Chapter-4

सिया बिस्तर पर चुपचाप लेटी थी उसकी आंखों में आसूं थे ! उसका पूरा शरीर लहूलुहान था सर से पांव तक उसका बदन दुख रहा था !

तभी उसने देखा वो उसे लिटा कर बाहर हाल में दीवार की तरफ मुंह करके खडा था उसका एक हाथ उसकी कमर पर था और दुसरा दीवार पर !

तभी वो जोर जोर से दीवार पर एक हाथ से मुक्के मारने लग गया ! तीन चार बार दीवार पर मुक्के मारने के बाद वो बिस्तर पर सर पकड़ कर बैठ गया !

सिया उसे अन्दर से ही लेटे लेटे देख रही थी ! तभी वो उठा और पानी की बोतल और कुछ टेबलेट लेकर सिया के पास आया और बोला " ये दवाई खा लो पेन किलर है !

सिया धीरे से उठी और उसके मुंह की तरफ देखती हुई बैठ गई और दवाई उसके हाथ से लेकर खा ली !

वो पानी की बोतल मेज पर रख कर बाहर चला गया !

सिया फिर लेट गई और उसे लगातार देख रही थी ! वो परेशान सा लग रहा था ! सिया सोचने लगी " ये बुरा इंसान नही लगता ! अगर आज इसने मुझे बचाया ना होता तो वो बहशी मेरे साथ बहुत बुरा करता ! तो फिर इसने मुझे कैद क्यो करके रखा है ? आखिर वजह क्या है ?

अनसुलझे हुए सवालो के जवाब सिया खुद ही ढुढने की कोशिश कर रही थी !

तभी वो फस्टऐडकिट ले आया और सिया के पास बिस्तर पर बैठ गया और सिया के हाथ और माथे , कुहनियो पर चोटें थी खून निकल कर जम सा गया था !

उसने सिया को दोनों बांहों से उठा कर बिठाया और रुई से उसके जख्मों पर डिटोल लगाने लगा !

सिया उसे लगातार देखे जा रही थी ! उसकी नकाब से सिर्फ आंखें ही नजर आ रही थी ! जो कि नीली नीली सी और बडी बडी सी थी !

वो इतना करीब था कि उसकी सांसें भी सिया सुन पा रही थी ! अचानक डिटोल लगाते लगाते वो रुक गया जब उसने सिया को अपनी ओर एक टक देखते हुए पाया !

उसने एक बार सिया की तरफ देखा फिर नजरें चुरा ली जैसे कि वो सिया की आंखों में बहुत सारे सवालों से बचना चाहता हो !

वो सिया के ज़ख्मों पर डिटोल से साफ करके दवाई लगा कर बाहर चला गया !

लेकिन सिया का दिमाग चुप कहा बैठने वाला था ! वो बिस्तर से उठी और बाहर हाल में उसके सामने कुर्सी पर बैठ गई ! और उसे देखती हुई बोली " तुमने मुझे कैद क्यो किया है ! जबकि मै जान गई हू कि तुम बुरे इंसान नही हो और ना ही कोई क्रिमिनल हो ! फिर ऐसी क्या वजह हो सकती है जो तुमने मुझे कैद किया है ?

सिया की बात का उसने कोई जवाब नही दिया वो अपने फोन में कुछ करने में बिजी था !

"तुमको मेरे किसी एक सवाल का जवाब तो देना होगा ! सिया उसे देखते हुए बोली !

क्या जवाब दूं ? वो बोला !

सिया " तुम बुरे नही हो ना क्रिमिनल हो !

मै बहुत बुरा हूं ! तुमको मारा पीटा भी है जानती हो ना तुम !

सिया " तो मुझे तुमसे डर क्यों नही लगता ? उस बहशी से लग रहा था डर क्योंकि वो बुरा था ! मुझे हर वक्त ऐसा लगता रहा है जैसे तुम मेरे सामने बुरा बनते हो मुझे डराने के लिए लेकिन अंदर से तुम बुरे नही हो !

