बर्फ का वार

कुछ देर बाद वह एक बड़े से जंगल के सामने आकर रुक गए इसके आसपास एक बड़ी सी दीवार बनी हुई थी गाड़ी एक बड़े गेट के सामने खड़ी थी तभी वहां का गार्ड आया के गार्ड ने गाड़ी देखकर जंगल का दरवाजा खोल दिया तभी अदिति ने अंदर बैठे पूछा। )

अदिति : यह कैसी जगह है हम तो घर जा रहे थे ना ?

मुकेश : यही तो है घर ।

अदिति : इस जंगल में ?

आध्या : नहीं ही जंगल नहीं है यह गार्डन है ।

( ड्राइवर ने गाड़ी अंदर ले ली मटिल्डा चुपचाप बाहर देख रही थी उसे कुछ मतलब नहीं था अंदर क्या चल रहा है क्या नहीं वह सिर्फ वहां से जाना चाहती थी उसे वहां पर घुटन हो रही थी उसे ऐसा लग रहा था उसके सारे वह दिन उसके आगे आ रहे हों जब- जब उसने अदिति को अपने लिए परेशान होते देखा जब - जब मटिल्डा ने चुपचाप अदिति को रोते देखा तभी उन्हें पता भी नहीं चला अंदर चलते-चलते 15 मिनट बीत गए तभी अदिति ने कहा। )

अदिति : अब जंगल कब खत्म होगा 15 मिनट हो गए हैं हमें इस जंगल में घूमते घूमते ऐसा तो नहीं आप लोगों में एक जंगल घूमने आए हैं ।

अध्या : ऐसा कुछ भी नहीं है बस दो मिनट ।

( थोड़ी देर बाद गाड़ी दो महलों के आगे आकर रुख गई वहां पर दो महल थे एक बड़ा और एक छोटा बड़े महल में लगभग 100 कमरे होंगी और छोटे मे 50 कमरे होंगे ही जो कि बाहर से देखने से ही पता चला था तभी अदिति ने हैरान होते हुए कहा। )

अदिति : ( हैरानी से ) दो - दो महल सच में ये सब आप लोगों के हैं ?

अध्या : नहीं यह महल हम दोनों के नहीं है ।

अदिति : तो फिर हम लोग यहां क्यों आए हैं ?

मटिल्डा : समय बर्बाद करने के लिए ये नहीं चाहते कि मैं किसी से मिल पाऊं मैं बता रही हूं 2 घंटे बाद मैं निकल जाऊंगी उसके बाद चाहे किसी से मिल पाऊं या ना मिल पाऊं ।

मुकेश : बस कर मटिल्डा यह महल हम दोनो के नहीं हमारे हैं हम सबके ।

अदिति : सच में !

आध्या : जी लेकिन यहां पर इतने सारे लोग तो नहीं है ।

मुकेश : वह बड़ा महल देख रही हो वह अध्या ने उन लोगों के लिए बनाया है जिनके पास घर खरीदने की या फिर खाना खाने के पैसे ना हो और वह छोटा महल उधर हम रहते हैं मतलब हमारा परिवार और अब तुम भी वही रहोगे और तुम दोनों मतलब तुम दोनों ।

अध्या : हां मटिल्डा इस बार हम तुम्हें कहीं नहीं जाने देंगे।

( मटिल्डा बिना आध्या की बात सुन गाड़ी से उतर गई सब लोग भी गाड़ी उतर गए और घर की तरफ जाने लगे तभी मुकेश ने घंटी बजाई अंदर से मुकेश की पत्नी और अदिति की मां ने दरवाजा खोला अतिथि की मां का नाम था ओलिविया । ओलिविया एक शांत स्वभाव की लड़की थी लेकिन मुकेश ने उसे पहली बार गुस्से में देखा था इस वक्त ओलिविया बहुत गुस्से में थी और उसके गुस्से का कारण था मुकेश और आध्या कभी ओलिविया ने दरवाजा खोलते ही मुकेश को देखा और कहा। )

