कुत्तिया का प्रेम

कुत्तिया का प्रेम

जुदाई से दुखी कुत्तिया

सदियों से पुराने बरगद के पेड़ के नीचे जो ढाबा था । उस ढाबे पर भोलू नाम का कुत्ता रहता था, जो अपने जीवन के अकेलेपन से बहुत  दुखी रहता था, ऐसा नहीं था कि ढाबे का मलिक और ढाबे के नौकर उसका पूरा ध्यान नहीं रखते थे,  बल्कि वह सब तो उसका खाने-पीने का ध्यान रखने के अलावा उससे बहुत प्यार भी करते थे।

भोलू कुत्ता तो इसलिए दुखी रहता था, क्योंकि उस हाईवे रोड़ के पास बने ढाबे पर इंसानों के अलावा उसे कोई जानवर तो दूर पंछी भी दिखाई नहीं देता था, क्योंकि उस ढाबे के आसपास खेत जंगल पेड़ पौधों कि जगह खुला मैदान था, और सिर्फ एक पुराना बरगद का पेड़ था जिसके नीचे ढाबा बना हुआ था, खेत जंगल दुसरा ढाबा भी था, किंतु वह कुछ किलोमीटर कि दूरी पर था।

जब भोलू कुत्ता दूर दौड़ कर खेतों जंगल में दुसरे जानवरों से मिलने जाता था, तो फसल को नुकसान पहुंचा रहे दुसरे जानवर नीलगाय बारहसिंगा आदि उससे डर कर दूर भाग जाते थे, क्योंकि भूरे रंग का भोलू कुत्ता कद काठी से चीते शेर जैसा दिखता था, लेकिन भोलू कुत्ता शरीर से जितना मजबूत था, दिल से उतना ही कोमल था और जब वह आगे वाले कालु कुत्ते के ढाबे पर जाता था तो कालु कुत्ता अपने साथी कुत्तों के साथ मिलकर भोलू कुत्ते को वहां से पीट पीटकर भगा देता था, दुसरा जब वह कुछ घंटों के लिए अपने ढाबे से गायब हो जाता था तो ढाबे का मलिक ढाबे पर बर्तन धोने वाले नौकर भगतराम को उसे ढूंढने जरूर भेजता था, क्योंकि ढाबे के आसपास सन्नाटा रहने के कारण ढाबे पर चोरी का बहुत डर रहता था और हटे कटे भोलू कुत्ते को देखकर चोर दूर से ही भाग जाते थे लेकिन जब ढाबे का नौकर भोलू कुत्ते को ढूंढते ढूंढते तंग आ जाता था और बहुत मुश्किलों से ढूंढने के बाद जब उसे भोलू कुत्ता मिलता था तो वह ढाबे का नौकर भगत राम भोलू कुत्ते को पीटता हुआ ढाबे पर लाता था, इस वजह से भोलू कुत्ता उसे देखते ही भयभीत हो जाता था इन हालातो की वजह से भोलू कुत्ते का दिन-ब-दिन अकेलापन बढ़ता ही जा रहा था। 

और एक रात भोलू कुत्ता अपना पेट भरकर हाईवे रोड़ के किनारे बैठकर आती-जाती गाड़ी मोटरों को देख रहा था तो उसे तभी एक महंगी गाड़ी में एक खूबसूरत बड़े-बड़े बालों वाली सफेद रंग कि कुत्तियां गाड़ी की खिड़की से झांकते हुए दिखाई देती है। गाड़ी को उस कुत्तिया की मालकिन चला (ड्राईव) रही थी।

 जब तक भोलू कुत्ता उस खूबसूरत कुत्तिया को ठीक से देख पाता वह गाड़ी उसकी आंखों से तेज स्पीड से ओझल हो जाती है।

उस रात वहां से खूबसूरत कुत्तिया को जाता देख भोलू कुत्ते को बहुत सुकून महसूस होता है, उस रात के बाद से उसे नींद में भी उसी कुतिया के सपने दिखाई देने लगते हैं।