" बुरा हू मै ! समझी तुम ! अच्छा होता तो तुमको कैद क्यो करता ! इसलिए ज्यादा दिमाग मत लगाओ !

सिया " हा समझ रही हूं बहुत कुछ ! गुस्से में मेरे कपड़े तक उतार दिए तुमने.... लेकिन मेरे बदन की ओर देखा तक नहीं ! मुझे सिर्फ डराते रहे ! बुरे होते तो मेरे साथ पता नहीं क्या क्या करते !

वो सिया की बात सुनकर कुछ नहीं बोला बस फोन में ही कुछ करता रहा ! जैसे वो सिया के सवालों से बचना चाहता हो !

सिया को पता नहीं क्या सूझी कि एकदम से सिया ने उसके फोन के उपर हाथ रख दिया !

वो एकदम से खडा हो गया और थोडा ऊंची आवाज में बोला " तुमको समझ नहीं आता ? कह रहा हूं जाओ अंदर रेस्ट करो तुम्हारे चोटें लगी है ! यहां मुझे परेशान मत करो...नही तो...!!!!!

सिया " क्या नही तो ..? मारो गे तो हो नही मुझे तुम ! मैंने तुम्हारे दो बार काट लिया ! तुम्हारे खून भी निकल आया फिर भी तुमने मुझे कुछ नहीं कहा ! क्योंकि तुम बुरे हो ही नही !

सिया के अनगिनत सवाल जिन्होंने उसको परेशान कर दिया था ! उसने फोन अपनी जेब में रखा और चाबी लेकर दरवाजे की ओर चल पडा और तेजी से दरवाजा खोल कर बाहर निकल गया !

सिया उसको जाता हुआ देखती रही ! उसके जाने के बाद सिया वही बिस्तर पर बैठ गई और सोचने लगी " कब तक बचोगे तुम मेरे सवालों से ? मुझे भी अब जानना है कि तुम बुरे इंसान नही हो फिर क्यो कैद किया मुझे ? ऐसी क्या वजह है ! या कोई डर ? या कोई और ऐसी वजह ?

बहुत सारे सवाल थे सिया के दिमाग में जो वो अब पूछ कर ही दम लेना चाहती थी !

बहुत देर हो गई थी उसे गये हुए ! सिया की नजरे भी दरवाजे की तरफ ही टिकी हुई थी !

तभी बाहर का दरवाजा खुला और वो अंदर आ गया ! ताला लगाने के बाद उसने एक झोला टेबल पर रख दिया ! उसने चाबी सामने टेबल पर रख दी ! और एक प्लेट लेकर , झोले में से फ्रूट निकाल कर वही किचन काउंटर के साइड मे नल से धोने लग गया !

फ्रूट धो कर वो टेबल के आगे कुर्सी लगा कर बैठ गया और फ्रूट काटने लग गया !

सिया लगातार बिस्तर पर दीवार के साथ पीठ लगा कर बैठी उसे ही गौर से देख रही थी !

उसने फ्रूट काटकर सिया के आगे रख दिए ! और बोला " खा लो !

सिया अभी भी उसे ही गौर से देख रही थी !

वो फिर बोला " खा लो ! नही तो ताकत कैसे आयेगी तुममे ? कैसे दोबारा काटोगी मुझे ? कैसे दोबारा भागने का ट्राई करोगी ?

वो सिया की तरफ देखता हुआ बोला और ऐसा लगा जैसे नकाब के पीछे मुस्कुरा भी रहा था !

सिया " नही भागूं गी अब ! बेशक दरवाजा भी खुला रख लो ! क्योंकि अब मै सब जानना चाहती हू कि एक अच्छे इंसान ने मुझे कैद क्यो किया ? ऐसी क्या बात हो गई कि उसको ये बुरा काम करना पडा !

