Chapter-3

"ये लो कुछ कपड़े और कुछ सामान है इसमें ...उठो और बाथरूम में जाके फ्रेश हो लो !वो बिल्कुल उसके पास खडा होकर बोला था उसके हाथ में एक झोला था !लेकिन सिया ने उसकी तरफ देखा भी नहीं बस रोये ही जा रही थी !वो झुका और उसने अपनी दोनों बांहों से पकड़ कर सिया को एक ही झटके में खडा कर दिया और बहुत नरम आवाज में बोला " जाओ पहले चेंज कर लो फिर जो दिल करे करना !

सिया ने रोते रोते उसकी तरफ देखा "उसकी सिर्फ आखे ही नज़र आ रही थी ! उन आंखों में आज गुस्सा नहीं था !

सिया ने झोला पकड लिया और बाथरूम की तरफ चल पडी!कुछ देर बाद सिया कपड़े बदल कर कमरे में आई उसने देखा बिस्तर पर नई चादर बिछा दी थी !वो चुपचाप बिस्तर पर लेट गई ! "ये लो अब ये फ्रूट खा लो " वो फ्रूट की प्लेट हाथ में लेकर खडा था ! उसकी आवाज में नरमी थी !सिया ने उसकी तरफ देखा भी नहीं बस अपनी बांह अपने माथे पर रखकर छत को घूर रही थी !सिया की तरफ से कोई भी हलचल ना होने पर वो प्लेट मेज पर रख कर बाहर चला गया !वो फिर अंदर आया और बोला " लो कर लो जो तुम करना चाहती थी !सिया ने तेजी से पलट कर उसकी ओर देखा तो वो अपने हाथ में वही फस्टऐडकिट लेकर खडा था उसनेअपनी जैकेट खोली और बांह की कमीज़ उठा कर सिया की तरफ बांह करके बोला " तुम बाहर यही लगाने आई थी ना मेरे लेकिन मैने तुम्हे गलत बोला और मारा ! तो लो लगा दो मेरे दवाई !सिया उसकी बात सुनकर दुसरी तरफ मुंह कर लिया और लेटी रही !"आखिर तुम मेरा दिमाग ख़राब करने में क्यू लगी हो ?? वो झल्ला कर बिस्तर पर बैठ गया और सिया को अपनी दोनों बांहों से पकड़ कर उठा कर बैठा दिया और

सिया के झुके हुए मुंह के पास होकर बोला " देखो मेरा दिमाग पहले ही सटका रहता है और उपर से तुम्हारी ये चुप्पी , मेरे लिए मुश्किलें खडी मत करो ..खाओ पियो और मेरे साथ कोपरेटिव रहो !

सिया ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और बोली " तुम्हारे लिए मुश्किलें ‌??? मतलब मै तुम्हारे लिए मुश्किलें खडी कर रही हू ! कैद मे मै हू जिंदगी मेरी खराब हो रही है ! मार पीट मुझे रहे हो ! और कहते हो कि मुश्किल में तुम हो ! मै तुमसे कोपरेटिव क्यू रहू ? तुम मुझे छोड क्यू नही देते ?वो सिया को छोड कर खडा हो गया और बोला " नही छोड़ सकता तुमक़ो !

सिया " क्यू नही छोड सकते ?

"नही छोड सकता तो मतलब नही छोड़ सकता !! और तुम्हारे सवालो के जवाब देना मै जरुरी नही समझता !

वो बोल कर तेजी से कमरे से बाहर निकल गया !सिया बिस्तर से उठी और हाल में आकर उसके पीछे खडी हो गई और बोली " क्यू नही छोड़ सकते ? आखिर ऐसा है क्या ? मेरी लाईफ क्यू बर्बाद कर रहै हो ?

"देखो बोल चुका हू एक बार कि मेरा दिमाग खराब मत करो ! मेरी नरमी को मेरी कमजोरी मत समझ लेना ! जाओ अंदर और चुपचाप खा लो जो है ! वो गुस्से में बोला !

सिया " तो ठीक है नही खाना मुझे कुछ भी ! अगर मरना लिखा है मेरी किस्मत में तो ऐसे ही मरूंगी !

