युवराज " कहा था ना कि सुन नही पाओगी और नफरत करोगी मुझसे ! उतरा ना अब तुम्हारे सर से प्यार का भूत !
सिया की आंखों में गुस्सा उतर आया वो तेजी से उठी और युवराज के सामने खडी हो गई और उसके मुंह पर दोनों तरफ से चांटों की बौछार करने लगी !
युवराज ने उसे रोका नहीं वो चुपचाप खडा रहा !
सिया जब थक कर रुक गई तो गुस्से में बोली " तुम प्यार की फीलिंग को समझते भी हो ? तुम्हारा मतलब मेरे सर पर सिर्फ प्यार का भूत चढा था जो उतर गया ? प्यार वो अहसास है कि पता ही नही चलता इन्सान को कि कब हो गया कब कोई इतना अच्छा लगने लग जाता है कि वो हमारी जिंदगी का हिस्सा बन जाता है हम खुद मजबूर हो जाते है अपने दिल के हाथों जब कोई हमारे दिल में हमें बिना बताए बस जाता है !
लेकिन तुम जैसे लोग नही समझो गे जिनके अंदर कोई फीलिंग ही नही होती ! तभी तुम जैसे लोगो को गलतफहमियां हो जाती है जिन्दगी में जिससे अपनी जिंदगी तो खराब करते ही हो बल्कि जो तुमसे जुड जाते है उनकी भी जिन्दगी खराब करते हो !
युवराज " ये भाषण देना आसान है लेकिन जिस पर बीतती है वो ही समझ सकता है !
सिया " तुम जो भी समझो लेकिन मेरे पापा के बारे में कुछ भी गलत मत बोलो ! मै अपने पापा के बारे में कुछ भी गलत नही सुन सकती !
युवराज " मालूम था मुझे कि सुन नही पाओगी ! तो जाओ अपने बाप के पास ! मिल लो उससे अच्छी तरह से क्योंकि उसके जीने के दिन अब खत्म हो गये !
सिया गुस्से में युवराज को दोनों हाथों से सामने से धक्का देती हुई बोली " क्या बोले जा रहे हो तुम ? मेरे पापा ने ऐसा क्या किया ? वो तो एक बहुत नेक इंसान है ! मेरे पापा तक पहुंचने से पहले तुम्हारे रास्ते में मै खडी हू ! मार दो मुझे !
युवराज गुस्से में सिया को गर्दन से पकड कर दीवार के साथ लगाता हुआ बोला " तुमको मारना होता ना तो मार कर तुम्हारे बाप के आगे फेंक देता ! उसकी कमजोरी हो तुम ये जानता हू मै ! तभी तुम्हे उठा कर लाया कि उसको तड़पता हुआ देखू ! उसे भी तो पता चले कि अपनों के खो जाने का गम क्या होता है !
सिया घुटती सी हुई आवाज में " तो छोड़ क्यों रहे हो फिर मुझे ? जबकि इतनी ही नफरत है मेरे पापा के लिए तुम्हारे दिल में !
युवराज सिया के गले को छोड़ता हुआ " हा सही कहा तुमने ! कभी नही छोडने वाला था मै तुमको लेकिन मै तुम्हारे बाप जैसा नही हू तुमको यू तड़पता हुआ और नही देख सकता !
सिया " मेरे पापा से इतनी नफरत करने का कारण तो बताओ ?
युवराज " मत पूछो !!! कही तुमको भी अपने बाप से नफरत ना हो जाए !
सिया " मेरे पापा ऐसे नही है जैसा तुम सोच रहे हो ! तुम्हे जरुर गलतफहमी हुई है !
युवराज " जाओ तुम अपने कपड़े डालो और मुझे मेरे हाल पर छोड़ो !युवराज कुर्सी पर बैठ कर हाथ जोड़ता हुआ बोला !
सिया गुस्से में ' क्या चलो चलो लगा रखी है तुमने ? मुझे जब तक तुम सब बता नही देते मै नही जाऊंगी यहां से ! और अब तो मेरे पापा का सवाल है !
युवराज चिढ़ने के अंदाज में " पापा की लाडली !!! जाओ मेरा दिमाग मत खाओ !
सिया युवराज के बिल्कुल सामने खडी होकर बोली " कह दिया ना कि मै नहीं जाउंगी यहां से !
तभी युवराज का फोन बजा ! लेकिन ये फोन जो उसके पास हमेशा होता है वो वाला नही ! उसकी जेब में एक दुसरा फोन था वो बज रहा था !
युवराज ने लगातार बजते फोन को जेब से निकाला और कान को लगा लिया !
फोन से एक गहरी सी आवाज आई " डरता है साले ? जिस जगह मै पहुंच गया था वहां से क्यो भाग गया ? मेरी बेटी को कुछ भी हुआ तो तू जानता है मै तुझे पाताल से भी खींच लाउंगा !
युवराज फोन पर गुस्से में " डरता मै नही ! डर तो अब तुम रहे हो ! मै डरता होता तो तेरी बेटी को उठाता ही नही ! दर्द हो रहा है बेटी का ? तड़प और तड़प ! दुसरो को तड़पाने वाले अब खुद तड़प !
