“अगर तुम मेरे साथ फिर से डेट पर आओगी तो मैं तुम्हें इससे भी अच्छी जगह पर लेकर जाऊंगा।” जैसे ही हम अपने शहर की ओर मुड़ने लगते है तो रवि कहता है।
“कहीं तुम्हें मुझसे सच में प्यार तो नहीं हो गया ना?” मैं रवि से हँसते हुए पूछती हूँ।
"अगर मैं कहूँ हाँ हो गया है, तो? ” वह पूछता है।
"तो मैं कुछ भी नहीं कर पाऊँगी। मैं किसी और को पसंद करती हूँ। ”
“किसे?" वह धीमी आवाज में पूछता है।
“शाहरुख खान को।” मैं हँसते हुए जवाब देती हूँ, और वह भी हँसने लग जाता है।
उसके बाद हम शहर में वापस आ जाते है, लेकिन घर जाने की जगह हम हमारे शहर की पुरानी पार्क में आ जाते है। शाम के सात बज गए थे, तो इस लिए हम दोनों के बिना वहां पर कोई भी नहीं था।
मैं वहाँ पर एक झूले पर बैठ जाती हूँ, और झूला झूलने लगती हूँ। रवि भी मेरे पास वाले झूले पर बैठ जाता है।
“तो बताओ तुम मुझे यहाँ पर क्यों लेकर आये हो?” मैं पूछती हूँ।
“बातें करने के लिए।” रवि झूला झूलते हुए कहता है।
“लेकिन क्या बातें करनी है?” मैं उसकी ओर देखते हुए कहती हूँ।
“बस ऐसे ही, कोई भी बात।” रवी शर्माते हुए नीचे जमीन पर देखते हुए कहता है। कभी-कभी मुझे उसकी यह हरकत बहुत प्यारी लगती थी।
मैं अपने झुले से उठकर उसके झूले के पास जाती हूँ, और फिर कहती हूँ, “मुझे भी बैठने के लिए जगह दो।” वह अपना सिर उठाता है और मेरी ओर देखता है।
“तुम यहाँ क्यों आ गई हो?” वह झूले के एक तरफ होते हुए पूछता है।
“क्योंकि हम दोनों डेट पर आए है, और हमें एक साथ बैठना चाहिए, इसलिए।” मैं मज़ाक में कहती हूँ, और वह सच में शर्मा जाता है।
“अगर तुम ऐसी बातें करोगी, तो मुझे लगेगा कि तुम भी मुझे पसंद करती हो।”
“ठीक है, तो तुम देखो जागते हुए सपने।” मैं कहती हूँ, और फिर झूला झूलने लगती हूँ। वह भी मेरे साथ झूलने लगता है, और कुछ समय के लिए चुप रहता है।
“रूही, तुमने कभी किसी को किस किया है?” रवि पूछता है, और मुझे अब तक मेरे और आरव में जो कुछ भी हुआ था, सब याद आने लगता है।
“नहीं, कभी नहीं। लेकिन तुम क्यों पूछ रहे हो?” मैं उसकी ओर देखते हुए पूछती हूँ, और देखती हूँ कि वह फिर से नीचे देख रहा था।
“फालतू की बातें मत सोचो।” मैं कहती हूँ, क्योंकि मुझे पता चल गया था कि वह क्या सोच रहा है। मैं उसके झुले से उठ जाती हूँ, लेकिन वह मुझे मेरे हाथ से खींचकर फिर से अपने पास बिठा लेता है।
“गुस्सा मत करो। मैंने तो कुछ भी नहीं कहा है।” रवि उदास-सा चेहरा बनाकर कहता है।
“लेकिन जिस तरह से तुम्हारा चेहरा लाल हो रखा है, उससे सब पता चल रहा है।” मैं कहती हूँ।
“अगर तुम सब समझ रही हो तो...।” रवि अपना चेहरा मेरे पास लाते हुए कहता है, लेकिन इससे पहले वह कुछ करता मैं अपना हाथ उसके चेहरे पर रखकर उसे रोक देती हूँ।
“अगर तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे दांत न तोड़ूं, तो पीछे रहो।” मैं उसका मुंह पीछे धकेलते हुए कहती हूँ।
“अच्छा, ठीक है, सॉरी।” रवि कान पकड़कर कहता है, और मैं उसे जाने देती हूँ।
“लेकिन सच में तुमने अभी तक किसी को किस नहीं किया है?” रवि हैरान होते हुए पूछता है।
“मुझे इतना भी कम मत समझो। एक बार की थी, लेकिन वह सब गेम के लिए था।" मेरी बात सुनते ही रवि झूला रोक देता है, और पूछता है, ”कौन सी गेम?"