"क्यो लगता है तुमको कि मै अच्छा इंसान हू ? हो सकता है मै तुम्हारे सामने नाटक कर रहा हूं अच्छा बनने का ! वो सिया की तरफ गौर से देखता हुआ बोला !

सिया " नही तुम नाटक नही कर रहे हो इतना तो मुझे समझ आता है ! नाटक करने वाले लोगों को जानती हू मै !

"" अच्छा !! बहुत जानती हो तुम ! इतनी उम्र भी नही होगी तुम्हारी जितना तुम जानती हो ! वो बोला !

सिया " हा जानती हूं इस जुलाई को पूरे 19 साल की हो गई हूं अब 20वा लग गया है ! समझती हू सब !

" अच्छा !!! वो आंखें चढा कर बोला ! " बच्ची हो अभी तुम !!!

सिया " अरे !! मै बच्ची नही हूं मेरी तो ग्रेजुएशन भी पूरी हो गई है इस साल !

"अच्छा !!! जिद्दू !! चबर चबर करके जितना बात करती हो वैसे ही चबर चबर करके फ्रूट खा लो अब !

सिया " जिद्दू ? ये क्या बोला तुमने ?

"तुम्हारा नाम !! वो तपाक से बोला !

सिया " मेरा नाम तुमने जिद्दू क्यो रखा ? मै तो जिद्दी हू भी नही !

"हो ! बहुत जिद्दी हो ! वो फ्रूट खाते हुए बोला !

सिया " बोल तो ऐसे रहे हो जैसे खुद अस्सी साल के बुजुर्ग हो !

" क्या पता ? बुजुर्ग भी हो सकता हूं !

सिया " नही तुम बुजुर्ग नही हो ! तुम्हारी आंखों में सब छिपा है !

वो हल्का सा हंसा " हा हा हा !! क्या छिपा है मेरी आखो में ?

सिया " बहुत कुछ ! जैसे तुम्हारी उम्र ज्यादा नही है ! और तुम्हारी आंखें खूबसूरत और मासूमियत से भरी है ! तुम अच्छे घर के हो !

वो सिया की बात सुनकर एकदम खाते खाते गम्भीर हो गया और दुसरी तरफ को मुंह करके खडा हो गया !

सिया को समझ नही आया कि ऐसा क्या बोल दिया उसने कि वो एकदम से दुसरी तरफ मुंह करके खडा हो गया !

वो बिस्तर से उठी और घूम कर उसके सामने खडी हो गई और उसकी आंखों में देखते हुए बोली " क्या हुआ ? मैने कुछ गलत कहा क्या ?

"कुछ नहीं हुआ ! तुम जाओ और अब शान्ती से बैठो ! वो सिया की तरफ बिना देखे ही बोला !

ऐसे कैसे चुप बैठूं ? अब अकेले किससे बात करु ? तुमसे ही तो करुंगी बात ! तुम मेरे दोस्त बनोगे ? सिया ने उसकी तरफ देखते हुए अपना एक हाथ उसकी ओर बढ़ाया !

वो सिया की तरफ हैरानी से देखता हुआ थोडा तेज आवाज में बोला " लडकी !! तुम्हारा दिमाग है कि नही ? किस मिट्टी की बनी हो तुम ? तुम ऐसा बनने का नाटक कर रही हो या तुम हो ही ऐसी ?

सिया " मैने क्या किया ? नाटक क्यू करुंगी ? किस मिट्टी की क्या ? मैने तो सिम्पल बात की !

सिया मासूम सा मुंह बना कर बोली !

वो अपने दोनों हाथों से सिया की दोनों बाहें पकड कर बोला " होश में तो हो तुम ? तुम मेरी कैद में हो ! मै तुमको मारता पीटता हूं तुम मेरे बारे में कुछ भी भी नही जानती ! और कह रही हो कि मेरे दोस्त बनोगे !

