शाम के वक्त जब मैं अपने कमरे से बाहर आती हूँ, तो मुझे पता चलता है कि आरव घर पर नहीं है। मम्मी जो घर पर ही थी, मुझे बताती है कि आरव तो आधे घंटे पहले ही घर से बाहर चला गया है। कोई लड़की आयी थी उसे लेने के लिए। बाद में मम्मी मुझसे पूछती है कि वह लड़की आरव की फ्रेंड है या गर्लफ्रैंड? तो मैं उनको बताती हूँ कि वह शर्मा अंकल की लड़की है जो पिछले महीने ही कनेडा से वापस आयी है।
मम्मी हैरान थी कि उनको इस बारे में पता कैसे ना चला। आमतौर पर, शीला आंटी मुहल्ले की सारी बात मम्मी को बता देती थी, लेकिन यह बात उन्हें मुझसे पता चली।
“वह लड़की करती क्या है?” मम्मी पूछती है।
“शायद कनेडा में पड़ती है और अभी यहां पर छुट्टियां काटने आयी है।” मैं बताती हूँ।
“तुम्हें क्या लगता है? क्या अपना आरव उस लड़की को पसंद करता है?” मम्मी खुश होते हुए पूछती है। लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे वह मेरे जख्मों पर नमक छिड़क रही हो।
“मुझे नहीं मालूम है। आप उसे खुद ही पूछ लेना।” मैं कहती हूँ और अपने कमरे की ओर जाती हूँ।
“अरे खीर तो खाती जाओ। मैंने तुम्हारे पसंदीदा ड्राई-फ्रूट डालें है।” मम्मी पीछे से आवाज़ लगाती है।
“अब दुनिया की सारी मीठी चीजें मेरे लिए कड़वी हो गई है।” मैं खुद से कहती हूँ और अपने कमरे में वापस आ जाती हूँ।
रात के खाने के समय मैं अपने कमरे से बाहर आती हूँ, और मम्मी की खाना लगाने में मदद करती हूँ। जब पापा और आरव दोनों टेबल पर आ जाते है, तो हम सब खाना शुरू करते है।
मम्मी खाते-खाते आरव को सोनाली के बारे में पूछती है, और आरव मेरी ओर देखता है। मैं नीचे अपनी प्लेट की ओर देखती हूँ और मन में कहती हूँ, 'पहले तो देखकर भी अनदेखा कर दिया, तो अब क्यों देख रहे हो?’
“कुछ नहीं मम्मी वह जानकी आंटी के घर का पता पूछ रही थी, तो मैं उसे जानकी आंटी के घर छोड़ने गया था।” आरव मुस्कुराते हुए कहता है, और उसकी गाले पर लाल रंग आ जाता है।
'अच्छा? अगर सिर्फ छोड़ने गए थे, तो लाल टमाटर की तरह लाल क्यों ही रहे हो?' मैं प्लेट पर चमचा पटकते हुए मन में कहती हूँ।
“रूही, खाने के बाद ऐसे नहीं करते।” मम्मी कहती है और पापा भी मेरी ओर देखते है।
“सॉरी मम्मी।” मैं कहती हूँ, और चमचा सीधा करके प्लेट में रख देती हूँ।
खाना खाने के बाद, मैं अपने कमरे में आ जाती हूँ, लेकिन मम्मी-पापा और आरव अभी भी हॉल में थे। मुझे अपना इंग्लिश का टेस्ट याद करना था, नहीं तो मैं भी उनके साथ हॉल में बैठी टीवी देख रही होती।
मैं अपनी इंग्लिश की किताब लेती हूँ, और अपने बेड पर आकर बैठ जाती हूँ। लोगों को बेड पर पड़ने से नींद आती है, लेकिन मुझे बेड पर पड़ने से जल्दी याद होता था।
