Chapter-15

विक्रम सिया के सामने बैठ गया ,वो समझ चुका था कि उसकी फूल सी गुड़िया को आज वो सब पता लग चुका था जो वो सालों तक छिपाता रहा !!!

लेकिन विक्रम इस बात से दुखी था कि उसकी बेटी को जो भी पता लगना था वो इस बुरे तरीके से नहीं पता लगना चाहिए था,इससे एक बात साफ जाहिर हो जाती है कि दिलावर सिंह अपने घटिया मनसूबे में कामयाब हो गया था !!!!!

गुड़िया एक टक विक्रम की आंखों में गहराई से देख रही थी .. विक्रम उसकी तीखी नजरों का सामना नहीं करना चाहता था जिन आंखों में बचपन से उसने अपने लिए प्यार देखा था उन आंखों में आज नफरत झलक रही थी !!!!

विक्रम ने अपनी नजरें झुका ली !!!

सिया पापा को एक टक गहराई से देखते हुए मन ही मन सोच रही थी कि काश मैं पापा से जो भी सवाल करु उनका जवाब पापा "ना " में दे क्योंकि वो नहीं चाहती थी कि जो भी युवराज ने पापा के बारे में कहा था वो सच हो !!!!!

उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कुछ भी पूछने की लेकिन उसे सच तो जानना ही था ,सच जानें बिना वो अपने पापा को बेगुनाह कैसे साबित करती !! लेकिन डर इस बात का था कि अगर युवराज की कही हुई बातें सच हुई तो उसे अपने पापा को छोड़ कर जाना होगा .. यही तो वादा करके आई थी वो युवराज से !!!!

इसी कशमकश में उलझी वो पापा की तरफ गहराई से देख रही थी !!!

तभी विक्रम के पास खड़ी अनीता से रुका नहीं गया वो बोल उठी "" विक्रम !!!! क्या चल रहा है यहां ???? तुम ये सब करने ही क्यों दे रहे हो गुड़िया को ? उसके कुछ पूछने से पहले तुम सच क्यों नहीं बता देते !!!!!!अनीता ने इतना कुछ झल्लाहट में बोल दिया और विक्रम की तरफ सवालिया निगाहों से देखने लगी !!!!

विक्रम ने अनीता का हाथ पकड़ कर उसे नजरों से चुप रहने का इशारा किया और धीरे से बोला " अब नहीं !!! अभी कुछ भी बोलना या कहना ठीक नहीं , प्लीज़ मेरे लिए चुप हो जाओ !!!!!

अनीता झल्लाहट भरे अंदाज में पीछे दीवार के साथ सट कर खड़ी हो गई और गुस्से से सिया की तरफ देखने लगी !!!!

विक्रम गहराई से सर नीचे करके जमीन को घूर रहा था ,वो इंतजार कर रहा था कि उसकी फूल सी गुड़िया आज पता नहीं किस इम्तिहान में डाल देगी उसे ,एक ऐसा इम्तिहान जिसके सवालों के जवाब वो दे भी पायेगा कि नहीं !!!!

तभी सिया ने कमरें के सन्नाटे को खत्म करते हुए अपनी चुप्पी तोडी और विक्रम की तरफ सवालिया नज़रों से देखते हुए बोली " पापा !!! आप दिलावर सिंह को जानते हो ?

विक्रम सिया के मुंह से दिलावर सिंह का नाम सुनकर हैरानी से सिया की तरफ देखने लगा और बोला" हां !!!! लेकिन बेटा तुम नहीं जानती कि दिलावर सिंह है कौन !!!!

सिया विक्रम की तरफ तीखी नजरों से देखते हुए बोली"" पापा !!!! मैंने आपसे पहले ही कहा था कि आप मेरे सवालों के जवाब " हां या ना" में ही देना , मुझे सिर्फ ये जानना है कि जो सवाल मैं आपसे पूछूं ,तो उन सवालों से आप जुड़ें हो कि नहीं !!! बस !!!

