“अगर ऐसी बात है तो तुम उससे इतना हँसकर क्यों बात कर रहे थे?” थोड़े समय के बाद मैं उसे पूछती हूँ।
“वह तो मैं बस तुम्हें जलाने के लिए कर रहा था। मैंने सोचा कि अगर तुम मुझसे प्यार करती हो, तो तुम्हें जलन होगी। तो बस वहीं करने की कोशिश कर रहा था।"
“अच्छा? तो फिर क्या पता चला तुम्हें? मैं तुमसे प्यार करती हूँ या नहीं?” मैं पूछती हूँ।
“पता नहीं। अभी पूरी तरह से नहीं कह सकता। कभी-कभी लगता है कि हां करती हो और कभी-कभी लगता है कि नहीं।” आरव कहता है, और मुझे उसपर बहुत गुस्सा आता है। मेरा मन कर रहा था कि बाइक से उतरकर उसे बहुत मारूं। कल रात मैंने उसे किस करने दी, क्या वह काफ़ी नहीं था उसको यह बताने कि लिये कि मैं भी उससे प्यार करती हूँ। पागल कहीं का।
“आरव आज के बाद तुम मुझसे बात मत करना। और न ही मेरे कमरे में आना।”
“ लेकिन ऐसा क्यों?” आरव पूछता है।
“ क्योंकि अब मैं रवि को डेट करने लगी हूँ, और अगर हम दोनों के बीच कुछ हो, तो यह सही नहीं है। इसलिये तुम मेरे कमरे में नहीं आओगे, और न ही मेरे से ज्यादा बात करोगे।”
पता नहीं मैंने वह सब क्यों कहा। शायद मैं गुस्से में थी कि वह कुछ भी नहीं समझता, या फिर मैं चाहती थी कि वह गुस्सा करें और कहे ― मैं तुमसे प्यार करता हूँ, इस लिए तुम किसी और लड़के के पास नहीं जाओगी और मैं भी आज से किसी लड़की से बात नहीं करूँगा।
लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं होता, उलटा वह कहता है, “ अगर तुमने फिर से रवि या किसी और लड़के की बारे में मेरे सामने बात की तो मैं तुम्हें बाइक से गिरा दूंगा।”
मैं उसकी बात सुनती हूँ, और अपने माथे पर हाथ मारती हूँ। यह लड़का सच में पागल था, कुछ भी नहीं समझता है।
कॉलेज पहुंचने के बाद मैं बाइक से उतर जाती हूँ और कॉलेज के अंदर चली जाती हूँ।
आज जब मैं क्लास में आती हूँ, तो सपना के साथ आज कोई और भी मेरा इंतजार कर रहा था, और वह था रवि।
मैं सपना के पास जाती हूँ, और उसे हैल्लो कहकर उसके पास बैठ जाती हूँ। हम दोनों बातें करने लग जाते है, और तभी मेरी नज़र रवि पर पड़ती है जो मेरी ओर देखकर मुस्कुरा रहा था। मैं भी उसकी ओर मुस्कुराती हूँ, और फिर से सपना से बातें करने लग जाती हूँ।
“क्या चल रहा है, तुम दोनों के बीच?” सपना अपने कंधे से मेरे कंधे को मारते हुए पूछती है।
“कुछ नहीं चल रहा है। ज्यादा मत सोचो।” मैं सपना को कहती हूँ, और तभी इंग्लिश की टीचर भी क्लास में आ जाती है। वह हमें पढ़ाने लगती है और हम दोनों चुप करके उनका लेक्चर सुनते है।
रेसस टाइम में जब सभी स्टूडेंट क्लास से बाहर चले जाते है, तो रवि मेरे पास आता है, और मुझे चॉकलेट का डब्बा देता है जो मैंने उससे कल मांगा था। मैं उसे 'थैंक यू ' कहती हूँ और फिर वह अपने दोस्त के साथ क्लास से बाहर चला जाता है।
अब सपना से छिपाने के लिए मेरे पास कुछ नहीं बचा था, तो मैं उसे बता देती हूँ कि हम दोनों डेट कर रहे है। सपना यह सुनकर बहुत खुश थी।
वह मुझे जोर से गले लगाती है, और फिर कहती है, “ मैं खुश हूँ कि तुम्हारी जिंदगी से उस आरव का किस्सा ख़त्म हुआ। अब वह मेरे लिए बच गया है।” वह मुस्कुराती है।
मुझे समझ नहीं आया कि सपना वह सब मज़ाक में कह रही थी या फिर सच में...?
“तुम्हारा क्या मतलब है कि आरव तुम्हारे लिये बच गया? अगर वह मेरे बारे में नहीं भी सोचता है, तो और भी बहुत लड़कियां है जो उसके पीछे पड़ी है।” मैं मुस्कुराते हुए कहती हूँ, लेकिन मेरा मुस्कुराने का कोई मन नहीं था। मैं बस सच जानना चाहती थी, इस लिए वह सब कर रही थी।
“कौन है वह? मेरे से ज्यादा खूबसूरत तो नहीं हो सकती।” सपना अपने बालों को अपने हाथ से पीछे झटकते हुए कहती है।
"तुम सच में...आरव को पसंद करती हो?" मैं उसे पूछ ही लेती हूँ।
वह मेरी ओर देखती और फिर मेरा हाथ अपने हाथ में पकड़कर पूछती है, "तुम बताओ। क्या तुम उसे पसंद करती हो?"
