NovelToon NovelToon

साथ में जादू , साथ मे जीत

डार्जलिंग में स्वागत

( एक बार की बात है एक लड़की अपने कमरे में अपने मेज़ और कुर्सी पर बैठी थी जहां पर वह लड़की बैठी थी उसके सामने ही एक खिड़की थी रात का समय था इसलिए वह लड़की बाहर चांद और तारों को देख रही थी उस लड़की के पास केवल एक कमरा था एक बिस्तर एक अलमारी और कुछ भी नहीं और वह कमरा भी किराए का था वह लड़की बहुत उदास लग रही थी तभी उसका दरवाजा खड़खडाया लड़की ने उठकर दरवाजा खोला तो सामने उसकी दोस्त अदिति  खड़ी थी अदिति एक खुश मिसाज बंदी थी वह छोटी-छोटी बातों पर खुश और छोटी बातों पर दुखी हो जाती थी तभी अदिति ने लड़की को गले लगाते हुए कहा।)

अदिति : बधाई हो ! बधाई हो ! मटिल्डा !

( जी हां उसे लड़की का नाम माटिल्डा था तभी मटिल्डा ने अदिति को दूर करते हुए कहा। )

मटिल्डा : अरे क्या हुआ अदिति इतनी खुश क्यों लग रही है ?

अदिति : तुझे पता नहीं तूने आज का अखबार नहीं पड़ा ?

मटिल्डा : तू भूल गई क्या अब मैंने अखबार पढ़ना छोड़ दिया है कोई अच्छी खबर तो आती ही नहीं है ।

अदिति : आज का पड़ आज बहुत अच्छी खबर है ।

मटिल्डा : एक ऐसे जहान में जहां पर हर वक्त लड़ाई चलती रहती है कोई भी शांति से रह नहीं सकता उस जहान में खुशखबरी नहीं हो सकती ।

अदिति : इस बार सिर्फ खुशखबरी नहीं बहुत अच्छी खबर है सुन !

मटिल्डा : बोल सुन रही हूं ।

अदिति : हम लोग अब एक देश फिर दूसरे देश तक जा सकते हैं दुनिया में युद्ध खत्म हो चुका है अब कोई भी एक जगह से दूसरी जगह शांति से जा सकता है ।

( अदिति के मुंह से ऐसी बात सुन माटिल्डा वही सुन हो गई तभी अदिति ने माटिल्डा का हाथ पकड़ कर उसे हिलाते हुए कहा।)

अदिति : चल हम दोनों भी यहां से चलते हैं और अपने मां-बाबा को ढूंढते हैं लगभग 10 साल पहले जो हादसा हुआ था उसकी भरपाई करते हैं चल जिस तरह हम दोनों एक साथ हैं हमारे मां-बाबा भी एक साथ ही होंगे माटिल्डा चलना।

( मटिल्डा अभी भी सदमें में थी तभी अदिति ने उसके पास पड़ा पानी का गिलास उठाया और उसमें पानी भरा और उसे माटिल्डा के मुंह पर  फेंक दिया। माटिल्डा अपने ख्यालों से बाहर आई और कहा । )

मटिल्डा : तो क्या हो गया हम लोग कहीं नहीं जाएंगे हम लोग यही रहेंगे इसी तरह खुश ?

अदिति : अच्छा अभी सिर्फ इतनी सी खबर सुनकर तू खयालों में चली गई चलना हम लोग मिलकर अपने मां-बाबा को ढूंढेंगे ।

( अदिति के ज्यादा बोलने पर मटिल्डा ने कहा। )

मटिल्डा : मेरे मां-बाबा मुझे छोड़ कर जा चुके हैं वह नहीं चाहते थे कि मैं उनके साथ रहूं

अदिति : ऐसा कुछ भी नहीं है माटिल्डा उस वक्त के हालात ही कुछ ऐसे थे कि तेरी जान बचाने के लिए उन्होंने छोटी सी माटिल्डा मेरे हाथों में  सौंपी थी ।

( मटिल्डा आपने खयालों में खोई हुई थी ये बात 10 साल पुरानी है जब माटिल्डा कुछ ज्यादा बड़ी नहीं 2 साल की ही थी उस वक्त हर जगह बारूद लगाए गए थे एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए रेलगाड़ी का इस्तेमाल कर जा रहा था मटिल्डा अदिति और उनके मां-बाबा वो लोग दोनों बच्चों को बचाने के लिए एक देश से दूसरे देश जा रहे थे लेकिन इससे पहले की वह लोग रेलगाड़ी में चढ़ पाते गाड़ी चलने लगी जिसके कारण उन लोगों की रेल छूट गई अदिति 2 साल की माटिल्डा को लेकर रेलगाड़ी से निकलने की कोशिश की तभी अदिति की मम्मी ने उसे रोकते हुए कहा । )

अदिति की मम्मी : रुक जा बेटा हम लोग अपना ख्याल रख लेंगे तू बस अपना और माटिल्डा का ख्याल रखना उसकी जिम्मेदारी भी तेरे ऊपर है वादा कर रखेगी ना उसका ख्याल ।

अदिति : ( रोते हुए) हां रखूंगी अपना ख्याल रखना हम जल्दी लौटेंगे ।

( इतना कह कर वो रेलगाड़ी उस स्टेशन से बहुत दूर चली गई तभी माटिल्डा अपने ख्याल से बाहर आए और माटिल्डा ने कहा । )

मटिल्डा : उन्होंने उस वक्त हमारी जान बचाने के लिए हमे अपने आप से दूर तो कर दिया लेकिन यह नहीं सोचा कि हम लोग कैसे रहेंगे इतना कठिन जीवन जिया है हम लोगों ने

अदिति : जो जीवन जीना था वह जी लिया अब बचा हुआ जीवन अपने मां-बाबा के साथ बिताएंगे चल शायद ये हमारा आखरी मौका है शायद इसके बाद हम कभी भी अपने घर वालों से मिलने का मौका ना पा पाएं ।

मटिल्डा : नहीं मिलना मुझे अपने घर वालों से तुझे नहीं जाना है तू जा ।

अदिति : मैं तुझसे 5 साल बड़ी हूं तू मेरा कहा माने गी माटिल्डा तुम हमेशा ऐसे ही करती हो । अदिति अब इसमें मैं आपका कहा नहीं मानने वाली मैं नहीं जाना चाहती ।

अदिति : अच्छा तुझे नहीं जाना मत जा लेकिन मेरे साथ मेरे मम्मी पापा को ढूंढने तो चल सकती है अपने मम्मी पापा को मत ढूंढना ।

मटिल्डा : लेकिन अदिति !

अदिति : अब नहीं मैं तू चल रही है मतलब चल रही है तुझे मेरी कसम ।

( अदिति ने मटिल्डा का एक हाथ अपने सर पर रखते हुए कहा । )

मटिल्डा : अच्छा ठीक है चल रहे हैं।

अदिति : ठीक है हम कल सुबह निकलेंगे तैयार रहना।

मटिल्डा : ठीक है !

