( तभी कारखाने के दरवाजे को बाहर से किसी ने खोला बाहर से तेज रोशनी माटिल्डा और अतिथि के आंखों में पड़ रही थी तभी जो भी था उसने दरवाजा बंद किया और फिर कारखाने की लाइट ऑन कर दी सामने अध्या ही थी तभी अदिति ने पूछा। )
अदिति : वहां पर क्या चल रहा था आपने हमें बांधकर यहां क्यों भेजा ?
अध्या : माफ करना वहां पर मेरा एक दुश्मन आ गया था अगर उन्हें पता चला कि मैं तुम्हें जानती हूं तो वह तुम्हें मार देते ।
माटिल्डा : लेकिन ऐसा क्यों ?
अध्या : उसके लिए तुमने मेरे बारे में तुम्हारे बारे में सब कुछ जानना ना होगा ।
अदिति : वह सब बाद में पहले यह बताइए मेरे मम्मी पापा कहां है क्या मैं मिल पाऊंगी उनसे ?
अध्या : तुम्हें उनसे भी मिलवांगी अदिति लेकिन इस वक्त नहीं ।
अदिती : लेकिन क्यों ?
अध्या : क्योंकि अभी रात हो चुकी है और जहां पर मैं रहती हूं वहां पर इतनी रात को आना-जाना माना है ।
मटिल्डा : यह कैसा नियम हुआ अपने ही घर में कोई नहीं जा सकता ?
आध्या : अब क्या करूं मैं भी फंस जाती हूं कभी-कभी मेरा ही घर है वैसे तो लेकिन मैं ही वहां पर रात को 10:00 बजे के बाद नहीं जा पाती ।
अदिती : लेकिन क्यों ?
अध्या : वह तो तुम्हें एक कल घर जाकर ही पता चलेगा ।
मटिल्डा : इसका मतलब आप हमें कल अपने घर ले जा रही है ?
अध्या : अपने घर नहीं चलोगे ?
अध्या : आपको सही में लगता है मैं ही आपकी बेटी हूं लेकिन क्यों ?
अध्या : हां जो परीक्षा मुझे अपनी बेटी के लेनी थी वह मैं ले चुकी हूं मुझे पता चल गया तुम ही मेरी बेटी हो।
मटालिदा : परीक्षा! कौन सी परीक्षा अब कब ली आपने परीक्षा ?
अध्या : मैंने तुम्हारी परीक्षा तब ली जब अदिति ने मुझे कहा कि तुम मेरी बेटी हो लेकिन अब उन सब चीजों के बारे में जानने के लिए भी तुम्हें मेरे बारे में सब कुछ जानना होगा ।
( तभी अदिति ने अपना सर पकड़ लिया और कहा । )
अदिति : जब आपके बारे में सब कुछ जानना ही होगा तो बताइए ना किसका इंतजार कर रही है ?
आध्या : तुम्हारी आज्ञा का जब तक तुम आज्ञा नहीं दोगी तब तक कैसे बता सकती हूं मैं ?
मटिल्डा : कृपया करके बताइए हम लोग आपका इंतजार कर रहे हैं।
आध्या : तो फिर ठीक है यह कहानी बहुत ज्यादा मतलब बहुत ज्यादा ही अजीब है तो प्लीज यह मत कहना मैं झूठ बोल रही हूं क्योंकि एक एक चीज जो मैं अब खाने वाली हूं 100% सच है ।
अदिति : कहिए हम आपका इंतजार कर रहे हैं ।
आध्या : अभी नहीं शांति रखो।
मटिल्डा : अब किस चीज की शांति जल्दी बताई है हम इंतजार कर रही हैं ?
