भाग - 9

मैं शकील भाई की दी हुई बुक को खोला भी नही था लेकिन मैं यूट्यूब में शेयर मार्किट से संबंधित वीडियो जरूर देख रहा था,एक सीनियर को इसमें बहुत ही इंटरेस्ट था। मैंने उनके मुँह से कई बार इसकी बात सुनी थी मैं उससे मिलने चले गया था । उसने मुझे बहुत कुछ बताया ,सबसे पहली बात ये की उसके लिए एक एकाउंट होना जरूरी है , दूसरा की उस अकाउंट के जरिये डि-मेट अकाउंट खुलवाना होगा,उसका अपना प्रोसेस होता है और कम से कम 6 सप्ताह पुराना अकाउंट होना चाहिए, एक चेक बुक लगेगा, कम से कम 10 हजार से शुरू करना सही रहेगा, पहले 1 साल बस बैठ के वॉच करना सही रहता है या फिर थोड़े थोड़े पैसे इन्वेस्ट करना। दुनिया और देश में होने वाली सभी चीजों का प्रभाव किसी ना किसी रूप में मार्किट पर पड़ता है , सबसे ज्यादा प्रभाव राजनीतिक फैसलों, आर्थिक नीतियों ,और मौसम का पड़ता है उसके अलावा कंपनियों की अलग अलग नीतियों का भी उसपर प्रभाव पड़ता है …अलग अलग लोग ,अलग अलग तरीके से मार्किट में सक्रिय रहते है, कोई इंट्राडे ट्रेडिंग करते है तो कोई शॉर्ट टर्म तो कोई लाँग टर्म की ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट करते है ।ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट देखने में एक जैसे है लेकिन फिर भी सैद्धान्तिक रूप से अलग अलग है, वहीं मार्किट सिर्फ एक टाइप का नही है ,शेयर मार्किट में ही कई चीजों पर ट्रेडिंग होती है ,जैसे शेयर ,ऑप्शन, फ्यूचर, मिचुअल फंड आदि इसके अलावा, कमोडिटी और फॉरेक्स भी अपनी तरह के मार्किट है ,भारत में दो सबसे बड़े और सरकारी मार्किट है NSE और BSE …अब ये सब हमे ही डिसाइड करना होता है की आखिर किस तरह का ट्रेडिंग करना पसंद करेंगे या इन्वेस्टमेंट करना ,ट्रेडर या इंवेरस्टार के अलावा यंहा ब्रोकर भी होते है जिनके माध्यम से कोई बंदा अपना ट्रेड करता है ,इसके अलावा ब्रोकरेज हाउस भी होते है और कई तरह के कोर्स भी प्राइवेट और सरकारी संस्थानों के द्वारा करवाये जाते हैं ...तो ये चुनना सबसे जरूरी होता है की आपको किस मार्किट में और कैसा ट्रेड करना है। मैं जानकारियां लेकर तो आ गया था लेकिन अब मेरे दिमाग का कीड़ा मुझे बुरी तरह से काँटेने लगा था आखिर मुझे क्या करना है , लेकिन सबसे पहले जरूरी था की मुझे एक अकाउंट चाहिए था जो की कम से कम 6 सप्ताह पुराना हो और जिसमे 10 हजार हो साथ ही साथ उसका एक चेक बुक मेरे पास हो …मुझे एक ब्रोकरेज फार्म भी डिसाइड करना था जो कम ब्रोकरेज में अच्छी फैसिलिटी देता हो ,उन सबके लिए मेरे पास समय था ,समय नही था तो दो चीजों के लिए एक था काजल का इलाज दूसरा मेरा एग्जाम …मुझे रूटीन चेकअप के लिए काजल को ले जाना था , मैं घर पहुच गया । काजल पहले से ही रेडी थी , हम साथ चल दिए थे। काजल बाहर बैठी थी ,डॉ ने पूरी चेकअप करने के बाद उसे बाहर बैठा दिया था ..“पैसे का इंतजाम हुआ की नही ..??”“हो रहा है सर 14 हजार मेरे जैसे के लिए बड़ी रकम होती है ,”“हम्म 10 -15 दिन का ही समय है हमारे पास ,जल्दी टेस्ट नही हुआ तो प्रॉब्लम हो सकती है मुझे कुछ संभावना है उसे दूर करना जरूरी है, वरना बिना जाने अगर कोई दवाई चला दु तो साइड इफेक्ट भी हो सकता है जैसा पहले डॉ ने गलती किया था ,”“जी सर मैं कोशिश कर रहा हूँ ,अभी उसकी तबियत कैसी है …”“दवाइयों के भरोसे चल रही है , दवाइयां बंद हुई तो फिर से खांसने लगेगी और खाँसना उसके लिए घातक है , मुझे रिपोर्ट चाहिए उसके बिना कोई बड़ा डिसीजन नही कर सकता …”मैं गंभीर हो गया था ..“मैं कुछ करता हूँ सर ”मैं वँहा से निकल आया था…