( मटिल्डा को मनाने के बाद अदिति वहां से चली गई  अगले दिन सुबह 5:00 बजे मटिल्डा के घर का दरवाजा खटखटाया मटिल्डा सो रही थी उसने उठकर दरवाजा खोला सामने अदिति दो बड़े सूटकेस के साथ खड़ी थी मटिल्डा ने हैरान होते हुए कहा। )

मटिल्डा : ( हैरानी से ) इतने बड़े सूटकेस कहां जा रही हो ?

अदिति :( सूटकेस को दीवार के साथ अटकत हुए ) क्यों तुमने अपना सामान पैक नहीं किया हम लोग आज जा रहे हैं भूल गई क्या ?

मटिल्डा : याद है लेकिन हम लोग तो शाम तक निकलेंगे ना ?

( अदिति ने अपना सर पकड़ लिया और कहा।)

अदिति : माटिल्डा जी शाम 7:00 की नहीं सुबह 7:00 की रेलगाड़ी है।

मटिल्डा : ( हैरानी से ) क्या तो तुमने क्यों नहीं ?

अदिति : बताया तुम अपने ख्यालों से बाहर आओगी तो मेरी बात सुनोगे ना और जरा ध्यान से देखो टिकट पर भी तो लिखा है ।

मटिल्डा : तो फिर जल्दी आ समान बंधवाने में मेरी मदद कर हमारे पास समय नहीं है ।

अदिति : नहीं मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं करने वाली ।

मटिल्डा : क्यों ?

अदिति : क्योंकि मुझे पता था तुम्हारा यही कारनामें होने वाले हैं इसलिए।

मटिल्डा : इसलिए क्या ?

आदिती : इसलिए मैं रात को तेरी खिड़की से कूद कर तेरे कमरे में आई थी और तेरा सारा सामान सीमेंट दिया था ।

मटिल्डा : क्या लेकिन कब और कहां पर है मेरा सामान ?

अदिति : जब तू सो रही थी तब और तेरा सामान उस अलमारी में है।

( अदिति ने अलमारी की तरफ इशारा करते हुए कहा मटिल्डा ने जाकर अलमारी खोली तो उसने दो बड़े सूटकेस पड़े थे। जिसमें में मटिल्डा का सारा सामान था तभी मटिल्डा ने कहा। )

मटिल्डा : अरे अदिति तुमने सारा सामान पैक कर दिया लेकिन मैं अब क्या पहनूंगी और मुझे तो भूख भी लगी है ।

अदिति : इतनी सुबह-सुबह भूख

मटिल्डा : तुझे तो पता है ना मैं कितना खाती हूं ।

( अदिति ने मटिल्डा को ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहा । )

अदिति : दिख रहा है सूखी लकड़ी हुई पड़ी है जल्दी चल ऐसे ही चल पर खाना रास्ते में देख लेंगे चल-चल जल्दी चल अदिति जल्दी-जल्दी मटिल्डा को ले गई दोनों ने अपने-अपने सूटकेस पकड़े हुए थे और रेलवे स्टेशन पैदल ही जा रहे थे अदिति बहुत ज्यादा उत्सुक थी अपने मम्मी- पापा को ढूंढने के लिए उनसे फिर से मिलने के लिए उनका हाल पूछने के लिए उनके बारे में जानने के लिए लेकिन मटिल्डा परेशान थी वह उस जगह उन गलियों में वापस नहीं लौटना चाहती थी जिन जगहों से उसकी इतनी बुरी यादें जुड़ी हुई है मटिल्डा को कभी भी उस जगह पर नहीं लौटना था जिस जगह पर उसने उसके परिवार ने इतना कुछ सहा लेकिन अदिति के कारण माटिल्डा भी चुप - चाप उसे जगह दार्जिलिंग जा रही थी मटिल्डा और अदिति दार्जिलिंग से थे तभी रेलवे स्टेशन आ गया दोनों ने अपनी-अपने टिकट ली और जाकर अपनी सीट पर बैठकर लगभग 2 घंटे बाद दार्जिलिंग आ गया अदिति भागते हुए दार्जिलिंग के रेलवे स्टेशन से बाहर निकली मटिल्डा 4 सूटकेस पकड़े हुए थे और उसे लेते हुए मटिल्डा अदिति के पीछे भाग रही थी तभी अतिथि रेलवे स्टेशन के बाहर जाकर रुकी और चिल्लाते हुए कहा। )

अदिति : ( चिल्लाते हुए ) स्वागत नहीं करोगे हमारा हम वापस आ गए अपने घर दार्जिलिंग में !

( अदिति बहुत खुश थी उसने अपने दोनों हाथ हवा में उठा लिए मटिल्डा वहां की हवाएं महसूस कर रही थी वहां की खुशबू वहां का वातावरण सब कुछ महसूस कर रही थी तभी पीछे से मटिल्डा ने अदिति को एक प्यार से थप्पड़ मारते हुए कहा। )

मटिल्डा : वैसे तो तुम मुझसे 5 साल बड़ी हो लेकिन हरकतें बच्चों जैसी है तुम्हारी ।

अदिति : तू यहां कैसे ?

मटिल्डा : अपनी बहन को भी भूल गई कोई नहीं मैं वापस चली जाती हूं वैसे भी मुझे तो यहां आना ही नहीं था।

( अदिति ने मटिल्डा को रोकते हुए कहा। )

अदिति : जाने की जरूरत नहीं है मुझे पता है मुझे सब याद है।

मटिल्डा : अच्छा तो फिर अपना सामान भी संभाल लो इतन सारा सामान मैं अकेले कैसे उठाऊंगी ?

अदिति : हां हां

( अदिति ने मटिल्डा से सूटकेस लिए और कहा।)

अदिति : तो चल !

मटिल्डा : कहां ?

अदिति : अभी तो हम एक धर्मशाला में रखेंगे जो कि यहां से कुछ ही दूरी पर है उसके बाद आज शाम तक हम लोग मां-बाबा की तलाश में निकल जाएंगे ।

मटिल्डा : अच्छा ठीक है लेकिन ?

अदिती : लेकिन क्या ?

मटिल्डा : मुझे भूख लगी है ।

अदिति : ( हंसते हुए ) अरे हां मैं भूल गई थी मेरे साथ बुखड़ है आई है ।

मटिल्डा : मैं बुखड़ नहीं हूं।

अदिति : मुझे पता है ।

(अदिति और मटिल्डा पैदल ही धर्मशाला की ओर निकल गए कुछ ही देर में वह दोनों धर्मशाला में पहुंच गए उन दोनों को एक कमरा मिला और उसे कमरे में ही उन दोनों को खाना भी दे दिया गया दोनों ने खाना खाया तभी मटिल्डा बिस्तर पर लेट गई और कहा। )

मटिल्डा : हम लोग कल सुबह चलेंगे ढूंढने अभी नहीं मुझे नींद आई है।

अदिति : तूने किया क्या है जो तुझे नींद आई है ।

मटिल्डा : मैंने मैं तुम्हारे साथ आ गई यह बहुत बड़ी बात नहीं है ?

अदिति : जी बिल्कुल बहुत बड़ी बात है सो जा कल सुबह 5:00 बजे उठी हुई मिलनी चाहिए ।

मटिल्डा : अब सुबह 5:00 बजे उठकर क्या करेंगे हम ?

