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अनामिका

अनामिका - 1 नापाक जिश्म का जन्म

अनामिका - 1

नापाक जिस्म का जन्म

काली अँधेरी रात, एक भयानक सा माहौल और तेज बारिश किसी की भी रीढ़ की हड्डी कपा दे इतनी ठण्ड, रह \- रह कर बिजली का चमकना जैसे कोई भयानक शैतान अपनी मौजदगी का अहसास करवा रहा हो, इसी बीच जंगल की सुनसान अँधेरी सड़क पर तेजी से एक टोयोटा फोरटूनेर कार भाग रही थी। जंगल की ख़ामोशी आज कुछ अलग सी थी किसी जंगली जानवर या पंछी की मौजूदगी का अहसास दूर \- दूर तक नहीं हो रही थी जैसे उन्हें ज्ञात हो आज की रात काली अँधेरी नापाक शक्तियों की रात है , बस बड़े \- बड़े विशाल पेड़ अन्नतं शाखाएं बिखेरे खड़े थे जब भी उनपर बिजली चमकती किसी शैतान की तरह एक पल दृश्य होकर गायब हो जाते।

आज अमावस्या की भयानक काली अँधेरी रात थी, कार में mrs कविता वर्मा अकेली अपनी गमो को धोने की कोशिश करते हुए गाड़ी 100 की रफ़्तार में भगा रही थी, पर रह \- रह कर आँखों से अश्क छलक उठते थे, वो आँसू बहाती रोती \- बिलखती सी गाड़ी भगाये जा रही थी, आखिर उसने एक बेहद खौफनाक पहाड़ी के पास गाड़ी रोक दी। उस खौफनाक पहाड़ी में एक बहुत गहरा गुफा थी, कविता वर्मा लगभग भागती हुई गुफा में प्रवेश कर गयी और अँधेरे में किसी को ढूंढ़ने लगी, तभी उसका सर जोर दार धम्म की आवाज के साथ एक गुफा की छत से लटकती पत्थर से टकराया और वो गिर पड़ी, उसके माथे से रक्त की धार बह उठी।

तभी उसे सामने से एक मशाल की रौशनी अपनी और आती दीखि, वह रौशनी धीरे - धीरे उसके करीब और करीब आने लगी और अंत में एक व्यक्ति की आकर्ति नजर आने लगी। वह आकर्ति महज चार फुट की किसी बूढी अम्मा की थी, वो बूढी अम्मा कविता के एकदम सामने आकर खड़ी हो गयी।

वह बूढी अम्मा महज चार फुट लम्बी थी, बाल सफ़ेद बिखरे हुए और काली - कलूटी एक नापाक सा जिस्म उसपर पैने लम्बे नाखून और मशाल की रौशनी में चमकती हुयी आँखे, वो किसी चुड़ैल से कम नहीं लग रही थी, उसे देखकर कविता की चीख निकल गयी और पीछे होकर गुफा की दीवार से टिक के बैठ गयी। वो उसे देखकर काँप रही थी, पूरी तरह से भीग चुकी साड़ी में ठण्ड की ठूठरन उसकी कप कपि और बढ़ा रही थी।

उस बूढी अम्मा ने कुटिल मुस्कान के साथ पुछा - क्या हूवा? तुम्हे क्या चाहिए? महामाया की गुफा में कोई यूँ ही नहीं आता?

कविता ने अपने आपको सँभालते हुए लड़खड़ाते होठों से कहा - मम मम मेरा सबकुछ खत्म हो चूका है, किसी ने मेरी दुनिया ही उजार दी, अब इस दुनिया में मेरा कोई भी नहीं बचा जिसके सहारे मैं जिन्दा रहूँ, और फूट - फूट कर रोने लगी।

उस बूढ़ी अम्मा ने कहा - जो भी कहना है साफ़ - साफ़ कहो ।

कविता ने कहा - मेरी रूह को सुकून मेरी एक लौटी बेटी को किसीने मुझसे छीन लिया, इस शहर ने मुझसे मेरा सबकुछ छीन लिया, आज से दस साल पहले मेरा सुहाग और अब मेरी औलाद । मुझे सिर्फ और सिर्फ बदला चाइये, मैं जानती हूँ की तुम ही मेरी मदद कर सकती हो । तुम्हे मेरी मदद करनी ही होगी मत भूलो की अगर एक साल पहले मैंने मुफ्त में तुम्हें अपने अस्पताल में रखकर दिल का ऑपरेशन नहीं किया होता तो आज तुम जिन्दा नहीं होते।

