आध्या और डैनियल का आमना सामना

( इतना कहकर आध्या वहां से चली गई अदिति थोड़ी गुस्से में लग रही थी लेकिन तभी रिची मटिल्डा और अदिति से कुछ दूरी पर ध्यान मुद्रा में बैठ गया और कुछ मंत्रों का जापा करने लगा वहीं दूसरी तरफ आध्या सावधानी से रेखा बनाकर वापस लौट आई गुफा का नजारा देख आध्या हैरान थी क्योंकि रिची ने आध्या के कहे अनुसार काल अग्नि का अवाहन कर लिया था तब आध्या लौट कर आई तो रिची मटिल्डा और अदिति के पास खड़ा था और उसके हाथों में एक अग्नि की झलक थी तभी आध्या अंदर आई और कहा । )

आध्या : यहां देख कर लग रहा है कि हमारी तैयारी का दूसरा चरण भी पूरा हो गया है ।

रिची : बिल्कुल आध्या जी !

मटिल्डा : चलो अब अगला चरण पूरा करते हैं ।

आध्या : लेकिन उससे पहले हमें डैनियल को देखना होगा कि वो क्या कर रहा है ?

रिची : लेकिन कैसे ?

अदिति : आध्या जी लगता है आप भूल गई हैं कि हम डैनियल तक नहीं पहुंच सकते ।

आध्या : मैं जानती हूं ।

मटिल्डा : तो फिर आप ऐसा क्यों कह रही हैं ?

आध्या : बस देखते जाओ !

( आध्या ने अपने हाथ से लाल रंग की घड़ी उतारी और उसे अपने हाथ में रखा और कहा । )

आध्या : हम इस घड़ी की मदद से डैनियल के ऊपर नजर रखेंगे ।

रिची : लेकिन कैसे ?

आध्या : ये घड़ी मेरा आविष्कार है और मैने उन सैनिकों के पीछे कैमरा छोड़ दिया थे ।

रिची : ( घबराते हुए ) आध्या जी ये आपने क्या किया उन लोगों को सब कुछ पता चल जाएगा ।

आध्या : कुछ नहीं होगा रिची तुम्हे भी पता नहीं चला ।

रिची : मतलब ?

आध्या : मतलब तुम्हारे ऊपर भी एक कैमरा है ।

रिची : क्या ?

मटिल्डा : मम्मी आप रिची पर नजर रख रही हैं ?

आध्या : नहीं सिर्फ रिची पर नहीं तुम दोनों पर भी ।

अदिति : ( हैरानी से ) सच में पर क्यों ?

आध्या : ताकि मैं तुम सब पर नजर रख सकूं तुम लोगों का क्या भरोसा कब क्या कर बैठो ।

( आध्या की बात सुन मटिल्डा ने अजीब तरीके से पूछा । )

मटिल्डा : आपका कहने का क्या मतलब है ऐसा क्या करेंगे हम लोग ?

आध्या : देखो बच्चों तुम मेरी ही जिम्मेदारी होना इसलिए बस और कुछ नहीं ।

अदिति : आध्या जी को हर बात पर गलत समझना बंद कर तू कुछ ज्यादा ही सोचती है लेकिन आध्या जी आपने यह कैमरा उनके पीछे भेजो और उन्हें पता भी नहीं चला कैसे ?

आध्या : क्योंकि यह कैमरा तो हवा के कण में मिल गए हैं ।

रिची : क्या ? इतनी छोटा कैमरा अपने बनाए कैसे ?

आध्या : अब वह सब तो मैं नहीं बता सकती लेकिन हां एक चीज जरूर बता सकती हूं कि इस वक्त हमें डैनियल के ऊपर नजर रखनी ज्यादा जरूरी है ।

( आध्या की यह सब बात सुन अदिति के पसीने छूटने लगे ना जाने क्यों उसे डर लग रहा था तभी आध्या ने अदिति की तरफ देखते हुए कहा । )

आध्या : अदिति क्या हुआ तुम डरी हुई क्यों लग रही हो ?

अदिति : कुछ नहीं दरअसल इतनी बड़ी जंग पहली बार लड़ रही हूं तो डर लगा तो स्वभाविक है।

मटिल्डा : अदिति बस यही बात है ना और कुछ नहीं क्योंकि जहां तक मैं जानती हूं तुम तो किसी से नहीं डरती ।

अदिति : अब जादुई जंग पहली बार ही लड़ रही हूं तो थोड़ा डर लग रहा है ।

आध्या : अच्छा चलो सबसे पहले डैनियल पर नजर रखते हैं ।

( आध्या ने घड़ी पर कुछ किया उसके बाद कुछ स्क्रीन अपने आप ही हवा में बन गई और उसके ऊपर दिखाई जा रहा था कि जो लोग अभी तक उस मूर्ति को बनाने की कोशिश कर रहे थे वह लोग एक गोल लंबे और कांच के बक्से में बंद है एक बक्से में केवल एक ही कुत्ता था और वह सारे बेहोश थे एक बड़ा मोटा और भूरा कुत्ता उन लोगों के बीच में खड़ा था रिची ने उस कुत्ते की तरफ उंगली करते हुए कहा । )

रिची : देखिए आध्या जी यही है डैनियल ।

आध्या : ये क्या करने की कोशिश कर रहा है कहीं यह वही तो नहीं जो मैं सोच रही हूं ?

