""धीरज !!!!! गाड़ी निकालो !! फुल सामान के साथ !!!"" मै पहुंच रहा हू !!!!! विक्रम ने गुस्से से भरी हुई आवाज में फोन पर कहा !
विक्रम की कार तेज रफ्तार से शहर से बाहर से होती हुई पूने हाईवे पर दौड़ रही थी !! उसने ड्राइव करते करते ही अपने पार्टनर धीरज को आदमियों के साथ गन्स के साथ निकलने को बोल दिया था !!
विक्रम बहुत गुस्से में था उसकी आंखें जल रही थी !! वो बस अपनी बेटी के किडनैपर तक पहुंचना चाहता था !
हाइवे पार करते ही विक्रम की कार लेफ़्ट की साइड मुड़कर एक पतली सड़क पर दौड़ने लगी !! तकरीबन 25 मिनट की दूरी तय करने के बाद उसी रास्ते पर तीन चार गाडियां खडी थी !!
आगे वाली गाडी के बाहर धीरज खडा था ! विक्रम ने अपनी कार की स्पीड कम की और धीरज के पास आकर कार रोक दी और बाहर आकर धीरज के बराबर खडा हो गया !!
धीरज विक्रम के चेहरे का रंग देखकर बोला " कोई सवाल नही पूछूंगा मै, तुमने आने को बोला तो मै आ गया, लेकिन तुम्हारे चेहरे का रग देखकर लगता है कि कुछ बहुत गलत हुआ है क्योंकि तुम आज 16 साल पहले वाले विक्रम दिख रहे हो !!!
विक्रम गुस्से और झल्लाहट भरी आवाज में बोला " मेरी बेटी किडनैप हो गई है !!
धीरज हैरान होकर " क्या !!!!!!!! ये कैसे हो सकता है ? किसकी इतनी जुर्रत !!!! कि इतनी सिक्युरिटी के बाद और फिर तुम्हारे होते हुए ये कर दिया !!
विक्रम गुस्से में " यही तो सवाल है !! कोई अच्छे से जानता था कि सिक्योरिटी सिस्टम क्या है और गुड़िया आज ही घर से निकलने वाली है और मै कुछ मिनटों के लिए उसके साथ नही हूं उसी वक्त का उसने फायदा उठा लिया !
धीरज " लेकिन पता भी हो तो भी तुम्हारा डर और बीच शौपिंग मोल्स के दिन के टाइम ये किडनैपिंग की ,मतलब वो पूरी फोर्स और प्लानिंग के साथ था !
विक्रम" हां , लेकिन अब वो आसमान में हो या पाताल में हों ,उसे ढूंढ कर खत्म करना है ,उसे भी मालूम हो जाये कि विक्रम राना की बेटी को हाथ लगाने की क्या कीमत चुकानी पड सकती है !!
धीरज " समझ गया मै !! क्या करना है अब ????
विक्रम अपनी कार में बैठते हुए " चलो !!! तुम जानते हो कि हमें कहां जाना है !
विक्रम की कार शहर के बाहर हाइवे पर दौड़ रही थी , उसके दिमाग में गुड़िया की तस्वीर उभर रही थी ,"" कैसी होगी मेरी बच्ची ? किस हाल में होगी ?
ड्राइव करते करते एकदम से विक्रम की आंखों में पानी छलक आया ... उसके अपने दिल से कहा ""अनु मुझे माफ कर देना !!!! मै अपनी बच्ची का ख्याल ठीक से नही रख पाया !!
विक्रम की आंखों में पानी जरूर छलक आया था लेकिन उसके गुस्से की आग बढ़ती जा रही थी,उसकी आंखें जल रही थी ! उसने अपनी गाड़ी की रफ्तार औरबढ़ा दी और तभी उसका फोन बजा !!!
विक्रम ने फोन का स्पीकर ओन कर दिया "" बोल !!!
फ़ोन से "" मैने उसका सारा बही खाता निकाल कर तुम्हें मैसज कर दिया है !
विक्रम "" उसका एड्रेस सही है ना ??
फ़ोन से "" पक्का !!!
