारण माटिल्डा और अदिति आराम से नीचे सड़क पर आ गए सब लोग औरत को हैरानी से देख रहे थे तभी औरत में से एक खास तरह की ऊर्जा निकली जो कि चारों तरफ फैल गई तभी अदिति और मटिल्डा ने अपनी आंखें खोली उन्होंने अपने आप को सुरक्षित जमीन पर पाया तभी औरत ने कहा। )

औरत : आप लोग ठीक तो है ना इतनी बड़ी आग लगी थी आपके धर्मशाला में कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी को चोट आई हो ?

मटिल्डा : हैरानी से नहीं हम लोग ठीक हैं ।

( तभी औरत जाने लगी तभी अदिति ने औरत का हाथ पकड़ा और कहा।)

अदिति : 2 मिनट आपसे बात कर सकती हूं ।

मटिल्डा : ऐसी क्या बात करनी है तुझे अदिति ?

अदिति : प्लीज सिर्फ 2 मिनट ।

औरत : ठीक है सिर्फ 2 मिनट ।

अदिति : लेकिन यहां नहीं कोई ऐसी जगह जहां पर कोई ना हो क्या आप कोई ऐसी जगह जानती हैं ?

औरत : हां जानती हूं लेकिन तुम्हें ऐसी जगह क्यों जाना है ?

अदिति : प्लीज मेरी बात मान लीजिए ।

मटिल्डा : अरे पर अदिति हुआ क्या ?

अदिति : मैं तुझसे 5 साल बड़ी हूं मेरी बात मान।

औरत : अच्छा चलो मेरी बाइक पर बैठ जाओ हम लोग ऐसी जगह चलते हैं जहां पर कोई ना हो !

( मटिल्डा और अदिति औरत के पीछे बैठ गए औरत ने बाइक चलाई और किसी जंगल में ले गई अदिति और फिर औरत बाइक से उतरे तभी औरत ने कहा । )

औरत : यह जगह ठीक है यहां पर कोई आता जाता नहीं है

अतिथि : जी बिल्कुल ।

औरत : तो कहो 

मटिल्डा : मैं भी तुम्हारा इंतजार कर रही हूं कहो क्या कहना था ?

अदिति : आपका नाम क्या है ?

औरत : मैं अपना नाम पता किसी के बारे में किसी को नहीं बताती ।

अतिथि : अच्छा ऐसा है क्या ?

औरत : हां ऐसा ही है तुम्हें यही बात करनी थी तो मैं चलती हूं ।

( औरत पीछे मुड़कर बाइक पर बैठ गई उस बाइक को उठाया ही था कि तभी अदिति बोली। )

अदिति : क्या आपका नाम मिसिज़ आध्या कपूर है ?

( औरत और मटिल्डा दोनों अदिति को हराने से देख रहे थे तभी माटिल्डा ने कहा। )

मटिल्डा : तुम्हारा दिमाग खराब है क्या नाम लिया अभी तुमने आध्या कपूर !

( औरत बाइक से उतरी और हैरानी से अदिति को देखा और कहा। )

औरत : आध्या कपूर ! कौन हो तुम कहां से आई हो ?

अदिति : में अदिति हूं ।

आध्या : ( चिल्लाते हुए ) ए अदिति हो या कोई और तुम्हें मेरे बारे में कैसे पता है कैसे जानती हो तुम मेरे बारे में कौन हो तुम कहां से आए हो ?

अदिति : मिसिज़ कपूर यह मैं हूं अदिति और ये माटिल्डा याद कीजिए।

मटिल्डा : अदिति तू पागल हो गई है क्या तू किसी को भी कुछ भी बता सकती है ठीक है इन्होंने हमारी जान बचाई लेकिन ऐसे कैसे तुम इसे मेरी मां बता सकती हो ?

आध्या : ( हैरानी से ) तुम्हें कैसे पता मैंने तुम्हारी जान बचाई और तुम मुझे अपनी मां क्यों बोल रही हो ?

मटिल्डा : (हाथ जोड़ते हुए ) माफ कर दीजिए दरसल मेरी बहन का दिमाग खराब है हम यहां पर दूसरे देश से आए हैं अपने मां- बाबा को ढूंढ़ने जब हम छूटे थे तभी हमारे मां बाबा ने हमें मौत से बचने के लिए दूसरे देश भेज दिया था और हम अब उन्हें ढूंढने आए हैं लेकिन ढूंढ नहीं पा रहे हैं और इस पागल को लग रहा है कि आप मेरी मां हो ।

आध्या : ( हैरानी से ) उस वक्त तुम्हारी उम्र क्या थी ? 

अदिति : 2 साल और मैं 5 साल की थी याद कीजिए ।

मटिल्डा : अपनी बकवास बंद कर अदिति तुझे कैसे पता कि यह मां है ।

आध्या : बिल्कुल सही अंदाजा लगाया है अदिति माटिल्डा अदिति सही कह रही है मैं तेरी मां हूं ।

( मटिल्डा हैरानी से औरत को देखने लगी तभी माटिल्डा ने कहा। )

मटिल्डा : देखिए पहले मेरी बहन का दिमाग खराब है और अब आप मेरा कर रही है ऐसे कैसे हो सकता है मेरी मां के पास जादुई शक्तियां नहीं थी ।

अदिति : थी मटिल्डा थी ।

मटिल्डा : तू तो चुप रह अदिति तू कुछ भी बोलती है ।

आध्या : इस बार शायद सच बोल रही है मैं ही तेरी मां हूं और मेरे पास ज्यादा शक्तियां है इस बारे में तुम दोनों को इसलिए पता है क्यूंकि तुम मुझे जानती हो मतलब मेरे साथ कोई रिश्ता है वरना वहां पर मौजूद हर इंसान के दिमाग से वह याददाश्त मिट गई थी जब मैं तुम लोगों को उधर से बचाया ।

अदिति : सच में लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है ?

