अध्याय 10

अगले दिन, मैं सो कर उठती हूँ, और सबसे पहला खयाल जो मेरे मन में आता है वह था आरव। कल तो वह बहुत कह रहा था कि मैं तुम्हारे साथ ऐसा करूंगा, वैसा करूंगा, लेकिन अब देखो वह तो मुझसे बात करने भी नहीं आया था। मुझे उससे बहुत कुछ कहना था और उससे बहुत कुछ जानना भी था।

ये जिंदगी भी बड़ी अजीब है, जब आपको कुछ चाहिए, तो देती नहीं, और जब नहीं चाहिए, तो भर-भर कर देती रहती है।

पहले जब मैं आरव से बात नहीं करना चाहती थी, तो वह किसी न किसी बहाने से मेरे कमरे में घुस आता था। लेकिन कल जब मुझे उसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी, तो वह आया ही नहीं।

मैं एक घण्टे के बाद, अपना बेड सेट करके, और नहा-धोकर कमरे से बाहर आ जाती हूँ। इसके बाद मैं हाल में जाती हूँ, और देखती हूँ कि मम्मी-पापा तो वहीं पर थे, लेकिन आरव का कुछ पता नहीं था।

मैं हिचकिचाते हुए मम्मी को आरव के बारे में पूछती हूँ, और मम्मी बताती है," उसको किसी का कॉल आया था, और तब से वह घर पर नहीं है। शायद अपने किसी दोस्त से मिलने गया होगा।"

"हां। हो सकता है।" मैं कहती हूँ, और फिर उनके साथ टेबल पर बैठ जाती हूँ।

"तुम कब से आरव के बारे में पूछने लगी। तुम तो उससे हमेशा लड़ती रहती हो। "पापा मम्मी की ओर देखते हुए मुझ पर हँसते हैं।

"मेरी बेटी का मजाक मत बनाओ। क्या हुआ अगर उसने आरव के बारे मैं पूछ लिया तो।" मम्मी मेरी पास आती है, और मुझे हग करते हुए कहती है।

खाना खाने के बाद, मैं आरव का कुछ समय और इंतजार करती हूँ, पर वह नहीं आता है। मैं अपना कॉलेज का बैग पकड़ती हूँ, और आज खुद ही कॉलेज जाने के लिए तैयार हो जाती हूँ।

मैं मम्मी-पापा को बाये बोलती हूँ और फिर घर से बाहर निकल आती हूँ, और तभी आरव भी घर पर आ जाता है। मैं उसे कुछ पूछना चाहती थी, लेकिन इससे पहले मैं उसे कुछ कह पाती, वह मेरी ओर देखता भी नहीं है, और घर के अंदर चला जाता है। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब मैंने ऐसा क्या कर दिया कि वह मेरे साथ ऐसा कर रहा था। मुझे उसपर बहुत गुस्सा आ रहा था, लेकिन मेरे पास टाइम नहीं था उससे लड़ने के लिए।

मैं बस लेकर कॉलेज चली जाती हूँ, और कॉलेज आकर मेरा मूड और भी खराब हो जाता है, और इसका कारण था सपना और रवि।

पहले सपना मुझे आरव के बारे में इधर-उधर की बातें पूछती है, और फिर रवि आकर मुझसे डेट की बातें करने लग जाता हैं। वह बताने आया था कि हम डेट के लिए कहाँ जा रहे है। मैं वह सब सुनकर बिल्कुल भी खुश नहीं थी लेकिन सपना अलग ही खुश हो रही थी।

रेसस टाइम में, मैं रवि के साथ कॉलेज की कैंटीन में आ जाती हूँ और फिर उसे बता देती हूँ कि मैं उसके साथ डेट पर नहीं जा सकती हूँ। मैं उसे इसके लिए सॉरी बोलती हूँ।

रवि मुस्कुराता है, और फिर कहता है, “कोई बात नहीं। मुझे पहले से ही पता था कि तुम मेरे साथ मज़ाक कर रही हो। इस लिए मैंने तुम्हारी बात को सीरियसली नहीं लिया था। तो कोई बात नहीं।”

मैं उसे बताना चाहती थी, कि मैं मज़ाक नहीं कर रही थी, लेकिन फिर मैं उसे सच भी तो नहीं बता सकती थी ना कि मैंने उसे हां क्यों की थी।