सिया पैर पटकती हुई कमरे मे चली गई और भड़ाक से कमरे का दरवाजा बद करके बिस्तर पर बैठ गई !

सिया की भूख वाकई ही मर सी गई थी उसे तो समझ ही नही आ रहा था कि वो क्या करे और क्या ना करे !

उसका दिमाग फिर से दौड़ने लग गया और सोचने लग गया "अब मुझे यहां से किसी तरह निकलने का सोचना चाहिए ! क्योंकि ये हैवान अभी थोडा नरम हो रखा है !कुछ देर यू ही सोचने के बाद सिया धीरे से बिस्तर से उठी। और दबे पांव दरवाजे तक पहुंची उसने थोडा सा दरवाजा खोल कर बाहर हाल मे झांक कर देखा तो वो हैवान बाहर के बैड पर पेट के बल लेटा अपने फोन मे बिजी था !

उसने सारे हाल का मुयाईना लिया तभी उसकी आंखें चौड़ी हो गई और उसके मुंह से आवाज निकलने ही वाली थी मेज पर पडी चाबी के गुच्छे को देखकर ! उसने फट से अपने मुंह पर हाथ रखा और दबा लिया !उसके दिमाग में उसी समय एक प्लान आ गया ! वो सोचने लगी देखते है काम करता है कि नही !वो बैड पर बैठ गई और जोर जोर से आह आह आह आह करने लगी !

तभी वो हैवान अंदर आया और दरवाजा खोल कर बोला " क्या हुआ !!

सिया " बहुत दर्द हो रहा है मेरे पेट में मै मर जाऊंगी शायद !

"दर्द तो होगा ही जब कुछ खा पी नही रही हो कल से ! वो तपाक से बोला !

सिया " नही ये दर्द भूख का नही है ये मेरे पीरियड्स का है !

"तो क्या मै मेडीसिन लेकर आऊ ? वो सिया की तरफ देखता हुआ बोला !" नही मेडीसिन नही चाहिए वो बाथरूम में से तुम वो झोला ले आओ जिसमें वो मेरा सामान है जो तुम लाये थे ! मै यही चेंज कर लूंगी क्यूंकि मै उठ नही सकती मेरे कपड़े खराब हो गये है !

वो पलटा और बाथरूम की तरफ जाने लगा ! सिया फटाक से बिस्तर से उठी और कमरे से बाहर दबे पांव उसके पीछे आ गई ! सिया के पास एक सेकंड का ही टाइम था ! सिया बिल्कुल उसके पीछे थी !

वो सोच भी नहीं सकता था कि दर्द में छटपटाती सिया बिस्तर से उठ भी पायेगी !जैसे ही वो बाथरूम के अन्दर गया सिया ने जो कि बिलकुल उसके पीछे थी फटाक से बाथरूम के दरवाजे की कुंडी पकडी और फटाक से बद करके कुंडी लगा दी !उसने एक बार जोर से चिल्ला कर दरवाजा खीचना चाहा लेकिन सिया ने तब तक कुंडी लगा दी ! पता नही कहां से सिया के अदर इतनी ताकत आ गई थी उसे खुद नही पता था ! उसे ये अहसास तक ना हुआ कि इस हफडा दफडी में उसकी उंगलियां दब गई थी लेकिन उसे दर्द ही नहीं हुआ !सिया ने एक सेकंड भी गंवाए बिना मेज से चाबी उठाई और बाहर का ताला खोलने लग गई !वो अदर से बाथरूम का दरवाजा खीच कर खोलने की कोशिश कर रहा था और वो चिल्ला कर बोला " तुमने ये अच्छा नहीं किया ! लेकिन तुम यहां से भाग नहीं पाओगी ! भड भड भड वो जोर जोर से बाथरूम का दरवाजा खीच रहा था !

सिया के हाथ कांप रहे थे उसने एक चाबी लगाई ताले पर जो कि नही लगी ! उस गुच्छे में चार पांच चाबियां थी ! सिया ने दुसरी चाबी लगाई वो भी नही लगी ! सिया की घबराहट बढती जा रही थी क्योंकि उसे पता था कि अगर ये ताला नहीं खुला तो आज वो उसे बहुत मारेगा !