ओलिविया : अच्छा समय मिल गया घर आने का तुम तो घर छोड़ो कर एक चीज को भूल गए हो बस काम काम और काम और कुछ नहीं तुम्हारी जिंदगी में काम के अलावा कुछ रह नहीं गया है क्या हद होती है यार किसी चीज की मतलब तुम 10 दिन बाद घर आ रहे हो 10 दिन काम नहीं होते ।

मुकेश : इतना गुस्सा शांत हो जा ।

ओलिविया : अच्छा खुद चाहे तो जो मर्जी कर लो और अगर मैं थोड़ा सा नाराज हो गई तो इस तरह से बात कर रहे हो कोई जरूरत नहीं है घर में आने की बाहर ही रहो ।

( वही पीछे से एक भरी और गुस्से वाली आवाज आई वो आवाज और किसी की नहीं बल्कि माटिल्डा के बाबा अरनव कपूर था अरनव कपूर ने गुस्से में आध्या और मुकेश से वहीं सोफे पर बैठे हुए कहा। )

अरनव : बहुत ज्यादा हो गया है तुम दोनों का घर आने का तो नाम ही नहीं लेते ठीक है फिर जाओ कोई जरूरत नहीं है घर आने की लेकिन हैरानी की बात यह थी कि जब अरनव ने ये बोला तब उसकी आंखें बंद थी।

ओलिविया : देखा जाओ अब आने की कोई जरूरत नहीं है ।

मुकेश : अरे बाबा जब 10 दिन हमारे बगैर नहीं रह पाए तो हमें घर से निकाल कर कैसे रहोगे ?

ओलिविया : चुप रहो हम लोगों का क्या है हम लोग रह लेंगे तुम अपना देखो जाओ यहां से !

( इतना कह कर ओलिविया ने अपना मुंह फेर लिया मटिल्डा और अदिति वहां खड़े मन ही मन में हंस रहे थे तभी मुकेश ओलिविया के पास आने के लिए एक कदम बढ़ाया लेकिन ओलिविया ने उसे रोकते हुए कहा।)

ओलिविया : कोई जरूरत नहीं है आगे आने की यही से वापस लौट जाओ ।

अध्या : अरे वह हमें हमारे ही घर से निकाला जा रहा है ।

ओलिविया : बिल्कुल तुम्हें तुम्हारे ही घर से निकाला जा रहा है जाओ अब यहां से ।

आध्या : पहली बार तुम इतने गुस्से में लग रही हो ।

ओलिविया : अच्छा अब नाराज भी ना होऊं ।

( ओलिविया ने इतना कहा ही था कि तभी आध्या ने आसमान की ओर अपना हाथ किया आसमान से फूल गिरने लगे मटिल्डा और अदिति हैरानी से उन फूलों को देख रहे थे तभी उन फूलों ने ओलिविया का गुस्सा शांत कर दिया और जैसे ही फूलों के पंखुड़ियां अरनव के मुंह पर पड़ी अरनव ने भी अपनी आंखें खोल ली तभी अरनव ने भारी आवाज में कहा। )

अरनव : अच्छा तरीका है तुम्हारा हमारा गुस्सा शांत करने का

( तभी अरनव ने मटिल्डा और अदिति पर ध्यान दिया और कहा। )

अरनव : तुम दोनों कौन हो ?

( अरनव के कहने पर ओलिविया ने भी ध्यान दिया और कहा। )

ओलिविया : हां तुम दोनों कौन हो मैं तुम्हें पहली बार देखा और माफ करना मैंने ध्यान नहीं दिया दरअसल इन दोनों ने इतना गुस्सा करा रखा था ना कि किसी चीज पर ध्यान ही नहीं गया ।

अदिति : अरे कोई बात नहीं पहले बात तो सुन लीजिए ।

अरनव : कहोगी तो सुनेंगे ना जब चुपचाप खड़ी रहोगी तो कैसे सुनेंगे ?

