अरे ये बेचारा भी हमारे तरह ही तकदीर का मारा होगा,वरना यंहा रहने कौन आता है ,यंहा तो लोग अपनी हवस मिटाने ही आते है ..."एक तीसरी महिला की आवाज मेरे कानो में पड़ी जिसकी आवाज से लग रहा था की उसकी उम्र कुछ ज्यादा रही होगी ,उसका इतना बोलने से ही मुझे अपने यंहा होने का अहसास हुआ की मैं कंहा हु ,मैं इस जगह के बारे में ना अपने किसी दोस्त को बता सकता था ना ही अपने घरवालों को ,इतनी मजबूरी थी की मुझे रंडीखाने में रहना पड़ रहा है ,इसका अहसास होते ही मेरे आंखों में आंसू आ गए और मैं बस उस भिंडी को देखता रह गया जिसे मैंने अभी अभी काटा था............
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रंडी से प्यार टिप्पणियाँ