छुट्टी के समय, मैं कॉलेज से बाहर निकलती हूँ और सीधा वहाँ चली जाती हूँ, यहाँ आरव अपने दोस्तों से बातें कर रहा था।
वह मुझे वहाँ पर देखकर थोड़ा-सा हैरान था, लेकिन कहता कुछ नहीं है। वह अपने दोस्तों को बाये बोलता है, और फिर हम दोनों बाइक पर बैठकर वहाँ से चले जाते है।
" क्या बात है? आज तुम इतनी जल्दी कैसे आ गई? पहले तो तुम कभी अपने इस दोस्त से, तो कभी उस दोस्त से बातें करती रहती थी, तो आज क्या हुआ?" आरव आधे रास्ते में आकर पूछता है और मैं उसकी बात का कोई जवाब नहीं देती हूँ।
जब हम थोड़ा और आगे आ जाते है, तो मैं सड़क के दोनों तरफ़ देखती हूँ, और देखती हूँ कि हमारे सिवा वहाँ पर कोई नहीं था। मैं इसका फायदा उठाती हूँ, और आरव को पीछे से हग कर लेती हूँ। मैं अपना सिर उसकी पीठ पर रखती हूँ, और अपनी आँखें बंद करके उसकी खुशबू महसूस करती हूँ।
मैं अपनी गाल उसकी शर्ट पर बार- बार धीरे से रगड़ती हूँ, और मुझे वह सब करके बहुत अच्छा लग रहा था।
"तुम क्या कर रहीं हो? आज कॉलेज में कुछ उलटा-सीधा खा लिया था क्या?" आरव पूछता है और मैं उसकी बात का कोई जवाब नहीं देती हूँ। लेकिन मेरे हाथ जो उसे शांति से उसे हग कर रहे थे, अब उसके सीने और पेट पर घूमने लगे थे।
"तुम...!" आरव एक दम से मेरा एक हाथ अपने हाथ में पकड़ लेता है, और मुझको उसे छूने से रोकता है, लेकिन मेरा दूसरा हाथ अभी भी उसके सीने पर घूम रहा था। मैं जो हमारे बीच में थोड़ी सी भी दूरी बची थी उसको भी खत्म कर देती हूँ, और उसके और करीब आ जाती हूँ। मेरा पेट अब उसकी पीठ को छू रहा था और मेरे टांगे उसकी टांगो को।
"तुम्हें आज हुआ क्या है?" अब वह मेरा दूसरा हाथ भी अपने एक हाथ से पकड़ने की कोशिश करता है, लेकिन पकड़ नहीं पाता।
"अगर मेरा तुम्हारी वजह से एक्सीडेंट हो गया, तो मैं तुम्हें छोड़ूँगा नहीं।" आरव मुझे धमकाता है और मेरे हाथ पर अपनी पकड़ मजबूत कर लेता है। ऐसा लग रहा था कि उसे मेरे छूने से कुछ हो रहा है, और उसे इस तरह से देखकर मुझे उसे और तंग करने का मन कर रहा था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं आरव के साथ कभी कुछ ऐसा भी करूंगी और इस में मुझे इतना मज़ा आएगा।
मैं अपने हाथ से उसकी शर्ट का एक बटन खोल देती हूँ और फिर अपना हाथ उसकी शर्ट के अंदर डालती हूँ। मेरा हाथ उसके सीने पर रेंगता है, और अब मैं उसकी तेज सांसे सुन सकती थी। उसका दिल मेरे हाथ के नीचे जोर-जोर से धड़क रहा था।
मेरी उंगलियां उसके सीने के तीखे भाग को छूती हैं, और फिर उस पर बार-बार घूमती है।
"ठीक है, अब छू लो जितनी बार छूना है, लेकिन घर जाकर मैं भी उसी तरह से करूंगा जिस तरह से तुम कर रहीं हो।" आरव कहता है, और उसी वक्त मैं अपना हाथ उसकी शर्ट से बाहर निकाल लेती हूँ।
"अरे। रुक क्यों गई? करती रहो जो कर रही थी।" आरव कहता है लेकिन मैं कुछ भी नहीं करती हूँ, और अब मैं उससे थोड़ा सा दूर भी हो जाती हूँ।
"अरे, यह तो गलत बात है ना। तुमने मुझे जैसे चाहे वैसे छू लिया और अब जब मेरे छूने की बात आई, तो तुम रुक गई हो।" आरव कहता है और मेरा हाथ जो उसने पकड़ा हुआ था उसे अपने सीने पर घुमाने लगता है।
"मेरा हाथ छोड़ो।" मैं अपना हाथ उसके हाथ से खींचते हुए कहती हूँ, लेकिन वह मेरा हाथ नहीं छोड़ता है।
"क्या हुआ, डर लग रहा है कि मैं तुम्हारे साथ क्या करूंगा?" आरव पूछता है, लेकिन मैं बिल्कुल भी डरी नहीं थी, मैं तो शर्म से मुस्कुरा रही थी।
