युवराज कार ड्राइव कर रहा था और सिया उसके साथ वाली सीट पर उसके कन्धे पर सर रख कर शान्त गहरी सोच में डूबी हुई बैठी थी !!!
वो ड्राइव करते हुए बहुत दूर निकल आये थे !!युवराज ने सिया की तरफ हल्का सा देख कर उसकी चुप्पी तोडी और बोला " जब से वहां से चले है हम तुम, एक शब्द नहीं बोली हो मेरी जान, क्या सोच रही हो ??
युवराज की आवाज सुन कर सिया अपनी सोच से बाहर आई और आसपास देखते हुए बोली" हम कहां जा रहै है युवराज ???
युवराज " आज मैं तुमको अपने घर लेकर जा रहा हूं जहां मैं रहता हूं और पहली बार कीर्ति को भी लेकर गया था लेकिन कीर्ति के जाने के बाद मैं वहां कभी नहीं गया ,अब तुम्हारे साथ जा रहा हूं !!!
सिया युवराज की तरफ प्यार से देखते हुए बोली" अच्छा !!!
युवराज " तुम खुश तो हो ना मेरे साथ मेरे घर चल कर ???
सिया " हां खुश हूं !!! तुमने ये सवाल क्यूं पूछा ???
युवराज" घर पहुंच कर बताऊंगा कि मैंने ये सवाल क्यूं पूछा !!!
घर पहुंचते पहुंचते शाम हो गई थी !! युवराज ने कार को घर के साइड में खाली जगह पर लगा दिया और अपने घर का ताला खोलने लग गया !!
सिया और युवराज घर के अंदर दाखिल हुए तो सारा घर धूल मिट्टी से भरा हुआ था !! एक बड़ा सा कमरा साथ में किचन ,एक साइड में वाशरुम था !!
युवराज एक पुराना कपड़ा लेकर कुर्सी साफ करने लग गया और सिया की तरफ देखकर बोला " बहुत समय से घर बंद पड़ा था ना इसलिए धूल मिट्टी हो रही है ! तुम बैठो मैं धीरे धीरे सब साफ़ कर दूंगा !!
सिया" नहीं !!! हम दोनों मिलकर साफ कर लेंगे , पहले बिस्तर साफ करके तुम भी आराम करो तुम्हारे पैरों और कुहनियो पर ज़ख्म है !!
सिया पूरा घर साफ करने लग गई, कुछ देर में घर साफ करके सिया युवराज के पास बैठ गई और उसके जख्मों पर दवाई लगाने लग गई!!!
युवराज सिया को गौर से देख रहा था सिया के होंठों पर तो मुस्कुराहट थी लेकिन उसकी आंखों में उदासी थी जो लाख छुपाने पर भी सिया युवराज से छिपा नहीं पा रही थी !!!!
युवराज " ये दवाई तुमको कहां से मिल गई ???
सिया" घर साफ कर रही थी तो अलमारी में ये ज़ख्म पर लगाने वाली दवाई पड़ी थी !!!
युवराज " एक बात पूछूं ???
सिया" हां पूछो!!!!
युवराज "" तुम मेरे साथ आकर खुश नहीं हो ना ???
सिया " ऐसा क्यों कह रहे हो ?? तुमसे प्यार करती हूं तुम्हारी फ़िक्र है इसलिए आई तुम्हारे साथ !! और फिर अब जाउंगी भी कहां मैं ????
युवराज " जाउंगी भी कहां से मतलब ?????
युवराज थोड़ा नाराज़ होकर बिस्तर से उठ गया और दीवार की तरफ मुंह करके खड़ा हो गया!!!
सिया उसके पीछे खड़ी होकर बोली " अब क्या हो गया तुमको युवराज ????
युवराज" मुझे क्या होगा ??
सिया " मेरा मतलब , जाउंगी कहां से ,ये था कि पापा का घर छोड़ कर अब तुम्हारे इलावा है ही कौन मेरा ??
युवराज " सिया!! अगर तुम ज़बरदस्ती आई हो तो वापस जा सकती हो !! मैं रोकूंगा नहीं !!!
सिया गुस्से से युवराज के सामने आकर खड़ी हो गई और बोली" मतलब क्या है तुम्हारा युवराज...??
युवराज " मतलब यही कि मुझे तुम्हारी आंखों में उदासी दिखती है !!
