अध्याय 17

उस दिन को अब एक हफ्ते से ज्यादा हो गया था, लेकिन हमारे बीच में सब कुछ वैसा ही था, जैसा कि पहले था। हम अब भी साथ में कॉलेज जाते और कॉलेज से आते थे। हम अब भी मम्मी-पापा के साथ खाना खाते थे।

हां, हालांकि बहुत कुछ वैसा ही था, लेकिन कुछ बदल भी गया था; जैसे कि अब आरव मेरा और ध्यान रखता था, और अब वह मुझे थोड़ा-सा भी तंग नहीं करता था। मैंने भी उससे बिना बात के लड़ना बन्द कर दिया था, और उसे अच्छे से बात करती थी। हमारे बीच इस बदलाव को देखकर मम्मी-पापा भी हैरान थे।

अब मुझे मेरी जिंदगी और भी ज्यादा अच्छी लगने लगी थी। मुझे अब सब कुछ अपनी जिंदगी में सही लगने लगा था। अब जब कभी भी मेरा मूड खराब होता और या फिर मैं किसी बात से परेशान होती, तो आरव से बात करके सब ठीक हो जाता था। वह मेरे हर पल खुश रहने की वजह बन गया था, और मुझे मालूम था कि मेरी जिंदगी इससे अच्छी नहीं हो सकती थी। मैं बहुत खुश थी कि वह हमेशा मेरे साथ था।

***

एक दिन, मैं शाम के वक़्त हॉल में बैठी टीवी देख रही थी, और तभी पापा भी ऑफिस से आ जाते है।

“ये देखो मैं क्या लाया हूँ।” पापा अपना हाथ हवा में हिलाते हुए कहते है, और मैं देखती हूँ कि उनके हाथ में कुछ टिकट जैसा था।

पापा आकर सोफे पर बैठ जाते है, और फिर मुझे एक टिकट दिखाते है।

“क्या है यह? लॉटरी की टिकट है क्या?” मम्मी किचन से पानी का गिलास लाते हुए पूछती है। “मैंने तुम्हें कितनी बार कहा है कि लॉटरी की टिकट मत खरीदा करो।” मम्मी पापा को पानी का गिलास देते हुए कहती है।

“अरे बाबा नहीं, यह लॉटरी की टिकट नहीं है। ये तो हम दोनों के लंदन जाने की टिकट है।” पापा मम्मी को टिकट दिखाते हुए कहते है।

मम्मी पापा के हाथ से टिकट लेती है, और फिर अच्छे से इसे देखते हुए पूछती है, “ क्या हम सच में लंदन जा रहे है? लेकिन क्यों?”

मम्मी का चेहरा देख कर ऐसा लग रहा था कि जैसे मम्मी को पापा की बात पर यकीन न हो रहा हो।

“तुमने तो कुछ बताया ही नहीं इसके बारे में? और टिकट सिर्फ दो क्यों है।” मम्मी पापा को टिकट वापस देते हुए और उनके पास सोफे पर बैठते हुए पूछती है।

“क्योंकि हम दोनों डेट पर जा रहे है। तुमने कहा था ना कि तुम डेट पर जाना चाहती हो, तो मैं तुम्हें डेट पर लेकर जा रहा हूँ।” पापा खुश होते हुए बताते है।

अब मम्मी पूरी तरह से हैरान थी।

“मजाक करना बंद करो और सच बताओ।” मम्मी कहती है।

“मैं मज़ाक नहीं कर रहा हूँ। ये दोनों टिकट मुझे मेरे बॉस ने दी है। असल में मुझे काम के सिलसिले में लंदन जाना था, तो मैंने बॉस को कह दिया कि मैं अपनी बीवी के साथ जाना चाहता हूँ, और उन्होंने कहा कि उन्हें इससे कोई प्रॉब्लम नहीं है।”

अब मम्मी बहुत खुश नज़र आ रही थी, और उन दोनों के लिए मैं भी बहुत खुश थीं। मैं अपनी जगह से उठकर पापा के पास बैठ जाती हूँ, और मजाक में कहती हूँ, “ पापा आप अपने दोनों प्यारे से बच्चों को तो भूल ही गये।”

“ओ। मेरा प्यारा बच्चा। कोई बात नहीं अगली बार हम सब साथ में जाएंगे।” पापा मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहते है।

“ नहीं पापा, मैं तो मज़ाक में कह रही थी। आप दोनों जाओ और खूब मजे करो। ” मैं कहती हूँ।

“ कौन कहा जा रहा है। ” आरव हॉल में आते हुए पूछता है, और फिर आकर सोफे पर बैठ जाता है।

“मैं और तुम्हारी मम्मी, लंदन जा रहे है, दूसरे हनीमून के लिए।” पापा हाथ से जहाज बनाते हुए कहते है।

“क्या बात है, लेकिन ध्यान रखना कोई दूसरा बाई बहन न आ जाये।” आरव हँसते हुए कहता है।