( अध्याय ने अपने जादू की मदद से कुर्सियां मंगवाई और दोनों से कहा । )
अध्या : अब बातचीत बहुत लंबी है आराम से बैठकर करते हैं ।
( अदिति, मटिल्डा और आध्या कुर्सियों पर बैठ गए तभी उनके बीच एक गोल मेज अपने आप ही प्रकट हो गई अध्या ने अपने दोनों हाथ मेज पर रखते हुए कहा । )
आध्या : अच्छा तो सुनो एक ऐसी कहानी जो की सच्ची है लेकिन झूठी लगती है एक कहानी जो बहुत मुश्किलों से भरी है लेकिन सच्ची है।
मटिल्डा : पहेलियां बुझाना बंद कीजिए और साफ-साफ बताइए कहना क्या चाहती है ।
आध्या : सुनना चाहती हो ना तो सुनो यह कहानी की की है जब मैं खुद 25 साल की थी मुझे नहीं पता मेरे साथ क्या हुआ था लेकिन 25 साल बाद मैं जब अपनी आंख एक घने जंगल में खोली तब मेरे आस-पास कोई भी नहीं था सिवाए उन बड़े घने पेड़ों के चिड़िया की चहचहाट सुनाई दे रही थी लेकिन इधर-उधर देखने पर एक भी चिड़िया दिखाई नहीं दे रही थी उस वक्त पूरे जंगल में घना कोहरा छा गया कोहरा इतना तेज था मानो अपना हाथ भी ना देख पा रहे हो मैं 25 साल की थी तो बहुत डर गई तभी उस कोहरे से आवाज आई ।
कोहरा : यह दुनिया तुम्हारी है तुम तुम्हें इस दुनिया का ख्याल रखना है इसलिए मैं तुम्हें जादुई शक्तियां दे रहा हूं तुम्हारे पास जादुई शक्तियां है तुम खुद उसका इस्तेमाल करना सीखो उसके बाद तुम्हें वही करना होगा जो मैं कहूंगा ।
आध्या : उस वक्त में बहुत छोटी थी इसलिए मैंने उस कोहरे से सवाल किया ।
आध्या : क्यों मैं तुम्हारी बात क्यों मानूंगी और मैं इस दुनिया की जिम्मेदारी क्यों लूं ।
( तभी उस कोहरे से एक आवाज आई । )
कोहरा : तुम इस दुनिया की जिम्मेदारी इसलिए लोगी क्योंकि तुम्हारी जान इस दुनिया की जान में बसी है मतलब तुम्हें जब तक तुम जिंदा हो तब तक यह दुनिया चल रही है जिस पल जिस समय तुम्हारी सांसे रुकी उसे पाल उस समय तुम्हारी यह दुनिया भी रुक जाएगी इस दुनिया के लिए तुम्हें अपने आप को परखना होगा जानना होगा इस दुनिया के लोगों को बचाना होगा ।
अध्या : लेकिन किस से बचाना होगा मुझे इस दुनिया को ?
कोहरा : एक ऐसे दुश्मन से जो की हर पल तुम्हें मार कर इस दुनिया को हटाने की कोशिश कर रहा है।
( इतना कहकर कोहरा वहां से गायब हो गया तभी अदिति ने पूछा । )
अदिति : एक ऐसा दुश्मन जो कि इस दुनिया को हथियाना चाहता है मतलब उसके पास भी जादू शक्तियां है ?
( अध्या ने अपना सिर हिलाया तभी माटिल्डा ने पूछा। )
माटिल्डा : मतलब जब तक आप जिंदा है तब तक यह दुनिया जिंदा है मतलब आपकी सांसों से इस दुनिया की सबसे जुड़ी है ?
अदिति : इसका मतलब आप इस दुनिया के भगवान है ?
आध्या : अरे ये तुम क्या कह रही हो अदिति मैं भगवान कैसे हो सकती हूं भगवान तो वह है ना जो जैसा चाहे वैसा कर सकता है लेकिन मेरे पास वह शक्ति नहीं है मैं केवल लोगों की रक्षा कर सकती हूं मतलब मैं इस दुनिया की रक्षक हुई भगवान नहीं ।
माटिल्डा : लेकिन अभी-अभी जो आपने किया मतलब अदिति को बांधा और हमें उस वक्त रेलगाड़ी में चढ़ाया उन सब का इससे क्या मतलब है ?
