Chapter-10

विक्रम अनीता के कमरे से निकल कर कोरीडोर से होता हुआ अपने कमरे में चला गया !

वो अनीता के अंदर के तूफान को भली-भांति जानता था ! और उसे समझता भी था कि अनीता ने इतने सालों तक बिना कुछ चाहे गुड़िया को मां का प्यार देने में कोई कमी नहीं रखी ! वो तो बिन बिहाई मां बन गई थी सिर्फ गुड़िया के लिए उसने इतना बड़ा त्याग किया था !

लेकिन विक्रम वो सब उसे दे ही नहीं सकता था जो कि सिर्फ अनु के साथ ही ख़त्म हो गया था ! जबकि विक्रम जानता था कि अनीता को इतने साल साथ रहते हुए उससे प्यार हो गया था वो उसकी फिक्र भी करती थी !

बस यही सब सोचता हुआ विक्रम चेंज करने वाशरूम चला गया !

सिया और उसकी सहेली निकी बहुत देर तक बातें करती रही फिर निकी सिया को बाय बोल कर चली गई !

निकी के जाने के बाद सिया पापा क़ आवाज लगाती हुई सीढ़ियों से नीचे उतर आई !

सिया की आवाज सुनते ही विक्रम अपने कमरे से बाहर आ गया और कोरीडोर से चलता हुआ बाहर हाल में आ गया ! लेकिन सिया पापा पापा करती कोरीडोर से ओती हुई अनीता का कमरा खुला देखकर उसमें चली गई !

दरवाजे के पास टेबल लैंप टूटा पड़ा था उसको देखकर सिया बोली " मां ये लैंप कैसे टूटा ?

अचानक सिया के कमरे में आ जाने से अनीता थोडा बौखला गई और अपने को संभालती हुई बोली " हां बेटा वो फातिमा को दिया था बदलवाने के लिए ,ये चल नही रहा था लेकिन ले जाते वक्त उससे दरवाजे में टकरा कर टूट गया‌ ! तुम वही रुको .. कांच बिखरा है तुम्हारे पांव में लग जायेगा ! मै फातिमा को दोबारा आवाज देती हू कि ये कांच उठा कर लेकर जाये !

अनीता ने बाहर आकर फातिमा को आवाज दी ,वो उसी वक्त आकर सारा बिखरा कांच उठा कर और सब साफ करके चली गई !

सिया अंदर आकर बैड पर बैठ गई ! अनीता ने उसके सर पर हाथ फेरा और प्यार से बोली " लगता है कि कुछ कहना है मेरी बेटी को ?

सिया जो मासूमियत से अनीता की तरफ देख रही थी बोली " हा मां कहना था कुछ !

अनीता " मै तो पहले ही समझ गई थी कि मेरी बेटी आज मेरे कमरे में आई है वो भी अकेले तो जरूर कुछ कहना ही होगा !

सिया " हा मां ! आप मुझ पर नाराज़ हो लिया करो लेकिन पापा पर नही ! क्योंकि मेरी गलती होती है लेकिन आपका झगड़ा हो जाता है पापा से तो पापा दुखी हो जाते है जो मुझे अच्छा नहीं लगता !

अनीता " तो तुमको अगर पापा की इतनी फ़िक्र है तो तुम ऐसी गलती करो ही मत ! तुम कहती हो कि मै गलती पर तुमको कह लिया करु लेकिन तुम्हारे पापा कहने कहा देते है ! जैसे मेरा तो कोई हक ही नही अपनी बेटी पर !

सिया " लेकिन अब से आप मुझे अकेले समझा दिया करो मै मानूंगी आपकी बात !

अनीता " क्या फायदा ? तुमको कुछ समझाऊं गी तो भी तुम पापा को बताओगी तो भी पापा और मेरे बीच झगड़ा ही होगा !

सिया " नही होगा आप दोनों में झगडा ! क्योंकि मै पापा को कुछ नही बताऊगी !

अनीता बैड पर दुखी होकर बैठते हुए " तुमको मालूम नही होगा कि तुम्हारे पापा मुझसे नाराज़ रहते है ! सिर्फ तुम्हारी वजह से ! वो मेरे कमरे में भी नही आते और अलग सोते है !

सिया दुःखी होकर " नही मां !! आप दुखी मत हो आगे से मैं ऐसा नहीं होने दूंगी ! पापा आज से आपसे कभी नाराज़ नही होंगे और आपके कमरे में भी आया करेंगे !