और उस रात के बाद से भोलू कुत्ता रोज खाना खाकर या इधर-उधर अकेले खेल कूद कर हाईवे रोड़ के पास बैठकर उस कुतिया का दुबारा मिलने का इंतजार करने लगा था। 

ऐसे ही एक रात भोलू कुत्ता उस खूबसूरत कुत्तिया को दोबारा देखने का इंतजार कर रहा था, तभी एक महंगी कार का गन्ने से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली से एक्सीडेंट हो जाता है। उस एक्सीडेंट के बाद हाईवे रोड़ पर जाम लग जाता है और कुछ लोग पुलिस के आने से पहले गाड़ी चला रही महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए निकल जाते हैं, क्योंकि वह महिला ट्रैक्टर ट्रॉली के साथ भीडनत में गंभीर रूप से घायल हो गई थी।

कुछ देर बाद पुलिस वहां आ कर गन्ने से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली वाले ड्राईवर को गिरफ्तार करके थाने ले जाती है। ढाबे पर इंसानों की ज्यादा भीड़ भाड़ होने की वजह से भोलू कुत्ता ढाबे से थोड़ा दूर जाकर कांटेदार झाड़ियां के पास जाकर बैठ जाता है, तभी उसे कांटेदार झाड़ियो के पास छोटे से सुखे गड्ढे से किसी जानवर के करहाने की आवाज सुनाई देती है। 

रात के अंधेरे में भोलू कुत्ता पहले तो डरकार भौंकने लगता फिर हिम्मत करके सूखे गड्ढे में झांक कर देखता है तो उसी ख़ूबसूरत घने बालों वाली सफेद रंग की कुत्तिया को देखकर खुशी से पागल हो जाता है जो रात दिन उसके सपने में आती थी, परंतु वह कुत्तिया भोलू को देखकर दर्द से कराहना छोड़कर भोलू की तरफ देखकर भोंकने लगती है।

तब भोलू उस कुत्तिया से बहुत प्यार से कहता है “आप मुझसे डरो नहीं मैं आपको नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा।” 

“ठीक है मैं आपकी बात मान लेती हूं, लेकिन पहले मुझे इस गड्ढें से बाहर निकालो।” खूबसूरत कुत्तिया कहती है

और गड्ढे से बाहर निकलते ही कुत्तिया अपना दुख दर्द भूल कर अपनी मालकिन को ढूंढने लगती हैं तब भोलू पूछता है? “जिस गाड़ी का अभी एक्सीडेंट हुआ था, आप उसी के अंदर बैठी हुए थी।”

“हां मैं और मेरी मालकिन अपने घर जा रहे थे, तभी न जाने कहां से गन्ने से भरा ट्रैक्टर हमारी गाड़ी के आगे आ गया था, उसके बाद का मुझे कुछ भी याद नहीं है लेकिन अब ना तो मुझे दूर तक अपनी मालकिन दिखाई दे रही है और ना ही अपनी गाड़ी।” खूबसूरत कुतिया बोलती है? 

“आपकी गाड़ी को पुलिस वाले ले गए हैं और आपकी मालकिन को बहुत से इंसानों ने शहर के अस्पताल में पहुंचा दिया है।” भोलू कुत्ता बताता है 

यह है सुनकर खूबसूरत कुत्तिया रोने लगती है और रोते-रोते कहती है “इस अनजान ढाबे से में शहर पहुंच कर अपनी मालकिन को कहां और कैसे ढूढ़ूंगी।”

“रोना बंद करो मैं तुम्हें तुम्हारी मालकिन के पास शहर के अस्पताल तक पहुंचा दुंगा।”भोलू कुत्ता बोला 

“सच में तुम ऐसा कर दोगे तो यह परी तुम्हारा जीवन भर एहसान मनेगी।” खूबसूरत कुत्तिया कहती है 

“यह परी कौन है।” भोलू कुत्ता पूछता है?