************मैने काजल को घर में छोड़ दिया था ,“कहाँ जा रहा है ”“ जा रहा हूँ काम से ”मैं निकल गया ,शाम होने को थी और दिमाग में बस पैसा ही पैसा चल रहा था, मैं शकील भाई के पास चला गया था.. “क्या हुआ बे छोटे कैसे मिलने आ गया ..”“ भाई मैंने आपकी दी हुई पुरस्त पढ़ी और मुझे कुछ चीजें समझ आयी है वो ही बतलाने आया हूँ ”उसने मुझे पहले तो एक बार घूरा ..“इतनी जल्दी पूरी पढ़ ली ..”“समझ ली ...समझने में समय नही लगता मुझे ,मैं तो ऐसी एक पुरस्तक एक रात में भी पढ़ लेता हूँ , इंजीनियरिंग कर रहा हूँ ना ”उसने और उसके साथ खड़े भोला ने बड़े ही आश्चर्य से मुझे घूरा..“अच्छा तो अब क्या ??”“कुछ नही एक अकाउंट खुलवाना होगा मेरे नाम से ताकि मैं अब जो सीखा हूँ और जो सीख रहा हूँ उसका प्रेक्टिकल कर सकू,”“कितने पैसे लगेगेंगे ??”“यही कोई 30 हजार ,आप चाहे तो और भी दे सकते हैं लेकिन मैं चाहता हूँ की अगर घाटा भी हो तो अभी इतने का ही हो जैसे जैसे मुझे समझ बढ़ती जाएगी आप पैसा भी बढ़ा देना ,और साथ ही और लोगो का अकाउंट भी खुलवा देना ,वो मैं कर लूंगा , एक कोर्स भी कर सकता हूँ आने वाले समय में जिससे हम और भी लोगों को सीखा कर इस धंधे में ला सकते है …”“ह्म्म्म पैसा तेरे अकाउंट में होगा तो मुझे क्या फायदा होगा ..”मैं हल्के से हँस पड़ा“क्योकि पैसा आपका होगा, और मेरे पास उसका पूरा हिसाब किताब होगा, अब दूसरा अभी कोई बड़ा इन्वेस्टमेंट नही करेंगे थोड़े थोड़े से ही शुरू करेंगे तो कम से कम एक साल तो लगेगा अच्छे से समझने के लिए की कोई बड़ा रिस्क लिया जा सके …”वो मेरे अंदर ना जाने क्यों कुछ ढूंढने की कोशिश कर रहा था..फिर उसने अपना फोन उठाया और मेरे द्वारा बताई गई जानकारी एक दूसरे आदमी को बताई ...साथ ही साथ दूसरा आदमी कुछ बोल रहा था शकील बस सर हिला रहा था ..उसने फोन रखा ..वो फिर से मुझे घुरा मेरी फट तो रही थी लेकिन फिर भी मैं शांत ही बना हुआ था..“ह्म्म्म शर्मा जी तो कह रहे थे की अकाउंट खोले कुछ दिन होना जरूरी है तभी ट्रेडिंग शुरू की जा सकती है …”यानी शर्मा इसका कोई फाइनेंसियल एडवाइजर था ,साले ने फिर मुझे क्यो धकेला था यंहा ..“जी भाई ..इसलिए तो आपसे पैसे मांग रहा हूँ पैसे ही नही होंगे तो फिर कैसे अकाउंट खुलवाऊंगा ..”“अबे तो वो तो हजार रुपये में भी खुल सकता है बिना पैसे के भी खुल सकता है ….”मैं सोच में पड़ गया था लेकिन फिर दिमाग लगाया।

“जी बिल्कुल खुल सकता है ,मेरे खुद का अकाउंट जीरो बेलेंस वाला है , लेकिन भाई वो स्टूडेंट वाला अकाउंट  है और सरकारी बैंक में है , हमे अभी एक प्राइवेट बैंक का अकाउंट खुलवाना सही रहेगा...क्या है ना वँहा से काम जल्दी होता है , तो कम से कम कुछ पैसे तो उसमे होने चाहिए ...और जब मैं किसी ब्रोकरेज वाले से संपर्क करू तो मेरे अकाउंट में भी पैसे होने चाहिए ना …”उसने भोला को देखा, भोला के चहरे से साफ पता लग रहा था की उसे कुछ भी समझ नही आ रहा है ..“देखा बे भोला ,पढ़े लिखे आदमी के साथ काम करने का यही फायदा होता है साले ने 2 दिन में ही सब पता कर लिए, वो पुस्तक देख के मुझे तो लग रहा था की साला इसे कोई इस जन्म में तो नही पढ़ पायेगा ,;लौंडा तो होशियार है ,जा 30 हजार ले के आ ”मेरी तो बांछे ही खिल गई थी ,मेरे लिए असंभव सी चीज संभव हो रही थी, मैं कितने परेशानी में था 14 हजार को लेकर लेकिन अब मेरे अकाउंट में 30 हजार होने वाले थे ,साला अगर मैं 50 बोलता तो वो भी दे देता ,लेकिन मुझे उतना नही उड़ना था की खुद को ही संभाल नही पाऊ ,ये पैसे मुझे रखने भी थे और इसका हिसाब भी मुझे देना था । एक एक पैसे का हिसाब ..वही सबसे बड़ा चेलेंज मेरे सामने आने वाला था।

