अध्याय 4

“तुम सच कह रही हो! उसने तुम्हें-”

मैं जल्दी से सपना के पास जाती हूँ और उसका मुंह अपने हाथ से बंद कर देती हूँ।

“ मेरी माँ धीरे बोलो। सब को बताना है क्या?” मेरा हाथ अभी भी उसके मुंह पर था। वह मेरा हाथ धीरे से पकड़ती है, और फिर अपने मुंह से उतारते हुए कहती है, “सॉरी। अब ऊँची आवाज़ में नहीं बोलूँगी।”

“ ठीक है।” मैं कहती हूँ और उससे पीछे हट जाती हूँ।

“लेकिन यह सच में हुआ है?” वह बहुत हैरान लग रही थी।

“नहीं मुझे मजा आ रहा है, मेरी और आरव की बातें बनाने में। ” मैं मज़ाक करती हूँ।

“लेकिन मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि उसने सच में तुमसे अपने प्यार का इजहार कर दिया है।” सपना कहती है और मैं उसकी बात सुनकर हैरान थी।

“तुम क्या कह रही हो? तुम्हें पहले से पता था कि आरव मुझे पसंद करता हैं?” मैं गुस्से से पूछती हूँ। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरी सहेली होकर वह मुझसे इतनी बड़ी बात कैसे छुपा सकती थी।

“नहीं मुझे कुछ भी नहीं मालूम था। यह तो मैं जब पिछली बार तुम्हारे घर पर आई थी, तो मैंने देखा आरव तुम्हारी ओर कैसे देख रहा था। कोई भी भाई अपनी बहन को इतने प्यार से तो नहीं देखता जितने प्यार से वह तुम्हें देख रहा था।” सपना की बात सुनने के बाद मेरा सारा गुस्सा उतर जाता है और अब मैं हल्का सा मुस्करा रहीं थी।

“अब तुम क्यों मुस्कुरा रही हो?” सपना मेरी ओर देखते हुए पूछती है। “ अब तुम मुझे यह मत कहना कि तुम भी उसे पसंद करती हो?” सपना कहती है।

“नहीं ऐसा कुछ नहीं है।” मैं झूठ बोलती हूँ।

“अच्छी बात है अगर तुम उसके बारे में वह सब नहीं सोचती हो। मैं जानती हूँ कि तुम दोनों असली भाई-बहन नहीं हो लेकिन फिर भी.....।”

“हां बाबा। मैं तुम्हारी बात समझती हूँ, और इस लिए मेरे दिल में उसके लिए कुछ भी नहीं है।” मैं साफ इनकार कर देती हूँ। और मुझे पता था कि वह झूठ मैं सिर्फ उससे ही नहीं बल्कि खुद से भी बोल रही थी।

“क्लास में चले अब?” मैं सपना को कहती हूँ और फिर हम दोनों क्लास में वापस आ जाते हैं। पांच मिनट के बाद टीचर भी क्लास में आ जाती है, और पढ़ाने लगती हैं। मेरा ध्यान पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं था। मैं वह सब सोच रही थी जो सपना ने मुझे कहा। वह सही कह रही थी, हम दोनों भाई-बहन है। हम दोनों के बीच वैसा कुछ नहीं होना चाहिए

मैंने सोच लिया था कि आज घर जाकर मैं आरव से थोड़ी सी भी बात नहीं करूंगी और जितना हो सके उससे दूर रहूँगी।

लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं होता।

छुट्टी के बाद, मैं कॉलेज से बाहर आती हूँ और आते ही आरव की बाइक सड़क के दूसरी तरफ़ देखती हूँ। चाहे उसकी बाइक वहाँ थी, लेकिन वह खुद वहाँ कहीं भी नहीं था।

मैं सड़क के दूसरी तरफ़ जाने ही वाली थी कि तभी कोई मुझे पीछे से आवाज़ लगाता है। मैं पीछे मुड़कर देखती हूँ, और देखती हूँ कि यह मेरा क्लासमेट रवि था।

“तुम अपनी किताब क्लास में ही भूल आईं थी।” रवि मुझे किताब देते हुए कहता है, जो उसने अपने हाथ में पकड़ी हुई थी।

“थैंक यू।” मैं किताब लेते हुए कहती हूँ।

“नहीं। कोई बात नहीं।” वह शर्माते हुए कहता है और फिर धीरे से मेरी ओर मुस्कुराता है। मैं भी उसकी ओर मुस्कुराती हूँ।

“रूही तुमसे एक बात कहनी थी।” रवि पहले जमीन पर देखता है और फिर मेरी ओर देखते हुए कहता है। ऐसा लग रहा था, जैसे कि वह कुछ कहने से झिझक रहा हो।

