अनामिका
अनामिका - 1
नापाक जिस्म का जन्म
काली अँधेरी रात, एक भयानक सा माहौल और तेज बारिश किसी की भी रीढ़ की हड्डी कपा दे इतनी ठण्ड, रह \- रह कर बिजली का चमकना जैसे कोई भयानक शैतान अपनी मौजदगी का अहसास करवा रहा हो, इसी बीच जंगल की सुनसान अँधेरी सड़क पर तेजी से एक टोयोटा फोरटूनेर कार भाग रही थी। जंगल की ख़ामोशी आज कुछ अलग सी थी किसी जंगली जानवर या पंछी की मौजूदगी का अहसास दूर \- दूर तक नहीं हो रही थी जैसे उन्हें ज्ञात हो आज की रात काली अँधेरी नापाक शक्तियों की रात है , बस बड़े \- बड़े विशाल पेड़ अन्नतं शाखाएं बिखेरे खड़े थे जब भी उनपर बिजली चमकती किसी शैतान की तरह एक पल दृश्य होकर गायब हो जाते।
आज अमावस्या की भयानक काली अँधेरी रात थी, कार में mrs कविता वर्मा अकेली अपनी गमो को धोने की कोशिश करते हुए गाड़ी 100 की रफ़्तार में भगा रही थी, पर रह \- रह कर आँखों से अश्क छलक उठते थे, वो आँसू बहाती रोती \- बिलखती सी गाड़ी भगाये जा रही थी, आखिर उसने एक बेहद खौफनाक पहाड़ी के पास गाड़ी रोक दी। उस खौफनाक पहाड़ी में एक बहुत गहरा गुफा थी, कविता वर्मा लगभग भागती हुई गुफा में प्रवेश कर गयी और अँधेरे में किसी को ढूंढ़ने लगी, तभी उसका सर जोर दार धम्म की आवाज के साथ एक गुफा की छत से लटकती पत्थर से टकराया और वो गिर पड़ी, उसके माथे से रक्त की धार बह उठी।
तभी उसे सामने से एक मशाल की रौशनी अपनी और आती दीखि, वह रौशनी धीरे - धीरे उसके करीब और करीब आने लगी और अंत में एक व्यक्ति की आकर्ति नजर आने लगी। वह आकर्ति महज चार फुट की किसी बूढी अम्मा की थी, वो बूढी अम्मा कविता के एकदम सामने आकर खड़ी हो गयी।
वह बूढी अम्मा महज चार फुट लम्बी थी, बाल सफ़ेद बिखरे हुए और काली - कलूटी एक नापाक सा जिस्म उसपर पैने लम्बे नाखून और मशाल की रौशनी में चमकती हुयी आँखे, वो किसी चुड़ैल से कम नहीं लग रही थी, उसे देखकर कविता की चीख निकल गयी और पीछे होकर गुफा की दीवार से टिक के बैठ गयी। वो उसे देखकर काँप रही थी, पूरी तरह से भीग चुकी साड़ी में ठण्ड की ठूठरन उसकी कप कपि और बढ़ा रही थी।
उस बूढी अम्मा ने कुटिल मुस्कान के साथ पुछा - क्या हूवा? तुम्हे क्या चाहिए? महामाया की गुफा में कोई यूँ ही नहीं आता?
कविता ने अपने आपको सँभालते हुए लड़खड़ाते होठों से कहा - मम मम मेरा सबकुछ खत्म हो चूका है, किसी ने मेरी दुनिया ही उजार दी, अब इस दुनिया में मेरा कोई भी नहीं बचा जिसके सहारे मैं जिन्दा रहूँ, और फूट - फूट कर रोने लगी।
उस बूढ़ी अम्मा ने कहा - जो भी कहना है साफ़ - साफ़ कहो ।
कविता ने कहा - मेरी रूह को सुकून मेरी एक लौटी बेटी को किसीने मुझसे छीन लिया, इस शहर ने मुझसे मेरा सबकुछ छीन लिया, आज से दस साल पहले मेरा सुहाग और अब मेरी औलाद । मुझे सिर्फ और सिर्फ बदला चाइये, मैं जानती हूँ की तुम ही मेरी मदद कर सकती हो । तुम्हे मेरी मदद करनी ही होगी मत भूलो की अगर एक साल पहले मैंने मुफ्त में तुम्हें अपने अस्पताल में रखकर दिल का ऑपरेशन नहीं किया होता तो आज तुम जिन्दा नहीं होते।
बूढी अम्मा ने एक कुटिलता से हस्ते हुए कहा - हाँ मुझे याद है, इसके लिए मैं तुम्हारा शुक्र गुजार हूँ, कहो तो अपनी जान भी दे दूँ। पर मैं एक चार फूट की बूढी अम्माँ कैसे तुम्हारा बदला लूँ?