अध्या : जरा आगे सुनो लगभग 5 साल बाद यानी कि तब जब मैं 30 साल की हो गई थी तब मेरी मुलाकात हुई तुम्हारे पापा से !
माटिल्डा : पापा !
आध्या : हां हम दोनों का प्रेम विवाह हुआ था हम दोनों 30 की उम्र में एक दूसरे से मिले और 32 की उम्र में हमने शादी की थी लेकिन मुझ में उस वक्त हिम्मत नहीं थी कि मैं तुम्हारे पापा को यह बता सकूं कि मेरे पास जादुई शक्तियां है ।
अदिति : लेकिन क्यों यह तो कितनी अच्छी बात है कि आपके पास जादुई शक्तियां है इसमें छुपाने वाली क्या बात है ?
आध्या : अगर इसके पापा को सब कुछ पता चल जाता है तो उनकी जान खतरे में आ जाती बिल्कुल उसी तरह अब सब लोगों की जान खतरे में है सब लोगों कीमाटिल्डा मतलब ?
आध्या : मेरी, तुम दोनों की ,अदिति तुम्हारे मम्मी पापा की ,माटिल्डा तुम्हारे पापा की भी सब की जान खतरे में है ।
अदिती : लेकिन ऐसा क्यों ?
आध्या : उसके आगे तुम्हें सुना होगा।
अदिति : तो इंतजार किसका कर रही है बताइए क्या हुआ था ।
आध्या : कुछ समय बाद मुझे पता चला मैं मां बनने वाली हूं तभी मैंने फैसला लिया अब मैं तुम्हारे पापा से कुछ नहीं छुपाऊंगी सब कुछ सच-सच उन्हें बता दूंगी जैसा मैंने फैसला किया था मैंने सब कुछ तुम्हारे पापा को बता दिया जैसा की उम्मीद की तुम्हारे पिता ने मुझे अपना लिया उन्हें मेरे पास जादुई शक्तियां होने से कोई एतराज नहीं था लेकिन मुझे था क्योंकि मेरी वजह से अब उनकी सबकी जान खतरे में थी ।
मटिल्डा : पापा ठीक तो है ना ?
आध्या : अभी तक तुम्हारे पापा ठीक है लेकिन मुझे नहीं पता आगे क्या होगा लेकिन उस वक्त हमारी दुश्मन को मेरा और तुम्हारे पापा दोनों का सच पता चल चुका था जब तक मैं 32 साल की थी तब तक दुश्मनों को मेरा सच नहीं पता था वह लोग मुझे ढूंढ ही रहे थे लेकिन जैसे ही मैं तुम्हारे पिता को अपनी सच्चाई बताई उन्हें भी पता चल गया तब से वो लोग मेरे और तुम्हारे पिता के पीछे पड़े हैं इस दुनिया को हथियाने के लिए ।
अदिति : तो क्या उस वक्त जब आपने मुझे बांध उस वक्त वहां पर कोई दुश्मन थे ।
आध्या : हां उसे वक्त वहां पर दुश्मन थे इसलिए मुझे ऐसा नाटक रचना पड़ा।
मटिल्डा : मुझे माफ कर दीजिए मैंने आपको कितना कुछ कह दिया।
आध्या : माफी तो मुझे मांगनी चाहिए क्योंकि अभी आगे जो होने वाला है वो माफ करने के लायक नहीं है जरा आगे तो सुनो तो ।
अदिति : अब हमें सच्चाई पता चलेगी कि आपने क्यों हमें उस रेलगाड़ी में भेज दिया था ।
मटिल्डा : हां
अध्या : अब पता चलेगा तुम्हें वह राज़ जो अब तक सुलझा नहीं जो अब तक इस दुनिया की नजरों से दूर था ।
मटिल्डा : पहेलियां मत बुझाएं आगे बोलिए मुझे पता है आपको पहेलियां बुझाने की आदत है ।
आध्या : ठीक है अब कोई पहेली नहीं बुझा रही कुछ समय बाद जैसे तैसे बचते बचाते हम लोगों ने माटिल्डा को पैदा किया वह रात बहुत काली थी लेकिन सुंदर भी उस रात बारिश हो रही थी लेकिन पंछी चहचाह रहे थे अक्सर रात को पंछी नहीं चाहते लेकिन उस वक्त लग रहा था जैसे रात नहीं दिन हो मानो रात में दिन का नजारा हो जब मैं पहली बार तुम्हें अपनी गोद में लिया तभी तुम्हारे पिता भी मेरे साथ ही थे । तभी आसपास कोहरा छाने लगा हैरानी की बात यह थी कि जब भी कोर चाहता था मेरे पास आसपास कोई होता है तो वह जम जाता लेकिन इस बार तुम्हारे पिता नहीं जमे थे तभी कोहरे से आवाज आई ।
कोहरा : बधाई हो तुम्हारी बेटी तुम्हारी शक्तियां आगे बढ़ाएगी यही तुम्हारी वंशज होगी !