एक घंटे के बाद, मुझे नींद आने लगी थी और मुझे मेरा सारा टेस्ट भी याद हो गया था। हॉल की बड़ी वाली लाइट भी बंद हो गई थी, तो मैं भी अपने बिस्तर से उठकर दरवाजा बंद करने के लिए जाती हूँ।
दरवाज़ा बंद करने से पहले मैं अपना सिर बाहर निकालकर देखती हूँ कि मम्मी या कोई और अभी भी हॉल में है या नहीं? लेकिन वहाँ पर कोई भी नहीं था।
मैं अपना सिर अंदर लेती हूँ, और दरवाजा बंद करने लगती हूँ, लेकिन तभी न जाने कहाँ से आरव मेरे सामने आ जाता है।
“तुम यहाँ क्या कर रहे हो?” मैं पूछती हूँ।
“मैं तुम्हें यह खीर देने आया हूँ। लेकिन तुम हॉल में क्या झांक रहीं थी? मुझे ढूंढ रही थी क्या?” आरव मुस्कुराता है।
“जागते हुए सपने देखना बन्द करो। मैं तो देख रही थी कि मम्मी-पापा चले गए है, या फिर अभी भी हॉल में है।” मैं कहती हूँ।
“ओह। लेकिन मम्मी-पापा तो हॉल में नहीं है। तो अब क्या?... ” आरव मेरी ओर देखते हुए पूछता है।
“तो अब कुछ भी नहीं। मेरी खीर दो और निकलते बनो यहाँ से।” मैं उसके हाथ से खीर की कटोरी छीनते हुए कहती हूँ।
“नहीं। ऐसे नहीं दूंगा। पहले मुझे भी अंदर आने दो।” आरव कहता है।
“नहीं।” मैं साफ इनकार कर देती हूँ। “तुम मेरी खीर भी खा लो। मुझे नहीं चाहिये।” मैं दरवाज़ा बंद करने की कोशिश करती हूँ।
“रुको।” आरव अपना हाथ दरवाजे के अंदर कर देता है, और अब मैं दरवाजा बंद नहीं कर पाती।
“प्लीज, मुझे अंदर आने दो। देखो मैंने भी खीर नहीं खाई है, मैं तुम्हारे साथ खाना चाहता था।” आरव कहता है और मुझे लगता है कि जो गुस्सा और चिड़चिड़ाहट मुझे उसके वहाँ होने से हो रही थी, अब वह नहीं हो रहीं थी।
“ठीक है। अन्दर आ जाओ। लेकिन जब खीर खत्म हो जाएगी, तो तुम यहाँ से चलते बनोगे।” मैं कहती हूँ।
“तो खीर को कौन ख़त्म होने देगा।” आरव धीरे से बोलता है, लेकिन मुझे सुन जाता है। पर फिर भी मैं उसके लिये दरवाजा खोल देती हूँ।
'अरे तुम क्या कर रहीं हो? तुम्हारे प्लैन का क्या?' मेरे दिमाग से आवाज़ आती है, और मैं एक दम से दरवाजा बंद कर देती हूँ, इससे पहले के आरव अंदर आ सकता।
“अरे, क्या कर रही हो! मेरी बांह!” आरव कहता है और मैं देखती हूँ कि मैंने उसकी बांह पर दरवाजा बंद कर दिया है।
“ओ। सॉरी।” मैं जल्दी से दरवाज़ा खोलती हूँ, और वह मुझे गुस्से से देखता है।
“सॉरी। दर्द तो नहीं हो रहा है ना?” मैं उसकी बांह अपने हाथों में लेकर देखते हुए पूछती हूँ।
“पहले हो रहा था, लेकिन अब नहीं।” आरव मुस्कुराते हुए कहता है।
मैं जोर से उसकी बांह को मारती हूँ और वह झट से अपनी बाँह मुझसे पीछे ले लेता हैं।