सिया" उदासी तो होगी ही ना युवराज!! मैं इंसान हूं फीलिंग्स है मेरे अंदर !! इतना सब कुछ हो गया लाइफ में ,तो उदास तो होउंगी ही ना !!
युवराज सिया को दोनों बांहों से पकड़ कर बिस्तर पर बिठाते हुए बोला " जान मैं समझता हूं सारी बातें,बस मुझे ये लगता है कि तुम कहीं मेरे साथ इसलिए तो नहीं आईं कि मैं तुम्हारे बाप को कोई नुक्सान ना पहुंचा दूं !!
सिया" नहीं युवराज!! ऐसा कुछ भी नहीं है !! बस उदास इसलिए हूं क्योंकि चीजें जिस तरह से मैं चाहती थी उस तरह से नहीं हुई!! पापा गुनाहगार ही ना होते!!
युवराज " गुनाहगार तो वो है ये तो उसने अब तुम्हारे सामने कुबूल किया !!
सिया" पता नहीं युवराज , फिर भी मेरा दिल मान ही नहीं रहा कि वो गुनाहगार है क्योंकि वो मुंह से तो हां कह रहे थे क्योंकि मैंने उनसे सिर्फ हां या ना कहने को ही कहा था लेकिन उनकी आंखों में दर्द था जो उनकी हां से अलग था !! ऐसा लग रहा था कि वो मुझसे बहुत कुछ कहना चाहते थे लेकिन कह नहीं पाये क्योंकि मैंने उनको बहुत बुरा भला कह दिया!!
सिया बोलते बोलते रोने लगी !!
युवराज ने उसे अपने गले से लगा लिया और बोला " ये तुम्हारे जैसी अच्छी बेटी ही सोच सकती है ऐसा क्योंकि तुम अपने बाप से बहुत प्यार करती हो लेकिन सिया वो इंसान झूठा है ,उसने कीर्ति की मां का रेप किया और मार डाला फिर कीर्ति को भी मार डाला ,बचपन में कीर्ति के पिता को मार डाला!! ऐसा इंसान सही कैसे हो सकता है उसे तो जेल में होना चाहिए था !!
सिया " पता नहीं युवराज मेरा दिल मानने को तैयार ही नहीं कि मेरे पापा किसी को मार भी सकते हैं!!!
युवराज" तुम एक बार दिलावर सिंह से मिलो !!!! उसने तुम्हारे बाप को बचपन से पाल पोस कर बड़ा किया फिर अपना कारोबार सिखाया लेकिन जब विक्रम राना सारा बिजनेस सीख गया तो दिलावर सिंह को एक किनारे करके खुद मालिक बन कर वहां से फरार हो गया!!!
सिया के पास युवराज की बात सुनकर चुप्पी के इलावा कुछ नहीं था !!
युवराज " जानता हूं तुमको इस सच्चाई को स्वीकार करने में वक्त लगेगा लेकिन सिया सच यही है !! मैं तो इस इंसान को जिंदा नहीं छोड़ना चाहता था लेकिन तुमसे दूर होकर वो जो तिल तिल मरेगा वही सजा सही है उसके लिए!!
सिया जड़ बन कर बिस्तर पर बैठी बस शून्य में ही देखती रही!!!
युवराज उसको उदास देखकर उसके घुटनों के पास जमीन पर बैठ गया और प्यार से बोला " क्या ऐसा करु मैं कि तुम्हारी उदासी दूर हो जाए ?
सिया" कुछ करने की जरूरत नहीं बस तुम रेस्ट करो !!!
युवराज " रेस्ट कैसे कर लूं ???? मेरी जान यहां उदास बैठी है , मुर्गा बन कर यहां डांस भी कर सकता हूं तुमको हंसाने के लिए, लेकिन तुम्हारे बाप ने मेरीहड़िया तक तोड़ रखी है !!!
सिया युवराज की बात सुनकर अपनी मुस्कुराहट रोक नहीं पाई और बोली" क्या बोले जा रहे हो तुम !!!!! हद है !!
युवराज " और क्या !! सही तो बोल रहा हूं , इतना मारा है तुम्हारे बाप ने और उसके आदमियों ने कि एक एक हड्डी दुख रही है !! और सही भी है मैंने उसके महल से उसकी प्रिसिन्ज को जो उससे छीन लिया है !!
