Chapter-5

सिया एकटक पत्थर की मूरत बनी बस उसे देखे ही जा रही थी !

वो सर पकड कर बैठा था !

सिया की नजरे उस पर से हटी ही नही वो सर से पांव तक उसको गौर से बस देख ही रही थी ! वो इतना सुन्दर था ! उसकी आंखें तो नीली नीली सी थी ही उसके बाल आधे ब्लैक और आधे गोल्डन कलर्ड थे जो उसके कन्धों तक थे ! उसका रंग एकदम गोरा ! उसकी बोडी एकदम फिट , साफ पता लग रहा था कि वो जिम बहुत करता है पहलवानों जैसा शरीर लेकिन एकदम शरहरा शरीर ! लम्बा चौड़ा सुन्दर और बहुत ही कामुक नौजवान था वो !

कोई भी लडकी उसको देख कर उसकी दीवानी हो सकती थी !

वो बहुत देर से सर पकड कर बैठा था ! सिया उसके पास गई और ठीक उसके सामने खडे होते हुए बोली " अब ऐसे सर पकड कर कब तक बैठे रहोगे ? सर में बहुत दर्द है क्या ?

उसने अपना सर उठा कर उपर देखा और सिया की तरफ देखता हुआ बोला " अब और क्या करु ?

सिया " तुम तो मेरे सामने आ गये ! तुमने अपना नकाब क्यो उतार दिया ? अब क्या करोगे ?

"फिर शुरू हो गई तुम ! मुझे नही पता कि मैने क्या किया या क्या नही किया ! लेकिन इतना जरूर पता है कि तुम अब यहां नहीं रहोगी ! वो खडा होता हुआ बोला !

सिया " यहां नही रहोगी मतलब ? कही और शिफ्ट कर रहै हो मुझे ?

"नही !! तुमको छोड दूंगा तुम्हारे घर !

सिया" अरे ऐसे ही छोड़ दोगे ? तुमको डर नही लगता कि मै सबको बता दूंगी तुम्हारे बारे में ?

" नही डर लगता मुझे ! क्योकि मेरे पास खोने के लिए कुछ नही है !

सिया " लेकिन मै नही जाऊंगी अब ऐसे ! मुझे तुम्हारे बारे में सब जानना है !

"क्या करोगी जानकर ? बस इतना याद रखना कि मैने तुम्हारे साथ बुरा किया !

सिया " ठीक है बुरा किया तुमने ! होगी कोई ऐसी बात कि तुमको ये सब करना पडा ! लेकिन अच्छा भी तो किया ! अब तुम मेरी केयर भी तो कर रहे हो !

"कोई केयर वेयर नही कर रहा मै ! मै तुमको बस ऐश के लिए उठा कर लाया था लेकिन तुम मेरी टाइप की लड़की नही निकली इसलिए छोड़ रहा हूं !

सिया " ये बात करके पागल किसी और को बनाना ! क्योंकि मै तुमको अब समझती हूं ! तुम कुछ भी कहोगे तो जैसे मै मान लूंगी !

"क्या समझती हो तुम मुझको ? मै साइको हूं दिमाग से बीमार हूं ! मुझे और जानने की जरूरत नही है ! समझी तुम !! वो सिया की बात सुनकर सिया के करीब आकर उसे अपनी दोनों बांहों से पकड़ कर दीवार के साथ लगा कर बोला !

सिया ने अपने आपको उसकी पकड़ से छुड़ाने की जरा सी भी कोशिश नही की !वो उसके इतना करीब था कि उसकी सांसें सिया की सांसों से टकरा रही थी !

सिया ने प्यार भरी नजरों से अपना मुंह उठा टर उसकी आंखों में देखा और उसकी आंखों में खो सी गई !

उसने सिया को अपनी ओर इस तरह से देखते ही झटके से छोड़ दिया और दुसरी तरफ मुंह करके खड़ा हो गया !

सिया तो जैसे पागल सी हो गई थी उसको देख कर !

सिया " ऐसे मुंह मोड़ कर खडे होने से सच्चाई नही बदल जायेगी ! मुझे तुमसे प्यार हो गया है ! अब मै तुमसे अलग नहीं हो सकती !