विक्रम सिया की बात सुन कर अंदर से कांप सा गया ,पहली बार ऐसा हुआ कि किसी से भी ना डरने वाला , फ़ौलाद सा सीना लेकर चलने वाला विक्रम ,आज एक ऐसी अदालत में खड़ा था , जहां पर इल्ज़ाम तो थे पर उनके जवाब वो दे नहीं पा रहा था , इसलिए उसे लग रहा था कि आज वो इन रिश्तों की अदालत में वो हार जायेगा सब कुछ !!!!!

सिया ने फिर विक्रम की सोच तोडी और बोली " पापा !!! दिलावर सिंह आपके पिता समान था क्या वो आपको अपना बेटा मानता था ????

विक्रम बिना कुछ सोचे और बिना तकरार किए बोला "" हां !!!!

सिया ने तीसरा सवाल पूछा " पापा !! आप दिलावर सिंह का सारा कारोबार संभालते थे ???

विक्रम " हां !!

सिया " पापा !! आप राज को जानते थे ???

विक्रम " हां !!!!

सिया " आप बिलाल को जानते हो ?

विक्रम " हां !!!

सिया " राज और बिलाल और आप तीनों दिलावर सिंह के कारोबार के पार्टनर थे ??

विक्रम हैरान होकर सिया के इस सवाल का जवाब देने से पहले पास खड़ी अनीता की तरफ देखने लगा !!

अनीता भी हैरानी से विक्रम की तरफ देखने लगी !

दोनों ने आंखों ही आंखों में एक दुसरे को ये कहा कि दिलावर सिंह के सिखाते हुए लड़के युवराज ने सिया को पूरी तरह से ग़लत बता कर मेरे खिलाफ खड़ा कर दिया है !!

अनीता अपने आप को रोक नहीं पाई और खीझ कर बोली " विक्रम !! तुम सुन रहे हो ना !!! उस दिलावर सिंह ने तुम्हारी बेटी को ग़लत सिखा पढ़ा कर तुम्हारे ही खिलाफ खड़ा कर दिया है !! अब भी तुम चुप रहोगे ????

विक्रम अनीता का हाथ धीरे से पकड़ता हुआ बोला " जानता हूं सब !! लेकिन मेरी बेटी अब बड़ी हो गई है और बहुत समझदार भी है वो सही और ग़लत को जरूर समझेगी !!! तुम शांत रहो !!

अनीता का दिल गुस्से से भर गया था वो बाहर से तो चुप हो गई थी लेकिन उसके अंदर तूफान चल रहा था कि वो सब कुछ सिया को सच बता दें लेकिन विक्रम की इजाजत के बिना वो अपनी सालों पुरानी कसम नहीं छोड़ना चाहती थी जो विक्रम ने अपने साथ चलते वक्त दी थी कि गुड़िया को उसके मां बाप का सच कभी नहीं पता लगना चाहिए !

सिया ने फिर से अपना सवाल दोहराया " पापा !! राज और बिलाल और आप तीनों दिलावर सिंह के कारोबार के पार्टनर थे ??

विक्रम " नहीं !!

सिया " मतलब ??

विक्रम " मैं अकेला ही दिलावर सिंह का सारा कारोबार संभालता था !!! राज और बिलाल दिलावर सिंह के सप्लायर थे ! पार्टनर नहीं !!

सिया " तो आप राज और बिलाल को जानते तो थे ना ??

विक्रम " बिलाल को जानता था ,राज को बाद में जाना !!!!

सिया " बाद में मतलब ... जब आप को पता लगा कि वो भी दिलावर सिंह के कारोबार का पार्टनर है तो आप ने उसे मार दिया !!! पापा आप ने राज को मारा कि नहीं ?????

सिया तल्खी से विक्रम से पूछते हुए चिल्ला पड़ी !!!

विक्रम सिया का सवाल सुनकर चुप होकर जमीन को घूरने लगा !!