युवराज सिया को हंसाने के लिए थोड़ा मज़ाक के मूड़ में बोला ! सिया भी उसकी बातें सुनकर थोड़ा मुस्कुरा दी थी और बोली" तुम बिल्कुल पागल हो ना ....
युवराज ज़मीन से उठ कर बिस्तर पर सिया के पास बैठता हुआ बोला" हां पागल हूं मैं !!! लेकिन सिर्फ तुम्हारे प्यार में !!!
युवराज प्यार से सिया की आंखों में गौर से देखता हुआ बोला और थोड़ा करीब होकर सिया के होंठों को चूमने के लिए उसकी तरफ झुका!!
तभी सिया ने शरमा कर युवराज को उसके दोनों कन्धों से पकड़ कर पीछे किया और प्यार से बोली" अच्छा बहुत हुआ मज़ाक, अब रेस्ट करो , तुम्हारे हाथों पर भी ज़ख्म है !!
युवराज ने सिया को अपनी दोनों बांहों से पकड़ कर बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर झुक कर बिल्कुल उसके चेहरे के करीब होकर बोला" जितने भी ज़ख्म हो मेरे शरीर में फिर भी तुमको प्यार करने की ताकत बहुत है मेरे अंदर!!
सिया युवराज की गर्म सांसों को फील करते हुए उसकी बात सुनकर शर्मा गई और मुंह दुसरी तरफ कर लिया, लेकिन सिया की धड़कनें बहुत तेज़ हो गई थी !!
तभी युवराज ने अपने हाथ से उसका मुंह अपनी ओर करके अपने होंठो से सिया के होंठों को अपने मुंह में ले लिया और एक बहुत ही मादकता भरा चुम्बन जड़ दिया!!
सिया की धड़कनें बेकाबू हो रही थी उसने अपने दोनों हाथ युवराज की पीठ पर फैला दिए और उसे अपने सीने से लगा लिया,
दोनों एक दूसरे की आगोश में होकर बेतहाशा एक दुसरे के होंठों को चूमते रहे, इससे पहले दोनों प्यार में अपनी हदें पार कर देते, युवराज एकदम से उठकर बैठ गया और अपनी शर्ट नीचे करके पास पड़े जग से पानी गिलास में डाल कर पीने लगा !!!
सिया बिस्तर पर लेटी समझ गई थी कि युवराज शादी से पहले उससे कोई भी सम्बंध नहीं बनायेगा,वो सोच रही थी कि युवराज कितना अलग है आजकल के दुसरे लड़कों से !!!! वो खुद को किस्मतवाली समझ रही थी कि उसे युवराज मिला!!!
वो बिस्तर से उठ कर युवराज की पीठ से चिपक कर खड़ी हो गई और अपना सर युवराज की पीठ पर रखते हुए बोली " हम शादी कब करेंगे युवराज ???
युवराज उसकी दोनों बांहों को पकड़ कर चूमता हुआ बोला जो युवराज के सीने पर थी "" अब हम जल्दी शादी ही करेंगे, क्योंकि तुम्हारे बाप पर मेरा दुसरा वार हमारी शादी ही होगा !!
सिया एकदम से बोली "" इसका क्या मतलब युवराज ??? तुम मुझसे शादी सिर्फ मेरे पापा को दिखाने के लिए करोगे ?????
युवराज सिया की तरफ घूमता हुआ बोला " तुम हमेशा मेरी बात को ग़लत समझ लेती हो और फिर नाराज़ हो जाती हो !! सुनो !!!! मेरा मतलब यह है कि तुमने ही तो कहा था कि मेरे पापा को मारना मत अगर वो ग़लत हुए तो मैं खुद उनका घर छोड़ दूंगी, याद है ये बात कि नहीं ??
सिया " हां !! याद है !! अगर वो ग़लत हुए तो मैं ही उनके साथ नहीं रहूंगी यही सजा उनके लिए बहुत बड़ी है !!
युवराज" तो बस !! यही बात से मैंने कहा कि अब उसके कर्मों की सजा मैं उसको और क्या दूं ? उसकी जान से प्यारी बेटी की नफरत और उसके दुश्मन के साथ प्यार ही उसकी सजा है वो घुट घुट कर खुद ही मर जायेगा !!