सिया " हा तो कैद में थी या हू इससे अब क्या फर्क पडता क्योंकि अगर तुम ना होते तो आज मेरा बचता भी क्या उस बहशी से ! अब कैद में होकर भी मुझे कैद नही लग रही ! तुम बुरे नही हो लेकिन होगी कोई वजह मुझे कैद करने की तुम्हारी !और रही बात तुमको जानने की तो थोडा सा जान गई हूं बाकी तुम बता दो !

वो सिया की तरफ देखता हुआ बोला " तुम पागल हो लडकी ! जाओ अब ! और ज्यादा दिमाग मत लगाओ !

सिया उसका हाथ पकडती हुई बोली " दिमाग तो अब जरुर लगाऊंगी क्यों कि मुझे जानना है तुमको !

वो सिया का हाथ झटकता हुआ बिस्तर पर बैठ गया !

सिया कहां मानने वाली थी फटाक से उसके बराबर बिस्तर पर बैठ गई !

वो उठा और सिया का हाथ पकड कर खींचता हुआ कमरे में ले गया और उसे बिस्तर की तरफ धकेल कर तेजी से दरवाजा बन्द करके बाहर चला गया !

सिया दरवाजा के पास आकर बोली " कितना दूर भागोगे मेरे सवालों से ? मै चैन से नही बैठूगी जब तक तुमको पूरी तरह जान नही लूगी !

बाहर से कोई जवाब नही आया ! सिया ने झुक कर दरवाजे की दराज से देखा वो बिस्तर पर बैठा था और अपने फोन में बिजी था !

सिया वापस मुड़कर बिस्तर पर लेट गई और कमरे की छत को घूरते हुए सोचने लगी " कैसे बुलवाऊ इससे सच ? आखिर ये बोलता क्यों नही कुछ भी ! इसने क्यों मुझे कैद किया ?

सिया का दिमाग फिर से चलने लगा ! लेकिन फिर भी उसे किसी भी सवाल का जवाब नही मिला !

बहुत देर हो गई थी सिया को यू ही लेटे लेटे ! कब उसको गहरी नींद आ गई उसे पता ही नही चला ! ऐसा लग रहा था कि वो इतनी गहरी नींद सदियों बाद सोई हो !

तभी कमरे का दरवाजा खुलने से उसकी आंख खुली और वो अंदर आया ! उसके हाथ में कोल्डड्रिंक थी वो बोतल को मेज पर रखता हुआ बोला " पी लो !

और वो कमरे से बाहर चला गया !

सिया उठी और कोल्डड्रिंक की बोतल उठा कर बाहर आ गई और उसके सामने कुर्सी पर बैठ गई और पीते पीते उसकी तरफ देखते हुए बोली " अपना नाम तो बताओ ? मै तुम्हे किस नाम से बुला ऊ ?

वो बिस्तर पर बैठा अपने फोन में ही बिजी रहा उसने सिया की बात अनसुनी सी कर दी !सिया " कुछ तो बोलो ? ऐसे कैसे बिना बोले मै रहू ! मै खाना खाये पिये बिना रह सकती हू लेकिन बोले बिना रहना मुश्किल है !

वो उठा और बोला " मै बाहर जा रहा हूं ! रात का खाना ले आऊंगा !

ये बोल कर वो बाहर की ओर चलने लगा ! तभी सिया तेजी से कुर्सी से उठी और उसके आगे खडी हो गई और बोली " मुझे अभी भूख नहीं ! तुम अभी तो आये हो बाहर से ! और अब फिर जा रहे हो !

वो सिया को अपने सामने देख कर रुका और फिर साइड होकर दरवाजे की तरफ पहुंच गया !

लेकिन सिया कहां मानने वाली थी वो फिर तेजी से उसके आगे खडी हो गई और दरवाजे के साथ पीठ लगा कर खढी हो गई !