“हां, बोलो।” मैं कहती हूँ और तभी मैं आरव को उसके दोस्तों के साथ देखती हूँ। वह उनसे बातें कर रहा था और शायद उसने अभी तक मुझे नहीं देखा था। इससे पहले कि वह मुझे देखे मुझे वहाँ से खिसकना था। मैं नहीं चाहती थी कि वह मुझे फालतू के सवाल पूछे।

“जल्दी बोलो।” मैं रवि को कहती हूँ और एक तरफ ध्यान भी रखती हूं कि आरव मुझे देख न ले।

“वह मैं कह रहा था कि.... क्या तुम मेरे साथ डेट पर चलोगी?” रवि कहता है और मैं पूरी तरह से सदमे में चली जाती हूँ। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरी जिंदगी में हो क्या रहा है। पहले वह आरव और अब यह रवि। मैंने तो कभी रवि से इतनी बात भी नहीं की थी।

“सॉरी। लेकिन हम दोनों एक दूसरे को अच्छे से जानते भी नहीं है, तो फिर हम दोनों कैसे...? रियली सॉरी।” मैं उसे सच बता देती हूँ।

“नहीं कोई बात नहीं। तुम सही कह रही हो। तो क्या हम पहले दोस्त बन सकते है?” रवि अपना हाथ मेरी ओर बढ़ाते हुए कहता है।

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ, लेकिन फिर मेरे दिमाग मैं आरव का ख्याल आता है। मैं सोचती हूँ कि अगर मैं आरव को कहूँ कि रवि मेरा बॉयफ्रेंड है, तो शायद वह मुझे तंग करना छोड़ दे, और फिर अपने प्यार का नाटक भी बंद कर देगा।

“ठीक है, लेकिन फ्रेंड नहीं बॉयफ्रेंड।” मैं रवि से हाथ मिलाते हुए कहती हूँ।

“ मतलब?” रवि हैरान होते हुए पूछता है।

“ मतलब हम दोनों डेट पर जाएंगे और अगर....मुझे अच्छा लगा, तो मैं तुम्हारे साथ फिर से डेट पर जाऊँगी। और इस तरह से हम दोनों एक दूसरे के बारे में जान भी लेंगे।” मैं उसकी तरफ़ मुस्कुराते हुए कहती हूँ और वह भी मेरी ओर मुस्कुराता है।

"तो ठीक है, कल मिलते हैं।" मैं रवि से कहती हूँ, और अपना हाथ उससे वापस लेने की कोशिश करती हूँ, लेकिन वह मेरा हाथ नहीं छोड़ता है।

"तुम सच कह रही हो? मज़ाक तो नहीं कर रही हो ना?" रवि मेरे हाथ को अपने हाथ से दबाते हुए पूछता है।

"नहीं। मैं मज़ाक नहीं कर रही हूँ।" मैंने एक बार फिर से अपना हाथ उससे छुड़ाने की कोशिश की और इस बार वह मेरा हाथ जाने देता है।

“यहाँ पर क्या हो रहा है?”

मैं अपना सिर घुमाती हूँ, और वहाँ देखती हूँ जहाँ से आवाज़ आई थी। यह आरव था। वह गुस्से में लग रहा था।

आरव मेरे पास आता है और फिर मेरा हाथ पकड़कर मुझे रवि से दूर ले जाता है।

“वह लड़का कौन है? और तुम उससे हाथ क्यों मिला रही थी?” आरव गुस्से से घूरते हुए मुझसे पूछता है।

“मैं क्यों बताऊँ कि वह कौन है? और मैं किससे हाथ मिलाती हूँ किससे नहीं, इससे तुम्हें क्या लेना देना।” मैं वह सब बोल तो देती हूँ, लेकिन बाद में मुझे बुरा लगता है। हाँ, ठीक है कभी-कभी वह मुझे परेशान करता था लेकिन फिर मेरी चिंता भी तो करता था ना।

“ठीक है। अगर तुम नहीं बताओगी तो मैं उस लड़के से खुद जाकर पूछ लेता हूँ।” आरव कहता है, और फिर रवि की ओर चला जाता है। रवि अभी भी वहीं खड़ा हमारी ओर देख रहा था।

“रुको।” मैं कहती हूँ और आरव के पीछे जाती हूँ। मैं नहीं चाहती थी कि वह रवि को कुछ उलटा-सीधा कह दे।

“यह लड़की तुम्हारी क्या लगती है?” आरव एक दम से मुझे मेरी बांह से अपनी पास खींचता है और रवि से पूछता है।

रवि मेरी ओर देखता है और फिर आरव की ओर देखता है।

“ज्यादा कुछ नहीं, लेकिन आज ही रूही मेरी गर्लफ्रैंड बनी है।” रवि कहता है और आरव की पकड़ मेरी बांह पर और मजबूत हो जाती है। अब मुझे उसकी पकड़ से दर्द हो रहा था।