अदिति :क्या ?

आध्या : मैं सही तो नहीं बता सकती लेकिन शायद यह इन कुत्तों की आत्मा अपने अंदर खींचने वाला है ।

मटिल्डा : ऐसा भी हो सकता है क्या ?

आध्या : हां शायद इसका मतलब वह कुत्ता जो हमें उस वक्त उस रात मिला था वह भी इसी प्रक्रिया का शिकार हुआ था ।

रिची : देखकर तो वही लग रहा है ।

( तभी डैनियल ने अपने एक हाथ उन सब की ओर करते हुए कुछ प्राचीन मंत्र पढ़ने लगे इसके बाद न जाने कैसे चलाने लगे थे वह लोग दर्द के कारण तड़प रहे थे उन लोगों को तड़पता देख मटिल्डा ने अपनी आंखें बंद कर ली कुछ देर बाद वह लोग शांत हो गए और उन में से कुछ कुत्तों में से अलग-अलग रंग की ऊर्जा जैसे हरी , नीली , पीली , लाल ऊर्जाए निकाल कर डैनियल में समा गई जिससे डैनियल की ताकत और भी बढ़ गई उसके चेहरे पर नूर आ गया मटिल्डा की हालत देखते हुए उस घड़ी को बंद कर दिया तभी रिची ने पूछा । )

रिची : ये क्या चल रहा है इन लोगों के साथ किया क्या इसने ?

आध्या : मैंने कहा ना इस डैनियल ने सब कुत्तों की ऊर्जा अपने अंदर ले ली जिसके कारण और ताकतवर के साथ-साथ और ज्यादा और ऊर्जावान भी है ।

अदिति : ऊर्जावान मतलब ?

मटिल्डा : अदिति तुम्हें ऊर्जावान का मतलब नहीं पता हैरानी की बात है ।

आध्या : अरे तो क्या हो गया हर बात याद नहीं रह सकती थी कभी - कबार कुछ ना कुछ भूल जाते हैं ? अदिति ऊर्जावान का मतलब और भी ज्यादा शक्तिशाली , उसकी ऊर्जा और बढ़ गई है जिसका मतलब है कि और भी ज्यादा तंत्र विद्या कर पाएगा ।

रिची : मतलब अब उसे हराना हो अभी मुश्किल हो गया होगा ।

आध्या : लेकिन तुम लोग चिंता मत करो दुनिया जैसी बुरी शक्तियों का एक न एक दिन तो अंत होता ही है और आज इस डैनियल का होगा चलो !

रिची : हम लोगों को सबसे पहले सारे सिपाहियों को महल से बाहर निकलना होगा ताकि उनकी जान को खतरा न हो !

मटिल्डा : लेकिन ऐसा कैसे चलेगा अगर हमने पहले ही सारे सिपाहियों को बाहर निकाल दिया तो डैनियल को शक हो जाएगा एक साथ इतने सारे सिपाही कहां जाएंगे ?

आध्या : इसका भी रास्ता है ।

( आध्या ने अपने जेब से एक लाल रंग की अंगूठी निकाली और अपने हाथ में पहन लिया । )

आध्या : इस अंगूठी की मदद से मैं एक समय पर दो जगह हो सकती हूं इनमें से एक मेरी परछाई होगी ।

( आध्या अंगूठी पहनकर और दो कदम चली जिसके बाद उसकी एक नकली परछाई उस जगह पर आ गई जो कि उसी की तरह रही थी लेकिन सिर्फ एक कमी थी कि वह बोल नहीं पा रही थी तभी आध्या ने कहा । )

आध्या : इसमें केवल एक ही कमी है यह बोल नहीं सकती बाकी जैसा हम चाहे यह वैसा ही करेगी ।

( इतना कह कर आध्या ने अपने अंगूठी उंगली से अंगूठी निकाल दी और कुछ छोटी - छोटी डब्बी में थोड़ी बहुत अंगूठियां अदिति , मटिल्डा और रिची को देते हुए उन्हें महल भेज दिया मैं चली गई लेकिन इस बार चारों अलग-अलग जगह से गए थे मतलब रिची अलग मटिल्डा अलग साथ अलग और आध्या अलग बेशक वह लोग उन कैमरा की मदद से एक दूसरे से बात कर सकते थे लेकिन फिर भी इस चीज में उनकी जान को खतरा भी था कुछ देर बाद लगभग सारे सिपाही जो की रिची के साथ थे वह बाहर चले गए ।

