विक्रम और अनीता की आंखें एकटक बाहर के गेट की तरफ लगी हुई थी जहां से अभी अभी सिया और युवराज निकल कर जा चुके थे !!!
अनीता विक्रम की बांह पकड़ कर उसको अपनी तरफ खींचते हुए दुखी मन से बोली " विक्रम!!! मुझे हैरानी है कि तुमने अपनी बेटी को उस युवराज के साथ जाने ही क्यों दिया ??? क्या चल रहा है तुम्हारे दिमाग में ???
विक्रम अनीता की बात का जवाब देता तब तक धीरज भी विक्रम के पास आकर बोला"" विक्रम !!!! यही बात मेरी समझ में भी नहीं आई कि तुमने उस लड़के को गुड़िया बेबी के साथ जाने ही क्यों दिया ?? जब कि हम लोग पिछले 20 दिनो से जानकारी करके इस लड़के को पकड़ने के लिए फिर रहे थे कि पता चले कि इसका मकसद क्या था गुड़िया बेबी को किडनैप करने का ?
विक्रम गम्भीर आवाज में " जानता हूं तुम सब के दिमाग में बहुत सवाल है और तुम ये भी जानते हो कि युवराज तक पहुंचना मेरे लिए मुश्किल काम नहीं है लेकिन बात यहां मेरी बेटी की मर्जी की है उसकी गलतफहमी की है जो युवराज ने उसको गलत बता कर डाल दी है !!!
धीरज" अरे तो गुड़िया बेबी को सच क्यों नहीं बताया तुमने ??
विक्रम " सच बताने का कोई फायदा नहीं था क्योंकि उसको झूठ भी सच की तरह से चालाकी से बताया गया है जिस पर उसको यकीन हो गया है !!
धीरज " तो फिर अब क्या करना है ???
विक्रम "" दिलावर सिंह को छोड़ दो !! और उसकी और बिलाल की हर हरकत पर नजर रखो ! बाकी मेरे अगले कदम का इंतजार करो !!!
धीरज हैरानी से" दिलावर सिंह को छोड़ देने का मतलब भी समझते हो ना तुम ?? गुड़िया बेबी उनके पास है कुछ भी ग़लत हो सकता है !!
अनीता परेशान होकर" विक्रम !!! क्या करना चाहते हो तुम ?? ऐसे हार मान जाओगे तुम ??
विक्रम " समझता हूं तुम लोगों की परेशानी!! लेकिन मैं भी कम परेशान नहीं हूं फिर भी जो भी कर रहा हूं सोच समझ कर कर रहा हूं !! गुड़िया को वो लोग कुछ नहीं करेंगे क्योंकि गुड़िया तो चाबी है मुझे मारने की !!! फ़िक्र मत करो धीरज तुम .. मुझे सोचने का वक्त दो ,बस तुम दिलावर सिंह को छोड़ कर उस पर नज़र रखो !!
परेशान विक्रम धीरज को समझाकर अनीता का हाथ पकड़ कर तेजी से इमारत के बाहर निकल आया और कार की ड्राइविंग सीट पर बेठते ही अनीता को साथ बैठने का इशारा किया !
अनीता दुखी मन से कार की आगे वाली सीट पर बैठ गई !!!! उसके दिलों दिमाग पर हजारों सवाल थे और गुड़िया की फ़िक्र भी थी ! लेकिन वो समझ नहीं पा रही थी कि आखिर विक्रम के दिमाग में चल क्या रहा है !!!!
बंगले पर आकर विक्रम अपने कमरे की ओर तेजी से बढ़ गया अनीता उसके पीछे पीछे उसके कमरे तक आ गई!!
विक्रम अपने कमरे में आते ही सोफे पर बेजान सा होकर धस गया और अपने पैंट की जेब से अपना पर्स निकाल कर अनु की तस्वीर देखने लग गया जो कि उसके पर्स में काफी सालों से थी !!!