अदिति : मां - बाबा को ढूंढने जाएंगे।

मटिल्डा : सुबह 5:00 बजे कहां से ढूंढोगे तुम मां-बाप को सुबह 5:00 बजे वह लोग उठाते भी नहीं होंगे।

अदिति : हम 7:00 बजे तक निकल सकते हैं हमे हर जगह ढूंढना है हमें उन दोनों को यह शहर कोई छोटा शहर नहीं है दार्जिलिंग बहुत बड़ा शहर है और तू तो जानती है तुझे बताने की क्या जरूरत है फिर भी तो ऐसे कह रही है ।

मटिल्डा : अच्छा बाबा उठ जाऊंगी अब सोने तो दे तभी उठूंगी ।

अदिति : सो जा !

क्या होगा अब क्या मिल पाएंगे मटिल्डा और उसकी मां या फिर कोई नया खतरा आने वाला है मटिल्डा के ऊपर क्या बच्चों का सपना पूरा हो पाएगा जानने के लिए पढ़िए" साथ में जादू साथ में जीत।"

आग का दरिया

( मटिल्डा सो गई और अतिथि कमरे में लगे एक बड़ी कांच की तरफ आकर खड़ी हो गई वह उसे शीशे से आर पार देख सकते थे अदिति बाहर दार्जिलिंग के नजारे का आनंद उठा रही थी तभी धर्मशाला की के रसोई घर में एक धमाका हुआ धमाके से सब लोग धर्मशाला के रसोई घर में पहुंच गए लेकिन अदिति और माटिल्डा आराम से अपना काम कर रहे थे उन्हें नहीं पता था उस धमाके के बारे में लोगों ने वहां जाकर देखा तो पूरे रसोई घर में आग फैल चुकी थी और लगभग आदि धर्मशाला भी आग की चपेट में थी तभी धर्मशाला के मालिक ने कहा ।)

मलिक : सब लोग बाहर निकालो अपनी जान बचाओ ।

( मलिक के इतना कहते ही पूरे धर्मशाला में भगदड़ मच गई लेकिन अदिति और माटिल्डा को वहां पर क्या हो रहा था इसका कोई अंदाजा नहीं था तभी मलिक ने फैब्रिकेटेड को फोन किया वहीं दूसरी तरफ सब लोग बाहर निकल चुके थे मालिक भी बाहर आ गया उन्हें नहीं पता था कि धर्मशाला में अभी भी दो लोग हैं तभी उधर से एक काले रंग के कोट पेंट में एक महिला अपनी बाइक से धर्मशाला के पास से गुजर रही थी उसके काले घने बाल थे जो की बिल्कुल सीधे थे उसकी काली और गहरी आंखें जिसके ऊपर वह हमेशा काजल लगा कर रखती थी उसके गुलाबी होंठ जिस पर उसने कुछ भी नहीं लगा रखा था लेकिन मैं फिर भी गुलाब की पंखुड़ियां की तरह गुलाबी थे तभी उसने धर्मशाला की तरफ देखा और बाइक को रोक दिया और उस धर्मशाला  के दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी तभी मलिक ने उस औरत को रोकते हुए कहा। )

मलिक : अंदर खतरा है आप कौन है अंदर मत जाइए ।

( औरत ने मालिक से अपना हाथ छुड़वाया और कहा।)

औरत : मुझे पता है मैं क्या कर रही हूं।

( इतना कह कर औरत धर्मशाला के अंदर दौड़ गई मलिक ने औरत को रोकने की कोशिश की लेकिन वह रोक नहीं पाया तभी मटिल्डा ने अपनी आंखें खोली और डरते हुए बोला । )

मटिल्डा : अदिति कहां खोई हुई है आग !

अदिति : देख बेवकूफ मत बना मुझे इस वक्त तेरे मजाक का समय नहीं है....।

( इतना कहते हुए अदिति ने पीछे मुड़कर देखा पीछे आग देखकर अदिति भी डर गई उस कमरे में बाहर जाने का केवल एक ही रास्ता था और वह पूरा रास्ता आग की चपेट में आया हुआ था तभी अदिति ने माटिल्डा को इस कांच के शीशे की तरफ खींच लिया और उसको गले लगाते हुए कहा। )

अदिति : मटिल्डा शांत रह कुछ नहीं होगा ।

मटिल्डा : इतनी आग लगी कैसे कहां खोई हुई थी तुम ?

अदिति : मुझे पता नहीं चला कब आग लग गई मैं तो बाहर देख रही थी।

मटिल्डा : बहुत अच्छा काम किया अब हम बचेंगे कैसे ?

अदिति : ( डरते हुए ) पता नहीं लेकिन कुछ तो करना ही पड़ेगा।

मटिल्डा : लेकिन क्या ?

अदिति : मुझे नहीं पता ।

मटिल्डा : तो फिर बोल क्यों जल्दी कुछ सोचो!

( इससे पहले की अदिति कुछ कह पाती बाहर से एक औरत की आवाज आई ये वही औरत थी जो की धर्मशाला के अंदर बिना डरे चल पड़ी थी उस औरत ने कहा )

औरत : डरो मत बच्चों मैं तुम्हें बचा लूंगी ।

मटिल्डा : आप जाईए यहां से हमारी चिंता मत कीजिए हम लोग बच जाएंगे ।

औरत : अच्छा कैसे बचोगे ?

अदिति : आप हमारी चिंता मत कीजिए प्लीज अपनी जान बचा लीजिए जाइए ।

( औरत ने दोनों की बातें इग्नोर की और बिना डरे भागते हुए आग को पार कर लिया उसके कपड़ों पर थोड़ी बहुत आग लग गई थी जो कि उसने अपने हाथों से ही बुझा दी तभी अदिति ने औरत का हाथ पकड़ा और कहा । )

अदिति : आपको हमारे लिए इतना कुछ करने की क्या जरूरत थी ?

( तभी अतिथि ने औरत का हाथ देखा हैरानी की बात यह थी कि उस औरत के हाथ पर एक भी निशान नहीं था तभी अतिथि ने हैरान होते हुए कहा।)

अदिति : मटिल्डा देखो इस उनके हाथ पर एक भी निशान नहीं है

( औरत ने अपना हाथ अदिति से छुड़वाया और कहा।)

औरत : ये सब बातों का समय नहीं है चलो !

मटिल्डा : लेकिन कहां ?

( तभी औरत ने सामने कांच से बनी दीवार को दिखा और कहा। )

औरत : उधर अदिती लेकिन हम पांचवें फ्लोर पर हैं अगर हम यहां से कूदने की कोशिश करेंगे तो जिंदा नहीं बच पाएंगे अगर मरना ही है तो इस आग में ही मर जाते हैं

(औरत उस कांच की दीवार के पास आई और उस पर एक मुक्का जड़ दिया दोनों देखकर हैरान थे औरत के मुक्का मारते ही वह कांच की दीवार जो की बहुत मोटी थी वह चकनाचूर होकर नीचे गिर गई तभी अदिति ने हैरानी से कहा । )

अदिति : (हैरानी से) ये आपने कैसे किया ।

औरत : वह सब छोड़ो अभी चलो!

