“ये कौन है,”एक खूबसूरत बला मेरे सामने खड़ी थी ,अगर ये मुझे कही और मिल जाती तो मैं मान ही नही सकता था की ये कोई जिस्म का धंधा करने वाली लड़की होगी,ये तो असल में मेरे कालेज के उन लड़कियों से भी ज्यादा खूबसूरत थी जो की मेरे साथ पढ़ती थी और मुझे बिल्कुल भी भाव नही देती थी। “ये तेरे साथ ही रहेगा अब से इसी खोली में ”वो अजीब निगाहों से मुझे देखने लगी“अरे इतनी छोटी सी तो खोली है मेरी इसमें अब इसे कहा रखु ”वो लगभग रुआँसी सी हो गई“कुछ दिन काम नही किया तो मौसी मेरे साथ अब ऐसा करेगी ”वो सच में रुआँसी हो गई थी,ऐसा लगा की अब रोने ही वाली है“वो मुझे नही पता मौसी ने कहा की ये लड़का अब तेरे साथ ही रहेगा,ये शकील भाई के लिए काम करने आया है यहां पर ”वो फिर से मुझे खा जाने वाली निगाहों से देखती है,“मेरी तबीयत थोड़े दिन में ठीक हो जाएगी फिर तो मैं धंधे में आ जाऊंगी ना फिर से ”“2 महीने से तूने किराया नही दिया है ,और ये तेरी मुसिबित है ,अगर कुछ कहना है तो मौसी से बोल मुझे तंग मत कर अब ”
वो बॉडी बिल्डर वँहा से चला गया ,काजल मेरे तरफ मुड़ी, वो लगभग मेरी ही उम्र की थी,तीखे नयन नक्श की मल्लिका, मासूमियत उसके आंखों से छलक रही थी और नाजुक सी देह, लेकिन मुँह खोलती तो बिल्कुल तीखी मिर्च जैसे, कसा हुआ बदन था जो अभी - अभी जवान हो रहा था।मैं उसके चहरे में थोड़ी देर के लिए खो गया था,“ऐ क्या देख रहा है ,”मैं हड़बड़ाया …“कु कुछ नही बस ….”“चल अंदर आजा ”
वो अपने उसी रूखे स्वर में बोली ,मैं अंदर दाखिल हुआ वो मेरे पीछे कमरे का दरवाजा बंद कर दी ,मैं थोड़ा घबराया जिसे काजल ने भी महसूस किया ,और वो हँसने लगी“क्या हुआ कभी किसी लड़की के साथ कमरे में अकेले नही रहा है क्या ?”वो हँस रही थी ,मैंने ना में सर हिलाया“तो यहां क्या करने आ गया बहनचोद ,ऐसे भी मेरा बुरा समय चल रहा था और अब ये मुसीबत , मौसी से तो बात ही करना बेकार है , अब तुझे भी अपने साथ रखना पड़ेगा ” वो भुंभुनायी ,और फिर से मुझे देखने लगी
“देख मैं रंडी हूँ जानता है ना ”मैंने हा में अपना सर हिलाया“तो ये सोच कर की ये तो रंडी है इसके साथ कुछ भी कर लूंगा मुझसे बत्तमीजी से पेश मत आना वरना तेरा वो हाल करूँगी साले की ….....और तुझे अगर कुछ करने का मन हुआ तो 200 रुपये एक बार के ,1000 पूरी रात का समझा और मुँह में नही लुंगी....पिछवाड़े में भी नही लुंगी, होठों में चुम्मा नही करना है समझा..उसके अलग पैसे लगते है ,समझा …”वो ताव में आकर बोली .
