अध्याय 18

अगले दिन मम्मी पापा शाम की फ्लाइट लेकर लंदन चले जाते है, और मैं और आरव, हम दोनों घर पर अकेले रह जाते है।

रात को हम दोनों खाना खाकर अपने-अपने कमरे में चले जाते है, और हम दोनों के बीच में कुछ नहीं होता....लेकिन अगली सुबह कुछ अलग ही थी।

अगली सुबह, जब मैं सोकर उठती हूँ तो पहले ही सुबह के आठ बज चुके थे। मैं जल्दी से कॉलेज के लिए तैयार होकर अपने कमरे से बाहर निकलती हूँ, और तभी मुझे याद आता है कि मैंने तो आरव को उठाया ही नहीं। मैं जल्दी से उसके कमरे की ओर भागती हूँ, लेकिन जब मैं उसके कमरे में जाती हूँ, तो मैं देखती हूँ कि वह कहीं भी नहीं था। मैं सोचती हूँ कि शायद वह हॉल में होगा। इस लिए मैं जल्दी से हॉल में जाती हूँ, लेकिन वह वहाँ भी नहीं था।

मैं अपनी जेब से अपना फ़ोन निकालती हूँ, और आरव को लगाने ही वाली थी कि तभी किचन से कुछ बर्तनों की आवाज आती है।

मैं जल्दी से किचन में जाती हूँ, और वहाँ पर आरव को देखती हूँ। वह कॉलेज के लिये बिल्कुल भी तैयार नहीं हुआ था, और चाय बना रहा था।

“ चाय बनाना छोड़ो, और जल्दी से कॉलेज के लिए तैयार हो जाओ।” मैं किचन के काउंटर के पास जाते हुए कहती हूँ।

“ लेकिन आज तो संडे है। तुम कॉलेज में झाड़ू-पोछा करने जा रही हो?” आरव दो कप में चाय डालते हुए कहता है।

“आज संडे है?” मैं पूछती हूँ और फिर जल्दी से अपने मोबाइल पर दिन देखती हूँ। आज सच में संडे था, और मैं यूँ ही इतनी जल्दी उठ गई।

“ मैंने कितना कुछ सोचा था कि मैं तुम्हारे कमरे में जाऊँगा, तुम्हें गुड मॉर्निंग बोलूँगा, तुम्हें चाय दूंगा, लेकिन तुमने जल्दी उठकर मेरे सारे सपने तोड़ दिये।” आरव उदास-सा चेहरा बनाते हुए कहता है और फिर मुझे चाये का कप दे देता है।

“औ, तुम कितने अच्छे हो। सॉरी तुम्हारे सपने तोड़ने के लिए।” मैं चाय का कप लेते हुए कहती हूँ।

मैं चाय पीने ही वाली थी लेकिन फिर रुक जाती हूँ, और आरव से पूछती हूँ,“ तुम्हें चाय बनानी भी आती है, या यूँ ही सब कुछ पानी में डाल कर उबाल दिया?”

“तुम पहले पीओ फिर बात करना। ” आरव कहता है, और मैं चाय की एक घूंट लेती हूँ।

“ वाओ, ये सच में अच्छी बनी है।” मैं हैरान होते हुए कहती हूँ। मुझे नहीं पता था कि आरव को चाय बनानी भी आती है।

“अगर इतनी ही अच्छी बनी है, तो क्या मुझे एक छोटा सा इनाम मिल सकता है?” आरव अपना कप किचन के काउंटर पर रखकर मेरी पास आते हुए कहता है।

“किस तरह का इनाम?” मैं उसकी आँखों में देखते हुए पूछती हूँ। आरव मुस्कुराता है, और फिर अपना चेहरा मेरे चेहरे के पास लाता है।

“इस तरह का इनाम।” आरव कहता है और फिर मेरे गाल पर एक किस कर देता है।

मेरा पागल दिल एक बार फिर से जोर-जोर से धड़कने लगता है, और मुझे लगता है कि इस बार मैं खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाऊँगी।

मैं चाय का कप अपने पास किचन के काउंटर पर रख देती हूँ, और उसको उसकी कॉलर से खींचकर एक बार फिर से अपने चेहरे के पास ले आती हूँ।

“ तुम क्या कर रही हो।” आरव मेरी ओर हैरानी से देखते हुए कहता है।

“मुझे यहाँ पर किस चाहिए।” मैं अपनी उंगली अपने होंठों पर रखते हुए कहती हूँ।

“तुम सच में-?” आरव अभी बोल ही रहा था कि मैं अपने होंठ उसके होंठों पर रख देती हूँ, और उसे चुप करा देती हूँ।

