Chapter -20

विक्रम भारी मन से कमरे से बाहर निकल तो आया,वो अनीता को रोता हुआ छोड़ आया था उसने अपने दिल पर पत्थर रख लिया था, लेकिन वो जानता था कि अपनी बेटी को पाने के लिए ये करना बहुत जरूरी था !!!!

मोहन बाहर खड़ा था कार के पास .. विक्रम को कार की तरफ आते हुए देखकर बोला " सर !! मै अपने साथ कुछ आदमी ले लूं ???

विक्रम कार के पास आकर " तुमसे कहा तो है मैंने कि मैं अकेला ही जाऊंगा !!!! तुम यहीं बंगले पर रहना और किसी भी बात से चूकना मत !!!!

मोहन" ठीक है साहब !!!!

विक्रम ने कार की ड्राइविंग सीट पर बैठ कर कार स्टार्ट की और तेजी से बंगले से बाहर निकल गया और कार तेजी रफ्तार से सड़क पर दौड़ा दी !!!

दुसरी तरफ...

सिया को बिस्तर पर करवटें बदलते देखकर युवराज उठ कर बैठ गया और सिया को अपनी साईड करता हुआ बोला " मैं जान सकता हूं कि तुमको नींद किस लिए नहीं आ रही ????

युवराज की बात सुनकर सिया उठ कर बैठ गई और बोली" कैसे नींद आयेगी युवराज ??? मुझे बहुत फ़िक्र है मेरे पापा की !!!

युवराज थोड़ा खीझ कर " तुम्हें फ़िक्र है समझ आता है लेकिन वो तुम्हारा बाप फ़िक्र के लायक है भी ????? कितनी बार तुमको समझा चुका हूं कि वो एक खूनी और रेपिस्ट है !!!!! लेकिन तुम पर असर ही नहीं होता मेरी बात का !!!!

सिया थोड़ा तेज आवाज में" वो खूनी और रेपिस्ट है ये अभी साबित नहीं हुआ है समझे तुम !!!!!!

युवराज गुस्से से " तो हम यहां फिर झक मार रहे हैं चलो जाओ फिर अपने बाप के पास ,उसके गले में फूलों की माला डाल कर उसकी पूजा करो !!!!

युवराज गुस्से से खिड़की की तरफ मुंह करके खड़ा हो गया!!!

सिया भी खड़ी हो गई और युवराज के पास आकर बोली " मुझे तुम्हारा ये गुस्से से कुछ भी बोलना अच्छा नहीं लगता !!

युवराज सिया की तरफ मुंह करके" तो फिर क्या बोलूं ???

सिया " ठीक है जो भी कीर्ति के साथ हुआ है वो सब सच है लेकिन उसमें मेरे पापा कितने इनवाल्व है ये तो पता नहीं है ना !!!!

युवराज झल्ला कर" दिलावर सिंह और बिलाल सबूत है ना इतने बड़े !!! जिन्होंने ये सब होते हुए देखा !!! और क्या सबूत चाहती हो तुम ?? सबूत नहीं तुम सिर्फ अपने बाप के बारे में सोचती हो सिया .... मेरे साथ हुई बेइंसाफी नहीं !!!!

सिया " ऐसा नहीं है युवराज !! अगर मैं तुम्हारे साथ जो भी हुआ उसके बारे में ना सोचती तो आज तुम्हारे साथ ना खड़ी होती !!!

युवराज" तो फिर सिया बार बार एक ही बात दोहराना ठीक है क्या ????

सिया " बस मुझे ये दिलावर सिंह और बिलाल पर भरोसा नहीं !!!!!!

युवराज" तो अब तय हो तो गया कि तुम्हारा बाप यहां आयेगा और दिलावर सिंह और उसके बीच सुलह होगी बस... फिर हमारी शादी !!!!

सिया " अगर दिलावर सिंह की ये बात झूठी निकली ,और उसने मेरे पापा को मार दिया या बंदी बना लिया,तो ??????