*********शाम हो चुकी थी कोई 6 बज रहे थे ,मैं खुश था और अपने जेब में 30 हजार को भरे हुए...मैं अपने चाल से थोड़ी दूरी पर चाय पी रहा था, तभी बनवारी आ गया ...बनवारी वही शख्स था जो मुझे यंहा लाया था ..“क्या इंजीनियर साहब कैसे हो भई …”मैंने उसे देखा यही वो शख्स था जिसके कारण मैं आज यंहा था ,मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई ,जैसे मैं उसे धन्यवाद दे रहा था। “अच्छा हूँ अंकल ”वो खिलखिलाया ..“अबे अब तो अंकल मत बोल, मेरा नाम है बनवारी ,तू बनवारी काका बोल सकता है ,सारा शहर जानता है की बनवारी एक रंडियों का दलाल है बस,”“अच्छा ठीक है काका ,..”मैं मुस्कराया“ऐसे दुनिया क्या कहती है वो छोड़ दो लेकिन मेरे लिए तो आप देवता की तरह ही आये थे ”वो मुस्कुराया“मैं देवता की तरह ही आता हूँ ,आज ही देख ले ,वो तू जिसके साथ रहता है ना काजल ,कितने दिनों के बाद धंधे में उतरी कोई ग्राहक नही मिल रहा था मैंने ले जाकर दिया है ”“क्या …??”मेरे आंखों के सामने कुछ पलो के लिए तो अंधेरा ही छा गया, मैं जिसके लिए सारे प्रपंच कर रहा था वो फिर से ..“लेकिन उसकी तो तबियत खराब है ..”“अबे ये रंडिया है ,कैसे भी हो लोगों को अपने ऊपर कुदवा ही लेती हैं ,आज 3-4 ग्राहक आ जाए तो उसका भी 3-4 सौ बन जाएगा ..”3-4 सौ बस मेरे दिमाग में बात किसी वज्रपात की तरह कौंध गई, …उसके लिए वो इस कंडीसन में 3-4 लोगो के साथ“क्या हुआ ..”मैं उसे अजीब से निगाह से देखने लगा ,“वो कितना लेती है एक बार का  ”वो जोरो से हंसा ..“तुझे कितना बताया था उसने ...अबे ये सब सस्ती रंडिया है यंहा आने वाले 50-100 रुपये भी दे दे तो बहुत है ,अब वो लड़कियों के ऊपर है की वो कितना वसूल ले , हाँ उसमे से आधा दलाल का जैसे अभी 1 ग्राहक मैंने भेजा है 100 देगा तो 50 उसके 50 मेरे …”मैं चाय वही पटक कर जाने लगा ..“अबे कहा जा रहा है छोरे अभी तो ग्राहक उसके साथ होगा ,सुन ...अबे सुन  ”वो मेरे पीछे भागा ..“अबे क्या कर रहा है क्या हुआ बोल तो सही …” मेरा चेहरा लाल था, पता नही मेरे दिमाग में क्या क्या चल रहा था, मैं गुस्से से भरा हुआ था साथ ही दुख भी बहुत था । मैं नही चाहता था की काजल अभी किसी के साथ भी इस हालत में कुछ करे ,, डॉक्टर ने ऐसे भी 1 महीने का रेस्ट लेने की बात कही थी और अभी मुश्किल से 6-7 दिन ही हुए थे …“अबे क्या हुआ तुझे कोई तमाशा मत खड़ा कर देना भाई....मेरी जान पे बन जाएगी ”मैंने बनवारी को देखा“उसकी तबियत खराब है अभी ,और कोई ग्राहक लाने की कोई जरूरत नही है ....एक महीने वो कोई धंधा नही करेगी ” “तुझे बहुत फिक्र हो रही है लड़के......उसकी ”मैं लाल आंखों से उसे घूर रहा था“हाँ हो रही है ,अब और कोई ग्राहक नही समझे ”मैंने कड़े शब्द में उसे कहा ..वो भी डर कर सर हिलाने लगा..“लेकिन अभी जो चला गया है उसे तो वापस आने दे ..” मैं चाल के दरवाजे में खड़ा था , मेरे सामने ही दूसरे माले में वो कमरा था जंहा मैं और काजल रहते थे, मैंने एक बार उसे देखा अभी वो बंद था..मेरा गुस्सा थोड़ा कम हो गया था ..“ह्म्म्म ठीक है ..” मैंने सर हिलाया और दरवाजे के बाहर....वहीं एक पान ठेले के पास खड़ा हो गया।

कहानी जारी है..... मिलते हैं कहानी के अगले भाग में....

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