रात का खाना खाने के बाद, सब अपने कमरे में चले जाते है, और मैं भी अपने कमरे में आ जाती हूँ, और आते ही दरवाज़ा बन्द कर देती हूँ। मैं नहीं चाहती थी कि आरव नाम का भूत मेरे कमरे में आये, लेकिन यह सच नहीं था।
दरवाजा बंद करने के बाद, मैं आरव का दस बजे तक इंतजार करती रही, लेकिन वह नहीं आया।
अगले दिन मैं नहा-धोकर अपने कमरे से बाहर आती हूँ, और आज फिर आरव घर पर नहीं था। मैं मम्मी से पूछती हूँ, लेकिन मम्मी को भी आज कुछ नहीं पता था।
अब मुझे नहीं पता था कि मैं क्या करूँ। मेरा उसके बिना कॉलेज भी जाने का मन नहीं था।
मैं मम्मी को कह देती हूँ कि आज मैं कॉलेज नहीं जाऊँगी क्योंकि मुझे इंग्लिश का टेस्ट याद करना है। मम्मी मान जाती है और मुझे घर पर रहने देती है। मम्मी-पापा के जाने के बाद मैं दरवाजा बंद कर लेती हूँ, और हाल में बैठकर आरव का इंतजार करती हूँ।
***
दिन के बारह बज गए थे, लेकिन आरव अभी तक घर पर नहीं आया था। मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया था, और अब मुझे बहुत भूख लगी थी। मैं किचन में जाती हूँ, और मम्मी ने जो परांठे बनाये थे, वह खाने लगती हूँ। खाने के बाद, मैं फिर से हॉल में आ जाती हूँ, और सोफे पर लेट जाती हूँ। थोड़ी देर के बाद मेरी आँखें भारी होने लगती है, और मैं वही सोफे पर सो जाती हूँ।
सोते हुए मैं एक अजीब-सा सपना देखती हूँ, जिसमें मैं और आरव एक दूसरे का हाथ पकड़कर साथ में चल रहे थे। हम दोनों बहुत खुश लग रहे थे, और तभी सपना वहाँ पर आ जाती है। वह हम दोनों पर हँसने लगती है, और कहती है कि हम दोनों साथ में अच्छे नहीं लगते।
आरव मेरा हाथ कसकर पकड़ लेता है, और कहता है कि सपना झूठ बोल रही है। दूसरे ही पल वहाँ पर सोनाली भी आ जाती है, और अब आरव मेरा हाथ छोड़ देता है। आरव मुझे छोड़कर सोनाली के पास चला जाता है, और सपना फिर से मुझ पर हँसने लगती है।
मैं एक दम से नींद से उठ जाती हूँ। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, मुझे डर लग रहा था कि अगर सच में आरव ने सोनाली को चुन लिया, तो मेरा क्या होगा?
मैं अपने कमरे में आ जाती हूँ, और अपना फ़ोन ढूंढकर आरव का नंबर लगाती हूँ। उसके नंबर पर बेल्ल जा रही थी, लेकिन वह फ़ोन नहीं उठा रहा था। मैंने दो-तीन बार फिर से उसको फ़ोन लगाया लेकिन वह फिर से फ़ोन नहीं उठाता है। जब थोड़ी देर के बाद भी वह फ़ोन नहीं उठाता, तो मैं हाल मैं जाती हूँ, और लैंडलाइन से उसको फ़ोन लगाती हूँ। दो-तीन घंटियाँ बजने के बाद वह फ़ोन उठा लेता है, लेकिन उसकी जगह कोई लड़की बात करती है। लड़की की आवाज़ सुनकर मुझे लगा जैसे मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गई हो।
मैं हिम्मत करके उसे पूछती हूँ, कि वह कौन है और आरव कहा है।
वह लड़की हँसते हुए बताती है कि वह सोनाली है, और आरव अभी कहीं गया है, तो इस लिए मैं उससे बात नहीं कर सकती हूँ।
यह सुनते ही मैं फ़ोन काट देती हूँ, और सोफे पर बैठ जाती हूँ। मेरी आँखों से आंसू टपकने लगते है, और मुझे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे कि मेरा दिल टूट गया हो। मुझे मेरा सपना सच होते हुए नज़र आ रहा था। मैं रोते-रोते हँसने लग जाती हूँ।
