नई सड़क पार्ट-2 (कैद)(18+)

नई सड़क पार्ट-2 (कैद)(18+)

Chapter -1

दरवाजे की तेज़ चरमराहट से सिया की नींद से बोझिल आंखे पूरी तरह से खुल गई ..!

वो डर कर दीवार के साथ पीठटिका कर बैठ गई ! उसके हाथ पीछे बंधे हुएं थे

उसके हाथों की कलाइयों में भी बहुत दर्द हो रहा था !सिया ने दरवाजे की तरफ़ देखा.. दरवाजे पर एक शख़्स खडा था..!उसके मुंह पर नक़ाब था ! और उसके हाथों पर दस्ताने थे..! वो खाने की प्लेट लेकर थोड़ा झुका और ज़ोर से प्लेट सिया की तरफ खिसका दी.!

सिया डर कर दीवार के साथ चिपक गई खाने की प्लेट की तरफ तो सिया ने देखा भी नही...!

तभी वो नकाबपोश बोला...खा लेना इस बार.. नही तो मुझे खिलाना आता है !

तभी उसने सिया के पास आकर सिया के हाथ खोल दिए,और बाहर जाने के लिए दुसरी तरफ मुड़ा...

इसी वक़्त का इंतज़ार तो कर रही थी सिया... जैसे ही वो शख़्स पलटा सिया ने फुर्ती से उठ कर उसको जोर से धक्का दे दिया ... और खुद तेजी से दरवाजे की तरफ भागी....वो शख़्स दीवार की तरफ सर के बल गिरा ...!

सिया ने दरवाजे के बाहर आ कर देखा सामने एक  लम्बी सी लौबी थी, रोशनी बहुत कम थी .. सिया भागती हुई लौबी के अंत तक आ गई !दोनों तरफ दो दरवाजे थे ! सिया को समझ ही नही आया कि वो किस दरवाजे की तरफ़ पहले जाये ! फिर भी वो दाएं दरवाजे की तरफ तेजी से मुड़ी.. दरवाजे के अन्दर दाखिल होने के उसने देखा कि वो एक छोटा सा कमरा था ! उसने चारो तरफ़ नज़र दौड़ाई तो उस कमरे के दुसरी तरफ निकलने का कोई दुसरा रास्ता नही था ! तो सिया ने सोचा शायद बाईं तरफ़ जो दरवाजा है उस तरफ़ होगा रास्ता बाहर निकलने का !

वो बिना एक पल गंवाए बाएं दरवाजे की तरफ लपकी और तेजी से उस दरवाजे से अन्दर दाखिल हो गई ! सिया ने चारो तरफ नजर दौड़ाई और बुरी तरह से चौंक गई... क्योंकि वो भी एक कमरा ही था लेकिन उसके भी दुसरी तरफ निकलने का कोई रास्ता नही था !सिया सोचने लगी कि जब लौबी के अंत तक कोई रास्ता नही बाहर जाने का और ये दो कमरे आमने सामने बने है इनमें भी कोई रास्ता नही बाहर जाने का तो वो शख्स आया कहां से अन्दर ?

बाहर जाने का रास्ता किधर है ??

यही सोच कर परेशान सिया जैसे ही पीछे पलटी तो वो नकाबपोश पीछे खडा था !

सिया उसको देख कर डर कर सहम सी गई और पीछे दीवार के साथ पीठ के सहारे चिपक गई ! वो समझ गई थी कि अब वो उसे बहुत मारेगा !

तभी वो नकाबपोश बोला " भाग लिया  ?  रास्ता मिला भागने का ?

जितना भी कोशिश कर लोगी ना... मेरी मर्जी के बिना कुछ नही कर सकती.... इसलिए आगे से कोशिश भी मत करना भागने की !

सिया रोने लगी और बोली " आखिर तुम चाहते क्या हो ? क्यो लाये हो मुझे यहां ? क्यो क़ैद में रखा है तुमने मुझे ? मैने क्या बिगाड़ा तुम्हारा ?

सिया वही दीवार के साथ खिसक कर नीचे बैठ गई और फूट फूट कर रोने लगी !

तभी वो नकाबपोश आगे बढ़ा और सिया को बालों से पकड़ कर खींचने लगा,और खींचता हुआ उसी पहले वाले कमरे तक ले आया...