बूढी अम्मा ने एक कुटिलता से हस्ते हुए कहा - हाँ मुझे याद है, इसके लिए मैं तुम्हारा शुक्र गुजार हूँ, कहो तो अपनी जान भी दे दूँ। पर मैं एक चार फूट की बूढी अम्माँ कैसे तुम्हारा बदला लूँ?

mrs कविता ने कहा - मैं अपनी बेटी ली लाश को साथ ही लायी हूँ मैं चाहती हूँ की तुम उसे कुछ इस तरह की नापाक शक्तियाँ प्रदान करो की वो अपना बदला ले सके, कुछ ऐसा कर सके जिससे पूरा शहर खून के आंसू रोये ।

बूढी अम्माँ ने फिर कहा - मैं ये सब नहीं कर सकती, अब मेरे में इतनी ताकत नहीं बची है, मैं एक बूढी लाचार औरत हूँ । कविता उसके सामने गिड़गिड़ाते हुए उसके पैर पकड़ के बोली - मेरी मदद करो, भगवान् के लिए मेरी मदद करो, तुम्हारे सिवा मेरा कोई भी नहीं बचा इस शहर में और फूट - फूट कर रोने लगी।

बूढी अम्मा ने कहा - ठीक है लेकिन उसके लिए हम दोनों को अनुष्ठान करना होगा, और शैतान के आने के बाद तुम्हें उन्हें खुश करना होगा चाहे इसमें तुम्हारी जान ही किउं ना चली जाये । क्या तुम इसके लिए तैयार हो ?

कविता ने हाँ में सर हिला दिया, वह बूढी अम्मा एक शैतानी हंसी के साथ गुफा से बहार चली गयी, थोड़ी देर बाद कुछ भड़ी भड़कम चीज के घसीटने की आवाज गुफा में गूंज उठी, वह महज चार फूट की बूढी अम्माँ एक बहुत बड़े लकड़े के ताबूत को एक ही हाथ में पकड़ के खींचते हुए गुफा में ला रही थी। उसके एक हाथ में मशाल थी जिससे ये नजारा बेहद भयानक लग रहा था।

उसन ताबूत वहीँ छोड़ दिया और अंदर गुफा की गहराइयों में खो गयी, करीबन आधे घंटे बाद वापस आयी और एक हवन कुंड में आग लगा के कविता को बैठने को कहा ।

कविता डरी सहमी सी धीरे - धीरे सरकती हुयी बैठने ही वाली थी की बूढी अम्माँ ने उसे रोक दिया और कहा - तुम्हारे कपडे मैले हैं ये अनुष्ठान के लिए नहीं चलेंगे क्या तुम्हारे पास और कपडे हैं ?

कविता ने ना में सर हिलाया, बूढी अम्माँ ने कुटिलता से मुस्कुराते हुए कहा - तो ऐसे ही बैठो, पूरी नग्न अवस्था में, वैसे भी शैतान को खुश करने के लिए तुम्हारा निर्वस्त्र होना लाजमी है । उनकी बात सुनके पहले तो कविता शरमाई फिर आखिरकार अपने पुरे कपडे उतर के नंगी हवन कुंड के समीप बैठ गयी, एक अठरह वर्ष की लड़की की माँ होकर भी उसका जिस्म पिघलते सोने की तरह चमक रहा था। उस हवन कुंड की अग्नि में वो और भी खूबसूरत लग रही थी।

बूढी अम्मा ने उसे देखा और शैतानी आवाज में कहा - आज तो मेरे आका मुझसे अति प्रसन्न होंगे, और पूजा आरम्भ कर दी। अब वह जगह किसी भयनक तंत्र साधना स्थल में बदल चूका था, बूढी अम्मा भी निर्वस्त्र होकर कुछ मंत्र बुदबुदाते हुए स्वः स्वः कहती जा रही थी। सहसा जंगली जानवरों के रोने की आवाजें आने लगी जैसे उन्हें पता हो वहाँ कुछ भयनक हो रहा है ।