विक्रम के पीछे पीछे कमरे में आकर खड़ी अनीता ने जब विक्रम के हाथ में अनु की तस्वीर देखी तो वो कमरे से बाहर जाने लगी ... लेकिन विक्रम ने उसका हाथ पकड़ कर रोक लिया और बोला " मत जाओ, यही रहो !!! अनु से बस इतना कहना है कि बस मुझे माफ़ कर दे मै बाप का फ़र्ज़ ठीक से निभा नहीं पाया !!!
अनु की तस्वीर की तरफ देख कर विक्रम की आंखों से आंसू बहने लगे गये !
पास खड़ी अनीता से चुप रहा नहीं गया और वो विक्रम के पास बैठते ही बोली ""किसने कहा कि तुमने बाप का फ़र्ज़ ठीक से निभाया नहीं ?????
विक्रम " मैं कह रहा हूं !! तभी तो आज मेरी बेटी मुझे छोड़ कर चली गई !!! कुछ तो कमी होगी मेरे प्यार में जो मैं अपनी बेटी को दे नहीं पाया !!
अनीता " भूल गए तुम ? सारी जिंदगी हम दोनों सिर्फ गुड़िया के लिए ही जिए, हमने अपनी जरूरत से पहले गुड़िया की जरूरत पूरी की,उसे फूलों की तरह पाला,तुम आज तक सब कुछ गुड़िया के लिए ही तो करते आये हो !!! आज तक उसे महसूस नहीं होने दिया कि वो हमारी बेटी नहीं है अनु की है !!!
अनीता रुक कर फिर कहने लगी" बोलो विक्रम !!! कैसे कमी हो सकती है हमारे प्यार में ?? सिर्फ एक वचन की खातिर हमने पूरी जिंदगी गुड़िया को दे दी !!! तुमने उसे सच क्यों नहीं बताया ?? वो इतना कुछ कह गई , तुम सुनते रहे ,अब समय था सच कह देने का !!!
विक्रम अनीता की बातें सुनकर खड़ा हो गया और अनीता को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर थोड़ा झुक कर प्यार से बोला" तुम्हारी एक एक बात सही है अनीता !!! तुमने मेरी दी हुई कसम को आज तक निभाया,और गुड़िया को एक मां की तरह पाला और मां का प्यार भी दिया , तुम्हारे साथ और प्यार के बिना मैं गुड़िया को अकेला शायद ठीक से पाल नहीं पाता ,तुम मेरी जिंदगी का हिस्सा हो अनीता !!!
विक्रम के मुंह से अपने लिए प्यार भरी बातें सुनकर अनीता का दिल भर आया,उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह निकली,वो एकदम से विक्रम के सीने से लिपट गई और विक्रम के सीने से लग कर फूट फूटकर रोने लगी !!!
विक्रम ने अनीता को पहली बार कस के अपने गले से लगाया और उसके सर पर प्यार से हाथ फेरता हुआ बोला " ना..... ना अनीता रोना नहीं ... तुम मेरी हिम्मत बनो कमजोरी नहीं !!!!
अनीता रोते हुए विक्रम के सीने से लिपटे हुए "" विक्रम !! फिर क्यों गुड़िया को जाने दिया??? तुम तो ऐसे फ़ौलाद हो जो कहीं भी कमजोर नहीं पड़ता ,तो फिर आज गुड़िया को सच बता कर रोक लेते!!
विक्रम" मुझे थोड़ा वक्त दो अनीता!!! मैं सब ठीक कर दूंगा!! आ जायेगी गुड़िया जल्दी हमारे पास !! सब्र करो !!
विक्रम अनीता को समझा तो रहा था लेकिन उसके अंदर का हाल ऐसा था कि जैसे सब कुछ टूट सा गया हो !!! उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वो कहां से शुरू करें और कहा खत्म करें !!! इसी कशमकश में वो फिर अनीता से अलग होकर कमरे में खिड़की की तरफ जाकर दीवार के साथ सट कर बैठ गया और दुखी मन से गहरी सोच में डूब गया !!!
