लोमड़ी और लोमड़ी की पीठ पर बैठे हुए उल्लू बिल्ली को लंगड़ा गीदड़ अपनी गुफा की तरफ तेजी से दौड़ कर आता हुआ देखकर अपनी गुफा के आगे उनका रास्ता रोक कर खड़ा हो जाता है इसलिए मजबूरन लोमड़ी को रुकना पड़ता है।
उल्लू जल्दी जल्दी लंगड़े गीदड़ को सारी बात बताता है लंगड़ा गीदड़ पूरी बात सुनकर बोलता “तुम सबको तो पता ही लंगड़ा होने के बाद मैं यहां अकेला रहता हूं और मुझे मुसकिल से किसी जानवर के दर्शन होते हैं, इसलिए सिर्फ मुझसे कुछ पल बात करके चले जाना।” तभी नशेड़ी बिल्ली बोलती “कुछ पल बात नहीं करेंगे बल्कि घण्टों बात करेंगे और आपकी पूरी कहानी सुनेंगे कि आप लंगड़े कैसे हुए थे, मुझे पता है आप अपने लंगड़े होने कि कहानी जानवरों को पकड़ पकड़ कर सुनाते हो।” बिल्ली कि यह बात सुनकर उल्लू लोमड़ी बिल्ली कि तरफ गुस्से में देखते हैं।
फिर लंगड़ा गीदड़ बिल्ली कि तरफ देखकर बोलता है “तो ठीक है मैं शुरू करता हूं अपनी कहानी एक समय मैं और मेरे बहुत से मित्र जंगल के पास वाले गांव के खेतों तरबूज खरबूज मजे से स्वाद ले लेकर खाने गए थे पेट भर कर तरबूज खरबूज खाने के बाद मुझे हूकहूकी आई यानी कि जोर जोर से चिल्लाने का दिल किया अपने दोस्तों के मना करने के बावजूद मैंने चिल्लाना शुरू कर दिया।” लोमड़ी उल्लू ने सैकड़ों बार गीदड़ कि यह कहानी सुनी थी इसलिए वह बे मन खड़े होकर गीदड़ कि घीसी पीटी कहानी सुन रहे थे। तब लंगड़ा गीदड़ उनकी तरफ देखकर कहता है जब तक मन लगाकर दिल से मेरी कहानी नहीं सुनोगे तो मैं तब तक अपनी कहानी बार-बार सुनता रहूंगा जब तक मुझे नहीं लगेगा कि तुम दिल से मेरी कहानी सुन रहे हो।”
गीदड़ की यह बात सुनकर नशेड़ी बिल्ली को छोड़कर उल्लू लोमड़ी घबरा जाते हैं कि कहीं गीदड़ बार-बार अपनी कहानी हमें ना सुनता रहे इसलिए वह चेहरे पर कहानी ध्यान से सुनने के भाव लाकर गीदड़ से बोलते हैं “आप अपनी कहानी सुनते रहे हमें सुनने में बड़ा आनंद आ रहा है।”
गीदड़ बोलता है “तो ठीक है फिर मैं अपनी कहानी शुरू करता हूं एक समय मैं और मेरे बहुत से मित्र।”
“थोड़ा रुको भैया यहां तक तो हमने आपकी कहानी सुन ली थी।” लोमड़ी बोली
“अच्छा सुन ली थी चलो कोई बात नहीं दोबारा सुन लो।” और फिर लंगड़ा गीदड़ अपनी कहानी शुरू से सुनते सुनते वहां पहुंचता है जहां उसने बताया था कि दोस्तों के मना करने के बावजूद मैंने चिल्लाना शुरू कर दिया था और फिर उसकी आगे की कहानी शुरू होती है कि मेरा शोर सुनकर खेत का मालिक डंडे लाठी लेकर दूसरे किसानों को भी वहां लेकर पहुंच गया था तरबूज खरबूज पेट भरकर खाने के बाद मैं खेत के किनारे बैठकर शोर मचा रहा था इसलिए मेरी नजर सबसे पहले खेत के किसानों पर पड़ी थी, उनके हाथ में लाठी डंडे देखकर मैं चिल्लाते हुए वहां से भागा था मैं तो उस रात सुरक्षित जंगल में आ गया था लेकिन मेरे दोस्तों को खेत के किसान और उसके साथियों ने डंडे मार मार कर कमर से टांगों तक नीला कर दिया था।
और बकरे वैध से जब सब अपना इलाज करवा कर पूरी तरह तंदुरुस्त हो गए थे तो वह सब एक दिन मिलकर मुझसे किसनो की पीटाई का बदला लेने मेरी पुरानी वाली गुफा पर आए अगर कहो तो अपनी पुरानी गुफा भी तुम्हें अभी दिखा कर लाऊंगा।”