थोड़ी देर बाद वह बूढी अम्माँ उठी और एक ही झटके में ताबूत खोल दी, उसमे मोजूद लाश को आपने कंधे में टिका के अकेली ही हवन कुंड तक ले आयी और हवन कुंड के समीप बने किसी तांत्रिक यंत्र में पीठ के बल लेता दिया। कविता ने अपनी बेटी का शव देखा - गर्दन टूटी हुई, आँखें खौफ से बहार आयी हुई, गुप्तांग ऊपर से पेट तक फटा हूवा और उसमे से निकला खून से दोनों टाँगें लाल हो चुकी, उसे देखकर कविता फिर फूट - फूट कर रोने लगी।

कविता के रोने से उस बूढी अम्माँ को कोई फर्क नहीं पड़ता था वो बस तंत्र साधना में लीन थी, अंततः उसने कविता से कहा - आपने आपको सम्भालो और अंदर जा कर उस यंत्र पर लेट जाओ । कविता की हालत काटो तो खून नहीं वाली हो गयी थी, उसे गुफा एक अंदर जाना था वह भी अकेले।

बूढी अम्माँ ने कहा - जल्दी करो तुम्हे बदला लेना है या नहीं ? मशाल लेकर जाओ लेकिन वहाँ लेटकर मशाल पूरा बुझा देना। कविता थोड़ी जोश से मशाल हाथों में लेकर आगे बढ़ने लगी, वह गुफा ना जाने कितना गहरा था, कविता धीरे - धीरे लड़खड़ते कदमो से आगे बढ़ती जा रही थी, तभी उसे एक दस फूट की भयानक सी मूर्ति मिली जिसे देखकर कविता की चीख निकल गयी। वह मूर्ति किसी राक्षस की लग रही थी, दस सर जैसे रावण की हो दस हाथ और एक थाल में किसी आदमी का सर देखने में बेहद भयनक लग रहा था। वहीँ एक बड़ा सा विशाल पेड़ था जो बड़े अजीब तरीके से हिल रहा था बिना हवा के उसकी पत्तियां जैसे नाग का फन हो।

ये नजारा देखकर कविता एक पल को भूल ही गयी की वो यहाँ कियूं आयी है तभी उसकी नजर मूर्ति के पास बने एक बहुत बड़े यंत्र पर पड़ी जहाँ उसे लेटना था, वह भी अपने आप में अनोखा और भयनक था, कविता ने आपने आपको संभाला और यंत्र पर लेटकर मशाल पर पानी डाल दी, मशाल के बुझते ही गुफा का वो भाग गहरी अँधेरी घटा में खो गयी। यहां वह बूढ़ी अम्मा अपने तंत्र मंत्र में लीन थी, उसके मंत्र डरावने लगने लगे थे, अब धीरे - धीरे उस लड़की की लाश में हरकतें होनी शुरू हो गई।

कविता उस गहन अंधेरे में पूरी नग्न अवस्था में लेती हुई थी, उसे धीरे धीरे आपने आस पास किसी और की मोजुदगी का अहसास होने लगा था। किसी की गरम सांसे कविता को महसूस हो रही थीं, डर के मारे कविता कांपने लगी थी, उसे लगने लगा था कि बदले की भावना में वह एक बहोत बड़ी मुसीबत में फस चुकी हैं जहां से अब वापस नहीं जाया जा सकता।

तभी उस गुफा में किसी की डरवानी गुर्राने की आवाज गूंजी जानो मानो कोई जंगली जानवर गुफा में घुस आया हो, तभी कविता चीख पड़ी। उसके बाद चीखों का सिलसिला शुरू हुआ और कविता की चीखने चिलाने की आवाज पूरी गुफा में गूंज उठी, रो रो कर उसका हालत खराब हो रहा था ये उसकी चीखें बयां कर रही थी।

लगभग एक घंटे बाद अंदर गुफा में एक खामोशी फैल गई, बूढ़ी अम्मा अपने जीत पर इतराती हुई उठी और हवन कुंड की एक लकड़ी उठाकर कविता की ओर चल पड़ी।

वहां पहुंच कर उसने देखा कविता आंखे बंद कर के नंगी निढाल पड़ी है, उसके गुप्तांग से खून बह रहा था, उसके स्तनों को जैसे किसी ने आपने नुकेली दांतों से काट कर जिस्म से अलग कर दिया हो, उसके पीठ पर नाखून के इतनी गहरे निशान थे जैसे किसी बाघ ने पंजा मारा हो।