अनीता विक्रम को गौर से देखते हुए सोचने लगी"" कितना परेशान हैं विक्रम!! आज विक्रम ने मुझे पहली बार अपने सीने से लगाया ,ऐसा लगा कि जैसे आज मैंने विक्रम का प्यार पा लिया हो क्योंकि विक्रम की आंखों में दुःख के साथ साथ मेरे लिए प्यार भी था !!
अनीता अपने दिल में यह सब बातें सोचते हुए अपने आप से मन ही मन बोली " मैं विक्रम को ऐसे परेशान नहीं देख सकती ,विक्रम का प्यार मेरे लिए मेरी जिंदगी है,मैं उसे किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहती,फिर चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े,मैं करुंगी !!
अनीता मन ही मन सोचते हुए विक्रम की पास आकर कुछ कहती ,उसी वक्त विक्रम बोला" थोड़ी देर मैं अकेला रहना चाहता हूं अनीता !!!
अनीता " ठीक है विक्रम!! मैं तुमको अकेला छोड़ देती हूं अभी लेकिन ज्यादा देर नहीं,समझे तुम!!! मैं हर वक्त तुम्हारे साथ हूं विक्रम,हमें ऐसे हार नहीं माननी है हमें जल्दी कुछ करना होगा!!!
अनीता अपनी बात कह कर कमरे से बाहर चले गई , उसने उस वक्त विक्रम को थोड़ा अकेले रहना ही ठीक समझा!!!
विक्रम दीवार के साथ सट कर बैठा अपने अतीत के दिन याद करने लग गया जब वो अनु के मरने के बाद गुड़िया को लेकर उस शहर को छोड़ कर पूने आ गया था !! उसे वो दिन याद आया जब गुड़िया उसकी गोद में रोते रोते सो गई थी लेकिन जब वो उठी तो पहली बार गुड़िया ने विक्रम को पापा बुलाया था ,और विक्रम हैरान होकर गुड़िया की तरफ बढ़ा और उसे गले से लगा कर बोला " हां बेटा!! एक बार फिर से पापा कहो !! तो गुड़िया ने बार बार पापा पापा कहना शुरू कर दिया था !!!
विक्रम गुड़िया के बचपन की बातें याद करके एकदम फूट फूट कर रोने लगा ,उसका दिल बस आज जी भर कर रोना चाहता था !!!!
कुछ देर के बाद अनीता विक्रम के कमरे में दाखिल हुई और विक्रम को इस तरह से दुखी देखकर उसके पास आकर बोली " ये क्या हाल बना लिया तुमने विक्रम ?? इसी लिए कहते हो कि मै तुम्हे अकेला छोड़ दूं !! चलो मुंह हाथ धो कर कुछ खा लो , तुमने कल से कुछ खाया नहीं है !!
विक्रम "" भूख नहीं है अनीता !!!
अनीता " क्यों भूख नहीं है ? तुम मुझे जरा सा भी अहमियत देते हो अपनी लाइफ में तो चलो कुछ खा लो,देखो तुम नहीं खाओगे तो मैं भी कुछ नहीं खाऊंगी !!
अनीता के जिद करने पर विक्रम ने हां में सर हिला दिया!!
अनीता को खुशी हुई कि विक्रम ने उसकी बात मान ली वो खुशी से कमरे के दरवाजे पर जाकर फातिमा को आवाज लगाने लगी "" फातिमा!!!!
फातिमा किचन की तरफ से निकल कर तेजी से अनीता के सामने खड़ी हो गई और बोली" जी मेमसाब!!!
अनीता " फातिमा !! मेरा और साहब का खाना यहीं कमरे में लगवा दो !!
फातिमा हां मैं सर हिला कर किचन की तरफ बढ़ गई!!