mrs कविता ने कहा - मैं अपनी बेटी ली लाश को साथ ही लायी हूँ मैं चाहती हूँ की तुम उसे कुछ इस तरह की नापाक शक्तियाँ प्रदान करो की वो अपना बदला ले सके, कुछ ऐसा कर सके जिससे पूरा शहर खून के आंसू रोये ।
बूढी अम्माँ ने फिर कहा - मैं ये सब नहीं कर सकती, अब मेरे में इतनी ताकत नहीं बची है, मैं एक बूढी लाचार औरत हूँ । कविता उसके सामने गिड़गिड़ाते हुए उसके पैर पकड़ के बोली - मेरी मदद करो, भगवान् के लिए मेरी मदद करो, तुम्हारे सिवा मेरा कोई भी नहीं बचा इस शहर में और फूट - फूट कर रोने लगी।
बूढी अम्मा ने कहा - ठीक है लेकिन उसके लिए हम दोनों को अनुष्ठान करना होगा, और शैतान के आने के बाद तुम्हें उन्हें खुश करना होगा चाहे इसमें तुम्हारी जान ही किउं ना चली जाये । क्या तुम इसके लिए तैयार हो ?
कविता ने हाँ में सर हिला दिया, वह बूढी अम्मा एक शैतानी हंसी के साथ गुफा से बहार चली गयी, थोड़ी देर बाद कुछ भड़ी भड़कम चीज के घसीटने की आवाज गुफा में गूंज उठी, वह महज चार फूट की बूढी अम्माँ एक बहुत बड़े लकड़े के ताबूत को एक ही हाथ में पकड़ के खींचते हुए गुफा में ला रही थी। उसके एक हाथ में मशाल थी जिससे ये नजारा बेहद भयानक लग रहा था।
उसन ताबूत वहीँ छोड़ दिया और अंदर गुफा की गहराइयों में खो गयी, करीबन आधे घंटे बाद वापस आयी और एक हवन कुंड में आग लगा के कविता को बैठने को कहा ।
कविता डरी सहमी सी धीरे - धीरे सरकती हुयी बैठने ही वाली थी की बूढी अम्माँ ने उसे रोक दिया और कहा - तुम्हारे कपडे मैले हैं ये अनुष्ठान के लिए नहीं चलेंगे क्या तुम्हारे पास और कपडे हैं ?
कविता ने ना में सर हिलाया, बूढी अम्माँ ने कुटिलता से मुस्कुराते हुए कहा - तो ऐसे ही बैठो, पूरी नग्न अवस्था में, वैसे भी शैतान को खुश करने के लिए तुम्हारा निर्वस्त्र होना लाजमी है । उनकी बात सुनके पहले तो कविता शरमाई फिर आखिरकार अपने पुरे कपडे उतर के नंगी हवन कुंड के समीप बैठ गयी, एक अठरह वर्ष की लड़की की माँ होकर भी उसका जिस्म पिघलते सोने की तरह चमक रहा था। उस हवन कुंड की अग्नि में वो और भी खूबसूरत लग रही थी।
बूढी अम्मा ने उसे देखा और शैतानी आवाज में कहा - आज तो मेरे आका मुझसे अति प्रसन्न होंगे, और पूजा आरम्भ कर दी। अब वह जगह किसी भयनक तंत्र साधना स्थल में बदल चूका था, बूढी अम्मा भी निर्वस्त्र होकर कुछ मंत्र बुदबुदाते हुए स्वः स्वः कहती जा रही थी। सहसा जंगली जानवरों के रोने की आवाजें आने लगी जैसे उन्हें पता हो वहाँ कुछ भयनक हो रहा है ।
थोड़ी देर बाद वह बूढी अम्माँ उठी और एक ही झटके में ताबूत खोल दी, उसमे मोजूद लाश को आपने कंधे में टिका के अकेली ही हवन कुंड तक ले आयी और हवन कुंड के समीप बने किसी तांत्रिक यंत्र में पीठ के बल लेता दिया। कविता ने अपनी बेटी का शव देखा - गर्दन टूटी हुई, आँखें खौफ से बहार आयी हुई, गुप्तांग ऊपर से पेट तक फटा हूवा और उसमे से निकला खून से दोनों टाँगें लाल हो चुकी, उसे देखकर कविता फिर फूट - फूट कर रोने लगी।