मुझे हँसी इस बात पर आ रही थी कि कैसे मैंने आरव की बात पर भरोसा कर लिया कि वह मुझे प्यार करता है। इससे तो अच्छा होता कि मैं कभी भी उसकी बात पर भरोसा न करती, तो आज मुझे इतना दुख न होता। जैसे मैं पहले रह रही थी उससे एक तरफ़ा प्यार करके वैसे ही अब भी रह लेती।
दोपहर के दो बजे मम्मी घर पर आ जाती है, और उनके आने के एक घण्टे के बाद पापा भी आ जाते है, लेकिन आरव अभी भी नहीं आया था।
मम्मी मुझे आरव के बारे में पूछती है, और मैं बता देती हूँ कि वह सुबह से घर नहीं आया है। इसके बाद पापा और मम्मी दोनों आरव को फ़ोन लगाते है, लेकिन वह किसी का भी फ़ोन नहीं उठाता है।
बाद में रात के समय, जब हम हाल में बैठे आरव का इंतजार कर रहे थे, तो पापा को आरव का फ़ोन आता है। वह बताता है कि आज रात वह अपने दोस्त के घर ठहरेगा, और इस लिए वह घर पर नहीं आ पाएगा। यह सुनकर पापा आरव को बहुत डांट लगाते है, और उसे बताते है कि उन्होंने कितनी बार उसे फ़ोन लगाया, लेकिन उसने उठाया नहीं। आरव पापा को सॉरी बोलता है, और फिर फ़ोन काट देता है। पापा अब आरव पर और गुस्सा थे और मम्मी उन्हें शांत होने के लिए कह रही थी।
रात का खाना खाने के बाद, मैं अपने कमरे मैं आ जाती हूँ, पर मम्मी-पापा अभी भी हाल में ही थे। मैं कमरे का दरवाजा बंद करके अपने बेड पर आ जाती हूँ, लेकिन मुझे पता था कि आज रात मुझे आसानी से नींद नहीं आने वाली है।
मैं रात के बारह बजे तक इधर से उधर अपने बेड पर होती रही, लेकिन मुझे थोड़ी सी भी नींद नहीं आती है।
बार-बार मेरे मन में एक ही ख्याल आ रहा था कि वह दोनों क्या कर रहे होंगे, और आरव ने झूठ क्यों बोला। मेरा मन कर रहा था कि मैं अभी सोनाली के घर जाऊँ, और उन दोनों को रंगे हाथ पकड़ूँ, और फिर आरव को बहुत मारूं। लेकिन फिर इसमें उसकी क्या गलती थी। शायद हर बार की तरह वह मुझ से मजाक कर रहा हो, और मैं इसे सच समझ बैठी। शायद यह उसका मुझे तंग करने का कोई नया तरीका हो सकता है, और मैं यूं ही खुश हो रही थी कि वह मुझसे प्यार करता है। यह सब सोचकर मैं एक बार फिर से रोने लगी।
अगले दिन मैं जब घर से कॉलेज जाने ले लिए बाहर निकलती हूँ, तो आरव भी आ जाता है। वह मुझे कॉलेज में साथ में जाने के लिए कहता है, लेकिन मैं उसके लिए नहीं रुकती हूँ। मैं उसे कह देती हूँ कि मैं इंग्लिश क्लास के लिये लेट हो जाऊंगी, इसलिए मुझे जाना होगा। इसके बाद वह कुछ नहीं कहता और मुझे वहाँ से जाने देता है।
शाम के वक्त, मैं फिर से बस से घर आ जाती हूँ, हालांकि मैंने आरव को कॉलेज के बाहर मेरा इंतजार करते हुए देखा था। मैं उससे बात नहीं करना चाहती थी, इसलिये सोचा कि उस के साथ घर नहीं जाती हूँ। घर आते समय बस में मुझे उसके बहुत सारे कॉल आए, लेकिन मैंने उठाये नहीं। यह उसकी सजा थी कि वह मुझे वहीं पर ढूंढता रहे।
घर आने के बाद, मम्मी मुझसे पूछती है कि मैं आरव के साथ क्यों नहीं आई? जब कि मेरे जाने के बाद वह भी कॉलेज गया था।
मैं मम्मी को झूठ बोलती हूँ कि आरव मुझे कॉलेज के बाहर कहीं नहीं दिखा, तो इस लिए मैं खुद ही आ गई। इसके बाद मम्मी कुछ नहीं पूछती है, और अपना काम करने लग जाती है। मैं भी अपने कमरे में आ जाती हूँ, और बेड पर लेट जाती हूँ। मुझे थोड़ी देर के लिए सोना था, इससे पहले कि रवि मुझे डेट के लिये लेने आ जाये।
हां, हम दोनों आज डेट पर जा रहे थे, चाहे मेरा थोड़ा सा भी मन नहीं था।
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