युवराज" तो मैं हूं ना यहां तुम्हारे साथ !!! मैं कुछ भी ग़लत नही होने दूंगा , तुम्हारे बाप की जान को कोई खतरा नही होगा ,जब मैंने कह दिया तुमसे तो तुमको मुझ पर तो भरोसा है ना ???? ये वादा मैंने सिर्फ तुम्हारे लिए लिया है नहीं तो मैं तुम्हारे बाप को उसी के अड्डे पर मार देता !!!

सिया मुस्कुरा कर युवराज के गले से लग गई ! युवराज ने भी उसे कस के अपने गले से लगा लिया !!

युवराज " चलो अब तो सो जाओ और अब कुछ भी अजीब मत सोचना !!

सिया बिस्तर पर लेट गई बिस्तर पर लेटते ही उसे नींद आ गई ! युवराज उसके साथ से धीरे से उठ कर बिस्तर से नीचे उतरा और दरवाजा खोल कर सीढियों से नीचे आ गया और दिलावर सिंह के कमरे के बाहर आकर उसने धीरे से दरवाजा खटखटाया ... अंदर से आवाज आई " आ जाओ !!!!

दिलावर सिंह बिस्तर पर बैठा हुक्के के कश ले रहा था !!

युवराज उसके पास आकर" तुम सोये नहीं अभी ??

दिलावर सिंह" तुम भी तो सोये नहीं !!!! मैं तो सुबह होने का इंतजार बड़ी बेसब्री से कर रहा हूं क्योंकि मेरी बरसों की मुराद पूरी होने वाली है ! तुम भी मेरी तरह ही सोच रहे होंगे !!

युवराज" दिलावर सिंह!! थोड़ा प्लान में बदलाव करना है !!!! विक्रम मेरा भी दुश्मन है लेकिन सिया के लिए उसे कैद नहीं करना है मेरे पास एक प्लान है !!

दिलावर सिंह गंभीर होकर" बोलो !!!!!

युवराज" देखो हमारा मकसद विक्रम को बर्बाद करना ही है ना !!! उसकी ताकत उसकी बेशुमार दौलत है तो हम उसको अगर ये बोले कि सिया हमारे क़ब्जे में है तो अपनी सारी दौलत हमारे नाम कर दे बस बिना दौलत के उसकी ताकत खत्म, और दुसरा सिया उसके पास जायेगी नहीं ,वो मेरे साथ है तो वो वैसे ही अधमरा हो जायेगा तो फिर उसे छोड़ देंगे !!

दिलावर सिंह " ठीक है मान ली तुम्हारी बात !! ऐसा ही कर लेंगे !! हमें तो विक्रम को बर्बाद ही करना है जिससे उसको अपने किए कर्मों की सजा मिल सके !!

युवराज" तो ठीक है फिर ये प्लान ही रहना चाहिए कोई चेंज नहीं होगा !!!

दिलावर सिंह " ठीक है !! पक्का !!!

युवराज दिलावर सिंह से बात करके उपर अपने कमरे में आकर सिया के साथ लेट गया !!

तभी बिलाल दिलावर सिंह के कमरे में घुसा और अंदर आते ही बोला" मैंने सुन ली तुम दोनों की बातें बाहर खड़े होकर !!! ये जो बोल रहा है क्या तुम वही करने वाले हो ??

दिलावर सिंह गुस्से से " कभी नहीं !! मुझे इसके जैसा चूतिया समझा है क्या जो इसकी बेवकूफी की बात मान लूंगा !!!! ये साला इश्क़ में पड़ गया उस कुतिया के !! इसके इश्क़ के चक्कर में मैं अपनी सालों पुरानी दुश्मनी भूल जाऊ !!! विक्रम को मारना ही मेरी जिंदगी का मकसद है और तड़पा तड़पा कर मारना है कैद में रख कर जलाना है उसको ,जैसे उसने मेरे साथ किया था मैंने एक एक बदला लेना है उससे !!