फोन से " अगर तू मुझे जानता है तो समझ ले तेरी सांसे अब कुछ दिन की है ! मेरी बेटी को खरोंच भी आई तो तेरे इतने टुकड़े करुगा कि तेरे फ़रिश्ते भी गिन नही पायेंगे !
युवराज फोन पर " मुझे तो मरने का डर है ही नही ! कफन बांध कर निकला हू ! लेकिन तुझे जरुर मार कर मरुंगा !
सिया समझ गई थी कि फोन पर उसके पापा है वो तेजी से दीवार के साथ खडे युवराज के पास जाकर जोर से फोन के पास मुंह करके बोली " पापा पापा!!!!!
युवराज ने सिया की आवाज सुनते ही तेजी से मुड़कर सिया का हाथ पकडा और खीच कर कमरे में ले गया और दरवाजा बाहर से बंद कर दिया !
सिया जोर जोर से चिल्लाते हुए दरवाजा पीटने लगी !
फोन से " गुड़िया गुड़िया !! बेटा मै तुझे जल्दी ही अपने पास ले आऊंगा !
युवराज फोन पर "क्यो ? बहुत तकलीफ़ हो रही है ! गिन ले अपने दिन ! तेरी मौत तेरे दरवाजे तक आने ही वाली है !
फोन से आवाज आती रही लेकिन युवराज ने फोन काट दिया !
सिया लगातार चिल्लाये जा रही थी !
तभी युवराज ने दरवाजा बाहर से खोल दिया !
दरवाजा खुलते ही सिया तेजी से बाहर आई और युवराज के सीने पर मुक्के मारने लग गई ! और गुस्से में रोते हुए बोली " तुमने मेरे पापा से कैसे बात की वो मेरे लिए कितना परेशान है क्योंकि वो मेरे बिना रह ही नही सकते !
सिया युवराज के सीने पर मुक्के मारते मारते नीचे बैठ गई और फूट फूट कर रोने लगी !
युवराज ने उसे मारते हुए रोका नहीं ! जब वो रोते हुए नीचे बैठ गई तब उसके बराबर बैठ कर बोला '" तुम्हारे जैसी हर अच्छी लड़की अपने पापा से ऐसे ही प्यार करती है लेकिन सबके पापा भी अच्छे होते है लेकिन तुम्हारा बाप एक क्रिमिनल है !
सिया " क्या बकवास कर रहे हो तुम ? क्रिमिनल !!!!! मेरे पापा !! तुम सच में बहुत बडी गलतफहमी में हो ! जरूर पछताओगे तुम कि तुमने गलत किया !
युवराज " गलतफहमी में मै नहीं तुम हो बेबी ....!! तुम्हारा बाप एक गैंगस्टर था और है !
सिया गुस्से में " तुमने अगर अब एक और शब्द मेरे पापा के बारे में बोला तो मै खुद को कुछ कर लूंगी !
युवराज " ऐ पागल लड़की ! जानता था कि तुम कभी भी यकीन नहीं करोगी !
तभी युवराज ने अपने पीछे पडे बैग से कुछ पेपर निकाले !
उनमें से देखकर कर एक न्यूज पेपर निकाला और सिया को दिखाते हुए बोला " ये देखो ये 15 साल पहले के न्यूजपेपर की कटिंग ! तुम्हारे बाप की फोटो छपी है इसमें और नीचे लिखा पढ़ो कि दुनिया का नामी गैंगस्टर विक्रम राना ! जो हर जुर्म इतनी सफाई से करता है कि उसे पुलिस पकड नही पाई !अफ़ीम,चरस गांजा मर्डर हर चीज का बादशाह था वो ! युवराज ने एक और पेपर की कटिंग निकाली और बोला " ये देखो इसमें लिखा है कि पता नही अचानक विक्रम राना कहां गायब हो गया !
सब कुछ सिया को दिखा कर युवराज कुर्सी पर बैठ गया ! और बोला " अब तो यकीन आ गया तुमको कि तुम्हारा बाप एक गैंगस्टर है !
सिया " मै ये सब मानने को तैयार नही ! जब से मैने होश संभाला है अपने पापा को कुछ भी बुरा करते नही देखा ! और उनका तो एक्स्पोर्ट का बिजनेस है !
युवराज " होगा ! लेकिन 15 साल पहले वो इतने जुर्म कर चुका है कि अब राजा हरिश्चंद्र बन कर बैठा है ! लेकिन मै एक साल से उसे टै्क कर रहा हू ! वो जितना भी बदल कर कही भी रह ले मै उसे पहचान लूंगा ! और उसके सारे परदे फाश करके उसको मौत के घाट उतारुगा !
क्योंकि कानून के हवाले करने का उसको कोई फायदा नही ! वो पैसे वाला है ! सबके मुंह पैसे से बंद कर सकता है !
सिया " चलो अगर तुम्हारी बात सच भी है तो ..,तुम क्यों पडे हो उनके पीछे ? तुम्हारा क्या बिगाड़ा उन्होंने ?
युवराज " उसने मेरा कुछ बिगाड़ा ही नही बल्कि मेरा सब कुछ खत्म कर दिया है !
सिया " मुझे तुम्हारी कोई भी बात समझ नहीं आ रही है ! साफ साफ बताओ !
युवराज " साफ साफ सुनना चाहती हो तो सुनो " तीन साल पहले .. मेरा एक खुद मेहनत करके बनाया हुआ कार गैराज था ! मेरा कोई नहीं था ! मां बचपन में ही बीमारी से मर गई और पिता शराबी था मेरे पैदा होने से पहले ही मां को छोड़ कर चला गया था !
