तब भालू बब्बर शेर के गुस्से को शांत करके लंगुर से बोलता है “सारे जानवर नशेड़ी बदमाश भेड़िए गैंडे के आतंक से दुखी थे, आज रात जंगल के राजा बब्बर शेर ने इन दोनों को कैद कर लिया है और वह आज रात इन दोनों को इनके गुनाहों कि साज सुनाएंगे और सुबह सुबह इन दोनों को सजा देंगे, इसलिए तुम जंगल के सारे जानवरों को इस जगह इकट्ठा कर दो।
और कड़ाके कि ठंड होने कि वजह से बंदरों के झुंड को सुखी लकड़ियां इकट्ठा करके आग जलाने कि बोलता है धीरे धीरे वहां जंगल के बहुत से पशु पक्षी इकट्ठा हो जाते हैं।
तब बब्बर शेर धीरे से भालू से बोलता है “भालू दोस्त जल्दी से मुजरिमों को सजा सुना देते हैं क्योंकि वर्दी धुलवाने के बाद भी खुजली कम नहीं हुई है।”
“आप ठीक कह रहो सरकार मैं भी खुजा खुजा कर तंग आ गया हूं, इन दोनों को सजा सुनाकर नदी में बदन को रगड़ रगड़ के नहाएंगे इसलिए इन दोनों को जो भी सजा सुनानी है सुना दो।” भालू बोला
“ठीक है जल्दी से निपटा देता हूं इस काम को।” बब्बर शेर ने कहा
तभी जानवरों के बीच शोर शोरबा होने लगता क्योंकि उल्लू अपनी मित्र काली बिल्ली कि टंग पकड़ कर पशु पक्षियों की पंचायत से दूर घसीट कर ले जाने की कोशिश कर रहा था और काली बिल्ली अलग-अलग आवाज में कभी रो रही थी कभी उल्लू को गालियां दे रही थी उल्लू बिल्ली को इसलिए टांग पकड़ कर जानवरों कि पंचायत से दूर ले जाने की कोशिश कर रहा था, क्योंकि काली बिल्ली ने हद से ज्यादा अफीम खा रखी थी और वह कह रही थी कि बब्बर शेर नहीं मैं भेड़िए गैंडे को सजा सुनाऊंगी।
तब भालू उल्लू को अपने पास बुलाकर डांटते हुए कहता है “तेरी इतनी हिम्मत कैसे हुई कि सरकार बब्बर शेर की महापंचायत से तू मासूम कली बिल्ली को टांग पड़कर घसीटते हुए ले जाए यह गलती क्यों की तूने जल्दी जवाब दे वरना तुझे भी भेड़िए गेंडे के साथ आज रात मौत की सजा मिलेगी ।”
बब्बर शेर पहले ही अपने शरीर की खुजली से दुखी हो रहा था, इसलिए वह कहता है “भालू दोस्त इस उल्लू के पट्ठे को बाद में देखेंगे पहले में इन दोनों के गुनाहों की इन्हें सजा सुना दूं, इसलिए अब सारे पशु पक्षी और दोनों मुजरिम ध्यान से सुनो मैं जंगल का राजा बब्बर शेर भेड़िए गैंडे को मौत की सजा सुनाता हूं
बब्बर शेर के भेड़िए गैंडे को मौत की सजा सुनने के बाद पंचायत में बैठे जानवर और खुद गधा बब्बर शेर के फैसले पर जब ताली नहीं बजाता है तो बब्बर शेर को अपने इंसाफ में कुछ कमी दिखाई देती है, इसलिए वह पंचायत में बैठे हुए जानवरों से बोलता है “शायद मैंने अपना फैसला सुनाने में जल्दी कर दी है, मुझे आप लोगों से सलाह लेनी चाहिए थी, इसलिए आप सब आपस में फैसला करके मुझे बताओ की इन दोनों को आप क्या सजा देना चाहते हो और अगर मुझसे बेहतर तुम्हारा फैसला नहीं हुआ तो सोच लेना मैं एक-एक जानवर के साथ क्या करूंगा।”
बब्बर शेर की यह बात सुनकर भेड़िया गैड़ा जानवरों के पैरों की तरफ जमीन पर लगातार सर ठेकना शुरू कर देते हैं क्योंकि उनकी मौत की सजा को बदलने का अधिकार बब्बर शेर ने उन्हें दे दिया था ।
गीदड़ सभी जानवरों से कहता हैं “अगर हमने राजा बब्बर शेर के फैसले के विरुद्ध फैसला लिया तो राजा बब्बर इनकी जगह हमें मौत की सजा सुना देगा।”
तभी अफीम के नशे में काली बिल्ली पंचायत में आ जाती है और बब्बर शेर से कहती है “राजा जी इस जंगल में एक ही बुद्धिमान जानवर है और वह है मेरी सहेली लोमड़ी वो ऐसा इंसाफ करेगी आप तो छोड़ो भेड़िया गैड़ा भी खुशी से नाचनें लगोगे।”
सारे जानवरों को बब्बर शेर के प्रकोप से बचने का मौका नशेड़ी काली बिल्ली दे देती है, इसलिए सब एक साथ कहनें लगाते है “बिल्ली मौसी बिल्कुल सही कह रही है और बिल्ली मौसी को अपनी भीड़ में छुपा लेते हैं की कही राजा बब्बर शेर को महसूस ना हो जाए की बिल्ली ने हद से ज्यादा अफीम का नशा कर रखा है और वह भेड़िए गैंडे के साथ कहीं काली बिल्ली को भी मौत की सजा ना दे दे।”
