एकदम फोन में मैसज टोन से दोनों की आंख खुली !
युवराज ने आंखें मलते हुए फोन उठाया और मैसज देख कर फोन साइड रख दिया फिर लेटे लेटे ही अपनी गर्दन घुमा कर सिया की तरफ देखा जो उसके बराबर लेटी अपनी आंखें मल रही थी !
बहुत ही खूबसूरत लग रही थी वो बिल्कुल मासूम सा चेहरा नींद से उठने के बाद हल्की फूली हुई आंखें .. युवराज को उस पर प्यार आ गया ! उसने करवट ली और सिया का मुंह पकड कर अपनी ओर किया और उसके नाज़ुक होंठों को चूम लिया !
सिया ने भी युवराज की तरफ करवट लेकर अपने आप को उसके सीने से लगा लिया और एक मासूम से बच्चे की तरह अपना मुंह युवराज के सीने में छिपा लिया !
युवराज ने कस कर उसे अपने सीने से लगा लिया और उसके माथे पर अपने होंठ लगा लिए !
युवराज भावुक होकर बोला " कैसे रह पाऊंगा तुम्हारे बिना अब मैं ? तुमने पागल कर दिया है मुझे जानेमन !
सिया प्यार से " मेरे बिना रहने की जरूरत ही नहीं अब !!!! मेरे साथ ही रहो जीवन भर ! मै भी तुम्हारे बिना एक पल नही रह सकती युवराज !
युवराज सिया की आंखों में देखते हुए " अगर मुझे कुछ हो गया तो ? जिन्दगी का कोई भरोसा नहीं ! जिस रास्ते पर मै हू बस वहां से मौत ही अपनी आगोश में लेती है !
सिया युवराज के होंठों पर अपना हाथ रखते हुए " ऐसा मत बोलो !! कुछ नहीं होगा तुम्हें ! सब ठीक होगा ... मेरा दिल कहता है !
युवराज सीधा होकर लेट गया और एक ठंडी सांस भरी और छत को घूरने लग गया !
सिया युवराज की बांह पर अपना सर रख कर अपना एक हाथ उसके सीने पर रख कर बस एक टक उसे देखती रही !
तभी फोन की रिंग बजी ! युवराज ने एक झटके से उठकर फोन उठाया और नम्बर देख कर अपने कान को लगा लिया !
फोन से " पहुंच रहै हो ना ?
युवराज " हां !!! निकलता हू थोडी देर मे !
युवराज ने फोन काट कर साइड रख दिया !
सिया " उसी दिलावर सिंह का होगा ?
युवराज " हां !!!
सिया उठते हुए बोली " तो अब तुम जाओगे ?
युवराज " हां जाना तो पड़ेगा ! नही तो ये दोनों कुछ और ही ना कर बैठे ! क्योंकि मै नहीं चाहता कि शाम को जब मै तुम्हे छोड़ने जाऊ तो ये लोग कोई परेशानी खडी करे ,!
सिया " परेशानी क्यो खडी करेगे ? तुमने इनको बता तो दिया ही है अपना फैसला !
युवराज" हां बता तो दिया है लेकिन मेरे अभी ना जाने से ये लोग समझे गे कि मैं इनसे अलग कुछ और ही प्लान कर रहा हूं !
" मै शाम को आ जाऊं गा टाइम से तुम तैयार रहना ! युवराज ने सिया के चेहरे पर चिंता की लकीरों को देखते हुए बोला !
लेकिन सिया की चिंता कम होने की बजाय बढ रही थी !
युवराज उठ कर खड़ा हो गया और सिया की बांह पकड कर एक ही झटके में अपने बराबर खडा करके उसकी कमर में हाथ डाल कर उसके होठों को चूमता हुआ बोला " मेरी जान !! ये खुबसूरत चेहरा ऐसे उदास कर लोगी तो मैं कैसे जाउंगा ?
सिया उसकी तरफ मासूमियत से देखते हुए बोली " पता नही क्यो मुझे बहुत डर लग रहा है !
युवराज ने सिया को अपने सीने से लगा लिया और बोला " मुझ पर भरोसा है ना ?
सिया ने हां में सर हिला दिया !
युवराज " तो बस फिर शांत हो जाओ ! चलो तुम हाथ मुंह धो लो ! मै कुछ खाने का लेकर आता हूं !