सिया के हाथ कांप रहे थे उसने तीसरी चाबी लगाई वो भी नही लगी ! उधर वो बाथरूम का दरवाजा इतनी जोर से खीच रहा था ऐसा लग रहा था कि दरवाजा टूट ही जाने वाला था !सिया ने कांपते हाथो से चोथी चाबी लगाई लेकिन पीछे मुड़कर देखा तो बाथरूम की कुंडी हिल रही थी उसकी कीले आधी बाहर आ गई थी !सिया ने जल्दी से चाबी घुमाई और ताला खुल गया ! सिया ने हड़बड़ाहट से ताला फेंका और कुंडी खोल दी ! दरवाजा खुल गया था बाहर आसमान दिख रहा था ! दरवाजे के आगे पतला सा गलियारा था आसपास झाड़ियों की कतार थी !

सिया ने बिना पीछे देखे फटाफट बाहर पैर निकाला और भागने के लिए अपने पैर तेज कर लिए !लेकिन तभी उसे पीछे से कस के दोनो हाथो से पकड कर उस नकाबपोश ने उठा लिया और अंदर की तरफ मुडा !लेकिन सिया भी अभी कहां हार मानने वाली थी उसने तेजी से पैर झटकना शुरू कर दिया ! सिया इतनी जोर जोर से पैर पटकने लगी कि उस आदमी ने उसे पीछे से उठा रखा था वो बुरी तरह से हिल गया और सिया को पकडे पकडे ही धड़ाम से जमीन पर गिरा !

सिया भी नीचे गिरते ही उसकी तरफ घूम के एक लात उसके पेट पर दे मारी वो पीठ के बल जमीन पर उलट गया ! सिया फुर्ती से उठी और फिर दरवाजे की तरफ भागी , लेकिन फिर वो नकाबपोश ने फुर्ती से जमीन पर पडे पडे ही आगे होकर सिया की टांग पकड ली ! सिया मुंह के बल जमीन पर गिरी !तभी नकाबपोश ने पीछे से सिया की पीठ पर लेट कर सिया को पूरी तरह से दबा लिया अपने नीचे ! सिया औंधे मुंह जमीन पर दब सी गई !"बस लगा लिया जोर ! क्या हुआ फिर ? अब चलो अंदर,और उल्टी हरकते करनी बद करो ! वो गुस्से मे सिया के हाथो को कस कर पकडता हुआ बोला !

कब तक रोक पाओगे तुम मुझे ? मै आखिरी सांस तक कोशिश करती रहूंगी ! साइको !!!! तुम दिमाग से बीमार हो लेकिन मै नही हू !सिया भी गुस्से में सब बोल गई ! उसका पूरा शरीर दबा हुआ था उसे दर्द भी हो रहा था वो मुंह के बल इतनी जोर से गिरी थी कि उसके सीने मे और घुटनों में भी दर्द हो रहा था !वो सिया की पीठ से हटा और उसने सिया को दोनो बाहों से पकड कर उठा दिया और अन्दर की ओर खीचने लगा !

सिया ने फिर ताकत लगा कर अपनी बांह उससे छुड़ाने की कोशिश करने लगी ! लेकिन नाकामयाब रही , क्योंकि उस नकाबपोश की पकड बहुत मजबूत थी !

सिया ने मुंह नीचे करके फिर उसकी बांह पर अपने दांत गडा दिए ! सिया ने पूरी ताकत लगा दी और अपने दांतों तले उसकी बांह दबा ली ! वो सिया को खींचते खींचते रुक गया और "आह" करके चिल्लाया ! उसकी पकड थोडी ढीली हुई तो सिया पूरे जोर से अपनी बांह छुडा कर फिर दरवाजे की तरफ भागी लेकिन उस नकाबपोश ने फिर उसे धर दबोचा और अब की बार उसने सिया को अपनी दोनों बांहों में उठा लिया और फुर्ती से कमरे तक ले आया और जोर से सिया को बिस्तर पर पटक दिया ! सिया बहुत छटपटाई लेकिन वो दरवाजा बाहर से बंद करके बाहर चला गया !सिया को बहुत गुस्सा आया अपने उपर कि इतनी चोटे खाने के बाद भी वो भाग नही पाई ! "इतना अच्छा मौका मिला था लेकिन शायद ख़ाना ना खाने की वजह से उसके अंदर इतनी ज्यादा ताकत नही थी कि उस हैवान से और लड पाती ! यही सोच कर सिया अपने पैर जमीन पर पटकने लगी !