अध्या : जब कोहरे ने वंशज होगी कहा तब चारों तरफ आवाज एक गूंज रही थी कोहरा वहां से गायब हो गया तभी तुम्हारे पिता ने कहा।
पिता : इसका मतलब आगे हमारी बच्ची को भी शक्तियां मिलेगी ।
अध्या : हां!
अदिति : इसका मतलब माटिल्डा के पास भी शक्तियां है ?
मटिल्डा : नहीं तो मेरे पास तो कोई शक्ति नहीं है अभी तक तो मुझे कुछ पता ही नहीं मैं तो पहली बार शक्तियों के बारे में सुन रही हूं ।
आध्या : ऐसा इसलिए क्योंकि मैंने तुम्हारे ऊपर ऐसा जादू किया था जिससे जब तक मैं ना चाहूं तब तक तुम अपनी शक्तियों का इस्तेमाल न कर सको ।
अदिती : लेकिन ऐसा क्यों ?
आध्या : क्योंकि उस रात जिस रात में हमने तुम्हें और माटिल्डा को उस रालीगाढ़ी में चढ़ाया था उस दिन एक ऐसी घटना घटी जिसने मुझे और तुम्हारे माता-पिता को तुम्हें यहां से भेजने पर मजबूर कर दिया।
मटिल्डा : तो अब पता चलेगी आपकी मजबूरी लेकिन सबसे पहले यह बताइए आपने मेरी परीक्षा कब ली और कैसे कहीं ऐसा तो नहीं आपने वह परीक्षा भुलवा दी ।
आध्या : नहीं तुम्हारी परीक्षा वैसी परीक्षा नहीं थी।
( आध्या ने अपने कोर्ट का बाजू ऊपर किया और अपने हाथ पर बना स्वास्तिक का चिन्ह माटिल्डा और अतिथि को दिखाते हुए कहा। )
आध्या : यह चिन्ह यह चिन्ह थी तुम्हारी परीक्षा ।
अदिति : में माटिल्डा जरा ध्यान से देखो तुम्हारे हाथ पर भी बिल्कुल ऐसा ही चिन्ह है ।
मटिल्डा : है तो सही लेकिन इस चिन्ह से क्या पता चलता है ?
आध्या : यह कोई आम चिन्ह नहीं है माटिल्डा ये चिन्ह बहुत खास है इस चिन्ह की वजह से मुझे मेरी बेटी मिली और तुम्हें तुम्हारी शक्तियां मिलेगी।
अदिति : मतलब माटिल्डा भी जादू कर पाएगी ?
आध्या : हां !
मटिल्डा : लेकिन मुझे जादू नहीं करना ।
आध्या : यह तो और भी अच्छी बात है माटिल्डा क्योंकि मैं भी नहीं चाहती तुम जादू सीखो ।
अदिति : ऐसा क्यों ?