अकेले ही जीवन के थपेड़े खाता हुआ बडा हुआ ! 22 साल की उमर तक आते आते सब कुछ देख लिया था जिंदगी में !
बस अपना अकेलापन नही दूर कर पाया था जिन्दगी में ! अपनी मेहनत से कार गैराज को अच्छा खासा बड़ा बना लिया था मैने !
मुझे रोज घर जाते हुए अक्सर लेट हो जाता था !
एक दिन मै गैराज बंद करके बाइक से घर लौट रहा था तो रात काफी हो चुकी थी ! तभी मैने देखा कि सड़क के साइड में एक लडकी अपनी स्कूटी लेकर खडी थी !
और जैसे ही मै वहां तक पहुंचा उसने मुझसे मदद मांगी " सुनिए !!! प्लीज़ मेरी मदद कर सकते है ? मेरी स्कूटी ख़राब हो गई है ! रात काफी हो गई है तो मै घर कैसे जाउंगी !
मै बाइक से उतरा और उसकी स्कूटी देखने लग गया ! सब देख कर मैने उसको बोला " ये तो मैडम गैराज में ही ले जाकर ठीक हो सकती है ! आप ऐसा करे कि 15 मिनट की दूरी पर मेरा गैराज है मै वहां स्कूटी छोड़ देता हू ! फिर वापस आकर आपको अपनी बाईक से आपके घर छोड़ दूंगा !
वो मान गई ! मैने अपनी बाइक वही साइड में लगाई और उसकी स्कूटी पैदल पैदल लेकर गैराज की तरफ चल पड़ा वो मेरे साथ साथ चल पडी !
गैराज पहुंच कर उसकी स्कूटी अंदर करके हम पैदल वापस चल पड़े ! मैने तब उसको गौर से देखा . वो बहुत सुन्दर थी ! और हम धीरे-धीरे बाते करते बाइक तक आ गये ! उसने अपना नाम कीर्ति बताया !
मैने बाइक स्टार्ट की और वो मेरे पीछे बैठ गई ! पहली बार जिंदगी में मेरे पीछे कोई लड़की बैठी थी !
पता ही नही चला वो सफर कैसे बीत गया !
तभी कीर्ति का घर आ गया वो बाइक से उतरी और मुझे शुक्रिया कहने लगी " आज आप ना होते तो मै पता नहीं रात भर कैसे परेशान होती और मेरे साथ कुछ गलत भी हो सकता था !
मैने उसकी आंखों की तरफ देखते हुए ज़वाब दिया " नही शुक्रिया की कोई बात नहीं ये तो मेरा फ़र्ज़ था अकेली लडकी को मै सड़क पर यू छोड भी नहीं सकता था !
कीर्ति " आप घर चलिए एक कप चाय पीकर चले जाइए गा ! इससे मुझे अच्छा लगेगा !
मैंने उसकी आंखों में देखा " दिल किया कि उसके साथ चलू और चाय पिएं लेकिन रात ज्यादा होने की वजह से मैने उससे कहा कि " जरुर चाय तो पिएं गे साथ लेकिन अभी नही ! कल जब आपं स्कूटी लेने आयेगी तब !
कीर्ति की आंखों में मैंने अपने लिए रिस्पेक्ट देखी ! वो बहुत ही प्यार से बोली " आप बहुत अलग इन्सान लगे मुझे !
ये कह कर वो घर के अंदर चली गई !
मै उसे जाते हुए देखता रहा ! पता नहीं क्यों उससे नज़र हट ही नहीं रही थी !
मै दुसरे दिन गैराज पहुंचा ! और सब काम छोड़कर मै कीर्ति की स्कूटी ठीक करने लग गया !देखते देखते शाम हो गई ! मै बेसब्री से कीर्ति का इंतजार करने लगा !
तभी ठीक 6 बजे कीर्ति रिक्शे पर से उतरी और मेरी तरफ आकर बोली " स्कूटी ठीक हुई ? कही मै जल्दी तो नही आ गई !
" नही आप बिल्कुल ठीक समय पर आई हो वैसे स्कूटी दोपहर को ही ठीक हो गई थी ! मैने उसके चेहरे को देखते हुए बोला !
कीर्ति " ओह !! नम्बर देना भूल गई ना आपको ! नही तो आप बता देते मै जल्दी आ जाती !
उसकी आंखें मुस्कुरा रही थी ! वो पूछने लगी कि कितने पैसे हुए ?
मै उसकी आंखों की तरफ देखता हुआ बोला ' कि रहने दीजिए इसकी कोई जरूरत नहीं !
कीर्ति " जरुरत क्यों नहीं ? ये आपकी रोजी रोटी है ऐसे कैसे ?
" कोई नहीं जी रोजी रोटी के लिए दोस्तों से थोडे कमाना है कमाने के लिए दुनिया बहुत है ! मैने मुस्कुरा कर बोलते हुए अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ाया " क्या हम दोस्त बन सकते है ?
कीर्ति मेरी बात सुनकर हैरान हुई और पता नहीं क्यों मेरे एकदम से गले लग गई !