( औरत ने अदिति और माटिल्डा का हाथ पकड़ा और बिना कुछ सोचे समझे पांचवी मंजिल से नीचे कूद गई।)

मटिल्डा : आपका दिमाग खराब है क्या अपने साथ-साथ हमारी जान भी खतरे में डाल दी !

औरत : जान तो तुम्हारी पहले से ही खतरे में थी ।

( अदिति ने अपनी आंखें बंद कर ली और कहा। )

अदिति : बचाओ कोई है बचाओ !

औरत : कोई बचाने नहीं आएगा तुम्हें ।

मटिल्डा :तो क्या करना है ?

औरत : मेरी शक्ल देखो।

( मटिल्डा ने भी अपनी आंखें बंद कर ली। )

मटिल्डा : अरे आपकी शक्ल देखने से हम बच नहीं जाएंगे  ।

औरत : बिल्कुल नहीं

( औरत ने मटिल्डा और अदिति का हाथ एक-एक हाथ पकड़ा हुआ था तभी औरत ना जाने कैसे हवा में उड़ने लगी औरत ऊपर थी और माटिल्डा और अदिति नीचे औरत के पकड़ने के कारण माटिल्डा और अदिति आराम से नीचे सड़क पर आ गए सब लोग औरत को हैरानी से देख रहे थे तभी औरत में से एक खास तरह की ऊर्जा निकली जो कि चारों तरफ फैल गई तभी अदिति और मटिल्डा ने अपनी आंखें खोली उन्होंने अपने आप को सुरक्षित जमीन पर पाया तभी औरत ने कहा। )

औरत : आप लोग ठीक तो है ना इतनी बड़ी आग लगी थी आपके धर्मशाला में कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी को चोट आई हो ?

मटिल्डा : हैरानी से नहीं हम लोग ठीक हैं ।

( तभी औरत जाने लगी तभी अदिति ने औरत का हाथ पकड़ा और कहा।)

अदिति : 2 मिनट आपसे बात कर सकती हूं ।

मटिल्डा : ऐसी क्या बात करनी है तुझे अदिति ?

अदिति : प्लीज सिर्फ 2 मिनट ।

औरत : ठीक है सिर्फ 2 मिनट ।

अदिति : लेकिन यहां नहीं कोई ऐसी जगह जहां पर कोई ना हो क्या आप कोई ऐसी जगह जानती हैं ?

औरत : हां जानती हूं लेकिन तुम्हें ऐसी जगह क्यों जाना है ?

अदिति : प्लीज मेरी बात मान लीजिए ।

मटिल्डा : अरे पर अदिति हुआ क्या ?

अदिति : मैं तुझसे 5 साल बड़ी हूं मेरी बात मान।

औरत : अच्छा चलो मेरी बाइक पर बैठ जाओ हम लोग ऐसी जगह चलते हैं जहां पर कोई ना हो !

( मटिल्डा और अदिति औरत के पीछे बैठ गए औरत ने बाइक चलाई और किसी जंगल में ले गई अदिति और फिर औरत बाइक से उतरे तभी औरत ने कहा । )

औरत : यह जगह ठीक है यहां पर कोई आता जाता नहीं है

अतिथि : जी बिल्कुल ।

औरत : तो कहो 

मटिल्डा : मैं भी तुम्हारा इंतजार कर रही हूं कहो क्या कहना था ?

अदिति : आपका नाम क्या है ?

औरत : मैं अपना नाम पता किसी के बारे में किसी को नहीं बताती ।

अतिथि : अच्छा ऐसा है क्या ?

औरत : हां ऐसा ही है तुम्हें यही बात करनी थी तो मैं चलती हूं ।

( औरत पीछे मुड़कर बाइक पर बैठ गई उस बाइक को उठाया ही था कि तभी अदिति बोली। )

अदिति : क्या आपका नाम मिसिज़ आध्या कपूर है ?

( औरत और मटिल्डा दोनों अदिति को हराने से देख रहे थे तभी माटिल्डा ने कहा। )

मटिल्डा : तुम्हारा दिमाग खराब है क्या नाम लिया अभी तुमने आध्या कपूर !

( औरत बाइक से उतरी और हैरानी से अदिति को देखा और कहा। )

औरत : आध्या कपूर ! कौन हो तुम कहां से आई हो ?

अदिति : में अदिति हूं ।

आध्या : ( चिल्लाते हुए ) ए अदिति हो या कोई और तुम्हें मेरे बारे में कैसे पता है कैसे जानती हो तुम मेरे बारे में कौन हो तुम कहां से आए हो ?

अदिति : मिसिज़ कपूर यह मैं हूं अदिति और ये माटिल्डा याद कीजिए।

मटिल्डा : अदिति तू पागल हो गई है क्या तू किसी को भी कुछ भी बता सकती है ठीक है इन्होंने हमारी जान बचाई लेकिन ऐसे कैसे तुम इसे मेरी मां बता सकती हो ?

आध्या : ( हैरानी से ) तुम्हें कैसे पता मैंने तुम्हारी जान बचाई और तुम मुझे अपनी मां क्यों बोल रही हो ?

मटिल्डा : (हाथ जोड़ते हुए ) माफ कर दीजिए दरसल मेरी बहन का दिमाग खराब है हम यहां पर दूसरे देश से आए हैं अपने मां- बाबा को ढूंढ़ने जब हम छूटे थे तभी हमारे मां बाबा ने हमें मौत से बचने के लिए दूसरे देश भेज दिया था और हम अब उन्हें ढूंढने आए हैं लेकिन ढूंढ नहीं पा रहे हैं और इस पागल को लग रहा है कि आप मेरी मां हो ।

आध्या : ( हैरानी से ) उस वक्त तुम्हारी उम्र क्या थी ? 

अदिति : 2 साल और मैं 5 साल की थी याद कीजिए ।

मटिल्डा : अपनी बकवास बंद कर अदिति तुझे कैसे पता कि यह मां है ।

आध्या : बिल्कुल सही अंदाजा लगाया है अदिति माटिल्डा अदिति सही कह रही है मैं तेरी मां हूं ।

( मटिल्डा हैरानी से औरत को देखने लगी तभी माटिल्डा ने कहा। )

मटिल्डा : देखिए पहले मेरी बहन का दिमाग खराब है और अब आप मेरा कर रही है ऐसे कैसे हो सकता है मेरी मां के पास जादुई शक्तियां नहीं थी ।

अदिति : थी मटिल्डा थी ।

मटिल्डा : तू तो चुप रह अदिति तू कुछ भी बोलती है ।

आध्या : इस बार शायद सच बोल रही है मैं ही तेरी मां हूं और मेरे पास ज्यादा शक्तियां है इस बारे में तुम दोनों को इसलिए पता है क्यूंकि तुम मुझे जानती हो मतलब मेरे साथ कोई रिश्ता है वरना वहां पर मौजूद हर इंसान के दिमाग से वह याददाश्त मिट गई थी जब मैं तुम लोगों को उधर से बचाया ।

अदिति : सच में लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है ?

आध्या : मैं अपनी पहचान किसी को नहीं बता सकती ।

मटिल्डा : लेकिन क्यों आप ऐसी गुमनाम जिंदगी क्यों जी रही है क्या कारण है आपकी इस गुमनाम जिंदगी का ?

