इससे पहले कि वो चाकू डैनियल को लग पाते डैनियल के आगे अदिति आ गई इससे पहले कि चाकू अदिति को लग पाते आध्या ने अपना वार रोक लिया और हैरानी के साथ अदिति को देखने लगी तभी वो मटिल्डा जिसे छुपे रहने को कहा था वो भी बाहर आ गई और कहा । )
मटिल्डा : ( चिल्लाते हुए ) अदिति.....! ये तुम क्या कर रही हो ?
डैनियल : ( हंसते हुए ) कौन अदिति ? ये तुम्हारी अदिति नहीं !
( इतना कहकर डैनियल ज़ोर - ज़ोर से हंसने लगा । वो चाकू का वार असफल रहा और सारे चाकू गायब हो गए । )
आध्या : ( हैरानी से ) क्या ! अदिति कहां है ?
( डैनियल ने हंसते हुए उस लाल कपड़ा को उठा दिया । आध्या , रिची और मटिल्डा ओर भी ज्यादा हैरान हो गई । क्योंकि इस कांच के बक्से में हरे रंग के पानी के अंदर अदिति बेहोश थी और उस पानी के अंदर थे । )
रिची : ( चिल्लाते हुए ) डैनियल तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ?
आध्या : ( चिल्लाते हुए ) डैनियल...!
( मटिल्डा रोने लगी तभी डैनियल ने कहा । )
डैनियल : ( गंभीर आवाज में ) तुम्हे क्या लगा तुम मुझे मारने की कोशिश करोगे और मैं कुछ नहीं करूंगा ? देखो क्या हुआ अदिति की मौत !
मटिल्डा : ( रोते हुए ) नहीं....!
( इतना कहकर मटिल्डा अपने घुटने पर बैठ गई और रोने लगी । लेकिन आध्या की आंखों में आसूं नहीं गुस्सा था । आध्या ने गुस्से में कहा । )
आध्या : ( गुस्से में ) बस बहुत हो गया डैनियल अब तुम्हारी मौत पक्की है ।
डैनियल : ( हंसते हुए ) कैसे करोगी ? क्या करोगी ?
( इतना कहकर डैनियल ज़ोर - ज़ोर से हंसने लगा । आध्या का गुस्सा और भी ज्यादा बढ़ गया । तभी आध्या ने अपने दोनों हाथ जोड़े और गुस्से में कहा । )
आध्या : ( गुस्से में ) हे पांच तत्व मैं आध्या कपूर इस धरती पर स्वयं भगवान का स्वरूप आज सारे दिव्य तत्व को आवाहन करती हूं ।
( रिची और मटिल्डा हैरानी से आध्या को देख रहे थे। तभी मध्यम स्थल पर बदल छाने लगे बाहर आसमान में मौसम बिगड़ गया और तेज हवाएं चलने लगी । मध्यम स्थल में बिजलियां गरजने लगी और एक बिजली की तिरंग आध्या पर गिर गई और फिर एक धमाका हुआ और पूरे मध्यम स्थल पर धुआं फैल गया रिची ने मटिल्डा को सुरक्षित सीखने के लिए उसे पीछे ले लिया । तभी धुआं साफ हुआ आध्या अपने आप ही हवा में उड़ने लगी उसके आस पास पांचों तत्वों के अलग - अलग रंग की ऊर्जा आध्या के आस - पास उड़ने लगी आध्या का रूप भयानक हो गया तभी आध्या ने गुस्से में कहा । )
आध्या : ( गुस्से में ) शक्ति देखनी थी ना मैं दिखाती हूं क्या होती है शक्ति ?