युवराज ने बाहर के दरवाजे की चाबी उठाई और ताला खोल कर बाहर निकल गया !
सिया को युवराज के समझाने पर भी चैन नही आ रहा था उसके दिमाग के साथ साथ उसके दिल में भी बुरी तरह से एक अनजानी सी घबराहट थी !
वो धीरे धीरे पैर पटकती हुई वाशरूम मे चली गई !
युवराज के खाना लाते ही दोनों ने बैठ कर खाया और खाने के बाद युवराज ने अपनी जैकेट पहन ली और अपनी दोनों गन अपने पैंट में फंसा कर तैयार हो गया और सिया से जाने की इजाजत लेते हुए प्यार से बोला " मेरी जान ! चलता हू ! किसी के भी खटकाने से दरवाजा मत खोलना और आवाज मत करना ! केयरफुल रहना ! मै एक ताला बाहर से लगा कर जा रहा हू और एक तुम अन्दर से भी लगा लो ! मै जब आऊंगा तो तीन बार दरवाजे को धीरे से बजा कर हिंट दूगा तब खोलना !
सिया हां में सर हिला कर युवराज से लिपट गई और बोली " जल्दी आना !
युवराज सिया के माथे को चूमता हुआ तेजी से बाहर निकल गया !
सिया ने दरवाजे पर ताला लगाया और बाहर बैड पर दीवार से पीठ लगा कर बैठ गई ! और एक टक दरवाजे को घूरने लगी !
सिया का दिमाग फिर सोचने लगा ! उसे फ़िक्र थी कि युवराज उसे शाम को छोड़ने जायेगा तो पापा को मार देगा ! और अगर पापा के पास भी गन हुई तो वो भी युवराज पर गोली चला देंगे ! ये दोनों तो उसी वक्त मर जायेंगे ! मेरी जिंदगी तो इन दोनों के बिना वेसे ही खत्म हो जायेगी !
यही सोच कर ही सिया के बदन में कंपकंपी सी दौड़ रही थी !
उसकी आंखों में पानी छलक आया ! वो भगवान को याद करते हुए बोली " ये कैसी दुविधा में डाल दिया है तुमने मुझे ? किसको चुनूं मै ? दोनों ही मेरे लिए जरूरी है ! कौन गलत है कौन सही है ये मै नहीं जानती ! लेकिन मुझे दोनों चाहिए अपनी जिंदगी में ! समझे तुम ???
सिया फूट फूट कर रोने लगी !
उसे पापा की फ़िक्र के साथ साथ उनकी बहुत याद भी आ रही थी ! उसके आंखों के सामने वो सारे पल घूमने लग गये जो आज तक पापा के साथ गुजारे थे ! पापा ने उसे राजकुमारियों की तरह रखा था कभी भी किसी चीज की तकलीफ़ नही होने देते थे उसके मांगने से पहले ही हर वो चीज उसके सामने लाकर खडी कर देते थे ! उसके पापा दुनिया के बेस्ट पापा थे !
सिया अपने पापा को याद करते हुए यादो में पूरी तरह से खो गई !
------------------------- फ़्लैश बैक
एक आलीशान बडे से गेट के अंदर एक काली चमकती हुई बडी सी कार दाखिल हुई ! कार के अंदर दाख़िल होते ही गेट आटोमेटिक तरीके से अपने आप बंद हो गया ! गेट के साइड में एक कमरा बना था जिसमें सिक्योरिटी गार्ड बैठे थे !
कम से कम एक किलोमीटर सुन्दर पक्की पतली सड़क के आसपास लगी खूबसूरत फूलों से भरी झाड़ियों को पार करती हुई वो कार एक आलीशान बंगले के दरवाजे के बाहर रुकी !
तभी गेट पर खड़े गार्ड में से एक आकर कार के पास खडा हो गया ! तभी ड्राइविंग सीट की तरफ से कार का दरवाजा खुला और एक लंबा चौड़ा हैंडसम मैच्योर आदमी निकला ,वो ब्लैक रंग के टक्सीडो में था उसकी आंखों पर काले रंग का ही चश्मा था ! वो बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक था उसके हाथ में एक काले रंग का छोटा ब्रीफकेस था !
पास खडे गार्ड ने उसके हाथ से वो ब्रीफकेस पकड लिया और कार की चाबी लेते हुए बोला " विक्रम साहब ! कार यही रहने दू कि पार्क कर दू ?