अदिति : मेरे मन में भी एक सवाल था मैसेज कपूर जहां तक मुझे याद है उस वक्त जब आपने हम दोनों को उस रेलगाड़ी में चढ़ाया था उस वक्त नहीं आसपास कोई बारूद दिख रहे थे और उसे वक्त नहीं कोई लड़ाई हो रही थी तो फिर आपने हमें उसे रेलगाड़ी में क्यों चढ़ाया ।

मटिल्डा : क्या अदिति तुमने यह अब तक मुझे क्यों नहीं बताया था ।

अदिति : मटिल्डा तुम 12 साल की हो तुम पहले ही बहुत अकेली हो तुम्हें इन सब चीजों के बारे में बता देती तो तुम्हें लगता है तुम्हारे मम्मी पापा ने तुम्हें छोड़ दिया ।

आध्या : ऐसा कुछ भी नहीं है उस वक्त मेरी मजबूरी थी ।

मटिल्डा : मजबूरी कैसी मजबूरी जो आपने अपनी 2 साल की बच्ची को अकेला छोड़ दिया इतने सालों तक और फिर वापस लेने भी नहीं आई क्यों ?

( इतना कहते वक्त मटिल्डा की आंखों में आंसू थे लेकिन मैं उन्हें रोकने की कोशिश कर रही थी तभी आध्या ने एकदम अजीब रिएक्शन दिया उसने अपना हाथ अदिति की तरफ करा और अपनी जादुई शक्तियों की मदद से अतिथि को ऊपर से नीचे तक पीले रंग की रस्सी में बांध दिया ।)

मटिल्डा : ये आप क्या कर रही हैं ।

अदिति : आपने मुझे बांध क्यों ?

आध्या : चुप बिलकुल चुप दुश्मनों को बोलने की इजाजत नहीं होती दुश्मन बोल नहीं सकते तुमने गुनाह किया है इस दुनिया को तबाह करने का सपना देखा अब मैं तुम्हें तबाह करूंगी ।

मटिल्डा : ये आप क्या ?

( इससे पहले की मटिल्डा कुछ कह पाती अदिति ने अपना दूसरा हाथ मटिल्डा की तरफ कर उसके होठों को बांध दिया तभी उसने अपना हाथ नीचे किया और कहा । )

आध्या : मैंने कहा ना दुश्मनों को बोलने की इजाजत नहीं होती अब तुम्हारी मौत होगी ।

अतिथि : ये आप क्या कह रही हैं ?

आध्या : चुप! मौत के लिए तैयार हो जाओ।

( इससे पहले दोनों कुछ कह पाती आध्या ने एक चुटकी बजाई और मटिल्डा और अदिति को वहां से गायब कर दिया तभी आध्या अपनी बाइक पर बैठी और वहां से रवाना हो गई वहीं दूसरी तरफ अदिति और मटिल्डा एक कल कारखाने में पहुंच गए जहां पर चारों तरफ केवल और केवल अंधेरा था तभी मटिल्डा ने अदिति को ढूंढते हुए कहा । )

मटिल्डा : अदिति क्या तुम यही हो ?

अदिति : हां मैं यही हूं लेकिन हम है कहां ?

मटिल्डा : पता नहीं लगता है हमें गलतफहमी हुई थी वह औरत मेरी मां नहीं थी ।

अदिति : नहीं माटिल्डा वह तुम्हारी मां ही थी तभी उन्होंने मौत का कहा और हमें इस जगह पर भेज दिया ।

मटिल्डा : लेकिन तुम हो कहां ?

( तभी अदिति ने मटिल्डा का हाथ पकड़ा माटिल्डा और अदिति एक दूसरे को गले लगा लिया तभी मटिल्डा ने कहा।)

मटिल्डा : शुक्र है तुम ठीक हो मैं तो एक पल के लिए डर गई थी ।

अदिति : इसमें डरने की क्या बात है कुछ खास नहीं हुआ था ।

मटिल्डा : कुछ खास होता ही कहां है।

( तभी कारखाने के दरवाजे को बाहर से किसी ने खोला बाहर से तेज रोशनी माटिल्डा और अतिथि के आंखों में पड़ रही थी तभी जो भी था उसने दरवाजा बंद किया और फिर कारखाने की लाइट ऑन कर दी

आखिर आध्या का ऐसा करने का कार्य क्या था क्यों क्यों आध्या ने उन दोनों को कारखाने में भेज दिया कौन था वह इंसान जो उस वक्त कारखाने में आया था और क्या सही में आध्या माटिल्डा की मां है जानने के लिए देखिए" साथ में जादू साथ में जीत"

सच्चाई

( तभी कारखाने के दरवाजे को बाहर से किसी ने खोला बाहर से तेज रोशनी माटिल्डा और अतिथि के आंखों में पड़ रही थी तभी जो भी था उसने दरवाजा बंद किया और फिर कारखाने की लाइट ऑन कर दी सामने अध्या ही थी तभी अदिति ने पूछा। )

अदिति : वहां पर क्या चल रहा था आपने हमें बांधकर यहां क्यों भेजा ?

अध्या : माफ करना वहां पर मेरा एक दुश्मन आ गया था अगर उन्हें पता चला कि मैं तुम्हें जानती हूं तो वह तुम्हें मार देते ।

माटिल्डा : लेकिन ऐसा क्यों ?

अध्या : उसके लिए तुमने मेरे बारे में तुम्हारे बारे में सब कुछ जानना ना होगा ।

अदिति : वह सब बाद में पहले यह बताइए मेरे मम्मी पापा कहां है क्या मैं मिल पाऊंगी उनसे ?

अध्या : तुम्हें उनसे भी मिलवांगी अदिति लेकिन इस वक्त नहीं ।

अदिती : लेकिन क्यों ?

अध्या : क्योंकि अभी रात हो चुकी है और जहां पर मैं रहती हूं वहां पर इतनी रात को आना-जाना माना है ।

मटिल्डा : यह कैसा नियम हुआ अपने ही घर में कोई नहीं जा सकता ?

आध्या : अब क्या करूं मैं भी फंस जाती हूं कभी-कभी मेरा ही घर है वैसे तो लेकिन मैं ही वहां पर रात को 10:00 बजे के बाद नहीं जा पाती ।

अदिती : लेकिन क्यों ? 

अध्या : वह तो तुम्हें एक कल घर जाकर ही पता चलेगा ।

मटिल्डा : इसका मतलब आप हमें कल अपने घर ले जा रही है ?

अध्या : अपने घर नहीं चलोगे ?

अध्या : आपको सही में लगता है मैं ही आपकी बेटी हूं लेकिन क्यों ?

अध्या : हां जो परीक्षा मुझे अपनी बेटी के लेनी थी वह मैं ले चुकी हूं मुझे पता चल गया तुम ही मेरी बेटी हो।

मटालिदा : परीक्षा! कौन सी परीक्षा अब कब ली आपने परीक्षा ?