बिलाल " तो तुमने उसे फिर मना क्यों नहीं किया ??

दिलावर सिंह" अरे मूर्ख !! अगर मैं अभी उसे मना कर देता तो वो लड़की को यहां से लेकर निकल जाता और विक्रम यहां आता ही नहीं और हमारा प्लान चौपट हो जाता !!!

बिलाल " तो क्या करना है अब ???

दिलावर सिंह" अपने आदमी सब तरफ फ़ैला दो !! वो विक्रम के आदमी हम पर अटैक भी कर सकते हैं !! और विक्रम को काबू करने के लिए और आदमी बुला लो ! और अपना अड्डा तैयार रखो गाड़ी तैयार रखो !! विक्रम को जहां रखना है किसी को कानों कान खबर ना हो !!!!

बिलाल " आदमी सब तैयार है और आ जायेगे ! गाडियां भी तैयार हैं !!

दिलावर सिंह " हमें एक भी पल गंवाना नहीं है बस विक्रम को आते ही जैसा मैं कहता जाऊं वैसा करते जाना !!!

बिलाल " समझ गया मैं !!! लेकिन इस युवराज को कैसे चकमा दोगे ? ये तो अपने प्लान के मुताबिक ही करेगा सब !!!

दिलावर सिंह " बस देखते जाओ !!! तुम सबके सामने अपना मुंह बंद रखना और जैसा मैं कहता जाऊं वैसा करते जाना!! जाओ अब और चौकन्ने रहना !!!!

दिलावर सिंह के हर तरह से तसल्ली देने के बाद बिलाल दिलावर सिंह के कमरे से बाहर निकल गया !!

रात धीरे धीरे सन्नाटे की आगोश में बीत रही थी !! लेकिन विक्रम की कार तेजी से हाईवे पर दौड़ रही थी !! और विक्रम के दिल दिमाग में एक अजीब सा सुकून था , उसके चेहरे पर एक अजीब सी शान्ती थी और आंखों में गुस्सा था लेकिन होंठों पर हल्की सी मुस्कुराहट थी !! ऐसा लग रहा था कि जैसे आज रात विक्रम अपने सर पर कफ़न बांध कर निकला था उसे सकून इस लिए था कि अगर वो अब मर भी गया तो उसकी बेटी का यक़ीन जरुर जीत लेगा !! जिंदा रहा तो उसकी बेटी उसे वापस जरुर मिल जायेगी !!!

तभी फोन की घंटी बजती और विक्रम की सोच को चीरते हुए उसके कानों में घुस गई !! विक्रम ने फोन स्पीकर पर करके हैलो बोला ' उधर से धीरज बोला " विक्रम !!!!

विक्रम"हां धीरज बोलों ?

धीरज फोन से" तुम निकल गये घर से ? अनीता ने बताया !! कम से कम मुझे बता कर तो निकलते ??

विक्रम " धीरज !! तुमसे बात हो तो गई थी दिन में सब बता दिया था मैंने ,तो अब क्या बाकी है ? बस ख्याल रखना पीछे सब !!!

धीरज फोन से" यार !! अनीता का रो रो कर बुरा हाल है कम से कम अब तो उसके बारे में सोच लेते ? पूरी जिंदगी उसने तुम्हें दे दी अपनी !!! तुम्हें अकेले नहीं जाना चाहिए था !!

विक्रम " धीरज!!! और कोई रास्ता नहीं बचा था अब !! अब गीदड की बिल में घुस कर ही मारना होगा उसे नहीं तो वो अपनी बिल में बैठा बैठा ही सब निगल लेगा !!

धीरज" वो सब ठीक है ,ये सब हम साथ भी कर सकते थे !! अभी भी वापस आ जाओ और प्लान से साथ चलते हैं !!

विक्रम" नहीं धीरज !! अब मैं निकल गया हूं तुम बस अनीता का ख्याल रखना !!!

धीरज आगे कुछ बोलता इससे पहले ही विक्रम ने फोन काट दिया!!!

