सिया ने रोते हुए डर कर आंखें बंद कर ली .... उसे महसूस हो रहा था कि अब उसके साथ बहुत बुरा होगा ! क्योंकि वो नकाबपोश बिल्कुल सिया के मुंह के पास था सिया को उसकी सांसों की आवाज भी सुनाई दे रही थी !
तभी वो सिया के दाएं गाल के पास अपना नकाब वाला मुंह चिपकाता हुआं सिया के कान के पास बोला " क्या हुआ ? अब आंखें क्यो बंद कर ली ? देखो गी नही मेरी मर्दानगी ?
सिया इतना डर गई कि उसके मुंह से चीख निकल गई वो रोते रोते बोली " माना मैने गलत बोला लेकिन गुस्से में बोला.. क्योंकि मेरी जगह कोई भी होगा तो कुछ भी बोल सकता है ! तुमने मुझे इतने दिन से कैद कर रखा है मारते हो पीटते हो मेरी हालत तो देखो ! कुसूर क्या है मेरा ?
सिया कहते कहते बिलख बिलख कर रोने लगी !तभी वो नकाबपोश बिल्कुल सिया के मुंह के पास मुंह करके बोला " लेकिन अब तुम ये तो समझ ही गई होगी कि मै कुछ भी कर सकता हूं ! अभी चाहू तो तुमको आम की गुठली की तरह चूस कर फेक सकता हू कुछ नही कर पाओगी तुम ! इसलिए आगे से अपना मुंह बंद रखना !
सिया ने धीरे से आखे खोली तो वो बिल्कुल सिया के पास झुका हुआ था उसका मुंह सिया के मुंह के इतना करीब था कि उसकी सांसों की आवाज भी सिया सुन पा रही थी ! सिया ने उसकी आंखों में देखा जो उस नकाब मे से सिया को ही घूर रही थी !उसकी आखे बडी बडी और नीली थी सिया को इतना तो पता चल गया था कि वो कोई उम्रदराज आदमी नही कोई लडका था !सिया गौर से उसकी आंखों को देखने लगी तभी वो एकदम से उठा और सिया के कपडे जमीन से उठा कर सिया की तरफ फेंकता हुआ बाहर निकल गया !
सिया ने फटाफट कपड़े पहन लिए और चुपचाप दीवार के साथ सट कर बैठ गई और सोचने लगी " ये आखिर मुझ से चाहता क्या है ? क्यो कैद कर रखा है इसने मुझे ? आज वो बहुत गलत कर सकता था मेरे साथ ... लेकिन छोड कर चला गया ! और जब मैने उसकी आंखों में गहराई से देखा तो उठ खडा हुआ !
ऐसे अनगिनत सवाल सिया के दिमाग में चल रहे थे ! ये नकाबपोश उसकी समझ से बाहर होता जा रहा था। अब तो बस वो उस मौके की तलाश में थी कि कब यहां से निकल सके ! या इस नकाबपोश को ही उस पर दया आ जाये !और वो उसे छोड़ दे !
सिया ने अपनी आंखें बंद करके अपना सर दीवार से सटा लिया !
काफी देर तक सिया के दिमाग के घोड़े दोडते रहे और ना जाने कब उसे नींद आ गई !अचानक से धड! धड! धड ! की जोरदार आवाज से सिया की आंख खुल गई ! उसे समझ ही नही आया कि ये आवाज़ कहां से आई ! शायद उसकी नींद इतनी गहरी थी कि वो इस आवाज का अंदाजा ही नही लगा पाई कि आखिर हुआ क्या ...?
तभी जोर से दरवाजा खुला और वही नकाबपोश तेजी से अन्दर आया और सिया के पैर की जंजीर खोलने लगा और भर्राही हुई। आवाज में बोला " खोल रहा हू इसका ये मतलब नही कि तुम फिर से कोई घटिया हरकत करो ! नही तो पटक पटक कर मारुंगा ये तुम जानती हो !
सिया "" तुम्हारे जैसी घटिया हरकत तो मै कभी कर भी नही सकती ! मारना पीटना ..यही तो घटिया हकीकत होती है तुम जैसो की ! साइको...
सिया ने एकदम से गुस्से में ये सब कुछ कह दिया ! उस नकाबपोश ने सिया की और घूर कर देखा लेकिन फिर वो जंजीर खोलने में लग गया !