फातिमा ने खाना विक्रम के कमरे में ही लगा दिया और बाहर चली गई !!
अनीता ने विक्रम को खाने की टेबल के आगे बैठने को कहा!!
विक्रम खिड़की के पास से उठते हुए खाने की टेबल के पास आते हुए बोला " दिल बिल्कुल नहीं है अनीता खाने का !!
अनीता विक्रम का हाथ पकड़ कर कुर्सी पर बिठाते हुए बोली" दिल नही है तो बना लो !! लेकिन खाना तो खाना ही पड़ेगा !!
अनीता ने खाने का पहला निवाला तोड़ कर विक्रम की तरफ कर दिया!!
विक्रम ने अनीता की तरफ देखा फिर अपना मुंह खोल दिया और अनीता के हाथ का निवाला अपने मुंह में डाल लिया !!
अनीता उसे अपने हाथ से खाना खिलाने लगी !! विक्रम अनीता के मुंह की तरफ देख रहा था और मन ही मन सोच रहा था कि अनीता जैसी लड़की ने उसकी जिंदगी को बांधे रखा आज तक ,और मन ही मन उससे प्यार करने के वावजूद भी मेरी दूरी को झेलती रही और आजतक मेरा साथ नही छोड़ा,और कभी भी अपने फ़र्ज़ से पीछे नहीं हटी !!
विक्रम मन ही मन अनीता का शुक्रिया कर रहा था और सोच रहा था पता नहीं मैं अनीता को वो सब दे भी पाऊंगा कि नहीं, जिसकी वो हकदार हैं !!
विक्रम के सोचते सोचते अनीता ने विक्रम को उसकी प्लेट का सारा खाना खिला दिया और अब खुद खाने लगी !!
अनीता " बोल रहे थे भूख नहीं, लेकिन इतनी ज्यादा भूख थी तुमको कि सारा खाना जल्दी जल्दी खा भी गये !!!
विक्रम" तुमने खाना अपने हाथों से खिलाया प्यार से तो सच में भूख बढ़ गई थी !!!
विक्रम की आंखों में अपने लिए प्यार की झलक मात्र देखकर अनीता खाते खाते शर्मा गई और बस नजरें नीची करके हल्का सा मुस्कुरा दी !!! पहली बार विक्रम उसे इतने प्यार से देखकर उसकी तारीफ कर रहा था !! वो तो तरसती थी विक्रम के मुंह से अपने लिए एक शब्द प्यार का सुनने के लिए !!
विक्रम अनीता की तरफ एक टक देख ही रहा था ,तभी विक्रम के फोन की घंटी बजी......!!!!! विक्रम ने नम्बर देखा ,फोन धीरज का था विक्रम ने फोन कान को लगा कर हैलो बोला"""
धीरज फोन से" भाई !! दिलावर सिंह को छोड़ दिया!!! उसका पीछा करने पर पता चला कि वो अपने एक नये अड्डे की तरफ जाकर बिलाल से मिला वहां उसके बहुत से आदमी थे सब हथियारों से लैस !!!
विक्रम "" और युवराज का पीछा किया ???
धीरज" हां भाई !! वो अपने घर पर हैं जहां पहले वो अकेला रहता था !!! गुड़िया बेबी उसके साथ ही है !!
विक्रम " ठीक है !! नज़र रखो उन सब की हर एक्टिविटी पर !!
धीरज" भाई लेकिन आगे करना क्या है???? गुड़िया बेबी की जान को भी खतरा हो सकता है तुम अपना आगे का प्लान जल्दी बताओ ???
विक्रम " कुछ नहीं होगा गुड़िया को !!! युवराज खुद वापस लेकर आयेगा गुड़िया को !! बस उसे दिलावर सिंह का असली चेहरा दिखाना है !!इसके लिए फुल प्लान के साथ आगे बढ़ना होगा !! इसीलिए बोल रहा हूं कि थोड़ा इंतजार करो उनके अगले कदम का कि वो अब चाहते क्या हैं क्योंकि दिलावर सिंह चुपचाप बैठने वाला नहीं है !!