( इतना कहकर आध्या ने वो सारी ऊर्जा डैनियल की तरफ छोड़ दी डैनियल ने उधर से हटने की कोशिश की लेकिन जैसे ही उसने वहां से हटने की कोशिश की तो उसके पैर जम गए और वो हिल भी नहीं पा रहा था तभी वो सारी ऊर्जा डैनियल के शरीर में समा गई पहले तो डैनियल को कुछ नहीं किया लेकिन कुछ देर बाद डैनियल दर्द से तड़पने लगा उसके बाद डैनियल के शरीर में दरारें पड़ने लगी और उसमें से जादुई रोशनी निकलने लगी इस पल में डैनियल चिल्लाने लगा और फिर उसका सारा शरीर फट गया । जिसके कारण सारी ऊर्जा जो कि डैनियल ने उन कुत्तों से ली थी वो सारी ऊर्जा वापस उन कुत्तों में चली गई और वो कुत्ते फिर से ठीक हो गए लेकिन अदिति अभी भी बेहोश थी क्योंकि वो अब उसकी ऊर्जा से जिंदा नहीं हो सकती थी लेकिन इसकी ऊर्जा उस में जाने की वजह से वो कांच टूट गया और अदिति नीचे गिरने लगी लेकिन रिची ने उसे नीचे गिरने से बचा लिया लेकिन आध्या का गुस्सा अभी खत्म नहीं हुआ था आध्या गुस्से से चिल्ला रही थी तभी रोती हुई मटिल्डा आध्या के सामने आकर उसे गले लगा लिया मटिल्डा के आध्या को गले लगाने की वजह से आध्या का गुस्सा कम हो गया तभी मटिल्डा ने कहा । )
मटिल्डा : ( रोते हुए ) मम्मी बस कीजिए और अदिति को ठीक कर दीजिए ।
आध्या : हां मेरी बच्ची मैं अभी अदिति को ठीक कर देती हूं ।
रिची : आध्या जी क्या आप सही में अदिति को ठीक कर सकती हो ?
आध्या : हां !
रिची : तो फिर कीजिए ना !
आध्या : नहीं !
मटिल्डा : ( हैरानी से ) मतलब ?
आध्या : अभी नहीं
रिची : तो कब
आध्या : रिची मैं अदिति को घर ले जा कर ही ठीक कर सकती हूं ।
रिची : क्या ! मतलब आप लोगों के घर जाने का समय आ गया ?
आध्या : हां
( तभी आध्या ने अपना हाथ छत की तरफ किया जिसकी वजह से उसके हाथों से एक तिरंग निकली और फिर आध्या ने अपना हाथ सामने की तरफ किया और एक जादुई रास्ता बना लिया । आध्या ने अदिति को उठाकर मटिल्डा को अंदर चलने का इशारा किया मटिल्डा ने भावुक होकर रिची से हाथ मिलाते हुए कहा । )
मटिल्डा : हम फिर जरुर मिलेंगे ।
रिची : मुझे कभी भूलना मत मैं हमेशा आप लोगों को याद रखूंगा ।
आध्या : अपना ख्याल रखना रिची और मेरी कभी भी जरूरत पड़े तो याद कर लेना मैं आ जाऊंगी ।
रिची : जी धन्यवाद आध्या जी मुझे पूरा यकीन है आप अदिति जी को भी ठीक कर लेंगे ।
आध्या : बिल्कुल उसके लिए बेशक मुझे कुछ भी करना पड़े मैं करूंगी मटिल्डा जल्दी चलो अगर हमें ज्यादा देर हुई तो शायद अदिति बचा ना पाऊं ।
मटिल्डा : ठीक है ! रिची हम फिर जरुर मिलेंगे
रिची : जी बिल्कुल
( आध्या अदिति को उठाकर कुछ कदम आगे बड़ी जिसके बाद आध्या उस रोशनी में गायब हो गई मटिल्डा ने भी आध्या का पीछा किया और रिची को अलविदा कर वहां से चली गई । रिची भावुक होकर उस जगह को देख रहा था कुछ समय बाद वह जादुई रास्ता अपने आप गायब हो गया वहीं दूसरी तरफ वह जादुई रास्ता आध्या के घर पर खुला जहां पर मुकेश अरनव और ओलिविया पहले से ही उन तीनों का इंतजार कर रहे थे उसे जादुई रास्ते को देख वह लोग अपनी जगह से खड़े हो कर उस जादुई रास्ते के पास आ गए इसके कुछ समय बाद आध्या अदिति को लिए उन सबके सामने आ गई अदिति को बेहोश देख सब लोग घबरा गए और अदिति के पास आ गए । आध्या ने अदिति को नीचे जमीन पर लेता दिया इसके बाद उन तीनों ने अदिति के आस - पास घेरा बना लिया । मटिल्डा भी उस जादुई रास्ते से बाहर आई जिसके बाद मटिल्डा भी अदिति के पास बैठ गई तभी ओलिविया ने कहा । )
ओलिविया : अदिति बच्चा क्या हुआ तुम उठ क्यों नहीं रही आध्या अतिथि उठ क्यों नहीं रही ?
