"तुम क्या कर रहे हो? एक बार में बताओ खायी है या नहीं?" मैं उसे गुस्से से पूछती हूँ।
" तुम क्या एक्टिंग कर रही हो? तुम तो ऐसे कर रही हो जैसे तुमने कभी मेरा जूठा खाया ही न हो। तुम कल रात वाली बात भूल गई हो कि कैसे मैंने तुम्हें -"
" बस-बस। कल रात के बारे में बात नहीं करते।" मैं उसके मुंह पर अपना हाथ रखते हुए कहती हूँ।
"क्यों नहीं?" आरव अपने मुंह से मेरा हाथ हटाते हुए कहता है। "शायद तुम कल रात के बारे में भूल गई हो, मैं याद दिलाने में मदद करूँ?" वह अपनी कटोरी बेड पर रखकर मेरे पास आ जाता है। वह मेरी खीर वाली कटोरी भी साइड में रख देता है, और मेरे और करीब आ जाता है।
"तुम क्या कर रहे हो?" मैं अपना हाथ उसके सीने पर रखकर उसको अपने करीब आने से रोकते हुए कहती हूँ। वह मेरा हाथ अपने हाथ में पकड़ लेता है और फिर मुझे बेड पर पीछे धकेल देता है।
"तुम रुक जाओ वरना मैं मम्मी को तुम्हारी शिकायत लगाऊँगी। "मैं उसे धमकाती हूँ ताकि वह रुक जाए।
"हां, ये बात तो मुझे भी तुमसे पूछनी थी। तुमने कहा था कि तुम मेरी शिकायत लगाओगी, लेकिन तुमने किसी को कुछ भी नहीं बताया। ऐसा क्यों।" अब उसके हाथ मेरे दोनों ओर बेड पर थे, और वह मुझे अपनी प्यारी-सी आंखों से देख रहा था।
" क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि उनको तुम्हारी हरकतों का पता चले और उन्हें दुख हो।" मैं जवाब देती हूँ।
"तुम सब के बारे में सोचती हो, कि किसे दुख होगा किसे नहीं। लेकिन कभी मेरे बारे में सोचा है कि तुम मुझे कितना दुखी करती हो। बार-बार, हर दिन। हर दिन तुम कुछ ऐसा करती या कहती हो जिससे मुझे दुख होता है, लेकिन मैं फिर भी तुम्हें सहता हूँ, और पता है क्यों? क्योंकि मैं तुमसे प्यार करता हूँ।" वह मेरे चेहरे के और करीब आ जाता है।
"तुम्हें पता है, जब मैं पहली बार इस घर में आया था, तो पहली ही नजर में मुझे तुमसे प्यार हो गया था। मुझे मालूम था कि हमारे बीच में यह सब नहीं हो सकता, इस लिए मैं हमेशा अपने दिल को रोकता रहा। हमेशा अपने दिमाग से कहता रहा कि उसके बारे में सोचना बंद करो, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। मैं खुद को चाहकर भी नहीं रोक पाया, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ रूही।" अब उसकी आँखों से आंसू टपकने लगे थे, और मेरे चेहरे पर गिर रहे थे। मुझे उसे ऐसा देखकर बुरा लग रहा था। मुझे ऐसा महसूस हो रहा था, जैसे मेरा पूरा संसार बिखर रहा हो।
"तुम, रोना बंद करो।" मैं अपना हाथ उसकी गाल पर रखते हुए कहती हूँ। वह मेरी आँखों में देखता है, और फिर थोड़ा सा और करीब आकर वह अपने होंठों से मेरे होंठ छू लेता है। मैं इस बार उसे नहीं रोकती, क्योंकि मैं डरती थी कि वह और रोयेगा अगर मैं उसे रोकूँगी और शायद सच यह था कि मैं भी वह किस चाहती थी।
उसकी गर्म सांसे मेरे होंठों को बार-बार छू रही थी और वह एक पल के लिए भी रुक नहीं रहा था। मुझे डर लग रहा था कि कहीं वह कुछ और न कर दे।