धीरज विक्रम की बात पूरी तरह से समझ कर बोला" ठीक है भाई समझ गया मैं !! कहकर धीरज ने फोन काट दिया !!
अनीता विक्रम और धीरज की बातें सुनकर बोली " विक्रम !! दिलावर सिंह हमारी गुड़िया को नुक्सान भी पहुंचा सकता है !! और युवराज खुद कैसे लेकर आयेगा गुड़िया को हमारे पास ???
ढेर सारे सवाल अनीता ने पूछ डाले क्योंकि उसे अभी भी विक्रम के दिमाग में चल रहे प्लान की समझ नहीं आ रही थी !!
विक्रम कुर्सी लेकर अनीता के सामने बैठ गया और बोला "" युवराज गुड़िया को लेकर मेरे पास खुद आयेगा,ये बात मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि युवराज सिर्फ दिलावर सिंह का सिखाया हुआ मोहरा है !! लेकिन जिस दिन उसे सच्चाई पता चलेगी उस दिन वो खुद दिलावर सिंह के बनाये हुए जाल से बाहर आ जायेगा !!
अनीता " लेकिन ये बात तुम इतने यकीन के साथ कैसे कह रहे हो ??? ऐसा भी तो हो सकता है कि युवराज दिलावर सिंह का ही आदमी हो और पैसों के लिए हमारी गुड़िया को अपने प्यार और झूठ के जाल में फसा कर दिलावर सिंह का साथ दे रहा हो !!!
विक्रम"" हो सकता है ऐसा भी , लेकिन एक बात है बीच में जो मुझे खटक रही है कि युवराज को मेरे बारे में वही पता है जो दिलावर सिंह ने उसे बताया ,मतलब सिर्फ एक झुठी कहानी .. युवराज को तो ये भी नहीं पता कि गुड़िया हमारी सगी बेटी नहीं है , क्योंकि जब वो मेरी कैद में था तब उसके मुंह से निकला कि गुड़िया को तुम्हारे घर में पैदा ही नहीं होना चाहिए था ,मतलब वो अगर जानता होता कि गुड़िया मेरी बेटी नहीं है तो वो गुड़िया को बता देता, लेकिन ये बात दिलावर सिंह जानता है तो साफ है कि दिलावर सिंह ने झूठी कहानी बना कर युवराज को मोहरा बनाया मेरे खिलाफ खड़े होने के लिए !!!
अनीता बहुत गौर से विक्रम की बातें सुन रही थी और अब उसे विक्रम के दिमाग में चल रही सारी बातें समझ भी आ रही थी !!
अनीता " तो फिर जो तुम सोच रहे हो उसको पुख्ता करने के लिए क्या करोगे ???
विक्रम" बस वही प्लान बना रहा हूं दिमाग में, क्योंकि यहां मेरी बेटी का सवाल है बीच में,तो मुझे दिलावर सिंह के शातिर दिमाग की तरह ही सोच कर उसे उसके खुद के जाल में फंसाना होगा!!
अनीता " लेकिन अगर इसका उल्टा हुआ कि युवराज ही मास्टर माइंड हुआ इस बारे काम का तो क्या होगा ??
विक्रम" हां कुछ भी हो सकता है !! इसीलिए मुझे युवराज की लाइफ हिस्ट्री को ढूंढना होगा कि उसका असली अतीत क्या है !!!!
अनीता " विक्रम !! तुम जो भी करना सोच समझ कर करना !! क्योंकि उनके पास हमारी बेटी है इसलिए वो बेटी की आड़ में तुमको कुछ भी करने के लिए मजबूर कर सकते हैं क्योंकि वो जानते हैं कि गुड़िया तुम्हारी कमजोरी है तुम उसके लिए किसी भी हद तक चले जाओगे !!