सिया फिर तल्खी से चिल्लाते हुए बोली " पापा !!!!! आप ने राज को मारा कि नहीं ?????? हां या ना !!!!!!!

विक्रम की आवाज में बहुत नरमी और दर्द था वो बोला " हां !!!

सिया विक्रम की हां सुनकर बिलख बिलख कर रोने लगी !!!

विक्रम कुर्सी से उठकर सिया को चुप कराने लगा , लेकिन सिया रोते रोते चिल्ला कर विक्रम की तरफ हाथ उठा कर बोली " वहीं रुक जाइए पापा !!!!! मुझे छूने की कोशिश भी मत कीजिए गा !!!

विक्रम के पैर वहीं जमीन पर गड़ गए वो बिल्कुल जड़ सा बन गया था !!! उसका पूरा शरीर कांप रहा था और उसकी धड़कन तेज़ हो गई थी !

तभी सिया रोते रोते बोली" तो युवराज की एक एक बात सच निकली !!! मेरे पापा ... जिन्हें मैं अपना सुपरमैन मानती थी वो एक क़ातिल है !!!!!!!!!!!

सिया थोड़ा रुक कर फिर बोली" तो आपने अपने पिता समान दिलावर सिंह का सारा पैसा लूट कर मुझे पाल पोस कर बड़ा किया और उसे धोखे से जेल में सड़ने के लिए छोड़ दिया !! ये था आपका अतीत पापा ? इतना घिनौना !!!!! मुझे शर्म आ रही है कि मैं आपकी बेटी हूं !!!

अनीता सिया के बेबाक कुछ भी बोले जाने से तेज़ आवाज़ में चिल्ला कर बोली" गुड़िया !!!! तुम्हें अपने पापा से बात करने की तमीज भी भूल गई ? उस कल के मिले छोकरे के झूठ को तुम अपने पापा के जीवन भर तुमको पाल पोस कर बड़ा करने को भी भूल गई,जो विक्रम और मैंने तुमको पालने में अपना जीवन बर्बाद कर दिया,उसका क्या ??? तुम कुछ भी सच नहीं जानती !! सच जानोगी जिस दिन उस दिन तुम पछताओगी कि तुमने अपने देवता जैसे पापा को इतना ग़लत बोला !!!

विक्रम ने तेजी से अनीता को खींच कर अपने सीने से लगा लिया और धीरे से बोला" नहीं अनीता !! तुमको मेरी कसम,तुम कुछ नहीं बोलोगी आगे !!!!

अनीता ने अपना मुंह उठा कर विक्रम की आंखों में देखा और बोली" क्यों विक्रम क्यों ?????? मैं तुमको इतना जलील होते हुए नहीं देख सकती ,वो भी अपनी बेटी से ,जिसको तुमने अपनी पूरी जिंदगी देकर पाला !!!

विक्रम ने धीरे से अनीता के मुंह पर अपना हाथ रखते हुए अपनी आंखों से उसको चुप रहने का इशारा किया !!!!

सिया मां की बातों को सुनकर बोली" हां तुम दोनों ने मुझे लूटे हुए पैसे और लोगों की जिंदगियां खत्म करके पाल पोस कर बड़ा किया, बहुत बड़ा अहसान किया मुझपर ! शुक्रिया आप दोनों का , लेकिन मुझे पैदा होते ही मार देते तो अच्छा था क्योंकि मुझे अब ये जीवन बोझ लग रहा है कि मैं एक क़ातिल रेपिस्ट लुटेरे की बेटी हूं !!!!!

रेपिस्ट?????????????????????? सिया के मुंह से "रेपिस्ट " शब्द सुनकर एकदम से अनीता गुस्से से पागल हो गई और तेज कदमों से सिया के पास आकर ,एक जोरदार तमाचा सिया के गाल पर जड़ दिया और बोली" तुझे शर्म नहीं आई अपने पापा को रेपिस्ट कहते हुए ??? बददिमाग लड़की !!!