अनामिका - 2 लावारिस लाश

अनामिका - 2

लावारिस लाश

बूढ़ी अम्मा कुटिलता से मुस्कुराते हुए कविता के समीप आती है, कविता मरण संन अवस्था में परी हूई थी, उसकी आंखे बंद थी, स्तन जिस्म से अलग होकर लटक रहे थे, गुप्तांग से रक्त धार बह रहा था जिससे कविता की खूबसूरत गोरी लंबी टांगे लाल हो चुकी थी। बूढ़ी अम्मा ने उसे हैवानियत से सीधा किया और अपने कंकाल जैसे हाथ उसके रक्त धार बहती गुप्तांग में डालने लगी, उसने अपना हाथ कंधे तक पूरा डाला ओर बड़ी गहराई में से एक गोल मोटी जैसा कुछ चमकदार वस्तु कविता के जिस्म से बाहर निकाला और बड़ी तेजी से मन ही मन जीत का जश्न मनाते हुए बाहर भाग गई। बाहर आकर उसने देखा कविता की बेटी की लाश सिथील पड़ीं हुई है और आग अब भी जल रही है उसने एक हाथ में जलती लकड़ी ली ओर दूसरे हाथ में वो मोटी जिसे उसने अभी अभी कविता के जिस्म से बाहर निकाला था और धीरे धीरे लड़की की लाश के गुप्तांग में अपना हाथ डालने लगी, उसने उस लड़की की लाश के अंदर उस मोटी को किसी आंतरिक पाचन ग्रंथि में छीपा दिया और आपना हाथ बाहर निकाल दिया। थोड़ी ही समय में उस लाश में हलचल शुरू हो गई, उसकी उंगलियां हिलने लगी, धीरे - धीरे वो लाश उठने लगी और आपनी आंखे खोलने लगी। ये मंजर बेहद भयानक लग रहा था, किसी कमजोर दिल के व्यक्ति को हिर्दयाघट देने के लिए काफी था। उसने अपनी आंखें खोलते ही सामने उस बूढ़ी अम्मा को देखा और अपने आपको उस गुफा में पाकर अजीब से भाव से घूरने लगी। फिर बूढ़ी अम्मा से पूछा - आप कोन हो? ओर मैं कहां हूं? मेरी मॉम कहां है? उस बूढ़ी अम्मा ने एक शैतानी जीत भारी मुस्कान से उस लड़की को देखा और उसकी सवाल का जवाब देने ही वाली थी, अंदर गुफा से एक दर्द भारी चीख सुनाई दी, वह चीख लड़की एक पल में पहचान गई, ये उसकी मॉम थी। एक ही झटके के साथ उठ खड़ी हुई और आवाज की ओर भागी मॉम मॉम!!! चिलाते हुए आखिरकार वहां पहुंच ही गई। वहां का नजारा देख कर चीख पड़ी, कविता को होश आ चुका था और वो दर्द में चीख - चिल्ला रही थी, उसके मूह से खून निकलने लगा। वह लड़की भागते हुए कविता के पास आ गई, और उसके सर को आपनी गोद में उठाकर रोने लगी, उन्होंने उसकी जान बचाने के लिए खुद को बली दे दी थी। उस लड़की ने कहा - मॉम मै आपको कूछ नहीं होने दूंगी और उन्हें आपने कंधे के सहारे उठाकर बाहर भागने लगी, वह बूढ़ी अम्मा उसे रोकने की कोशिश करती रही पर उसने उसकी एक ना सुनी, बस कविता को गाड़ी में बैठाया और गाड़ी भागने लगी। सुनसान सड़क पर उनकी सफेद फॉर्च्यूनर सो की स्पीड में भाग रही थी, गाड़ी में कविता ओर वो लड़की बिल्कुल नंगी बैठी थी, कविता के जिस्म से अब भी खून निकल रहा था और गाड़ी का सीट खून से सं चूका था। वो लड़की जिसका नाम दिव्या था बार बार आपनी मॉम को आवाज दे रही थीं और रोए जा रही थी। अतः गाड़ी एक बहुत बड़ी अस्पताल मै आ के रुकी हॉस्पिटल का नाम था - कविता मेमोरियल अस्पताल। ***************************************************** वहीँ कहीं दूर किसी सुनसान सड़क पर एक लाल रंग की स्विफ्ट कार आपने चरम सिमा में सरपट दौर रही थी, उस सुनसान सड़क में ना कोई आदमी ना किसी जानवर की जात दिखाई देता था, बस एक नीरस लम्बे घने पेड़ो से लदा विशाल जंगल था वो, गाड़ी में निहारिका और उसका बॉयफ्रेंड कम कैमरा मेन राहुल दीवान था। राहुल ने उसे टोकते हुए कहा - तुम क्या पागल हो गयी हो? इतनी तेज गाड़ी कियूं चला रही हो, अगर कुछ भी असिडेंट हूवा तो मारुती कंपनी की गाड़ी कितनी सुरक्षित है ये तो हर कोई जनता है, लाश भी ढंग