मै देखता ही रह गया कि उसने एकदम से ऐसा क्यू किया ? मै नीचे बाहें करके ही खडा रहा ,मेरी हिम्मत ही नही हुई उसको अपनी बाहों में भरने की !
वो एकदम से अलग हुई और अपना मुंह नीचे करके अपनी आंखों में आया पानी पोंछने लगी !
मैने एकदम से उसके हाथ को पकड़ा और पूछा " ऐएए आप की आंखों में आसूं ? क्या हुआ ? मैने कुछ गलत कह दिया क्या ?
कीर्ति " सोरी !!! वो मै आपका एकदम से मेरी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाना ,बस पता नहीं क्यों मै अपने आप को रोक नहीं पाई आपके गले लगने से ! आप जैसा दोस्त पाकर मै बहुत खुश हू !
मैने उसको थैंक्स बोला और उसको स्कूटी की तरफ ले गया ! जाने से पहले उसने मुझे आपना नम्बर दिया और मेरा नम्बर भी ले लिया ! मुझे तो कीर्ति से पहली नजर में ही प्यार हो गया था ! फिर उसने मुझे चाय पर घर बुलाया !
मुझे बहुत ख़ुशी थी उसने मुझे अपने घर बुलाया !
दुसरे दिन मै कीर्ति के घर चला गया वो मेरा इंतजार ही कर रही थी !
उसने मुझे बैठने को बोला और खुद चाय बना कर ले आई !
हम दोनों मुंह नीचे करके चाय पीते रहे ,ना उसे समझ आया कि क्या बात करु और ना मुझे समझ आया कि उससे और क्या बात करु !
तभी मैंने ही चुप्पी तोडी और घर में आसपास देख कर कीर्ति से पूछा " घर में तुम अकेली रहती हो ? मेरा मतलब मां पिता जी, भाई बहन बाकी फैमिली कहां है ?
कीर्ति " मै अकेली रहती हू यहां !
"बाकी फैमिली ? मैने फिर पूछा !
कीर्ति " मां है लेकिन वो पागलखाने में है !
मैने चाय का कप टेबल पर रखा और हैरानी से पूछा " पागलखाने में !!! लेकिन क्यों ? कैसे ?
कीर्ति की आंखों में आसूं आ गये , वो दुखी आवाज में बोली " बस दुखों का पहाड़ टूट पडा था आज से 12 साल पहले ! तब मै 6 साल की थी ! मेरे पापा को किसी ने दुश्मनी में मार दिया और......!!!!!!
वो कहते कहते फूट फूट कर रोने लगी,मै कुर्सी से उठ कर उसके पास बैठ पर बैठ गया और उसे चुप कराते हुए बोला ' और .....???????? आगे बताओ ?
वो रोते रोते बोली " मेरी पापा को मार कर उस दरिंदे ने मेरी मां के साथ रेप किया ! और मरने के लिए सड़क पर फेंक दिया !
मेरी मां के दिलो दिमाग पर इस हादसे का बहुत गहरा आघात लगा और वो पागल हो गई !मुझे मेरे एक अंकल ने पाल पोस कर बड़ा किया और पढ़ाया लिखाया !
कीर्ति की बातें सुनकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई !
"उस दरिंदे को जेल नहीं हुई ? मैने कीर्ति को चुप कराते हुए पूछा !
कीर्ति " अंकल ही बताते है कि वो एकदम से गायब हो गया ! कोई नहीं जानता कि वो कहां है !
मै कीर्ति की बातें सुनकर बहुत दुखी हो गया कि कीर्ति अपनी जिंदगी में कितनी परेशान है !
" तुम मां से मिलने जाती हो ? मैने पूछा !
कीर्ति " हा ! अंकल के साथ , लेकिन हमारे जाते ही वो जोर जोर से चिल्लाने लग जाती है जैसे कुछ कहना चाहती हो फिर उनको दौरे पडने लग जाते है तो वहां के डाक्टर कहते है कि इनके सामने अभी आप मत आइए नही तो ठीक होने की बजाय इनकी मौत भी हो सकती है !
कीर्ति फिर रोने लगी !
वो रोते हुए बोली " कितनी बदकिस्मत हू मै जो कि अपनी मां के होते हुए भी उनसे मिल नहीं सकती !
मै समझ नही पा रहा था कि कीर्ति की मदद किस तरीके से करु , क्या करु ऐसा जिससे उसकी जिंदगी में सब सही हो जाए ! फिर मैंने कीर्ति का मुंह उपर उठाते हुए कहा " हम कल तुम्हारी मां से मिलने जायेंगे !
कीर्ति " कल !! लेकिन डाक्टर ने मना किया है उनसे मिलने को ! वो हमे देखते ही आपे से बाहर हो जाती है !
"कोई बात नहीं !! कोशिश करेगे कि हम उनके सामने ना जाये हम दूर से उनको देख लेगे कम से कम तुमको अपनी मां को देख कर अच्छा तो लगेगा !
कीर्ति ने खुश होकर हा में सर हिला दिया !
दुसरे दिन सुबह ही हम अस्पताल पहुंच गए ! हमने डाक्टर से मिलने के लिए रिसेप्शन पर अपोइंटमेंट ली और डाक्टर से मिलने अंदर चले गए !
लेकिन डाक्टर ने मिलने से साफ मना कर दिया और बोला "For the patient's safety, I cannot allow that."