अदिति : इतने सालों बाद भी आपका गुस्सा वही का वही है ।

अरनव : बकवास बंद करो और अपना नाम बताओ ।

आध्या : अरनव अब तुम्हारा गुस्सा करने के दिन गए यह अदिति और मटिल्डा है।

( अरनव अपनी जगह से खड़ा हो गया उसके पैर लड़ खड़ा रहे थे जैसे उसे बहुत बड़ा सदमा लगा हो ओलिविया तो वही पर जम गई थी तभी अध्या ने अपनी बात आगे बढ़ाई और कहा।)

आध्या : हां यह दोनों वापस आ गई मुझे नहीं पता था यह दोनों कभी वापस भी आएंगे या नहीं लेकिन आज सही में यह दोनों वापस आ गई इस बार असलियत में मैं झूठ नहीं बोल रही ।

अरनव : इनकी शक्ल से ही पता चल रहा है कि यह मटिल्डा और अदिति है लेकिन कैसे क्या मैं सपना देख रहा हूं ?

मुकेश : बिल्कुल नहीं इस बार आप सपना नहीं देख रहे सही में यह मटिल्डा और अदिति ही है ।

( अदिति जाकर ओलिविया के गले लग गई तभी ओलिविया फिर से होश में आई और उसने अदिति को और जोर से गले लगा लिया और कहा।)

ओलिविया : इतने सालों बाद तुम्हें देख बहुत अच्छा लग रहा है मुझे उम्मीद भी नहीं थी तुम वापस लौट कर आओगी।

(ओलिविया की आंखों में आंसू थे लेकिन तभी अदिति ने कहा।)

अदिति : अब वापस आ गई हूं तो इस तरह स्वागत करोगे अब आंखों में आंसू नहीं खुशी होनी चाहिए ।

( ओलिविया ने अपने आंसू पहुंचे और फिर अदिति जाकर अरनव के गले लग गई और कहा। )

अदिति : आपसे इतने सालों बाद मिलकर बहुत अच्छा लगा लेकिन आप बिल्कुल भी नहीं बदले वही खडूस ।

अरनव : अच्छा तो एक बार उसी नाम से बुलाओ मुझे बहुत अच्छा लगेगा मेरे कान तुम्हारे उस नाम से बुलाने के लिए तरस गए हैं ।

अदिति : बिल्कुल मेरे खडूस चांद

( अदिति की बात सुन सब लोग हंसने लगे तभी अरनव ने मटिल्डा को भी उसके गले लगने का इशारा किया मटिल्डा हिच - खिचाते हुए लग गई तभी अरनव ने कहा। )

अरनव : आज मिला सुकून मेरी दोनों बेटियां मेरे पास है।

( सब लोग अंदर आ गए और महल का दरवाजा भी बंद कर दिया इससे पहले की उन लोगों की खुशी पूरी हो पाती सामने एक दरिंदा अपने आप ही आ गया उसके आने से मानो भूकंप आ गया हूं जहां पर वह खड़ा था वहां की जमीन नीचे धस गई थी और जमीन पर लगी टाइल बुरी तरीके से चूर-चूर हो गई थी दरिंदे का एक हाथ अभी भी जमीन पर था हैरान की बात यह थी कि वह दरिंदा काले रंग का था उसके शरीर पर चोट के निशान थे जिससे साफ-साफ पता चल रहा था कि वह लड़ाइयां करता रहता है उसके चेहरे पर एक बड़ा सा चोट का निशान था जो की बहुत बड़ा दिख रहा था उस चोट के निशान ने उस दरिंदे को और भी डरावना और खतरनाक बना दिया था तभी उसने सीधा खड़े होते हुए कहा।)

दरिंदा : कितने समय बाद मिले आध्या कैसी है या तो बहुत याद क्या होगा तूने मुझे आध्या बिल्कुल एक तुम ही बच्चे हो याद करने के लिए क्यों आए हो यहां पर क्या चाहिए तुम्हें ?