“मूर्ख बुद्धू परी मेरा नाम है बड़े-बड़े शहरों में ऐसे ही बात करते हैं।” खूबसूरत कुत्तिया बोली

“आपका बहुत प्यारा नाम है और मेरा नाम भोलू है आज से परी जी भोलू आपका दोस्त हैं और यह भोलू ही आपको आपकी मालकिन तक पहुंचाएंगा।” भोलू कुत्ता बोला 

“मुझे तुम्हारी बातों से पूरा यकीन हो गया है कि तुम मुझे मेरी मालकिन से मिलवा दोगे लेकिन यहां से चलने से पहले मुझे पेट भर खाना खिला दो भोलू दोस्त।” परी कुत्तिया बोली 

“बस इतनी सी बात मैं अभी तुम्हारे लिए खाना लेकर आता हूं, तुम ढाबे के पास जो पानी का हेड पंप लगा हुआ है, वहां जाकर बैठ जाओ।” भोलू बोला 

ढाबे के सामने एक्सीडेंट होने की वजह से ढाबे पर एक दो ग्राहक ही बैठकर खाना खा रहे थे और भोलू अपने हिस्से का खाना ढाबे के नौकर भगत राम से लेकर खा चुका था, और उसे ढाबे पर खाना खा रहे ग्राहकों के खाने की टेबल के नीचे से नाम मात्र खाना मिलता है। इस वजह से वह भूख से तड़प रही परी को कालू कुत्ते के बड़े ढाबे पर खाना खिलाने ले जाने कि सोचता है, यह जानते हुए की कालू कुत्ता उसका सबसे बड़ा दुश्मन है और अगर ढाबे के नौकर भगत राम ने उसे परी के साथ ढाबे से भगता हुआ देख लिया तो परी के समाने ही उसे पीटना शुरू कर देगा।

और जब उसे कालू कुत्ता अपने ढाबे पर नहीं मिलता है क्योंकि उस समय कालू कुत्ता अपने साथी कुत्तों के साथ जंगल में शिकार खेलने गया हुआ था, तो इसलिए खाली ढाबा देखकर भोलू खुद भी स्वादिष्ट भोजन स्वाद लेकर खाने लगता है और परी कुत्तिया को भी पेट भरकर खाना खिलाता है, किंतु दोनों के पेट भर के खाना खाकर वहां से निकलने से पहले ही वहां कालू कुत्ता अपने साथियों के साथ पहुंच जाता है और भोलू पर हमला कर देता है।

भोलू को जब कालू कुत्ता और उसके साथी कुत्ते बुरी तरह पीटते हैं तो परी दोनों के झगड़े को शांत करने की कोशिश करने लगती है तब कालू कुत्ते की खूबसूरत घने बालों वाली परी कुत्तिया पर नजर पड़ती है, तो इस वजह से कालू भोलू से झगड़ना छोड़कर परी से पूछता है? “तुम इस भोलू कुत्ते को कहां से मिल गई हो।” तब परी अपनी आप बीती कालू कुत्ते को बताती है तो कालू कुत्ता उसकी सारी बात सुनकर कहता है “शहर तक पहुंचाना इतना आसान नहीं है, क्योंकि शहर जाने के लिए तुम जिस जंगल को पर करोगे वहां बहुत ही खतरनाक नशेड़ी आवारा भेड़िया और गैड़ा रहते हैं, वह दोनों किसी भी हालत में तुम्हें जीवित नहीं छोड़ेंगे और हां अगर तुम दोनों उनसे बच गए तो भी अपनी जान गवा दोगे क्योंकि उस जंगल में एक से एक अजीबो गरीब जानवर रहते हैं, वह तुम्हें इतनी आसानी से अपने जंगल को पार करके शहर नहीं पहुंचने देंगे।”

“तो फिर कालू जी हम क्या करें।” परी कुत्तिया पूछती है? 