विक्रम कार को तेज दौड़ाता हुआ हाइवे पार करते ही लेफ़्ट साइड की छोटी पक्की सड़क की ओर मुड गया !
20 मिनट उसी सड़क पर कार को दौड़ाने के बाद दूर एक छोटा सा शहर दिखने लग गया , वो एक कस्बे की तरह था ! विक्रम उस कस्बे में घुसने के बाद उस कस्बे से हट के एक कच्ची सड़क पार करके दूर एक पुरानी इमारत नजर आने लगी !
कच्ची सड़क होने की वजह से तेज रफ्तार की कारों से वहां धूल का एक बवंडर सा उठ गया था !
विक्रम ने इमारत के आगे अपनी कार रोक दी, पीछे धीरज की और बाकी कारें आकर रुक गई ! विक्रम तेजी से कार से उतर कर इमारत के सामने खडा होकर अपने आदमियों से बोला "" पूरी इमारत को चारो तरफ से घेर लो !!
विक्रम ने धीरज को इशारा किया और अपनी गन निकाल कर इमारत के दरवाजे तक पहुंच गया !!
इमारत का दरवाजा लकड़ी का भारी भरकम पुराने डिजाइन का बना हुआ था !
विक्रम ने दरवाजे पर पहुंच कर उसको धक्का देने की कोशिश की लेकिन दरवाजा खुला हुआ था !
विक्रम और धीरज अंदर घुस गये ! बाहर से इमारत पुरानी थी लेकिन अंदर से बहुत बड़े पुराने महल जैसी थी ,बीच में एक बहुत बडा हवेलियों जैसा आंगन था ,आस पास उपर नीचे बहुत से कमरे थे !! आंगन में दो आमने-सामने चारपाइयां पडी थी बीच में एक बडा सा टेबल था और आसपास कुछ कुर्सियां पडी थी !!!
विक्रम ने आंगन के बीचों-बीच खडे होकर जोर से चिल्ला कर आवाज दी "" दिलावर सिंह !!! बाहर निकल !!!! निकल कुत्ते !!!
लेकिन अंदर से कोई आवाज नही आई !!
विक्रम ने धीरज को इशारा किया और अपनी अपनी गन तान कर उपर कमरों की तरफ तेज़ी से बढ़ने लगे !
विक्रम और धीरज ने उपर नीचे सारे कमरे देख लिए लेकिन पूरी इमारत खाली थी !!
वो दोनों वापस आंगन में आ गए !
धीरज विक्रम की तरफ देखता हुआ बोला " खबर पक्की थी अगर दिलावर सिंह के यहां होने की तो ,वो यहां से भाग गया ! मतलब ये साबित हो गया कि गुड़िया की किडनैपिंग में उसका ही हाथ है ! क्योंकि उसको अच्छे से मालूम था कि तुम उसका पता निकाल कर यही आओगे !
विक्रम गुस्से से टेबल पर मुक्का मारते हुए बोला " हां ये तो साबित हो गया ! ये कुत्ता अपनी हरकतों से बाज नही आता ! इसको तो 15 साल पहले ही खत्म कर देना चाहिए था !!
धीरज " तो अब क्या करना है ???
विक्रम अपना फोन निकाल कर एक नम्बर डायल करने लगा !! नम्बर डायल करके विक्रम ने फोन अपने कान से लगा लिया "" वो यहां नही है !! मुझे उसकी कुंडली चाहिए !! अभी के अभी !! समझे तुम कादिर !!
कादिर फोन से "" मतलब उसे खबर थी कि तुम यहां पहुंचने वाले हो ! मुझे 10 मिनट दो ? मै उसका अता पता निकालता हू !!
विक्रम गुस्से में जलने लग गया और गुस्से में वहां पडी सारी कुर्सियों को उठा उठा कर दीवार पर फेंकने लग गया !!!
धीरज ने उसे पीछे से पकड़ा और शांत होने के लिए बोला "" विक्रम शांत हो जाओ !! गुस्से से कुछ हल नही निकले गा !! गुस्से मे तुम दिमाग खो दोगे !! यही तो वो चाहता है कि तुम दिलो दिमाग से टूट जाओ !! तभी तो उसने तुम्हारी कमजोरी को पकड़ा , क्योंकि वो तुम तक सीधा पहुंचने की हिम्मत कर ही नही सकता !!