जंजीर खोलते ही उसने सिया को बांह से पकड़ कर खडा कर दिया और एक काली पट्टी सिया की आंखों पर बांध दी और सिया के दोनों हाथ पीछे बाध दिए !
सिया को कुछ समझ नही आ रहा था कि वो कर क्या रहा है और क्यू ! लेकिन इतना जरूर लगा कि वो बहुत जल्दी में था !सिया को लग रहा था कि वो उसे इस जगह से बाहर ले जा रहा है ! सिया अपने दिमाग पर जोर डाल कर ये समझने लगी कि वो यहां से निकलता किधर से है क्योंकि उसे तो बाहर जाने का रास्ता दिखा ही नही था जब उसने यहां से भागने की कोशिश की थी !
वो उसे कमरे से बाहर लाकर लौबी के बीचों बीच सीधा चल रहा था फिर एकदम से वो दाई तरफ मुड़ा तो कोई दरवाजा खुलने की हल्की सी आवाज आई .ऐसा लगा जैसे शटर जैसा कुछ ऊपर को गया ! सिया की आंखों पर तो पट्टी थी बस वो अंदाजा ही लगा रही थी कि वो उसे किस तरफ से और किधर लेकर जा रहा है !
तभी कुछ दूर सीधा चलने के बाद सीढ़ियां आ गई तो उस नकाबपोश ने सिया को चढने के बारे में बोला !
सिया को उसने कस के पकड रखा था वो धीरे धीरे सीढ़ियां चढ़ने लगी ! बीस पच्चीस सीढ़ियां चढने के बाद सीढ़ियां खत्म हो गई ! सिया को आंखों में थोड़ी रोशनी महसूस हुई क्योंकि उसे अबतक अंधेरा सा ही लग रहा था !
मतलब अब उस जगह से बाहर खुले आसमान के नीचे थे वो लोग क्योंकि चिड़ियों के चहचहाने की आवाजें साफ सुनाई दे रही थी सिया समझ गई थी कि उसे किसी बेसमेंट मे काफी अन्दर कैद करके रखा हुआ था जहां बाहर की दुनिया का कोई अता-पता नही लगता !
सिया सहम सी गई कि आखिर ऐसा है क्या कि उसे इतनी सख्ती से छिपा कर कैद करके रखा है आखिर किसका इतना डर है इस नकाबपोश को ? मतलब कैद भी किया है और पूरी प्लानिंग से !
समझ ही नही पा रही थी सिया कि आखिर वो चाहता क्या है सिया के दिमाग के घोड़े बेलगाम दौडते ही जा रहे थे !
तभी वो कुछ दूर चल कर एक गाड़ी के दरवाजा खुलने की आवाज आई ! उस नकाबपोश ने सिया को झुकने के लिए कहा और बैठने को कहा ! सिया थोडा झुक कर अन्दर बैठ गई मतलब ये कार थी सिया समझ चुकी थी ! पीछे का दरवाजा बंद हो चुका था और आगे का दरवाजा खुलने की आवाज आई और कार तेजी से चल पड़ी ! कार तो चल रही थी लेकिन अजीब सा सन्नाटा था कार में ! सिया पीछे की सीट पर थी और शायद वो नकाबपोश कार चला रहा था !कार के चलने के हिसाब से सिया ने अंदाजा लगाया कि वो एक साफ पक्की सड़क थी क्योंकि कार तेज और बहुत आराम से चल रही थी कोई झटके नही लग रहे थे !कार को चलते चलते तकरीबन पौना घंटा हो चुका था तभी किसी ने एकदम से बोला " अरे.... लेफ़्ट ले !
तभी कार जो राइट की तरफ़ मुड गई थी एकदम से लेफ़्ट की तरफ मुड़ी ! मतलब कार में दो लोग आगे बैठे थे जो कार चला रहा था वो तो कोई और था लेकिन जिसने लेफ़्ट ले.. बोला था वो नकाबपोश था क्योंकि सिया उसकी आवाज पहचानती थी !
कार लेफ्ट मुडकर हिचकोले खाने लगी मतलब ये रास्ता उबड़-खाबड़ था !