तभी उसे बाहर हाल से आवाजें आई तो उसने फटाफट बिस्तर से उठ कर दरवाजे से बाहर झांका ! तो वो हैवान बाहर का ताला खोल रहा था जो उसने अभी लगाया था ! उसने दरवाजा खोला तो एक और आदमी अन्दर दाखिल हुआ !

ये क्या.... ये आदमी भी बिल्कुल पहले वाले नकाबपोश जैसा ही था ! चेहरे पर नकाब था हाथो पर दस्ताने थे काली जैकेट और काली जीन्स ,काले बूट !बिल्कुल पहले वाले नकाबपोश जैसा सब कुछ !

सिया उसको देख कर सोच में पड गई " क्या ये कोई बहुत बडा गैंग है जिसमें सबकी ड्रेस एक जैसी है ! क्या ये सब किसी के लिए काम करते है ? इनका लीडर कोई और है ?

ऐसे अनगिनत सवाल फिर से सिया के दिमाग में दौड़ने लगे !

उसने फिर देखना शुरू किया उसी दरवाजे की दराज से ! वो आते ही बैड पर बैठ गया और इतनी धीरे धीरे फुस फुसा कर बात करने लगा कि सिया को कुछ भी समझ नही आ रहा था और वो दोनों कोडवर्ड में बात कर रहे थे !

सिया तो थक कर पैर पटकती हुई वापस बिस्तर पर बैठ गई !कुछ देर के सन्नाटे के बाद बाहर का दरवाजा खुला .. सिया ने तेजी से फिर दराज से बाहर झांका ..तो एक आदमी बाहर चला गया ! लेकिन वो ताला बाहर से लगा कर गया !सिया ने सोचा कि जो आया था वो शायद चला गया होगा...इस हैवान ने मेरे भागने की बात बताई होगी उसे तो वो बाहर से ताला लगा कर चला गया !

ऐसे जो भी सिया के दिमाग में आ रहा था वो अटकलें लगाये जा रही थी !

वो वापस बिस्तर पर बैठ गई ! मुश्किल से पन्द्रह बीस मिनट बीते होगे कि सिया के कमरे का दरवाजा खुला और वो हैवान अन्दर दाखिल हुआ ! सिया ने उसकी तरफ देखा वो एक खाने की प्लेट लेकर खडा था और सिया को घूर रहा था !

सिया ने मुंह दुसरी तरफ घुमा लिया .. पता नही क्यो सिया को अब उस नकाबपोश से डर सा नही लग रहा था !वो सिया के पास आया और खाने की प्लेट सिया के पास रख दी ! और पास पडी कुर्सी घसीट कर कुर्सी के पीछे की साईड दोनो टांगे फैला कर बैठ गया अपनी दोनों बाहें कुर्सी के पिछले हिस्से पर रख कर सिया के सामने बैठ कर सिया को घूरने लग गया !सिया को बडा अजीब लगा अब से पहले तो उसने ऐसा व्यवहार नही किया था !

सिया ने अपना मुंह दुसरी तरफ कर लिया और दीवार को घूरने लगी !एक मिनट...दो मिनट... चार पांच मिनट बीत गये वो उसी तरह बैठा सिया को घूरता ही रहा ! अब सिया को बडा अजीब सा लगने लगा वो बिस्तर से उठी और बाहर हाल की तरफ जाने लगी ..तभी एक दम से उस नकाबपोश ने सिया को बांह से पकडा और खीच कर बिस्तर पर पटक दिया !

वो अपनी जगह से उठा भी नही उसने बैठे बैठे ही इतनी जोर से सिया की बाह पकड़ कर खीचा कि सिया बिस्तर पर गिर सी गई उसकी कलाई में भी बहुत दर्द हुआ !

सिया ने उसकी तरफ गुस्से से देखा और बोली " आ गये फिर से औकात में .. अच्छा बनने का नाटक कर रहे थे लेकिन ज्यादा देर तक कर नही पाये ! साइको !!!!!!!