अनीता खुशी से उठ कर सिया का माथा चूमती हुई बोली " तुम मेरी बहुत ही प्यारी बेटी हो ! मै तुमसे बहुत प्यार करती हू !

सिया भी उठ कर अनीता के गले से लग गई ! मां का प्यार पाकर वो बहुत खुश थी !

सिया को लगता था कि उसकी वजह से मां और पापा में झगड़ा होता है तो पापा अंदर ही अंदर दुःखी रहते है क्योंकि सिया पापा को एक मिनट भी दुखी नहीं देख सकती थी !

लेकिन वो जानती नही थी कि उसके पापा तो उसकी सगी मां जो कि अब इस दुनिया में नहीं थी उसको याद करके दुखी हो जाते थे !

सिया " अच्छा मां मै चलती हू अब ! पापा के साथ बैडमिंटन खेलेंगे ! आप भी आ जाओ बाहर गार्डन में !

अनीता " तुम चलो बेटा ! मै आती हूं !

सिया अनीता के कमरे से बाहर आ गई ! और कोरीडोर से होती हुई हाल में आ गई ! जहां सोफे पर बैठे पापा उसका इंतजार कर रहै थे !

विक्रम ने सिया को अनीता के कमरे में जाता हुआ देख लिया था ! तभी वही हाल में सिया के आने का इंतजार कर रहा था !

सिया " पापा ! आप कब से बैठै हो यहां ?

विक्रम " जब से हमारी गुड़िया उपर से उतरती हुई पापा पापा कर रही थी !

सिया " हां वो मै पापा मां को भी बुलाने चली गई थी कि वो भी हमारे साथ बैडमिंटन खेलेगी !

सिया की बात सुनकर विक्रम थोडा हैरान हुआ क्योंकि गुड़िया अनीता के कमरे में ज्यादा जाती नही थी ! विक्रम को थोडा शक हुआ कि कही अनीता ने गुस्से में गुड़िया को कुछ बता ना दिया हो !

विक्रम ने अपने चेहरे से परेशानी की लकीरों को साफ किया क्योंकि गुड़िया उसे ही देख रही थी वो गुडिया की तरफ देखता हुआ बोला " हा ये तो बहुत अच्छा होगा कि आज हमारे साथ तुम्हारी मां भी खेले तो !

गुड़िया खुशी से " आ रही है मां पापा , वो हमारे साथ खेलेगी भी !

तभी अनीता सलवार कुर्ता पहन कर बाहर हाल में आ गई ! और गुड़िया की तरफ प्यार से देखती हुई बोली " चलो टीम बनाते है मै और तुम साथ .. और पापा अकेले !

सिया" येअअअअअअ मां और मै साथ... देखते है पापा कैसे मुकाबला करते है !

अनीता ने खुश होकर सिया के माथे को चूमा और पास पडे बैडमिंटन में से एक उठा लिया !

विक्रम अपने चेहरे पर बहुत से सवाल लिए अनीता की तरफ देख रहा था लेकिन उसने सिया को महसूस नही होने दिया कि उसके दिमाग में कुछ है !

तीनों बहुत देर तक बैडमिंटन खेलते रहे !

अचानक तभी गुड़िया का पैर साइड में पडे एक पत्थर से टकराया तो वो गिर गई !

विक्रम सिया के ज़मीन पर गिरते ही बैडमिंटन एक तरफ फैंकते हुए तेजी से सिया की तरफ भागा और जोर से चिल्लाया " गुड़िया !!!!!!! मेरी बच्ची ! विक्रम जमीन पर बैठ गया उसने गुड़िया को सीधा किया और उसका सर अपनी गोद में रख कर चिल्लाता हुआ बोला " फातिमा ,मोहन,राजू,बिरजू,खान !!!!!! विक्रम ने पूरे घर के नौकरो को चिल्ला कर आवाजें दे दी ! गेट पर खडे गार्ड भी भागते हुए आ गये ! पूरे बंगले के नौकर चाकर सब भागते हुए वही आ गये !

विक्रम घबराया हुआ " मोहन चलो गाडी निकालो !! गुड़िया बेबी के चोट लग गई है इसे होस्पीटल लेकर जाना है !

मोहन फटाफट भागा गाडी निकालने !

अनीता भी पास आकर नीचे बैठ गई और सिया का पैर देखने लगी हल्की सी मोच आ गई थी पैर में और घुटना थोडा छिल गया था !