सिया घूम कर उसके सामने आकर खड़ी हो गई !

वो फिर सिया की नजरों से बच कर दुसरी तरफ मुंह करके खडा हो गया !

सिया फिर उसके सामने खडी होकर बोली " तुम कब तक मेरी बातों का जवाब नही दोगे ?

"क्योंकि मेरे पास तुम्हारी इन बातों का कोई जवाब नही है !

सिया " क्यो नही है ? कुछ तो कारण होगा ! और अब कुछ भी कारण हो या ना हो मै अब यहां से तब तक नही जाऊंगी जब तक तुम मेरा प्यार क़ुबूल नही करते !

" पागल मत बनो ! समझी !! चलो अब मेरे साथ तुम अपने लिए कुछ कपड़े खरीद लो ! और बाहर कुछ खा लेना मेरे साथ !

सिया " बाहर ? बाहर मतलब यहां से बाहर शहर में ? तुम मुझे लेकर बाहर जा रहे हो ! वो भी खुले में ! इतना भरोसा हो गया मुझ पर ?

क्या करोगी ? भाग जाओगी ! या पुलिस को बता दोगी ! मुझे पकडवा दोगी ! यही ना ! तुम जो दिल करे कर लेना लेकिन मुझे मेरे मक़सद खत्म होने से पहले कोई नही मार सकता ! वो बैड पर बैठता हुआ बोला !

सिया " भागना होता तो बहुत सारे मौके मिले, भाग गई होती ! लेकिन अब आजाद होकर भी तुम्हारी कैद में ही हूं ! एक ऐसी कैद जो अब शायद कभी खत्म नहीं होगी !

"तुम पागल हो चुकी हो ज्यादा बोल बोल कर ! चलो अब ! वो खडा हो गया और सिया को बाहर चलने का इशारा किया !

सिया तेज कदमों से आकर उसके सीने से लिपट गई ! और अपनी बाहें उसकी पीठ तक फैला दी !

इतनी जोर से सिया के लिपट जाने से वो थोडा हिला लेकिन अपनी बाहें नीचे ही रखी ! और सीधा खडा दरवाजे की तरफ देखता रहा !

सिया उससे लिपटे हुए ही बोली " कब तक ? कब तक ? देखती हू कब तक रोकते हो अपने आप को ! मुझे भी अपनी सच्ची चाहत पर पूरा भरोसा है ये ऐसी चाहत है जो तुम्हें देख कर नही हुई बल्कि तुम्हें बिना देखे बिना जाने हुई है !

उसने सिया को अपने से अलग किया और बाहर के ताले की चाबी उठा कर चल पडा !

ताला खोल कर उसने सिया को बाहर आने का इशारा किया !

सिया बाहर आ गई ! वो दरवाजा बंद करके आगे आगे चल पडा सिया उसके पीछे पीछे !

सिया ने देखा बाहर शाम का वक्त था बाहर बहुत अच्छा मौसम था हल्की हल्की बारिश की बूंदें थी आसपास हरियाली देखकर ऐसा लग रहा था कि अभी थोडी देर पहले बहुत बारिश होकर हटी थी !

वो पूरा पहाडी इलाका था ! सिया को बाहर आकर ऐसा लगा जैसे सदियों बाद उसने ये सब देखा हो !

कुछ दूर चल कर एक बाईक खडी थी वो उसे साफ करके उस पर बैठ गया और सिया को बैठने का इशारा किया !

सिया फटाक से पीछे दोनों पैर आसपास करके बैठ गई उसने कसकर अपनी बाहों से पीछे से उसे पकड़ लिया !दोनों एक पतली सी पगडंडी को पार करते हुए एक चौड़ी सड़क पर आ गये !

सिया बहुत खुश थी ! एक टाइम उसे ऐसा लगता था कि वो पता नही कहां है पता नही यहां से जिन्दा निकल भी पायेगी कि नही ! लेकिन आज जैसे सब कुछ बदल गया वो आजाद थी और उसके दिल के अंदर एक ऐसा अहसास था कि जो बहुत सुकून सा दे रहा था उसे !