धीरज " नहीं माने गा वो मेरी बात ,जो सोच लेता है वो करता ही है !!

धीरज की परेशानी को देखते हुए उस्मान बोला" क्या हुआ भाईजान ??? विक्रम भाई ठीक तो है ? हमारे सारे आदमी बिल्कुल तैयार है !!

धीरज झल्ला कर " अरे पता तो चले कि वो जा कहां रहा है कुछ तो बता कर जाता !!!! अकेला ही मौत के मुंह में चला गया !!!

उस्मान" फ़िक्र मत करो भाईजान , विक्रम भाई ने कुछ तो सोचा ही होगा,वो बहुत मजबूत आदमी है कुछ तो प्लानिंग से ही गया होगा !!! आप संयम रखो !!..............विक्रम की कार सड़क पर तेजी से भाग रही थी !! वो कार चलाते चलाते फोन से कुछ मैसेज टाइप करने लगा और फ़ोन में कुछ सैटिंग करने लगा !! दिन भी चढ़ने ही वाला था रात बीत चुकी थी !!! आधे घंटे बाद विक्रम ने हाईवे से कार लेफ़्ट साइड की सड़क की तरफ मोड़ दी और थोड़ी दूर जाकर कार साइड में रोक दी !! ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे इस जगह का पता हो !!!

विक्रम ने अपने फोन से दिलावर सिंह का नम्बर डायल किया !! अभी फोन की घंटी पूरी बजी भी नहीं थी कि उधर से फोन उठ गया और भारी भरकम आवाज में दिलावर सिंह बोला " वादे के पक्के हो तुम !!

विक्रम" तुम भी तो बड़ी बेसब्री से पूरी रात जाग कर मेरा इंतजार कर रहे हो !!

दिलावर सिंह " हां कर तो रहा हूं बड़ी बेसब्री से तुम्हारा इंतज़ार क्योंकि इतने बरसों के बाद पहली बार तुम आ रहे हो मुझसे मिलने !!

विक्रम जोर से हंसते हुए" हा हा हा रस्सी मैंने आधी जला कर छोड़ दी थी तभी बल नहीं निकला पूरा .. , मुद्दे पर आओ दिलावर सिंह !! बोलो मुझे कहां आना है !! मैं पूने हाईवे से काफी आगे हूं !!

दिलावर सिंह"पूना हाइवे से आगे पिंपरी गांव की तरफ आके सीधे हाथ को मुड़ जाना ,आगे तुमको अपनी कार छोड़नी पड़ेगी और 100 कदम पैदल चलना होगा आगे एक लाल रंग की कार खड़ी मिलेगी उस में पिछली सीट पर बैठ जाना,मेरा आदमी तुमको ले आयेगा !! और कोई चालाकी नहीं करना नही तो तुम्हारी बेटी को खतरा हो सकता है !!!

विक्रम " ठीक है मैं पहुंच रहा हूं !! लेकिन मेरी एक शर्त है कि दरवाजे पर मैं अपनी बेटी को देखकर ही अंदर आऊंगा !!! नहीं तो तुम जानते हो मैं वहीं से लौट जाउंगा !! और तुम ये भी जानते हो कि तुम्हारे ये आदमी मुझे रोक नहीं सकते !!!

दिलावर सिंह" मंजूर है !!!

दिलावर सिंह के फ़ोन कट जाने के बाद उसके पास खड़ा बिलाल बोला" क्या हुआ ??? विक्रम आ तो रहा है ना ???

दिलावर सिंह गुस्से से मुंह बना कर " हां आ रहा है ओखली में सर है साले का फिर भी कहता है मेरी बेटी गेट पर होनी चाहिए तभी अंदर आऊंगा !!!

बिलाल" तो तुम मना कर देते !!! हर बात मानोगे क्या उसकी ??