अनीता विक्रम की घबराहट को देखते हुए " विक्रम !!! विक्रम !!! शांत हो जाओ !! गुड़िया ठीक है हल्की खरोंच है और हल्का सा पैर मुडा है होस्पीटल ले जाने की कोई जरूरत नहीं ! डाक्टर को यही बुला लेते है !

लेकिन विक्रम ने अनीता की बात नही सुनी वो तो गुड़िया की खरोंच से निकलता हुआ खून देखकर पागल हो गया था ! उसकी आंखें लाल हो गई थी !

अनीता ने जल्दी से डाक्टर को फ़ोन मिला दिया " हैलो !! डाक्टर साहब मै जन्नत मैंशन से विक्रम राना की वाइफ बोल रही हू ! आप जल्दी आ जाइए हमारी बच्ची के चोट लग गई है !

डाक्टर से बात हो जाने पर अनीता ने फोन रख दिया ! और विक्रम को गुड़िया को उठा कर अंदर लाने के लिए बोला !

विक्रम गुड़िया को उठा कर नीचे बने कमरो में से एक में आ गया और उसने गुड़िया को बैड पर लिटा दिया !

पापा को परेशान देखकर सिया बोली " पापा !! ज्यादा नही लगी पापा , हल्की सी मोच महसूस हो रही है बस !

विक्रम परेशान होकर " बहुत दर्द हो रहा है ना मेरे बच्चे के‌! ये सब मेरी गल्ती है ! मैने बाहर गार्डन में से पत्थर साफ क्यो नही करवाये !

विक्रम ने गुस्से में कमरे में से बाहर निकल कर जोर जोर से सभी नौकरो गार्ड और गार्डन के माली को बुला लिया ! सब भागे भागे आ गये और विक्रम के गुस्से से डर कर सर झुका कर एक लाइन में हाथ जोड़कर सर झुका कर खडे हो गए !

विक्रम गुस्से में " तुम लोगों को मै पैसे यहा आराम करने के नही देता ! गार्डन साफ क्यो नही था ? गार्डन में पत्थर पर पर पैर लगने की वजह से गुड़िया बेबी के चोट लग गई ! अगर मेरी बच्ची को कुछ हो गया तो मै सारे मैंशन को आग लगा दूगा ! भूखे मरोगे तुम सब लोग !! क्योंकि मै तुम लोगों को डबल पैसे देता हू मैंशन में हर चीज अपने कायदे से होनी चाहिए !

सब नौकरो ने डर कर हाथ जोड़कर माफी मांगी " साहब गल्ती हो गई ! ये आखरी गल्ती है हमारी !! हमे माफ कर दीजिए !

विक्रम गुस्से में " दूर हो जाओ अभी सब मेरी नज़रों से ! फातिमा !!!!

फातिमा डर कर आगे आई " जी साहब !!!

विक्रम" तुम इंचार्ज हो ना यहां सब काम देखने की ?

फातिमा " जी साहब !!

विक्रम " फिर माली अपना काम ठीक से क्यों नहीं करता ! उसे फायर करो आज ही ! कोई दुसरा देखो !

फातिमा " जी साहब ! गलती हो गई मुझसे ! मै आज ही दुसरा माली देखती हू !

तभी मोहन गाडी में डाक्टर को साथ ले आया !

विक्रम ने तेजी से डाक्टर का बैग पकड़ा और कमरे की तरफ ले गया !

डाक्टर ने सिया की घुटने और पैर पर लगी चोट का मुयाना किया और बोला " विक्रम साहब !! बेबी के घुटने की हड्डी तो ठीक है सिर्फ खरोंच है और पैर के जोड़ पर मोच आ गई है ! मै दर्द की और चोट पर लगाने की दवाईयां लिख देता हूं आप मगवा लीजिए !

विक्रम " मोहन !!!

मोहन " जी साहब !!

विक्रम " ये लो परची !! दवाईयां जल्दी लेकर आओ !!

मोहन दवाइयां लेने चला गया !

डाक्टर विक्रम को कमरे में इधर से उधर तेज तेज घूमते देखकर बोला " विक्रम साहब !! घबराने की कोई बात नहीं है बेबी ठीक है ! चोट मे कल तक आराम हो जायेगा !

डाक्टर की बात सुनकर भी विक्रम को कमरे में परेशान घूमते देखकर अनीता उसके पास आकर बोली " विक्रम !! गुड़िया ठीक है !! बैठ जाओ आराम से !