सिया को अपने पापा के लिए ऐसा सुनना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि वो अभी भी अपने पापा से बहुत प्यार करती थी लेकिन उसके पापा ग़लत है इसलिए वो अब उनका साथ नहीं देना चाहती थी ,बस इसी उधेड़बुन में वो रो पड़ी !!!
युवराज उसके आंसू साफ़ करता हुआ उसे अपने सीने से लगाते हुए बोला " बस सिया अब बस!! उस इंसान के लिए हर वक्त रोना बंद करो जो तुम्हारे प्यार के काबिल भी नहीं है ऐसा बाप कभी भी बाप नहीं होता बस दिखावा होता है !!!
सिया बहुत देर तक युवराज के सीने से लग कर सुबकती रही ! उसे युवराज की बातें समझ तो आ रही थी लेकिन उसका दिल में समझने को तैयार ही नहीं हो रहा था कि उसके पापा ग़लत है क्योंकि उसने अपने पापा के साथ एक एक पल जीया है उसने अपने पापा को आजतक जो भी करते देखा सिर्फ उसकी खुशी के लिए ही करते देखा, यहां तक कि वो मां को भी ज्यादा समय नहीं देते थे जब भी घर आते थे बस अपनी बेटी के लिए ही वक्त होता था उनके पास , मां इसी वजह से उन्हें नाराज़ और दुखी रहती थी,यही सोच कर सिया का दिल ही नहीं मान रहा था कि उसके पापा किसी औरत का रेप करें और उसको मार डाले !!!!
सिया के दिमाग में यही सोच बार बार आकर उसे बेचैन कर रही थी !!!
तभी युवराज ने उसकी चुप्पी तोडी और बोला " मैं तुम्हारी परेशानी समझ सकता हूं तो चलो एक काम करते हैं तुम दिलावर सिंह और बिलाल से मिलो, दिलावर सिंह ने तो तुम्हारे बाप को पाल पोस कर बड़ा किया वो उसकी हर छोटी बड़ी बात जानता है उससे मिल कर तुम्हें यकीन हो जायेगा कि तुम्हारा बाप ग़लत है !!!
सिया भी चाहती थी कि वो दिलावर सिंह से मिले , युवराज की बात सुनकर उसने हां में सर हिला दिया !!!
युवराज" ठीक है मैं दिलावर सिंह से फोन पर बात कर लेता हूं कि वो अब मिलेगा !!! युवराज ने दिलावर सिंह को फोन मिला दिया "" हैलो!!!!!
फोन के दुसरी तरफ से आवाज आई " हैलो!!!
युवराज" मैं आना चाहता हूं आपके पास !! सिया को आपसे कुछ सवालों के जवाब जानने है !!!
फोन से"" हां ,जब मर्जी आ जाओ,मैं गाड़ी भिजवा देता हूं !!
युवराज " नहीं, इसकी जरूरत नहीं ,मेरे पास कार है !!!
फोन से" उस कार में आना भी मत , क्योंकि उस कार में विक्रम राना ने ट्रेकर लगा रखा है उसे तुम्हारे पल पल की खबर है इसलिए मैं गाड़ी भिजवाता हूं तब आना !!
युवराज ने ओके बोल कर फोन काट दिया !!!
युवराज सिया को बिस्तर पर बिठाया हुआ बोला " बस अभी दिलावर सिंह कार भिजवा देगा तब हम निकले गे यहां से , उससे जो भी जानना हो जान लेना, तुम्हारे बाप के सारे काले चिट्ठों की किताब है उसके पास!!
रात भी होने वाली थी सिया और युवराज ने हल्का फुल्का बना कर खा लिया था दोनों इंतजार कर रहे थे दिलावर सिंह की गाड़ी आने का !!
तभी युवराज का फोन बजा, युवराज ने नम्बर देखा कर फोन कान को लगा लिया ' हां!!!!
फोन से"" घर से निकल कर पहले दाई तरफ चलना फिर दस कदम चल कर बाई तरफ दस कदम चल कर एक काली कार खड़ी है उसमें बैठ जाना!!
सिया युवराज के फोन रखते ही बोली " क्या हुआ ???
युवराज" कुछ नहीं , विक्रम राना ने अपने आदमी लगा रखे हैं मेरे पीछे, इसलिए हमें थोड़ा उनको चकमा देकर निकलना है ! चलो !!!!