सिया दर्द से कराहने लगी उसके बाल इतनी जोर से खिच गये थे कि उसके पूरे सर और गर्दन मे दर्द होने लगा था और उसकी पीठ और कोहनियां जमीन पर रगडने की वज़ह से छिल गई थी !

सिया दर्द से कराह उठी ! वो नकाबपोश उसे बालों से खींचता हुआ दीवार तक ले आया और सिया के एक पैर में लोहे की चैन बांधता हुआ बोला : अब मुझे परेशान करने की कोशिश की तो ये लोहे की चैन तुम्हारे गले में बांध दूंगा !

वो तेजी से उठा और दरवाजा बंद करके बाहर निकल गया !

सिया सिसकने लगी...

सिया समझ गई थी कि ये सनकी पागल आदमी उसे अब नही छोड़ेगा !

वो सहम कर भगवान को याद करने लगी ! : क्यो ! मेरे साथ ही क्यो ? मैने तो कभी किसी का बुरा नही किया ! फिर मुझे ये सजा क्यो ! लेकिन उस कमरे में सन्नाटे के इलावा कोई नही था जो सिया की सिसकियां सुनता !

तभी सिया की नज़र खाने की प्लेट की तरफ गई जो उसके एक तरफ पड़ी थी ! भूख के मारे भी सिया का बुरा हाल था,तो उसने सोचा कि खाना खा लेती हूं वैसे भी वो राक्षस उसे मारेगा ही...नही खाया तो...और फिर भागने का कोई मौका मिला तो शरीर में ताकत रहेगी तो वो यहा से भाग भी पायेगी !

यही सोच कर सिया ने खाने की प्लेट अपने पास की, और फटाफट खाने लगी !दो रोटियां और भिंडी की सब्जी थी !

सिया को खाने को देख कर ऐसा लगा कि जैसे वो खाना किसी ने खुद बनाया हो,बाजार का बना हुआ नही लगा,

सिया ने फटाफट खाना खा कर प्लेट एक तरफ रख दी !

बैठे बैठे सिया ज़मीन पर लेट गई ,उसका एक पैर जंजीर में बंधा हुआ था ! उसने अपनी आंखें बंद कर ली.. और सोचने लगी मन ही मन  " पता नही ये आदमी कब तक उसे यहां रखे गा ? और क्यो पकड कर लाया वो उसे ? क्या करेगा उसके साथ ? कही कुछ गलत कर के मार तो नही देगा ?

ऐसे अनगिनत सवाल सिया के मन में उठने लगे ! फिर उसकी आंखों में पानी आ गया !

तभी  चरमराहट की आवाज से दरवाजा खुला ! सिया एकदम उठ कर सहम कर दीवार से पीठ लगा कर बैठ गई !

वो नकाबपोश हाथ मे पट्टी,रुई,डिटोल और कुछ दवाइयों की ट्रे लेकर खडा था !

वो झुका और जमीन पर बैठ गया और सिया के जंजीर से बंधे पैर को जंजीर से ही खींच कर सिया को अपने पास इतनी तेजी से खींचा कि सिया का सर पीछे  जमीन से लगा और सिया पीठ के बल घिसटती हुई ठीक उस नकाबपोश के सामने आ गई !

बेतहाशा दर्द हुआ सिया को ! उसके बावजूद भी वो जल्दी से डर के उठ कर बैठ गई !उसका मुंह ठीक उस आदमी के सामने था ! उस आदमी ने सिया की टांग कस कर पकड रखी थी !

सिया ने अपनी टांग छुड़ा कर पीछे होना चाहा ! लेकिन उस आदमी की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो हिल भी नही पाई !

तभी वो आदमी बोला " आराम से बेठो गी तो चोटें कम खाओ गी नही तो इस तरह से दीवार पर मारुंगा कि हंडिया भी जुड नही पायेगी तुम्हारी !

सिया की डर के मारे बोलती बंद हो गई !

वो आदमी सिया की बांह पकड कर सूखा हुआ खून साफ करने लगा रुई में डिटोल लगा कर ! जब वो सिया को बालो से पकड़ कर जमीन पर खींचता हुआ कमरे तक लेके आया तो सिया की दोनो कुहनिया छिल गई थी उनमें से खून बहने लगा था !