वो तेजी से उठा और कुर्सी एक तरफ करी और सिया के पास बिस्तर पर एक पैर रख कर खडा हो गया और सिया के बाल पूरे जोर से पकड कर मरोडते हुए बोला " खाना खा ले आराम से !!! नही तो मुंह तोड कर अन्दर खाना डाल दूंगा ! और ज्यादा चपड चपड की ना तो हाथ पैर तोड कर कचरे के डिब्बे में डाल दूंगा ! बैठा हू यही जल्दी खा ले नही तो आज मै ही खिलाऊं गा तुझे !

वो सिया को झटके से छोड कर फिर से कुर्सी पर बैठ गया और सिया को घूरने लग गया !

सिया तो उसकी भर्राही हुई आवाज सुन कर ही डर कर बिस्तर के कोने मे होकर दीवार से चिपक गई ! क्योंकि ये आवाज़ उस नकाबपोश की थी ही नही जो उसे यहां लेकर आया था !

अब उन दोनों के कपड़े इतने एक जैसे थे कि सिया तो उसको सिर्फ आवाज से ही पहचानती थी !

सिया दीवार से चिपके हुए ही उसे देखते हुए सोचने लगी "" मतलब ये दुसरा आदमी है जो अन्दर आया था मतलब वो पहले वाला चला गया ! ये तो आवाज से ही डरावना लग रहा था !

वो उसे लगातार घूर रहा था ! सिया ने खाने की प्लेट उठाई और खाने लग गई ! उसने डर की वजह से जल्दी जल्दी खाना शुरू कर दिया ! उसे डर की वजह से अपने बालों में होता हुआ दर्द भी भूल गया जो कि उस बहशी के खींचने से हो रहा था !सिया ने जल्दी से खाना खाकर प्लेट रख दी मेज पर और बिस्तर के कोने मे दीवार से चिपक कर बैठ गई ! ना जाने उसे इस बहशी आदमी से बहुत डर सा लगने लगा !उसे वो पहले वाला नकाबपोश याद आने लगा कि वो बुरा होते हुए भी उससे सिया को डर सा नही लग रहा था क्योंकि उसकी आवाज मे ही डर था ही नहीं  !

वो बहशी भी भी उसे घूरे ही जा रहा था ! सिया ने नजरें नीची कर ली और दीवार में और गड गई ! उसे समझ नही आ रहा था कि वो उसे लगातार घूरे क्यो जा रहा था ! और कब तक घूरता रहेगा !

तभी वो उठा और सिया के बिस्तर के पास बैठ गया और दीवार से चिपकी सिया की एक टांग खीच कर अपनी जांघ पर रख ली ! सिया ने सोचा भी नही था कि वो ऐसी हरकत करेगा ! सिया उसकी पकड से अपनी टांग छुड़ाने लगी लेकिन उसने अपने हाथ से इतनी जोर से टाग पकड रखी थी कि वो हिल भी नही सकी !वो सिया की टांग पर हाथ फेरने लग गया और धीरे धीरे उसने हाथ नीचे से सिया के पजामे के अन्दर डाल कर टांग को सहलाने लग गया ! उसका हाथ पजामे के अन्दर से उपर की ओर बढ रहा था !

सिया छटपटाने लगी और अपनी टांग पूरे जोर से खींची और एक ही झटके से बिस्तर से उठ गई और कमरे से बाहर हाल में आ गई और किचन काउंटर के पास जाकर दीवार से चिपक गई !

वो बहशी कमरे से धीमे कदमों से चलता हुआ कमरे के दरवाजे के पास खडा हो गया और सिया को घूरने लग गया !

सिया का डर बढ रहा था ये आदमी बहुत ही अजीब सा लग रहा था उसको ! उसकी आंखों में पानी सा छलक आया ! वो सोचने लगी " क्यू मै ही क्यू ? कब तक मै इन हैवानो से बचती रहूगी ? आखिर मैने किया क्या है ?

ऐसे सवाल जिनका अभी सिया को कोई भी जवाब मिल ही नही रहा था वो परेशान ,सहमी हुई बस डरी हुई नजरो से उस बहशी को देख रही थी जो कब से खडा उसे ही घूर रहा था !