“ट्रुथ और डेयर की गेम। मुझे डेयर मिला था लड़के को किस करने का, तो मैंने कर दिया। ”
“वाओ। मुझे नहीं पता था कि तुम ऐसा कुछ भी कर सकती हो।”
“मैं बहुत कुछ कर सकती हूँ। तुम अभी मेरे बारे में कुछ भी नहीं जानते हो।” मैं मुस्कुराते हुए कहती हूँ, और एक बार फिर से उसका चेहरा मेरे चेहरे के पास आ जाता है।
“तुम सच में मुझसे मार खाओगे।” मैं कहती हूँ, और तभी मैं आरव और सोनाली को पार्क के अंदर आते हुए देखती हूँ।
“तुम गेम के लिए किसी भी लड़के को किस कर सकती हो, लेकिन मैं जो तुम्हें पसंद करता हूँ, मुझे नहीं? रवि मेरी आँखों में देखते हुए कहता है।
“तुम अपनी बातों से मुझे फुसलाने की कोशिश कर रहे हो?” मैं कहती हूँ।
“हां बिल्कुल। लेकिन यह सच है कि मैं तुम्हें पसंद करता हूँ, और किस इस लिए क्योंकि मेरा मन कर रहा है। लेकिन अगर तुम नहीं करना चाहती हो, तो कोई बात नहीं। अगर मेरा दिल टूटता है, तो इसे टूटने दो। अगर मेरे जज्बात मेरे दिल में ही रह जाते है, तो रहने दो।” यह कहकर रवि अपना चेहरा मुझ से पीछे हटा लेता है और अब मैं आरव और सोनाली को और अच्छे से देख पा रही थी। वह दोनों साथ में बातें करते और हँसते हुए बहुत अच्छे लग रहे थे, और वह देखकर मुझे बहुत दर्द हो रहा था।
“तुम मुझे.... किस कर सकते हो।” मैं कहती हूँ और रवि मुझे हैरानी भरी नजरों से देखता है, और फिर मुझपर हँसने लग जाता है।
“अरे बाबा, मैं एक्टिंग कर रहा था। लेकिन देखो, तुमने कैसी शकल बनायी है, जैसे तुम अभी रो दोगी। मेरी एक्टिंग इतनी सच्ची लगी तुम्हें कि तुम्हारी आँखों से आँसू निकलने लगे है।” रवि अपना हाथ मेरी गाल पर लाता है, और आंसू पोंछते हुए कहता है।
“अगर तुम्हें किस नहीं करनी है, तो मैं घर जा रही हूँ।” मैं उठते हुए कहती हूँ, लेकिन वह मेरा हाथ पकड़कर मुझे फिर से अपने पास खींच लेता है।
“ऐसा क्या जाग गया तुम्हारे अंदर कि तुम किस करने के लिए इतनी उतावली हो रही हो?” रवि अपना चेहरा मेरे पास लाते हुए कहता है।
“तुम्हें नहीं करनी है?” मैं पूछती हूँ, लेकिन मेरा सारा ध्यान आरव और सोनाली पर था।
“नहीं। मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है। लेकिन पहले एक बात बताओ कि इस किस का तुम्हारे लिए कोई मतलब है या नहीं?” रवि पूछता है, और मैं एक बार फिर से वहाँ देखती हूँ, यहाँ आरव और सोनाली खड़े थे।
“नहीं। बस क्योंकि मैं करना चाहती हूँ।” मैं कहती हूँ और फिर अपने होंठों से उसके होंठों को छू लेती हूँ, और किस कर देती हूँ।
“तुम होंठों के छूने को किस कहती हो?” रवि कहता है, और फिर अपने हाथों से पकड़कर मेरा चेहरा अपने चेहरे के करीब लाता है।
“मैं सिखाता हूँ कि असली किस किसे कहते है। पहले अपनी आँखें बंद करो, और मुंह खोलो।” रवि कहता है, और मैं आँखें बन्द कर लेती हूँ, लेकिन मुंह नहीं खोलती। मुझे वह किस नहीं करनी थी जो रवि करना चाहता था।
थोड़ी देर के बाद, मुझे उसके होंठ मेरे होंठों पर महसूस होते है, और एक बार फिर से आरव मेरे दिमाग में आने लग जाता है। चाहे यह रवि था जो मुझे किस कर रहा था, लेकिन कैसे आरव ने मुझे किस की थी, वह सब बार-बार मेरे दिमाग में आ रहा था।
“औ...आव।” मेरे मुंह से आरव का नाम निकलता है, और तभी रवि अपनी जीव मेरे मुंह के अंदर डाल देता है। उसकी जीभ मेरे मुंह के अंदर घूमती है और मैं सोचती हूँ कि यह रवि नहीं आरव है, जो मुझे किस कर रहा है। अब मुझे किस करना अच्छा लग रहा था।
कुछ देर के बाद, रवि किस करना बन्द कर देता है, और मैं अपनी आँखें खोलती हूँ। जैसे ही मैं आँखें खोलती हूँ, तो मैं आरव को देखती हूँ, जो हमारी ओर देख रहा था। मेरी और उसकी एक पल के लिए नजरें मिलती है, लेकिन फिर जल्द ही मैं दूसरी तरफ़ देखती हूँ।