आध्या : क्योंकि जादुई शक्तियों वाले इंसान की जिंदगी आसान नहीं होती ।
अदिति : रहने दीजिए जिंदगी किसी के साथ नहीं होती हमें पता है हम दोनों ने आप लोगों के बगैर किसी तरह अपनी जिंदगी गुजारनी भी आसान नहीं थी ।
आध्या : मुझे माफ करना लेकिन उस वक्त तुम्हारी जान बचाने के लिए हमें यह करना पड़ा ।
मटिल्डा : आप आगे बताइए क्या हुआ था और सब कुछ सच बताना क्योंकि आपकी बातों से लग नहीं रहा आप कुछ भी सच बोल रही है ।
( आध्या दुखी मन से मटिल्डा को देख रही थी तभी उसने कहा । )
आध्या : मुझे पता है तुम्हें मेरे ऊपर विश्वास नहीं है तुम्हें तो यह भी विश्वास नहीं है कि मैं तुम्हारी मां हूं ।
मटिल्डा : बिल्कुल सही मुझे आपके ऊपर एक प्रतिशत थी विश्वास नहीं है।
अदिति : मटिल्डा ये तू क्या बोल रही है इतने समय बाद तो अपनी मां से मिली है और अब इस तरह से बात कर रही है ?
मटिल्डा : मां वह नहीं होती जो बीच रास्ते में छोड़ देती है मां वह होती है जो साथ देती है और इन्होंने तो मुझे छोड़ और वापस लेने भी नहीं आई भूल गई अपनी बच्ची को ये मां के नाम पर धब्बा है।
आध्या : उसमें भी मजबूरी थी ।
मटिल्डा : तो वही तो पूछ रही हूं क्या मैं मजबूरी थी साफ-साफ बता दीजिए ।
आध्या : ठीक है मैं तुम्हें सब कुछ बचा हुआ सच बताती हूं ।
मटिल्डा : इंतजार कर रही हूं मैं थोड़ा जल्दी बताएंगे तो आपका और हमारा दोनों का समय बचेगा ।
अदिति : मटिल्डा तो ऐसे कैसे बात कर सकती है वह तेरी मां हैं।
मटिल्डा : मुझे भी पता है मां है मेरी अब चुप रहो ।
अदिति : मटिल्डा तुम मुझसे इस तरह से क्यों बात कर रही है मैंने क्या किया ?
मटिल्डा : तुम्हारी वजह से ही मैं यहां पर यह सब कुछ सुना पड़ा रहा है अब जरा चुप बैठो और उनकी मजबूरी सुनने दो मैं भी तो देखूं क्या बहन मरती है ?
आध्या : अभी तक तो कोई बहाना नहीं था और ना ही आगे होगा ।
अदिति : मिसिज कपूर कृपया आप अपनी बात बताएं इसकी बात पर विश्वास मत कीजिए पागल है ये तो ।
आध्या : ठीक है तुम जानना ही चाहती हो तो मैं बता देती हूं लेकिन एक-एक बात सच बोल रही हूं ।
मटिल्डा : आगे बोलिए !
आध्या : उस रात जिस रात हमने तुम्हें उसे रेलगाड़ी में चढ़ाया था उससे उस दिन एक ऐसी घटना घटी जिसने हमें वह कदम उठाने पर मजबूर किया हम लोग सुबह एक गांव में गए हुए थे हम लोग एक झोपड़ी में रह रहे थे ताकि कुछ समय उन दरिंदों से बच सके और तुम लोगों को सुरक्षित रख सके ।
अदिती : लेकिन मैं क्यों मतलब मेरा तो शक्तियों से कोई नाता नहीं है ?