मै डाक्टर से बोला " देखिए सर एक बेटी की तरफ से रिक्वेस्ट है हम सामने नहीं जायेंगे बस दूर से ही देख लेगे !
डाक्टर मेरी बात सुनकर मान गया और हमे अंदर जाने की परमिशन दे दी !
डाक्टर के कमरे से बाहर निकल कर एक लौबी से होते हुए हम उस तरफ जा रहे थे जहां पेशंट को रखते है !
कीर्ति चलते हुए मेरी ओर देख कर मुझे थैंक्स बोली " तुम इतना कर रहे हो मेरे लिए ,मै बहुत खुश हूं !
मैने मुस्कुरा कर जवाब दिया " तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी है !
हम दोनों उस वार्ड के पास पहुंच गए जहां कीर्ति की मां थी ! केयरटेकर हमे वहां छोड कर आगे बढ गया !
हम दीवार के साथ खडे हो गए ! दीवार के साथ लोहे की पतली सलाखों वाला गेट था हमने थोडा मुंह घुमा कर देखा तो कीर्ति की मां खुद से ही बाते कर रही थी उनका मुंह दीवार की तरफ था हमारी तरफ उनकी पीठ थी ! हम आराम से खडे होकर उनको देख रहे थे !
तभी अचानक मां ने गर्दन हमारी तरफ घुमाई और हमे देखा ! कीर्ति डर कर दीवार के पीछे हो गई मै भी उसके पीछे हो गया। !
हमें लगा कि मां ने हमें देख लिया है अब कही फिर से दौरा ना पड जाए मां को !
लेकिन मा तो शांती से सलाख़ों के पास खडी होकर अपने हाथ बाहर निकाल कर आसपास देखने लगी !
हमें बहुत हैरानी हुई ! तभी मैंने कीर्ति को इशारा किया कि तुम सामने जाओ मां के ! कीर्ति डरते हुए मां के सामने खडी हो गई ! मां तो कीर्ति को देखकर खुश हो गई और कीर्ति के सर पर हाथ रख कर बोली " तू आ गई बेटी ! तू आ गई बेटी !
वो बार बार एक ही लाइन दोहराने लगी !कीर्ति भी खुशी से मां के हाथ पकड़ कर बोली " हां मां मै आ गई !
मां बहुत ही शान्ति से कीर्ति के सर पर हाथ फेरते हुए वही बात दोहराती रही !
तभी डाक्टर और नर्स आ गई और हैरानी से मां को देखकर डाक्टर हैरानी से बोला " ये तो करिश्मा हो गया कि आपकी मां इतनी शांति से बात कर रही है मतलब वो अपनी बेटी को पहचानती है ! ये तो इनके ठीक होने का पहला कदम है !
कीर्ति बहुत खुश और हैरान होकर बोली " हा डाक्टर साहब ! मै तो जब भी अंकल के साथ आई हूं तब तब मां हमें देखकर चिल्लाने लग जाती थी और कुछ कहने की कोशिश करते हुए हाथ हिला हिला कर इशारे करने लग जाती थी फिर बेहोश हो जाती थी ! लेकिन आज तो इसका उल्टा हुआ !
डाक्टर " हा हैरानी तो मुझे भी है लेकिन हमारे लिए अच्छी बात है कि हमें इनके ठीक होने के चांसेज नजर आये !
हम मिलने का समय खत्म होने के बाद डाक्टर से बात करके घर आ गये ! डाक्टर ने कह दिया कि आप रोज आइए अपनी मां से मिलने ,इससे इनके ठीक होने के चांसेज बढ जायेगे !
मैने कीर्ति को घर छोडा और अपने घर के लिए निकलने लगा तभी कीर्ति मुझसे लिपट गई और बोली " आई लव यू युवराज !!!!मै उसके मुंह से ये शब्द सुनकर इतना खुश हुआ कि मैने उसे कस कर अपनी बाहों में भर लिया और उसका जवाब देते हुए कहा " आई लव यू टू !! हम बहुत देर तक यू ही लिपटे रहे ! मुझे तो जैसे मेरी फैमिली मिल गई थी !
तभी कीर्ति मेरे गले लगी लगी बोली " युवराज ! मां भी जल्दी ठीक हो जायेगी ना अब ! फिर हम उसे घर ले आयेंगे !मैने कीर्ति के माथे को चूमते हुए जवाब दिया " हा मेरी जान !! मा जल्दी अच्छी हो जायेगी अब मां के आते ही हम अपनी नई दुनिया बसाएंगे !
कीर्ति बहुत ही खुश थी ! मै कुछ देर के बाद कीर्ति से बाते करके अपने घर लौट आया !
दुसरे दिन मुझे गैराज में बहुत काम था तो मै कीर्ति से मिलने नही जा पाया लेकिन फोन पर हमने बहुत देर बात की !
तीसरे दिन सुबह ही मैने सोचा कि गैराज जाने से पहले कीर्ति से मिलता हुआ जाऊंगा ! मै सीधा कीर्ति के घर गया ! बाहर का गेट खुला ही था ! मै अंदर चला गया , अभी में दरवाजे के पास ही था तो मुझे कुछ आवाजें आई ! कीर्ति से कोई बात कर रहा था ! वो भारी सी आवाज किसी आदमी की थी ! मै वही रुक गया !