विक्रम सिया के बिस्तर के पास आकर बैठ गया और सिया के सर पर हाथ फेरता हुआ बोला " बहुत दर्द हो रहा होगा ना मेरी किड़ो को ????

सिया " पापा ! मैने कितनी बार बोला आपको कि ठीक हू मै ! आप परेशान मत हो !

सिया के घुटने में दर्द तो था लेकिन वो जानती थी कि अगर वो जरा सा ये भी कह देगी कि थोडा दर्द है पापा , तो पापा बहुत ज्यादा परेशान हो जायेगे ! क्योंकि पापा उसकी जरा सी तकलीफ़ भी बर्दाश्त नही कर सकते !

तभी मोहन दवाइयां ले आया ! डाक्टर ने सिया के घुटने पर पट्टी कर दी और दर्द की दवाई देकर बोला " विक्रम साहब !! दवाई से नींद आ जायेगी बेबी को ! अच्छा है कि सुबह तक बेबी अब आराम करे !

विक्रम ने डाक्टर की बात सुनकर उनका शुक्रिया अदा किया और मोहन को डाक्टर को छोड़ आने को कहा !

विक्रम डाक्टर के जाने के बाद " सभी लोग कान खोल कर सुन लो ! गुड़िया को अब आराम करने दो , गुड़िया के कमरे के आसपास मै कोई भी छोर नहीं चाहता !

सभी घर के नौकर हां में सर हिला कर कमरे से बाहर निकल गये !

अनीता " गुड़िया अब ठीक है विक्रम ! चलो अब तुम भी थोड़ा रेस्ट कर लो , कब से परेशान हो रात भी हो गई है !

विक्रम गुड़िया को सोता देख कर उसके सर पर हाथ फेरते हुए उसके माथे को चूमता हुआ बोला " जल्दी अच्छी हो जाओ मेरी ऐंजल !!

विक्रम कमरे से बाहर आकर अपने कमरे की तरफ चला गया और अपनी काली शर्ट के उपर के दो बटन खोलकर ठंडी सांस भरता हुआ सोफे पर बैठ गया और अपनी आंखें बंद कर ली !

तभी अनीता अंदर आई और विक्रम को अंधेरे में बैठे देखकर उसने कमरे की लाईट जगाई और विक्रम के पास आकर बोली " ऐसे कैसे चले गा विक्रम ? गुड़िया ठीक है लेकिन तुम इतना परेशान होगे तो सेहत खराब कर लोगे !

विक्रम बिना अनीता की बात का जवाब दिए बस आंखें बंद करके सोंफे पर पीछे सर रख कर बैठा रहा !

अनीता उसके बिल्कुल पास आकर उसके सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए उसे गौर से देखने लगी और सोचने लगी " ये थका हुआ है और आंखें बंद करके भी कितना खूबसूरत लग रहा है !!!

अनीता जब भी विक्रम को पास से देखती थी उसे उस पर बहुत प्यार आ जाता था उसके अदर की औरत तड़प उठती थी कि बस ... लिपट जाऊं विक्रम से और उसकी बाहों में समा कर उसका सारा प्यार पा लू !

लेकिन बस वो दूर से ही तड़प कर रह जाती थी क्योंकि विक्रम उसके पास आते ही दूर हट जाता था !

अनीता विक्रम के सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोली " तुम्हारा सर दबा दूं ?

विक्रम " हां थोडा दबा दो.. दर्द है !

विक्रम के हां बोलते ही अनीता अपने दोनों हाथों से विक्रम का सर दबाने लगी और प्यार से विक्रम की तरफ थोडा झुकती हुई बोली " तुम्हारे लिए एक ड्रिंक बना दू एक छोटा पैक ? तुम्हे अच्छा फील होगा !!!

विक्रम " हां बना दो !!

अनीता विक्रम की बात सुनकर खुशी से उसके लिए ड्रिंक बनाने लग गई और बना कर उसको देती हुई बोली " लो ! और बताओ कैसा बना ? थोडा स्ट्रोंग बनाया है !

विक्रम उसके हाथ से विस्की का गिलास लेता हुआ सोफे पर सीधा बैठ गया !

अनीता विक्रम के सामने बैड पर बैठती हुई बोली " मत सोचो इतना ! तुम जान हो इस घर की तुमको उदास देखकर सबके चेहरों पर चुप्पी छा जाती है ! ठीक है हमारी बच्ची ! अब फ़िक्र छोड दो !