आध्या : तुम इसलिए क्योंकि उन लोगों को गलतफहमी थी कि तुम या फिर मटिल्डा दोनों में से एक के पास शक्तियां है उस श्याम तुम और मटिल्डा बाहर खेल रहे थे अदिति तुम्हारी मां की नजर तुम्हारे और माटिल्डा के ऊपर थी तभी पता नहीं कैसे लेकिन मटिल्डा के हाथ में एक पत्थर आया जो कि छोटा था उस पत्थर को तुमने इतनी जोर से फेंका की सामने वाले पेड़ में छेद हो गया अदिति और उसकी मां बहुत डर गए थे तभी उन्होंने अंदर से मुझे बुलाया सारी बात जानने के बाद मुझे लगा कि तुम्हारे ऊपर एक ऐसा सुरक्षा कवच डाल देना चाहिए जिससे जब तक मैं ना चाहूं तब तक तुम अपनी शक्तियां इस्तेमाल न कर सको तुम बहुत छोटी थी इसलिए तुम्हें शक्तियां इस्तेमाल करने देना बहुत ज्यादा खतरनाक था तुम्हारे लिए नहीं तुम्हारे आसपास रहे लोगों के लिए लेकिन जैसे ही मैंने तुम्हारे ऊपर सुरक्षा कवच डाला उन लोगों ने मेरी शक्तियों की ऊर्जा को पहचाना और हम तक पहुंच गए मैंने उन लोगों से लड़ने की बहुत कोशिश की लेकिन बदकिस्मती से उस वक्त मैं कमजोर थी और वह ताकतवर जिसके कारण हम चारों को बहुत चोट आई थी लेकिन जैसे तैसे हम लोग उसे रेल की पटरी तक पहुंचे और तुम दोनों को उस रेलगाड़ी में चढ़ा दिया तुम दोनों की सुरक्षा के लिए उस वक्त वही ज़रूरी था मैंने अपनी जादुई शक्तियों की मदद से तुम्हारा दिमाग से वह सब कुछ मिटा दिया था जो कि तुम्हारे सामने हुआ था ।
अदिती : लेकिन ऐसा क्यों ?
अध्या : क्योंकि अगर तुम्हें वह सब याद रहता तो तुम लोगों के लिए जिंदगी जीना और भी मुश्किल हो जाता उस वक्त राक्षस से बचने के लिए मैंने तुम दोनों के नकली पुतले बनाए अब उन राक्षसों को लगता है कि तुम दोनों मर चुके हो क्योंकि उस वक्त मैंने वो पुतले उन लोगों के हवाले कर दिए थे।
मटिल्डा : इतनी आसानी से ?
आध्या : नहीं मैं उन पुतलों को बचाने की भी कोशिश की थी लेकिन मेरी शक्तियां कमज़ोर थी मैं कुछ नहीं कर सकती थी ।
मटिल्डा : झूठ आपकी शक्तियां कमज़ोर हो ही नहीं सकती ।
अदिति : माटिल्डा तू ऐसे कैसे कह सकती है क्या पता सही में उनकी शक्ति कमजोर हो ।
मटिल्डा : दिख नहीं रहा सफेद द झूठ बोल रही है ।
आध्या : यहां पर एक भी बात झूठी नहीं है क्योंकि उस रात एक खास रात थी जो की थी नील चंद्र रात्रि ।
अदिति : नील चंद्र रात्रि! मेंने पढ़ा है उस रात पर अच्छी शक्तियों की शक्तियां कम होती है ।
मटिल्डा : अपनी कहानियों में पड़ी बातें मत बता मुझे भी पता है तू यह सब बातें कहानी में पढ़ती है ।
अदिति : माटिल्डा तुझे ऐसा क्यों लगता है कि हर चीज एक मजाक है यहां पर सच में सब कुछ हो रहा है की कोई कहानी नहीं है ।
मटिल्डा : अदिति अपनी बकवास बंद कर तुझे अपनी मम्मी पापा से मिलना था कल मिल और फिर चल यहां से मैं यहां पर ज्यादा देर नहीं रख सकती ।
आध्या : ये तुम क्या कह रही हो मैं कोई कहानी नहीं बना रही सच में तुम्हें यहां से जाने की जरूरत नहीं है ये तुम्हारा ही घर है ।
अब क्या करेगी मटिल्डा ?
सच्चाई जानने के बाद क्या करेगी मटिल्डा ?
क्या वह सही में सबसे दूर चली जाएगी ?
क्या मिलने के बाद भी दूर हो जाएंगे मां बेटी ?
जानने के लिए पढ़िए "साथ में जीत साथ में जादू। "
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