अनीता ने विक्रम की तरफ देख कर उसे पहले ही रोक दिया और बोली " विक्रम बस !!! मुझे मेरे दायरे पता है कि मुझे क्या बोलना है और क्या नहीं ,मैं मरते दम तक तुम्हारी कसम नहीं तोड़ूंगी जब तक

तुम नहीं कहोगे तब तक कुछ नहीं बोलूंगी , लेकिन मैं तुम्हें तुम्हारी बेटी से ही रेपिस्ट कहना भी नहीं सुन सकती ,समझे तुम !!!

सिया रोते हुए " हां मुझे आज शर्म भी आ रही है कि मैं एक खूनी और रेपिस्ट की बेटी हूं , जिसने राज की पत्नी का रेप किया और उसे फिर पागल कर दिया,और मेरी मां उनके इस जुर्म की भागीदार है !!!

अनीता ने सिया के मुंह से इतनी कड़वी बातें सुनकर मन मसोस कर विक्रम की तरफ देखा तो बस विक्रम के चेहरे पर मायूसी देखकर चुप हो गई !!!

सिया ने फिर से विक्रम की झुकी हुई आंखों की तरफ देखा और बोली" पापा !!! क्यों किया आप ने ये सब ?? आप ने एक सीधी साधी लड़की कीर्ति को मरवा दिया, जिसकी बिमार मां आपके अत्याचार की वजह से पागलखाने में थी ! आपका काला सच कोई और ना जान पाता इसलिए आप ने पहले कीर्ति के पापा राज को मारा पैसों के लिए फिर उसकी मां को पागलखाने जाकर मार दिया फिर कीर्ति को मारा दिया !! ओह पापा !! इतना घिनौना अतीत है आपका !! मुझे तो आपको आज से अपने पापा कहते हुए भी शर्म आ रही है ,आज से मेरा और आपका कोई रिश्ता नहीं ,समझे आप !!!

विक्रम और अनीता जड़ बने सब सुनते रहे दोनों की आंखों में पानी था और दिल में अथाह दर्द !!!!

सिया " जाईये विक्रम राना साहब!!!!! उस बेकुसूर युवराज को छोड़ दीजिए जिसकी जिंदगी आपने बर्बाद कर दी इसलिए वो बेचारा आपके खून का प्यासा था ! आपसे बदला लेने के लिए मुझे उठा कर लेकर गया लेकिन उसके अंदर की अच्छाई ने मुझे बचा कर रखा ,अपने दुश्मन की बेटी होने के बावजूद भी उसने मुझसे प्यार किया मेरा ख्याल रखा , हां मैं भी उससे बहुत प्यार करती हूं !!!! और आपसे नफरत !!!!!!!!!!!!!

सिया तेजी से बहुत कुछ कड़वा बोल कर कमरे से बाहर निकल गई !!!

विक्रम सिया की बातें सुनकर इतना ज्यादा हताश हो गया कि घुटनों के बल जमीन पर गिर गया और अपना सर पकड़ कर जमीन पर पड़ा छत को घूरने लगा, उसकी आंखों से पानी की धारा बह निकली थी !!

अनीता झुक कर बिक्रम के पास जमीन पर बैठ गई और विक्रम का सर अपनी गोद में रख कर रोते हुए बोली" विक्रम !!! विक्रम !!!!! संभालो अपने आप को !!! ऐसे कैसे तुम हिम्मत हार सकते हो !!!

यही तो दिलावर सिंह चाहता था तुम्हें तोड़ना,ताकत से तोड़ नहीं पाया तो तुम्हारी कमजोरी से तोड़ रहा है लेकिन विक्रम तुम टूट नहीं सकते .. प्लीज़ विक्रम प्लीज़ विक्रम कुछ तो बोलो !!!!!!! अनीता रोते हुए विक्रम को झकझोर रही थी !!!

अनीता को फ़िक्र थी कि कहीं विक्रम को कुछ हो ना जाये ,वो विक्रम के बिना एक पल नहीं रह सकती थी , विक्रम के सिवा उसका था ही कौन !!!!