मुकेश : क्या हुआ है अदिति को ?
अरनव : आध्या चुप क्यों खड़ी हो जवाब दो !
मटिल्डा : मम्मी आपने तो कहा था कि आप अदिति को ठीक कर देंगे प्लेस अदिति को ठीक कर दो !
आध्या : बिल्कुल लेकिन उससे पहले तुम्हें यह जानना होगा कि उसके बाद तुम्हें तुम्हारी शक्तियां अदिति से लेनी होगी किसी भी हालत में तुम्हें तुम्हारी शक्तियों को इस्तेमाल करना भी सीखना होगा ।
मटिल्डा : ठीक है लेकिन आप ऐसा क्यों कह रही हैं ?
आध्या : वह तो तुम्हें बाद में ही पता चलेगा अभी चलो !
( इतना कह कर आध्या अदिति के सर की तरफ जाकर बैठ गई और अपनी आंखें बंद कर ली इस वक्त पूरे कमरे में कोहरा छा गया बिल्कुल उसी तरह जिस तरह आध्या ने बताया था तभी कोहरे से आवाज आई । )
कोहरा : रुक जाओ आध्या ! यह गलती मत करो !
आध्या : इस वक्त मेरे लिए अदिति की जान ज्यादा जरूरी है और कुछ नहीं !
कोहरा : इसकी तुम्हें भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है ।
आध्या : मैं सब जानती हूं ।
कोहरा : तुम कीमत जानती हो लेकिन यह नहीं जानती कि अगर तुमने यह उपाय का उपयोग किया तो तुम्हारी मौत का रहस्य सबके सामने आ जाएगा ।
मटिल्डा : मौत का रहस्य !
अरनव : आप कहना क्या चाहते हैं किसका मौत का रहस्य ?
आध्या : अभी सब कुछ सबके सामने आ जाएगा आप बस इंतजार कीजिए मैं वह करने वाली हूं जो आप मना कर रहे हैं बाकी आपकी मर्जी आपको जो करना हो , कर लीजिए
कोहरा : जिद्दी !
( इतना कहकर कोहरा वहां से गायब हो गया तभी ओलिविया ने सवाल किया । )
ओलिविया : आध्या यह सब क्या हो रहा है ऐसा क्या करने वाली हो तुम ?
आध्या : ओलिविया जो मैं करने वाली हूं बिल्कुल सही है और यह मेरा फैसला है तो तुम लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है तुम लोगों को मेरे ऊपर यकीन है ना ?
मुकेश : यकीन तो है लेकिन...!
अरनव : यकीन है तो लेकिन का कोई काम नहीं आध्या मुझे तुम पर पूरा भरोसा है तुम्हें जो करना है करो मैं तुम्हारे साथ हूं !
आध्या : धन्यवाद अरनव मैं तुम्हारा भरोसा टूटने नहीं दूंगी मैं किसी भी तरह अदिति को ठीक कर लूंगी ।
( इतना कह कर आध्या ने अपनी आंखें फिर से बंद कर ली इस बार आध्या की आंख खुली तो उसमें आंसू थे जैसे ही उसका एक आंसू अदिति के ऊपर गिरा वैसे ही अदिति के माथे से एक जादू रोशनी निकलने लगी जिससे अदिति को वापस होश आ गया लेकिन अदिति के होश में आते ही हर जगह फिर से कोहरा छाने लगा अदिति नीचे से उठ खड़ी हुई सब लोग उसके साथ खड़े थे तभी आध्या में से एक पीले रंग की जादुई रोशनी निकलने लगी सब लोग उसके पास आ गए तभी आध्या ने अदिति का हाथ पकड़ते हुए कहा । )
आध्या : अदिति अब मैं अपनी सारी जिम्मेदारी तुम्हें देकर जा रही हूं ।
अरनव : आध्या तुम्हारा मतलब क्या है ?