सिया युवराज के साथ घर से बाहर निकल आई, दिलावर सिंह के बताए अनुसार वो लोग एक काली कार में बैठ गये और कार तेजी से तंग गलियों से होती हुई बड़ी सड़क पर चढ़ गई!!
कम से कम एक घंटे के सफर के बाद कार एक फ्लैट के बाहर रुकी !!
युवराज और सिया एक आदमी के पीछे उस फ्लैट के अंदर घुस गये, अंदर घुसते ही पता चला कि वो तो एक लंबा रास्ता था लेकिन बाहर से एक फ्लैट की तरह ही लगा!!
उस टेढ़े मेढे रास्ते को पार करते ही एक बड़ा सा गेट आया उस गेट पर दो हट्टे कट्टे पहलवान जैसे आदमी तैनात थे !
उनके गेट खोलते ही युवराज और सिया को वो आदमी अंदर एक हाल से कमरे में छोड़कर बाहर चला गया!!
उस हाल से कमरे में दिलावर सिंह और उसके कुछ आदमी थे !!
सिया उन डरावनी शक्लों वाले आदमियों को देख कर सहम सी गई!!
युवराज ने सिया का हाथ कस कर पकड़ा और बोला " घबराओ नहीं सिया!! यहां तुम्हें कोई खतरा नहीं !! ये सब अपने है !!युवराज के तसल्ली देने के बावजूद भी सिया का डर बरकरार था !!
तभी दिलावर सिंह ने अपने आदमियों को बाहर जाने का इशारा किया!!
अब कमरे में सिर्फ बिलाल दिलावर सिंह युवराज और सिया ही थे !!
अब सिया का डर थोड़ा कम हो गया!!
युवराज और सिया दिलावर सिंह के सामने वाली कुर्सियों पर बैठ गये !!
तभी दिलावर सिंह बोला " मैं बहुत खुश हूं बेटी आज तुम्हें अपने सामने देख कर क्योंकि रिश्ते से तुम मेरी पोती ही लगती हो !! बस दुख इस बात का है कि युवराज की जगह अगर विक्रम राना तुमसे मिलवाता तो ज्यादा खुशी होती मुझे, लेकिन वो तो मेरा सबसे बड़ा दुश्मन ही बन गया !!
युवराज " कोई बात नहीं दिलावर सिंह जी ,मैं मिलाने ले आया , क्योंकि इसे अपने बाप की असलियत ही अब पता लगी !
दिलावर सिंह" पूछो बेटी क्या पूछना चाहती हो मुझ से ???
सिया ने युवराज की तरफ देखा फिर दिलावर सिंह की तरफ देखते हुए बोली " मुझे मेरे पापा के बारे में जानना है कि जो इल्जाम उन पर लगे हैं क्या वो सच है ??
दिलावर सिंह गंम्भीर आवाज में" इल्जाम ?????? इल्जाम कहना तो ग़लत होगा बेटी, ये पूछो कि उसने कौन कौन से गुनाह किए !!!!
दिलावर सिंह " उसको मैंने गली में भूखे प्यासे भटकते हुए उठा कर घर लाया था उसे रोटी दी घर दिया बाप का प्यार दिया और बड़ा किया और अपना कारोबार का मालिक बना दिया, लेकिन मुझे नहीं पता था मैंने एक सपोला पाल लिया था जो सब कुछ हड़प कर मुझे ही डसने लगा !!!
उसने मेरे बेटे जैसे राज को मार दिया क्योंकि वो भी मेरा सारा काम संभालता था उसकी बीवी का रेप किया और उसको पागल खाने डाल कर मरवा दिया फिर उसकी जवान बेटी को भी मरवा दिया, क्योंकि उनको इसके बारे काले कारनामे पता लग गये थे !!
और क्या बताऊं बेटी ?? मेरा सारा कारोबार लूट कर मुझे जेल में सड़ने के लिए छोड़ गया!!
सिया दिलावर सिंह की बातें सुनकर बोली " आपको कोई गलतफहमी तो नहीं?? ये सब अपने खुद अपनी आंखों से देखा कि आपको किसी ने बताया ???