काफी देर चलने के बाद एक माल रोड आ गया और वहां बहुत सुंदर शहर बसा हुआ था और माल रोड पर बहुत ही सुन्दर मार्किट थी !

उसने एक साइड बाइक रोक दी और मेन रोड से साईड में चलने लगा उसने सिया को साथ चलने का इशारा किया और बोला " यहां बहुत अच्छी मार्केट है जैसी ड्रेस लेना चाहती हो पसंद कर लो !

सिया " तुम पसंद करो मेरे लिए ! तुम जो भी पसंद करोगे वो पहन लूंगी मै !

"फिर से वही पागलपन ! तुम खुद देखो जैसा तुम पहनती हो पसंद करती हो ले लो !सिया " नही ! तुम पसंद करो ! नही तो नहीं !

" तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता ना ! जिद्द कर ली तो मतलब कर ली !

सिया " हा मेरा अब कुछ नहीं हो सकता मेरा जो भी होगा वो अब तुम करोगे !

"पागल लड़की !!!

वो सिया का हाथ पकड़ कर एक कपड़े की दुकान के अंदर ले गया !

वहां दुकान के काउंटर पर एक लडकी और दो लड़के थे !

वो दुकान पर जाकर बोला "इनके लिए कुछ दिखाओ ! जो इनको पसंद हो और जो इन पर अच्छा लगे !

सिया " नही ! वो दिखाओ जो इनको पसंद हो !

दुकान पर खडे लडके और लडकी एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा दिए क्योंकि सिया ने बोला ही इतने प्यार से था !

तभी वो लड़की बोली " जी मैम ! आप इतनी सुन्दर है कि आप पर हर ड्रेस अच्छी लगेगी !

सिया उस लड़की की बात सुनकर मुस्कुरा दी !

सिया ने बहुत सी ड्रेस पहन पहन कर देखी ! वो हर ड्रेस पहन कर बाहर आती और उसके सामने देखकर पूछती कि कैसी लग रही है फिर अंदर जाकर दुसरी बदल आती !

तभी वो दुकान वाली लडकी बोली " सर ! उन पर तो हर ड्रेस अच्छी लग रही है लेकिन जब तक आप नही बोलेंगे तब तक वो फाइनल नही करेंगी !

तभी सिया काले रंग की लोन्ग ड्रेस पहन कर बाहर आई ! उसे देख कर सबकी आंखें खुली की खुली रह गई ! क्योंकि वो बहुत सुन्दर लग रही थी उसके बदन के एक एक अंग की बनावट उभरकर बाहर आ रही थी ! उसके खुले लम्बे बाल उस पर चार चांद लगा रहे थे !

सिया ने बाहर आर उसकी तरफ मुस्कुराती हुई नजरों से देखते हुए आंखों से ही इशारे में पूछा कि कैसी लग रही हूं ?

वो एकटक सिया की तरफ देख ही रहा था थो सिया के इशारे से झेप सा गया और धीरे से सर हिला दिया !

सिया" येएएएएए अच्छी लगी ना तुमको ये ड्रेस !

वो दुकान के काउंटर पर आकर खडा हो गया और बोला " ये दो चार ड्रेस इनको पसंद है पैक कर दो !

सिया ने कुछ कपड़ों की तरफ इशारा किया तो वो लडकी कपडे पैक करने लगी ! और बिल बुक निकाल कर बोली " सर ! आपका नाम ?

"युवराज !!!

वो लडकी नाम सुनते ही बिल बनाने लगी !

सिया के कानो में पहली बार उसका नाम पडा था ! उसने नाम सुनकर मन ही मन नाम दोहराया " युवराज !! कितना प्यारा नाम है ना ! बिल्कुल उसके जैसा !

सिया को खोया सा हुआ देखकर युवराज ने आकर उसे हिलाया और बाहर चलने का इशारा किया ! क्योंकि वो कपड़ों के बैग पकड कर खडा था !

सिया हल्का सा मुस्कुरा कर युवराज के पीछे बाहर आ गई !

वो आसपास सारा बाजार देखती हुई चल रही थी ! तभी युवराज बोला " और कुछ लेना चाहो तो ले लो फिर खाना खाते है !