उसने दोनों कुहनियो पर दवाई लगा कर पट्टी बांध दी ! फिर वो तेजी से खड़ा हो गया और एकदम सिया के पीछे बैठ गया ! सिया पीछे मुड पाती उससे पहले ही उसने सिया का काले रग का टाॅप एकदम से नीचे से पकड़ा और उपर को करते हुए सिया के सर पर से होते हुए खोल दिया !

उसने ये इतनी तेजी से किया कि सिया कुछ समझ ही नही सकी ! सिया ने अपने आप को बिल्कुल नग्न अवस्था में देख कर अपनी दोनों हाथ अपने आगे सीने पर रख दिए, सिया समझ गई थी कि वो हैवान अब उसके साथ कुछ गलत करेगा !

तभी उस आदमी ने सिया की ब्रा की हुक भी खोल दी ! सिया ने तेजी से उठ कर खडे होना चाहा .. लेकिन उस आदमी ने सिया को पीछे से  दोनों टांगों के बीच में दबा लिया और अपने दोनों हाथों से सिया को पीछे से दबाव देते हुए सिया का सर जमीन से लगा दिया सिया आगे की तरफ झुक गई.. उसका पेट अन्दर दब गया ! सिया कुछ बहुत बुरा होने की आंशका से ही बिलख उठी !

तभी वो आदमी उसकी पीठ पर वो दवाई लगाने लग गया , जहां जहां सिया की पीठ पर जमीन पर घिसटने के ज़ख्म थे उन सब पर उस आदमी ने दवाई लगा दी !

सिया चुपचाप शांत होकर आगे की ओर झुकी बिना हिले डुले पडी थी ! तभी उस आदमी की टांगों की पकड़ ढीली हुई और वो खड़ा हो गया ,और एक दम से सिया के सामने आ गया !

तभी सिया ने अपना मुंह उपर किया उसके काले जूतो से होती हुई सिया की नज़र उस आदमी के मुंह पर गई जो उसे ही घूर रहा था ! सिया तेजी से सीधी हुई और एक हाथ से अपनी टी-शर्ट उठा कर पीछे दीवार से चिपक कर बैठ गई !

सिया ने टी-शर्ट अपने आगे लगा ली और अपने दोनों हाथों से अपनी छाती को ढक लिया ! वो आदमी सिया को एक टक देख रहा था ! सिया को समझ नही आया कि अब वो क्या करेगा !

लेकिन वो एकदम से बाहर निकल गया ! उसके कमरे से बाहर निकलते ही सिया ने फटाफट अपनी ब्रा की हुक लगाई और फटाफट टी-शर्ट पहन ली !

वो मन ही मन सोचने लगी कि ये आदमी आख़िर चाहता क्या है ? एक तरफ उसे तकलीफ़ दें रहा है और दुसरी तरफ उसके ज़ख्मों पर पट्टी और दवा लगा रहा है !

उसकी समझ में कुछ नही आया लेकिन उसने भगवान का शुक्रिया अदा किया कि आज उसकी इज्जत बच गई क्योंकि वो हैवान सिया के साथ कुछ भी कर सकता था !

सिया ने एक बात तो समझ ली थी कि इस आदमी से जोर जबरदस्ती करने का कोई फायदा नही , क्योंकि वो गुस्से में सिया के साथ कुछ भी कर सकता है बस उसे तो ये जानना है कि आखिर वो आदमी सिया से चाहता क्या है ?

सिया तो बस यहां से निकलना चाहती थी उसके दिमाग मे बहुत से तरीके चल रहे थे यहां से निकलने के ... बस सिया को इन्तजार था तो एक सही मौके का !

कमरे में बिल्कुल सन्नाटा था जब सिया का दिमाग शान्त हुआ तो उसको आस पास से भी जरा सी आवाज सुनाई नही दी ! मतलब ऐसा लग रहा था कि वो कही पाताल में बंद है बाहर से कभी तो कुछ आवाज़ आती ! पर नही... सिया ने पूरे कमरे की तरफ नजर दौड़ाई कही भी कोई रौशनदान नही था बस एक पुराना सा दरवाजा जो उस हैवान के आने पर ही खुलता था !

सिया ये सब सोचते हुए कब सो गई उसे पता ही नही चला ! सिया की आंख एक दम से खुली तो जमीन पर लेटे ही उसने देखा कि कमरे में सन्नाटा ही था ! दरवाजा बन्द था ! पता नही वो कब तक सोई कब उठी ,उसे इस बंद कमरें में दिन और रात का पता ही नही लगता था !