दिलावर सिंह" कैसी बातें करती हो बेटी ??राज को उसने मेरे सामने मारा क्योंकि एक दिन कारोबार का हिसाब किताब करते करते राज ने विक्रम राना की हेराफेरी जान ली जब उसने विक्रम राना से सवाल किया तो बदले में विक्रम राना ने गन निकाल कर उसे शूट कर दिया ठीक उसी वक्त राज की बीवी भी अचानक आ गई उसने विक्रम राना को राज को मारते हुए देख लिया और वहीं चिल्लाने लगी कि मैं पुलिस के पास जाऊंगी,बस फिर विक्रम राना ने उसका मुंह बंद करने के लिए उसको उठा कर अपने कमरे में बंद कर दिया, फिर उसका रेप करता रहा !!मैंने बहुत समझाया कि ये ग़लत है लेकिन वो नहीं माना बल्कि मुझे भी मारने की धमकी दी !!
दिलावर सिंह लगातार बोले जा रहा था सिया के सुनकर सब कुछ कान भी सुन्न पड़ गये थे !!!
सिया हिम्मत जुटा कर फिर बोली " तो राज की बीवी पागल खाने में थी वहां कैसे मारा पापा ने उसे ????
दिलावर सिंह" राज की बेटी बड़ी होते ही जिसको मैनै और बिलाल ने पाल पोस कर बड़ा किया था राज की बेटी अपनी मां को जब पागलखाने मिलने जाने लगी तो उसकी मां ठीक होने लगी विक्रम राना जानता था कि अगर राज की बीवी ठीक होगी तो उसके बारे में सब बता देगी फिर उसे जेल होगी क्योंकि विक्रम राना के लगातार कई दिनों तक उस पर जबरदस्ती करते रहने से वो पागल हो गयी थी तब वो सब सच बता पाने में असमर्थ थी लेकजब वो ठीक होने लगी तो विक्रम राना ने उसे मार दिया!!
सिया " लेकिन उसकी बेटी को क्यों मारा ???
दिलावर सिंह" बेटी दौरा पड़ने पर जब मां से मिलने पहुंची तो मां एक ही नाम ले रही थी कि विक्रम राना विक्रम राना,और अपने दोनों हाथ गले पर रख कर अधूरे शब्दों में ये कह दिया कि मुझे मारा मुझे मारा.... लेकिन पूरी बात कहने से पहले वो मर गई लेकिन उसकी बेटी ने अपने फोन में अपनी मां का आखिरी ब्यान रिकॉर्ड कर लिया था !!!
बस मां के मरते ही वो गुस्से में विक्रम राना का पता करती हुई उससे मिलने पहुंची तो फिर क्या था ... विक्रम राना के लिए उसे अपने रास्ते से हटाना दो मिनट का काम था !!!
कहते कहते दिलावर सिंह अपनी आंखों में पानी ले आया !!! और अपनी आंखें साफ करने लगा !!
दिलावर सिंह को रोते देखकर पास बैठा बिलाल गुस्से में बोला" इसलिए मैं उस विक्रम राना से नफ़रत करता हूं क्योंकि मैंने कीर्ति को अपनी बेटी की तरह पाला था लेकिन उस भेड़िए ने उसे खा लिया , मैं विक्रम राना की इतनी बोटियां करुंगा कि गली के कुत्ते उसे खा सके !!!
सिया " आप का ग़ुस्सा ठीक है लेकिन प्लीज़ ऐसे मत बोलो!!! कुछ ना कुछ ग़लत तो है क्योंकि मुझे यकीन है कि मेरे पापा ऐसा गंदा काम नहीं कर सकते !!!
सिया की बात सुनकर बिलाल गुस्से में उसकी ओर लपका और चिल्ला कर बोला" ऐ मैडम !!!! जाओ और जा के बचा ले अपने बाप को !! अगर हमारी बात पर यकीन नहीं तो युवराज के साथ आई क्यों ???
बिलाल को सिया पर चिल्लाते हुए देखकर युवराज ने उसको पीछे की ओर धकेला और आंखें निकाल कर बोला " जरा तमीज से बात कर !!! समझा !! वो अपने बाप को छोड़ कर मेरे साथ आई है , सिर्फ यकीन पर ,समझा !! अगर अपने बाप का ही साथ देना होता तो वो मुझे ना बचाती और इसका बाप मुझे मार देता !!