वो धीरे धीरे चलता हुआ सिया की तरफ बढने लगा और किचन काउंटर के पास आकर अपनी दोनो कुहनिया काउंटर पर टिका कर धीरे से बोला " अब कहां जाओगी ? भाग लो इसी कमरे और हाल में इधर उधर ! वैसे मुझे लड़कियों को पीट पीट कर मजे करने में बहुत मजा आता है ! जो आराम से मान जाये वो मजा कैसा ?

उसकी आवाज इतनी भर्राही हुई थी और उसकी बातों में गन्दगी थी !

सिया उसकी बात सुनकर थोडा डर और गुस्से से बोली " तुम जैसे हैवान और सोच भी क्या सकते है एक औरत के बारे में ! तेरे जैसे बहशी की हवस का शिकार बनने से पहले मै मर ही जाऊंगी खुद !

अच्छा !!! चिड़िया के पर कटे हुए है फिर भी चीं चीं करना नही छोड रही ! वो बोलता हुआ सिया की तरफ लपका !

सिया तेजी से वहां से निकलने के लिए आगे बढी लेकिन वहां से निकलने की जगह इतनी कम थी और सामने वो खडा था तभी उस बहशी ने सिया को पकड कर खीच लिया और अपने दोनों हाथ सिया की कमर में डाल दिए !

सिया जोर जोर से चिल्लाने लगी और उसकी पकड से छूटने के लिए छटपटाने लगी !

सिया छटपटाते हुए बोली " भगवान के लिए ये सब मत करो मेरे साथ ! मै चुपचाप रहूगी तुम्हारी कैद में ! प्लीज मुझे छोड दो !!!!

वो सिया की बात सुनकर जोर से डरावनी हंसी हसने लग गया और सिया को एक ही झटके से अपनी बाहों में उठा कर वही हाल मे पडे सिंगल बैड पर पटक दिया !

सिया धड़ाम से बिस्तर पर गिरी ! उस बहशी ने सिया की दोनों टांगें पकड कर अपनी ओर खींची और सिया के बिल्कुल ऊपर आ गया !सिया पूरा जोर लगा रही थी अपने दोनों हाथो से वो उस बहशी के सीने पर मुक्के मार रही थी कि किसी तरह वो उसके उपर से हट सके !

उसने सिया के दोनों हाथ अपने दोनों हाथों से दबा दिए और अपना मुंह सिया की छाती पर रगड़ने लग गया ! सिया जोर जोर से चिल्लाने लगी..वो सिया की गर्दन पर अपना मुंह लगाने लगा.. सिया के दोनों हाथ दबे होने की वजह से वो हिल भी नहीं पा रही थी तभी उसने तेजी से अपनी गर्दन थोडा उपर उठा कर उस बहशी के कन्धें पर अपने दांत गडा दिए ! सिया को उसके नकाब के नीचे गर्दन ही नजर आई तो जितना जोर लगा सकती थी सिया उतनी ताकत लगा कर उसकी गर्दन का मास अपने दांतों तले दबा दिया ! उस बहशी की जैकेट ना होने की वजह से उसके बहुत दर्द हुआ उसने अभी अपनी जेकैट खोल कर जमीन पर फेंकी ही थी !

वो दर्द से बुरी तरह बिलख गया और सिया के दोनों हाथ छोड कर सिया को जोर से पीछे धक्का देकर अपनी गर्दन उसके मुंह से छुड़ाई !

सिया फटाफट उठ कर कमरे में चली गई और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया !

उस बहशी ने अपनी गर्दन पर बेतहाशा हो रहे दर्द पर अपना हाथ रखा तो उसका हाथ खून से भर गया ! वो गुस्से में लाल पीला हो गया और तेजी से उठ कर कमरे की तरफ बढ़ा !

लेकिन दरवाजा बंद होने की वजह से गुस्से में चिल्ला कर बोला " साली कुतिया इतनी जोर से काट खाई कि खून ही निकाल दिया ! हरामजादी दरवाजा खोल आज तेरी बोटी बोटी नोच कर मै खाऊंगा !सिया उसकी भयानक आवाज सुन कर बुरी तरह से डर गई वो जोर जोर से दरवाजा तोड़ने लग गया वो इतनी जोर जोर से दरवाजे पर धक्के मार रहा था कि सिया को लगा कि अब दरवाजा टूट ही जायेगा !