सिया " ले लूंगी जो चाहिए होगा ! मेरे सईया जो आज मेहरबान है !

सिया युवराज की तरफ देखकर मुस्करा दी !

युवराज " हर वक्त बस एक ही मूड़ !

सिया " मूड तो अभी बना ही नही ! युवराज जी !

सिया की आंखों में मस्ती और शरारत थी !!युवराज सर हिलाते हुए " तुम्हारा कुछ नही हो सकता !

सिया " हो सकता है ना ! अगर तुम चाहो तो ! तुम मेरे प्यार को कुबूल करो फिर मुझे बांहों में भर लो और हमेशा के लिए अपना बना लो !

युवराज उसकी तरफ बिना देखे आगे आगे चल पडा !

सिया " सडू कही के !

युवराज ने चलते चलते पीछे मुड़कर देखा लेकिन बोला कुछ नहीं !

तभी सिया की नज़र गोलगप्पे वाली रेहड़ी पर पडी वो चलते चलते एकदम से बोली " मुझे गोलगप्पे खाने है !

युवराज जो उसकी बात सुनकर रुक गया था पीछे मुड़कर देखते ही बोला " खा लो !

सिया फटाफट रेहड़ी वाले की तरफ मुड गई !

सिया " भईया ! तीखे तीखे बना दो मुझे भी दो और इस सडू को भी दो !

गोलगप्पे वाला उसकी बात सुनकर आसपास देखने लगा! तभी युवराज रेहडी के पास आकर खडा हो गया !

गोलगप्पे वाला युवराज की तरफ देखते हुए बोला " इनको देना है क्या मेमसाब ?

सिया " हा ! इन्हीं सडू को !

गोलगप्पे वाला सिया की बात सुनकर थोडा सा मुस्कुराया और खिलाने लग गया !

सिया ने खाते खाते एक युवराज की तरफ बढ़ाया लेकिन युवराज बोला " तुम खाओ !

गोलगप्पे खाने के बाद दोनों पैदल आगे चल पडे !

सिया को बहुत दिनों बाद आज अपने मन की करके बहुत ही अच्छा लग रहा था ! वो बहुत खुश थी !

उसके साथ चलते चलते युवराज उसे चोर नज़रों से देख लेता था लेकिन सिया को पता नही लगने देता था !

युवराज " चलो थोडी दूर आगे चढ़ाई पर एक अच्छा होटल है वही खाना खाते है !

सिया ने हा मे सर हिला दिया और मस्ती करती हुई युवराज के पीछे चलती रही !

रात का समय था पहाडी इलाका होने की वजह से रोड पर भी लोगों की आवाजाही कम होने लग गई थी !

तभी साइड पर खडे तीन हट्टे कट्टे लडके निकल कर सिया के सामने खडे हो गए और बोले " जिसके पीछे पीछे इतरा के चल रही हो उसके बस का नही कुछ भी जो तुम्हें चाहिए ! हम है ना चलो हमारे साथ !

सिया डर कर चिल्ला पडी " युवराज !!

तभी युवराज ने पीछे मुड़कर देखा और उसकी आंखों में गुस्सा उतर आया ! वो सिया के पास आकर बोला " क्या बात है भाई ? निकलो आगे !

सिया तेजी से युवराज के पीछे आकर खड़ी हो गई !

उन लड़कों में से एक बोला " ऐ हीरो !निकल तू यहां से इस लड़की को हमारे हवाले कर !

युवराज एक कदम आगे बढ़ा ,तभी उनमें से दुसरे लडके ने युवराज के सीने पर जोर से हाथ मार कर उसे पीछे करना चाहा !

युवराज हिला तक नहीं .. युवराज ने एक जोरदार मुक्का उसके नाक पर दे मारा ,वो छिटक कर तड़पता हुआ दूर जा गिरा !

तभी बाकी दोनों लडके भी युवराज पर झपटे .. लेकिन युवराज ने एक को अपने हाथ से पकड कर दुसरे पर अपनी टांगों से उछल कर वार किया वो दूर जाकर गिरा ! और जिसको पकड़ रखा था उसकी कनपटी पर दोनों हाथों से वार किया वो कराहता हुआ नीचे गिरा !