दिलावर सिंह"" तुम लोग आपस में मत लड़ो !! मैं सहमत हूं युवराज की बात से ,बिलाल तुम शांत रहो !!
दिलावर सिंह के कहने पर बिलाल शांत होकर मुंह भींच कर बैठ गया लेकिन उसकी आंखें सिया को बुरी तरह से घूर रही थी !!!
दिलावर सिंह सिया के चेहरे की लकीरें पढ़ता हुआ बोला " देखो बेटी!!! जानता हूं कि तुम विक्रम की बेटी हो और अपने पापा से बहुत प्यार करती हो जैसे की मैं भी उससे बहुत प्यार करता था और भरोसा भी करता था लेकिन,जब उसकी सच्चाई और धोखे का पता चला तो दुःख तो बहुत हुआ लेकिन सच्चाई तो यही है कि वो बहुत बुरा इंसान हैं पता नहीं तुम्हारे जैसी अच्छी बेटी उसके घर कैसे पैदा हो गई !!!
सिया दिलावर सिंह की बातें सुनकर एकदम अंदर से टूट ही गई उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो अब करें तो क्या करें !!!
युवराज राज सिया को इतना परेशान देखकर उसके कंधे पर प्यार से सहलाया हुआ बोला" सिया मत परेशान हो तुम अब क्योंकि तुमने जो फैसला लिया है वो सही है बस अब अपने आप को मजबूत करो और उस बुरे इंसान को उसके किए की सजा दो कि वो ऐसा घिनौना काम किसी और से ना कर सके !!!
दिलावर सिंह युवराज की बात सुनकर बोला " हां बेटी तुम ही अब विक्रम राना की काली करतूतों को लगाम लगा सकती हो क्योंकि तुम उसकी कमजोरी हो और तुम जो भी करोगी वो तुम्हारे आगे हार ही जायेगा बस तुम हमारा साथ दो !!
सिया" मुझे क्या करना होगा??
दिलावर सिंह" हम चाहते हैं कि वो मेरे बेटे जैसा है और तुम्हारा पिता है बस वो सही रास्ते पर आ जाते तो सबसे ज्यादा खुशी हमें ही होगी!!
युवराज " विक्रम राना रुक नहीं सकता क्योंकि उसके पास ढेर सारी दौलत और पावर है वो सब कुछ खरीद कर अपने हक में कर लेता है सबसे पहले उसकी दौलत उसकी ताकत खत्म करनी होगी और उसे सड़क पर लाना होगा तभी वो दुसरो का दर्द समझे गा !!!
सिया" मैं आपका साथ देने के लिए तैयार हूं लेकिन मेरे पापा को तो कुछ नहीं होगा ना ,उनकी जान की सलामती चाहिए मुझे !!
दिलावर सिंह " बेटा हमें तो उसको बस सुधारना है मतलब उसकी जुर्म की दौलत ,उसकी ख़रीदीं हुई ताकत जब खत्म हो जायेगी तो वो खुद ही किसी से बुरा करने की सोचेगा भी नहीं !!
बहुत देर से चुप बैठा बिलाल सबकी बातें सुनकर गुस्से से बोला " ये सब क्या बकवास लगा रखा है विक्रम राना को सुधारना है !!!!!! उस हरामजादे के काले कारनामों की एक ही सजा है सिर्फ मौत !! उसे काबू में करो और खत्म कर दो !!!
सिया गुस्से से बिलाल की तरफ देखने लगी !!
तभी दिलावर सिंह बोला" बिलाल !!! कहा ना तुमसे कि शांत रहा करो ,हर काम करने का तरीका होता है विक्रम हमारा ही हिस्सा है बस उससे कुछ गल्तिया हो गई है हमें उसे सही रास्ते पर लाना है फिर वो खुद अपने आप को क़ानून के हवाले कर देगा !!!
युवराज " चलो सिया फिर चलते हैं हम !!
सिया और युवराज जाने के लिए खड़े हो गए तभी दिलावर सिंह बोला" कहीं जाने की जरूरत नहीं है ये घर बहुत बड़ा है इसमें बहुत कमरे हैं खाने पीने रहने की हर सुविधा है तुम लोग आज से यही रहोगे, पैसों की फ़िक्र बिल्कुल मत करना मैं हूं ना !!! और फिर बाहर तुम्हारा अकेले रहना ठीक नहीं विक्रम राना के आदमी जगह जगह फैले हैं तुम पर नज़र रखें हुए हैं !!