अब क्या करुंगी मै ? ये मूझे अब नही छोड़ेगा ! हे भगवान जी कुछ तो करो मुझे बचाओ प्लीज़ प्लीज़ !!!!!!सिया डर कर अपने दोनों हाथ जोड कर भगवान से प्रार्थना करने लग गई !

भड़ाक!!!!!!!ये क्या ... सिया ने देखा भड़ाक की आवाज से दरवाजा टूट गया और वो बहशी उबलता हुआ अन्दर आया और सिया जो दीवार के कोने से चिपकी थी उसकी ओर लपका !

सिया ने तेजी से कमरे से बाहर निकलने की कोशिश की लेकिन उसने सिया को बालो से पकड़ कर जोर से अपनी ओर खींचा ..और घुमा के दीवार की तरफ दे मारा ! सिया एकदम चक्कर खाकर कन्धें के बल दीवार से टकराती हुई जमीन पर गिरी !

दर्द के मारे सिया की चीखें निकल गई वो जोर जोर से चिल्लाने लगी !फिर भी हिम्मत करके वो उठने की कोशिश करने लगी उसका सर बुरी तरह चकरा रहा था !

लेकिन तभी वो बहशी ने उसे फिर से बालों से पकड लिया और घसीटता हुआ बिस्तर तक ले आया और सिया को बालों से ही खींचता हुआ बिस्तर पर डालने लगा ! तभी सिया के हाथ में खाली खाने की प्लेट आ गई जो अफरा तफरी में जमीन पर गिरी हुई थी उसने उस प्लेट से उसकी टांग पर पूरे जोर से मारना शुरू किया !

लेकिन उसने सिया के बाल नही छोडे बल्कि एक पैर से उसने सिया का दुसरा हाथ दबा लिया और अपने जूते के नीचे रगडने लगा !

सिया दर्द से छटपटाने लगी और उसके गले से दर्दनाक चीखे निकलने लगी !

उसको बेतहाशा दर्द से चक्कर आने लगे वो बिल्कुल बेहोश ही होने वाली थी उसके हाथ से खून निकल आया था !

तभी वो बहशी घुटनो के बल बैठकर सिया के मुंह के पास अपना मुंह करता हुआ बोला " अभी बची है तुझमें और हिम्मत ? कर ले और मुकाबला ! साली तेरी एक एक हड्डी तोड दूंगा.. सारी हेकड़ी निकाल दूगा !सिया को उसकी आवाज सुनाई तो दे रही थी लेकिन दर्द के मारे उसकी हिम्मत जवाब दे गई थी ! वो जमीन पर बस पडी थी !उस बहशी ने उसे उठाया और उसको बिस्तर पर पटक दिया ! और सिया के उपर झुक कर उसकी टीशर्ट पेट से उठा कर पेट पर हाथ फेरने लग गया और पेट पर अपना नकाब वाला मुंह रगड़ने लग गया !सिया को महसूस तो हो रहा था सब लेकिन उसमें हिम्मत बची ही नही थी कि वो उसको रोक पाती ! तभी उसका हाथ सिया की छाती पर जाने लगा !फिर सिया ने हिम्मत जुटाई और अपने दोनों हाथों से पूरा जोर लगा कर उसको धक्का दिया ! वो एक साइड को लुढ़का ! तभी सिया पूरा जोर लगा कर तेजी से उठी और कमरे से बाहर की ओर जाने के लिए बढी तभी उस बहशी ने अपनी एक टांग सिया के घुटने के आगे अडा दी ! सिया मुंह के बल जमीन पर गिरी ! उसका माथा भी जमीन पर लगा वो दर्द से कराह उठी !

तभी वो बहशी अपना एक घुटना सिया की पीठ के उपर लगा कर वही बैठ गया और सिया के बाल जोर से पकड़ कर खींचता हुआ बोला " कहा तक भागोगी ? यही इसी जगह चूहे बिल्ली का खेल खेलती रहोगी फिर अंत में थक कर पिट कर मेरी गिरफ्त में आकर चकना चूर हो जाओगी !

