अध्याय 3

“नहीं, कुछ नहीं हुआ। वो कल रात मैं देर तक पढ़ती रही। तो देर से सोने की वजह से ऐसी लग रही हूँ।” मैंने उनके सामने झूठ बोलना सही समझा, लेकिन बाद में मुझे बुरा लग रहा था झूठ बोलने का। ऐसी बात नहीं थी कि मैंने कभी भी उनसे झूठ नहीं बोला था, लेकिन आज पहली बार मैंने उनसे इतनी जरूरी बात छिपाई थी।

“ठीक हैं, लेकिन इतनी भी पढ़ाई मत करो कि खुद का ध्यान रखना ही भूल जाओ।” पापा रूमाल से अपने हाथ पोंछते हुए कहते हैं।

“ठीक है पापा, मैं इस बात का ध्यान रखूंगी।” मैं कहती हूँ।

खाना खाने के बाद, पापा अपना ऑफिस का बैग लेते है और ऑफिस के लिए चले जाते है। मैं और आरव भी मम्मी को बाय बोलने के बाद घर से बाहर आ जाते है, और लिफ्ट लेकर बिल्ड़िंग के निचले फ्लोर पर आ जाते है।

आरव और मैं हम दोनों कॉलेज को साथ में जाते है, लेकिन हम दोनों का कॉलेज अलग-अलग है। वह मेडिकल का स्टूडेंट है और मैं आर्ट की। मुझे नहीं पता कि उसने मेडिकल कॉलेज क्यों चुना। लेकिन मुझे हमेशा उन मरीज़ों की चिंता होती रहती है जिनका इलाज आरव करेगा।

“कहाँ जा रही हो? मेरी बाइक वहाँ है।” आरव मुझे बुलाता है और तभी मुझे पता चलता है कि मैं दूसरी ओर जा रही थी।

“ सॉरी।” मैं उसकी ओर जाते हुए कहती हूँ।

“ मैं कुछ सोच रही थी तो पता नहीं चला।” मैं कहती हूँ और देखती हूँ कि वह कहीं ओर देख रहा था। मैं वहाँ देखती हूँ यहाँ वह देख रहा था और देखती हूँ कि एक लड़का हमारी ओर या शायद.... मेरी ओर देख रहा था?

“तुम पूरे कपड़े पहनना कब सीखोगी?” आरव मेरी टी-शर्ट कमर से नीचे खींचते हुए कहता है।

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरी नीचे हुई टी-शर्ट को वह और कितना नीचे करना चाहता है।

“तुम लोगों पर ध्यान मत दो और बाइक पर बैठो।” मैं उसके हाथ को धीरे से मारते हुए कहती हूँ, और वह अपना हाथ मुझसे दूर ले जाता है।

“ठीक है।” आरव बाइक पर बैठ जाता है और उसके बाद मैं भी बाइक पर बैठ जाती हूँ। आरव अब भी उसी लड़के को देख रहा था जो अब मेरी ओर देखकर मुस्करा रहा था।

“मुझे पीछे से कसकर पकड़ो।” आरव कहता है।

“क्या?!" मैं उसकी बात पर हैरान थी।

“मैं आज बाइक तेज़ चलाने वाला हूँ, इसलिए कसकर पकड़ो वरना गिर जाओगी।”

“मैं ऐसा कुछ भी नहीं करने वाली हूँ।” मैं साफ इनकार कर देती हूं।

“ठीक है तो मुझे मत बोलना अगर तुम गिर गई तो।” आरव कहता है और फिर एक दम से बाइक वहाँ से भगा लेता है। मैं एक दम से उसके ऊपर गिरती हूँ, और फिर गिरने के डर से मैं उसे कसकर पकड़ लेती हूँ।