युवराज और सिया ने एक दूसरे की तरफ देखा और हां में सर हिला दिया उनको दिलावर सिंह की बात सही लगी !!!
दिलावर सिंह ने अपने एक आदमी को आवाज दी और बोला " जाओ इन बच्चों को इनका कमरा दिखा दो और इनके खाने पीने से लेकर हर जरूरत का ख्याल रखो !!!
वो आदमी दिलावर सिंह की बात सुनकर युवराज और सिया को सीढियां चढ़ कर उपर बने कमरों की तरफ ले गया और उनको एक शानदार कमरे के दरवाजे पर छोड़ कर नीचे चला गया!!
सिया और युवराज अंदर आ गये और कमरे में पड़े सोफे पर बैठ गये और कमरे को चारों तरफ से देखने लगे कमरा बहुत ही शानदार था बड़ा सा सुंदर मखमल सा बैड और सुंदर सजा हुआ कमरा सुंदर पर्दे, आलीशान सोफे !!
युवराज सिया के बिल्कुल करीब बैठता हुआ बोला" देखा तुमने !!! दिलावर सिंह कितना नेक आदमी है !!! अब तुम्हें यकीन हो गया कि तुम्हारा बाप ग़लत है ?
सिया" हां!! दिलावर सिंह तो नेक आदमी ही लगा , लेकिन बिलाल हैवान है यह भी सच है !! उसने सोचो मेरे साथ ही कितना ग़लत करने की कोशिश की,अगर तुम नहीं बचाते तो वो मेरा क्या हाल करता !!
युवराज " हां तो वो बुरा है हमें उससे क्या लेना, हमें तो दिलावर सिंह की बात पर यकीन करना था जो हमें सच लगी !!
सिया" हां वो भी ठीक है लेकिन क्या पता ये सब कुछ इस बिलाल ने किया हो और इल्जाम मेरे पापा पर लगा रहा हो , क्योंकि कीर्ति के ये भी तो सबसे करीब था !!युवराज थोड़ा खीझ कर" सिया !! बिलाल मेरे साथ तीन सालों से है ,मैं इसकी रग रग जानता हूं ये भड़कता जरुर है करना इसके बस की नहीं!! और फिर कीर्ति के साथ मैं रहता था और ये बिलाल कीर्ति को अपनी बेटी की तरह प्यार करता था ये मैंने खुद देखा है !!
सिया " मैं जानती हूं कि तुम जो कह रहे हो वो सच है लेकिन मैं अपने पापा को भी जानती हूं वो बुरे जरुर हो सकते हैं लेकिन किसी औरत का रेप नहीं कर सकते ये बात मैं दावे के साथ कह सकती हूं !!
युवराज" तो तुम ये कहना चाहती हो कि मै , दिलावर बिलाल सब झूठे,बस तुम्हारा बाप सच्चा !!! तो फिर आई क्यों यहां ????
सिया गुस्से से" बस तुमसे कुछ भी कहूं तुम यह ही कह देते हो कि फिर आई क्यों ?? अरे मुझे जो लग रहा है वो तो तुमसे ही कहूंगी ना !!!! और किससे कहूंगी ???
युवराज थोड़ा नर्म होकर" जानता हूं सिया कि तुम्हें जो लग रहा है तुम वो ही कहोगी क्योंकि जो तुम्हें लग रहा है वो ग़लत है क्योंकि तुम अपने बाप से बहुत प्यार करती हो इसी वजह से तुम उसका बुरा चेहरा देखकर भी यक़ीन नहीं करना चाहती !!!सिया सर पकड़ कर बिस्तर पर बैठ गई उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था !!!!
तभी कमरे का दरवाजा थोड़ा हिला .. सिया और युवराज ने पलट कर देखा कोई नहीं था लेकिन दरवाजा हिला तो जरूर था युवराज दरवाजे पर आके बाहर देखने लगा बाहर लौबी थी उसके आगे नीचे जाने वाली सीढियां,पर वहां सिर्फ सर्नाटा था ! सिया भी युवराज के पीछे आकर दरवाजे से बाहर झांकने लगी और बोली " यहां कोई था ना ?.. हमारी बातें सुन रहा था !!
तभी..................................
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