दीवानी को मिला दीवाना

परी कुतिया लोमड़ी की यह बात सुनकर लोमड़ी के गले लग जाती है और फिर शरमाते हुए कहती है लोमड़ी दीदी आप सच में बहुत बुद्धिमान है आपने मेरे दिल की सारी बातों को महसूस कर लिया है हां मैं सच में भोलू कुत्ते से प्रेम करने लगी हूं मुझे समझ आ गया है कि बिल्ली मौसी ठीक कह रही थी की आप किसी भी समस्या का हल कर सकती हो इसलिए आप जो कहोगी मैं भी इन सब की तरह वही करूंगी।” 

फिर लोमड़ी परी कुत्तिया से कहती है “ऐसे तेज तेज भौको जैसे कि तुम किसी बहुत भारी संकट में फस गई हो।”

परी कुत्तिया के रोना शुरू करते ही भूरा कुत्ता बब्बर शेर भालू के कपड़ों की चौकीदारी छोड़कर परी कुत्तिया के पास आ जाता है पूरा कुत्ते के नदी के किनारे से हटाते ही लोमड़ी के कहने से बंदर की बंदरिया बब्बर शेर भालू की पुलिस की वर्दी वही कांटेदार झाड़ियो के पीछे छुपा कर वापस पंचायत में भाग आती है वर्दी न होने की वजह से बब्बर शेर भालू बर्फीले पानी की नदी से बाहर नहीं आ पाते हैं।

 

और बहुत देर तक खड़के कि ठंड में ठंडे पानी से नहाते नहाते उनका शरीर अकड़ने लगता है और जब उनकी हालत मरने वाली होने लगती है तो लोमड़ी के कहने से बंदरिया उनकी वर्दी नदी के किनारे फेंक कर अखरोट के पेड़ के ऊपर जाकर छुप जाती है।

बब्बर शेर भालू जानवर की पंचायत में पहुंचकर ठंड से कांपते हुए सारे जानवरों से कहते हैं “जल्दी से मिलकर सब सुखी लड़कियां इकट्ठी करके लाओ और विशाल होली जैसी आग जला दो नहीं तो हम दोनों आज अपने प्यारे जंगल से विदा हो जाएंगे और एक बार उस कामचोर गद्दार भोलू को हमारे सामने पेश करो उसकी हिम्मत कैसे हुई अपनी चौकीदारी की ड्यूटी ईमानदारी से न निभाने की।” भोलू कुत्ते की जगह लोमड़ी बब्बर शेर के सामने आकर बोलती है सरकार भोलू कुत्ता ने तो अपनी चौकीदारी की ड्यूटी ईमानदारी के साथ निभाने के साथ-साथ आपके साथ वफादारी की क्योंकि उसने सोचा जीवन में पहली बार जो आप नहा रहे हो इसलिए अच्छी तरह नहाए कही बर्फीले पानी से घबराता है आप अधूरा ही नहा कर बाहर न जाए इसलिए भोलू कुत्ते ने कुछ देर के लिए आपकी पुलिस की वर्दी छुपा दी थी और जवाब अच्छी तरह नहा लिए थे तो उसने आपकी पुलिस की वर्दी दोबारा नदी के किनारे रख दी।” 

“आ भोलू कुत्ते मेरे गले लग जा।” यह बोलकर बब्बर शेर ठंड से कांपते हुए बोलता है जल्दी से आग जलाओ वरना में ठंड से बर्फ की सिली बन जाऊंगा।”

लोमड़ी के इशारे पर हिरणी बोलती है पहले सरकार खीर पुरी तो खा लो जब तक आप भोजन की शुरुआत नहीं करोगे तब तक जंगल के बाकी पशु पक्षी कैसे खाएंगे सारे पशु पक्षी भूख से तड़प रहे हैं, जल्दी से सरकार आप और भालू जी भोजन की शुरुआत करें।”

“भाड़ में गई पूरी सब्जी पहले आग जलाओ नहीं तो मैं और मेरा दोस्त भालू यहां खड़े-खड़े बर्फ की सिली जैसे जम जाएंगे।” बब्बर शेर गुस्से में दहाड़ता कर बोला

फालतू की बातें करके लोमड़ी बब्बर शेर भालू को आग पर तपने नहीं दे रही थी जब बब्बर शेर तुरंत आग जलाने की जिद पर अड़ जाता है तब लोमड़ी बोलती है “न्यायाधीश आपकी पंचायत में जो जानवर सूखी लकड़ियां लेने चले जाएंगे उन्हें तो आपके न्याय के फैसले का सुनने का सौभाग्य ही प्राप्त नहीं हो पाएगा।”