वह धीरे से मेरी गर्दन की ओर जाता है, और फिर वहाँ भी चूमने लगता है। मैं उसे रोकना चाहती थी लेकिन मेरा दिल नहीं मान रहा था।
"आरव.....। बस करो। " आखिरकार मैं उसे कह ही देती हूँ, लेकिन वह नहीं रुकता है। उसके होंठ धीरे-धीरे से मेरी गर्दन को हर जगह चूम रहे थे और कभी-कभी मुझे उसकी जीभ भी महसूस होती है। अब मैं भी नहीं चाहती थी कि वह सब रुके।
कभी-कभी हम सही-ग़लत सब भूलकर अपने दिल की सुनने लगते हैं और तब हमें वही सबसे सही लगने लगता है।
"सॉरी। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था, लेकिन-।" आरव कहता है, और फिर एक दम से बेड से उठकर कमरे से बाहर चला जाता है।
मैं बेड पर दूसरी ओर मुड़ती हूँ, और एक बार फिर से रोने लग जाती हूँ। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि हमारे साथ ही ऐसा क्यों होना था। अगर हम दोनों को एक दूसरे के प्यार में ही पड़ना था, तो हमारे मम्मी पापा की शादी क्यों हुई? कितना अच्छा होता अगर मैं और आरव हम दोनों अलग-अलग घर से होते, तो किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं होनी थी।
मुझे नहीं पता कि उस रात मैं कितने घण्टे रोती रही, लेकिन जब मैं अगली सुबह उठी, तो मेरी आँखें सूजी हुई थी।
मैं जल्दी से अपनी आंखों को ठंडे पानी से धोती हूँ, और फिर आई-ड्रॉप्स डालती हूँ। इससे मेरी आँखों को बेहतर महसूस हो रहा था।
थोड़ी देर के बाद, मैं नहाकर और कॉलेज के लिए तैयार होकर हाल में नाश्ता करने के लिए आ जाती हूँ। मम्मी-पापा और आरव सब वहीं थे। मैं भी उनके साथ नाश्ते के टेबल पर बैठ जाती हूँ और खाना खाने लगती हूँ।
खाना खाने के बाद, मैं और आरव घर से बाहर आ जाते है और फिर लिफ्ट लेकर बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर आ जाते है। सारे रास्ते आरव मेरे साथ थोड़ी-सी भी बात नहीं करता और न ही मेरी ओर देखता है। अब मैं सोच रही थी कि अगर उसको कल रात का पछतावा हो रहा हो?
बिल्डिंग के बाहर आने के बाद, आरव गेराज से अपनी बाइक लेने चला जाता है और मैं वहीं( बिल्डिंग के बाहर) उसका इंतजार करती हूँ।
जब मैं वहाँ खड़ी थी, तो शर्मा अंकल की लड़की सोनाली भी वहां आ जाती है, और मुझे आरव के बारे में पूछती है। मुझे उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था, मन कर रहा था कि उसे चप्पल से मारूं। वह कैसे आरव का नाम बार-बार अपनी जबान से ले रही थी।
"आरव आ गया।" सोनाली कहती है, और फिर यहाँ से आरव अपनी बाइक के साथ आ रहा था, वहाँ दौड़ जाती है।
सोनाली आरव के पास जाकर उससे बातें करने लग जाती है, और अब आरव भी उसके साथ हँस रहा था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आरव कर क्या रहा है। एक तरफ तो वह मुझसे कहता है कि वह मुझे प्यार करता है, और अब वह दूसरी लड़की के साथ हंसी मजाक कर रहा है?