विक्रम ने अनीता के झकझोरने से अपनी आंखें खोली और दर्द से भरी हुई आवाज में बोला" अनीता !! सब खत्म हो गया !! मेरी बेटी आज मुझसे नफरत करती है और उस युवराज से प्यार !!

अनीता " ऐसा नहीं हो सकता ,जब गुड़िया को एक दिन सच पता चलेगा तो वो तुम्हारे पास ही आयेगी,आज उसको जो बताया गया और जिस तरीके से बताया गया वहीं उसके लिए सच है !!

विक्रम " मैं कैसे जिऊंगा अपनी बेटी के बिना अनीता ?????

अनीता " तुम जीओगे और अपनी बेटी को सच भी बताओगे लेकिन उसी तरीके से जैसे दिलावर सिंह ने झूठ बताया है ! मैं तुम्हारे साथ हूं ,हम अपनी बेटी को ऐसे ही नहीं जाने देंगे हम लायेंगे वापस उसे ! बहुत सालों पहले भी हमने मिल कर दिलावर सिंह का मुकाबला किया था अब भी हम मिल कर उसके इस तिलिस्म को तोड़ेंगे !!

विक्रम की आंखों में लगातार बहते आंसुओं को देखकर अनीता ने उसे अपने गले से लगा लिया !!

विक्रम अनीता के गले से लग कर फूट फूट कर रोने लगा ! आज उसका दिल और दिमाग उसके बस में नहीं था !!

तभी विक्रम के फोन की घंटी बजी !!!!

अनीता" विक्रम !! फोन उठाओ !! देखो किसकी काॅल है ??

विक्रम को कोई होश नहीं था वो जमीन पर लेटा अनीता की गोद में हताश पड़ा था !!!

लगातार फोन की घंटी बजने पर अनीता ने फोन उठा कर हैलो की " दुसरी तरफ से धीरज "" जी विक्रम से बात हो सकती है ?

अनीता " आप 5 मिनट बाद कीजिए विक्रम वाशरूम में है !!

अनीता ने जवाब दे कर फ़ोन काट दिया और विक्रम को प्यार से उठाने लगी जो उसकी गोद में आंखों में आसूं लिए पड़ा था !!!

अनीता से विक्रम की ये हालत देखी नहीं जा रही थी वो किसी भी तरह विक्रम को इस दुख से बाहर लाना चाहती थी !!

वो विक्रम को हिला कर उसके बालों को सहला कर बोली" विक्रम !!! इतनी जल्दी हार मान जाओ गे ? सारी जिंदगी अपनी बेटी को पाल पोस कर बड़ा किया ये दिन देखने के लिए ?

विक्रम " क्या करु अनीता !!!! मेरी बेटी अब मुझे ग़लत समझती है वो युवराज से प्यार करती है उसे मेरी बात समझ नहीं आयेगी !!!

अनीता" तो क्या विक्रम !!! तुम गुड़िया को उन दरिंदों के पास जाने दोगे ? माना कि आज उन्होंने गुड़िया को बहला कर तुम्हारे खिलाफ खड़ा कर दिया है लेकिन तुम करो ना कुछ ऐसा कि गुड़िया को असली सच पता चले !!!

विक्रम" अनीता !! मैं हार गया अपनी बेटी के आगे !! प्लीज़ तुम थोड़ी देर मुझे अकेला छोड़ दो !!!

अनीता " नहीं छोडूंगी तुमको इस हाल में अकेला !!! समझे तुम !! उठो और धीरज से बात करो ,उसका फोन आया था , कोई जरुरी बात है !!!

धीरज का नाम सुनकर विक्रम जमीन से उठ खड़ा हुआ और अपनी आंखें साफ़ करते हुए उसने फ़ोन उठा कर धीरज का नम्बर डायल कर दिया !!!

फोन से धीरज" हैलो विक्रम !!!