विक्रम थोडा शांत होकर वही चारपाई पर बैठ गया और बोला " मेरी बेटी किस हाल में होगी धीरज !!!! मै शांत कैसे बैठ जाऊं ? मेरी बेटी को कुछ हो गया तो मै पूरी दुनिया को जला कर राख कर दूंगा !!
विक्रम की आंखों में गुस्से के साथ साथ आंसू भी आ गये !
धीरज ने उसके कंधे पर हाथ रख कर बोला " समझ सकता हू एक बाप की तकलीफ़ !!! लेकिन अब अपनी बच्ची के लिए ही तुमको मजबूत बन कर उनका सामना करना है ! गुड़िया को किडनैप करने का यही मकसद है उनका कि तुम टूट जाओ !!
विक्रम अपनी आंखें साफ करता हुआ तेजी से खड़ा हो गया और बोला " नही !! विक्रम राना कभी भी टूट नही सकता ! ये अब वो अच्छी तरह से समझ जायेंगे !!
विक्रम तेजी से इमारत के बाहर निकल आया तभी उसके फोन पर कादिर का मैसज आया !! विक्रम ने मैसज देखा और सबको चलने के लिए बोल कर कार स्टार्ट करके पक्की सड़क की तरफ कार दौड़ा दी !!
विक्रम की कार सड़क पर तेजी से दौड़ रही थी !! वो पूना शहर से बाहर निकल गया था !! कार पहाड़ी इलाके की तरफ बढ़ रही थी ! चारों तरफ अंधेरा भी बढ रहा था ! विक्रम की चिंता भी बढ़ती जा रही थी कि गुड़िया किस हाल में होगी ! वो दरिंदे उसके साथ कैसा सलूक कर रहे होंगे ! आजतक विक्रम ने गुड़िया को एक पल भी अपनी आंखों से ओझल नही किया था !! यही सब सोच सोच कर विक्रम के गुस्से के साथ साथ उसकी बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी !!
तभी विक्रम का फोन बजा , विक्रम ने नंबर देखा , फ़ोन अनीता का था !! वो दोपहर से कई बार फोन कर चुकी थी !! विक्रम ने फोन का स्पीकर ओन कर दिया ,और बोला " हा बोलो !!
अनीता रोते हुए " विक्रम !! तुम ठीक हो ना ? गुड़िया का कुछ पता चला ? तुम कहां हो इस वक्त ?
विक्रम फोन सुन कर कुछ नही बोला !!!
अनीता फोन पर दोबारा बोली,उसकी आवाज में रोने के साथ साथ घबराहट थी "" विक्रम !!! विक्रम !!! तुम कुछ बोल क्यो नही रहे हो ? क्या हुआ गुड़िया को ? गुड़िया ठीक है ना ? प्लीज़ विक्रम कुछ तो बोलो !!!
विक्रम "" क्या बोलूं अनीता ????? अपनी गुड़िया नही मिली अभी !!! मै जा रहा हू उसको लेने .. अगर गुड़िया को कुछ हो गया तो मेरा भी इंतजार मत करना !!!
ये कह कर विक्रम ने फोन काट दिया !!
अनीता का सुबह से रो रो कर बुरा हाल था ! विक्रम को वो सुबह से फोन कर रही थी लेकिन विक्रम ने फोन उठाया ही नही था !! अब जाकर विक्रम ने फोन उठाया और विक्रम की बाते सुन कर अनीता फूट फूट कर रोने लगी और बड़बड़ाने लगी " विक्रम ऐसा मत कहो प्लीज़ !!! मै तुम्हारे और गुड़िया के बिना कुछ भी नही हू !! क्या करुंगी मै अकेले जीकर !! हे भगवान हमारी बच्ची को सलामत रखना !!
भगवान की मूर्ति के सामने खडी होकर अनीता फूट फूट कर रोने लगी ! तभी फातिमा अनीता के पास आकर बोली " मेमसाब !! आप ठीक हो ना ??