लोमड़ी की बात में दम था इसलिए बब्बर शेर बोलता है “पहले मैं भेड़िए गेंडे मिककी निक्की सूअरो को मौत की सजा सुनाता हूं, अगर किसी को मेरे फैसले में छोटी सी भी कमी दिखाई देती है तो वह खुलकर बोल सकता है।”

मौत की सजा की सुनकर गेंडा भेड़िया मिक्की निक्की सूअर डकरा डकरा कर (तेज तेज) रोने लगते हैं तब लोमड़ी बब्बर शेर भालू के बहुत करीब खड़े होकर बब्बर शेर से बोलती है “न्यायाधीश बब्बर शेर जी मैं अपना फैसला भी सुनना चाहती हूं, अगर आपको पसंद ना आए तो आप मुझे मौत की सजा दे सकते हैं।” 

“बिल्कुल लोमड़ी अगर मुझे तेरा फैसला पसंद नहीं आया तो तुझे मैं निश्चित मौत की सजा दूंगा, क्योंकि तूने इतनी हिम्मत कि है जो मेरे फैसले के विरुद्ध अपना फैसला सुना रही है।” भालू पीछे से बोलता है बिल्कुल सही सरकार लेकिन जो भी करो जल्दी करो अब इस सर्दी के मौसम में ठंड बर्दाश्त नहीं हो रही है।”

बब्बर शेर भालू का बर्फीले पानी में नहाने की वजह से धीरे धीरे दिमाग सुन्न हो रहा था और उन्हें ठीक से सुनाई नहीं आ रहा था।

 

लोमड़ी ने सबको पहले ही समझा दिया था जैसे ही मैं कहूं कि इन चारों को आज के बाद नशा ना करने की शपथ खिलाकर रिहा (छोड़ दिया जाए) कर दो अगर यह दोबारा ऐसी गलती दोहराया है तो तुरंत बिना पंचायत बुलाएं इनको मौत की सजा दे दी जाए।”

लोमड़ी के यह बोलते ही सारे जानवर शोर मचा मचा कर बोलने लगते हैं “वाह वाह वाह बुद्धिमान लोमड़ी दीदी ने बहुत बढ़िया फैसला लिया है।” बब्बर शेर और भालू का पहले ही दिमाग सुन्न था ऊपर से जानवरों के शोर से और उनका दिमाग ध्वनि प्रदूषण से फटने लगता है इसलिए बब्बर शेर जल्दी से भालू से धीरे से पूछता है? ताकि वह अपना फैसला सुना कर जानवरों को चुप करवाएं और आग जलाकर अपने शरीर दिमाग को गर्म करें “ मुझे तो कुछ सुनाई नहीं दिया जो लोमड़ी ने अभी कहा तूने कुछ सुना है तो जल्दी बता।” 

“सरकार मेरा भी आप ही की तरह नदी के बर्फीले पानी में नहा कर दिमाग सुन्न हो गया है, शायद लोमड़ी ने कुछ बहुत अच्छा ही फैसला सुना दिया है जिससे कि सब लोमड़ी की वाहवाही कर रहे और लोमड़ी की पीठ ठोक रहे हैं।” भालू बोला 

“सही कह रहा है मेरे भालू दोस्त  लोमड़ी ने कोई अच्छा ही फैसला लिया है, इसलिए हम दोनों भी लोमड़ी की वाह वाह करना शुरू कर देते है।”

और जब भेड़िया गैड़ा मिक्की निक्की सूअर नाचते कूदते पंचायत से भाग जाते हैं तो बब्बर शेर भालू से बोलता है “अबे भालू के बच्चे लोमड़ी ने तो इन चारों को बइज्जत बरी कर दिया है।” 

“बब्बर शेर सरकार अपनी इज्जत बचानी है तो चुपचाप शांत बैठे रहो।”भालू बोला 

और फिर लोमड़ी कुछ जानवरों से बोलती है “जल्दी से सुखी लड़कियां इकट्ठा करके आग जला वरना बब्बर शेर और भालू ठंड से अकड़ जाएंगे इनको मैंने अपनी बुद्धिमानी से ज्यादा ही ठंड में आकड़ा दिया।” 