विक्रम" बोल रहा हूं ,कहो क्या हुआ ??

धीरज" इसका क्या करना है ये कुछ खा पी नहीं रहा और बस मार खाने के बाद भी अपना मुंह नहीं खोल रहा !!

विक्रम" मैं आ रहा हूं वहां !!

धीरज" आ जाओ !!!

विक्रम ने फोन काट दिया और अनीता की तरफ देख कर बोला" आता हूं अभी !!!

अनीता" लेकिन जा कहां रहे हो ???

विक्रम" आ कर बताता हूं !!

विक्रम तेजी से कमरे से बाहर निकल गया !! लौबी से होते हुए विक्रम अपनी कार की ओर बढ़ा और कार स्टार्ट कर तेजी से बंगले के बाहर निकल गया !!!

विक्रम की कार जितनी तेजी से सड़क पर दौड़ रही थी उतना तेज तूफान विक्रम के अंदर था ! वो इस तूफान में अपने आप को कमजोर महसूस कर रहा था !!

विक्रम अपने अड्डे पर पहुंच कर कार को साइड लगा कर अंदर दाखिल हो गया और सीधा उस कमरे की तरफ बढ़ गया जिसमें युवराज बंद था !!

विक्रम इतनी तेजी से कमरे की तरफ मुड़ा कि कमरे के बाहर धीरज और उसके आदमियों को बिना देखे ही कमरे के अंदर घुस गया .... धीरज विक्रम के पीछे कमरे में दाखिल हुआ तभी विक्रम ने उसे बाहर ही रुकने का इशारा किया!!

फिर भी धीरज विक्रम के चेहरे पर परेशानी की लकीरों को देखते हुए पूछ ही बैठा '' विक्रम !! सब ठीक तो है ना भाई ????

विक्रम " हां !! सब ठीक है तुम बाहर ही रुको मुझे इससे कुछ पूछताछ करनी है !!

धीरज कमरे से बाहर निकल कर बरामदे में अपने आदमियों के साथ बैठ गया !!!

विक्रम ने कमरें का दरवाजा बिना कुंडी लगाए बंद कर दिया और दीवार के साथ बैठे युवराज की तरफ आकर उसके सामने कुर्सी पर बैठ गया और उसे घूरने लगा !!

युवराज के हाथ पीछे बने थे उसके मुंह पर खून जमा हुआ था !! वो विक्रम को अपनी ओर घूरता देख कर मुस्कुराने लगा !!!

विक्रम उसकी तरफ तनाव भरी नजरों से देखता हुआ बोला" क्या उल्टा सीधा भरा तूने मेरी बेटी के दिमाग में ??? तू आखिर है कौन ?? तेरा मक़सद क्या है आखिर ?? अगर तू दिलावर सिंह के कहने पर ये सब कर रहा है तो जरुर पैसों के लिए कर रहा होगा !!! बोल तेरी कीमत क्या है मैं तुझे दिलावर सिंह से भी ज्यादा दौलत दूंगा इतनी कि तेरी सात पीढ़ियों तक खत्म नहीं होगी !!!

विक्रम की बात सुन कर युवराज जोर जोर से हंसने लगा और बोला " तू मुझे क्या दौलत देगा क्योंकि तू आज मेरे सामने खुद भीख मांगता हुआ लग रहा है !! अपनी बेटी की कीमत लगा रहा है जो अब तुझे नहीं मुझे प्यार करती है !!

युवराज को इस तरह से हंसते हुए विक्रम ने गुस्से से एक जोरदार मुक्का युवराज के जबड़े पर जड़ दिया !

युवराज का मुंह दाई तरफ मुड़ गया और उसके जबड़े से खून आने लगा गया !!!

युवराज हंसते हुए" देख ले विक्रम राना जितना मेरे शरीर से खून निकलेगा उतनी ज्यादा तेरी बेटी तुझसे नफरत करेगी !!!