से नहीं मिलेगी घर वालों को किर्या कर्म करने के लिए। निहारिका ने उसपर चिल्लाते हुए कहा - अगर जल्दी हम हॉस्पिटल नहीं पहुंचे तो यकींनन पुलिस वाले उस लड़की की लाश को भी गायब कर देंगे और हम हर बार की तरह मुह मार के रह जायेंगे। तुम्हें जिंदगी में कुछ करना भी है या नहीं? राहुल ने कहा - तुम जैसे गाड़ी चला रही हो कुछ करने के लिए जिंदगी ही नहीं बचेगी लगता है, अगर मेरी गाड़ी को एक भी डेंट लगा तो आई प्रॉमिस मैं तुम्हारी फाड़ दूंगा। निहारिका ने एक थप्पड़ मारा - बड़ा आया मेरी फाड़ने वाला, अगर इस हप्फ्ते भी खाली हाथ ऑफिस गए तो मिस्टर ढोलकिया हम दोनों की ही फाड़ेगा वो भी बिना तेल के। आखिर गाड़ी चीखती हुई अस्पताल के पास रूक गई, वो नहीं चाहते थे की किसी को भी कानो - कान खबर हो की वो लोग वहां हैं इसलिए गाड़ी अस्पताल से दूर ही पार्क करके दिवार फांदने की कोशिश करने लगे, राहुल तो एक ही पल में दीवार चढ़ गया पर निहारिका नहीं चढ़ पा रही थी। उसका मजाक उड़ाते हुए राहुल कहने लगा - इसलिए तो कहता हूँ रोज सुबह उठकर जॉगिंग किया करो, खा - खा के इतनी मोती हो गई हो एक दिवार नहीं चढ़ा जा रहा। उसकी बात सुनके निहारिका को गुस्सा आ गया और उसने टेश में आकर एक जोर दार छलांग मरी और पल में चढ़ गयी दिवार में, फिर कहा - अब बोल! बोलना हरामखोर! बिस्तर में सेक्स के टाइम तो बेबी यू आर बौइटिफुल यहाँ मोटी, तुम सारे मर्द एक जैसे होते है। राहुल हसता हूवा बोला - तुम्हें सभी मर्दो को टेस्ट करने को किसने कहा था? निहारिका ने गुस्से में धक्का दे दिया और नीचे खड़ा हो गया। अरे ए पागल लड़की, कोई इसको बोलो ऐसा नहीं करते। निहारिका ने गुस्से में कहा - बी सीरीयस! चलो जल्दी, हमे जल्दी से उस लड़की की लाश को ढूंढ़ना होगा पता नहीं इतनी बड़ी अस्पताल में उन्होंने कहाँ रखा होगा उसकी लाश को? वो दोनों अँधेरे में तीर चलाने की कोशिश करते हुए पुरे चार मंजिल बिल्डिंग में यहाँ - वहाँ भटकते रहे और आखिरकार दो घंटे बाद निहारिका को शव घर मिल ही गया, नीचे लॉबी में छिपा हूवा था। उसने झट से राहुल को बुलाया और टॉर्च निकालके अंदर जाने लगे पर दरवाजा पे ताला लटक रहा था। राहुल ने पुछा - अब तो निहारिका ने ऊपर टूटे हुए वेंटिलेटर की और इशारा करते हुए कहा - अगर तुम मुझे उठा सको तो मैं अंदर जाकर कुछ कर सकती हूँ, राहुल ने ठीक है कहा और उसे उठाया, वह आख़िरकार वेंटिलेटर से पार होने में कामयाब हो गयी। वहाँ पहुँचते ही उसे किस्मत से एक सीढ़ी मिल गयी जिसकी मदद से राहुल भी अंदर आ गया। अंदर का नज़ारा भयानक था चारों और बस लाशे ही लाशे और एक बदबू शायद किसी केमिकल की, निहारिका ने कहा - चलो जल्दी - जल्दी सभी लाशो के कफ़न उठाओ और ढूंढो उसलड़की की लाश को, करीबन चालीस - पचास लाश देखने के बाद अन्त्ततः राहुल ने कहा - निहारिका ! निहारिका जल्दी यहाँ आओ, मुझे लगता है की ये वही है। निहारिका भागते हुए राहुल के पास पहुँचती है और अपनी जीत पर मन - ही - मन खुश होते हुए एक ही झटके में कफन निकाल के फेक देती है, उस लाश की हालत देखकर नहारिका को उल्टी हो जाती है। उस लड़की के साथ किसी ने बड़ी भयनाक और हैवानियत से बलात्कार किया था, उसके गुप्तांग सूज के बहार आ चुके थे उसके होठ गायब थे, स्तन कट के बहार झूल रहे थे, उसके गुदा द्वार से कुछ अंतरियाँ बहार आकर लटक रही थी, गर्दन में एक अजीब सी बेल बहुत कड़ा बंधा हुवा था, उसकी नाक के नथने फट चुके थे, जो बयां करते थे की मरने से पहले इस लड़की ने कितना दर्द सहा होगा, कितना चीखी चिल्लाई और रोई होगी।