कमरे के साथ एक छोटा सा बाथरूम था वो इतना छोटा था कि बस टायलेट सीट पर बैठने तक की ही जगह थी उसके साथ ही एक वाशवेसन था छोटा सा !

सिया के पैर में बंधी हुई जंजीर इतनी लंबी थी कि वो बाथरूम तक जा सके !

सिया उठ कर बाथरूम में होकर आने के बाद कमरे में जमीन पर दीवार के साथ पीठ लगाकर बैठ गई ! वो सोचने लगी कि वो आदमी आया क्यों नहीं ? वो तो कल सुबह उसके लिए चाय बिस्कुट लेकर आया था ! " शायद अभी बाहर रात ही होगी " यही सोच कर सिया ज़मीन पर दोबारा लेट गई और कमरें की छत को देखते हुए यहां से कैसे निकलेगी इसके बारे में सोचने लगी !

लेकिन सिया को लेटे लेटे काफी समय हो गया था ! " इतनी लम्बी रात तो नहीं हो सकती " ऐसे सोच कर सिया उठ कर बैठ गई ! सिया की बैचैनी बढती जा रही थी ! क्योंकि उस आदमी के आने जाने से ये तो पता लग जाता था कि चाय लेकर आया मतलब,सुबह होगी,खाना लेकर आया तो , मतलब दोपहर होगी, फिर दोबारा खाने को कुछ लाया तो मतलब रात होगी !

लेकिन अब कई घंटों से वो आया नही था ! "शायद वो यहां होगा नही कही दूर गया होगा " यही सोच कर सिया अपने पैर की जंजीर को हाथ से खीच कर खोलने लगी ! वो जंजीर इस तरह से लाॅक थी कि उस जंजीर को खींचते ही सिया का पैर खिंचता था और सिया के पैर के जोड़ में दर्द होता था !

उस कमरे में ऐसा कुछ था भी नही कि जिससे वो चैन काटी जाए !

सिया को बहुत झल्लाहट फूट रही थी उसके दिमाग में बुरे बुरे विचार आ रहै थे !

"पता नही मै यही पडी पडी शाय़द मर ही जाऊंगी ! पता नही यहा से निकल भी पाऊंगी कि नही "अनगिनत विचारो से सिया का दिमाग भर गया था ! वो तो बस चाहती थी कि उसे कब मौका मिले और वो यहां से भागे !

तभी उसे दरवाजे के पास आवाज आई , उसकी नजरें दरवाजे की तरफ टिक गई !

तभी दरवाजा खुला और वो नकाबपोश एक प्लेट हाथ में लेकर खडा था !

उसने सिया की तरफ देखे बिना वो प्लेट ज़मीन पर रख दी और तेजी से बाहर निकल गया !

सिया सोच रही थी कि वो कुछ बोला क्यू नही ? और ना उसकी तरफ देखा,महसूस हो रहा था कि वो कुछ परेशान सा है,मतलब या उसका किसी से झगडा हुआ होगा या उसको यहा आते किसी ने देख लिया हो इसलिए वो टैंशन में है !

सिया का दिमाग कुछ भी बस सोचे ही जा रहा था क्योंकि उसे कुछ समझ ही नही आ रहा था लेकिन उसने ये सोच लिया था कि अगर इसी मूड़ में उसको भड़काया जाए तो वो कुछ गलती करेगा जिससे शायद सिया को यहां से भागने का मौका मिल सके !सिया का दिमाग तेज़ी से दौडने लगा ! बस वो दोबारा उस आदमी के आने का इंतजार कर रही थी !बहुत वक्त बीत गया था ! प्लेट में चाय का एक कप और बिस्कुट पडे थे सिया ने जानबूझकर कर ना चाय पी और ना बिस्कुट खाए क्योंकि वो जानती थी कि उस आदमी की बात ना मानने पर उसको बहुत गुस्सा आता है !

बस वो अब कमरे में आते ही पता नही गु्स्से में सिया के साथ क्या सलूक करेगा ये सोच कर सिया थोडा डर रही थी लेकिन दुसरे ही पल वो ये भी सोच रही थी कि उसको उकसाना तो होगा ही तभी वो कोई गल्ती करेगा या उसके मुंह से निकले गा गुस्से में कि वो उसे यहां क्यो लाया !