काफी देर उसी रास्ते की तरफ चलने के बाद सिया को ऐसा लगा कि जैसे कार जंगल में आ गई .. आसपास बहुत घने पेड़ झाड़ियां महसूस हुई सिया को क्योंकि कार के आसपास झाड़ियों के टकराने की आवाजें आ रही थी !तभी कार रुक गई और आगे का दरवाजा खुलने की आवाज आई और वो नकाबपोश निकल कर पिछला दरवाजा खोल कर सिया को बांह से पकड कर बाहर खींचने लगा !
सिया को दर्द हुआ क्योंकि उस हैवान ने सिया की बांह इतनी जोर से पकड कर बाहर खींची कि सिया दर्द के मारे कराह उठी और गुस्से में बोली " हाथ बंधे है मेरे,भाग नही जाऊंगी यहां से.. जानवरों की तरह तो मत खींचो ! जानवर कही के....!!
सिया की बात सुनकर भी उस नकाबपोश की पकड़ ढीली नही हुई.. बल्कि वो तीखे अंदाज में बोला " जब जानवर हू तो जानवर जैसा ही पकडूंगा !
वो सिया को तेजी से झाड़ियों के बीच से होता हुआ आगे चलकर थोडा रुका ..तभी कोई लोहे का गेट खुलने की आवाज आई ! गेट की माध्यम सी आवाज से सिया ने अंदाजा लगाया कि गेट ज्यादा बडा नही था !
वो उसे गेट के अंदर ले जाते ही गेट के बंद होने की आवाज आई ! तभी उस नकाबपोश ने सिया की आंखों की पट्टी खोल दी ! और सिया को बोला " चलो आगे "सिया उसकी तरफ देखती हुई बोली " क्यो ? अब खींच कर नही लेकर जाओगे ? बालों से नही पकड कर खींचोगे ? साइको !!!!
नकाबपोश सिया की बात सुनकर सिया की तरफ बिना देखे आगे बढ गया !
वो एक हाल कमरा था उसके दाई तरफ एक कमरा था जिसमे एक सिंगल बैड था ! और एक कुर्सी पडी थी और एक टेबल !और हाल कमरे के बाई तरफ खुली रसोई थी जिसमें एक छोटे से सीमेंट काउंटर पर गैस चूल्हा पडा था ! साथ में चार कुर्सियां और एक टेबल था ! एक कोने में एक सिंगल बैड भी पडा था ! छोटे कमरे के साथ एक बाथरूम था !सिया ने खडे खडे ही पूरी जगह का मुआइना कर लिया था !
सिया को ऐसे खड़े देख कर वो नकाबपोश बोला " जाओ उस साइड वाले कमरे में "
और ये कहते-कहते वो सिया के पास आया और सिया को देखते हुए उसके पीछे खडे होकर उसके हाथ खोलने लगा !
सिया उसके हाथ खोलते वक्त उसकी तरफ देखते हुए बोली " हाथ खोल रहे हो इतना भरोसा हो गया क्या मुझ पर ? सोच लो अगर भाग गई तो ?
नकाबपोश हाथ खोलकर बिना कुछ बोले सामने कुर्सी पर बैठ गया !और अपने फोन पर कुछ करने लग गया !
सिया को उसका ये व्यवहार समझ नहीं आया !और ना उसका बेबाक दिमाग कुछ बोले बिना उसको शान्ति से बैठने देता ! तो वो दो कदम उस नकाबपोश की तरफ बढते हुए बोली " क्या हुआ ? तुम्हारी तो बोलती भी बद हो गई है ! तुमको तरस आ रहा है ना मुझ पर ! तुम मुझे छोड़ने के बारे में सोच रहे हो ना ! तुम्हे अपनी गल्ती का अहसास हो गया है ना ! कोई नही तुम मुझे छोड दो मै तुम्हारे बारे में किसी को नही बताउंगी !
एक साथ सिया बहुत सी बातें बोल गई ! उस नकाबपोश ने सिया की तरफ घूर कर देखा और वो कुर्सी से उठा और तेजी से सिया की तरफ आकर सिया को बालो से पकड़ कर धकेलता हुआ साइड वाले कमरे तक ले गया और जोर से बैड पर पटकता हुआ बोला " टर्र टर्र टर्र टर्र करते करते तुम्हारा मुंह नही थकता ? कैद में हो फिर भी खामोश नही रह सकती ? शुक्र मनाओ कि मार पीट नही रहा हू अगर अब चटर पटर की तो दीवार पर दे कर मारुंगा !