विक्रम " हां ! लगा दो पीछे ये गाड़ी ! और जीप यहां लगा दो !
विक्रम सीढियां चढता हुआ बंगले के दरवाजे तक पहुंचा और अपना फोन निकाल कर उसमें कुछ सीक्रेट नम्बर दबाने लगा , तभी नम्बर दबाते ही दरवाजा अपने आप खुल गया !
विक्रम अंदर दाख़िल हो गया , सामने बहुत बडा सा महल जैसा आलीशान हाल था दोनों साइड में उपर जाने के लिए गोलाकार सीडियां थी ! नीचे हाल के आस पास भी कमरे थे और सामने एक बडा सा गलियारा पार करते ही बहुत बडी शाही किचन थी जिसमे से कुछ खानसामो के खाना बनाने की आवाजे आ रही थी ! किचन के सामने ही बहुत बडा सा डाइनिंग टेबल था !
तभी एक थोडी शरीर से भारी उम्रदराज महिला आकर विक्रम के पास एक ट्रे में पानी का गिलास लेकर खडी हो गई और नर्म आवाज में बोली " विक्रम साहब पानी लीजिए !
विक्रम पानी का गिलास अपने हाथ में पकड़ते हुए बोला " भई घर में आज कोई है भी कि नहीं ?
महिला " हां साहब , सब है घर में ! गुड़िया बेबी अभी सो रही है और मेमसाब पीछे गार्डन में है !
विक्रम सीढियां चढता हुआ उपर पहुंच गया और दाई तरफ के गलियारे को पार करता हुआ एक आखिर वाले कमरे के पास रुका !
और बाहर से ही दरवाज़े पर हल्की सी दस्तक देते हुए नर्म आवाज में बोला " मेरी परी अभी सो रही है ? देखो पापा तो काम से भी होकर आ गये !
अन्दर से गुड़िया की नींद से भरी हुई आवाज आई " अभी और सोने दो पापा !!!! प्लीज़ !!
विक्रम प्यार से " किड़ो !! 12 बज गए ! उठो अब ब्रेकफास्ट पापा ने अपनी गुड़िया के साथ ही करना है !
"पता तो है कि जब तक तुमसे दस बार बुलवा नही लेगी तब तक तुम्हारी परी उठेगी नही ! विक्रम के पीछे खडी एक महिला ने कहा ! जो कि बहुत ही सुन्दर साड़ी और खूबसूरत तरीके से तैयार थी और बहुत गहनों से सुसज्जित थी !
विक्रम ने पीछे मुड़कर देखा और बोला " हां जी ! अब हमारी गुड़िया है तो इतने लाड पापा से करना तो बनता ही है !
महिला जवाब में " उठाइए फिर जल्दी अपनी परी को और नाश्ते के लिए नीचे आ जाइए !
वो महिला बोल कर सीढ़ियों से उतरती हुई नीचे चली गई !
विक्रम ने फिर से आवाज लगाई " किडो ! पापा लगता है आज भूखे ही रहेगे ?
तभी दरवाजा खुला और बिखरे हुए बाल और शोर्ट्स में आंखें मलती हुई गुड़िया फटाक से पापा के गले से लग गई !
विक्रम प्यार से गुड़िया के सर पर हाथ फेरते हुए " इतनी देर सोते है क्या बेटा ? उधर तुम्हारी मां मुझे बातें सुनाती है ! कि आपकी परी बिगड गई है !
गुड़िया प्यार से " तो क्या हुआ पापा ! आज कालेज की छुट्टी थी तो लेट उठ गई नही तो रोज जल्दी तो उठ जाती हू !
विक्रम " हा जी ! रोज मेरी गुड़िया इतनी जल्दी उठ जाती है कि कालेज जाने के लिए भी भाग भाग कर तैयार होती है
विक्रम ने प्यार से मज़ाक में गुड़िया के सर पर हाथ फेरते हुए कहा !
तभी दरवाजे पर घर के सभी नौकरो में से मैच्योर औरत फातिमा आकर बोली " विक्रम साहब !!! मेमसाब आपका खाने की टेबल पर इंतजार कर रही है !
विक्रम " हां जी ! आप चलिए ! बस हम अपनी गुड़िया को लेकर आते है !
फातिमा नीचे चली गई !
गुड़िया " पापा ! आप को अपना वादा तो याद है ना ?