वो दरवाजा खोलने ही वाला था ताले की चाबियां उसके हाथ में थी लेकिन एक दम फिर से सिया बीच में घुस गई तो वो सीधा खडा हो गया ! उसके और सिया के बीच दूरी बहुत कम थी !

सिया " नही तुम अभी नहीं जाओगे ! मुझसे बात करो कुछ देर फिर चले जाना ! वैसे भी मुझे यहां अकेले डर लगता !

उसने गौर से सिया की आंखों की तरफ देखा जिसमें बहुत सारी मासूमियत और मासूमियत से भरे सवाल थे ! वो एकदम से गुस्से में जोर से चिल्लाया " लडकी ! अपना मुंह बंद करो ! नही तो दीवार में दे कर मारुंगा !

पता नही वो सिया की आंखों में देखकर इतनी जोर से क्यू चिल्लाया ! ऐसा लगा जैसे वो सिया की मासूमियत देखकर खुद अंदर से डर गया हो ! और सामना ही नही करना चाहता हो किसी भी सवाल का !

उसके इतनी जोर से चिल्लाने पर सिया इतना डर गई कि एकदम से भाग कर अंदर कमरे की तरफ़ चली गई और बिस्तर पर बैठकर जोर जोर से रोने लगी !

वो अंदर आया और सिया को रोता हुआ देखकर उसके पास घुटनो के बल जमीन पर बैठ गया ! और सिया के दोनों हाथ पकड कर जो कि वो अपने चेहरे पर रख कर रो रही थी ! वो सिया की तरफ देखता हुआ बोला " तुम समझती क्यो नही हो ! क्यो मेरी मुश्किलें और बढा रही हो ? तुम मुझसे दूर रहो ! मै तुमको कोई भी परेशानी नही होने दूंगा ! समझी तुम !

सिया रोते रोते " नही समझू गी ! तुमको अगर मेरी फिक्र है तो मेरे सारे सवालों के जवाब दो !

वो नरम आवाज में बोला " दे दूंगा तुम्हारे सारे सवालों के जवाब ! थोडा वक्त तो दो मुझे !

सिया खुश होकर बोली " सच में !!! तुम मेरे सारे सवालों के जवाब दोगे ! ठीक है अब मैं जिद नहीं करुंगी !

चलो अब आंखें साफ करो और गुड गर्ल की तरह बैठो मैं खाना लेकर आता हू ! वो बोल कर खडा हुआ और जैसे ही मुडने को हुआ तभी सिया खडी होकर उसके सीने से लग गई और अपनी दोनों बाहें उसकी पीठ तक कस ली !

वो अपनी दोनों बाहें सीधी करके अपना मुंह छत की तरफ करके ठंडी सांस भरने लगा लेकिन उसकी हिम्मत नही हुई सिया को कस कर अपनी बाहों में भरने को ! वो बस जड़ बन कर खडा रहा !

वो जल्दी से घूमा और बाहर चला गया !

सिया बिस्तर पर लेट गई और सुकून से छत को घूरने लगी !

बहुत देर हो चुकी थी वो खाना लेकर अभी आया ही नही था !

तभी बाहर का दरवाजा खुला और वो अंदर आया और खाने का लिफाफा मेज पर रख दिया !सिया बाहर आकर बिस्तर पर बैठ गई ! उसने खाना प्लेट में डाल कर सिया की तरफ कर दिया !

सिया " तुम भी डालो अपने लिए !

नही मै बाद में खा लूंगा तुम खा लो ! वो अपना फोन देखता हुआ बोला !

सिया ने अपनी प्लेट मेज पर रख दी और बोली " तो मै भी बाद में खा लूंगी तुम्हारे साथ !

कहा ना !!!! कि तुम खा लो मै बाद में खा लूंगा ! वो बिना सिया की तरफ देखे हुए बोला !

सिया " नही मै नही खाऊंगी ! तुम्हारे साथ ही खाऊंगी !