“तुम ठीक हो?” रवि पूछता है, और मैं हां में सिर हिलाती हूँ।
“सॉरी, अगर मैंने कुछ ज्यादा कर दिया हो तो।” उसकी इस बात पर मैं अपना सिर न में हिलाती हूँ, और फिर हल्का सा हँस देती हूँ।
“तुम सॉरी मत बोलो। मैंने ही कहा था तुमको किस करने के लिए।” मैं कहती हूँ।
“ओके, तो तुमने कुछ महसूस किया मेरे लिए?” रवि मेरी ओर देखते हुए पूछता है।
“मैंने पहले ही कह दिया था कि इस किस का मेरे लिए कोई मतलब नहीं हैं। सॉरी, अगर तुमने मेरे लिए कुछ महसूस किया हो, लेकिन मेरे दिल में तुम्हारे लिए कुछ नहीं है। मैं बस किस करना चाहती थी इस लिए किया। सॉरी, लेकिन किस के बाद भी मुझे तुम्हारे लिए कुछ महसूस नहीं हुआ।” मैं एक ही बार में सब बता देती हूँ।
‘कैसे होता? सारा टाइम तो तुम उस आरव के बारे में सोच रही थी।’ मेरे दिमाग से आवाज़ आती है, और अब मुझे पता चल गया था कि उस आरव को भूलना इतना आसान नहीं है, जितना मैं समझ रही थी।
“अच्छी बात है, क्योंकि मुझे भी कुछ महसूस नहीं हुआ। मुझे लगा था कि मेरे दिल में तुम्हारे लिए कुछ है। लेकिन जब मैं किस कर रहा था, तो एक पल के लिए भी मेरे दिल की धड़कने तेज नहीं हुई।”
“तो इसमें मेरी गलती है कि तुम्हें कुछ महसूस नहीं हुआ?” मैं हँसते हुए पूछती हूँ।
“नहीं। लेकिन अच्छा हुआ कि ऐसा कुछ नहीं हुआ वरना तुमने मुझसे प्यार करना नहीं था, और मेरा दिल टूट जाना था।”
“वो तो है।” मैं कहती हूँ, और फिर वहाँ देखती हूँ, यहाँ पर वह दोनों खड़े थे, लेकिन अब उन दोनों में से कोई भी वहाँ नहीं था।
“चले?” रवि झुले से उठकर, अपना हाथ मेरी ओर बढ़ाते हुए पूछता है।
”हां।“ मैं कहती हूँ, और फिर हम दोनों पार्क से बाहर, उसकी बाइक के पास आ जाते है।
बाइक पर बैठने से पहले रवि मेरी ओर देखता और पूछता है,“ क्या हम दोस्त बन सकते है? डेट-वेट करना तो हमारी किस्मत में नहीं है।”
मैं हां में सिर हिलाती हूँ, और अपना हाथ उसके आगे करते हुए कहती हूँ, “फ्रेंड्स।”
“फ्रेंड्स।” वह मेरे हाथ से अपना हाथ मिलाते हुए कहता है।
उसके बाद, हम दोनों घर पर आ जाते है, और फिर मम्मी-पापा को बाये बोलने के बाद रवि भी अपने घर चला जाता है।
बाद में, मम्मी मुझे अपने पास सोफे पर बिठाती है और पूछती है कि मेरी डेट कैसी गई। मैं उन्हें सब बता देती हूँ कि मैं कौन से रेस्टोरेंट में गई, क्या-क्या खाया और फिर मूवी और लांग ड्राइव के बारे में भी बता देती हूँ। मम्मी यह सब सुनकर बहुत खुश होती है, और फिर पापा को कहती है कि किसी दिन वह भी उन्हें डेट पर लेकर जाए। पापा मुस्कुराते है, और कहते है कि वह दोनों जल्द ही जाएंगे। यह सुनकर मम्मी बहुत खुश होती है, और पापा का पसंदीदा हलवा बनाने के लिए किचन में चली जाती है। मैं मम्मी को बताकर कि वह आज मेरे लिए खाना न बनाये, अपने कमरे में आ जाती हूँ।
इसके बाद, मैं नहाकर और कपड़े बदलकर अपने बेड पर आ जाती हूँ, और सोने की कोशिश करती हूँ। चाहे मैंने आज कुछ इतना काम नहीं किया था कि मुझे जल्दी सोने की जरूरत पड़े, लेकिन मेरे दिमाग को नींद की जरूरत थी।
थोड़ी देर के बाद, मुझे पता नहीं चलता कि कब मेरी आँखें बंद हो जाती है और मुझे नींद आ जाती है।
उसके बाद, करीब रात के बारह बजे कोई मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाता है, लेकिन मैं अपने बेड से नहीं उठती हूँ। मुझे लगता है कि यह कोई सपना है, वरना इतनी रात को मम्मी-पापा क्यों दरवाज़ा खटखटाएंगे। मैं फिर से अपनी आँखें बन्द कर लेती हूँ, और थोड़ी देर के बाद दरवाजे की आवाज भी बंद हो जाती है।
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