इससे पहले वो तीनों दोबारा उठ पाते युवराज ने अपनी पैंट के पीछे से गन निकाल कर उनकी तरफ तान दी !

ये सब युवराज ने इतनी फुर्ती से किया कि दूर खड़ी सिया हैरान हो गई !

वो तीनों युवराज के हाथ में गन देखते ही रफूचक्कर हो गये !

युवराज ने अपनी तरफ एकटक देखती सिया का हाथ पकडा और एक होटल के।अंदर ले गया !

एक खाली टेबल देख कर दोनों बैठ गये ! युवराज ने खाने का आर्डर दे दिया ! दोनों खाने का इंतजार करने लगे !

सिया फिर से एकटक सामने बैठे युवराज को देख रही थी !

युवराज हर वक्त उससे नजरें चुरा कर रखता था लेकिन उसे पता रहता था कि सिया उसे ही देख रही है !

तभी खाना आ गया ! युवराज ने सिया को खाने का इशारा किया लेकिन सिया को होश कहां था वो तो युवराज मे ही खोई सी थी !

युवराज ने उसे बांह से पकड़ कर हिलाया ! तब जाके सिया को खाने की प्लेटे दिखी !

लेकिन जिद्दी सिया के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था ! वो युवराज की तरफ देखकर बोली ' तुम खिलाओ !!

युवराज " चुपचाप खाओ ! यहां बहुत लोग है !

सिया " नही !! जब तक तुम नहीं खिलाओगे नही खाऊंगी ! बेशक आधा ही खिलाओ !

सिया ने मुस्कुरा कर युवराज की तरफ देखा !

युवराज ने उसकी तरफ घूर कर देखा लेकिन फिर खिलाना शुरू कर दिया !

वो बिल्कुल बच्चों की तरह खा रही थी ! युवराज ने गौर से उसे खाते हुए देखा ! तो उसे भी सिया पर प्यार सा आ गया लेकिन उसने अपना मुंह दुसरी तरफ कर लिया !जैसे वो खुद को समझा रहा हो !

युवराज " चलो अब थोडा सा बचा है खा लो खुद ! तब तक मै भी खा लेता हू !

सिया हा में सर हिला कर खुश होती हुई खुद खाने लग गई !

दोनों खाना खा कर होटल से बाहर आ गये थे ! रात का सन्नाटा भी बढ रहा था !

वो दोनों चलते हुए बाइक के पास आये !

युवराज बाइक बहुत धीरे-धीरे चला रहा था सड़क बिल्कुल खाली थी मौसम बहुत ही शांत और ठंडा था !

पीछे बैठी सिया ने अपनी दोनों बांहों से युवराज को पकड़ रखा था ! और अपना सर युवराज की पीठ पर रखा हुआ था ! उसके चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कान थी और आंखों में सुकून !

युवराज ने बाइक साइड लगाई और दरवाजे का ताला खोलने लग गया ! वो दोनों अंदर आ गये !

युवराज कुर्सी पर बैठता हुआ बोला " खुश तो हो ना तुम ?

सिया " बहुत खुश हू मैं ! तुमने मुझे आज घुमाया .. खाना खिलाया.. कपड़े लेकर दिए ... मै बहुत खुश हू !

युवराज " अपने सारे कपड़े एक ही बैग में कर लो ! सुबह दिन चढ़ने से पहले तुमको तुम्हारे घर के कुछ दूर छोड़ दूंगा !

सिया " छोड़ दोगे .... मतलब ?

युवराज " सीधे शब्दों में बोला मैंने कि तुमको अब तुम्हारे घर छोड़ना है !

सिया एकदम से परेशान होकर " ऐसे कैसे छोड़ सकते हो तुम मुझे ! बोलो ? अभी मैंने तुम्हारे बारे में जाना ही क्या है ?

युवराज " मेरे बारे में जानने से ज्यादा ज़रुरी तुमको तुम्हारे घर जाना है !