वो फिर थोडा तेज आवाज में बोला " मेरे साथ ! मेरे साथ ! मेरे साथ !!!! इतना भरोसा हो गया तुमको मुझ पर ? बिना मुझे जाने ! मत करो मुझ पर इतना भरोसा ! मै तुम्हारे लिए अंजान हू इसलिए किसी अंजान पर भरोसा नही करते !

सिया " कहां अंजान हो अब तुम ! तुम अच्छे इंसान हो बस ! और किसी इंसान पर भरोसा करने के लिए अगर पता हो कि वो इंसान अच्छा है तो भरोसा कर लेना चाहिए !

वो सिया की बाते सुन कर अपना सर पकड कर बोला " अच्छा बाबा ! लो खाओ खाना ! मै भी खाता हू !

सिया उसे भी प्लेट में खाना डालते देख कर खुश हो गई !

सिया ने अपनी प्लेट का पहला निवाला उसकी तरफ बढ़ा दिया !

वो सिया की तरफ देखता ही रह गया उसकी आंखों में पानी सा छलक आया !वो सिया की तरफ देखता हुआ बोला " तुम मुझे अपना पहला निवाला दे रही हो ?

सिया " हा ! दे रही हू ! इसमें क्या ?

तुम्हे याद है ना कि मैने तुम्हारे आगे खाने की प्लेट फेंकी भी है और तुमको मारते हुए भी खाना खिलाया है ! फिर भी तुम मुझे अपनी मुंह का पहला निवाला दे रही हो ?

सिया " हा याद है ! तो क्या हुआ ? तुम जैसे अच्छे इंसान से बुरा हुआं तो कोई तो मजबूरी होगी तुम्हारी ! तभी तुमने ऐसा किया !

खा लो तुम ! मै शायद तुम्हारे इस दिए हुए खाने के लायक नहीं !

सिया बिस्तर से उठी और उसने अपने हाथ का कौर उसके मुंह मे डाल दिया ! और वापस बिस्तर पर बैठ कर अपना खाना खाने लगी !

वो हाथ में खाने की प्लेट पकड कर सिया को गौर से देखता रहा ! उसकी आंखों में हल्का सा पानी था !

खाना ख़त्म करके वो बोला " जाओ तुम अंदर कमरे में सो जाओ अब ! मै यही बैठा हू !

सिया " मै भी यही सो जाऊं ? या वो बैड भी यही ले आओ !

नही ! तुम अंदर सो जाओ !

सिया पैर पटकती हुई कमरे में चली गई !

सिया ने कमरे से बिस्तर पर बैठे बैठे देखा कि वो बाहर बिस्तर पर अपना सर पकड कर बैठा है !

सिया बिस्तर पर लेट गई और लगातार उसे देखने लगी !

उसे अपना सर पकड कर बैठे हुए काफी देर हो चुकी थी ! सिया भी उसे लगातार देख रही थी ! तभी वो बिस्तर पर सीधा लेट गया और अपने दोनों हाथ अपने सीने पर रख कर अपनी आंखें बंद कर ली !

सिया भी करवट लेकर सोने की कोशिश करने लगी ! लेकिन नींद तो सिया से कोसों दूर थी ! वो बिस्तर पर काफी देर इधर से उधर करवटें बदलती रही ! लेकिन उसे नींद आ ही नहीं रही थी !

सिया एकदम से उठी और बाहर हाल में आ गई और बाहर बिस्तर पर उसके साथ धीरे से लेट गई ! वो कब से सीधा ही लेटा था ! सिया उसकी तरफ पीठ करके लेट गई और अपनी आंखें बंद करके सोने की कोशिश करने लगी !

सिया को एकदम से नीद आ गई नींद में ही उसका एक हाथ उसके साथ लग गया ! तो वो एकदम से हड़बड़ा के उठ कर बैठ गया और सिया को अपने साथ लेटा देख कर एकदम से बिस्तर से उठ कर कुर्सी पर बैठ गया ! और सिया को सोता हुआ देखने लगा !