“लेकिन मुझे कुछ भी नही करना है ,मैं आपको पैसे क्यो दु ,आप ये बता दीजिये की मैं सोऊंगा कहा पर …”
मेरे चहरे पर आये मासूमियत के भाव से शायद…... वो थोड़ी शांत हुई ,उसने एक कोने में इशारा किया , मेरे पास तो बिस्तरा भी नही था , मैंने वहीं जमीन पर अपना बैग रखा और एक पुस्तक जो कि मैंने लाइब्रेरी से लिया था और एक कॉपी निकाल कर वहां रख दिया ।
“अरे तेरा बिस्तर कहाँ है ?”“मेरे पास नही है ”वो थोड़ी मुस्कुराई“रुक मैं ला देती हु ”वो कमरे से बाहर चली गई .मैंने पूरे कमरे को ध्यान से निहारा ,वो एक छोटा सा कमरा था जिसमे एक बेड लगा हुआ था ,एक सिंगल बेड था। लेकिन थोड़ा चौड़ा था, वो एक लकड़ी का तख्त था जिसपर मोटा गद्दा बिछा हुआ था।कमरे की एक दिवाल पर जॉन अब्राहिम की एक बड़ी सी तस्वीर टंगी थी ,जिसमे उसके डोले शोले दिख रहे थे ,उसके 6 एब्स को देखकर कोई भी दीवाना हो जाये ।एक तरफ एक बड़े से दर्पण वाली अलमारी थी ,जिसमे एक ड्रेसिंग बना हुआ था और वो लड़कियों के श्रृंगार समान से भरा हुआ था । उस बेड के बाद थोड़ी सी और जगह बच रही थी जिसमे की एक आदमी आराम से सो सके और एक कोने में कुछ बर्तन और राशन के समान और एक गैस चूल्हा रखा था।कमरे से सटा हुआ ही टॉयलेट भी था जिसमे मुश्किल से एक आदमी खड़ा हो पता ,मेरे लिए इतना ही काफी था ,असल में मैं इससे भी बुरे हालात में रह चुका था और मुझे यहां सिर्फ सोने ही तो आना था।पढ़ाई के लिए लाइब्रेरी थी या कही गार्डन में बैठकर भी पढ़ सकता था ,और बाकी समय तो मेरा काम और कालेज में निकल जाएगा ,यही तो मैं पिछले 6 महीने से कर रहा था ,अब कम से कम मेरे पास एक स्थायी पता तो होगा । तभी कमरा फिर से खुला और काजल अंदर आयी साथ में वही पहलवान था जो मुझे छोड़ने आया था ,उसके हाथो में एक गद्दा था उसे लाकर वो मेरे पास पटक दिया ,और बिना कुछ कहे ही वँहा से चला गया ,मैंने उसे बिछाया और उसपर बैठ गया । काजल अब अपने बिस्तर में बैठी थी और मेरे उस पुस्तक को ध्यान से देख रही थी ,वो c++ की बुक थी जो की लगभग 2 से 3 हजार पन्नो की रही होगी ।
“तुम इतना पढ़ लोगे ” उसने हैरत से कहा“हा ये पूरा थोड़ी ना पढ़ना रहता है ,बस जितना काम का हो उतना ही ”“अच्छा मौसी बता रही थी की तुम इंजीनियर हो, क्या सच में ”“नही मैं अभी पढ़ रहा हु ,ये पढ़ाई करके मैं इंजीनियर बनूंगा ”“तो अगर अब कमरे का पंखा बिगड़ गया तो तुम उसे बना दोगे ”मैंने उसे बड़े ही ध्यान से देखा इसने मुझे मेरे गांव के लोगों की याद दिला दी ,साले इंजीनियर को वो या तो मेकेनिक समझते है या फिर इलेक्ट्रिशियन ,अगर किसी को कुछ ज्यादा पता हो तो ठेकेदार.....