सिया " हा मारो पटक कर दीवार पर !!! किसी और की भड़ास मुझ पर निकाल रहे हो ! साइको !!!!! तुम दिमाग से बीमार हो !!सिया की बात सुनकर वो नकाबपोश गुस्से से सिया की तरफ लपका और बैड पर बैठी सिया की बांह को जोर से मरोड़ कर सिया की पीठ से लगा कर सिया के मुंह के ऊपर आ कर बोला " कभी मै नामर्द हू..कभी मै साइको हूं..कभी मै बीमार हूं ! हा हू मै सब कुछ ! तो डरो मुझसे !!!!! मेरा माथा सटक गया तो चूर चूर हो जाओगी ! अपना ये मुंह का शटर बंद रखो! और मुझे मेरा काम करने दो !
सिया की बांह में बहुत दर्द होने लगा वो कराहने लगी ! वो करहते हुए बोली " मेरे बोलने से तकलीफ़ है तो छोड़ क्यू नही देते मुझे ? कैद करके रखोगे और मै बोलू भी ना ...तुम्हे कोसू भी ना.. मतलब तुम्हारी घटिया हरकतों के लिए तुम्हारी तारीफ करु ? साइको!!!!!!!सिया को चुप ना करता हुआ देखकर वो नकाबपोश सिया की बांह छोड़ कर उसे बैड पर धकेल कर कमरे से बाहर निकल गया और दरवाजा बंद कर दिया !सिया ने अपनी बांह मलना शुरू किया जो कि बहुत दर्द कर रही थी !
सिया का बातूनी दिमाग कहा शांत बैठने वाला था ! उसके दिमाग के वही सवाल बार बार उसे चैन नही लेने देते थे ! वो सोचने लगी " इतना तो इस हैवान को मै उकसा चुकी हू लेकिन ये गुस्से में भी कुछ नही बताता कि वो अक्सर चाहता क्या है ? उसे यहां लाया क्यू है ?
तभी सिया उठी और दरवाजे के पास पहुंची जो कि उसके बैड से चार कदम ही दूर था, जो वो बंद करके चला गया था ! वो देखना चाहती थी कि दरवाजा बाहर से बंद है कि खुला !
सिया ने धीरे से कुंडी पकड कर अपनी ओर खीची तो दरवाजा खुल गया ! उसने गर्दन बाहर निकाल कर देखा तो सामने कुर्सी पर वो नकाबपोश बैठा था। जो कि उसी की ओर देख रहा था ! लेकिन सिया को एक नज़र देख कर वो अपने फोन में बिजी हो गया !
सिया दरवाजा खोल कर फटाक से बाहर आ गई और दस कदम चल कर बाहर जो सिंगल बैड था उस पर बैठ गई ! पास में पड़ी कुर्सी पर ही वो बैठा था !सिया उसको देखने लगी और सोचने लगी " मै बाहर भी आ गई ना इसने मुझे बांधा है और ये आराम से बैठ कर फोन चला रहा है इसे डर नही कि मै इसके सर पर कुछ मार कर भाग जाऊं गी ?
लेकिन जब सिया की नज़र बाहर के लोहे के दरवाजे पर पडी तो वहां एक बडा सा ताला लटक रहा था ! वो समझ गई कि ये उसके कमरे से बाहर निकलने पर भी इतना शांत क्यू बैठा है !
सिया का दिमाग बहुत देर तक चुप कहा बैठने वाला था ! उसे बहुत बेचेनी हो रही थी ! वो बोली " देखो मै अब आराम से बैठी हू और जानती हू कि तुम्हारी कैद में हू लेकिन तुम कम से कम ये तो बता दो कि मै यहां हू किस लिए ? क्या ऐसे ही पूरी जिन्दगी कैद रखोगे मुझे ? ऐसे तो मेरी जिंदगी ही खराब हो जायेगी ! तुम्हे पैसे चाहिए ? या फिर और कोई बात ! तुम बताओ तो सही !सिया ने सोचा कि इससे आराम से बात करने की कोशिश करती हू शायद कुछ बोले !
लेकिन वो तो सिया की बात सुनकर भी कुछ नहीं बोला और ना ही नज़र उठा कर सिया की तरफ देखा ! बस फोन में ही कुछ टाइप करने में लगा हुआ था !