ऐसे अनगिनत विचार सिया के दिमाग में दौड़ रहे थे ! उसे घबराहट भी हो रही थीं !

तभी दरवाजा खुला और वो नकाबपोश दरवाजे पर एक प्लेट लेकर खडा था ! सिया की धड़कनें तेज चलने लगी ! उसने नकाबपोश की आंखें देखी जो फर्श पर पड़ी चाय और बिस्कुट की प्लेट को देख रही थी ! सिया सोच चुकी थी कि ये हैवान अब उसे बहुत मारेगा !

लेकिन ये क्या ??????

वो नकाबपोश थोडा आगे बढ़ा और खाने की प्लेट नीचे रख दी और चाय और बिस्कुट की प्लेट उठा कर बिना सिया की ओर देखे तेजी से बाहर निकल गया !

सिया बिना पलके झपके ये सब देखती ही रह गई और फटाक से दरवाजा बंद हो गया !सिया को बहुत झल्लाहट फूटी उसने वो पैर जो जंजीर से नही बधा था जमीन पर जोर से पटका ! और गुस्से में सिया चिल्लाई ...क्यो...? मुझे क्यो बंद कर रखा है यहां कुछ भी कारण नही बताता वो घटिया आदमी ! सनकी है क्या वो जो बिना बात के एक लडकी को कैद करके उसको दिन रात खाना खिला रहा है ! लेकिन क्यो ????? मेरे साथ ही क्यों ?????

चिल्लाते चिल्लाते सिया ज़मीन पर सर रख कर फूट फूट कर रोने लगी !बहुत देर तक सिया रोती ही रही ! पता नही उसे कब नींद आ गई !

एकदम से उसकी आंख खुली तो वो दीवार के साथ पीठ लगा कर बैठ गई और सोचने लगी !कि उस हैवान को चाय और बिस्कुट की प्लेट देख कर गुस्सा क्यो नही आया ?वो तो पहले उसके खाना ना खाने से भड़क कर उसे मारता था ! लेकिन आज वो बिना उसकी तरफ देखे खाना रख कर चला गया !हो सकता है कि इसका मालिक कोई और हो ! उसने इसको डांटा हो कि लडकी को मारो मत ,तभी ये चुपचाप मुझे कुछ कहे बिना चला गया ! ये शायद नौकर होगा मुझे कैद में रखने वाला शायद कोई दुसरा आदमी होगा जो सामने नही आना चाहता !ऐसे सवाल सिया के दिमाग पर हावी होते जा रहै थे !लेकिन अब सिया को यहां घुटन सी होने लग गई थी उसका दिल अब यहां से भाग जाने को करता था बस वो कोई मौका चाहती थी कि उसे मिल जाए और वो यहां से। बाहर तो निकले ! उसे तो ये तक नही पता था कि वो है भी कहां ? दुनिया के किस कोने में ?

सिया ने खाने की प्लेट की तरफ देखा ,जो कि उसने अभी तक उसमें से कुछ खाया तक नही था ! खाने में थोडे से चावल,दो रोटी और दाल थी ! लेकिन सिया ने आज खाना ना खाने का फैसला ले लिया था उसने बिस्कुट और चाय भी नही पी थी उसने सोचा वो नकाबपोश कुछ भडके गा ..जो कि उसकी आदत थी लेकिन वो नही भडका ! अब सिया खाना भी नही खा कर ये देखना चाहती थी कि वो भडकता है या नही , क्योंकि वो उसको तंग नही करेगी तो वो परेशान कैसे होगा !  सिया चाहती थी कि वो उससे परेशान हो ,हो सकता है उसे फिर छोड़ दे या कही और शिफ्ट करे कुछ तो बदलाव हो कि उसे पता तो चले कि वो आखिर है कहा ?

सिया का ज्यादा सोचने वाला बातूनी दिमाग उसे कुछ ना कुछ नसीहतें दिए ही जा रहा था !तभी दरवाजे पर कुछ सरसराहट हुई  , सिया की नजरें दरवाजे पर टिक गई और दिल तेज तेज धडकने लगा !दरवाजा खुला और वो नकाबपोश हाथ में पानी की बोतल लिए अन्दर दाखिल हुआ !उसकी नजर खाने की प्लेट की तरफ गई जिसमें खाना ज्यो का त्यों पड़ा था !