कालू कुत्ता कुछ सोच समझ कर कहता है “परी जी मैं भी तुम्हारे साथ शहर चलता लेकिन क्या करूं क्योंकि भेड़िया और गेंडा मेरे पक्के दुश्मन है, वह मुझे देखते ही जान से मार देंगे चालों मैं जंगल को पार करने का तुम्हें एक अच्छा सुरक्षित रास्ता बताता हूं।” 

“जल्दी बताओ कालू जी वह सुरक्षित जंगल का रास्ता किधर से गुजरता है।” भोलू पूछता है 

“तरीका बताने से पहले मैं तेरे गले लग कर तेरे से दोस्ती करना चाहता हूं, क्योंकि मैं समझता था तू उस ढाबे का अकेला मलिक होने की वजह से घमंडी और मतलबी हो गया है, लेकिन दुखी परी जी के मदद करने की वजह से मेरी यह गलत फहमी है दूर हो गई है।” कालू कुत्ता बोला

और फिर कालू कुत्ता भोलू और परी को जंगल का सुरक्षित रास्ता बताता है जहां जंगल के जंगली जानवर कम मिलते थे। 

और फिर भोलू परी कालू कुत्ते के बताएं रास्ते पर निकल पड़ते हैं लेकिन कालू कुत्ता भोलू से पहले से ज्यादा नफरत करने लगा था क्योंकि भोलू कुत्ते ने घने बाल वाली खूबसूरत परी कुत्तिया से मित्रता कर ली थी और वह उसके हिसाब से  परी कुतिया के साथ शहर मौज मस्ती करने जा रहा था, इस वजह से कालू कुत्ते ने दोनों को जंगल के सबसे खतरनाक रास्ते पर भेज दिया था, जहां पहुंचते ही उन दोनों को खूंखार मांसाहारी जानवर खा जाए। 

और जब दोनों सुनसान अंधियारी रात में जंगल के अंदर घुसते हैं, तो उनके पीछे पत्तों की सरसराहट होने लगती है जैसे कोई दबे पांव उनके पीछे-पीछे आ रहा हो और जब भोलू परी चीकू के पेड़ के पीछे छिपकर देखते हैं की कौन हमारा पीछा कर रहा है तो यह देखकर घबराहट डर के बाद वह अपनी हंसी नहीं रोक पाते हैं। 

क्योंकि एक अधेड़ आयु का गधा पेड़ों कोटेदार झंडियों से टकराकर और उन में फंसकर उनकी तरफ आते आते पहाड़ी पत्थरों से टकराकर लुढ़कता पुढ़कता उनसे दूसरी दिशा में जाने लगा था और जब परी कुत्तिया अपनी हंसी नहीं रोक पाती है और जोर-जोर से हंसने लगती है तो वह गधा परी कुत्तिया को चुड़ैल समझ कर चूड़ैल चुड़ैल चिल्लाकर वहां से सरपट भागने लगता है। तब परी कुत्तिया पीछे से आवाज लगाकर जोर से चिल्ला कर कहती है “मैं चुड़ैल नहीं हूं, बल्कि जीवित जानवर हूं।” 

यह सुनकर वह अधेड़ आयु का गधा दौड़ते दौड़ते रुक जाता और भोलू कुत्ते परी से दूर खड़ा होकर पूछता है? “तुम अपने को जीवित जानवर बता रही हो लेकिन मैंने तुम्हारी आवाज पहली बार अपने जंगल में सुनी है, इस वजह से मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि तुम जीवित हो इसलिए कोई प्रमाण दो कि तुम जीवित हो।”

और जब परी की जगह अधेड़ आयु के गधे की बात का जवाब भोलू कुत्ता देता है तो गधा यह कहकर की आवाज बदल बदल कर बोल रही है तू पक्का चुड़ैल है वहां से भागने लगता है लेकिन वह भागने की कोशिश में बहुत बड़े पेड़ से टकराकर बुरी तरह घायल हो जाता है।