और फिर लोमड़ी बिल्ली का मुंह कसकर दबाकर बोलती है “आप हम तीनों को कई बार अपनी कहानी सुनने के बाद पुराने वाली गुफा दिखा चुके हो।”
“लेकिन गुफा देखे बिना मेरी कहानी का पूरा आनंद नहीं आएगा चलो ठीक है इस समय तुम तीनों जल्दी में हो इसलिए आज सिर्फ मेरी कहानी ही सुना लो तो फिर आगे सुनाता हूं।”गीदड़ बोला
“मेरे दोस्तों ने मेरी जम कर ठुकाई की और फिर मेरी एक टांग तोड़ दी फिर लंगड़ा गीदड़ अपनी आंखों के आंसु पोंछते हुए कहता है “बस यही थी मेरी दुख भरी कहानी अब तुम सब मुझे मेरे अकेलेपन में छोड़कर चले जाओ।” लंगड़ा गीदड़ दूखी होकर बोला
गीदड़ के चुप होते ही बिल्ली बोलना शुरू हो जाती है कि “मैं लोमड़ी के साथ नहीं जाउंगी क्योंकि लोमड़ी ने अभी अभी मेरा गला दबा कर मेरी हत्या करने कि कोशिश कि है मैं पंचायत में अकेले जाऊंगी और इस लोमड़ी से अच्छा फैसला करुंगी।”
तब लोमड़ी उल्लू मजबूर होकर जबरदस्ती बिल्ली को पीट पीट कर अपने साथ ले जाते हैं।
लोमड़ी उल्लू बिल्ली के वहां से जाने के बाद लंगड़ा गीदड़ अपनी गुफा के सामने सूखी लकड़ियों से आग जलाकर बैठने के बाद दुख भरे गीत गाना शुरू कर देता है।
लोमड़ी के उल्लू और बिल्ली को अपनी पीठ पर बिठाकर थोड़ी दूर दौड़ते ही उसे आंख मीच कर दौड़ते हुए मिक्की निक्की सूअर दिखाई देते हैं दोनों सूअर अपनी दौड़ने की गति धीमी करके लोमड़ी और उल्लू बिल्ली से कहते हैं तुम सब भी पंचायत में खीर पुरी की दावत खाने जा रहे हो और निक्की मिक्की सूअर लोमड़ी उल्लू बिल्ली का जवाब सुने बिना भांग का खेत देखकर भांग खाने उस खेत में घुस जाते हैं।
तब लोमड़ी कहती है “मुझे लगता है नशेड़ी भेड़िए गेंडे के साथ मिक्की निक्की सूअरो को भी फांसी से बचना पड़ेगा क्योंकि इन्होंने भी आज हद से ज्यादा भांग का नाश कर रखा है।”
“इन दोनों को तो बाद में बचाएंगे पहले इस बिल्ली को तो बचाओ जो तुम्हारी पीठ पर बैठकर नशे में सिर्फ हंसे ही जा रही है।” उल्लू बोल
“ठीक कह रहे हो बिल्ली को वैध बुढ़े बकरे के पास लेकर चलते हैं।”लोमड़ी ने कहा
और बुढ़ा बकरा वैध उन्हें उछल उछल कर पहाड़ी कि थोड़ी सी उंचाई से लाल बैर खाने की कोशिश करता हुआ दिखाई देता है।
तब उल्लू लोमड़ी कि पीट से उड़ कर बैर के झाड़ पर बैठ कर वैध बकरे से बोलता है “इस जाड़े कि अंधियारी रात में आप लाल लाल मीठे स्वादिष्ट बैरो को खाने का आनंद लें रहे हो।”
“मूर्ख उल्लू जब तू बुड्ढा हो जाएगा तब तुझे पता चलेगा बुढ़ापे में कब क्या चीज खाने के लिए मन मचलने लगे कुछ नहीं पता और उल्लू के पठे तुझे तो रात को दिन जैसा दिखाई देता है तू ही थोड़े बहुत बैर पेड़ से झाड़ दें यानी कि तोड़ दे।”बकरा बोला
“थोड़े बैर क्या बहुत से बैर झाड़ दुंगा बस आप वैध जी बिल्ली का भांग का नशा उतर दे।” उल्लू बोला
“पहले मुझे बैर तोड़ कर दे।” वैध बकरा बोला
“वैध जी अगर हम पंचायत में देर से पहुंचे तो कितनो ही जानवरों कि जान खतरे में फंस जाएंगी।” लोमड़ी बोली
“अच्छा बब्बर शेर कि पंचायत में तुम सब भी जा रहे हो लेकिन बिल्ली नशे में पंचायत में पहुंच जाएगी तो क्या फर्क पड़ेगा।” वैध बकरा पूछता है?