सिया को बडा गुस्सा आया कि ये आदमी पागल तो नही है कही !वो उठी और लोहे के दरवाजे की तरफ़ जाने लगी उसने पास पडा एक टूटा हुआ लोहै का हैंडल उठाया और ताले पर जोर जोर से मारने लगी ! लोहे से लोहा टकराने की बहुत तेज़ आवाज़ आने लगी !तब वो नकाबपोश उठा और सिया की तरफ लपका ,और सिया को बांह से पकड़ कर खींचता हुआ कमरे की तरफ ले जाने लगा ! सिया अपने पैर जमीन पर गड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन वो पूरी ताकत से उसे खीच रहा था तो उसकी एक ना चली !जिस बांह से पकड़ कर वो उसे खीच रहा था अचानक से सिया ने झुक कर उसकी बांह पर अपने दांत गडा दिए और पूरा जोर लगा कर काट लिया !
उसके इस तरह से काटने की उस नकाब पोश को बिल्कुल भी उम्मीद नही थी वो कराह उठा " आहहह"क्योंकि सिया ने अपनी पूरी ताकत लगा कर उसकी बांह पर काट लिया था उसके पूरी बाजू की कमीज़ थी लेकिन फिर भी सिया ने पूरी ताक़त से अपने दांत गडा दिए थे !उसने सिया को एकदम से बैड पर धकेल कर अपनी कमीज़ बाजू से उठा कर देखी तो उसकी बाजू में सिया के दांत गड गये थे और हलका सा खून आ गया था !उसने सिया की तरफ घूर कर देखा जो कि बैड पर बैठी उसे ही देख रही थी !वो मुडा और कमरे से बाहर निकल गया !
सिया को लगा कि वो उसे मारेगा अब क्योंकि सिया ने अपना सारा गुस्सा जो इतने दिन से भरा था वो काट कर उसकी बांह पर निकाल दिया ! अब सिया चुपचाप बैड पर लेट गई और कमरे की छत को घूरने लगी ! उसका दिमाग थोडा शांत था अब !
बहुत देर हो चुकी थी उसे लेटे हुए ! तभी वो नाकाबपोश अन्दर आया और खाने की प्लेट उसके हाथ में थी उसने सिया की तरफ बिना देखे वो प्लेट मेज़ पर रख दी और बाहर निकल गया !सिया बैड से उठी उसने देखा वो सैंडविच था ! मतलब आज यही खाना बाहर से आया ! तो क्या बाजार आसपास ही है ? सिया का दिमाग दौड़ने लगा ! कि अगर बाज़ार आसपास ही है तो वो मौका पाकर यहां से भाग सकती है !
भूख तो उसे लगी ही थी उसने वो सैंडविच उठाया और खाने के लिए मुंह खोला ही था कि उसे कुछ याद आया तो उसने वो सैंडविच वापस प्लेट में रख दिया और बैड से उठकर बाहर हाल में आ गई ! उसने देखा एक सैंडविच बाहर के मेज पर भी पडा था और एक लिफाफे मे कुछ नमकीन के पैकेट ! और वो नकाबपोश कुर्सी पर बैठा अपने फोन में बिजी था !
सिया वहां आसपास कुछ देखने लगी तो उसे एक खिड़की में एक फस्टऐडकिट पडी थी उसने वो उठाई और वही टेबल पर रख कर उसको खोल कर देखने लगी उसमें से उसने डिटोल की शीशी निकाली और थोडी रुई मे लगा कर पास बैठे नकाबपोश की बांह की कमीज़ उठा कर उसका काटा हुआ ज़ख्म देखने लगी जो कि बिलकुल पक सा चुका था ! जैसे ही उसने उस ज़ख्म पर डिटोल लगाने के लिए अपना हाथ बढ़ाया वो नकाबपोश उठ कर खडा हो गया जो कि फोन में इतना बिजी था कि उसने नोटिस ही नहीं किया कि सिया क्या कर रही है !
वो एकदम से उठ कर खडा होकर सिया की बांह पकड कर उसकी पीठ से लगाता हुआ बोला " क्या करने लगी हो ? बहुत दौड़ता है ना दिमाग तुम्हारा ! मतलब अब तुम मुझसे ये ड्रामा करोगी तो मै तुमको छोड दूंगा ? ये घटिया पैंतरे अपने बोयफ्रेड पर आजमाना ! मै नहीं झांसे में फसने वाला ?सिया " अरे तुम्हारा मतलब कि मै तुमको फंसाने के लिए पैंतरे कर रही हू ! साइको !!!!!! तेरे जैसे हैवान को फसाने के लिए कोई लड़की पैंतरे क्यू करेगी ? थूके गी भी नही कोई लड़की तेरे मुंह पर ! बीमार हो तुम ! जाओ इलाज करवाओ अपना !या किसी पागलखाने में भर्ती हो जाओ !