वो आदमी कीर्ति को कह रहा था " क्या जरूरत थी मुझसे पूछे बिना अस्पताल जाने की ? और अगर तुम्हारी मां को फिर दौरा पड जाता तो उसकी जान भी जा सकती थी , यही कहा था ना उस दिन डाक्टर ने ! और फिर किसी अजनबी को लेकर चली गई साथ ! ऐसे ही हर किसी ऐरे गैरे पर भरोसा नहीं कर लेते !
तभी कीर्ति की आवाज आई " नही अंकल ! पहली बात वो अब अजनबी नही है हम एक दूसरे को पसंद करते है वो बहुत अच्छा लड़का है और दुसरी बात कि मां मुझे देख कर बहुत खुश हुई ! और मुझे पहचान भी गई ! और डाक्टर कह रहे थे कि मां ठीक हो सकती है !
कीर्ति खुशी से बता रही थी शायद ये उसके वही अंकल थे जिनके बारे में कीर्ति ने मुझे बताया था !
" ये तो खुशी की बात है अच्छा है अगर तुम्हारी मां ठीक होकर घर आ जाये ! उसके अंकल बोले !
मै बाहर ही खड़ा था ! तभी अंकल चलने को हुए तो मै कमरे के अंदर दाखिल हुआ !
कीर्ति ने मुझे अंकल से मिलवाया और मेरे बारे में बताने लगी !
अंकल मेरी तरफ देखकर बोले '" तुम कीर्ति का ख्याल रख रहे हो बहुत खुशी है मुझे ! वो मेरे कन्धे को थपथपाते हुए बाहर निकल गये !
कीर्ति " तुम कब आये ?
"जब तुम्हारे अंकल मेरे बारे में बोल कर तुमको समझा रहे थे ! मैने मुस्कुराते हुए कहा !
कीर्ति " अरे नहीं ! अंकल तुम्हे जानते नहीं थे ना और फिर मेरा बहुत ख्याल रखते है अपनी बेटी की तरह , इसलिए समझा रहे थे लेकिन जब मैंने तुम्हारे बारे में बताया तो खुश हो गये !
मैने खुशी से कीर्ति को अपनी बाहों में भर लिया !
हम ऐसे ही रोज मां से मिलने जाने लगे ! मां हमें पहचानने लग गई थी और कुछ कुछ बाते साफ भी करती थी लेकिन टूटे फ़ूटे शब्दों में ! कुछ बातें हमें समझ आती कुछ नहीं ! लेकिन मां हमें कुछ कहने की कोशिश करती थी लेकिन वो शब्द उनके मुंह पर साफ नहीं आ पाते थे !
लेकिन डाक्टर रोज की प्रोग्रेस देखकर कह रहा था कि इस तरह से रहा तो ये कुछ ही दिनों में ही नोर्मल हो जायेगी !
एक हफ्ते बाद... मै गैराज पर था ! कुछ काम ज्यादा आ गया था ! तो मैं कीर्ति के साथ अस्पताल नही जा पाया वो दो दिन से वो अकेली ही मां से मिलने जा रही थी और वैसे भी अब मां ठीक हो रही थी तो कीर्ति से थोडी बहुत बात करने की कोशिश भी करती थी तो कीर्ति ने मुझे खुद कहा था कि तुम अपना काम भी देखो मैं अकेली भी जा सकती हू अब !
मुझे भी तसल्ली थी कि कीर्ति मां के पास जितना ज्यादा वक्त गुजारे उतनी जल्दी मां ठीक हो जायेगी !
कुछ दिन यू ही चलता रहा ! मै शाम को गैराज से लौटते वक्त कीर्ति से मिलते हुए आता और मां के बारे में पूछ भी लेता ! कीर्ति बहुत खुश होकर मां की बातें बताती थी !फिर एक दिन शाम को जब मै गैराज बद कर रहा था तो मुझे अस्पताल से फोन आया ! मैने फोन उठाया तो उधर से डाक्टर की आवाज थी कि आप कीर्ति को लेकर जल्दी अस्पताल पहुंचिए !
मेरे पूछने पर भी कि क्या हुआ उन्होंने बस आने के लिए ही बोला !
मै कीर्ति को फोन करने लग गया , लेकिन कीर्ति का फोन लग ही नहीं रहा था ! मै बहुत हैरान हुआ कि कीर्ति तो कभी भी अपना फोन बद नही करती ! मैने दो तीन बार ट्राई किया लेकिन फोन रेंज से बाहर आ रहा था !मै थोड़ा परेशान तो हुआ लेकिन अस्पताल की तरफ बाईक लेकर निकल गया !
मै अस्पताल पहुंच कर सीधा डाक्टर के कमरे की तरफ गया ! डाक्टर मेरा ही इन्तजार कर रहा था ! मेरे जाते ही वो कुर्सी से उठा और मुझे अपने पीछे आने का इशारा करके आगे आगे चल पडा !
मै समझ नही पा रहा था कि डाक्टर आखिर मुझे ले कहां जा रहा है ! क्योंकि मां का वार्ड तो दुसरो तरफ था और ये अस्पताल का पिछला हिस्सा था !
फिर डाक्टर एक बडे से हाल कमरे के अंदर चला गया , मै भी उसके पीछे पीछे ही था मैंने अंदर जाकर देखा कि वो तो मोर्ग था वहां जाकर डाक्टर एक डेडबोडी से सफेद चादर हटाने लगा !