तभी सिया की भी आंख खुल गई और वो बिस्तर पर उठ कर बैठ गई और बोली "क्या हुआ ? तुम उठ क्यो गये ? सो जाओ !

वो अपना सर पकड कर बैठ गया !

सिया बिस्तर से उठी और उसकी कुर्सी के पास नीचे जमीन पर बैठ गई और उसके मुंह की तरफ देखने लगी !

उसने अपने सर से अपने हाथ हटाए और सिया की तरफ देखा और तेजी से खडा हो गया और दीवार की तरफ मुंह करके खडा हो गया और बोला " तुम सो जाओ ! मुझे अब नींद नहीं आयेगी ! मै बैठूं गा अब !

सिया उठ कर उसके पीछे खडी हो गई और बोली " मुझे भी अब नींद नहीं आ रही तो मैं भी नही सोउगी !

" जो मै करुगा तुम भी वही करोगी क्या ? वो झल्ला कर बोला !

तो अकेली क्या करु मैं फिर ? जब तुम मारते थे तो अकेली पडी रहती थी लेकिन अब तो तुम मेरा ख्याल रख रहे हो तो क्यू अकेली रहूं ? सिया उसकी आंखों में देखती हुई बोली !

" तुम बिल्कुल पागल हो !! वो सिया को घूरते हुए बोला !

" हा थोडी सी हूं तो ! लेकिन अब तो तुम्हारे गले पड गई तो झेलो अब ! सिया मुस्कुराते हुए बोली !

उसने सिया की तरफ देखा और फिर घूम कर बिस्तर पर बैठ गया और अपना फोन निकाल कर कुछ करने लग गया !

सिया उसके पास बिस्तर पर बैठ गई और बोली " मुझे चाय पीनी है !

" अभी रात है अभी चाय नहीं मिलेगी ! सुबह होते ही ले आऊंगा !

तुम चायपत्ती चीनी दूध ले आना मै यही बना लूंगी ! मुझे आती है चाय बनानी !

" अच्छा ! पिकनिक पर आ रखी हो जो यहां चाय खाना बना लोगी ! वो सिया की तरफ देखे बिना बोला !

" पिकनिक पर तो नही आ रखी लेकिन अब यहां बोर होने से अच्छा है कि बना कर खाये और बाते करे !

* तुम किस टाइम चुप रहती हो ! या यू ही रेडियो चलता रहता है दिन रात !

सिया मुस्कुराते हुई बोली "" बताया तो था तुमको कि खाये पीये बिना रह सकती हू लेकिन बोले बिना नहीं !

" लड़की ! तुमसे कह रहा हू कि मुझसे ज्यादा बात मत करो और चुपचाप अंदर कमरे में बैठ जाओ !

" नही !!

" देखो !! कह रहा हूं मान लो !

सिया के चेहरे पर मासूम सी मुस्कराहट को देख कर वो फिर सर पकड कर बैठ गया !

" तुम बार बार सर पकड कर क्यों बैठ जाते हो ? क्या सर मैं दर्द है तुम्हारे ? ये कह कर सिया उसके पास आकर सर दबाने लगी !

वो फिर बौखला कर उठ खड़ा हुआ और अलग दीवार की साइड खडा हो गया और बोला " प्लीज प्लीज ! मेरे करीब मत आओ और मुझसे ये हमदर्दी करना बंद करो ! मै लाइफ में पहले बहुत मुश्किलों से घिरा हूं तुम मेरी मुश्किलें और मत बढ़ाओ !

" मैने क्या किया ? मै तो तुम्हारा साथ ही दे रही हू अब ! भागने की कोशिश भी नही करती ! सिया बोली !

" तुम भागने की कोशिश इसलिए नही करती क्योंकि अब तुम कैद में नहीं हो ये तुमको भी लगता है लेकिन.... मुझे महसूस हो रहा है कि अब मै तुम्हारी कैद में जरुर हूं ! वो अपना सर पकड़ कर बहुत ही दुखी होकर बोला !