और होली जितनी विशाल आग जलाने के बाद सारे जानवर खीर पुरी आलू सीताफल की सब्जी प्रेम से खाते हैं सबके खाना खाने के बाद लोमड़ी बब्बर शेर से बोलती है “सरकार अभी सारा मामला निबटा नहीं (खत्म) है एक जरूरी कार्य रह गया है जिसके पीछे यह सारा झमेला हुआ वह है परी कुत्तिया को उसकी मालकिन के पास शहर तक पहुंचाने का।”

लोमड़ी की यह बात सुनकर बब्बर शेर सारे पशु पक्षियों को शांत होने के लिए बोलता है और सबसे पूछता है मुझे सब आपस में सलाह मशवरा करके बताओ कि परी कुत्तिया को उसकी मालकिन के पास शहर के अस्पताल में किसको छोड़ कर आना चाहिए।” बिल्ली तुरंत उछलकर बोलती है इसमें सरकार सलाह मशवरा करने की कोई बात ही नहीं है परी कुत्तिया को लोमड़ी दीदी मैं उल्लू और भोलू कुत्ता शहर के अस्पताल में छोड़कर आएंगे।” 

बिल्ली की यह बात सुनकर सारे पशु पक्षी दोबारा शोर मचा मचा कर बोलने लगते हैं “सरकार बिल्ली मौसी सही कह रही है।”

तब बब्बर शेर भालू के कान के पास धीरे से बोलता है “भालू दोस्त आग पर थोड़ी देर ही तपने के बाद मुझे तो साफ सुनाई देने लगा है तेरा क्या हाल है।”

सरकार मुझे भी ठीक-ठाक सुनाई देने लगा है बस अब जल्दी से लोमड़ी बिल्ली उल्लू को परी कुतिया भोलू कुत्ते के साथ जाने का हुक्म दे दो आज मैं बिना खुजाएं  जाए भोजन का आनंद लेना चाहता हूं। भालू बोला 

“तूने तो मेरे दिल की बात छीन ली है, मैं अभी तुरंत लोमड़ी बिल्ली उल्लू को आदेश देता हूं।” बब्बर शेर बोला 

शहर के सारे अस्पतालों में लोमड़ी उल्लू बिल्ली भोलू कुत्ते  के बहुत ढूंढने के बाद जब उन्हें परी कुतिया की मालकिन नहीं मिलती है तो सब दुखी निराश हो जाते हैं।

तब दुखी परी कुत्तिया से भोलू कुत्ता  बोलता है “अगर तुम मुझसे शादी कर लोगी तो मैं तुम्हारा जीवन भर साथ दुंगा।” 

“जब मेरी मालकिन ने मुझे ढूंढने की कोशिश नहीं की तो मैं उसको क्यों ढूंढू और मैं तुमसे एक शर्त पर शादी करूंगी।” परी कुटिया बोली 

भोलू कुत्ते के साथ लोमड़ी बिल्ली उल्लू भी परी कुत्तिया की शर्त सुनने के लिए बेताब हो जाते हैं और जब परी कुत्तिया बोलती है कि “मैं तब तुमसे शादी करूंगी जब तुम लोमड़ी बिल्ली उल्लू के जंगल में मुझे लेकर रहोगे।” परी कुटिया की यह बात सुनकर सारे जानवर उछल कूद कर खुश होने लगते हैं। 

और जब परी कुत्तिया भोलू कुत्ता लोमड़ी बिल्ली उल्लू के साथ जंगल में दोबारा पहुंचते है तो परी कुतिया भोलू कुत्ते के जंगल में आ जाने के बाद उदास जंगल के सारे जानवर खुश होकर नाचना गाना शुरू कर देते हैं। सारे जानवर मिलजुल कर परी कुतिया कि भोलू कुत्ते के साथ धूमधाम से शादी करते हैं और बब्बर शेर परी कुत्तिया का कन्यादान करता है हिरणी जंगली गाय शुद्ध शाकाहारी भोजन पकाती है सारे जानवर शुद्ध शाकाहारी स्वादिष्ट भोजन का मिलकर आनंद उठाते हैं परी कुतिया से शादी करने के बाद भोलू कुत्ते का अकेलापन बिल्कुल दूर हो जाता है उसके जीवन में और परी कुत्तिया के जीवन में खुशियो कि बाजार सदा के लिए आ जाती है जंगल के पशु पक्षियों की वजह से उनके जीवन कि खुशियां दुगुनी हो जाती है।    

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