जब मैंने उस डेडबोडी का चेहरा देखा तो मै सर से पांव तक हिल गया क्योंकि वो डेडबोडी कीर्ति की मां की थी !
मेरा एकदम से दिल उचाट हुआ और मै बाहर भागा और मैने बाहर लौबी के साथ घास पर उल्टी कर दी !
मै वही जमीन पर बैठ गया ! तभी डाक्टर ने आकर मेरी पीठ पर हाथ रखा और बोला " मि. युवराज !! हौसला रखिए ! आपको कीर्ति को भी संभालना है !
मैने उठ कर डाक्टर से पूछा " लेकिन डाक्टर साहब आखिर हुआ क्या मा को ? अब तो वो ठीक हो रही थी ! कीर्ति से बाते भी करती थी और उनको अब दौरा भी नही पडा था !
डाक्टर " हां आप सही कह रहे है लेकिन कल शाम को भी कीर्ति हमेशा की तरह इनसे मिल कर बातें करके गई , बल्कि स्टाफ कह रहा था कि मां जी बिल्कुल अच्छे तरह से नोर्मल तरीके से बात कर रही थी ! लेकिन कीर्ति के जाने के बाद एक आदमी आया था उनसे मिलने ! मिलने का समय खत्म ह़ो गया था लेकिन उसकी रिक्वेस्ट पर हमने मिलने दिया !
वो कुछ देर बात करता रहा , फिर अचानक कीर्ति की मां को अटैक आ गया वो पहले की तरह चिल्लाने लगी और अपना सर दिवार पर पटकने लगी !
यहां के केयरटेकर ने जल्दी से उनको रोकने की कोशिश की लेकिन वो काबू से बाहर थी ! जब हम उनको इमरजेंसी रुम में लकर गये तब तक वो बेहोश हो गई थी ! पूरा चेकअप करने के बाद मुझे मालूम हुआ कि उनको अचानक दौरा पडने से उनके दिमाग की नसे फट गई थी जिनसे उनकी मौत हो गई ! आई एम सॉरी मि. युवराज !डाक्टर बोल कर कमरे से बाहर चला गया और मुझे कुछ फोरमैल्टीज पूरी करने के लिए कीर्ति को लाने को कहा !
मै तो सुन्न ही पड गया और वही बैंच पर बैठ कर सोचने लगा कि मै कीर्ति को कैसे बताऊं गा ? कैसे लाउंगा यहां ?
मेरा दिमाग काम करना बंद कर चुका था ! मै हिम्मत करके वहां से तेजी से निकला और बाईक उठा कर कीर्ति के घर की तरफ निकल पडा !
कुछ देर में मै कीर्ति के घर के आगे था लेकिन घर के बाहर तो ताला लगा हुआ था ! मै बहुत गहरी सोच में पड गया और कीर्ति को फोन करने लग गया ! लेकिन फोन अभी भी रेंज से बाहर ही आ रहा था !मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था क्योंकि कीर्ति ऐसे बिना बताए कही जाती ही नही थी जब से मुझे मिली थी !
मेरे दिमाग में कुछ और ही चलने लगा कि उधर मां से मिलने भी कोई आया ! कौन था वो ? ऐसी क्या बात की उसने मां से कि मां को दौरा पड गया ! और अब कीर्ति गायब है !
तभी कीर्ति के अंकल भी आ गये उनको भी अस्पताल से फोन गया था तो उन्होंने बताया कि वो वहां से होकर आ रहे है और कीर्ति का फोन ना मिलने की वजह से उसे लेने आये है !
मै उनको देखते ही बोला " लेकिन अंकल कीर्ति है कहां ? मै सुबह से उसको फोन कर रहा हू उसका फोन ही नही लग रहा और घर पर भी ताला ? आपको बता कर गई !
अंकल " नही ...!! मै तो कल से ही शहर से बाहर था अस्पताल से फोन आने पर सीधा वही पहुंचा !
मै तो बहुत परेशान हो गया क्योंकि अस्पताल से बार बार फोन आ रहा था कि कीर्ति को लाने के लिए लेकिन कीर्ति का कोई अता-पता ही नहीं था !
रात हो गई ,हमने। हर जगह कीर्ति को ढूढ लिया लेकिन कीर्ति का कुछ पता नही चला फिर हार कर हम पुलिस थाने की तरफ चल पड़े ! हमारे पास अब कोई चारा नहीं था !
थाने पहुंच कर इंस्पेक्टर को सारी बात बताई और कीर्ति का फोटो दिखाकर जो कि मेरे फोन में थे उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखा कर हम वहां से निकल गये !
दुसरा दिन भी चढ गया लेकिन कीर्ति का कोई पता नहीं चला ! मेरा दिल अंदर से रो रहा था मेरी दुनिया बसने से पहले ही उजड़ती दिखाई दे रही थी !
अस्पताल से भी फोन आ रहे थे कि सारी फोरमैल्टीज करके डेडबोडी को ले जाने की ! मैने डाक्टर से कीर्ति के बारे में बताकर थोडा इंतजार करने को कहा !
शाम हो गई थी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करु क्या ना करु ?
तभी थाने से इंस्पेक्टर का फोन आया और थाने आने को कहा !