अनीता रोते हुए फातिमा की तरफ देखते हुए बोली " फातिमा !! बंगले से कोई बात भी बाहर नही जानी चाहिए ! समझी तुम ?? बुरा वक्त है हम पर अभी , कोई भी दुश्मन फायदा उठा सकता है ! विक्रम भी घर पर नही है !
फातिमा " समझ गई मेमसाब !! आप बेफिक्र रहिए !! सब नोर्मल ही रहेगा , कोई भी बात बाहर नही जायेगी !
फातिमा के जाते ही अनीता फिर रोने लगी और भगवान से दुआ मांगने लगी !!
विक्रम पहाड़ी इलाके के बीच पहुंच चुका था , रात हो चुकी थी ! पहाड़ी इलाका होने की वजह से सड़क के आसपास की इक्का-दुक्का दुकानें बद होने लगी थी !
सामने एक दुकान खुली देख कर विक्रम ने अपनी कार की स्पीड कम की और ठीक दुकान के पास आकर दुकानदार से पूछने के लिए कार का शीशा नीचे किया और बोला "भाई !! ये रामपुर को आगे से कौन सा रास्ता जाता है ?
वो दुकानदार विक्रम की बात का जवाब देते हुए बोला " साहब !! दो किलोमीटर के बाद शिमला का रास्ता खत्म हो जायेगा , और रामपुर का रास्ता शुरू हो जायेगा, जिस तरफ से आप जा रहे हो तो उस तरफ से दाई तरफ के रास्ते पर मुड जाना !!
उस दुकानदार ने विक्रम को बहुत ही अच्छे तरीके से सारा रास्ता समझा दिया !!क्योंकि रात के अंधेरे की वजह से पहाड़ी इलाके पर अगर ग़लत रास्ते की तरफ मुड जाओ तो तुम भटक भी सकते हो यही सोच कर विक्रम ने जानकार दुकानदार से रास्ता पूछ लिया !
विक्रम ने फिर अपनी कार की स्पीड बढ़ा दी ,धीरज की कार और पीछे चार पांच कारे और एक वैन भी विक्रम की कार के पीछे थी !!
दो किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद विक्रम रामपुर के रास्ते की तरफ विक्रम मुड गया था ! एक दो किलोमीटर और चलने के बाद रामपुर गांव की लाईटें जगती हुई दिखने लग गई थी ! वो बहुत ही छोटा सा गांव था !
विक्रम रामपुर के अंदर घुसते ही विक्रम ने अपनी कार रोक कर धीरज को रुकने का इशारा किया ! धीरज अपनी कार से निकल कर आ गया और झुक कर विक्रम की कार के शीशे पर बोला " हां बोलो अब ?
विक्रम "" अब हम जिस रास्ते पर मुड़ेंगे इसी रास्ते पर कुछ आदमी खडे कर दो और बाक़ी मेरे। पीछे आओ !!
विक्रम ने अपनी कार वही सड़क के साइड में खडी कर दी और पैदल अपनी गन हाथ में लेकर दबे पांव एक घर की तरफ बढ़ने लग गया !
विक्रम कै आदमियों ने पूरा घर चारो तरफ से घेर लिया था ! विक्रम और धीरज घर के दरवाजे तक पहुंच गये , विक्रम ने दरवाजा खटखटाया , अंदर से कोई आवाज नहीं आई , विक्रम ने बिना समय गंवाए दरवाजा एक धक्के से ही तोड दिया !!
सामने एक आदमी और औरत एक बच्चे को गोद में उठा कर सहमे से खड़े थे ! विक्रम के हाथ में रिवाल्वर देखकर वो डर गये थे ! विक्रम उनको देखकर जोर से चिल्लाया " लाइट जगाओ घर की सभी !!!
वो आदमी और औरत हिले नही !
विक्रम ने अपनी गन उस आदमी के सर पर लगा दी और गुस्से से बोला " बहरा है क्या साले !! मैने कहा लाइट जगाओं सारे घर की !!!
अपने आदमी के सर पर गन लगी हुई देखकर उस औरत ने भाग कर लाइट जगा दी ! अब सबके चेहरे साफ दिख रहे थे ! धीरज अंदर चैक करो !!
विक्रम उस आदमी से बोला " घर में और कौन कौन है ?