विक्रम अनजान बनते हुए " कौन सा वादा ? किड़ो !!!!
गुड़िया आंखें उपर चढ़ाते हुए " पापा !!!!
विक्रम हसते हुए " अरे अरे गुस्सा मत करो किड़ो ! हां याद है ! यही ना कि मेरी परी को जन्मदिन पर नई कार चाहिए वो भी लेटेस्ट मॉडल की !
गुड़िया खुशी से कूदते हुए " येअअअअअअअअ मेरे पापा दुनिया के सबसे बेस्ट पापा !
विक्रम " चलो किड़ो !! इससे पहले तुम्हारी मां का बुलावा दोबारा आ जाये हम चलते है नीचे !
गुड़िया " आप चलो पापा ! बस मै फ्रेश होकर आई !
विक्रम हां में सर हिला कर कमरे से बाहर आ गया और सीढ़ियों से होता हुआ किचन की तरफ आ गया
विक्रम डाइनिंग टेबल की कुर्सी पर बैठ गया ! उसने दुसरी कुर्सी पर बैठी गुड़िया की मां की तरफ़ देखा ! जो कि अपनी आंखें में बहुत से सवाल और शिकायतें लेकर उसे ही घूर रही थी !
विक्रम उसके कुछ बोलने से पहले ही बोल पड़ा " प्लीज़ !!!! अभी नही !अभी कुछ मत कहना ! गुड़िया नीचे खाना खाने आने वाली है उसका मूड़ खराब होगा ! हम फिर बात करे गे जो भी तुम्हारे दिल में हो तब कह लेना !
गुड़िया की मां थोडा तल्खी में " क्यू ना बोलू विक्रम ? और कब ना बोलू और कब बोलू ? तुम्हारे पास मेरी बात सुनने का वक्त भी है ?
विक्रम ने अपने दोनों हाथ जोड दिए और गुड़िया की मां को चुप रहने के लिए कहा !
तभी गुड़िया नीचे आ गई और पापा के पास वाली कुर्सी पर बैठ गई और बोली " गुड मॉर्निंग मां !
गुड़िया की मां " दोपहर हो गई है अब .. गुड आफ्टर नून बोलो बेटा !
विक्रम गुड़िया के कुछ बोलने से पहले ही बोला " अरे कोई बात नहीं !! जब हमारी परी उठेगी तभी सवेरा !
गुड़िया प्यार से मुस्कुराते लगी ! लेकिन गुड़िया की मां फिर बोली " हा जब आपकी परी उठेगी तभी सवेरा ! बेशक दुसरे लोग तब तक भूखे बैठे रहे ! लेकिन आपकी परी को तो समझ आती नही !
विक्रम थोडा गुस्से में " अनीता !!!!!! कहा ना मैने कि गुड़िया को शांती से खाने दो बाद में बात कर लेना !
गुड़िया की मां विक्रम को इस तरह से गुस्से में देखकर गुस्से से कुर्सी से उठ कर हाल में बने कमरो की तरफ चली गई ये बोलते हुए " फातिमा ! मेरा खाना कमरे में भिजवा देना !
विक्रम उसे जाते हुए देखा फिर अपना मूड़ ठंडा करता हुआ बोला " अरे भई लाओ खाना जल्दी टेबल पर हमारी किड़ो की पसंद का बनाया है ना !
फातिमा " जी साहब ! सारा खाना गुड़िया बेबी की पसंद का है !
फातिमा ने सारा खाना टेबल पर लगा दिया !विक्रम ने गुड़िया की प्लेट उठा कर खाना डालना शुरू किया !
गुड़िया ने ख़ाना शुरू किया.. विक्रम उसे खाना खाते हुए प्यार से देखने लगा !
गुड़िया " पापा !! आप भी डालो खाना और खाओ मेरे साथ !
विक्रम " पहले मेरी परी खा ले पेट भर के फिर खाता हू ना मै !
गुड़िया जिद करते हुए " नही ! पापा आप भी डालो प्लेट में खाना ! मेरे साथ खाओ !
विक्रम ने गुड़िया के जिद करने पर प्लेट में खाना डाल कर खाना शुरू कर दिया !
खाना ख़त्म करके दोनों हाल में आ गये ! हाल में पडे बहुत ही खूबसूरत बड़े आलीशान सोफे पर दोनों बैठ गये !