दिलावर सिंह " अरे ताऊ !!! हर बात नहीं मानू तो वो आयेगा ही नहीं और कुछ ऐसा कर देगा कि हमारा प्लान खराब हो जायेगा !! एक बार हमारे क़ब्जे मे आ तो जाने दो उसको !! फिर देखते हैं !! जाओ युवराज और उसकी माशूका को बुला लाओ यहां !!!

बिलाल" दिलावर सिंह की बात सुनकर उपर चला गया युवराज और सिया को बुलाने और उपर जाकर युवराज और सिया के कमरे के बाहर से बोला " आओ नीचे दोनों , बुलाया है !!!!

युवराज और सिया दोनों सुबह से इंतजार ही कर रहे थे कि कब दिलावर सिंह उनको बुलाए और बताएं कि उसके पापा कब आ रहे हैं !!

बिलाल की बात सुनकर युवराज सिया की तरफ मुंह करके बोला" चलो नीचे ,शायद कोई तुम्हारे बाप का ही मैसेज होगा !!

सिया " ऐसे तो मत बोलो!!! बाप का !

युवराज कुछ नहीं बोला और सिया को लेकर दिलावर सिंह के कमरे में आ गया और बोला" कुछ बात हुई ??

दिलावर सिंह " हां बात हुई विक्रम से अभी वो आ रहा है उसका कहना है कि मेरी बेटी सबसे पहले मुझे गेट पर दिखनी चाहिए मैं तभी आऊंगा नहीं तो नहीं !! इसलिए सिया बेटी को बुलाया है कि वो गेट के करीब ही रहे !!!

युवराज " ये कोई विक्रम की चाल तो नहीं !!! वो कुछ भी कर सकता है उसकी बात का भरोसा मत करना !!

दिलावर सिंह" नहीं !! वो अपनी जुबान का पक्का है वो अकेला ही आ रहा है मेरे आदमियों ने चैक कर लिया हैं !! बेफिक्र रहो !!!

दिलावर सिंह की बात सुनकर सिया ने युवराज की तरफ सवालिया नज़रों से देखा !!

सिया को अपनी तरफ ऐसे देखकर युवराज ने चुप्पी के साथ सर झुका लिया !!

दिलावर सिंह के बताए अनुसार सिया गेट के सामने कुर्सी पर बैठ गई !! उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था कि उसके पापा उसके कहने पर ही यहां अकेले आ रहे थे कहीं दिलावर सिंह कुछ ग़लत ना कर दे उनके साथ,इसी डर से उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था ,उसकी नजरें गेट पर ही टिकी गई!!!

विक्रम ने दिलावर सिंह की बात सुनकर फोन काट दिया !!!

विक्रम अपने फोन में कुछ सेटिंग करने लग गया और कुछ मैसेज टाइप करने लग गया ! दिलावर सिंह के बताए रास्ते के मुताबिक वो पिंपरी गांव में ही था अब उसे अपनी कार यही छोड़ कर आगे 100 कदम पैदल चलना था !!!

विक्रम ने थोड़ा सा आगे चल कर अपनी कार सड़क के साइड में खड़ी कर दी और कार लॉक करके पैदल चल पड़ा ,ये सड़क थोड़ी पतली थी आसपास छोटी छोटी झाड़ियां थी !! विक्रम कदम गिनते हुए आगे बढ़ता रहा !!!

धीरज अड्डे पर इधर उधर कुछ सोचते हुए घूमने लगा ,तभी उसके फोन पर एक मैसेज की रिंग बजी ,धीरज ने फोन को गौर से देखते हुए मैसेज देखा ,तो मैसेज विक्रम का था !!!!!

धीरज उत्साह से" उस्मान विक्रम का मैसेज है !!!!

उस्मान" खोलो भाई !!!

धीरज फोन में से मैसेज पढ़ा और सारा मैसेज पढ के सारी बात उस्मान को समझने लगा "विक्रम के जूते में ट्रेकर लगा है जब कि मेरे फ़ोन से लिंक है विक्रम ने लिखा है जब तक मेरे फ़ोन पर उस ट्रेकर से सिग्नल आते रहेंगे तब तक मुझे कुछ नहीं करना है जब सिग्नल आने बंद हो गये तो हमें अटैक करना है हमें उस सिग्नल से जगह का पता लगाना है उस्मान !! अपने सारे आदमी तैयार कर लो सारी गाडियां तैयार कर लो , हमें पूरी तैयारी के साथ टैंकर का पीछा करते हुए आसपास रहना है !!