“तुम पागल हो गए हो! स्पीड कम करो।” मैं चिल्लाती हूँ।

वह मेरी बात नहीं सुनता है और उसी स्पीड से सड़क पर बाइक चलाता है। ये तो अच्छा हुआ कि आज रास्ते में ट्रैफिक पुलिस वाला नहीं था वरना आज हम दोनों पकड़े जाते।

जब आधा रास्ता पीछे निकल जाता है, तो आरव बाइक की स्पीड कम कर देता है। मैं चैन की सांस लेती हूँ और अपने हाथ उसकी कमर से हटा लेती हूँ, लेकिन उसी पल वह फिर से अपनी बाइक की सपीड बड़ा देता है।

“ तुम क्या कर रहे हो?” मैं एक बार फिर से उसको पकड़ लेती हूँ। “ तुम्हारा इरादा मुझे सच में गिराने का है क्या?”

“नहीं। तुम मुझे बस इसी तरह से पकड़े रहना, तो मैं स्पीड ज्यादा नहीं करूंगा।” आरव कहता है।

“तुम सच में पागल हो गए हो।” मैं कहती हूँ और आरव से हाथ हटाती हूँ, लेकिन फिर दूसरे ही पल मुझे फिर से उसे पकड़ना पड़ता है।

"तुम्हें मजा आ रहा है? मुझे बार-बार छोड़ने और पकड़ने का? ” आरव हँसता है।

“अपनी बकवास बंद करो। आज जब मैं घर जाऊंगी, तो मैं पक्का तुम्हारी शिकायत लगाऊँगी।”

“ हां, तुम धमकियां ही देती रहती हो, लेकिन फिर करती कुछ नहीं हो। कल रात जो हमारे बीच में हुआ, मुझे लगा तुम मम्मी-पापा को बताओगी, लेकिन तुमने किसी को नहीं बताया।” आरव गुस्से से कहता है।

“मैंने वह सब न बताकर तुम्हें डांट खाने से बचाया। तो मैंने गलती की क्या? ” मैं अपना एक हाथ उसकी कमर से हटाकर उसकी पीठ पर जोर से मारती हूँ।

“तुम क्या कर रही हो। एक्सीडेंट करवाना है क्या?” आरव चिल्लाता है।

“अच्छा सॉरी। अब जल्दी से चलो। अब मैं वैसा नहीं करूंगी।” मैं कहती हूँ।

“ठीक है, लेकिन पहले तुम मुझे जोर से हग करो। ” आरव कहता है और बाइक की स्पीड बिल्कुल ही कम कर देता है।

‛ये लड़का सच में पागल है।’ मैं सोचती हूँ और फिर उसे पीछे से हग कर लेती हूँ। जैसे ही मैं उसे हग करती हूँ मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लग जाता है। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि यह क्यों हो रहा है? मैंने पहले भी उसे पकड़ा था, पर शायद इतनी करीब से नहीं। मेरी छाती उसकी पीठ को छू रही थी, और मुझे डर लग रहा था कि उसको पता चल जाएगा कि मेरा दिल कैसे जोर-जोर से धड़क रहा है।

बाद में, हम जैसे ही कॉलेज के रास्ते पर आ जाते हैं, मैं अपने हाथ उससे हटा लेती हूँ और सीधी बैठ जाती हूँ। चाहे मैं अब उसे हग नहीं कर रही थी, लेकिन अब भी मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था।

कॉलेज के गेट पर आने के बाद, आरव बाइक रोक लेता है और मैं बाइक से उतर जाती हूँ। मेरे उतरने के बाद भी आरव वहीं खड़ा रहता है और मेरी ओर देख रहा था।

“तुम्हें अपने कॉलेज नहीं जाना क्या?” मैं उसे पूछती हूँ।

“जाना तो है लेकिन पहले एक बात बताओ।” वह अपना चेहरा मेरे कान के पास लाता है, और फिर धीरे से कहता है, “ तुम्हारे दिल की धड़कने आज इतनी तेज क्यों थी?” वह अपना चेहरा मेरे पास से हटाता है और मेरी ओर देखकर मुस्कुराता है।