अध्या : मैंने तुम्हारी परीक्षा तब ली जब अदिति ने मुझे कहा कि तुम मेरी बेटी हो लेकिन अब उन सब चीजों के बारे में जानने के लिए भी तुम्हें मेरे बारे में सब कुछ जानना होगा ।

( तभी अदिति ने अपना सर पकड़ लिया और कहा । )

अदिति : जब आपके बारे में सब कुछ जानना ही होगा तो बताइए ना किसका इंतजार कर रही है ?

आध्या : तुम्हारी आज्ञा का जब तक तुम आज्ञा नहीं दोगी तब तक कैसे बता सकती हूं मैं ?

मटिल्डा : कृपया करके बताइए हम लोग आपका इंतजार कर रहे हैं।

आध्या : तो फिर ठीक है यह कहानी बहुत ज्यादा मतलब बहुत ज्यादा ही अजीब है तो प्लीज यह मत कहना मैं झूठ बोल रही हूं क्योंकि एक एक चीज जो मैं अब खाने वाली हूं 100% सच है ।

अदिति : कहिए हम आपका इंतजार कर रहे हैं ।

आध्या : अभी नहीं शांति रखो।

मटिल्डा : अब किस चीज की शांति जल्दी बताई है हम इंतजार कर रही हैं ?

( अध्याय ने अपने जादू की मदद से कुर्सियां मंगवाई और दोनों से कहा । )

अध्या : अब बातचीत बहुत लंबी है आराम से बैठकर करते हैं ।

( अदिति, मटिल्डा और आध्या कुर्सियों पर बैठ गए तभी उनके बीच एक गोल मेज अपने आप ही प्रकट हो गई अध्या ने अपने दोनों हाथ मेज पर रखते हुए कहा । )

आध्या : अच्छा तो सुनो एक ऐसी कहानी जो की सच्ची है लेकिन झूठी लगती है एक कहानी जो बहुत मुश्किलों से भरी है लेकिन सच्ची है।

मटिल्डा : पहेलियां बुझाना बंद कीजिए और साफ-साफ बताइए कहना क्या चाहती है ।

आध्या : सुनना चाहती हो ना तो सुनो यह कहानी की की है जब मैं खुद 25 साल की थी मुझे नहीं पता मेरे साथ क्या हुआ था लेकिन 25 साल बाद मैं जब अपनी आंख एक घने जंगल में खोली तब मेरे आस-पास कोई भी नहीं था सिवाए उन बड़े घने पेड़ों के चिड़िया की चहचहाट सुनाई दे रही थी लेकिन इधर-उधर देखने पर एक भी चिड़िया दिखाई नहीं दे रही थी उस वक्त पूरे जंगल में घना कोहरा छा गया कोहरा इतना तेज था मानो अपना हाथ भी ना देख पा रहे हो मैं 25 साल की थी तो बहुत डर गई तभी उस कोहरे से आवाज आई ।

कोहरा : यह दुनिया तुम्हारी है तुम तुम्हें इस दुनिया का ख्याल रखना है इसलिए मैं तुम्हें जादुई शक्तियां दे रहा हूं तुम्हारे पास जादुई शक्तियां है तुम खुद उसका इस्तेमाल करना सीखो उसके बाद तुम्हें वही करना होगा जो मैं कहूंगा ।

आध्या : उस वक्त में बहुत छोटी थी इसलिए मैंने उस कोहरे से सवाल किया ।

आध्या : क्यों मैं तुम्हारी बात क्यों मानूंगी और मैं इस दुनिया की जिम्मेदारी क्यों लूं ।

( तभी उस कोहरे से एक आवाज आई । )

कोहरा : तुम इस दुनिया की जिम्मेदारी इसलिए लोगी क्योंकि तुम्हारी जान इस दुनिया की जान में बसी है मतलब तुम्हें जब तक तुम जिंदा हो तब तक यह दुनिया चल रही है जिस पल जिस समय तुम्हारी सांसे रुकी उसे पाल उस समय तुम्हारी यह दुनिया भी रुक जाएगी इस दुनिया के लिए तुम्हें अपने आप को परखना होगा जानना होगा इस दुनिया के लोगों को बचाना होगा ।

अध्या : लेकिन किस से बचाना होगा मुझे इस दुनिया को ?

कोहरा : एक ऐसे दुश्मन से जो की हर पल तुम्हें मार कर इस दुनिया को हटाने की कोशिश कर रहा है।

( इतना कहकर कोहरा वहां से गायब हो गया तभी अदिति ने पूछा । )

अदिति : एक ऐसा दुश्मन जो कि इस दुनिया को हथियाना चाहता है मतलब उसके पास भी जादू शक्तियां है ?

( अध्या ने अपना सिर हिलाया तभी माटिल्डा ने पूछा। )

माटिल्डा : मतलब जब तक आप जिंदा है तब तक यह दुनिया जिंदा है मतलब आपकी सांसों से इस दुनिया की सबसे जुड़ी है ?

अदिति : इसका मतलब आप इस दुनिया के भगवान है ?

आध्या : अरे ये तुम क्या कह रही हो अदिति मैं भगवान कैसे हो सकती हूं भगवान तो वह है ना जो जैसा चाहे वैसा कर सकता है लेकिन मेरे पास वह शक्ति नहीं है मैं केवल लोगों की रक्षा कर सकती हूं मतलब मैं इस दुनिया की रक्षक हुई भगवान नहीं ।

माटिल्डा : लेकिन अभी-अभी जो आपने किया मतलब अदिति को बांधा और हमें उस वक्त रेलगाड़ी में चढ़ाया उन सब का इससे क्या मतलब है ?

अध्या : जरा आगे सुनो लगभग 5 साल बाद यानी कि तब जब मैं 30 साल की हो गई थी तब मेरी मुलाकात हुई तुम्हारे पापा से !

माटिल्डा : पापा !

आध्या : हां हम दोनों का प्रेम विवाह हुआ था हम दोनों 30 की उम्र में एक दूसरे से मिले और 32 की उम्र में हमने शादी की थी लेकिन मुझ में उस वक्त हिम्मत नहीं थी कि मैं तुम्हारे पापा को यह बता सकूं कि मेरे पास जादुई शक्तियां है ।

अदिति : लेकिन क्यों यह तो कितनी अच्छी बात है कि आपके पास जादुई शक्तियां है इसमें छुपाने वाली क्या बात है ?

आध्या : अगर इसके पापा को सब कुछ पता चल जाता है तो उनकी जान खतरे में आ जाती बिल्कुल उसी तरह अब सब लोगों की जान खतरे में है सब लोगों कीमाटिल्डा मतलब ?

आध्या : मेरी, तुम दोनों की ,अदिति तुम्हारे मम्मी पापा की ,माटिल्डा तुम्हारे पापा की भी सब की जान खतरे में है ।

अदिती : लेकिन ऐसा क्यों ?

आध्या : उसके आगे तुम्हें सुना होगा।

अदिति : तो इंतजार किसका कर रही है  बताइए क्या हुआ था ।

आध्या : कुछ समय बाद मुझे पता चला मैं मां बनने वाली हूं तभी मैंने फैसला लिया अब मैं तुम्हारे पापा से कुछ नहीं छुपाऊंगी सब कुछ सच-सच उन्हें बता दूंगी जैसा मैंने फैसला किया था मैंने सब कुछ तुम्हारे पापा को बता दिया जैसा की उम्मीद की तुम्हारे पिता ने मुझे अपना लिया उन्हें मेरे पास जादुई शक्तियां होने से कोई एतराज नहीं था लेकिन मुझे था क्योंकि मेरी वजह से अब उनकी सबकी जान खतरे में थी ।

मटिल्डा : पापा ठीक तो है ना ?