विक्रम विस्की का घूंट भरता हुआ " सब ठीक नही है ना अनीता ! हर वक्त बस फ़िक्र में जीता हू ! डरता हू कि कही मेरा अतीत आकर मेरी बच्ची को कुछ नुकसान ना पहुचा दे !

अनीता" 15 साल से सब कुछ तो कर रहे हो गुड़िया के लिए ...ना दिन देखा ना रात देखी , गुड़िया को वो हर खुशी दी जो उसे चाहिए थी ! और फिर पूरे मैंशन में इतनी ज्यादा सिक्योरिटी है कि कोई परिंदा भी अंदर नहीं आ सकता बिना पूछे ! फिर क्यों फ़िक्र करते हो ! अब गुड़िया समझदार भी हो गई है तो अब कुछ अपने बारे में भी सोचो ! तुम सही सलामत रहोगे तो ही हम सब को संभाल पाओगे !

विक्रम " ठीक हू मै !! मुझे कुछ नहीं होगा , तुम मेरी फ़िक्र मत किया करो !

अनीता " क्यो ना करु फिक्र तुम्हारी ???? एक भी कारण ऐसा तो बताओ कि मै फ़िक्र करना छोड़ दू ! अब तुम्हारे इलावा मेरा है भी कौन ? इतने साल से हम साथ रह रहे है हर दुख सुख साथ देखा है ! मैने तुम्हारे इलावा कुछ और सोचा ही नही जिंदगी में कभी ! तुम्हारे बिना तो मै मर जाउंगी विक्रम !

विक्रम अनीता की तरफ गहराई से देखते हुए " समझता हू मै तुम्हारी फीलिंग्स कि तुमने बहुत बडा बलिदान किया है गुड़िया के लिए ! मेरा और गुड़िया का ख्याल रखा है ! मै तुम्हारी हर तकलीफ़ को समझता हू ! याद रखो अपने जीते जी तुमको कोई तकलीफ़ नहीं होने दूंगा !

अनीता विक्रम के पास आकर खडे होते हुए " मेरी हर तकलीफ़ समझते हो !! तो ये क्यों नहीं समझते कि एक औरत को और जरुरतों के इलावा आदमी का प्यार भी चाहिए होता है ! बेशक हम दिखावे के लिए पति पत्नी बन कर रह रहे है लेकिन मैंने तो दिल और आत्मा से तुम्हे अपना सब कुछ मान लिया है !

विक्रम सोफे से उठता हुआ " बस यही नही कर सकता अनीता मै ! जब अनु थी तो मेरे और तुम्हारे बीच एक रिश्ता था और उस रिश्ते की एक मर्यादा थी जो मेरे दिल में आज भी है मै उस लाईन को पार नही कर पाऊगा अनीता ! अगर मैने ये गल्ती कर ली तो शायद मै अपनी ही नज़रों में गिर जाउंगा !

अनीता विक्रम की बात सुनकर बिस्तर पर बैठ गई और रोने लगी !

विक्रम उसे रोता देखकर उसके पास आकर बैठता हुआ बोला " आधी जिंदगी साथ दे दिया है अब बाकी की जिंदगी साथ नही दोगी क्या ? रिश्ते जिस्मों के मिलने से गहरे नही होते बल्कि दिलो के मिलने से भी गहरे होते हे !

अनीता विक्रम की बात सुनकर अपने आप को रोक नहीं पाई और पास बैठे विक्रम से लिपट गई !

विक्रम ने अपने बांह से लिपटी और कंधे पर सर रख कर बैठी अनीता के सर पर अपना हाथ प्यार से फेर दिया !

अनीता को विक्रम की बाहों में सुकून मिला लेकिन उसके अदर एक तूफान जन्म ले चुका था वो पूरी तरह से विक्रम को पाकर ही शांत हो सकता था !

विक्रम के कंधे पर सर रख कर बैठी अनीता के दिलो दिमाग में बस एक ही बात चल रही थी " बस किसी भी कीमत पर मुझे अब तुमको पाना है विक्रम ! अब मुझमें सब्र नही है ! तुम अब मेरे हो सिर्फ़ मेरे !

अनीता बिस्तर से उठी और विक्रम के बालों पर अपना हाथ फेरती हुई बोली " तुम चेंज कर लो मै खाना यही लगवा देती हू !