"मैं अब उससे कभी भी बात नहीं करूंगी।" मैं खुद को कहती हूँ, और अपना चेहरा दूसरी ओर कर लेती हूँ, और तभी मुझे कल वाला लड़का दिखता है। वह आज भी अपनी कल वाली जगह पर खड़ा था, और मेरी ओर देख रहा था।
मैं उसके पास जाती हूँ और कहती हूँ, "आप कल भी मुझे देख रहे थे और आज भी। आखिर आपकी प्रॉब्लम क्या है?" मेरी यह बात सुनकर वह लड़का थोड़ा सा हँसता है, और फिर पूछता है, "क्या वह लड़का आपका भाई है या फिर.... कौन? कल वह आपके साथ था, और आज किसी और लड़की के साथ।" वह फिर से थोड़ा-सा हँसता है, और मुझे लग रहा था जैसे कि वह मेरी बुरी किस्मत पर हँस रहा हो।
"आपको इससे क्या लेना देना है कि वह किसके साथ है और किसके साथ नहीं। आप अपने काम से मतलब रखिये ना। " मैं गुस्से से कहती हूँ।
"ठीक है, तो हम अपने काम से मतलब रखते है। आप बताऊँ कि आप हमारे साथ कहीं घूमने जाएंगी? मैं आपको-"
इससे पहले वह लड़का अपनी बात पूरी कर पाता आरव वहाँ पर आ जाता है।
" तुम यहाँ क्या कर रहीं हो! मैं तुम्हें वहाँ पर छोड़कर गया था ना?" आरव मेरा हाथ पकड़ते हुए, और उस लड़के को गुस्से से घूरते हुए मुझसे कहता है।
"मुझे माफ़ करना। मुझे नहीं पता था कि यह लड़की आपके साथ है।" वह लड़का अपने सिर के ऊपर हाथ जोड़कर कहता है, और फिर मुस्कुराते हुए वहाँ से चले जाता है।
मैं उस लड़के के अंदाज़ से हैरान थी और उसे जाते हुए देख रही थी।
"तुम उधर क्या देख रही हो, मैं यहाँ हूँ।" आरव मेरा हाथ हिलाते हुए कहता है। "और तुम उस लड़के से क्या बात कर रही थी?" आरव अब मेरी ओर गुस्से से देखता है।
"मैं कोई भी बात करूँ, इससे तुम्हें क्या लेना देना। जैसे तुम सोनाली से बात कर सकते हो, वैसे ही मैं भी किसी से कोई भी बात कर सकती हूँ।" मैं गुस्से में कहती हूं।
“तुम्हें जलन हो रही थी कि मैं सोनाली से बातें कर रहा था?" आरव मेरी ओर मुस्कुराते हुए कहता है।
"जलन और वह भी मुझे? तुम दिन में सपने देखना छोड़ दो। और मेरा हाथ छोड़ो, वरना तुम्हारी सोनाली जल-भुनकर राख हो जाएगी।" मैं अपना चेहरा उसके पास लाते हुए कहती हूँ, और फिर एक दम से अपना हाथ उसके हाथ से खींच लेती हूँ।
बाद में हम दोनों बाइक के पास आ जाते है, यहाँ सोनाली भी खड़ी थी। वह हम दोनों को ऐसे देख रही थी, जैसे पता नहीं उसने क्या देख लिया हो। आरव सोनाली को कहता है कि वह उससे बाद में मिलेगा और फिर हम दोनों बाइक पर बैठकर वहाँ से चले जाते है।
बिल्डिंग के बाहर निकलने से पहले, मैं पीछे देखती हूँ, और देखती हूँ कि सोनाली मुझे गुस्से से देख रही थी। वह सच में ऐसे लग रही थी, जैसे कि वह मुझे आरव के साथ देखकर जल रही हो।
"आरव तुम्हारी गर्लफ्रैंड बहुत गुस्से में लग रही थी।" मैं आरव को हँसते हुए कहती हूँ।
"वह मेरी गर्लफ्रैंड नहीं है। मैंने तो उसकी कल थोड़ी सी मदद की थी बस। "
"अच्छा। लेकिन मुझे क्या लग रहा है, कि उसको तुम्हारी मदद पसंद आ गई है, और तुम भी।" मैं एक बार फिर से हँसती हूँ। मुझे उसको चिड़ाने में मज़ा आ रहा था, और शायद सच यह था कि मैं वह सब गुस्से में कह रही थी, लेकिन बस हँसने का नाटक कर रही थी।
"अपनी बकवास बंद करो। और वैसे भी, अगर वह मुझे पसंद भी करती है, तो भी मैं सिर्फ तुम्हें ही पसंद करता हूँ।" आरव कहता है और अब मैं पूरी तरह से चुप हो जाती हूँ।
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