पहली बार उसकी मुस्कान देखकर मुझे ऐसा महसूस हो रहा था, जैसे अभी के अभी मेरा दिल सीने से निकलकर बाहर आ जायेगा। उसे पता नहीं था कि मेरे दिल पर क्या बीतती है जब वह मेरे इतने क़रीब आता है।

“मैं जा रही हूँ।” मैं कहती हूँ और वहाँ से चली जाती हूँ।

अपनी क्लास में आने के बाद, मैं अपनी सहेली सपना के साथ बैठ जाती हूँ और उससे बातें करने लगती हूँ।

"तुम्हें क्या हुआ है आज? ऐसी क्यों लग रही हो?” सपना मेरी ओर देखते हुए पूछती है।

“बहुत बुरी लग रही हूँ क्या?” मैं अपने बाल हाथों से सही करते हुए पूछती हूँ।

“नहीं। बुरी तो नहीं, लेकिन तू ऐसी लग रही है जैसे कि सारी रात सोई न हुई हो। देख तेरी आँखों के नीचे भी काले घेरे है।” सपना कहती है और मुझे एक बार फिर से कल रात वाली बात याद आ जाती है।

“क्या बात है? तेरा चेहरा टमाटर के जैसे लाल क्यों हो रहा है? ” सपना मेरी और हैरानी से देखती है।

“नहीं कुछ नहीं हुआ।” मैं नीचे डेस्क पर देखते हुए कहती हूँ।

“ठीक है, अभी मत बता। रेसस टाइम में बता देना।” सपना मेरी ओर मुस्कुराते हुए कहती हैं। मुझे पता था कि अब यह लड़की मुझे तब तक नहीं छोड़ने वाली थी जब तक सब कुछ जान नहीं लेती।

और फिर क्या था, रेसस टाइम मैं हम दोनों कॉलेज के पीछे वाली बालकनी में आ जाते है।

“तो बता, क्या बात है?” सपना उत्सुक होते हुए पूछती हैं।

“तुझे हर बात जाननी जरूरी है क्या? अगर मैं न बताऊँ, तो?” अभी मैं उसे कुछ भी नहीं बताना चाहती थी। मुझे खुद को टाइम चाहिए था सब कुछ समझने के लिए।

“अगर तुम नहीं बताओगी, तो मैं तुम्हें तब तक पूछती रहूंगी जब तक तुम सारा सच अपने मुंह से उगल नहीं देती हो।” वह इतने यकीन के साथ बोलती है कि मुझे लगता है कि अब तो इसे बताना ही पड़ेगा। और शायद उसे बताने से वह मेरी कोई मदद कर सके, यह समझने में कि मेरे दिल के साथ क्या हो रहा है।

“ठीक है बताऊँगी। लेकिन पहले वादा कर कि तू यह बात किसी को भी नहीं बताएगी।” मैं अपना हाथ उसके आगे करते हुए कहती हूँ।

“तुम्हें मैं ऐसी लड़की लगती हूँ, जो तेरे राज किसी को भी बता देगी?” सपना नाराज हो जाती है।

“ऐसी बात नहीं कि मुझे तुम पर भरोसा नहीं है। लेकिन मैं बहुत बड़ी बात बताने जा रहीं हूँ। तो वादा करना तो बनता है ना।” मैं उसे कहती हूँ और अपने हाथ की ओर इशारा करती हूँ।

“ठीक है। करती हूँ वादा, किसी को नहीं बताऊँगी। लेकिन अगर तू ना भी वादा मांगती तो भी मैं किसी को नहीं बताने वाली थी।” वह मेरे हाथ पर अपना हाथ रखती है और वादा कर देती है।

दस मिनट के बाद, मैंने उसे सब कुछ बता दिया था, और अब उसका चेहरा देखने वाला था। वह बहुत हैरान लग रही थी, और अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से मुझे घूर रही थी।

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