भाग - 13

शाम का वक्त था काजल बार बार बाहर जाती फिर अंदर आती । आज मैं दिन भर घर में ही था और अपने लेपटॉप में ही घुसा हुआ था । मैंने नोट्स बनाने शुरू कर दिए थे।शेयर मार्किट का मुख्य रूप से 2 तरह से एनालिसिस किया जा सकता है। एक तरीका होता है उसके पुराने चार्ट को देखकर...उसे टेक्निकल एनालिसिस कहा जाता है ।वहीं दूसरा तरीका होता है , कंपनी की पूरी इनकम शीट को देखकर ....उसे फंडामेंटल एनालिसिस कहा जाता है। कई तरीके के साफ्टवेयर और अलग अलग तरीके के इंडिकेटर के माध्यम से सही के आसपास का अनुमान लगाया जाता है,....100% की गारेंटी कोई भी नही देता। लेकिन अगर 60% फायदा और 40% का घटा भी हो जाए तो बहुत होता है । इसी 60-40 के रेशियो को लेकर मैं कई कंपनीज को अपनी वॉच लिस्ट में डाल रहा था…मैंने 20 कंपनियां सेलेक्ट की थी । मुझे बस इनके बारे में सब कुछ जानना था, जो भी मैं अखबारों और मार्किट के मैगज़ीन से जान सकू। इसका पूरा डेटा चार्ट मुझे पड़ना था साथ ही टेक्निकल एनालिसिस भी करनी थी , उसके आधार पर मुझे फाल्स ट्रेडिंग करनी थी (बिना पैसे के ट्रेडिंग बस कागज में ) ..और देखना था की आखिर मुझे कितना फायदा होता है , ताकि मैं आगे जाकर पैसे लगा सकू…मैं अपने काम में व्यस्त था.....काजल का भी मुझे कोई ध्यान नही रहा, आखिर वो झल्ला गई ..“अरे बता ना धंधा करू की नही …”उसने ऊंचे आवाज में बोला..मैं हड़बड़ाया हुआ उसे देखा ..“मुझे क्या पता ..” मैंने कहा“क्या मतलब तुझे क्या पता ..साले तू अगर कमरे में रहेगा तो मैं कैसे धंधा करूंगी , सच कहा था शबनम ने तू मुझे भूखा मार देगा ..” वो बेचैनी से कह रही थी ..“तो ..”“तो क्या शाम का समय है 2-3 ग्राहक तो लेने दे ..400-500 कमा लुंगी ”कितनी निर्दोषिता थी उसके अंदर कोई भी दिखावा नही था। जैसी वो थी बस वैसी ही थी, उसके लिए धंधा सही या गलत नही था बस धंधा था, ना उसे कोई डर था ना शर्म , जबकि उसके धंधा करने की बात को सुनकर मैं थोड़ा घबराहट और शर्म महसूस करने लगा था …“छोड़ ना बाद में कर लेना ,ऐसे भी अभी तो ठीक हुई है थोड़ा रेस्ट कर ले ”वो एक गहरी सांस लेकर मेरे बाजू में आकर बैठ गई .... “ओहो और कितना रेस्ट करवाएगा मुझे , कही मैं सब भूल ही ना जाऊ..”उसने भोलेपन से कहा“ये भी कोई भूलने की चीज है क्या ..” मैं थोड़े आश्चर्य से बोल पड़ा..और वो हँसने लगी“अरे चूतिये भूलने का मतलब है की आदत से हट जाना, अब रंडी हूँ तो चुदवाने की आदत तो रहनी चाहिए ना ”वो ये सब इतने सहजता से बोल जाती थी की मुझे कभी लगता ही नही था की अगर ये कोई सामान्य समाज में बोल दे तो हंगामा हो जाएगा ..उसकी बात उसके मुँह से बेहद ही सहज ही लगती थी …मैं मुस्कुरा उठा..“तो प्रैक्टिस में रहना चाहती है तू ..”मुझे मुस्कुराता हुआ देख कर वो नकली गुस्सा अपने चहरे में ले आयी ,और मुक्के से मेरे बाजू को मारा ..“तो तेरे कारण तो ऐसे आलसी हो गई हूँ मैं , दिनभर कोई काम नही करती ..”“ओ...तो ये बात है , आजा तुझे काम देता हूँ ”मैंने उसे लेपटॉप में देखने को कहा वो मेरे गोद में ही आके बैठ गई ..“अरे मोटी ये क्या कर रही है , कितनी भारी है तू ..”वो खिलखिलाने लगी थी ,लेकिन उसका मेरी गोद में मचलना मेरे लिए बिल्कुल ही नया अनुभव था, भले ही मैं कितना ही शरीफ था या मैंने कभी काजल को ऐसे वैसे निगाहों से नही देखा था फिर भी मैं था तो एक मर्द जो पूरी तरह से जवान हो चुका था। गरीबी और बेबीसी ने मुझे कभी अपनी शारीरिक भूख के बारे में सोचने का मौका नही दिया था लेकिन इसका मतलब ये तो बिल्कुल भी नही था की वो थी ही नही ,वो तो अपने जगह में थी लेकिन बस काम की व्यस्तता से कभी बाहर नही आयी थी, उसका गूदेदार पिछवाड़ा जब मेरे लिंग से रगड़ खाया तो मैं स्तब्ध सा हो गया था। मेरे पूरे शरीर में एक करेंट सा लगा और वो अकड़ने लगा।