वो आदमी डर के बोला " साहब !! मुझे माफ कर दो ,मेरा कोई कुसूर नही है मुझे तो उनको यहां रोकने के पैसे मिले है !!
विक्रम ने अपनी गन गुस्से में उस आदमी के सर पर और गडा दी और बोला " कौन आदमी ?? कहां है वो ? कितने लोग है वो ??
वो आदमी कांपता हुआ बोला " साहब !! वो नीचे उतर के अंदर कमरे मे ठहरे है कल रात से !! चार आदमी थे साहब !! दो चले गए दो है !! मैने मना किया था रुकने को तो उन्होंने मारने की धमकी दी और मुझे पैसे दे दिए , कि कुछ दिन रुकेंगे !
उस आदमी की बात सुनकर विक्रम ने धीरज को इशारा किया कि कुछ आदमी अंदर बुलाओ !
विक्रम ने उन आदमी औरत को अपने आदमियों के हवाले कर के घर के पीछे वाले कमरे की तरफ बढ़ने लगा ! पीछे वाले कमरे के साइड में नीचे सीढ़ियां उतर रही थी , विक्रम और धीरज सीढ़ियों की तरफ बढते हुए नीचे उतर गये !
नीचे पहुंचते ही विक्रम ने देखा। कि दिलावर सिंह और उसके साथ एक और आदमी बैठे शराब पी रहे थे !
विक्रम ने सीढ़ियां उतरते ही अपनी गन दिलावर सिंह के सर पर लगा दी और बोला " कुत्ते !! तूने अपनी औकात दिखानी बंद नहीं की !! है ना !!! तूने मेरी बेटी को हाथ लगाते वक्त ये नहीं सोचा कि तुझे मै पाताल से भी ढूंढ लूंगा !!! बोल अब मेरी बेटी कहां है ???
दिलावर सिंह शांत बैठा रहा और बोला " जानता हू मैं कि तुम मुझे कहीं भी ढूंढ लोगे ,और ये भी जानता हू कि तुम्हारे साथ कुछ भी ग़लत होगा ना तो तुम मेरे तक ही आओगे !! अब मुझे क्या पता तुम्हारी बेटी कहां है ?
विक्रम ने दिलावर सिंह की बात सुनकर एक जोरदार मुक्का उसके मुंह पर जड दिया ,वो कुर्सी समेत जमीन पर गिर गया, उसके साथ बैठा एक आदमी थोडा छटपटाया, लेकिन धीरज ने उसके सर पर भी गन लगा रखी थी !
विक्रम ने ज़मीन पर गिरे दिलावर सिंह को ताबड़तोड़ अपने जूतों से मारना शुरू कर दिया !!
मार खाते हुए कराहता हुआ दिलावर सिंह बोला " तुम मुझे जान से भी मार दो लेकिन मुझे नहीं पता कि तुम्हारी बेटी कहां है !!
विक्रम उसके बाल पकड़ता हुआ उसके सर पर झुकता हुआ बोला " मै तेरी रग रग जानता हूं तू पूने से बाहर कस्बे में उस इमारत से क्यों भागा ? तू तो वहां सालो से रह रहा है ना ! तुझे मेरे आने का पहले ही पता लग गया, मतलब मुझ पर नज़र रख रहा था तू !! साले !! तुझे छोड़ के मैंने गलती की अब तुझे ज़िन्दा गाडूगा !! बता मेरी बेटी कहां है ??
दिलावर सिंह हाथ जोड़कर बोला " विक्रम मुझ पर यक़ीन करो ,जेल से आने के बाद मैने सब बुरे काम छोड़ दिए है मै तो शांती से अपनी जिंदगी जी रहा हू , मुझे कसम से नही पता कि तुम्हारी बेटी कहां है !!!
विक्रम आगबबूला होकर सीधा खड़ा होकर बोला " उठाओ इन दोनों को, और अड्डे पर ले चलो, थ्री डिग्री टोर्चर करो इन पर , अपने आप उगले गे सब कुछ !!