उसने सिया की तरफ देखा जो उसे ही एक टक घूर रही थी ,उसने पानी की बोतल नीचे रखी और बाहर निकलने को हुआ , तभी सिया बोल पडी " क्या हुआ ? निकल गई तुम्हारी हवा ! बडे सीधे बन रहे हो ! अब नही मारोगे मुझे ! क्या तुम्हारे मालिक ने फटकार लगाई है कि इस लडकी को मारो मत ! तभी भीगी बिल्ली बन गये हो !

वो नकाबपोश दरवाजे की तरफ चलने को मुडा ही था कि सिया की बाते सुन कर वही खडा हो गया !

सिया चुप होकर उसके जवाब का इंतजार कर रही थी कि इतना सुना दिया मैने अब तो जरूर मारेगा !

लेकिन ये क्या ?

वो तो फिर तेजी से बाहर निकल गया और दरवाजा बाहर से बंद कर दिया ! अब सिया को चिढ़ सी होने लगी थी कि उसे पता कैसे चलेगा कि वो है कहां और क्यूं ?इस हैवान ने तो भड़कना भी बद कर दिया ! लेकिन सिया का बातूनी दिमाग कुछ और ही सोचने में लगा था ! सिया सोच रही थी मुझे कुछ भी करके उस आदमी को गुस्सा दिलाना होगा तभी तो वो गुस्से में कुछ बोलेगा  ! और क्या पता गुस्से में ये भी बोल दे कि वो उसे यहां क्यौ लाया है !बहुत देर तक सिया बस दिमाग को इधर से उधर दौडाती रही ! उसे अब भूख प्यास भी लग रही थी और रोना भी आ रहा था कि उसके साथ ही क्यो ?तभी दरवाजे के बाहर फिर से सरसराहट हुई ! सिया नजरें दरवाजे पर गडा कर सहम कर दीवार से पीठ लगा कर चिपक गई !दरवाजा खुला और वो नकाबपोश अन्दर दाखिल हुआ ! और खाने की प्लेट और पानी की बोतल को घूरने लगा !खाना ज्यो का त्यों पडा था और पानी की बोतल पूरी भरी हुई ! वो समझ गया कि सिया ने खाने और पानी को मुंह तक नही लगाया है !उसने सिया की तरफ घूर कर देखा जो कि उसके कुछ बोलने का इंतजार ही कर रही थी !वो गुर्रा कर बोला " खाना खा ले नही तौ मेरे मारने से पहले ही तू मर जायेगी !

सिया " हां तौ देर किस बात की ? मारते क्यू नही ? मार दो मुझे ! वैसे भी यहां पडे पडे मरना ही है तो मै खाना क्यू खाऊ ?

वो नकाबपोश झुका और सिया के बिल्कुल मुंह के पास आकर बोला " देख मुझे गुस्सा मत दिला ! बेमतलब में पिट जाएगी ! चुपचाप खाना खा और सो जा !

सिया तिमतिमाती हुई बोली " मै यहां तुम्हारी बारात में नही आई हुई हूं कि जो खाऊं और सो जाऊं !

वो सीधा खडा हुआ और बाहर निकलने के लिए मुडा और सिया की तरफ पीठ करके बोला " तो मर भूखी !

सिया जोर से चिल्लाई " तूं क्यो नही मर जाता ?  मुझे यहा रखने का जब तक कारण नही बताते मै कुछ नही खाऊं गी !

वो नकाबपोश बिना कुछ बोले बाहर निकलने को दो कदम बढा ...

तभी सिया फिर बोल उठी " ना मर्द साला !

उस नकाबपोश ने अपने दोनों हाथ भींच लिए और गुस्से में दरवाजा बंद करके अन्दर से सिया की तरफ मुडा !

सिया समझ गई थी कि वो अब उसे बहुत मारेगा !वो सिया के पास घुटनो के बल बैठ कर एक हाथ से सिया के बाल पकड़ कर,सिया का मुंह अपने बिल्कुल पास करते हुए बोला " क्या कहां तुमने ? नामर्द !देखनी है मेरी मर्दानगी ? दिखाऊं ?