सिया ने गुस्से में जो आया दिल में कह दिया ! वो नकाबपोश सिया की बांह मरोड़ कर उसकी पीठ से लगा कर उसके पीछे बिल्कुल सट कर खडा था !वो सिया के मुंह से पागलखाने का नाम सुनते ही आगबबूला हो गया और सिया को बालो से पकड़ कर कमरे तक घसीटता हुआ ले गया ! सिया की बांह और बालों में बहुत दर्द हो रहा था ! उसने सिया को जोर से बैड पर पटका और अपना एक पैर बैड पर रखते हुए सिया के मुंह के पास झुक कर बोला " बहुत जुबान चलती है तुम्हारी ! इसे काट कर रख दूंगा ! पागलखाने !!!! जानती भी हो पागलखाने जाने का क्या मतलब होता है ! नही जानती ना !! कोई बात नही ! बहुत जल्दी पागलखाने तुमको पहुंचाऊं गा मैं !
ये बोल कर वो गुस्से में कमरे से बाहर निकल गया !सिया जो कि बैड पर एक तरफ को गिर सी गई थी उसको हवाक नजरों से एक टक देखती रही !
सिया की बांह और बालों में बहुत दर्द हो रहा था ! उसकी आंखों में एक दम से पानी छलकने लगा ! वो उठ कर बैड पर बैठ गई और फूट फूट कर रोने लगी !
"कब तक ! क्यू ? मै क्यू हू यहां पर ? क्या कुसूर है मेरा ? कैसे निकल पाऊ गी मै यहां से ? क्या मै यही मर जाऊंगी ? ये हैवान चाहता क्या है मुझसे ?"
ऐसे अनगिनत सवाल सिया के दिमाग में दौड़ रहे थे !बस वो फूट फूट कर रोये ही जा रही थी !
बहुत देर तक सिया रोती रही और फिर पता नहीं कब उसकी आंख लग गई ! खाने की प्लेट ज्यो की त्यो ही पडी थी मेज पर !तभी हल्की सी आहट से सिया की आंख खुली तो वो नकाबपोश अन्दर आया और उसने खाने की प्लेट उठाई और एक पानी की बोतल वही रख दी मेज पर और बाहर निकल गया !सिया ने कल से कुछ नहीं खाया था उसे भूख का अहसास भी नही हो रहा था ..बस उसे तो यहां सै निकलना था किसी भी तरह ! उसका दिमाग फिर कुछ सोचने लग गया ! थोडी देर बाद वो नकाबपोश अन्दर आया उसके हाथ में खाने की प्लेट थी ! उसने वो मेज पर रखी और बोला " खा लेना अब ये खाना ! सिया तो पत्थर बन कर बैड पर बैठी थी उसने ना खाने की तरफ देखा और ना उस नकाबपोश की तरफ वो दुसरी तरफ मुंह करके बैठी रही !वो खडा एक मिनट सिया को देखता रहा ..जब सिया टस से मस नही हुई तो गुस्से से प्लेट उठा कर बोला " ठीक है तो मरो भूखी ! दो दिन नही खाओ गी तो सारी हेकड़ी निकल जायेगी !
सिया ने उसकी बात सुनकर भी उसकी तरफ देखा तक नहीं !वो तेजी से दरवाजा बंद करके बाहर निकल गया !सिया बस शून्य में एक टक निहारती रही !
तभी सिया को बाहर के लोहे के दरवाजे के खुलने की आवाज आई ! वो लपक कर बिस्तर से उठी और बाहर झांकने के लिए दरवाजे का हैंडल पकड़ कर अन्दर को खींचना चाहा लेकिन दरवाजा तो बाहर से बंद था !