“सॉरी। अब मैं फिर से ऐसा मजाक किसी से नहीं करूंगी। ” मैं अपने कान पकड़ते हुए रवि से कहती हूँ।

वह मुस्कुराता है, और फिर कहता है, "अच्छा होगा अगर तुम ऐसा करना छोड़ दो, वरना बहुत लोगों का दिल टूट जाएगा। लेकिन हां जो चॉकलेट तुमने मुझसे कल ली थी उसके पैसे लौटा देना, मैंने अभी तक दुकान वाले अंकल को पैसे नहीं दिए है।” उसकी यह बात सुनकर मैं हँसने लग जाती हूँ, और वह भी हँसने लगता है, और तभी कैंटीन के दरवाजे के पास मैं सपना को हमारी ओर देखते हुए देखती हूँ।

“रवि जो डेट पर न जाने की बात है, प्लीज सपना को मत बताना।” मैं रवि से कहती हूँ।

कुछ भी हो जाए, लेकिन अभी सपना को डेट न करने के बारे में पता नहीं चलना चाहिए था।

“लेकिन क्यों? वह तो तुम्हारी बैस्ट फ्रेंड हैं ना? और मुझे तो लगा था कि उसे सब कुछ पता होगा।” रवि मेरी और हैरानी से देखते हुए कहता है।

“नहीं। उसे कुछ नहीं पता है। और असल मैं मैंने उसके लिए ही तुम्हें हां किया था क्योंकि वह हमेशा मुझे बॉयफ्रेंड बनाने के लिए कहती रहती है। उसे लगता है कि अगर मुझे अभी कोई लड़का नहीं मिला, तो मेरी कॉलेज लाइफ ऐसे ही चली जायेगी।” मैं कैसे-तैसे एक झूठी कहानी बना देती हूँ।

“अगर ऐसी बात है, तो फिर हम झूठ-मूठ का डेट पर जा सकते है। ” रवि खुश होते हुए कहता है, और मुझे नहीं पता था कि अब मैं क्या कहूँ।

“ जाना जरूरी हैं क्या? मुझे नहीं जाना है।” मैं कहती हूँ।

“ नहीं। जरूरी तो नहीं है, लेकिन मुझे अच्छा लगेगा अगर एक बार भी तुम मेरे साथ आती हो तो।” रवि उदास-सा चेहरा बनाकर कहता है, और मैं उसे मना नहीं कर पाती हूँ।

“ ठीक है। लेकिन बस एक बार।” मैं कहती हूँ।

“ ओके। तो कल चले इससे पहले कि तुम अपना मन बदल लो।” रवि उत्सुक लग रहा था।

“ कल? कल बहुत जल्दी नहीं है?”

“ नहीं। कोई जल्दी नहीं है, और वैसे भी तुम्हें कौन सा नुकसान होगा? तुम्हारे खाने के पैसे भी तो मुझे ही देने पड़ेंगे। ” रवि कहता है, और हम दोनों हँसने लग जाते है।

इसके बाद हम दोनों कैंटीन से बाहर आ जाते है, और मैं देखती हूँ की सपना अब वहाँ कहीं भी नहीं थी।

मैं क्लास में वापस आ जाती हूँ और आते ही सपना मुझसे पूछती है, “कहां गई थी तुम मुझे छोड़कर?” सपना फिर भी पूछती है जब कि उसे पता था कि मैं कहां थी।

“कहीं नहीं। बस रवि के साथ कैंटीन में थी।” मैं कहती हूँ और उसके पास बैठ जाती हूँ।

“ वाह, क्या बात है। तो क्या बातें की तुम दोनों ने।” सपना मेरी ओर अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से देखते हुए पूछती है।

“ ज्यादा कुछ नहीं। लेकिन हम कल डेट पर जा रहे हैं।” मैं उसे बताती हूँ।

“ सच में। यह तो बहुत खुशी की बात है।” सपना कहती है, और फिर मुझे जोर से गले लगा लेती है। वह कितनी खुश थी यह उसके चेहरे से साफ दिख रहा था, लेकिन दुख की बात यह थी कि वह सिर्फ अपने लिए खुश थी कि अब उसे आरव मिल जाएगा।

“हां। मैं भी खुश हूँ।” मैं कहती हूँ।

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