“ किस मी।” मैं उसके होंठों के पास कहती हूँ, और एक बार फिर से उसके होंठ मेरे होंठों से छू लेती हूँ।

“तुम रुक जाओ वरना बाद में बहुत पछताओगी, क्योंकि अगर मैं एक बार शुरू हो गया, तो मैं चाहकर भी खुद को रोक नहीं पाऊँगा।” आरव मुझे पीछे करते हुए कहता है।

“तो मत रोको खुद को।” मैं फिर से एक बार आरव के करीब आ जाती हूँ।

“मैं कह रहा हूँ, तुम पछताओगी!” आरव गुस्से से कहता है और फिर मुझे उठाकर किचन के काउंटर पर बिठा देता है। वह मेरे करीब आता है, और फिर मेरे चेहरे को अपने हाथ से हल्के से छूकर मेरे होंठों को अपने होंठों में ले लेता है। उसके अचानक ऐसा करने से मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी सांसे मुझसे छीन ली गई हो, और मैं धीरे-धीरे से एक गहरे समंदर में डूब रही हूँ।

उसकी जीभ मेरे होंठों को छूती है, और मेरे मुंह के अंदर जाने की कोशिश करती है। मैं अपना मुंह खोल देती हूँ, और उसकी जीभ मेरे मुंह के अंदर चली जाती है। उसकी जीभ धीरे-धीरे से मेरे मुंह के अंदर घूम रही थी, और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं कभी भी इससे अच्छा महसूस नहीं कर पाऊँगी। जैसे-जैसे वह मुझे किस कर रहा था, वैसे-वैसे ही उसकी भारी सांसे मेरी सांसो से मिल रही थी, और मुझे मालूम था कि उसे भी उतना ही अच्छा लग रहा था जितना कि मुझे लग रहा था।

थोड़ी देर के बाद, उसके हाथ मेरी पीठ से होते हुए मेरे नितंबों पर जाते है, और फिर वह मुझे अचानक से अपने पास खींच लेता है। अब उसका गर्म लिंग मुझे मेरी जांघों के बीच में छू रहा था। जैसे- जैसे वह मुझे किस कर रहा था, वैसे-वैसे ही वह बार- बार उस गर्म चीज को मेरी योनि पर रगड़ रहा था। मुझे यह सोचकर बहुत खुशी हो रही थी कि मुझे किस करने से ही वह इतना उत्तेजित हो गया है।

“कमरे में चलो।” आरव भारी सांसे लेते हुए कहता है, और फिर मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपने कमरे में ले जाता है।

वह मुझे अपने बेड पर फेंकता है, और फिर अपनी शर्ट उतारने के बटन खोलने लगता है।

“हम यह सब बहुत जल्दी नहीं कर रहे है?” मैं बेड पर बैठते हुए कहती हूँ, लेकिन मेरा दिल कुछ और कह रहा था। मेरा दिल वह सब करना चाहता था जो आरव करना चाह रहा था।

आरव मेरी बात सुनकर अपनी शर्ट खोलना बन्द कर देता है, और फिर मेरे पास आकर कहता है, “अगर तुम यह सब नहीं करना चाहती तो दरवाजा खुला है, तुम यहाँ से भाग सकती हो। मैं सोचूँगा कि यह मेरा सपना था, और फिर मैं सब कुछ भूल जाऊंगा। मैं तुम्हारे साथ कुछ नहीं करूंगा। ”

वह सही कह रहा था, दरवाजा खुला था, मैं भाग सकती थी, लेकिन मैं भागना नहीं चाहती थी।

मैं बेड से खड़ी हो जाती हूँ, और उसके पास आकर उसकी शर्ट के बटन बंद करने लगती हूँ।

“तुम मेरे साथ इतनी अच्छी मत बनो।” आरव मेरा हाथ पकड़कर मुझे रोक देता है, और फिर अपने आप अपनी शर्ट के बटन बन्द करके कमरे से बाहर चला जाता है।

मैं वहीं खड़ी रहती हूँ, और सोचती हूँ कि अगर वह मुझसे नाराज हो गया है? वैसे गलती मेरी ही थी, मैंने ही वह सब शुरू किया था, और फिर मैंने ही उसे रोक दिया। अगर वह मुझसे नाराज था, तो उसका नाराज होना बनता था।

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