सिया उसके हाथ से अपने बाल छुडाने लगी सिया की गर्दन में भी दर्द होने लगा था ! लेकिन उसकी पकड इतनी मजबूत थी कि सिया हिल भी नही पाई !

सिया डर कर सहम सी गई लेकिन उसके दिमाग में गुस्सा भी बहुत था वो दर्द से तो कराह ही रही थी फिर भी गुस्से से बोली " हैवान कही के ... एक लाचार लडकी को कैद करके उसको मारता पीटता है तू नामर्द ही तो है ! क्यो कैद किया है मुझे यहां ? बोल !!

नकाबपोश सिया के बालों की पकड़ और मजबूत करते हुए बोला " वक्त आने पर तुझे मालूम पड जाएगा कि तू यहां क्यो है लेकिन अगर तब तक तू जिंदा रही तो.. जिन्दा रहना है तो .. चुपचाप पडी रह खाती पीती रह !

सिया उसकी बात सुन कर तिलमिला गई और बोली " खाती पीती रह..और पडी रह .. क्या तेरे बाप की शादी है जो खाती पीती रहू और पडी रहू .. छोड़ मुझको और जाने दे ! घटिया आदमी !! जिंदा रखने वाला तू कौन होता है मुझे ? जब तक मेरी जिंदगी लिखी है तब तक जीयूगी ही मै !

नकाबपोश ने सिया के बाल छोड़ कर सिया की एक बांह मरोड़ कर सिया की पीठ से लगा कर सिया को अपनी तरफ खींच कर दुसरे हाथ से सिया की गर्दन पकड ली ! और बोला " तुझे मरने का भी खौफ नही ! अगर अभी मै तेरी ये पतली सी गर्दन दबा दूं तो तेरे प्राण निकल जाएंगे अभी !सिया का बांह में तेज दर्द होने लगा और गले दबाने से उसका दम भी घुटने लगा ! फिर भीवो जोर लगा कर बोली " नामर्द साला !नकाबपोश तेजी से सिया की गर्दन और बांह छोड़ कर सीधा खडा हो गया और गुस्से में बोला " नामर्द... मै कहता हू ये शब्द बार बार मत बोल .. लगता है तू मेरी मर्दानगी देखकर ही मानेगी !वोआगे बढ़ा उसने सिया को दोनों हाथों से उठा कर नीचे पीठ के बल पटक दिया  !

इतनी ताकत थी उसके बाजुओं में कि सिया जमीन पर पीठ के बल गिरी सिया का सर भी ज़मीन से लगा और वो दर्द से कराह उठी !

नकाबपोश सिया की कमर के आसपास दोनों टांगें फैला कर खडा हो गया !

सिया उसको हैरानी से देखते हुए कुछ समझ पाती इससे पहले वो नकाबपोश झुका और सिया को सर के बल उठा कर उसकी टी-शर्ट एक झटके में खोल दी ! और थोडा सिया की कमर से पैरो की तरफ पीछे हट कर सिया की पैंट दोनों पैरो को उठा कर एक झटके में खोल दी !

सिया अब सिर्फ ब्रा और पैंटी में ही रह गई थी सिया ने अपने दोनों हाथ अपने सीने पर रख दिए थे और तेजी से उठ कर पीछे दीवार से चिपक कर बैठ गई ! सिया समझ गई थी कि ये हैवान पता नहीं उसके साथ कितनी हैवानियत करेगा ! उसने तो सोचा था कि वो उसे मारेगा पीटेगा लेकिन ये नहीं सोचा था कि वो उसके साथ इतनी गन्दी हैवानियत भी करेगा ! सिया की आंखों से आंसू बहने लगे वो रोते रोते बोली " देखो तुम मुझे मार लो पीट लो .. लेकिन ये सब मत करो प्लीज भगवान के लिए मुझे छोड़ दो !

वो नकाबपोश जो अपनी पैंट की बेल्ट खोलते हुए सिया की तरफ बढ रहा था वो झुकता हुआ सिया के मुंह के पास होकर बोला " क्यो ? डर गई ! तुम्हें तो मेरी मर्दानगी देखनी है ना ! तो आज पूरी तरह से दिखाऊंगा मर्दानगी तुमको ! फिर बताना कि मै मर्द हू कि नही !सिया "" नहहहही प्लीज़ नहहहही ‌!

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