विक्रम अपने दोनों हाथों से युवराज को उसकी गर्दन से पकड़ कर उसका मुंह अपने पास करते हुए बोला"" मेरी बेटी की कीमत लगाने वाला तो इस दुनिया में कोई पैदा ही नहीं हुआ, लेकिन मैं तुम्हें तेरी कीमत पूछी रहा हूं ? क्योंकि तूने जो मेरी बेटी को सच बताया है वो सच है ही नहीं ;वो तो दिलावर सिंह का बिछाया हुआ जाल है !!

युवराज " डर गया है तू विक्रम राना ... डर गया है तू .. क्योंकि तुझे लगता था कि तेरा काला सच तेरी बेटी को कभी पता ही नहीं चलेगा !! अब तेरे पास कोई चारा नहीं ,आज नहीं तो कल तू मेरे हाथों मरेगा ही !!!

विक्रम गुस्से से युवराज को दीवार की तरफ धकेलता हुआ बोला" अबे साले !!! कल के छोकरे !!! तू क्या जानता है मेरा अतीत !! वो तो वक्त मेरी बेटी को खुद बता देगा लेकिन तूने जो मेरी बेटी को दिलावर सिंह की सिखाई हुई बातें बोली है जो कि सच नहीं है इससे एक बेटी और बाप का रिश्ता टूट जायेगा!!

युवराज " टूटता है तो टूट जाते ऐसा रिश्ता जो झूठ पर टिका हो !! तेरे जैसे आदमी के घर तो वैसे भी उस लड़की को पैदा नहीं होना चाहिए था !! उसके अंदर इंसानियत तो है !!

विक्रम गुस्से में " अगर मैं तुझे अभी खत्म करके कहीं ऐसी जगह फिंकवा दूं जहां तेरी अस्थियां भी नहीं मिलेगी तो क्या होगा तेरा और तेरी इस घटिया हरकत का !!

युवराज " मार दे मुझे !! अच्छा होगा तेरे लिए क्योंकि मैं जिंदा रहा तो तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा !! वैसे भी मेरे मरने के बाद तू तेरी बेटी की नफरत से ही मर जायेगा !!

विक्रम ने गुस्से में युवराज के पेट पर मुक्कों की बोछार कर दी !!

युवराज मार खाते हुए जमीन पर एक तरफ लुढ़क गया लेकिन जमीन पर गिरते हुए भी विक्रम की तरफ देखता हुआ बोला"" तू खत्म हो चुका है विक्रम राना ,ये तेरा मुझे इस तरह से मारना तेरी लाचारी दिखा रहा है कि तू अब मेरे आगे हार चुका है !!

विक्रम ने अपनी पैंट के पीछे से अपनी रिवॉल्वर निकाली और घुटनों के बल युवराज के पास बैठ कर रिवॉल्वर उसके सर पर लगा कर बोला "" विक्रम राना कभी खत्म नहीं हो सकता !! समझा तू !! तेरे साथ साथ तेरे उस दिलावर सिंह की लंका अब मैं जला कर दम लूंगा ,ये मैसेज दे देना अपने बाप को !!!!

तभी विक्रम के पीछे से आवाज़ आई " पापा!!!!!! रुक जाइए!!!!!!

विक्रम ने पीछे पलट कर देखा तो सिया कमरे के दरवाजे पर खड़ी थी और गुस्से से विक्रम को देख रही थी !!!!

विक्रम सिया की आवाज सुनते ही खड़ा हो गया और अपनी रिवॉल्वर अपनी पैंट में फसा कर चुपचाप सिया को देखने लग गया ,उसके दिल में सवाल था कि गुड़िया यहां कैसे आ गई !!!

तभी मोहन कमरे में दाखिल हुआ और विक्रम की तरफ देखते हुए बोला" विक्रम साहब !! सिया बेबी ने अपने गले पर चाकू रख कर मुझे आपके पीछे आने को कहा !! मेरे पास कोई रास्ता नहीं था बेबी की बात ना मानने का !!