“नही असल में मैं कंप्यूटर इंजीनियर हूँ ”“वो क्या होता है ?”“कल आ जाएगा फिर बताऊंगा ”“क्या आ जाएगा ““कंप्यूटर ”“देखो मैं तुमसे कह रही हूँ मौसी के कारण तुम्हे यंहा रहने दिया है मैंने अब और यंहा कुछ कचरा नही चाहिए ,ऐसे भी धंधे की हालत खराब है और तुम यंहा और समान लाने की बात कर रहे हो ”वो फिर से गुस्से में आ गई लेकिन इस बार मुझे उस पर गुस्सा नही बल्कि हँसी आयी और मैं हँस पड़ा“क्या हुआ यू क्या दांत दिखा रहे हो ”“कुछ नही अरे वो इतना बड़ा थोड़ी होता है ,वो तो मेरे कॉपी जितना होगा ,कल आएगा तो देख लेना ”
वो अपना मुँह बनाने लगी जैसें मैंने उसे चिढ़ा दिया हो“हा हा जानती हु सब ,फिल्मों में देखा है मैंने सब ,”“तो तुम फिल्में देखती हो .”“ह्म्म्म लेकिन बस सलमान और जॉन के ”वो इठलाते हुए बोली ,
लगता है जॉन की दीवानी थी इसे पटा कर रखना मेरे लिए आसान होगा ।
“अच्छा सुनो अब मेरी बात ,खाने का पैसा लगेगा ,तुम्हे खाना बनाना आता है ?”मैंने हाँ में सर हिलाया“बढ़िया तो समान ले आना और एक समय का तुम बनाना, मैं बर्तन मांज दूंगी , एक समय का मैं बना दूंगी ,और तुम बर्तन धोना और अपना जूठा खुद ही धोना मैं उसे हाथ नही लगाउंगी ,बर्तन है की नही थाली भी तो नही दिख रही है तुम्हारी ”उसने मेरे समान की ओर देखते हुए कहा जिसमे महज एक बेग भर था ।
“ठीक है खरीद के ले आना कल ,और राशन का समान भी मैं लिख के दे दूंगी ”“वो ….वो मेरे पास अभी पैसे नही है ,अगर कल चम्पा मौसी कुछ दे दी तो ले आऊंगा ,वरना महीने के आखिर में तनख्वाह मिलेगी तो …”मैंने डरते हुए कहा ,वो फिर से मुझे घूर कर देखने लगी ,“ठीक है ठीक है ,अभी के लिए तो हो जाएगा,चलो अभी रात का खाना बनाओ ,कल से कौन से समय का खाना बनाओगे ”“जी सुबह का बना दिया करूँगा ”“हम्म ठीक है ,चलो अभी तो बनाओ देखते है कितना अच्छा बना लेते हो ,नही तो साला कचरा ही खाना पड़ेगा”
मैं उठा और खाना बनाने की तैयारी करने लगा ,भगवान का शुक्र था की मेरे हालात ने मुझे खाना बनाना सीखा दिया था। मेरी माँ अक्सर बीमार रहा करती थी ,इसलिए मुझे सीखना ही पड़ा ,घर का इकलौता बेटा था ,ना कोई बहन ना भाई ,मैं सब्जियां देखने लगा ,फिर काजल की तरफ देखा जो मुझे ध्यान से देख रही थी ,“क्या बनाऊ ??”“जो बनाना है बना दे ,चल ऐसा कर भिंडी ही बना दे रोटी के साथ ”मैं भीड़ गया और काजल बाहर जाकर ना जाने किनसे बात करने लगी ,कई औरते कमरे में झांकती और मुझे देखकर हँसती हुई वँहा से निकल जाती और फिर काजल से बात करने लगती उसकी कुछ बातें मेरे कानों में भी पड़ रही थी ।
“अरे काजल ये तो अच्छा नॉकर मिल गया है तुझे ”“अरे मत पूछो मौसी ने गले बांध दिया है साले को ,ऐसे लड़का अच्छा है ,सीधा साधा ”“अरे लड़के कभी अच्छे होते है क्या बच कर रहना साला हुक्म ना चलाने लग जाये, मुफ्त में कुछ करने लगे तो बताना इसकी अच्छी खबर लेंगे “दूसरी औरत ने कहा और सभी हँसने लगे।
“अरे ये बेचारा भी हमारे तरह ही तकदीर का मारा होगा, वरना यंहा रहने कौन आता है ,यंहा तो लोग अपनी हवस मिटाने ही आते है …” एक तीसरी महिला की आवाज मेरे कानों में पड़ी जिसकी आवाज से लग रहा था की उसकी उम्र कुछ ज्यादा रही होगी ,उसका इतना बोलने से ही मुझे अपने यंहा होने का अहसास हुआ की मैं कंहा हूँ , मैं इस जगह के बारे में ना अपने किसी दोस्त को बता सकता था ना ही अपने घरवालों को , इतनी मजबूरी थी की मुझे रंडीखाने में रहना पड़ रहा है ।इसका अहसास होते ही मेरे आंखों में आंसू आ गए और मैं बस उस भिंडी को देखता रह गया जिसे मैंने अभी अभी काटा था………...
कहानी जारी है....... मिलते हैं कहानी के अगले भाग में.....
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