विक्रम" जानता हूं अनीता!!! कोई बात नहीं अपनी बेटी के लिए मुझे अगर अपनी जान भी गंवानी पड़ी तो मैं पीछे नहीं हटूंगा !!
अनीता ने विक्रम की बात सुनकर उसके मुंह पर हाथ रख दिया,और बोली " ऐसी बातें मत करो !!! तुम्हारी जान सिर्फ तुम्हारी ही नहीं है तुम्हारी जान मुझमें भी बस्ती है विक्रम!! तुम्हारे बिना मैं मर जाऊंगी ... समझे तुम!!! इसलिए अपनी जान की हिफाजत भी करना,जो भी करना बस अपने आप को सेफ रख कर करना !!!
बोलते बोलते अनीता की आंखों में आसूं आ गये वो सुबक सुबक कर रोने लगी !! विक्रम ने उसे रोते देखकर एक बांह से खींच कर अपने सीने से लगा लिया और बोला" इतना प्यार क्यों कर बैठी तुम मुझसे ??? जबकि पूरी जिंदगी मैं तुम्हें कुछ नहीं दे पाया जिसको पाने का तुम हक रखती थी !! मेरे साथ सालों से पत्नी बन कर रह रही हो , लेकिन मैं तुम्हें पत्नी का एक भी सुख नहीं दे पाया !!!!
अनीता " मैंने तुमसे प्यार अनु से पहले किया था पहली नजर में ही तुमको दिल दे बैठी थी लेकिन अनु मेरी बहन जैसी थी उसको जब तुमसे प्यार हुआ और तुमको भी उससे प्यार हुआ तो मुझे अपने प्यार से ज्यादा अनु की जिंदगी जरुरी दिखी क्योंकि अनु बहुत मुसीबतों के बाद फिर से तुममें अपना फ्यूचर देख रही थी अपने बच्चे के बाप के रूप में देख रही थी तो मैंने अपने प्यार को अंदर ही अंदर दबा लिया क्योंकि मैं तुम दोनों को खुश देखना चाहती थी और प्यार पाने का ही नाम नहीं है मैंने अपने प्यार की पूजा की है तुम्हारे साथ रहना भी मेरे लिए बहुत कुछ पाने जैसा है!!
विक्रम प्यार से अनीता के सर पर अपना हाथ फेरते हुए " जानता हूं अनीता कि तुमने अपनी एक सहेली के वचन को आज तक निभाया उसकी बेटी को मां बनकर पाला और उसे मां की कमी आजतक महसूस नहीं होने दी !!
अनीता" विक्रम!! मैंने अकेले ने ही नहीं तुमने भी अपनी पूरी लाइफ अपने प्यार पर कुर्बान कर दी ,हम दोनों ने ही अपने बारे में ना सोचकर गुड़िया के बारे में सोचा क्यों कि वही हमारी दुनिया बन गई थी उसका प्यार से हमें मां पापा कहना हमारी जिंदगी बन गया था !! इसीलिए तो आज दुख होता है कि गुड़िया क्यों हमें गलत समझ बैठी ?? अपने मां पापा पर तो उसे यकीन होना चाहिए था ,ऐसे किसी अजनबी की बातों में आके हमें बुरा भला बोल कर छोड़ कर चली गई !!
विक्रम " कोई बात नहीं अनीता!! वो बच्ची है अभी किसी के बहकावे में आ गयी है वो हम दोनों से बहुत प्यार करती है जरुर समझेगी एक दिन हमें !!!!
बहुत देर तक यूं ही अनीता विक्रम के सीने से लिपटी रही ,उसे जो सुकून मिला था वो उसे एक भी पल खोना नहीं चाहती थी, गुड़िया के घर छोड़ने के बाद विक्रम का इस तरह से उसे अपने सीने से लगाना उसके दुख पर मरहम का काम कर रहा था !!!