उस्मान " ठीक है भाई !! सब तैयार है मैं फिर भी सब दोबारा देख लेता हूं !!! लेकिन आप के फ़ोन से लिंकअप किया कब विक्रम भाई ने ??? आप को पता भी नहीं लगा !!!

धीरज" वो विक्रम है विक्रम शेर !! वो सौ चीजें एक बार में सोच लेता है और सब कुछ कर भी जाता है पास बैठे इंसान को खबर नहीं लगती !! चलो हमें निकलना है और विक्रम के आसपास ही रहना है !!!................विक्रम 100 कदम चल चुका था उसने आगे पीछे देखा कोई भी लाल रंग की कार दिखाई नहीं दी !!!! विक्रम थोड़ा और आगे चला , तभी साइड से एक लाल रंग की कार निकली और उसके आगे खड़ी हो गई !!!!?

विक्रम कार के पास गया और उसने झुक कर कार को देखा कार की ड्राइविंग सीट पर ही एक हट्टा कट्टा आदमी था बाकी कार में कोई नहीं था !!!

विक्रम कार का पिछला दरवाजा खोल कर कार में बैठ गया !! कार तेजी से उसी पतली सड़क पर दौड़ने लगीं !!!

कम से कम आधा घंटा वो इधर से उधर गलियों में कार घुमाते रहा फिर एक बड़े से बंगले के बाहर कार रोक दी !!

विक्रम ने देखा कि बंगले के गेट पर चार आदमी गन से तैनात थे !! तभी डाइविंग सीट वाला आदमी बोला " उतरो !! और गेट से अंदर जाओ !!

विक्रम कार से नीचे उतर गया और गेट की तरफ चलने लगा !! तभी गेट के अंदर ने धड़ाधड़ दस बारह आदमी निकले और विक्रम के आसपास घेर कर खड़े हो गए !! दो आदमी विक्रम की तलाशी लेने लग गये !! विक्रम की गन निकाल ली उन्होंने ,दो गन थी विक्रम के पास !!

तलाशी लेने के बाद उनमें से एक आदमी बोला" चलो अब अंदर !!!!!

विक्रम दिलावर सिंह के आदमियों से घिरा हुआ गेट के अंदर दाखिल हुआ !!!! सामने सिया कुर्सी पर बैठी गेट की तरफ ही देख रही थी !!! एक साइड युवराज खड़ा था और एक साइड दिलावर सिंह कुर्सी पर बैठा था उसके आगे पीछे आदमी गन लेकर खड़े थे !!!!

विक्रम ने गौर से सिया को देखा और उसकी आंखों में पानी छलक आया और दिल में एक बाप का प्यार जो अपनी बेटी के वियोग में बेटी को देख कर उमड़ पड़ा !! विक्रम के मुंह से निकला " गुड़िया !!!! मेरी बच्ची !!!!!

सिया भी अपने पापा को देखकर आंखों में पानी ले आई और अपने पापा की तरफ तेजी कदमों से चल कर उनके गले लग गई !!!!

विक्रम ने तेज कदमों से अपनी गुड़िया को अपने सीने से लगा लिया और प्यार से बोला" मेरे बच्चे !! मेरी जान के टुकड़े !! तू ठीक तो है ना ????

सिया पापा के गले लग कर सुबकते हुए बोली" हां पापा मै ठीक हूं !!! सिया को अपने पापा के सीने से लग कर सुकून मिला , लेकिन उसी पल उसे वो सब याद आ गया जिसके लिए उसने अपने पापा को छोड़ा था ..... वो एकदम से अपने पापा से अलग हो गई और फिर तभी..........................

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