निहारिका उसकी हालत देखकर रो पड़ी, भले ही वो रिश्ते में उसकी कुछ नहीं लगती थी लेकिन इंसानियत को शर्मशार करती हैवानियत किसी भी भले आदमी के आँखों में अश्क लेन के लिए काफी होते हैं। निहारिका राहुल से कह उठी - इतनी हैवानियत कोई भी किसी दुश्मन के साथ भी कैसे कर सकता है, आखिर कब ख़त्म होगा ये सब, और पुलिस कियूं कुछ नहीं करती? राहुल ने उसे सँभालते हुए कहा - वो लोग भी मिले हुए हैं इस सभी मामले में और क्या? तुम जल्दी से अपने आपको सम्भालो और मेरा कैमरा दो, कुछ फोटो खींच कर यहाँ से निकल जाते है,। राहुल कैमरा लेकर लाश की फोटो खींचने ही वाला होता है की तभी दरवाजे में लगे ताले की खुलने की आवाज आने लगती है साथ ही दो चार आदमी के एक साथ होने का अहसास भी, निहारिका और राहुल एकदम डर जातें हैं, राहुल झट से निहारिका को लेकर एक अलमारी में छिपा लेता है और दरवाजा बंद कर देता है। तभी दरवाजा खुलता है चार हट्टे कट्टे आदमी अंदर आते है, अंदर आते ही देखते हैं लड़की की लाश बिना कफन के नंगी पड़ी है, उनमे से एक आदमी बोखला उठता है। ये क्या हो गया? हमसे पहले कोई यहाँ आया था, एक बूढ़े चौकीदार पर बरस पड़ता है तुम्हें ध्यान रखना चाहियें अगर ये बात बहार आ गयी तो इसका जिम्मेदार कोण होगा बताओ मुझे? वह बूढ़ा चोकीदार गिड़गिड़ाते हुए कहता है - कसम भगवान् की मैं तो शाम से यहाँ से हिला ही नहीं ये जरूर हवा से गिर गया होगा या हो सकता है भूत? एक दूसरे गुंडे टाइप के आदमी ने उस बूढ़े के गाल पर जोरदार थप्पड़ जड़ दिया, वो निढाल सा जमीन पर गिर पड़ा, फिर गुस्से में घूरते हुए कहा - कामचोर कहीं का, खुद कहीं बैठकर सो रहा होगा और बकवास करता है भूत - प्रेत । चलो जल्दी - जल्दी लड़की की लाश को गाड़ी में डालो हमे बहुत दूर निकलना है सुबह होने से पहले काम खत्म होना चाहिए । उसके बाद सभी ने कफन डालकर लड़की के लाश को उठाया और गाड़ी में डालकर बैठ गए और कुछ ही पल में वो गाड़ी कहीं ओझल हो गयी। इधर निहारिका और राहुल चैन की साँस लेते हुए बहार निकले, बहार निकलते ही राहुल ने कहा - हाश ! बाल - बाल बचे, निहारिका दीवार पर मुक्का मारते हुए भोखला कर चिल्ला उठती है - हरामखोर वहशी दरिंदे कहीं के फिर हमसे बच के निकल गए। राहुल कहता है शुक्र मनाओ उन्होंने हममे नहीं देखा वरना तुम्हारी लाश भी ऐसे ही पड़ी होती। तभी एक झटके से दरवाजा खुला और वो चार हट्टे - कट्टे नौजवान अंदर आ गए, उनमे से एक ने राहुल की खिल्ली उड़ाते हुए कहा - ज्यादा शुक्र मानाने की कोई जरूरत नहीं है हम सब आ गए हैं तुम्हारी फाड़ने , और सभी जोर - जोर से हसने लगे। निहारिका को उनकी बात सुनके और उस लड़की की लाश देखके अपना आपा खो बैठी और उसने बिना कुछ सोचे समझे उनपर धावा बोल दिया। एक के गाल पर आपने पंजे के लाल निशान बना दिए और एक को इतनी जोर डार लात उसके जननांग में मारा की वो वहीँ तरप कर लेट गया। तभी किसी ने निहारिका के सर पे रॉड मारा और वो वहीँ बेहोश हो गयी।