"अगर मैं उसे पसंद करती होती तो मैं रवि को डेट क्यों करती। मैं आरव को इतनू-सा भी पसंद नहीं करती हूँ।" मैं झूठ बोलती हूँ, ताकि मैं सपना की सच्चाई जान सकूँ।
" पक्का ना?" वह पूछती है।
" पक्का बाबा। मैं उसे पसंद नहीं करती हूँ।" मैं वह शब्द बोल तो देती हूँ, लेकिन मुझे बहुत दुख लगता है।
"शुक्र है। तुम्हें पता नहीं है कि मुझे कितना डर लगता रहता था। मुझे लगता था कि अगर आरव तुम्हें पसंद करता है, तो तुम भी उसे पसंद करती होगी, और फिर मेरा कोई चांस नहीं है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ!" सपना कहती है, और एक बार फिर से मुझे जोर से गले लगा लेती है। अब न तो मुझे रोना आ रहा था, और न ही खुद पर हँसी।
सच में, हम जो इस दुनिया के बारे में सोचते है, दुनिया उससे उलट होती है। कहां मैंने सपना को अपनी बैस्ट फ्रेंड माना था, और वह थी कि मुझे अपने रास्ते का रोड़ा समझ रही थी।
"अच्छा यह बता, तू आरव को कब से पसंद करती है?" मैं पूछती हूँ।
"शायद दो महीने से ज्यादा हो गया है। मैंने उसे पहली बार प्लेग्राउंड में देखा था, और तब से ही वह मुझे अच्छा लगने लगा है।" सपना मुस्कुराते हुए कहती हैं।
"तूम तो बहुत बड़ी कमीनी निकली। तूम मुझसे सब कुछ जान लेती हो और खुद कुछ भी नहीं बताती हो।" मैं हँसते हुए कहती हूँ।
"तो क्या करूँ? सब कुछ थोड़ी बताया जाता है।" सपना कहती हैं, और अब मुझे खुद पर हँसी आ रही थी। मैं कितनी बड़ी बेवकूफ थी कि वह मुझे सिर्फ एक-दो बार पूछती, और मैं सब कुछ बता देती, लेकिन वह कितनी स्मार्ट थी। उसने कभी मुझे कुछ नहीं बताया।
"अच्छा ठीक है, तू यहाँ पर बैठ मैं रवि को ढूंढ कर आती हूँ। मुझे उससे पूछना था कि हम किस दिन डेट पर जा रहे है।" मैं डेस्क से उठते हुए सपना से कहती हूँ।
"ठीक है, जा, और अच्छी ख़बर लाना।" सपना अपने अंगूठे से 'आल द बेस्ट' करते हुए कहती है। मैं भी उसे ‛थैंक यू’ बोलती हूँ और फिर क्लास से बाहर आ जाती हूँ।
असल मैं मैंने सपना से झूठ बोला था कि मैं रवि से मिलने जा रही हूँ। सच तो यह था कि मुझे वहाँ पर बैठकर घुटन सी हो रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं किसी भी पल रो पड़ूँगी और फिर सपना को सब सच पता चल जाएगा।
मैं कॉलेज के पिछले हिस्से वाली बालकनी में आ जाती हूँ यहाँ मैं और सपना कल आये थे। कल की तरह आज भी वहाँ पर कोई भी नहीं था।
मैं बालकनी के पास जाती हूँ, और वहाँ से खड़े होकर शहर की ऊंची इमारतों को देखती हूँ। बालकनी से सारा नजारा बहुत खूबसूरत था, लेकिन दुख की बात यह थी कि मेरा मूड बहुत खराब था। और इस सब का असली कारण वह आरव था। अगर वह मेरी जिंदगी में न होता तो सब कुछ ठीक होना था। न वह मेरी जिंदगी में आता, न मुझको उससे प्यार होता, और न ही मेरी सहेली मुझे धोखा देती। अब तो मुझे यह भी लग रहा था, कि कल जो सपना ने मुझसे कहा, वह सब इस लिए कहा ताकि मैं आरव को पसंद न करूं। बहुत सारी चीज़ें चल रही थी मेरे दिमाग में, और समझ नहीं आ रहा था कि मैं किसपर भरोसा करूँ और किस पे नहीं।
मैं सोचते-सोचते नीचे बालकनी के पास बैठ जाती हूँ, और फिर रोने लगती हूँ।
कभी-कभी मुझे खुद पर बहुत गुस्सा आता था कि मैं कितना रोती हूँ। लेकिन फिर यही तो एक चीज थी जिसे करके मुझे बेहतर महसूस होता था, वरना अब कौन था जिस पर मैं भरोसा करके अपने दिल की बात कह सकूँ?
कुछ मिनट तक मैं वहीं बैठी रोती रहती हूँ और आरव का नाम पुकारती रहती हूँ। मुझे नहीं पता था कि मैं वह क्यों कर रही हूँ, लेकिन जब भी मैं आरव का नाम लेती थी, तो मेरे दिल को सुकून-सा मिलता था।
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