( मुकेश, ओलिविया ,मटिल्डा और अदिति सब एक जगह खड़े हो गए तभी आध्या उन लोगों के आगे आकर खड़ी हो गई और कहा । )

आध्या : जल्दी बोलो मेरे पास तुम्हारे लिए व्यक्त करने के लिए समय नहीं है ।

दरिंदा : हां बिल्कुल मेरे लिए समय क्यों ही होगा लेकिन मेरे पास तो बहुत समय है तुम्हें खत्म करने के लिए ।

मटिल्डा : ( मन में ) इसका मतलब यह दुश्मन है ?

(आध्या ने अपने दोनों हाथ दरिंदे के तरफ किए आध्या के हाथों से पीले रंग की जादूई रोशनी निकलने लगी लेकिन अभी वो आध्या के हाथों तक ही सीमित थी। तभी दरिंदे के हाथों से भी लाल रंग की जादूई रोशनी निकलने लगी लेकिन दरिंदे ने हमला कर दिया आध्या को लगा दरिंदे का निशाना वो थी लेकिन आध्या गलत थी दरिंदे का निशाना आध्या नहीं बल्की मटिल्डा थी आध्या के पास समय नहीं था आध्या बिना कुछ सोचे समझे मटिल्डा के आगे आ कर खड़ी हो गई दरिंदे का वार जाकर सीधा आध्या को लगा आध्या जाकर अरनव के पैरों में गिरी ये सब इतना तेज हुआ की किसी को कुछ समझ ही नहीं आया मटिल्डा तो वहीं जम गई थी मटिल्डा को छोड़ बाकी सब नीचे आध्या के पास बैठ गए और आध्या को उठाया धीरे-धीरे अध्या उठकर जमीन पर बैठी तभी दरिंदे ने मन में सोचा)

दरिंदा : ( मन में ) मेरा काम हो गया इतना कह कर दरिंदा वहां से गायब हो गया।

( आध्या हैरानी से दरिंदे को देखने लगी और दर्द में कहा।)

आध्या : (दर्द में ) कैसे हो सकता है कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही ये अपनी जीती हुई बाजी बीच में छोड़कर चला गया कैसे ?

अरनव : शायद तुमसे डर गया होगा इसलिए चला गया।

( तभी अतिथि ने मटिल्डा को वही जमा हुआ देखा अदिति उठी और मटिल्डा के कंधे पर हाथ रखा जिसके कारण मटिल्डा को होश आया तभी अदिति ने कहा। )

अदिति : क्या हुआ कहां खो गई ?

मटिल्डा : कहीं नहीं आप ठीक तो है ना ?

( मटिल्डा ने अध्या की तरफ देखते हुए पूछा। )

आध्या : ( खड़ी होते हुए ) मैं ठीक हूं

( मटिल्डा ने अध्या को गले लगा लिया और कहा। )

मटिल्डा : आज पता चला आपकी मजबूरी क्या रही होगी सही में बहुत गलत समझा था मैंने आपको ।

( अध्या मुस्कुराने लगी और मटिल्डा को गले लगा लिया आखिर अध्या थी तो मां ही उसे लगा था उसकी बेटी कभी उसे माफ नहीं करेगी लेकिन आज उसने पहली बार खुद को गलत साबित होते हुए देखा था तभी आध्या ने मटिल्डा से दूर होते हुए कहा। )

आध्या : अब तो हमें छोड़कर नहीं जाओगी ना ?