विक्रम " गुड़िया ने कुछ खाया ??

अनीता " हा फ़िक्र मत करो ! फातिमा ने उसे खिला दिया था फिर वो सो रही है दवाई से उसे अच्छी नींद आयेगी तो आराम भी मिलेगा !

विक्रम " ठीक है मै शावर ले लेता हू तुम खाना यही लगवा दो !

अनीता हा बोल कर कमरे से बाहर निकल गई ! विक्रम बाथरूम में चला गया !

विक्रम के बाथरूम में जाते ही अनीता कमरे में आ गई और बाथरूम का दरवाजा खुला देख कर वो दरवाजे के पास आकर अपने हाथ से थोडा दरवाजा और खोल दिया और विक्रम को शावर के नीचे खडे नहाते हुए देखने लगी !

अनीता विक्रम को देखकर मन ही मन बस खो सी गई " ये कितना खूबसूरत है ! इतना फिट है गोरा चिट्टा रंग जिम बोडी लम्बा चौड़ा , आज भी विक्रम बिल्कुल 15 साल पहले जैसा ही आकर्षक नौजवान की तरह लग रहा था !

अनीता की धड़कनें विक्रम को कपड़ों के बिना देख कर तेज हो गई ! वो एक पल पूरे पसीने से नहा गई !

जब उसका दिल बेकाबू हो गया तो वो दरवाजे से हट कर बिस्तर पर बैठ गई और अपनी उबलती धड़कनों को शांत करने लगी !

तभी विक्रम की बाथरूम से आवाज आई " अरे अनीता ! तुम क्या हो कमरे में ? वो तौलिया मै बाहर भूल गया !

अनीता जानती थी कि विक्रम ने ड्रिंक कर ली है उसने जानबूझ कर उसकी ड्रिंक हार्ड बनाईं थी और तौलिया उठा कर बाहर ले गई थी इसलिए वो बाथरुम जाते वक्त तौलिया देख नहीं पाया !

अनीता " हा विक्रम यही हू ! अभी देती हू तौलिया !

अनीता तौलिया लेकर बाथरूम के दरवाजे पर जैसे ही पहुची और अपना हाथ विक्रम को तोलिया देने के लिए आगे बढ़ाया तभी अनीता ने पैर फिसलने का नाटक किया और गिरने को हुई... विक्रम तौलिया पकड़ने ही वाला था लेकिन जब उसने अनीता को गिरते हुए देखा तो तेजी से आगे आ कर उसको पकड लिया !

अनीता विक्रम के सीने से लिपट गई ! विक्रम का गीला बदन .. विक्रम ने भी उसे कस के पकड रखा था क्योंकि फर्श गीला होने की वजह से वो दोबारा गिर सकती थी !

लेकिन विक्रम ये नही जानता था कि अनीता ने गिरने का नाटक किया !

अनीता विक्रम से लिपटे हुए उसके मुंह की तरफ देखने लगी !

विक्रम ने उसकी तरफ देखा तो उसकी आंखों में बहुत प्यास थी !

विक्रम उसको ठीक से खड़ा करता हुआ और उसके हाथ से तौलिया लेकर लपेटता हुआ बोला " अब जाओ संभल कर बाहर !! मै चेंज कर लू !! विक्रम दुसरी तरफ मुंह करके खड़ा हो गया !

अनीता उसी वक्त बाथरूम से बाहर आ गई ! उसे लगा था कि विक्रम उसे पकड़ कर छोड़ेगा नही ! लेकिन विक्रम अभी भी होश में था !

अनीता का तन मन जल रहा था आज की रात वो शांति से बैठने वाली नही थी !

तभी विक्रम बाथरूम से बाहर आ गया वो केज्युल कपडो में था ! वो तौलिया से अपने बाल रगडता हुआ सोफे पर बैठ गया ! तभी फातिमा ने वही टेबल पर खाना लगा दिया !

विक्रम खाना शुरू करते हुए अनीता की तरफ देखता हुआ बोला " आओ तुम भी साथ ही खा लो !

अनीता " हा बैठती हू ! वो मैनै गुड़िया की तंदरुस्ती के लिए हलवा बनवाया था जो भगवान को भोग लगवा कर सबको बांट दिया वो तुम्हारे लिए भी लेकर आती हू !

विक्रम " अच्छा किया ये तो बहुत ! जाओ फिर ले आओ जल्दी से !