अनामिका- 3 चूड़ेल का सामना

अनामिका - 3

चुड़ैल का सामना

रात का प्रहर, घडी में करीबन एक बज रहे थे, सुनसान सड़क दूर - दूर तक ना कोई इन्सान ना इन्सान की जात, बस मनहूसियत फैली हुयी सुनी सड़के और दोनों तरफ गहरा जंगल जहाँ से जानवरों की आवाजें किसी को भी डराने के लिए प्रयाप्त थे। इसी सड़क पर सो से भी जायदा स्पीड में एक महिंद्रा स्कार्पियो दौड रही थी, कार की पिछली सीट पर निहारिका और उसका बॉयफ्रेंड राहुल उस लड़की की लाश के साथ थे और बीच वाली सीट में वो गुंडे बैठकर सिगरेट सुलगा रहे थे। उसने से एक ने पीछे पलट के देखा निहारिका अभी भी बेहोश पड़ी थी और राहुल उनकी मार से अधमरा हालत में कराह रहा था, उस आदमी ने चैन से मुँह सामने कर लिया और अपने दोस्त को कोहनी मारते हुए कहा - बस एक बार अपनी मंजिल में पहुँच जाएँ फिर तो जम के पार्टी होगी आज, ऐसी चीज हाथ लगी है आज मज़ा ही आ जायेगा, तभी राज़ जो गाड़ी चला रहा था उसके सर पर हाथ मारते हुए बोला - भगा ना गाड़ी भाई, तू क्या यहाँ गाड़ी सिखने आया है ? उसने पलट के जवाब दिया - आय हाई! तड़प रहा नहीं जाता, चला तो रहा हूँ, रूको ज़रा सबर करो। थोड़ी देर में गाड़ी एक कच्चे रस्ते को मुड़ी और करीबन आधे घंटे में वो लोग अपनी मंजिल को पहुँच गए, वहां पहुँचते ही सभी के चहरे में एक वहशी मुस्कान खिल उठी, ये वहशी मुस्कान शायद इसलिए थी क्यूंकि उन्हें पूरा यकीन था की यहाँ इस सुनसान जंगल में उन्हें डिस्टर्ब करने वाला कोई भी नहीं आएगा और याहं लड़की चाहे जितनी मर्ज़ी चीखे कोई नहीं सुनेगा । कार में से सभी के सभी एक झटके से उतरे और पीछे का दरवाजा झटके के साथ खोला, उनमे से एक ने एक ही झटके में राहुल की गर्दन पकड़ी और जोर से गाड़ी के बहार फ़ेंक दिया, और लाश को भी बहार फ़ेंक दिया। अब उस कार में उनके सामने निहारिका बी\=ही थी, एकदम खामोश, बेहोश लाचार सी भाव विहीन किसी लाश की तरह पड़ी हुयी थी। तभी उनमे से एक ने कहा - अरे यार ये स्लीपिंग ब्यूटी तो अभी भी सो रही है पानी वाणी मारो इसके चहरे पर और उठाओ जल्दी। एक ने पानी की बोतल ली और उसके चहरे पे मारा , निहारिका को होश आने लगा, उसने धीरे - धीरे आँखें खोली, जैसे ही उसे होश आया आपने सामने उस काले गुंडे को देखकर उसकी चीख निकल गयी, उस गुंडे ने हस्ते हुए कहा - आरे जानेमन अभी तो कुछ किया भी नहीं और तुम अभी से चीखने - चिल्लाने लगी। उस आदमी ने कड़ाई से निहारिका का हाथ पकड़ा और कार में से खींचते हुए बहार निकला, बहार आते ही