आध्या : मतलब मेरी मौत होने वाली है ।
मुकेश : क्या पर कैसे ?
ओलिविया : तुमने तो कहा था सब ठीक हो जाएगा तो फिर यहां पर क्या चल रहा है ?
मटिल्डा : मम्मी आप कहना क्या चाहती है ?
अदिति : आध्या जी आपके कहने का मतलब क्या है आप हमें छोड़कर कैसे जा सकती हैं ?
आध्या : मेरे पास ज्यादा समय नहीं है तो मेरी बात ध्यान से सुनो ।
अदिति : जी कहिए !
आध्या : तुम्हें आधी बात वह रहस्य पता चलने के बाद पता चल जाएगी और बची हुई आधी बात मैं बता रही हूं ।
मटिल्डा : जी कहिए ।
आध्या : मैं अपनी सारी शक्तियां जो भी मेरे अंदर थी वह अदिति के अंदर डाल चुकी हूं ।
अदिति : क्या ?
आध्या : हां तुम्हें सारी शक्तियों के बारे में धीरे - धीरे पता चल जाएगा और जो कोहरा अब तक मेरी मदद कर रहा था आगे चलकर वह तुम्हारी मदद करेगा मुझे उम्मीद है तुम सब कुछ संभाल लोगे लेकिन जो दुश्मन अभी मेरे खिलाफ है आगे चल तुम्हारे खिलाफ हो जाएंगे तो अपना और पूरे परिवार वालों का ख्याल रखना ।
अदिति : ( आंखों में आंसू भरे ) आप ऐसा क्यों कह रही है कम से कम एक बार यह तो बता दीजिए कि यहां पर हो क्या रहा है ?
( आध्या का शरीर धीरे-धीरे गायब होने लगा तभी मटिल्डा ने घबराते हुए कहा । )
मटिल्डा : मम्मी यह क्या हो रहा है आपके साथ अब क्या होगा हमें क्या करना है ?
आध्या : कुछ भी नहीं अब जो करना होगा यह कोहरा अपने आप कर देगा।
अरनव : आध्या यह तुम क्या कह रही हो ?
( आध्या अरनव के गले लग गई और कहा । )
आध्या : अब मुझे सुकून की मौत मिलेगी ।
( इसके बाद आध्या धीरे-धीरे कर अरनव की बाहों में ही दम तोड़ दिया आध्या पूरी तरीके से गायब हो गई थी । सब लोग बिल्कुल टूट चुके थे। आध्या ही उनके परिवार की नीव और वही उन्हें छोड़ कर चली गई थी उसके बाद फिर से कोहरा आ गया । इसके बाद उस कोहरे में एक जादूई स्क्रीन बन गई उस स्क्रीन के आसपास काले घने बादल थे तभी उस स्क्रीन पर कुछ दिखाई देने लगा जिसमें वह दानव जो कि उस वक्त उन सब पर हमला कर रहा था । जब आध्या ने अदिति और मटिल्डा को बचाने के लिए उस ट्रेन में चढ़ाया था । यह दृश्य बिल्कुल उसके पहले का था वह सब पटरी पर ही खड़े थे और वह दानव अचानक से उनके सामने आ गया सबको बचाने के लिए आध्या ने वह वार अपने ऊपर लिया लेकिन इससे पहले कि वह दानव आगे कुछ कर पाता आध्या में से भयानक ऊर्जा निकली जिसने उस दानव का अंत कर दिया लेकिन जैसे ही वह वार आध्या को लगा आध्या उड़कर पटरी पर गिर गई । वहां पर भयानक आभा के कारण मुकेश, अरनव ,ओलिविया और दोनों बच्चे बेहोश हो गए । आध्या के सर से खून निकलने लगा। स्क्रीन पर चले इस तरह के दृश्य को देख सब की रूह कांप गई किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि जिस तरह से आध्या के सर से खून निकल रहा था उसे देखकर बताया जा सकता था कि अब आध्या को कोई नहीं बचा सकता तभी वहां पर कोहरा आ गया और हैरानी की बात यह थी कि उस वक्त आध्या की आत्मा आध्या के शरीर से बाहर आ चुकी थी तभी आध्या की आत्मा ने कोहरे को देखते हुए कहा । )