तब परी कुत्तिया और भोलू कुत्ता उसकी मदद के लिए दौड़ते हैं लेकिन जैसे ही वह गधे की मदद करते हैं तो घायल गधा उनको दुलती मारना शुरू कर देता है और परी भोलू कि जगह बड़े से पहाड़ी पत्थर में जबरदस्त दुलती मार देता इस वजह से वह और बुरी तरह घायल होकर जमीन पर गिर जाता है।

तब परी भोलू उसकी टांगें दबा दबाकर और अलग-अलग तरीकों से उसे दुबारा तन्दरूस्त करते हैं  अपना इलाज करवाते करवाते गधा परी कुत्तिया और भोलू कुत्ता से उनके विषय में पूरी जानकारी लेता रहता है और जब उसे पूरी तरह यकीन हो जाता है कि यह दोनों जीवित है और भोलू खूबसूरत घने बाल वाली परी को उसकी घायल मालकिन के पास शहर के अस्पताल में पहुंचाने जा रहा है, तब अधेड़ आयु का गधा कहता है “तुम दोनों ने मेरी सेवा करके मेरा दिल जीत लिया है, इसलिए मैं तुम्हें इस बियाबान जंगल से सुरक्षित बाहर निकालुगा वैसे भी बिना किसी की मदद के इस जंगल को पार करना तुम्हारे लिए असंभव है, क्योंकि इस जंगल में अजीबोगरीब शाकाहारी मांसाहारी खूंखार जानवरों के साथ भूत प्रेत भी रहते हैं, इसलिए मेरी मदद के बिना तूम दोनों कभी भी इस जंगल को पार नहीं कर सकते हो।” 

“तो जल्दी से जल्दी आप हमें इस जंगल से बाहर निकाले।” परी कुत्तिया कहती है 

मैं अपनी पीठ पर तुम दोनों को बिठाकर इस जंगल से बाहर निकाल दूंगा लेकिन एक समस्या है यह कह कर गधा चुप हो जाता है। 

तब भोलू बोलता है कैसी भी समस्या हो मैं उसे हल करने की पूरी कोशिश करूंगा।”

“समस्या बड़ी विकट है बेटा।” गधा बोलता है 

“आप हमें समस्या बताएं अगर  आपको अपनी पीठ पर हमें बिठाने में कोई दिक्कत है, तो हम पैदल पैदल आपके साथ इस बियाबान जंगल को पार कर लेंगे।” परी कुतिया ने कहा  

पीठ पर तुम दोनों को बिठाकर जंगल पार करवाने में कोई समस्या नहीं है, क्योंकि मैं गधा हूं, मुझे बोझ उठाने की आदत है, समस्या तो यह है कि मुझे रात को कम दिखाई देता है और कम सुनाई देता है, इसलिए तुम दोनों को लगातार मुझे बताते रहना होगा कि सामने कोई कांटेदार झड़ी पहाड़ी पत्थर पेड़ या गहरा गड्ढा तो नहीं।” गधा बोलता है 

“बस इतनी सी बात गधे अंकल हम दोनों आपको पूरे रास्ते बताते रहेंगे कि आप सही चल रहे हो या गलत।” परी कुत्तिया कहती हैं 

गधा खुश होकर बोलता है “तो फिर देर किस बात की कुद कर बैठ जाओ मेरी पीठ पर।”

किन्तु गधे को सीधे रास्ते पर चलाना परी कुत्तिया और भोलू कुत्ते के लिए इतना आसान नहीं था, क्योंकि जब वह गधे को दस ग्यारह  बार चिल्ला चिल्ला कर बताते थे कि सामने कांटेदार झड़ी या कोई पेड़ पत्थर है तो तब रात को कम सुनने कम देखने वाला गधा सुनता था, कभी-कभी तो वह दोनों चिल्लाते रहते थे और गधा पेड़ या झाड़ी से टकरा जाता था और गधा उनको तेज तेज चिल्लाने से भी मना कर रहा था की कही उनका शोर सुनकर कोई जानवर ना जाए।