मै और कीर्ति के अंकल बाईक पर थाने की तरफ चल पड़े ! थाने पहुंच कर इंस्पेक्टर ने हमे बताया कि एक डेडबोडी मिली है शहर से कुछ दूर ! बहुत बुरी हालत में थी डेडबोडी ! उसके शरीर पर बहुत ज़ख्म थे जैसे मरने से पहले उसकी किसी से हाथापाई हुई हो ! बाकी पता तो पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने पर ही लगेगा ! आप बोडी की शिनाख्त कर लो !
मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लग गया जब इंस्पेक्टर हमें बोडी वाले कमरे में लेकर गया !
मैने धीरे से बोडी के उपर से कपडा हटाया और बोड़ी का चेहरा देखकर फिर मेरा दिल उचाट हुआ और मैने अपने आप को बहुत मजबूत किया और इंस्पेक्टर की तरफ हां का इशारा किया कि ये कीर्ति ही है !
मै बाहर आकर फूट फूट कर रोने लग गया मेरी सब खुशियां खत्म हो गई थी !
मै और अंकल ने कीर्ति की और मां की सारी फोरमैल्टीज पूरी करके उनका अंतिम संस्कार कर दिया !
मेरे लिए तो सब खत्म हो गया था बस एक जिंदा लाश सा रह गया था मै ! मै भगवान से ये पूछने लगा कि जब मै अकेला ही था तो फैमिली दी ही क्यों ? जब मेरी किस्मत में अकेले जीना ही लिखा है तो सपने दिखाए ही क्यो ? जब पूरे ही नही होने थे !
तभी मेरे दिमाग में एक बात आई जो मै परेशानी में इग्नोर कर गया था !
मै बाइक उठा कर अस्पताल की तरफ चल पडा ! अस्पताल पहुंच कर मै सीधा डाक्टर के कमरे की तरफ गया और डाक्टर से एक ही सवाल किया " डाक्टर साहब !! क्या आप बता सकते है कि उस दिन कीर्ति की मां से यहां मिलने कौन आया था उसने अपना कुछ नाम पता अपनी पहचान तो बताई होगी ?
डाक्टर " हां बता सकता हूं थोड़ा इंतजार करो ! डाक्टर ने केयरटेकर को बुला कर रिसेप्शन से एक फाइल मंगाई !
फ़ाइल आने के बाद वो कुछ पन्ने पलटने के बाद बोला " मिलने का समय तो उस दिन खत्म हो गया था ! हमने तो मिलने से साफ मना कर दिया था लेकिन उनकी बहुत रिक्वेस्ट पर हमने मिलने दिया !
" कैसी रिक्वेस्ट ? डाक्टर साहब ! मैने सवाल किया !
डाक्टर " हां ! रिक्वेस्ट पर ! उन्होंने बोला कि वो उनके पति है ! वो बहुत सालो बाद इनको ढूढते हुए यहां पहुंचे है ! वो उनसे कुछ हालात खराब होने की वजह से विछड गए थे ! तो हमने उनको मिलने दिया !
मैने हैरानी से डाक्टर से सवाल किया" अरे डाक्टर साहब ! कीर्ति के पापा तो 12 साल पहले मर चुके है तो ये कैसे कीर्ति के पापा हो सकते है ?
डाक्टर " अब देखिए मि. युवराज !! इसके बारे में हमारे पास तो कोई रिकोर्ड है नही ! हम इसके बारे में क्या कह सकते है ! उनके पास कीर्ति की मां की और कीर्ति के बचपन की फोटो भी थी तभी हमने यकीन किया !
"उनका नाम क्या था डाक्टर साहब ? मैने तीखी नजरों से सवाल किया !
डाक्टर " विक्रम राना !---------------------
सिया एक टक युवराज की सारी कहानी सुन रही थी ! विक्रम राना का नाम सुनते ही चौक गई और बोली " क्या ????????? मेरे पापा !!!!
युवराज की आंखों में पानी था लेकिन साथ साथ गुस्सा भी , वो सिया की तरफ देखकर बोला " हां !!! विक्रम राना !! मै भी उस दिन ऐसे ही चौंका था !
सिया " तो क्या मेरे पापा की एक और शादी थी ? कीर्ति मेरी बहन थी ? ऐसा कैसे हो सकता है ?
लेकिन कीर्ति ने तो तुमको बताया था कि उसके पापा 12 साल पहले मर चुके है और उनकी मां का रेप हुआ था !
युवराज " हा यही सारे सवाल उस वक्त मेरे दिमाग में भी आये ! लेकिन मुझे दुसरे दिन सब सवालों के जवाब मिल गये और तब से मै विक्रम राना के खून का प्यासा हूं !
सिया " कौन से जवाब ?
युवराज " बताता हूं !!
सिया तो जैसे पत्थर बन गई थी उसे तो समझ ही नही आ रहा था कि क्या बोले और क्या ना बोले !
_______________________________Author's note
मेरी लिखी कहानी को दिल से पढ़ने वालों से मेरी विनती है 🙏 कि अगर मेरी इस कहानी नई सड़क पार्ट - 2 को अच्छे से समझना चाहते है तो आपको नई सड़क पार्ट-1 पढना पडेगा ! तभी पूरी कहानी समझ आयेगी 💐😊
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