विक्रम "" कोई बात नहीं मोहन !! तुम बाहर रुको !!

मोहन के कमरे से बाहर निकलते ही अनीता तेजी से कमरे में दाखिल हुई और विक्रम , सिया और बंधे हुए लहूलुहान युवराज को देख कर बोली "" विक्रम मैं गुड़िया का पीछा करते हुए यहां तक पहुंची !!!

तभी सिया युवराज के पास आकर बैठ कर उसके हाथों पर बंधी रस्सी खोलने लगी और युवराज के हाथ खोलकर उसके गले से लग कर बोली "" मुझे माफ़ कर दो युवराज !! मेरी वजह से तुम्हारी ये हालत हुई !! चलो अब हमें यहां नहीं रहना है हम यहां से अभी साथ चलेंगे !!

युवराज सिया का सहारा लेकर खडा हो गया !! तभी अनीता गुस्से से बोली "" वाह !! पालने पोसने वाले मां बाप से ज्यादा प्यारा आज ये अजनबी हो गया!! और जिस मां बाप ने सारी जिंदगी दे दी तुमको वो आज मुजरिम हो गये !!! जानती भी हो कि सच क्या है ?? जब जानोगी ना तो पछताओगी अपनी इस हरकत पर !!

सिया अनीता की तरफ देखते हुए बोली " सच जान तो लिया मां !!!! इससे ज्यादा जानने की जरूरत नहीं !! मैं जा रही हूं हमेशा के लिए ये काला राजपाट छोड़कर आपका !! जो जुर्म ,झूठ और गुनाह से बना है !!

अनीता ने विक्रम की तरफ देखा और सवालिया नज़रों से देखते हुए बोली"" विक्रम !! तुम अब भी चुप रहोगे ???

विक्रम " हां !!

सिया युवराज को पकड़ कर कमरे से बाहर की ओर चलने लगी !! युवराज ने सिया के कंधे पर एक बांह रखी थी सिया ने उसे एक बांह से उसकी कमर से उसे पकड़ रखा था , युवराज थोड़ा लंगड़ा कर चल रहा था उसके पैरों पर डंडे मारने के ज़ख्म थे !!

सिया युवराज के साथ कमरे से बाहर निकल आई थी ,बाहर बरामदे में धीरज और उसके आदमी थे तभी धीरज युवराज की तरफ गन लेकर बढ़ा लेकिन विक्रम ने उसे रुकने का इशारा किया ,वो पीछे हट गया !!!

अनीता सिया को युवराज के साथ जाते हुए देखकर दुखी मन से बोली "" विक्रम!! कुछ तो करो !! क्या हो गया सिया को!! तुम ऐसे चुपचाप तमाशा नहीं देख सकते!!

विक्रम अनीता को अपनी साथ लगाते हुए बोला " जाने दो इनको !! कोई नहीं रोकेगा !!

अनीता बिलख बिलख कर विक्रम के सीने से लग कर रोने लगी !!!

विक्रम अनीता को चुप कराते हुए उसकी पीठ को सहलाते हुए जाते हुए सिया और युवराज को एकटक देखने लगा तभी धीरे धीरे सिया के साथ चलते हुए युवराज ने पीछे की ओर गर्दन घुमा कर विक्रम की ओर देखा,उसकी और विक्रम की नजरें मिली ,तभी युवराज ने हल्का सा मुस्कुरा कर अपनी एक आंख मारी कर अपने अंगूठे को उल्टा करके विक्रम की तरफ इशारा किया !!

विक्रम को अंदर से बहुत गुस्सा आया लेकिन वो समझ गया कि युवराज ये आंख मारी कर अपना अंगूठा नीचे करके विक्रम को ये दिखा रहा है कि वो अब कुछ नहीं कर सकता !!!

सिया और युवराज इमारत से बाहर निकल गये और तभी कार स्टार्ट होने की आवाज आई और कुछ सेकंड में ही कानों से दूर हो गई!!!

तभी...............................

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