सिया " तुम मेरी कैद में हो ? ये कैसे हो सकता है ! मै तो ऐसा कुछ कह भी नही रही ! बस तुमसे दोस्ती करना चाहती हू !

" दोस्ती दोस्ती दोस्ती !!! क्या दोस्ती करना चाहती हो ? कितनी बार कह चुका हू कि एक शब्द नही जानती तुम मेरे बारे में ! तुमको किडनैप करके लाया हू यहां पर ! मारा पीटा ! भूखा रखा ! तुमको तो नफरत करनी चाहिए मुझ से !

सिया " नही हो रही नफरत ना ! तो मै क्या करूं ? जब मै तकलीफ़ में थी उस वक्त तुमने मुझे अपने सीने से लगा कर जो सुकून दिया वो मेरे रोम रोम में बस गया है ! तो मै क्या करु ?

वो झल्ला कर खडा हुआ और दीवार पर जोर जोर जोर से मुक्के मारने लग गया !

सिया ने तेजी से दीवार पर अपना हाथ रख दिया ! वो दीवार पर मुक्के मारता मारता रुक गया ! और सिया जो उसके सामने दीवार से सट कर खडी थी उसको अपनी दोनों बांहों से पकड़ता हुआ बोला " लडकी पागल मत बनो ! मेरे बारे में उम्मीदें लगाना बंद करो ! मै एक धुआं हू जो एक दिन हवा में ही घुल जायेगा ! मेरे पास किसी को देने के लिए कुछ नही है !

सिया उसकी पकड से उसके इतना करीब थी कि उसकी गरम सांसें नकाब के अंदर से भी महसूस कर पा रही थी !

सिया उसकी बात सुन कर मुस्कुराई और उसकी तरफ प्यार से देखकर बोली " तुम धुआं हो तो कोई बात नहीं ! मुझे भी घुल जाने दो अपने अंदर ! दोनों साथ ही ख़त्म हो जायेगे !

वो सिया की बात सुनकर उसकी बाहें छोड़कर फिर दुसरी तरफ मुंह करके खडा हो गया !और बोला " ये कभी नही हो सकता ! मेरे बारे में सोचना छोड़ दो ! समझी तुम !

" नही ! नही छोड़ूं गी। अब तुम्हारे बारे में सोचना ! बेशक मार लो !

" पागल लड़की !!

" हां हो गई हूं पागल !!

" तो मुझे पागल मत करो !!

" करुंगी ! तुम्हारे सीने की गरमी और ढेर सारा सुकून मै अभी भी महसूस कर सकती हूं ! इसलिए पागल ह़ गई हूं ! सिया उसके सामने खडे होते हुए बोली !

वो बुरी तरह झल्ला गया और पता नही उसने एकाएक अपना नकाब उतार कर हाल मे दूर फेंक दिया और अपनी जैकेट खोल कर बिस्तर पर फेंक दी और अपने हाथो के दस्ताने खोल कर दूर फेंक दिए और अपनी कमीज़ के उपर के दो बटन खोल कर बिस्तर पर धम्म से सर पकड कर बैठ गया !

सिया जो दूर खड़ी सब देख रही थी वो उसे पहली बार नकाब के बिना देखकर चौंक गई ! उसने चौंक कर अपना एक हाथ अपने मुंह पर रख लिया !

सिया उसे एकटक देखे ही जा रही थी ! सिया की आंखें जम सी गई थी और सांसें तेज चलने लग गई थी और जुबान बंद पड गई थी !

उसने पहली बार उसे बिना नकाब के पूरा सर से पांव तक देखा ! उसकी आंखें हट ही नहीं रही थी उसके उपर से ! उसे समझ ही नही आ रहा था कि अब क्या बोले !

वो बस उसे देखे ही जा रही थी !!

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