आध्या : मैं अपनी पहचान किसी को नहीं बता सकती ।

मटिल्डा : लेकिन क्यों आप ऐसी गुमनाम जिंदगी क्यों जी रही है क्या कारण है आपकी इस गुमनाम जिंदगी का ?

अदिति : मेरे मन में भी एक सवाल था मैसेज कपूर जहां तक मुझे याद है उस वक्त जब आपने हम दोनों को उस रेलगाड़ी में चढ़ाया था उस वक्त नहीं आसपास कोई बारूद दिख रहे थे और उसे वक्त नहीं कोई लड़ाई हो रही थी तो फिर आपने हमें उसे रेलगाड़ी में क्यों चढ़ाया ।

मटिल्डा : क्या अदिति तुमने यह अब तक मुझे क्यों नहीं बताया था ।

अदिति : मटिल्डा तुम 12 साल की हो तुम पहले ही बहुत अकेली हो तुम्हें इन सब चीजों के बारे में बता देती तो तुम्हें लगता है तुम्हारे मम्मी पापा ने तुम्हें छोड़ दिया ।

आध्या : ऐसा कुछ भी नहीं है उस वक्त मेरी मजबूरी थी ।

मटिल्डा : मजबूरी कैसी मजबूरी जो आपने अपनी 2 साल की बच्ची को अकेला छोड़ दिया इतने सालों तक और फिर वापस लेने भी नहीं आई क्यों ?

( इतना कहते वक्त मटिल्डा की आंखों में आंसू थे लेकिन मैं उन्हें रोकने की कोशिश कर रही थी तभी आध्या ने एकदम अजीब रिएक्शन दिया उसने अपना हाथ अदिति की तरफ करा और अपनी जादुई शक्तियों की मदद से अतिथि को ऊपर से नीचे तक पीले रंग की रस्सी में बांध दिया ।)

मटिल्डा : ये आप क्या कर रही हैं ।

अदिति : आपने मुझे बांध क्यों ?

आध्या : चुप बिलकुल चुप दुश्मनों को बोलने की इजाजत नहीं होती दुश्मन बोल नहीं सकते तुमने गुनाह किया है इस दुनिया को तबाह करने का सपना देखा अब मैं तुम्हें तबाह करूंगी ।

मटिल्डा : ये आप क्या ?

( इससे पहले की मटिल्डा कुछ कह पाती अदिति ने अपना दूसरा हाथ मटिल्डा की तरफ कर उसके होठों को बांध दिया तभी उसने अपना हाथ नीचे किया और कहा । )

आध्या : मैंने कहा ना दुश्मनों को बोलने की इजाजत नहीं होती अब तुम्हारी मौत होगी ।

अतिथि : ये आप क्या कह रही हैं ?

आध्या : चुप! मौत के लिए तैयार हो जाओ।

( इससे पहले दोनों कुछ कह पाती आध्या ने एक चुटकी बजाई और मटिल्डा और अदिति को वहां से गायब कर दिया तभी आध्या अपनी बाइक पर बैठी और वहां से रवाना हो गई वहीं दूसरी तरफ अदिति और मटिल्डा एक कल कारखाने में पहुंच गए जहां पर चारों तरफ केवल और केवल अंधेरा था तभी मटिल्डा ने अदिति को ढूंढते हुए कहा । )

मटिल्डा : अदिति क्या तुम यही हो ?

अदिति : हां मैं यही हूं लेकिन हम है कहां ?

मटिल्डा : पता नहीं लगता है हमें गलतफहमी हुई थी वह औरत मेरी मां नहीं थी ।

अदिति : नहीं माटिल्डा वह तुम्हारी मां ही थी तभी उन्होंने मौत का कहा और हमें इस जगह पर भेज दिया ।

मटिल्डा : लेकिन तुम हो कहां ?

( तभी अदिति ने मटिल्डा का हाथ पकड़ा माटिल्डा और अदिति एक दूसरे को गले लगा लिया तभी मटिल्डा ने कहा।)

मटिल्डा : शुक्र है तुम ठीक हो मैं तो एक पल के लिए डर गई थी ।

अदिति : इसमें डरने की क्या बात है कुछ खास नहीं हुआ था ।

मटिल्डा : कुछ खास होता ही कहां है।

( तभी कारखाने के दरवाजे को बाहर से किसी ने खोला बाहर से तेज रोशनी माटिल्डा और अतिथि के आंखों में पड़ रही थी तभी जो भी था उसने दरवाजा बंद किया और फिर कारखाने की लाइट ऑन कर दी

आखिर आध्या का ऐसा करने का कार्य क्या था क्यों क्यों आध्या ने उन दोनों को कारखाने में भेज दिया कौन था वह इंसान जो उस वक्त कारखाने में आया था और क्या सही में आध्या माटिल्डा की मां है जानने के लिए देखिए" साथ में जादू साथ में जीत"

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