दिलावर सिंह बिलखने लग गया और विक्रम के आगे हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाता हुआ बोला " विक्रम !! मेरी उम्र देखो !! तुम्हारे बाप जैसा हूं मेरे साथ ऐसा मत करो, मेरा यकीन करो , मुझे तुम्हारी बेटी के बारे में कुछ नहीं पता !
विक्रम उसकी बात अनसुनी करके सीढ़ियां चढ कर बाहर आ गया ! और अपने आदमियों से बोला "" यही रात रहने का बंदोबस्त करो !!
विक्रम आकर अपनी कार में बैठ गया , धीरज और उसके आदमी दिलावर सिंह और उसके आदमी को पकड कर बाहर ले आये और दोनों को कार की अलग अलग डिक्कीयो में बाध कर डाल दिया !!
धीरज विक्रम की कार में बराबर वाली सीट पर बैठता हुआ बोला " क्या ये सच बोल रहा है कि झूठ ?
विक्रम " ये साला एक नम्बर का हरामी है ! ये झूठ बोल रहा है,इसकी नस नस पहचानता हू मै !! ये अभी उगल देगा जब इसकी चमड़ी उधेड़ कर इसके पिछवाड़े में डाल दूंगा ,ये अकेला नही है इसके आदमियों के पास है मेरी बच्ची, वो यही पहाड़ी इलाके में ही कही है ,बस इसका मुंह खुलते ही हम पहुंच जायेंगे उन तक !
धीरज " तो रहने का इंतजाम इसी इलाके में अपने आदमियों के पास करते है और इसको भी वही ले चलते है !
विक्रम " हां !! और अपने आदमियों को और यहां के सारे आदमियों को आसपास रामपुर और शिमला में फ़ैला दो !
धीरज विक्रम की कार से उतर कर अपने आदमियों को समझा कर अपनी कार में बैठ गया और विक्रम की कार के पीछे अपनी कार बढ़ा दी ! रामपुर से निकल कर विक्रम शिमला के मालरोड से होता हुआ, शिमला से 10 किलोमीटर आगे सोलन से पहले सीधे हाथ की ओर जा रही सड़क की तरफ मुड़ गया , वहां थोडी उतराई थी , पहाड़ी इलाका होने की वजह से रास्ता थोडा टेढ़ा मेढा था !
थोडी सी उतराई पार करके एक पतली सड़क आ गई थी , विक्रम और उसके आदमी उस सड़क पर से होते हुए आगे एक छोटे से गांव में दाखिल हो गया !!
गांव पार करते ही जंगल का रास्ता शुरू हो गया था ! रात काफी हो चुकी थी ! सब तरफ सन्नाटा और अंधेरा फैला हुआ था !
जंगल में रात के सन्नाटे की बीच बस विक्रम के साथ गाड़ियों के नीचे दब रहे सूखे पत्तों की चरमराहट की आवाजें आ रही थी ! जो सन्नाटे को चीर रही थी !!
जंगल में काफी देर के बाद विक्रम ने आगे टोर्च की लाइट जलती देख कर अपनी कार रोक दी !
सामने कुछ आदमी चल कर विक्रम की कार की तरफ आ गये, विक्रम अपनी कार से बाहर आकर खड़ा हो गया और उन आदमियों की तरफ देखता हुआ बोला ' कोई खबर ???
उनमें से एक आदमी बोला " खबर ये है कि दो आदमी रामपुर से एक कार मे एक लड़की को ले जाते देखे गए, उन आदमियों के चेहरे गर्दन तक मफलर से ढके हुए थे ! उस लड़की की आंखों पर पट्टी थी !
विक्रम गुस्से से " उसके आगे कुछ पता चला कि कहां गए ?
जो आदमी ये बता पाया ,वो यहां का लोकल आदमी था ! उसने सिर्फ देखा लेकिन आगे उसको कुछ नही पता !
विक्रम गुस्से से " आगे अब ये बताए गा !! डिक्की में से निकालो इनको और अंदर लेके चलो !!
धीरज और उसके आदमियों ने दिलावर सिंह और उसके आदमी को कार की डिक्की से खींच के निकाला और झाड़ियों के पीछे नीचे जमीन मे उतर रही सीढ़ियों से उतरते हुए एक मजबूत बंकर मे ले गए !