तब पेड़ पर बैठी चील बोलती है “यह बुड्ढा बकरा बहुत बातूनी है रोज रात को मेरी नींद खराब करता है।”
“चील की बच्ची आज रात से तेरा उधर ईलाज बंद।” बकरा वैध बोला
“गलती से दिल कि बात जुबान पर आ गई माफ कर दो वैध जी।” चील बोली
“यह सब बातें बाद में भी होती रहेगी आप जल्दी से बिल्ली का भांग का नशा उतार दो।” लोमड़ी बोली
“लेकिन तुमने यह तो नहीं बताया कि अगर बिल्ली जंगल की पंचायत में भांग अफीम के नशे में पहुंच जाएगी तो क्या हो जाएगा।” वैध बकरा दुबारा पूछता है?
अब तक लोमड़ी उल्लू समझ चुके थे कि बुढ़ा बकरा सच में बहुत बातूनी है, इसलिए दोनों साथ में बोलते हैं “जब तक आप बिल्ली का भांग का नशा उतरोगे तब तक हम आपके लिए ढेर सारे मीठे बैर तोड़कर इकट्ठा कर लेंगे।”
“अच्छा एक बात का तो जवाब दो बिल्ली का नशा उतरने से पहले आप दोनों मुझे मीठे बैर पेड़ से तोड़कर क्यों नहीं देना चाहते हो।” बकरा पूछता है?
इस बार लोमड़ी उल्लू उसकी किसी भी बात पर ध्यान दिए बिना उसके लिए पेड़ से बैर तोड़कर इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं और बुड्ढा बकरा जब तक बिल्ली को नशा उतारने वाली जड़ी बूटी नहीं खिलता है, जब तक की लोमड़ी उल्लू उसको पेड़ से बैर तोड़कर नहीं दे देते हैं।
बुढ़ा बकरा वैध चाहे कितना भी बातूनी था, लेकिन उसे जड़ी बूटियों कि इतनी बढ़िया जानकारी थी कि उसकी जड़ी बूटी खाते ही बिल्ली का नशा छूमंतर हो जाता है और बिल्ली का नशा उतरते ही लोमड़ी बिल्ली से कहती है “जल्दी से उछलकर मेरी पीठ पर बैठ हमें जल्दी से पंचायत में पहुंचना है।”
“मैं तुम्हारी पीठ पर क्यों बैठु जबकि मैं तुम्हें दौड़ के मुकाबले में कई बार हरा चुकी हूं।” बिल्ली बोली
“ठीक है मुझे अब पक्का यकीन हो गया है कि तेरा नशा पूरी तरह उतर गया है इसलिए अब जंगल की पंचायत तक मेरे साथ रेस लगा देखते हैं आज कौन जीतता है लेकिन पहले सब एक साथ मिलकर बकरे वैध को धन्यवाद बोलो
बकरा वैध उनके धन्यवाद का जवाब देने की जगह लाल लाल मीठे मीठे बैर खाने में मस्त था।
लेकिन बिल्ली लोमड़ी के दौड़ते ही उल्लू जैसे ही उड़ना शुरू करता है तो बुढ़ा वैध बकरा उल्लू को पीछे से चिल्ला कर पूछता है? “यह तो बताते जाओ अगर बिल्ली नशे में पंचायत में पहुंच जाती तो क्या अनर्थ हो जाता है।”
उल्लू लोमड़ी बिल्ली के थोड़ा दूर जाते हुए चील पेड़ के ऊपर से चिल्लाकर कहती है “बुढ़े वैध धतूरा खाकर पंचायत में पहुंच तब तुझे पता चल जाएगा की बिल्ली नशे में पंचायत में पहुंचती तो क्या होता है।”
“अगर पेड़ से नहीं उड़ कर भागी तो अभी जहरीला तीर फेंक कर तुझे परलोक की यात्रा करवा दूंगा।” बकरा वैध बोला
चील को डर था की बुढ़ा वैध कहीं सच में यह कार्य ना कर दे इसलिए वह तुरंत पेड़ से उड़ जाती है।
***बेहतर पढ़ाई का आनंद लेने के लिए नॉवेलटून को डाउनलोड करें!***
Comments