तभी गुड़िया बोली " पापा !! आज शाम बैडमिंटन खेलेंगे ! आपको आज काम पर नहीं जाने दूंगी मैं !
विक्रम " ठीक है किड़ो ! जैसा मेरी गुड़िया चाहेगी वेसा ही होगा ! शाम को पापा कही नही जायेंगे सिर्फ अपनी गुड़िया के साथ बैडमिंटन खेलेगे !
गुड़िया खुशी से कूदते हुए " येअअअअअअअ मेरे पापा दुनिया के अमेजिंग पापा !
तभी गुड़िया का फोन बजा ! विक्रम ने गुड़िया के फोन उठाते ही पूछा " किसका फोन है किड़ो !
गुड़िया " पापा ! मेरी फ्रेंड निकी का फोन है वो बाहर वाले गेट पर है वो मुझसे मिलने आई है !
विक्रम गुड़िया की बात सुनकर अपने फोन पर बाहर के बडे गेट पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड को फोन करने लग गया !
विक्रम फोन पर " हैलो वीरेंद्र ! लेडी गार्ड को बोलो कि गुड़िया की फ्रैड को अच्छे से सारी आईडी और चैक करके अंदर आने दे !बोल कर विक्रम ने फोन काट दिया !
गुड़िया पापा के माथे पर फ़िक्र की लकीरें देख कर बोली " पापा !!!! क्यो फ़िक्र करते हो आप ? मेरी फ्रेंड ही तो है मेरे साथ पढती है वो ! हर बार आप चेकिंग करके तो आने देते हो अंदर ! फिर भी अगर आपको फ़िक्र है तो सारे कैमरे अंदर सारे घर के टीवी पर और आपके फोन पर कनेक्ट है आप देख लो ! दो
विक्रम " हां जानता हू किड़ो ! लेकिन बस हो जाती है मुझे फ़िक्र फिर भी !
"" कोई बात नहीं मेरी गुड़िया !! तुम अपनी फ्रेंड के साथ गप्पे मारो ! मै तब तक चेंज कर लेता हूं ! विक्रम गुड़िया के सर पर प्यार से हाथ फेरता हुआ बोला !
गुड़िया ने हां में सर हिलाया और उपर अपने कमरे में जाने के लिए सीढ़ियां चढने लग गई !
विक्रम अपने कमरे की तरफ चेंज करने चल पडा लेकिन उसकी नज़र गुड़िया की तरफ ही थी जब तक गुड़िया आराम से सीढ़ियां चढ कर अपने कमरे तक ना चली गई !
गुड़िया अपने कमरे में पहुंच कर बैड पर थपाक से पेट के बल लेट गई और अपने फोन मे गेम खेलने लग गई !
तभी पीछे से दरवाजे पर गुड़िया की फ्रेंड निकी आ गई और कमरे में आकर धम्म से बैड पर बैठ गई और हांफने लगी !
गुड़िया उसको देख कर हंसने लगी और बोली " हांफ गई ! तभी कहती हू कि तू थोडा वज़न कम कर ले !
निकी अपनी आंखों पर बडा सा चश्मा ठीक करती हुई बोली " अरे सिया यार ! तेरे घर तक आना कोई आसान काम थोडे ही है ! और फिर तुझ से मिलने के लिए पहले एक बडा गेट पार करो फिर एक किलोमीटर चलो फिर पेड़ों के अंदर तुम्हारा बंगला दिखता है फिर आटोमेटिक सिक्योरिटी सिस्टम डोर के पास खडे रहो जब तक तुम स्कैन नही हो जाओगे तब तक दरवाजे नहीं खुलेंगे !
सिया निकी की बात सुनकर और तेजी से हंसने लगी और बोली " अब तुझे मेरी बेस्ट फ्रेंड हो तो ये सब तो लेना ही पड़ेगा !
निकी " अरे लेकिन इतनी सिक्योरिटी है किसलिए ?
सिया " बस ये तो मेरे पापा ही बेहतर जानते है और मेरे पापा जो भी करते है वो सिर्फ मेरे लिए होता है !
निकी " हा यार ये तो सही है तेरे पापा तुझे लेकर इतना पोजेसिव है कि हर वक्त तेरी हर जरूरत का ख्याल रखते है ! तेरे पापा सच में स्पेशल है ! बहुत प्यार करते है तुझसे !