नीचे ले जा के दिलावर सिंह और उसके आदमी को अलग अलग कुर्सियों पर बिठा दिया और विक्रम एक कुर्सी खींच कर उनके सामने बैठ गया और दिलावर सिंह के साथ बैठें उस आदमी की तरफ देखता हुआ बोला " क्या नाम है तेरा ?
वो डर कर बोला " बंसी !!!
विक्रम " अब मेरी बात ध्यान से सुन !! जिसके लिए तू अपनी जिंदगी दाव पर लगा रहा है ना ,ये बुड्ढा अपनी जिंदगी जी चुका है इसको मरने की परवाह नही !!! लेकिन तेरी उम्र अभी है ,तेरे भी बाल बच्चे होंगे ,तो तू कम से कम उनका तो सोच !! इसको तो मै अभी गोली मार दूंगा , लेकिन अगर तू जिंदा यहां से जाना चाहता है तो सब बता दे ,और बदले में मुझसे पैसे भी लेके जा !!! सोच अब !!!!
बंसी विक्रम की बात सुनकर दिलावर सिंह की ओर देखने लग गया !!! विक्रम उसको दिलावर सिंह की ओर देखते हुए गुस्से में बोला " मेरी बात लगता है तेरी समझ में नही आई ? तू अभी भी इस हरामखोर की तरफ देख रहा है !!
विक्रम ने अपने आदमियों को इशारा किया और बोला " खुलवाओ इनकी जुबान !!
विक्रम के कहते ही वहां खड़े आदमी उन दोनों को ताबड़तोड़ मारने लगे !
दिलावर सिंह और उसके आदमी के मुंह से खून आने लग गया , बंसी तो जमीन पर लुढ़क गया और दर्द से कराहने लगा !!
इतनी मार खाने के बाद भी उनकी जुबान खुल नही रही थी यही सोच कर विक्रम का गुस्सा और तेज हो गया !
विक्रम गुस्से से बोला" इनके नाखून निकालो !!!
विक्रम के आदमी एक बड़े से प्लास से बंसी का हाथ पकड़ कर उसके नाखून निकालने लगे तभी बंसी हाथ जोड़कर बिलख पड़ा और गिड़गिड़ाते हुए विक्रम के पांव पकड़ता हुआ बोला " साहब !! मै बताता हू जो भी मुझे मालूम है !!!
विक्रम ने तेजी से उसे अपने दोनों हाथों से खड़ा किया और कुर्सी पर बिठा दिया और नर्म आवाज में बोला " बोलो क्या बताना चाहते हो ?
बंसी " मै पूना का ही रहने वाला हू ! मेरी बीवी बीमार थी तो दिलावर सिंह ने उसके इलाज के सारे पैसे दिए और बदले में मुझे आपके घर की सारी निगरानी रखने को कहा क्योंकि मै वहां का चौंकीदार हू ,तो मै कई महीनों से आपके घर की निगरानी कर रहा था !! आपके आने जाने की सारी जानकारी मै इसको देता था ,आपके माली को भी मैने ही धमका कर हटवाया था, और वो नया माली भी इसका ही आदमी है ! ये सारी प्लानिंग बहुत महीनों से चल रही थी आपकी बिटिया के बाज़ार जाने की बात हम सब को पता थी और ये भी पता था कि आप कुछ वक्त के लिए साथ नही होगे बिटिया के ,तो ये आपकी बिटिया को उठाने का प्लान उसी दिन बना !
विक्रम गुस्से में " तो शौपिंग मोल्स के ट्रायल रूम का दरवाजा कब निकाला ? क्या दुकान वाले का इसमें हाथ था ?
बंसी " हा जी !! दुकानदार को इस बात की कोई खबर नही थी, लेकिन उसका एक आदमी था जो दुकान पर कुछ दिन पहले ही आया था उसको दिलावर सिंह और उस लडके ने बहुत पैसे दिए थे तो उसकी मदद से आपकी बिटिया के आने से पहले ही वहां के एक ट्रायल् रुम का दरवाजा निकाल लिया गया था !!