सिया थोडा झुकी और दरवाजे के बीच में एक दरार में से बाहर हाल में देखने की कोशिश करने लगी ! तभी उसे दिखा कि वो नकाबपोश बाहर का ताला खोल कर बाहर निकल गया बाहर रात थी ! उसके बाहर से ताला लगाने की आवाज आई !सिया ने उसी दरार में से बाहर हाल का मुआइना लिया ! बाहर मेज परदो प्लेट पडी थी जो ढकी हुई थी बाहर एक बल्ब की रोशनी थी रोशनी ज्यादा तेज नही थी ज्यादा कुछ नजर नही आया सिया को !वो वापस बैड पर बैठ गई और सोचने लगी " ये बाहर कहां गया होगा ? मतलब आसपास कोई तो गांव कस्बा या शहर होगा जहां ये गया होगा क्योंकि ज्यादा दूर तो जा नही सकता क्योंकि मै यहां कैद हूं ..!ऐसे सवाल सिया के दिमाग में आने लगे उसे लगा कि उसे किसी तरह तो यहां से मौक़ा देखकर निकलना ही होगा !या मौका खुद बनाना होगा ! लेकिन कैसे ????उसे गये हुए बहुत देर हो चुकी थी ! सिया को लगा कि कहां गया होगा ? वो उठी और उसने दरवाजा जोर से खीचने की कोशिश की लेकिन वो हिला भी नही ! उसकी नजर कमरे में आसपास गई तो कमरे में एक मेज एक कुर्सी और एक सिंगल बैड के इलावा कुछ भी नही था !
वो कुछ नही कर सकती थी बाहर निकलने के लिए ! वो झल्ला कर बिस्तर पर बैठ गई !तभी बाहर के गेट के खुलने की आवाज आई तो वो समझ गई कि वो हैवान आ गया !तभी उसके कमरे का दरवाजा भी खोलने की आवाज आई !दरवाजा खुला और वो हैवान अंदर दाखिल हुआ !उसने सिया की तरफ देखा और बाहर निकल गया !सिया ने उसकी तरफ देखा भी नही वो दीवार की तरफ मुंह करके बैठी रही !थोडी देर में वो फिर कमरे में दाखिल हुआ तो उसके हाथ में एक प्लेट थी ! उसमें कुछ फ्रूट थे जो वो काट कर लाया था ! उसने वो प्लेट सिया के पास बिस्तर पर रखी और बोला " खा लो इसे,कल से भूखी हो ...बेकार में समय से पहले मर जाओगी !सिया ने ना उसकी तरफ देखा और ना प्लेट की तरफ देखा ..वो एक टक दीवार की तरफ देखती रही !वो कुछ देर सिया को देखता रहा फिर बाहर चला गया !बहुत देर हो गई थी सिया मूक बन कर ऐसे ही बैठी रही ! रात का दुसरा पहर गुजर रहा था !वो फिर अंदर आया और सिया को वैसे ही बैठा देख कर और फलों की प्लेट वैसे ही पडी देख कर सिया की तरफ कुछ देर देखता रहा फिर सिया को बांह से पकडते हुए बिस्तर से खींचकर ज़मीन पर खडा कर दिया !और बोला " तुम्हे सुनाई नही पडता ..मै क्या बोल रहा हूं ! वैसे तो तुम्हारी ज़ुबान दिन रात टर्र टर्र करती रहती है अब क्यू गूंगी बन गई हो ?
सिया चुपचाप खडी रही, बिना कुछ बोले !उसने सिया को चुपचाप देखकर गुस्से में सिया के बाल पकड कर खींचना चाहा.. लेकिन तभी उसकी नजर बिस्तर पर पडी जहां सिया बैठी थी ! वो बिस्तर खून से भर गया था ! उसने सिया को घुमा कर उसके पीछे देखा सिया की जीन्स भी खून से लाल थी !
उसने सिया को इस हालत में देखकर अपने दोनों हा्थो से अपना सर पकड लिया और नरम आवाज में बोला " तुमने बताया क्यो नही कि तुमको पीरियड शुरू हो गये है तुम इस हालत में बैठी हो !
सिया को मालूम था लेकिन वो करती भी क्या ? कैसे करती ? किसको कहती ?सिया की आंखों में पानी छलक आया और वो दीवार के साथ सर लगा कर फूट फूट कर रोने लगी !
उसने जल्दी से बिस्तर की चादर उठाई और बाहर निकल गया !और हाल का गेट खोल कर बाहर चला गया ! उसके बाहर से ताला लगाने की आवाज आई !सिया चुपचाप रोती हुई दीवार के साथ घिसटती हुई नीचे बैठ गई और फूट फूट कर रोने लगी !
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