तभी विक्रम के फोन की घंटी बजी .... विक्रम ने नम्बर देखा और नम्बर देखते ही बोला" इसी काॅल का इंतजार था !!!!
विक्रम ने फोन अपने कान से लगा लिया और उधर से हैलो आने से पहले ही बोल उठा" जानता था मैं कि गीदड़ मेरी कैद से छूटते ही शहर की ओर भागेगा और फिर अपनी बिल में घुस कर मुझे सींग दिखायेगा !!!!
फोन से " वाह!! दाद देनी पड़ेगी तुम्हारी मेरी आहट से ही चौंक्कने हो जाते हो मतलब इतना तो दबदबा है मेरा , विक्रम बच्चे !!! हा हा हा हा
जोर जोर से हंसने के कहकशे लगा कर दिलावर सिंह हंसने लगा !!
विक्रम"तेरा दबदबा नहीं दिलावर सिंह,ये तेरी नीचता है जो मेरे सामने नहीं चलती !! चल छोड़ !! मुद्दे पर आ !! जिस मकसद के लिए फोन किया वो बता ???
दिलावर सिंह " समझदार तो हो तुम शुरू से, मतलब मेरे हर दांव पेंच को समझ ही जाते हो !! चलो अब मुद्दे पर आते हैं !! अपनी बेटी को फिर से पाना चाहते हो तो मेरी कुछ बातें हैं वो माननी होगी !! बोलो तैयार हो !!
विक्रम" जानता हूं !! मुझे काबू में लेने के लिए तेरे पास मेरी बेटी ही है !! वैसे तो तेरी फटती है मेरे सामने !!!बोल क्या चाहिए तुझे मुझसे ??
दिलावर सिंह " बता दूंगा सब कुछ तुझे मरे अड्डे पर आना होगा !! आमने सामने बैठ कर तय करेंगे कि मुझसे हमें क्या चाहिए !!
विक्रम" ठीक है !! बोल कब और कहां आना है ??
दिलावर सिंह " जल्दी बता दूंगा !! इंतजार करो !!
विक्रम" वैसे मेरी बेटी तेरे पास है भी कि नहीं ?? वो तो युवराज के साथ है !! और वो दोनों एक दूसरे को प्यार करते हैं तो युवराज तुझे मेरी बेटी को तो नुकसान पहुंचाने देगा ही नहीं !! क्या कहते हो इस बारे में ??
विक्रम ने ये बात बोल कर दिलावर सिंह के दिमाग का सच जानना चाहा !!
दिलावर सिंह " युवराज बस मेरे एक इशारा करते ही तेरी बेटी की इज्जत तार तार करके उसके टुकड़े कुत्तों को खिला देगा ,समझे तुम ? प्यार व्यार कुछ नहीं वो सिर्फ नाटक है !!
विक्रम " मुंह सम्भाल कर बोल हराम की औलाद !! तुझे पता है मेरी बेटी का तू कुछ नहीं बिगाड़ सकता ,तुझे पाताल से भी निकाल कर तेरे इतने टुकड़े करुंगा कि तेरे पुरखे तक कांप जायेंगे!!
उधर से फोन कट गया !!
विक्रम गुस्से से" साला हरामी !! अपनी औकात दिखाना नहीं भूलता !!!
अनीता पास खड़ी विक्रम और दिलावर सिंह की बातें सुन रही थी फोन बंद होते ही बोली" विक्रम!! तुम उससे मिलने जाओगे ??? तुम जानते हो ना कि वो कितना घटिया आदमी है !!
विक्रम " जाऊंगा जरुर उससे मिलने , लेकिन इस बार ताकत का इस्तेमाल बाद में करुंगा पहले इसकी जुबानी अपनी बेटी को इसकी असलियत दिखाऊंगा उसके बाद इसका खात्मा करुंगा !!