आध्या : मैं इस वक्त मैं नहीं मर सकती मुझे सब को बचाना होगा किसी भी तरह नहीं तो इस वक्त यहां पर सब कुछ खत्म हो जाएगा ।
कोहरा : तुम चिंता मत करो मैं तुम्हें एक और जिंदगी दे सकता हूं लेकिन उसके लिए तुम्हें एक भारी कीमत चुकानी होगी ।
आध्या : जो कोई भी कीमत है मुझे मंजूर होगी क्योंकि अगर यहां पर मैं मर गई तो यह दुनिया कभी भी जिंदा नहीं रह पाएगी यह दुनिया इन राक्षसों के बीच जिंदा नहीं रह पाएगी जल्दी से अपनी शर्त बताइए ।
कोहरा : मेरी एक नहीं दो शर्ते हैं ।
आध्या : जितनी भी शर्ते हैं जल्दी बताइए मुझे मंजूर होगी ।
कोहरा : पहली की दूसरे जन्म में तुम्हें तुम्हारी आंखों में से एक भी आंसू नहीं निकलना चाहिए क्योंकि तुम्हारी आंखों का आंसू किसी की जान बचा सकता है तो तुम्हारी जान ले लेगा
आध्या : ठीक है और दूसरी ?
कोहरा : तुम्हें इन दोनों बच्चों को अपने से दूर करना होगा ।
आध्या : पर क्यों कहां जाएंगे बच्चे और कैसे आप समझने की कोशिश तो कीजिए आप सोच समझकर कहिए ।
कोहरा : मैं जो भी कह रहा हूं बहुत सोच समझकर कह रहा हूं दरअसल अगर यह बच्चे तुम्हारे साथ रहे तो उनकी जान खतरे में आ जाएगी मुझे पता है इन तीनों की सुरक्षा कर लोगी लेकिन बच्चों की नहीं कर पाओगी जब तक यह लोग अपनी सुरक्षा खुद करना नहीं सीख जाते तब तक तुम्हें इन्हें अपने आप से दूर रखना होगा ।
आध्या : आप समझने की कोशिश कीजिए यह गलत है ।
कोहरा : फैसला तुम्हारा या तो अभी की मौत या फिर इन बच्चों से फासला !
आध्या : ठीक है इस वक्त मेरी मौत सही नहीं है ना ही इस दुनिया के लिए और ना ही इन सब के लिए मुझे आपकी दोनों शर्तें मंजूर है ।
( इतना दिखा कर वह स्क्रीन अपने आप ही गायब हो गई तभी सब लोग हैरान और परेशान थे तभी अदिति ने कहा । )
अदिति : आध्या जी ने हमारे लिए बहुत कुछ किया लेकिन अब मेरी बारी है इस दुनिया के लिए करने की अब मैं बचाऊंगी दुनिया को राक्षसों से इन्हीं राक्षसों से लड़ने के लिए आध्या जी ने हम लोगों को अपने आप से दूर किया अब उनके इस त्याग का बदला मैं लूंगी उन राक्षसों से ।
मटिल्डा : मैं तुम्हारे साथ हुआ अदिति !
( अदिति का दृढ़ संकल्प देख सब लोग उसके साथ थे कुछ समय बाद अदिति ने बिल्कुल आपने कहे अनुसार सब कुछ ठीक कर दिया हर एक की जान ले ली जिसने आध्या को मजबूर किया था उन लोगों को दूर करने के लिए हर उस दरिंदे की जान ले ली जो कि उस दुनिया में अच्छाई के नाम पर कलंक था । उसने बुराई को ही खत्म कर दिया वह कहते हैं ना दर्द इंसान को बदल देता है इस तरह आध्या की तड़प और दर्द ने अदिति को बिल्कुल बदल दिया अदिति ने यह संकल्प ले लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए वह इस दुनिया में अच्छाई फैला कर रहेगी और वैसा ही किया और उस दुनिया में अच्छाई और सच्चाई फैला दी । )
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