मटिल्डा :( हंसते हुए ) बिल्कुल नहीं मैं अपने परिवार को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी ।

अदिति : यह हुई ना बात अब आएगा मजा सबके साथ रहने में ।

अरनव : लेकिन अदिति ध्यान रखना है कि.... ।

अदिति : हमेशा अपना काम पूरा करना है और बढ़ो की बात मानी है मुझे अच्छे से याद है आपकी एक-एक लाइन हर एक चीज ।

मुकेश : सबकी याद है एक हमारी नहीं हमें भूल चुकी है ।

अदिति : आपको भूल सकते हो सोच लीजिए आपको विश्वास सारी बातें याद करा कर ही कराया था।

( मटिल्डा ने आध्या की तरफ देखा और कहा। )

मटिल्डा : तो फिर मेरी शक्तियां कब लौट रही है मुझे मैं भी आपकी तरह इस दुनिया की रक्षा करना चाहती हूं।

( अदिति मटिल्डा को हैरानी से देख रही थी लेकिन उसने कुछ नहीं कहा तभी अरनव ने कहा। )

अरनव : बहुत अच्छी बात है कि तू अपनी मां की तरह बनना चाहती हूं लेकिन एक चीज़ है जिसमें तुम अपनी मां पर बिल्कुल मत जाना ।

( अध्या ने अरनव को देखा और कहा।)

अध्या : और वह क्या है ?

अरनव : वह यह कि तुम अपनी मां की तरह भावुक मत होना अपनो को बचाने के लिए यह कुछ भी कर लेती है ।

मटिल्डा : जी बिल्कुल आपकी बात कैसे टाल सकती हूं ।

( वहीं दूसरी तरफ एक बर्फ का कैमरा था जिसमें चारों तरफ सिर्फ और सिर्फ बर्फ थी उसके बीच एक लड़की बेहोश पड़ी थी तभी उस लड़की को होश आया हैरानी की बात यह थी कि वह लड़की और कोई नहीं मटिल्डा थी मटिल्डा हिम्मत करते हुए अपनी जगह से उठी और अपने दोनों हाथों को आपस में बनने रगड़ते हुए कहा। )

माटिल्डा : यहां पर तो बहुत ठंड है मैं कहां हूं ?

( तभी उस कमरे में एक आवाज गूंजी। )

आवाज : तुम मेरी कैद में हो और जल्दी मर जाओगी !

माटिल्डा : (डरते हुए) कौन हो तुम सामने आओ छुपी क्यों हुई हो मुझसे डर गई क्या पीछे से तो कायर हमला करते हैं तुम भी कायर हो है ना !

( मटिल्डा ने इतना कहा ही था कि तभी उसके सामने एक सफेद रंग की बर्फ से बनी महिला आ गई जिसके सर पर एक मुकुट था जो की बिल्कुल सफेद था उसे देखने से ही पता चल रहा था कि वह बर्फ से बनी है मटिल्डा उसे देखकर बहुत डर गई और पीछे हो गई तभी उस महिला ने मटिल्डा का गला पकड़ लिया और पीछे बनी बर्फ की दीवार तक ले गई और कहा। )

महिला : मैं कायर नहीं हूं बर्फीला हूं इस बर्फ की रानी

मटिल्डा : ( दर्द में ) बर्फीला !

( तभी बर्फीला ने मटिल्डा को छोड़ा मटिल्डा भी अपनी जगह से खड़ी हो गई तभी बर्फीला ने कहा।)

बर्फीला : इतनी आसान मौत नहीं दूंगी तुम्हें मौत तो भयंकर ही होनी चाहिए चिंता मत करो इतनी आसानी से मरने नहीं दूंगी।

( ठंड के कारण मटिल्डा को सांस लेने में दिक्कत आ रही थी मटिल्डा लंबी-लंबी सांस ले रही थी तभी मटिल्डा ने लंबी सांस लेते हुए कहा।)

मटिल्डा : ( लंबी सांस लेते हुए ) क्या चाहती हो तुम क्यों कर रही हो यह सब ।

आखिर क्या चाहती है ?

बर्फीला क्या मक्सद है उसका ?

वो बाहर खड़ी मटिल्डा कोन थी ?

कहां से आई है वो ?

जानने के लिए पढ़िए " साथ में जीत साथ में जादू "

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