आध्या : अभी तक तुम्हारे पापा ठीक है लेकिन मुझे नहीं पता आगे क्या होगा लेकिन उस वक्त हमारी दुश्मन को मेरा और तुम्हारे पापा दोनों का सच पता चल चुका था जब तक मैं 32 साल की थी तब तक दुश्मनों को मेरा सच नहीं पता था वह लोग मुझे ढूंढ ही रहे थे लेकिन जैसे ही मैं तुम्हारे पिता को अपनी सच्चाई बताई उन्हें भी पता चल गया तब से वो लोग मेरे और तुम्हारे पिता के पीछे पड़े हैं इस दुनिया को हथियाने के लिए ।

अदिति : तो क्या उस वक्त जब आपने मुझे बांध उस वक्त वहां पर कोई दुश्मन थे ।

आध्या : हां उसे वक्त वहां पर दुश्मन थे इसलिए मुझे ऐसा नाटक रचना पड़ा।

मटिल्डा : मुझे माफ कर दीजिए मैंने आपको कितना कुछ कह दिया।

आध्या : माफी तो मुझे मांगनी चाहिए क्योंकि अभी आगे जो होने वाला है वो माफ करने के लायक नहीं है जरा आगे तो सुनो तो ।

अदिति : अब हमें सच्चाई पता चलेगी कि आपने क्यों हमें उस रेलगाड़ी में भेज दिया था ।

मटिल्डा : हां

अध्या : अब पता चलेगा तुम्हें वह राज़ जो अब तक सुलझा नहीं जो अब तक इस दुनिया की नजरों से दूर था ।

मटिल्डा : पहेलियां मत बुझाएं आगे बोलिए मुझे पता है आपको पहेलियां बुझाने की आदत है ।

आध्या : ठीक है अब कोई पहेली नहीं बुझा रही कुछ समय बाद जैसे तैसे बचते बचाते हम लोगों ने माटिल्डा को पैदा किया वह रात बहुत काली थी लेकिन सुंदर भी उस रात बारिश हो रही थी लेकिन पंछी चहचाह रहे थे अक्सर रात को पंछी नहीं चाहते लेकिन उस वक्त लग रहा था जैसे रात नहीं दिन हो मानो रात में दिन का नजारा हो जब मैं पहली बार तुम्हें अपनी गोद में लिया तभी तुम्हारे पिता भी मेरे साथ ही थे । तभी आसपास कोहरा छाने लगा हैरानी की बात यह थी कि जब भी कोर चाहता था मेरे पास आसपास कोई होता है तो वह जम जाता लेकिन इस बार तुम्हारे पिता नहीं जमे थे तभी कोहरे से आवाज आई ।

कोहरा : बधाई हो तुम्हारी बेटी तुम्हारी शक्तियां आगे बढ़ाएगी यही तुम्हारी वंशज होगी !

अध्या : जब कोहरे ने वंशज होगी कहा तब चारों तरफ आवाज एक गूंज रही थी कोहरा वहां से गायब हो गया तभी तुम्हारे पिता ने कहा।

पिता : इसका मतलब आगे हमारी बच्ची को भी शक्तियां मिलेगी ।

अध्या : हां!

अदिति : इसका मतलब माटिल्डा के पास भी शक्तियां है ?

मटिल्डा : नहीं तो मेरे पास तो कोई शक्ति नहीं है अभी तक तो मुझे कुछ पता ही नहीं मैं तो पहली बार शक्तियों के बारे में सुन रही हूं ।

आध्या : ऐसा इसलिए क्योंकि मैंने तुम्हारे ऊपर ऐसा जादू किया था जिससे जब तक मैं ना चाहूं तब तक तुम अपनी शक्तियों का इस्तेमाल न कर सको ।

अदिती : लेकिन ऐसा क्यों ?

आध्या : क्योंकि उस रात जिस रात में हमने तुम्हें और माटिल्डा को उस रालीगाढ़ी में चढ़ाया था उस दिन एक ऐसी घटना घटी जिसने मुझे और तुम्हारे माता-पिता को तुम्हें यहां से भेजने पर मजबूर कर दिया।

मटिल्डा : तो अब पता चलेगी आपकी मजबूरी लेकिन सबसे पहले यह बताइए आपने मेरी परीक्षा कब ली और कैसे कहीं ऐसा तो नहीं आपने वह परीक्षा भुलवा दी ।

आध्या : नहीं तुम्हारी परीक्षा वैसी परीक्षा नहीं थी।

( आध्या ने अपने कोर्ट का बाजू ऊपर किया और अपने हाथ पर बना स्वास्तिक का चिन्ह माटिल्डा और अतिथि को दिखाते हुए कहा। )

आध्या : यह चिन्ह यह चिन्ह थी तुम्हारी परीक्षा ।

अदिति : में माटिल्डा जरा ध्यान से देखो तुम्हारे हाथ पर भी बिल्कुल ऐसा ही चिन्ह है ।

मटिल्डा : है तो सही लेकिन इस चिन्ह से क्या पता चलता है ?

आध्या : यह कोई आम चिन्ह नहीं है माटिल्डा ये चिन्ह बहुत खास है इस चिन्ह की वजह से मुझे मेरी बेटी मिली और तुम्हें तुम्हारी शक्तियां मिलेगी।

अदिति : मतलब माटिल्डा भी जादू कर पाएगी ?

आध्या : हां !

मटिल्डा : लेकिन मुझे जादू नहीं करना  ।

आध्या : यह तो और भी अच्छी बात है माटिल्डा क्योंकि मैं भी नहीं चाहती तुम जादू सीखो ।

अदिति : ऐसा क्यों ?

आध्या : क्योंकि जादुई शक्तियों वाले इंसान की जिंदगी आसान नहीं होती ।

अदिति : रहने दीजिए जिंदगी किसी के साथ नहीं होती हमें पता है हम दोनों ने आप लोगों के बगैर किसी तरह अपनी जिंदगी गुजारनी भी आसान नहीं थी ।

आध्या : मुझे माफ करना लेकिन उस वक्त तुम्हारी जान बचाने के लिए हमें यह करना पड़ा ।

मटिल्डा : आप आगे बताइए क्या हुआ था और सब कुछ सच बताना क्योंकि आपकी बातों से लग नहीं रहा आप कुछ भी सच बोल रही है ।

( आध्या दुखी मन से मटिल्डा को देख रही थी तभी उसने कहा । )

आध्या : मुझे पता है तुम्हें मेरे ऊपर विश्वास नहीं है तुम्हें तो यह भी विश्वास नहीं है कि मैं तुम्हारी मां हूं ।

मटिल्डा : बिल्कुल सही मुझे आपके ऊपर एक प्रतिशत थी विश्वास नहीं है।

अदिति : मटिल्डा ये तू क्या बोल रही है इतने समय बाद तो अपनी मां से मिली है और अब इस तरह से बात कर रही है ?