अनीता कमरे से बाहर निकल गई और रसोई घर में आकर फातिमा को हलवा डालने के लिए बोली " फातिमा !! दो कटोरियों में हलवा डाल दो और फिर तुम जाओ और खुद भी खा लो और बाकी सारे सर्वेंट्स को भी बोल दो खाने के लिए !

फातिमा दो कटोरियों में हलवा डालती हुई बोली " मेमसाब !! आप खाओ जाके विक्रम साहब के साथ मै हलवा लेकर आती हू !

अनीता " नही !! मै खुद ले जाऊंगी ! अब हमें और कुछ नही चाहिए ! विक्रम बहुत थक गये है ख़ाना खाकर सोयेगे तो उधर कोरीडोर की तरफ किसी को आने मत देना गुड़िया बेबी भी सो रही है तुम लोग भी अब खा पीकर सोने की तैयारी करो !

फातिमा हां में सर हिला कर रसोईघर से बाहर निकल गई !

अनीता एक ट्रे में दोनों कटोरिया रख कर रसोईघर से बाहर निकल गई और विक्रम के कमरै में जाने की बजाय पहले अपने कमरे में चली गई

ट्रे टेबल पर रखकर आलमारी से एक छोटी शीशी निकाल कर टेबल के पास आकर शीशी का ढ़क्कन खोल कर उसमें से कुछ बूंदें हलवे की एक कटोरी में डालते हुए मन ही मन बोली " विक्रम ये ऐसी दवाई या कह लो ऐसा नशा है जिससे आदमी होश में रहकर भी होश में नहीं रहता ! आज तुम ये पीओगे और नशे में मुझे अपनी बाहों में भर कर अपना पूरा प्यार मुझे दे दोगे ! ये रात आज मेरी है विक्रम !

एक अजीब सी मुस्कराहट होंठों पर लेकर अनीता वो ट्रे उठा कर अपने कमरे से निकल कर विक्रम के कमरे की तरफ़ चल दी !

कमरे में पहुंचते ही उसने टेबल पर ट्रे रख दी ! और खुद भी खाना खाने बैठ गई। !

विक्रम तब तक अपना खाना खत्म कर ही चुका था तो उसने हलवे की प्लेट उठाते हुए बोला " वाह क्या खुशबू आ रही है इसमें से तो !

अनीता " तुम्हे हलवा पसंद है इसलिए भी तो बनवाया !

विक्रम ने जल्दी जल्दी कटोरी का सारा हलवा खा लिया और उठ कर वाशरूम चला गया !

अनीता के चेहरे पर मुस्कराहट थी ! वो सिर्फ खाने का दिखावा ही कर रही थी उसकी भूख तो आज रात मर ही गई थी ! वो बस रात थोडी और गहरी होने का इंतजार कर रही थी !

विक्रम बाथरुम से होकर बोला " मै लेटता हू थोडा थकावट सी महसूस हो रही है तुम खा कर सोने चली जाना !

विक्रम आंखे बंद करके बिस्तर पर लेट गया !

अनीता ने खाने का टेबल एक साइड किया और अपने कमरे में चली गई ! थोडी देर बाद वो अपने कमरे में से साड़ी चेज करके एक काला गाऊन पहन कर विक्रम के कमरे में आ गई !

कमरे में हल्की रौशनी थी ! विक्रम करवटे ले रहा था इधर से उधर ,उसे नींद में ही बेचैनी सी थी !

अनीता उसके पास खडे होकर उसके सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोली " नींद नही आ रही विक्रम ?

विक्रम " नींद में ही थोडा लड़खड़ाती हुई सी आवाज में बोला " बस थोड़ी सी बेचैनी सी है !

अनीता " तुम्हारे सर पर हाथ फेर दू ? इससे तुम्हें नींद आ जायेगी !

विक्रम " लड़खड़ाती आवाज में सिर्फ हां ही बोल पाया !

अनीता उसी वक्त विक्रम के साथ बिस्तर पर लेट गई ओर विक्रम की तरफ करवट लेकर उससे लिपट गई और एक हाथ उसके बालों में फेरने लगी और दूसरा हाथ विक्रम के सीने पर धीरे धीरे फेरने लगी !

वो आज सारी हदें पार कर लेना चाहती थी   ! उसने विक्रम का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ मोड़ लिया और उसका हाथ अपनी कमर पर रख दिया  और...............

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