“क्या कर रही हो? कोई किसी के साथ ऐसा करता है क्या?” आरव भोली सी शकल बनाकर कहता है, जैसे कि उसे सच में दर्द हो रहा हो।
“अच्छा ठीक है, मेरी कटोरी मुझे देनी है तो दो, नहीं तो तुम यहाँ से जा सकते हो। मैं तुम्हें अंदर नहीं आने दे सकती हूँ?” मैं अपना हाथ कटोरी के लिए आगे बढ़ाते हुए कहती हूँ।
“लेकिन क्यों?” वह कहता है, और अंदर आने की कोशिश करता है, लेकिन मैं उसे अंदर आने नहीं देती। वह बाहर से ज़ोर लगाता है और मैं अंदर से ताकि वह कमरे में न आ सके।
“देखो मुझे अंदर आने दो, वरना मैं मम्मी को बताऊँगा कि कैसे उनकी अच्छी रूही ने जान-बूझकर मेरी बांह दरवाजे में दी।” वह दरवाजे की दूसरी तरफ़ से कहता है।
“लेकिन मैंने वह सब जान-बुझकर नहीं किया।” मैं कहती हूँ।
“मुझे क्या? मैं तो वहीं बोलूँगा जो मुझे लगा।” वह कहता है और अब मुझे दरवाज़ा खोलना ही पड़ता है।
“तुम बहुत बड़े कमीने हो।” मैं अपने बेड पर जाते हुए कहती हूँ, और वह भी दरवाजा बंद करके मेरे पीछे आ जाता है।
“अच्छा? वह कैसे?” वह पूछता है और फिर बेड पर दोनों कटोरियां रखकर बेड पर बैठ जाता है।
“बस तुम हो, और तुम्हारे लिए इतना जानना ही काफी है।” मैं कहती हूँ, और एक कटोरी उठाकर खीर खाने लगती हूँ।
“वाह। मम्मी का तो कोई जवाब नहीं।” मैं खीर खाते हुए कहती हूँ। सच में मम्मी ने खीर बहुत अच्छी बनाई थी।
“और चाहिए?” आरव अपनी कटोरी से चमचा भरकर मेरी ओर करते हुए कहता है?
“नहीं, मुझे तुम्हारी जूठी नहीं चाहिये।” मैं मना कर देती हूँ और अपनी खीर खाने लगती हूँ।
“अगर ऐसी बात है, तो तुम्हें अपनी कटोरी से भी खीर नहीं खानी चाहिए। तुम्हारे लिए खीर लाने से पहले मैंने दोनों कटोरियों से थोड़ी-थोड़ी खीर खाई थी।” आरव मुस्कुराते हुए कहता है।
मैं अपनी कटोरी की ओर देखती हूँ, और फिर उस आरव की ओर देखती हूँ, और फिर कटोरी उसके सामने रख देती हूँ।
“मुझे नहीं खानी।” मैं कहती हूँ, और आरव मेरी यह बात सुनकर हँसने लगता है।
“तुम कितनी जल्दी मेरी बात मान जाती हो। मैं मज़ाक कर रहा था।” आरव कहता है और फिर दूसरी तरफ़ अपना मुंह करके खीर खाने लगता है। मुझे नहीं पता था कि वह उदास था या फिर दूसरी तरफ़ मुंह करके मुस्कुरा रहा था। लेकिन अगर वह उदास था, तो मुझे उसे उदास करके बहुत बुरा लग रहा था।
“सॉरी। मुझे वैसा नहीं करना चाहिए था।” मैं कहती हूँ और कटोरी फिर से उठा लेती हूँ।
“रुको। अगर मैंने सच में इसे जूठा किया हो तो?” आरव अपना हाथ मेरे हाथ पर रखकर मुझे खीर खाने से रोक देता है।
***बेहतर पढ़ाई का आनंद लेने के लिए नॉवेलटून को डाउनलोड करें!***
20 एपिसोड्स को अपडेट किया गया
Comments