सिया " हा यार, मेरे पापा दुनिया के बेस्ट पापा है
निकी " हा यार काश ऐसे पापा सबके होते ! मेरे पापा के पास तो टाइम ही नही है मेरे लिए ! वो बस मेरे भाई वरुण का ही ख्याल रखते है मेरा नहीं !
निकी की आंखों में पानी देखकर सिया ने उसको गले से लगा लिया और बोली " नही यार ऐसा नही कहते ! सबके पापा अच्छे होते है बस उनका तरीका अलग अलग होता है अपने बच्चों से प्यार करने का !
निकी अपनी आंखें साफ करती हुई " नही यार तेरे पापा स्पेशल है कभी कभी मुझे जलन होती है यार तुझसे कि काश तेरे पापा मेरे पापा होते !
सिया " ना ना ना ! ऐसा कभी नही हो सकता ! मै अपने पापा को किसी से नही बांट सकती ! मै भगवान से प्रार्थना करती हू कि मुझे हर जन्म में यही पापा मिले !
सिया की बात सुनकर दोनों एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्करा दी !और निकी अपने साथ लाई हुई किताबे खोल कर सिया को क्लास के नोट्स दिखाने लग गई !
विक्रम नीचे हाल में से होता हुआ कौरीडोर के बीचों-बीच चलता हुआ अपने कमरे की तरफ जा रहा था ! तभी वो एक कमरे की सामने रुक गया ! कमरे का दरवाजा थोडा सा खुला था ! उसने अपने दोनों हाथों से दरवाजे को पकड कर पूरा खोल दिया !
अंदर दाखिल होकर वो बैड के पास पडे सोफे पर बैठ गया ! बैड पर बैठी सिया की मां एक किताब पढ रही थी ! उसने विक्रम की तरफ़ देखा भी नहीं ,बस किताब पढ़ने में ही मशरूफ थी ! जैसे जता रही हो कि वो विक्रम से बात ही नहीं करना चाहती थी !
विक्रम उसे गौर से देखता हुआ बोला " नाराज़ हो अभी भी ?
सामने से कोई भी जवाब ना आने पर विक्रम दोबारा बोला " नाराज़ होना तुम्हारा हक है अनीता ! अब बैठा हू तुम्हारे सामने ! निकाल लो जितना गुस्सा उतारना है मुझ पर !
अनीता का विक्रम के इतने मासूमियत से बोलने पर गुस्सा थोड़ा कम हो गया और वो विक्रम की तरफ देखती हुई बोली " क्या गुस्सा निकालू तुम पर विक्रम ? तुम मेरी कमजोरी जानते हो कि जब तुम ऐसे प्यार से मासूम सा चेहरा बना कर बोलोगे तो मै गुस्सा करना भूल जाती हू !
विक्रम " तभी तो कहा था तुमसे कि उस वक्त मत बोलो कुछ बाद में जो कहना हो कह लेना ! लेकिन तुम मानी नहीं ,तुम जानती हो कि मै गुड़िया को जरा सी भी तकलीफ़ नही दे सकता !
अनीता " जानती हू सब विक्रम ! 16 साल हो गए सब कुछ समझते समझते ! लेकिन मुझे फ़िक्र होती है तुम्हारी भी ! कभी देखा है तुमने खुद को आईने में ? नही ना ! तो जाओ देखो !!!! तुम दिल से कितने कमजोर हो गये हो ! बाहर से सब तुम्हे देख कर कहते है बहुत फिट है स्ट्रोंग है लेकिन मै जानती हू कि तुम अंदर से हर वक्त डर के साये में जी रहे हो !
विक्रम " कुछ नही होगा मुझे ! मै बिल्कुल ठीक हू तुम्हारा वहम है ! निकाल दो इसे अपने दिमाग से !
अनीता " कैसे निकाल दू ? इतने साल हमने एक साथ गुजारे है समझती हू तुमको ! तभी फ़िक्र भी होती है तुम्हारी ! तुम्हे इस तरह से अंदर से टूटते हुए मै नहीं देख सकती ! बाप का प्यार ठीक है करो लेकिन इस हद तक नही कि अपना खाना पीना सोना जागना सब भूल जाओ ! मर रहे हो तुम अंदर से !