“क्या यह लड़का सच कह रहा है?” आरव मेरी ओर देखते हुए पूछता है। मैं उसकी आँखों में गुस्सा देखती हूँ, और उसके साथ दर्द भी था। मुझे उसे ऐसा देखकर बहुत बुरा लग रहा था, लेकिन फिर वह सब ठीक भी तो था। अब शायद वह मुझे तंग करना छोड़ देगा।

“हां। हम दोनों ने आज ही एक दूसरे को डेट करना शुरू किया है।” मैं कहती हूँ और उसी वक़्त आरव मेरी बांह छोड़ देता है।

“अच्छी बात है। चलो अब घर चलते है।” आरव कहता है, और वहाँ से चला जाता है।

“वह लड़का कौन था?” रवि आरव के जाने के बाद पूछता है।

“मेरा...भाई है।" मैं रवि को पूरी हिस्ट्री नहीं बताती कि आरव मेरा सौतेला भाई है, और वह मेरा भाई कैसे बना। इस बात को अभी के लिए राज ही रहने देना ठीक था।

“ओह, अच्छा। मैं कुछ और समझ रहा था।” रवि हँसते हुए कहता है।

“तुम्हें क्या लगा कि मैं उसे भी डेट कर रही हूँ और तुम्हें भी?” मैं मजाक में कहती हूँ।

“नहीं। लेकिन जिस तरीके से वह आया और उसने मुझे तुम्हारे बारे में पूछा, मुझे लगा।” रवि एक बार फिर से हँसता है, और मैं उसे गुस्से से देखती हूँ।

“ओके, सॉरी। गलतफ़हमी हो गई।” रवि अपने कान पकड़कर कहता है।

“ठीक है, माफ किया। लेकिन कल मेरे लिए चॉकलेट का डब्बा लाना अगर सच में माफी चाहते हो तो।” मैंने कहा और रवि हां में सिर हिलाता है।

“अब आ भी जाओ या फिर वहीं रहने का इरादा है?” आरव सड़क के दूसरी ओर से चिल्लाता है।

मैं सच में भूल गई थी कि वह मेरा अपनी बाइक के पास इंतज़ार कर रहा है।

“ओके। मैं जाती हूँ।” मैं रवि को कहती हूँ और फिर वहां से चली जाती हूँ।

“बहुत ज्यादा बातें नहीं हो रही थी?” आरव बाइक पर बैठते हुए कहता है। मैं चुपचाप उसके पीछे बैठ जाती हूँ, और वह बाइक वहां से भगा लेता है। आधे रास्ते तक हम दोनों में कोई बात नहीं होती, लेकिन फिर बाद में वह अपना मुंह खोल ही देता है।

"तुम उस लड़के को सच में पसंद करती हो?" आरव बाइक की स्पीड कम करते हुए पूछता है।

“हां। और वह अच्छा लड़का भी है।” मैं एक और झूठ बोलती हूँ। लेकिन इस बार मुझे बुरा नहीं लग रहा था बल्कि खुद पर गुस्सा आ रहा था। पता नहीं क्यों लेकिन मेरा मन कर रहा था कि मैं उसको सब सच बता दूँ। बता दूँ कि वह लड़का मेरे लिए कोई भी नहीं है, लेकिन फिर मैं ऐसा नहीं कर सकती थी। अगर करती तो, मेरा प्लैन शुरू होने से पहले ही ख़त्म हो जाता, जो कि मैं नहीं चाहती थी।

“अच्छा है कि तुम्हें भी कोई लड़का पसंद आया।” वह धीरे से कहता है और मुझे उसकी आवाज़ में दर्द साफ सुनाई दे रहा था।

“तुम कैसे लड़के हो?! तुम ऐसे-कैसे मुझे किसी और के पास जाने दे सकते हो?” मुझे उसपर बहुत गुस्सा आ रहा था। यह तो अच्छा था कि सड़क खाली थी और मैं उस पर अब जितना चाहे उतना चिल्ला सकती थी, कोई भी नहीं देखने वाला था।

‛वह ऐसा कैसे कर सकता है? वह इतनी जल्दी हार कैसे मान सकता है?!’ यह सब सोचकर मुझे उस पर बहुत ज्यादा वाला गुस्सा आ रहा था।

पर जो मैं चाहती थी वह हो रहा था, तो फिर क्यों मुझे इतना बुरा लग रहा था? क्यों मैं चाहती थी कि आरव मुझे रवि के साथ डेट करने से रोके, और कहे कि मैं उसके बिना किसी और के साथ कहीं भी नहीं जा सकती हूँ। मुझे सच में बहुत बुरा लग रहा था।

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