सिया " मै नही जाऊंगी तब तक जब तक तुम मेरा प्यार क़ुबूल नहीं करते ! मै ऐसे ही चली गई तो तुमको कैसे ढूढूगी ? ना तुम्हारा अता पता जानती !

युवराज "पागल मत बनो !!! कह दिया मैंने तो बस कह दिया !

सिया " क्या कह दिया तो कह दिया ? नही जाऊंगी तो बस नही जाऊंगी ! मैने भी कह दिया तो कह दिया बस ! मै तुम्हारे बिना नहीं रह सकती !

युवराज कुर्सी से उठा और सिया को एक बांह से पकड कर दीवार से चिपका कर अपना एक हाथ दीवार पर रखता हुआ बोला " तुम्हारी समझ में नहीं आता जो मै कह रहा हूं ! और क्या ये प्यार प्यार लगा रखा है ? मेरे बारे में जान लोगी ना तो नफरत ही करोगी मुझसे !

युवराज को बोलता सुन कर सिया सिर्फ उसकी आंखों में ही देख रही थी वो इतना करीब था कि सिया का दिल उसकी बातें सुनने समझने की बजाय जोरो से धड़क रहा था !

सिया को अपनी आंखों में फिर से खोया देख कर वो उसको छोड़ कर फिर दुसरी तरफ मुंह करके खडा हो गया !

सिया " तुम्हे बिना जाने बिना देखे तुमसे प्यार कर बैठी हू कुछ सोचकर प्यार नही किया ! और रहा सवाल नफरत का तो वो मै अब कर ही नहीं सकती !

युवराज " लड़की तुम इतनी पागल निकलो गी पता होता मुझे तो मैं तुमको कभी ना उठाता !

सिया " सीधा क्यों नहीं कहते कि मेरे प्यार को देखकर डरते हो तुम कि कही तुमको भी मुझसे बेपनाह इश्क़ ना हो जाए ! इसलिए अब छोड़ रहे हो तुम मुझे !

युवराज " हा डरता हू मै ! हा डरता हू मै कि मै तुम्हारी वजह से अपने मक़सद में कमजोर पड गया तो मेरी लाइफ खराब है और वैसे भी जो रास्ता मै पकड चुका हू उस पर मुझे मरना ही है !

सिया " तो ठीक है ना ! तुम्हारा मकसद कुछ भी हो मरना होगा तो साथ ही मरेगे ना ! तब तक अच्छे से जी तो ले !

युवराज " तुम्हारा तो हो गया दिमाग ख़राब ! तुमको समझाना बेकार है !

सिया " तो मत समझाओ ! बस मेरी तरफ देखो और मेरे प्यार को महसूस करो !

सिया मुस्कुराती हुई युवराज के करीब आकर खड़ी हो गई और उसकी आंखों में देखने लगी !

युवराज दुसरी तरफ मुंह फेर कर खड़ा हो गया !सिया ने उसे पीछे से दोनों बांहे फैला कर उससे लिपट गई !

युवराज ने अपने हाथ सीधे ही रखे और मुंह उपर करके बस छत को देखता रहा ! वो अपने आप को सचमुच कमजोर ही पा रहा था सिया के प्यार की इंतहा देखकर वो खुद को उससे निकाल नही पा रहा था !

फिर एकदम से कुछ याद आ जाने पर युवराज पलटा और सिया को अलग करके उसका हाथ पकड़ कर कमरे में ले गया और बोला " यहां आराम कर लो थोडा फिर निकलना है !

वो सिया को कमरे मे बैड पर बिठा कर दरवाजा बंद करके बाहर निकल गया !

सिया बिस्तर से उठी और दरवाजे के पास आकर जो कि बाहर से बंद था चिल्ला कर बोली " तुम कितनी भी कोशिश कर लो मै ऐसे नही जाऊंगी तुमसे दूर ! तुम्हारी कैद में तो मरी नही लेकिन अब जरुर मर जाऊंगी ! समझे तुम !!!

बाहर से युवराज का कोई भी जवाब नहीं आया !

सिया बिस्तर। पर बैठ कर फूट फूट कर रोने लगी !

सिया को लगातार रोते हुए देखकर युवराज अंदर आया और सिया की बांह पकड कर उसे खडा किया और उसके आंसू पोंछने लग गया !