बिल्ली की यह बात सुनकर बब्बर शेर खुजाते हुए कहता है “लेकिन बुद्धिमान लोमड़ी को पंचायत में कौन लेकर आएगा।”
“सरकार मैं जाऊंगी मुझे पता है इस समय लोमड़ी कहां होगी।” नशेड़ी बिल्ली उल्लू के उसे चुप करवाने से पहले बोल पड़ती।
“ठीक है तो जल्दी से लोमड़ी को अपने साथ लेकर मेरी पंचायत में पहुंचों।” बब्बर शेर बोल
फिर बब्बर शेर भालू की तरफ देखकर बोलता है “हम दोनों जब तक नदी के पास टहल कर आते हैं। नदी की बात सुनते ही बुढ़ा गिद्ध दोबारा बब्बर शेर और भालू से माफी मांगना शुरू कर देता है, लेकिन वह फिर दोबारा इतनी दूर बैठा हुआ था कि बब्बर शेर कि उसको माफ करने की आवाज उस तक नहीं पहुंच रही थी और जब वह कहने लगता है कि सरकार मेरे नाती पोते की बेवकूफी की वजह से मैंने आप पर हमला किया था और उन बेचारे मासूम बच्चों की भी क्या गलती है क्योंकि आप।”
गिद्ध के इतना बोलते ही बब्बर शेर दहाड़ कर कहता है “जो इस बुढ़े गिद्ध को यहां से उड़ाएगा मैं उसे स्वादिष्ट भरपेट भोजन खिलाऊंगा।”
यह सुनते ही भेड़िया बोलता है “माई बाप मैं पेड़ पर चढ़कर इस बहरे गिद्ध को अभी खा जाता हूं।”
गैड़ा बोलता है “मैं हुजूर अभी ताकतवर टक्कर मार मार कर उस पेड़ को ही गिरा देता हूं जिस पर यह बुढ़ा गिद्ध बैठा हुआ।”
तुम दोनों मुजरिम हो तुम्हें कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। उधर पेड़ पर बैठा हुआ गिद्ध समझ जाता है कि पंचायत के सारे जानवर मेरे खिलाफ कोई साजिश रच रहे हैं, इसलिए वह वहां से उड़कर तुरंत नदी के किनारे अपने ठिकाने यानी कि बरगद के पेड़ के ऊपर जाकर सो जाता है।
किन्तु स्वादिष्ट भोजन की बात सुनकर सारे जानवर कहते हैं “राजा जी पता नहीं कितनी देर में उल्लू और काली बिल्ली लोमड़ी को लेकर पंचायत में पहुंचेंगे आपको तो पता ही है हम जानवर हैं हमें थोड़ी-थोड़ी देर के बाद भूख लगने लगती है और हम पंचायत से खाना ढूंढने जंगल में इधर-उधर निकल गए तो आप और भालू जी हमें कहां-कहां ढूंढ कर दोबारा इकट्ठा करोगे इसलिए राजा बब्बर शेर आपसे विनती है की यही खाने पीने का इंतजाम कर दो।”
भालू बब्बर शेर के कान के पास आकर बोलता है “सरकार जानवरों का कहना मान लो, क्योंकि जब तक यह खाना पकाएंगे खाएंगे तब तक हम अच्छी तरह नदी से अपने बदन को रगड़ रगड़ कर नहा कर वापस आ जाएंगे।”
“लेकिन दिन रात खाना खाने वाले जानवरों को मैं खाना कहां से खिलाऊंगा मैं खुद शिकार खेलकर बड़ी मेहनत से अपना पेट भरता हूं।” बब्बर शेर बोला
“आप चिंता मत करो सरकार वह इंतजाम में अभी कर देता हूं।” भालू फिर जानवरों से बोलता है “सारे जानवर शांत होकर मेरी बात सुनो राजा बब्बर शेर की तरफ से आज सबको खीर पुरी सीताफल कटहल की सब्जी की दावत मिलेगी, लेकिन स्वादिष्ट भोजन खाने के लिए सबको थोड़ी बहुत मेहनत तो करनी ही पड़ेगी।”
तब लंगूर जमीन से उछलकर पेड़ की जड़ पड़कर झूलते हुए कहता है “किसी को कुछ नहीं करना पड़ेगा है दूर कटहल सीताफल की फसल है और पास ही सामा के चावल उग रहे हैं दूध देने के लिए गाय बकरी बेकरार हो रही है मीठी खीर पकाने के लिए हाथियों का झुंड जंगल से गन्ने केले तोड़ कर ले आएगा।”
बब्बर शेर के सर के ऊपर से उड़ते हुए तोता मैना कहते हैं “ और पंचायत में स्वादिष्ट भोजन पकाने वाली हिरणी भी मौजूद है।”
फिर बब्बर शेर दावत कि समस्या हाल होने के बाद बोलता है “ चलो फिर सब पशु पक्षी मिलकर दावत की तैयारी शुरू करो मैं और मेरा भालू दोस्त नदी तक टहल कर आते हैं।”
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