और जब गधा परी भोलू से गुस्सा करते हुए कहता है “तुम दोनों मूर्ख शोर मचा मचा कर अपनी जान तो खतरे में डालोगे ही साथ में मेरी जान भी खतरे में डाल दोगे।” तो उन दोनों के कम आवाज में गधे को सही रास्ता बताने की वजह से गधा उनकी आवाज ठीक से सुन नहीं पता है और गहरे गड्ढे में धड़ाम से गिर जाता है।

उसके गड्ढे में गिरने से पहले ही परी और भोलू कुत्ता उसकी पीठ से कूद जाते हैं गधा जिस गड्ढे में गिरा था उस गड्ढे में नुकीले पहाड़ी पत्थरों के साथ कांटेदार सुखी झाड़ियां भी पड़ी हुई थी। गहरे गड्ढे में गिरते ही भोलू कुत्ते परी कुत्तिया का शोर मचाने से मना करने वाला गधा खुद ही जोर-जोर से चिल्ला चिल्ला कर रोने लगता है और रोते-रोते कहता है “मुझे किसी तरह इस गड्ढे से बाहर निकालो वरना मेरे प्राण शरीर से निकल जाएंगे

गधे के जंगल से अनजान भोलू कुत्ते परी कुतिया को जब गधे को गहरे गड्ढे से बाहर निकलने का कोई रास्ता समझ नहीं आता है तो वह गधे से ही पूछते हैं कि “तुम ही बताओ अंकल हम इस अनजान जंगल में किस की मदद से तुम्हें गहरे गड्ढे से बाहर निकाले।”

“तुम दोनों इसी समय नदी के किनारे जाओ वहां तुम्हें मेरा मित्र हाथी मिलेगा वही मुझे इस गहरे गड्ढे से बाहर निकल सकता है और एक बात कान खोल कर सुन लो मेरे मित्र हाथी से मदद मांगना किसी दूसरे हाथी से मदद नहीं मांगना वरना कोई दूसरा हाथी रात को नींद खराब करने के जुर्म में तुम्हारी जान भी ले सकता है, क्योंकि इस जंगल में सारे जानवर अजीबो गरीब और अपनी मस्ती में मस्त रहने वाले हैं।” गधा उनको बताता है

“लेकिन हम आपके मित्र हाथी को पहचानेंगे कैसे।” परी कुतिया पूछती है?

“उसे पहचाना बहुत ही आसान है, क्योंकि वह जंगल के सारे जानवरों में सबसे ज्यादा कामचोर आलसी है सारे हाथी सुबह या दोपहर को नदी पर नहाने जाते हैं और वह सूरज ढलने के बाद नदी पर नहाने जाता है और पूरे दिन सोता रहता है, नदी पर नहाने के बाद भी वह नदी के किनारे नींद की एक झपकी ले ही लेता है और नदी से अपने ठिकाने पर पहुंचने में उसे आधी रात हो जाती है, इसलिए तुम दोनों पहले जंगल से कुछ मीठे पक्के केले तोड़कर उससे थोड़ा दूर फेंकना वह भूखा होने के बावजूद उन मीठे-मीठे केलो तक पहुंचने में घंटों लगा देगा, तब तुम समझ जाना वही मेरा मित्र आलसी हाथी है। अब यहां खड़े होकर पूरी रामायण मत सुनो जल्दी यहां से दौड़ लगाओ हाथी को लाने के लिए।” गधा ने कहा 

भोलू और परी के जाते ही गधे को अकेले गड्ढे में भूत प्रेतों चुड़ैल से डर लगने लगता है और भूत प्रेतों का डर ना लगे इस वजह से वह ममता भरी लोरी गाकर अपने को सुलाने लगता है।

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