विक्रम " मर तो मै बहुत साल पहले ही गया था अनीता ! अनु के साथ ही ! बस जी रहा हू तो उसकी निशानी गुड़िया के लिए ! गुड़िया का ख्याल रखता हू तो लगता है कि अनु को खुश रख रहा हूं !ऐसा लगता है जैसे वो मेरे आसपास ही हो और सब देख रही हो ! मै नही चाहता कि गुड़िया को कभी भी पता लगे कि हम उसके असली मां बाप नही !
विक्रम की आंखों में पानी छलक आया !
अनीता ने तेजी से आकर अपनी साडी के पल्लू से विक्रम की आंखें साफ की और विक्रम के पास खडे खडे ही उसके सर पर हाथ फेरने लगी !
अनीता " मै तुम्हारी भावनाओं को समझती हू विक्रम ! तुमने गुड़िया को पालने में अपनी पूरी जिंदगी दे दी ! ना दिन देखा ना रात देखी बस जो किया उसके लिए सब कुछ किया ! एक बाप का फ़र्ज़ बाखूबी निभाया तुमने !लेकिन तुम्हारी जिंदगी का क्या ? तुम सलामत रहोगे तो ही तो सबका ख्याल रखोगे ना !!!
विक्रम " है मुझे अपना और अपनी फैमिली का ख्याल ! तुम्हे आज तक किसी चीज की कमी आई हो तो बोलो !
अनीता " एक औरत के लिए सब कुछ गहने कपडे खाना ही नही जरुरी होता जीने के लिए ! आदमी का प्यार भी जरूरी होता है ! जो कि मुझे कभी नहीं मिला !
विक्रम सोफे से उठता हुआ दीवार की तरफ मुंह करके खडा हो गया और बोला" बस यही चीज है जो मै तुम्हे नहीं दे सकता अनीता ! और बेशक कुछ भी मांग लो दुनिया के किसी भी कोने से लाकर तुम्हारे कदमों में गिरा सकता हू ! लेकिन मै वो नही दे सकता जो मेरे बस में ही नहीं !
अनीता खीज कर " क्यो नही दे सकते तुम मुझे अपना प्यार ? निकलो अपने अतीत से बाहर विक्रम ! थक गई हू मै अब ये झूठा पति पत्नी बनने का नाटक करते करते ! मुझे भी अब वो सारे अधिकार चाहिए जो एक पत्नी के होते है !
अनीता फूट फूट कर रोते हुए जमीन पर बैठ गई !
विक्रम " तुम्हे मैने कभी बाधा नहीं रिश्तों में ! तुम पहले दिन से आजाद थी ! मै जब अनु के जाने के बाद गुड़िया को लेकर वो शहर छोड़ कर निकला तब याद करो मैंने तुम्हें मना किया था अपने साथ आने के लिए ! लेकिन तुम अपनी मर्जी से साथ आईं ! फिर मैंने तुम्हें पहले दिन ही सब बता दिया था कि तुम्हें सब कुछ लाकर दे सकता हू लेकिन खुद को नही दे सकता !
अनीता रोते हुए " हा याद है सब कुछ मुझे ! लेकिन मै भी इन्सान हू मेरे अंदर भी दिल है और तुमसे बेहद प्यार भी हो गया तो अब क्या करूं ? मेरे भी बस में कुछ नहीं ! पूरी जिन्दगी एक कुंवारी पत्नी बन कर यह रही हू तुम्हारे साथ ! दुनिया की नजरों में तुम्हारी पत्नी हूं लेकिन पीछे से तुमने आज तक मुझे छुआ तक नहीं ! जब तक कर सकती थी किया , कोई कमी नही की मैने गुड़िया की मां का फ़र्ज़ अदा करने में ! लेकिन मेरे सब्र का बांध अब टूट गया है !
विक्रम " जो पूरी जिन्दगी त्याग किया हम दोनों ने उसको अब खराब मत करो ! जो हो नही सकता उसके लिए दुखी होकर अपनी जिंदगी खराब मत करो !
विक्रम अनीता को ज़वाब देकर तेजी से कमरे से बाहर निकल गया !
अनीता विक्रम को जाता हुआ देखकर गुस्से से मेज पर पडा टेबल लैंप उठा कर दरवाजे की तरफ फेंकती हुई बोली " जो मिल नही सकता उसके लिए मै अब दुखी नहीं रहूंगी विक्रम ! मै अब तुम्हे पाकर ही रहूंगी फिर चाहे किसी भी कीमत पर ही क्यों ना सही !
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