( रिची अदिति मटिल्डा और आध्या महल की छत पर मिले तभी आध्या ने कहा । )

आध्या : हमें मध्यम स्थल की तरफ बढ़ना चाहिए ।

अदिति : अब तो और भी आसान हो गया है क्योंकि कोई है ही नहीं ।

मटिल्डा : हमें जो भी करना होगा जल्दी करना होगा क्योंकि अग्नि लगाने के बाद तो सब कुछ खत्म हो जाएगा ।

(इतना कहकर तीनों चारों मध्यम स्थल जो की महल के बिल्कुल निचले हिस्से में था उसकी तरफ बढ़ चले कुछ देर बाद वो लोग मध्यम स्थल पर पहुंच गए मध्यम स्थल और कुछ नहीं बल्कि एक खाली पड़ा बड़ा सा कमरा था क्योंकि महल की बिल्कुल नीचे बना हुआ था इस वक्त वहां पर बिल्कुल अंधेरा था तभी रिची ने मध्यम स्थल की छत की ओर अपना हाथ किया जिसके बाद उसके हाथ में से एक लाल रंग की रोशनी जाकर मध्यम स्थल की छत पर फैल गई बहराल ऊपर से इधर-उधर भागने की चीखें सुनाई देने लगी उन लोगों को एक सुकून था की वो कुत्ते जो कि उनके साथ थे वह सब जा चुके थे मतलब उन लोगों की जान को कोई खतरा नहीं था और वह जो नहीं गए थे वह लोग केवल डेनियल के साथी थे । डैनियल के साथियों को वहां नीचे नहीं ले जाना इनका इस इन्होंने इस चीज का भी प्रबंध कर रखा था मतलब अगर नीचे आएगा तो केवल डैनियल कुछ देर बाद सब कुछ बिल्कुल ठीक चल रहा था ।डैनियल नीचे आया चारो अलग-अलग जगह पर छुपे हुए थे लेकिन डैनियल एक अकेला नहीं आया था उसके साथ एक लंबी और मोटी गोल कांच की बना हुआ बक्सा था जिसके अंदर ना जाने कैसा हरे रंग का पानी था तभी डैनियल मध्यम साल के बिलकुल बीच-बीच जाकर खड़ा हो गया और रोकदार आवाज में कहा । )

डैनियल: ( रोकदार आवाज में ) तुम चारों को क्या लगता है तुम मुझसे बच जाओगे सामने आओ मुझे पता है तुम लोग यही छुपे हुए हो ?

( आध्या हैरानी से डैनियल को देख रही थी कि उसे नहीं लगा था कि कभी डैनियल को पता भी होगा कि वह लोग वहां बच चुके हैं तभी आधे ने डैनियल की तारीफ करते हुए कहा। )

आध्या : कमाल है डैनियल इतनी अद्भुत ऊर्जा लेकिन अगर तुम इसे अच्छे काम के लिए लगाते तो शायद तुम्हारा भी नाम हो सकता था लेकिन अब ? अब तो केवल तुम्हारी मौत होगी !

( इतना कह कर आध्या अपने आप ही डैनियल के सामने आ गई तभी डैनियल ने आध्या को को आता देख मुस्कुराते हुए कहा । )

डैनियल : ( मुस्कुराते हुए ) लगता है तुम्हें मौत से डर नहीं लगता।

आध्या : मौत डरने की चीज नहीं डरने की चीज नही है और रही बात मौत की तो वह तो आज तुम्हारी होगी।

( दरअसल उस डब्बे में कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था उसमें केवल हरे रंग का पानी दिखाई दे रहा था वह भी एक लाल कपड़े से ढका हुआ था केवल उसका कुछ ऐसा ही दिखाई दे रहा था जिससे आध्या ने अंदाजा लगा लिया कि उसके अंदर हर पानी ऊपर तक भरा हुआ है तभी रिची भी डैनियल के सामने आ गया रिची को देख डैनियल हसा और कहा । )

डैनियल : (हंसते हुए ) राजकुमार रिची! स्वागत है आपका उम्मीद है हमारी खातेदारी अच्छी लगी होगी !

( इतना कह कर डैनियल ज़ोर- ज़ोर से हंसने लगा तभी आध्या ने कहा । )

आध्या : खातेदारी वह तो हम तुम्हारी करने आए हैं ।

डैनियल : (हंसते हुए ) हां हां मैं भी इंतेज़ार कर रहा हूं ।

( डैनियल की बात सुन आध्या ने कुछ प्राचीन मंत्रों का जापा करने लगी जिसके कारण आध्या के हाथ के आस - पास सफेद रंग की रोशनी की ऊर्जा मंडराने लगी । और फिर आध्या ने अपना हाथ डैनियल की तरफ कर दिया जिसके कारण कुछ बर्फ के चाकू डैनियल की तरफ बढ़ने लगे

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