मैं एक बार फिर से उसको हग करती हूँ लेकिन इस बार वैसा कुछ भी नहीं करती हूँ। मैं उसकी पीठ पर अपना सिर रखकर अपनी आँखें बंद कर लेती हूँ और कहती हूँ, "तुम कर सकते हो, जो भी तुम करना चाहते हो। "
आरव कुछ समय के लिए कुछ भी नहीं बोलता है और फिर कहता है, "तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है? तुम्हें पता है कि मैं तुम्हारे साथ क्या-क्या कर सकता हूँ, अगर तुम ऐसा कुछ कहोगी तो।"
"क्या-क्या कर सकते हो?" मैं पूछती हूँ।
पता नहीं क्यों लेकिन मुझे उसे तंग करने में बड़ा मज़ा आ रहा था।
"तुम्हें घर पर जाकर बताऊँगा।" आरव कहता है, और मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगता है।
मैं एक बार फिर से उससे अपना हाथ खींचती हूँ, और इस बार वह मेरा हाथ अपने हाथ से जाने देता है।
"आरव।" मैं उसका नाम लेती हूँ और उसको एक बार फिर से हग कर लेती हूँ, " आई लव यू। " मैं कहती हूँ, और फिर उसकी पीठ पर किस कर देती हूँ।
"आज तुम मुझे पागल बना रही हो। क्या खाकर आयी थी कॉलेज से?" उसे अभी भी मुझपर यकीन नहीं हो रहा था।
दस मिनट के बाद, हम दोनों अपनी बिल्डिंग में पहुंच जाते है, और आरव अपनी बाइक गेराज में लगाने चला जाता है। आज वह ज्यादा समय नहीं लेता, और जल्दी से वापस आ जाता है। इसके बाद, हम दोनों बिल्डिंग के अंदर जाते है, और फिर लिफ्ट लेकर सातवें फ्लोर पर चले जाते है। कम से कम एक मिनट से भी पहले लिफ्ट सातवें फ्लोर पर पहुंच जाती है, और हमें कोई टाइम नहीं मिलता एक-दूसरे से बात करने के लिए।
और इसके बाद, जब हम घर में आते है, तो मम्मी भी आज घर पर ही थी, वरना हर रोज वह अपने पार्लर में होती है। आरव किचन में पानी पीने कि लिए जाता है, और फिर वहीं से बातें करने लग जाता है। उसके चेहरे को देखकर ऐसा लग रहा था कि उसे कोई प्रॉब्लम नहीं है कि मम्मी घर पर है, लेकिन मुझे थी। मुझे आरव से बात करनी थी, और उसे बताना था कि जो कुछ भी मैंने कहा है, वह सब सच है, कि मैं उसे सच में प्यार करती हूँ। लेकिन अब जब मम्मी घर पर थी तो मैं उसे कुछ भी नहीं कह सकती थी।
रात के समय भी, आज आरव मेरे कमरे में नहीं आता, वरना वह हर रोज़ मेरे कमरे में टपक पड़ता था। मैं रात के दस बजे तक उसका इंतजार करती रहती हूँ, लेकिन वह नहीं आता है। अब मुझे डर लग रहा था कि कहीं जो कुछ भी मैंने उसे कहा है, वह उसे मज़ाक न समझ ले। अगर ऐसा होता है तो मुझे नहीं पता था कि मैं फिर से वह सब कह पाऊँगी या नहीं। मैं पहले तो उसे वह सब इस लिए कह पाई थी, क्योंकि मैं डर गई थी, मुझे डर था कि अगर मैं अब आरव को अपने दिल की बात नहीं बताऊँगी, तो सपना या कोई और लड़की उसे मुझसे छीन लेगी।
हां, मैं आरव को लेकर डर रही थी, और मेरा डरना भी बनता था। और इसका कारण यह था कि मुझे कभी भी किसी से इतना प्यार नहीं हुआ था, जितना कि मुझे आरव से हो गया था। और अब मुझे सही-गलत से कुछ लेना-देना नहीं था। मुझे पता चल गया था कि लोग हमारे रिश्ते को गलत कहकर मुझे अपने रास्ते से हटाना चाहते थे। लेकिन अब मैं किसी की भी नहीं सुनने वाली थी। मुझे नहीं पता था कि हमारे रिश्ते का अंत क्या होगा लेकिन मुझे ख़ुशी होगी जितना भी वक्त हम साथ में बिता पाएंगे।
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