कविता के रोने से उस बूढी अम्माँ को कोई फर्क नहीं पड़ता था वो बस तंत्र साधना में लीन थी, अंततः उसने कविता से कहा - आपने आपको सम्भालो और अंदर जा कर उस यंत्र पर लेट जाओ । कविता की हालत काटो तो खून नहीं वाली हो गयी थी, उसे गुफा एक अंदर जाना था वह भी अकेले।
बूढी अम्माँ ने कहा - जल्दी करो तुम्हे बदला लेना है या नहीं ? मशाल लेकर जाओ लेकिन वहाँ लेटकर मशाल पूरा बुझा देना। कविता थोड़ी जोश से मशाल हाथों में लेकर आगे बढ़ने लगी, वह गुफा ना जाने कितना गहरा था, कविता धीरे - धीरे लड़खड़ते कदमो से आगे बढ़ती जा रही थी, तभी उसे एक दस फूट की भयानक सी मूर्ति मिली जिसे देखकर कविता की चीख निकल गयी। वह मूर्ति किसी राक्षस की लग रही थी, दस सर जैसे रावण की हो दस हाथ और एक थाल में किसी आदमी का सर देखने में बेहद भयनक लग रहा था। वहीँ एक बड़ा सा विशाल पेड़ था जो बड़े अजीब तरीके से हिल रहा था बिना हवा के उसकी पत्तियां जैसे नाग का फन हो।
ये नजारा देखकर कविता एक पल को भूल ही गयी की वो यहाँ कियूं आयी है तभी उसकी नजर मूर्ति के पास बने एक बहुत बड़े यंत्र पर पड़ी जहाँ उसे लेटना था, वह भी अपने आप में अनोखा और भयनक था, कविता ने आपने आपको संभाला और यंत्र पर लेटकर मशाल पर पानी डाल दी, मशाल के बुझते ही गुफा का वो भाग गहरी अँधेरी घटा में खो गयी। यहां वह बूढ़ी अम्मा अपने तंत्र मंत्र में लीन थी, उसके मंत्र डरावने लगने लगे थे, अब धीरे - धीरे उस लड़की की लाश में हरकतें होनी शुरू हो गई।
कविता उस गहन अंधेरे में पूरी नग्न अवस्था में लेती हुई थी, उसे धीरे धीरे आपने आस पास किसी और की मोजुदगी का अहसास होने लगा था। किसी की गरम सांसे कविता को महसूस हो रही थीं, डर के मारे कविता कांपने लगी थी, उसे लगने लगा था कि बदले की भावना में वह एक बहोत बड़ी मुसीबत में फस चुकी हैं जहां से अब वापस नहीं जाया जा सकता।
तभी उस गुफा में किसी की डरवानी गुर्राने की आवाज गूंजी जानो मानो कोई जंगली जानवर गुफा में घुस आया हो, तभी कविता चीख पड़ी। उसके बाद चीखों का सिलसिला शुरू हुआ और कविता की चीखने चिलाने की आवाज पूरी गुफा में गूंज उठी, रो रो कर उसका हालत खराब हो रहा था ये उसकी चीखें बयां कर रही थी।
लगभग एक घंटे बाद अंदर गुफा में एक खामोशी फैल गई, बूढ़ी अम्मा अपने जीत पर इतराती हुई उठी और हवन कुंड की एक लकड़ी उठाकर कविता की ओर चल पड़ी।
वहां पहुंच कर उसने देखा कविता आंखे बंद कर के नंगी निढाल पड़ी है, उसके गुप्तांग से खून बह रहा था, उसके स्तनों को जैसे किसी ने आपने नुकेली दांतों से काट कर जिस्म से अलग कर दिया हो, उसके पीठ पर नाखून के इतनी गहरे निशान थे जैसे किसी बाघ ने पंजा मारा हो।
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