मम्मी अपने पास से एक तकिया उठाती है, और आरव को जोर से फेंककर मारती है। “तुम बहुत बिगड़ गए हो आरव।” मम्मी कहती है, और हम सब हँसने लगते है।

बाद में, मम्मी किचन में चली जाती है, और पापा भी अपने कमरे में नहाने के लिये चले जाते है, और अब हम दोनों अकेले हॉल में थे। आरव मेरी और मुस्कुराते हुए देख रहा था, और मुझे पता था कि वह क्या सोच रहा है, यही कि एक पूरे हफ्ते के लिए हम दोनों अकेले घर पर होने वाले थे, सिर्फ हम दोनों! यह सोचकर मेरा दिल भी जोर-ज़ोर से धड़क रहा था।

“इस तरह से मुस्कुराना बन्द करो। तुम्हारा चेहरा साफ बता रहा है कि तुम क्या सोच रहे हो।” मैं आरव को कहती हूँ, और फिर वहाँ से उठकर अपने कमरे में आ जाती हूँ। मैं कमरे में आकर दरवाजा बंद करके बेड पर जाकर लेट जाती हूँ।

मैं अपने दिल को हाथ से थपथपाती हूँ, और इसे शांत होने के लिए कहती हूँ, लेकिन यह शांत ही नहीं होता है। मेरे और आरव के बीच में क्या होगा, यह सोचकर मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।

मैं थोड़ी देर सोने की कोशिश करती हूँ, ताकि मेरा दिल और दिमाग शांत हो जाये, लेकिन इससे पहले ही आरव मेरे कमरे के बाहर से मुझे आवाज़ लगाता है।

मैं उठकर दरवाजा खोलने के लिए जाती हूँ, और दरवाजा खोलते ही पूछती हूँ, “क्या है?”

“अरे, मुझे कमरे में आने तो दो। पहले से ही इतने गुस्से में बोल रही हो।” आरव मेरे कमरे में दाखिल होते हुए कहता है।

वह जाकर मेरे बेड पर बैठ जाता है, और मैं भी वहीं चली जाती हूँ।

“ मुझे थोड़ी देर सोना है, तो तुम मेरे कमरे से बाहर जाओ।” मैं अपने दोनों हाथ अपनी कमर पर रखते हुए कहती हूँ।

“मुझे कमरे से बाहर निकालने की क्या जरूरत है, तुम यहाँ पर सो सकती हो।” आरव अपनी टांग पर हाथ रखते हुए और मुस्कुराते हुए कहता है।

“नहीं मुझे यहाँ पर नहीं सोना है। तुम बस मेरे कमरे से बाहर जाओ। ” मैं कहती हूँ।

“ठीक है, जाता हूँ। ” आरव मेरा हाथ पकड़ते हुए कहता है। “लेकिन पहले एक बात बताओ कि जो तुम अभी हाल में कह कर आयी हो उसका क्या मतलब है।” यह कह कर वह मुझे अपनी गोद में खींच लेता है।

“क्या कर रहे हो, मुझे जाने दो। अगर मम्मी या पापा ने हमें इस तरह से देख लिया तो हम दोनों मारे जाएंगे।”

“तो फिर जल्दी से मुझे बता दो कि क्या पता चल रहा था तुम्हें मेरे चेहरे से, फिर मैं तुम्हें जाने दूंगा।” आरव अपनी बांहों से मेरी कमर को कसकर पकड़ते हुए कहता है।

“तुम्हें सब पता है कि मेरा क्या मतलब था। लेकिन तुम फिर भी पूछ रहे हों।” मैं उसके चेहरे से दूसरी ओर देखते हुए कहती हूँ।

“क्योंकि मैं तुमसे सुनना चाहता हूँ।” आरव कहता है और अब मैं बता देती हूँ कि मेरा क्या मतलब था।

“ मुझे पता था कि तुम बुरी बातें सोच रहे थे। तुम सोच रहे थे कि अब हम दोनों घर पर अकेले होने वाले है, तो.....।

“ तो क्या?” आरव पूछता है।

“ तो बस अकेले घर पर होने वाले है, और कुछ भी नहीं। अब जाने दो मुझे।” मैं उसके हाथ अपनी कमर से दूर करते हुए कहती हूँ। आरव थोड़ा सा हँसता है, और फिर मुझे जाने देता है।

“ठीक है, मैं समझ गया कि तुम्हारा क्या मतलब था। कोई बात नहीं अगर तुम अब बता नहीं पाई।” आरव मुझे कहता है, और फिर मेरे कमरे से चला जाता है।

उसके जाने के बाद, मैं चैन की सांस लेती हूँ, और बेड पर लेट जाती हूँ। उसे नहीं मालूम था कि जब वह मुझे इस तरह से छूता था, तो मेरा मुझ पर काबू रखना कितना मुश्किल हो जाता था।

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