सिया के बालो और गर्दन में बहुत दर्द हो रहा था ! उस बहशी ने पूरे जोर से उसके बाल खीच रखे थे ! वो बहुत जोर जोर से चिल्ला रही थी !

उसकी हिम्मत खत्म हो गई थी वो समझ चुकी थी कि अब उसके पास इस बहशी का चारा बनने के इलावा और कोई रास्ता नहीं था !उस बहशी का ज़ुल्म अभी कम नही हुआ उसने सिया का दुसरा हाथ मरोड़ कर पीछे पीठ से लगा दिया ! बेतहाशा दर्द से सिया का सर जमीन पर गिर गया उसे सब धुंधला धुंधला दिख रहा था उसके कानो में घंटियां सी बज रही थी उसे उस बहशी की आवाज भी सुननी बद हो गई ! वो बेहोशी के आलम में जाने ही वाली थी कि उसे जमीन पर पडे पडे बाहर का दरवाजा खुलता दिखा !

उसने किसी तरह से अपनी बंद होती आंखें पूरी तरह से खोली और देखा एक नकाबपोश कमरे की तरफ आ रहा है !उसने आते ही अपने दोनों हाथो से उस बहशी को सिया के उपर से उठा कर दीवार की तरफ धकेल दिया ! और सिया को दोनों बाहो से पकड कर जमीन से उठाया !

सिया ने देखा ये पहले वाल नकाबपोश था जो उसे यहां लेकर आया था ! पता नही क्यो सिया उसे देखते ही जोर जोर से रोने लगी और फटाक से उसके सीने से लग गई ! उसके शरीर में जरा सी भी हिम्मत नही थी लेकिन पता नही क्यो उसको देखते ही उसमे थोडी जान आ गई !

वो नकाबपोश सिया को इस हालत में देखकर और अपने सीने से लिपटता देखकर अपने आप को रोक नही पाया और अपने एक हाथ से सिया को अपने सीने में दबा लिया और दुसरे हाथ से उसके सर को सहलाने लगा !

तभी वो बहशी उठा और गुस्से से बोला " ये क्या तुमने मुझे इस लड़की के लिए धक्का दिया ! तू इस लड़की का कब से सगा हो गया ? इसको मेरे हवाले कर दे और तू जा यहा से !

पहले वाला नकाबपोश " बात सगे होने की नही है बात है मकसद की ,बात है जुबान की बात है उसूलों की ! जब तय हुआ था कि तुम इस लड़की को हाथ नही लगाओ गे तो क्यो तुमने ये हरकत की ?

बहशी " भाषण नही ! तू अपने उसूल अपने पास रख और इसको मेरे हवाले कर !

"मै कह रहा हू आखिरी बार कि तू जा यहा से तो जा ! सिया को अपने सीने से अलग करते हुए अपनी पीठ के पीछे करता हुआ वो गुस्से से उस बहशी को बोला !

लेकिन उस बहशी ने उसकी बात अनसुनी करके सिया की तरफ आके उसकी बाह पकडनी चाही ! तभी पहले वाले नकाबपोश ने उस बहशी के मुंह पर जोर से एक मुक्का जड़ दिया !

सिया डर कर एक साइड दीवार से सट गई वो दोनों आपस में एक दुसरे से हाथापाई करने लग गये !

पहले वाला नकाबपोश तो अब सिया को एक फरिश्ता ही लग रहा था जिसने सिया को उस बहशी के चंगुल से बचाया और अपने ही साथी से लड रहा था !देखते देखते उस बहशी को पहले वाले नकाबपोश ने इतना मार दिया की वो जमीन पर धड़ाम से गिरा ! और उसकी छाती पर घुटना लगा कर उसके दोनो कालर पकड कर गुस्से से बोला " तुम समझ गये ना अब कि जुबान है तो जुबान है उसूल है तो उसूल है मकसद है तो मकसद है !उसने अपनी पकड ढीली की और उठ कर साइड हो गया ! तभी वो बहशी उठा और चुपचाप अपनी जैकेट उठा कर कमरे से निकला और हाल से होता हुआ बाहर निकल गया !तभी वो नकाबपोश सिया की तरफ मुडा और सिया को उठा कर बैड पर लिटा दिया !और कमरे से बाहर चला गया !

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