विक्रम ने बंसी की बात सुनकर गुस्से से खडे होकर दिलावर सिंह पर मुक्कों की बौछार कर दी ! और विक्रम ने दिलावर सिंह को उठा कर पूरे जोर से दीवार पर दे मारा ! वो धड़ाम से दीवार से टकराकर नीचे गिरा और बेहोश हो गया !
बंसी बुरी तरह से कांपने लग गया " साहब !! मुझे मत मारना , मैने सब बता दिया आपको ,और जो पूछना है आपको तो वो भी बता देता हू !!
विक्रम गुस्से से बंसी की तरफ लपका और उसकी कमीज के कालर पकड कर खींचते हुए बोला " तू तो बताएगा ही अब क्योंकि तेरे पास अब और कोई चारा नहीं है !!
विक्रम ने बंसी को गुस्से में फिर कुर्सी पर बिठाया और बोला " तो अब मेरी बेटी है कहां और किसके पास है ????
बंसी "" वो जो माली था ना आपके यहां नया आया था वो है दिलावर सिंह का खास आदमी !! और उसके साथ है दिलावर सिंह का बेटा, उसका नाम बिलाल है !!, उन दोनों के पास है आपकी बिटिया !! वो दोनों उसी वक्त वहां से निकल कर रामपुर आ गय थे लेकिन आप के आने की खबर दिलावर सिंह को मिल गई थी तो उसने फोन करके उनको यहां से निकलने को कहा तो वो आपकी बिटिया को लेकर यहां से उसी वक्त कार मे निकल गये !
बंसी ने मारे डर के एक ही सांस में सब कुछ बता दिया !!
विक्रम " तुम्हारे कहने का मतलब कि जो नया माली हमारे यहां आया था जिसका नाम भीमा था वो दिलावर सिंह का आदमी है जिसकी उम्र 25-26 साल की होगी ?
बंसी " उसका असली नाम तो युवराज है भीमा उसका नकली नाम है ! वो आपके खून का प्यासा है ये वो कहा करता था !!
विक्रम " अच्छा !! मेरे खून का प्यासा !! ऐसी भी क्या दुश्मनी है उसकी मुझसे !!! तो अब उनके ठिकाने का पता बताओं ???
बंसी " साहब कसम से अब वो आपकी बिटिया को कहां लेकर गये ये मुझे नही पता लेकिन रामपुर वाली जगह पता है जहां वो लोग पहले थे ! क्योंकि जब हम कस्बे वाली इमारत में थे तो आपके आने की खबर दिलावर सिंह को पहले से लग गई थी तो हम वहां से निकल कर यहां हिमाचल मे रामपुर गांव आ गये थे लेकिन दिलावर सिंह को आपके एकदम से यहां पहुंचने का अंदाजा नही था ,वो कह रहा था कि विक्रम को यहां का पता नहीं मिलेगा लेकिन आप के यहां इतनी जल्दी पहुंच जाने पर हमारे पास भागने का रास्ता ही नही था !
विक्रम ने बंसी के बताए मुताबिक अपने आदमियों की तरफ देखते हुए बोला " जाओ रामपुर के उस जगह की तहकीकात करो जहां उन दोनों ने गुड़िया को रखा था !
विक्रम की बात सुनकर कुछ आदमी सीढ़ियां चढते हुए बाहर निकल गये !
विक्रम बंसी के पास से हट कर साथ वाले कमरे में आ गया और दीवार पर हाथ रखकर सोचने लग गया !!तभी धीरज उसके पीछे आकर खडा हो गया और बोला "अब क्या करना है ??
विक्रम "" बंसी को यही रखो !! जब तक गुड़िया मिल नही जाती ! और दिलावर सिंह के बेटे बिलाल की सारी जानकारी निकालो !! मुझे वो दोनों हर कीमत पर चाहिए !
धीरज " मिल जायेगे दोनों जल्दी !! जब ये मिल गया और सारी कहानी का पता चल गया तो वो दोनों भी जल्दी मिल जायेंगे !
विक्रम " पूरे शिमला का चप्पा-चप्पा छान मारो , और उस युवराज की सारी कुंडली निकालो !!! आखिर ये है कौन ?????? विक्रम राना से पंगा लिया है उसने ,अब देखते है मुझसे बच कैसे पाता है !!!!!!!!
तभी.......................
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