सिया तेजी से उसके सीने से लग गई ! युवराज ने इस बार अपनी बाहों को रोका नहीं और सिया को कस कर अपने सीने से लगा लिया !

बहुत देर तक वो यू ही एक दुसरे से लिपटे एक दुसरे की धड़कनें सुनते रहे !

तभी युवराज अलग हुआ और सिया को बैड पर बिठाता हुआ बोला " देखो तुम मेरी बात को समझने की कोशिश करो ! मेरा मक़सद कुछ ऐसा है कि उसमे मेरा मरना तय है लेकिन मै तब तक नही मरुंगा जब तक मेरा मक़सद पूरा नहीं हो जाता ! तुम अपनी जिंदगी मेरे लिए खराब मत करो ! हम अच्छे दोस्त तो है ही !

सिया " ऐसा क्या मकसद है तुम्हारा जिसमें मै तुम्हारे साथ नही हो सकती ! आर्मी वाले भी तो होते है उनका मकसद देश के लिए कुर्बान होना होता है तो क्या उनके फैमिली नही होती ! उनकी जिंदगी में प्यार नहीं होता ?

युवराज " मेरा मक़सद मेरी खुद की बीती हुई ज़िन्दगी के लिए है ! मेरी फैमिली के लिए है ! इसमें मै तुमको शामिल नही कर सकता !

सिया " तुम्हारी फैमिली ....? मतलब तुम शादीशुदा हो !

युवराज " नही !

सिया " तो फिर फैमिली का मतलब ? मां पिता भाई बहन ? कहां है सब ?

युवराज " मेरी फैमिली मे लोग थे जोकि अब नही है !

युवराज बिस्तर पर बैठ गया सिया उसके पास आकर बैठ गई !

सिया "लोग थे से मतलब ?

युवराज " बस अब मै अकेला हू !

सिया " तुम पूरी बात क्यों नही बताते ! क्या हुआ तुम्हारी फैमिली को ?

युवराज उठ कर बाहर चला गया !

सिया उसके पीछे बाहर आकर बोली " तुम्हारा जब दिल कहे तब बता देना सब ! लेकिन तुम अब अकेले नही हो ! मै हू अब तुम्हारी फैमिली !

युवराज थोडा तेज़ आवाज़ में " नही हो सकती तुम मेरी फैमिली ! समझी तुम !

सिया " क्यो नही हो सकती मै तुम्हारी फैमिली ? क्या कुसूर है मेरा ? मैने क्या बुरा किया ?

सिया युवराज के सामने खड़ी होती हुई बोली !

युवराज थोडा आंखों में गुस्सा भर कर " तुमने कुछ नहीं किया ! तुम्हारा कोई कुसूर नही ! कुसूर है तो सिर्फ तुम्हारी किस्मत का !

सिया " मेरी किस्मत का ? मतलब ? तुम साफ साफ क्यो नही बोलते सब ? बात गोल गोल क्यो करते हो ?

युवराज " साफ साफ इसलिए नही बोलता क्योंकि तुम सुन नही पाओगी !

सिया " क्यो नही सुन सकती ? कभी कहते हो कि मेरी किस्मत ! कभी कहते हो कि सुन नही पाउंगी ! बताओ तो सही कि आखिर मुझसे जुडा ऐसा है क्या आखिर ??

युवराज " तुम्हारा बाप !!!

सिया " मेरा बाप ?? मेरे पापा ! मतलब क्या है तुम्हारा ?

युवराज " तुम्हारे बाप के खून का प्यासा हू मै.. और अब वो भी मेरे खून का प्यासा है ! हम दोनों में से एक ही जियेगा ! या तो वो या मै ! और मै उसको मारे बिना चैन से नही बैठूंगा ! समझी अब तुम !

सिया युवराज की इतनी कड़वी बाते सुन कर दंग रह गई उसका मुंह खुला का खुला रह गया और आंखें खुली की खुली रह गई ! सिया ज़मीन पर बैठ गई उसकी आंखों में पानी उतर आया और एक अजीब सी बेचैनी उसके दिल में होने लगी !

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