मटिल्डा : मां वह नहीं होती जो बीच रास्ते में छोड़ देती है मां वह होती है जो साथ देती है और इन्होंने तो मुझे छोड़ और वापस लेने भी नहीं आई भूल गई अपनी बच्ची को ये मां के नाम पर धब्बा है।

आध्या : उसमें भी मजबूरी थी ।

मटिल्डा : तो वही तो पूछ रही हूं क्या मैं मजबूरी थी साफ-साफ बता दीजिए ।

आध्या : ठीक है मैं तुम्हें सब कुछ बचा हुआ सच बताती हूं ।

मटिल्डा : इंतजार कर रही हूं मैं थोड़ा जल्दी बताएंगे तो आपका और हमारा दोनों का समय बचेगा ।

अदिति : मटिल्डा तो ऐसे कैसे बात कर सकती है वह तेरी मां हैं।

मटिल्डा : मुझे भी पता है मां है मेरी अब चुप रहो ।

अदिति : मटिल्डा तुम मुझसे इस तरह से क्यों बात कर रही है मैंने क्या किया ?

मटिल्डा : तुम्हारी वजह से ही मैं यहां पर यह सब कुछ सुना पड़ा रहा है अब जरा चुप बैठो और उनकी मजबूरी सुनने दो मैं भी तो देखूं क्या बहन मरती है ?

आध्या : अभी तक तो कोई बहाना नहीं था और ना ही आगे होगा ।

अदिति : मिसिज कपूर कृपया आप अपनी बात बताएं इसकी बात पर विश्वास मत कीजिए पागल है ये तो ।

आध्या : ठीक है तुम जानना ही चाहती हो तो मैं बता देती हूं लेकिन एक-एक बात सच बोल रही हूं ।

मटिल्डा : आगे बोलिए !

आध्या : उस रात जिस रात हमने तुम्हें उसे रेलगाड़ी में चढ़ाया था उससे उस दिन एक ऐसी घटना घटी जिसने हमें वह कदम उठाने पर मजबूर किया हम लोग सुबह एक गांव में गए हुए थे हम लोग एक झोपड़ी में रह रहे थे ताकि कुछ समय उन दरिंदों से बच सके और तुम लोगों को सुरक्षित रख सके ।

अदिती : लेकिन मैं क्यों मतलब मेरा तो शक्तियों से कोई नाता नहीं है ?

आध्या : तुम इसलिए क्योंकि उन लोगों को गलतफहमी थी कि तुम या फिर मटिल्डा दोनों में से एक के पास शक्तियां है उस श्याम तुम और मटिल्डा बाहर खेल रहे थे अदिति तुम्हारी मां की नजर तुम्हारे और माटिल्डा के ऊपर थी तभी पता नहीं कैसे लेकिन मटिल्डा के हाथ में एक पत्थर आया जो कि छोटा था उस पत्थर को तुमने इतनी जोर से फेंका की सामने वाले पेड़ में छेद हो गया अदिति और उसकी मां बहुत डर गए थे तभी उन्होंने अंदर से मुझे बुलाया सारी बात जानने के बाद मुझे लगा कि तुम्हारे ऊपर एक ऐसा सुरक्षा कवच डाल देना चाहिए जिससे जब तक मैं ना चाहूं तब तक तुम अपनी शक्तियां इस्तेमाल न कर सको तुम बहुत छोटी थी इसलिए तुम्हें शक्तियां इस्तेमाल करने देना बहुत ज्यादा खतरनाक था तुम्हारे लिए नहीं तुम्हारे आसपास रहे लोगों के लिए लेकिन जैसे ही मैंने तुम्हारे ऊपर सुरक्षा कवच डाला उन लोगों ने मेरी शक्तियों की ऊर्जा को पहचाना और हम तक पहुंच गए मैंने उन लोगों से लड़ने की बहुत कोशिश की लेकिन बदकिस्मती से उस वक्त मैं कमजोर थी और वह ताकतवर जिसके कारण हम चारों को बहुत चोट आई थी लेकिन जैसे तैसे हम लोग उसे रेल की पटरी तक पहुंचे और तुम दोनों को उस रेलगाड़ी में चढ़ा दिया तुम दोनों की सुरक्षा के लिए उस वक्त वही ज़रूरी था मैंने अपनी जादुई शक्तियों की मदद से तुम्हारा दिमाग से वह सब कुछ मिटा दिया था जो कि तुम्हारे सामने हुआ था ।

अदिती : लेकिन ऐसा क्यों ?

अध्या : क्योंकि अगर तुम्हें वह सब याद रहता तो तुम लोगों के लिए जिंदगी जीना और भी मुश्किल हो जाता उस वक्त राक्षस से बचने के लिए मैंने तुम दोनों के नकली पुतले बनाए अब उन राक्षसों को लगता है कि तुम दोनों मर चुके हो क्योंकि उस वक्त मैंने वो पुतले उन लोगों के हवाले कर दिए थे।

मटिल्डा : इतनी आसानी से ?

आध्या : नहीं मैं उन पुतलों को बचाने की भी कोशिश की थी लेकिन मेरी शक्तियां कमज़ोर थी मैं कुछ नहीं कर सकती थी ।

मटिल्डा : झूठ आपकी शक्तियां कमज़ोर हो ही नहीं सकती ।

अदिति : माटिल्डा तू ऐसे कैसे कह सकती है क्या पता सही में उनकी शक्ति कमजोर हो ।

मटिल्डा : दिख नहीं रहा सफेद द झूठ बोल रही है ।

आध्या : यहां पर एक भी बात झूठी नहीं है क्योंकि उस रात एक खास रात थी जो की थी नील चंद्र रात्रि ।

अदिति : नील चंद्र रात्रि! मेंने पढ़ा है उस रात पर अच्छी शक्तियों की शक्तियां कम होती है ।

मटिल्डा : अपनी कहानियों में पड़ी बातें मत बता मुझे भी पता है तू यह सब बातें कहानी में पढ़ती है ।

अदिति : माटिल्डा तुझे ऐसा क्यों लगता है कि हर चीज एक मजाक है यहां पर सच में सब कुछ हो रहा है की कोई कहानी नहीं है ।

मटिल्डा : अदिति अपनी बकवास बंद कर तुझे अपनी मम्मी पापा से मिलना था कल मिल और फिर चल यहां से मैं यहां पर ज्यादा देर नहीं रख सकती ।

आध्या : ये तुम क्या कह रही हो मैं कोई कहानी नहीं बना रही सच में तुम्हें यहां से जाने की जरूरत नहीं है ये तुम्हारा ही घर है ।

अब क्या करेगी मटिल्डा ?

सच्चाई जानने के बाद क्या करेगी मटिल्डा ?

क्या वह सही में सबसे दूर चली जाएगी ?

क्या मिलने के बाद भी दूर हो जाएंगे मां बेटी ?

जानने के लिए पढ़िए "साथ में जीत साथ में जादू। "

App Store और Google Play पर MangaToon APP डाउनलोड करें

नॉवेल PDF डाउनलोड
NovelToon
एक विभिन्न दुनिया में कदम रखो!
App Store और Google Play पर MangaToon APP डाउनलोड करें