मैं घबराया, कहीं अगर काजल को इसका पता चल जाता तो वो मेरे बारे में क्या सोचती , वो तो बिल्कुल ही निर्दोष सी अटखेलिया करती हुई मेरे गोद में आ बैठी थी लेकिन उसकी इस हरकत से मेरे अंदर क्या हो रहा था ये मैं उसे नही बताना चाहता था..मैंने उसे थोड़ा आगे किया और वो जमीन में आ गई लेकिन उसका पूरा शरीर मेरे शरीर से अब भी लगा हुआ था। उसने अपने को मेरे ऊपर और भी डाल दिया , वो तो जमीन में बैठी थी ,मेरे पैर भी जमीन में पसरे हुए थे वो अपने पैरों को उस घेरे के अंदर लाकर फैला दी थी और लेपटॉप को अपने गोद में रखकर मेरे ऊपर गिर गई थी , मेरा हाथ अपने ही आप उसके कमर पर लिपट गया था, वो अब पूरी तरह से मेरी बांहो में समाई थी ,अब उसका भी हंसना बंद हो गया था...वो लजा रही थी , शायद उसे भी अपने औरत होने का अहसास वैसा ही हो रहा हो जैसा मुझे अपने मर्द होने का अहसास हो रहा था…उसकी गोद में लेपटॉप था मैंने उसपर उंगलियां चलाने के लिए खुद को आगे किया , मेरे शरीर के साथ साथ वो भी थोड़ी आगे हुई,उसके गाल अब मेरे गालों के पास थे ,उसकी सौंधी सी खुशबु से मेरे नथुने भरने लगे थे। मेरा गाल उसके गालों पर हल्के से रगड़ खाया । मैंने अपना चेहरा हटा कर उसे देखा, उसकी आंखों में लज्जा और होठों में हल्की सी मुस्कान थी , मेरा एक हाथ जो की उसके पेट पर था और उसके गदराये पेट के ऊपर सलवार कमीज के पतले कपड़े से उसे अनुभव कर पा रहा था।वो मानो उसके पेट के स्पर्श को पाते ही कांपने लगा था, उस हाथ की हल्की सी हलचल से काजल की सांसे तेज हो गई ,उसने एक गहरी सांस छोड़ी जो गर्म थी । मेरे माथे पर भी पसीना आ चुका था, दोनो ही जानते थे की ये क्या हो रहा है लेकिन एक अजीब सी सिचुएशन में फंसे थे, ना हममें इतनी ताकत थी की हम उसे रोक सके ,ना हम आगे ही जाने की हिम्मत कर सकते थे, हमारे बीच एक अजीब सी मर्यादा की दीवार थी, जो हम पार नही करना चाहते थे, उसके बाद भी हम ऐसे सिचुएशन में फंस जाते थे जो हमे ये बता देता था की एक औरत और मर्द हो और एक ही साथ रहते हो ,ना सिर्फ इतना बल्कि ये भी की एक दूसरे को हम कितना पसंद करते हैं , प्यार कहना गलत होगा क्योकि इसकी परिभाषा हमने अभी की नही थी ….“बताओ ना ” उसने हल्के से कहाकाजल की सांसे मेरे गालों से टकराई , मैं जैसे किसी ख्वाब से जागा था लेकिन अभी भी नीदं में ही था..“क्या ??”“जो बताने वाले थे..”उसके चहरे में मुस्कान गहरा गई थी , वो इतने प्यार से और धीरे से कम ही बात करती थी , लेकिन जब करती तो मन करता की ….उसे प्यार करू ..क्योकि और कुछ करने का मैंने सोचा ही नही था और प्यार कैसे किया जाता है ये मुझे आता नही था………“हा हा...तो ये ..अरे सामने देख ना ”वो मुझे ही देख रही थी ,मेरी बात से उसकी भी तंद्रा भंग हुई ..मैं उसे समझाने लगा लेकिन ये मेरे और उसके दोनों के लिए ही बेहद मुश्किल था,भला हो बनवारी का जिसने थोड़ी ही देर बाद दरवाजा खटखटाया था ….और काजल ऐसे उठी जैसे हमेशा से उठना चाहती थी लेकिन कोई शक्ति उसे रोक कर रखी थी……..

कहानी जारी है...... मिलते हैं कहानी के अगले भाग में.....

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