अनीता को फिर भी बहुत फ़िक्र हो रही थी कि 15 साल बाद फिर से वही खौफनाक अतीत उनके सामने खड़ा हो गया ,पहले भी उस काले अतीत को दफ़न करके नई जिंदगी शुरू की थी ,आज ऐसा लग रहा है कि फिर से उसी अतीत के डरावने मोड़ पर खड़ी हो गई है उनकी जिंदगी!!!
15 साल पहले भी अनु और गुड़िया को किडनैप करके दिलावर सिंह यही सब बोल रहा था और आज भी किस्मत उसी मोड़ पर अतीत को दोहरा रही है !!
अनीता के दिमाग में यह सारे बुरे ख्याल रहे रह कर दौड़ रहे थे !! तभी विक्रम ने उसके सोचने की दौड़ को रोका और बोला " तुम रेस्ट करो अनीता मुझे धीरज से मिलने जाना है !!
अनीता" विक्रम अपना ख्याल रखना, और जो भी करना सोच समझ कर करना !!
विक्रम अनीता की बात सुनकर हां के इशारे में सर को हिला कर कमरे से बाहर निकल गया और बाहर अपनी कार के पास पहुंच कर पास खड़े मोहन से बोला " बंगले की सिक्योरिटी बढ़ा दो !!! और कोई भी चूक नहीं होनी चाहिए इस बार, मेमसाब और घर में हर एक्टिविटी पर नज़र रखना !!
मोहन " साहब!! बेफिक्र होकर जाइए पहले जैसी गल्ती दोबारा नहीं होगी !!!
विक्रम कार लेकर तेज़ी से हाईवे पर आ गया उसकी कार तेज रफ्तार से खुली सड़क पर दौड़ रही थी !!! लेकिन उसका दिमाग शांत होकर कुछ गहरा सोच रहा था ,उसके दिमाग में बहुत से ऐसे सवाल घूम रहे थे जो अब युवराज के इतिहास जान कर ही खत्म होंगे ! ये युवराज आखिर है कौन ? कहां से आया ? और मुझे से इसकी क्या दुश्मनी ? मेरी बेटी को अपने प्यार के जाल में फसाने का क्या मकसद?
ऐसे ढेरों सवाल विक्रम के दिमाग में थे जिनको अब उसने सुलझाना था !!!
विक्रम धीरज के बताये पते पर पहुंच चुका था उसने कार साईड लग दी और फ्लैट के अंदर चला गया !!
ये चार कमरों का अपार्टमेंट था धीरज वहीं लिविंग रूम में बैठा था, विक्रम के आते ही उसने बैठने का इशारा किया और बोला " लगा दिए हैं आदमी मैंने उन सब के पीछे,बस अब एक एक करके सब की कुंडलियां खुल जायेगी !!
विक्रम कुर्सी पर बैठते ही' धीरज मुझे युवराज की पूरी ए टू जेड हिस्ट्री जाननी है !!!!धीरज"हां जानता हूं,जब से तुमने बोला है तब से लग गया हूं काम पर !!! पुराने ठिकानों की बजाय तभी तो ये फ्लैट बुक कर लिया अब इस जगह का पता किसी को नहीं !!
विक्रम और धीरज बैठे अभी बातें ही कर रहे थे कि धीरज का खास आदमी उस्मान अंदर दाखिल हुआ और बोला " युवराज के बारे में कुछ इनफार्मेशन लाया हूं !!
धीरज और विक्रम उस्मान की बात सुनकर एक साथ ही बोल उठे"" क्या ????
उस्मान " युवराज राज की बेटी का मंगेतर है !!! वहीं राज जो 15 साल पहले तुम्हारे रास्ते का कांटा बन गया था !!
विक्रम और धीरज हैरानी से एक दुसरे का मुंह देखने लगे !!
विक्रम हैरानी से " राज की बेटी का मंगेतर !!!!!!!!!!!!????
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