उसने देखा राहुल अधमरा सा तड़प रहा है साथ ही मिन्नतें कर रहा है - भगवान के लिए छोड़ दो उसे प्लीज !!! निहारिका भी उन चारों को एक साथ सामने देखकर डर जाती है और वो भयानक सा जंगल उसके रोंगटे खड़े कर देता है, वो मदद के लिए चिल्लाती है - बचाओ! कोई है यहाँ हेल्प में प्लीज पर सब बेकार, इनमे से एक उसका हाथ पकड़ते हुए कहता है मैं हूँ ना मेरी जान तुम्हारी हेल्प करने के लिए, हम सभी मिलकर रात भर तुम्हारी हेल्प करेंगे हाँ और हसने लगते है। निहारिका उसने रोते हुए कहती है - प्लीज मुझे छोड़ दो, मैं किसी को कुछ भी नहीं बताउंगी पर उसकी ना सुनते हुए वो लोग उसे घसीटते हुए एक गुफा में घुसने लगते है, वहाँ पहले से मशाल लगी होती है जिसे एक आदमी जला देता है। अब वहां का नज़ारा साफ - साफ दिखाई देता है एक भयानक सी गुफा छत से लटकती बेलें और एक पत्थर का सेज जिसके पास कुछ खून से सनी जंजीरे पड़ी थी और उस बड़े से पत्थर में भी खून ही खून था। एक काला सा आदमी जो काफी डरावना सा था उनमे से एक से कहता है तुम दोनों जा के उस लड़की की लाश को जला दो तबतक हम यहाँ इसको मजा चखाते है, दूसरा आदमी जिसको निहारिका जननांग पे मारा था वो गुस्से में बोलता है - बॉस जब सबका हो जाये तब इसको मुझे ही देना, मैं ऐसी हालत करूँगा ना इसकी की चील कावें भी इसकी लाश नहीं खाएंगे और वहां से चला जाता है । तभी निहारिका हाथ जोड़ती है प्लीज भले मुझे मार डालो पर मेरा रेप मत करो तुम्हें तुम्हारी माँ का वास्ता ! वो सभी वहशी पन से हस्ते हुए कहते है देखो बेबी - चुपचाप हमारी बात मानोगी तो तुम्हें भी मज़ा आएगा और हम तुम्हें आसानी से मौत देंगे पर अगर ज्यादा नाटक किया तो वो खून से जंजीरें देख रही हो ना, उसी में बांधकर रात भर पेलेंगे फिर अभी - अभी जो बहार गया है ना उस लड़की की लाश को ठिकाने लगाने वो तुम्हें ऐसे ठिकाने लगाएगा की कोई भी तुम्हारी लाश देखकर उलटी कर देगा, उसे तुम लड़कियो के पेट से अटरियाँ निकालने में बहुत मज़ा आता है, वो देखे उसका ओजर । निहारिका उस और देखती है जिधर उसे वो इशारा करता है - सामने लम्बी - लम्बी बहुत सी रोड थी जो एक किनारे हुक की तरह मुड़ी हुई सी थी, उसे देखकर निहारिका के हड्डियाँ में थुरथरान होने लगी उसके पैर उसकी जिस्म का भार उठाने में नाकाम होने लगे, तभी उनमे से एक ने उसका हाथ पकड़ा और पत्थर की सेज पर जबरदस्ती लेताते हुए कहा - बहुत हूवा तमाशा जल्दी सी इस सोन चिड़ियाँ को बांधो और काम शुरू करो। उन लोगों ने उसे बांधा और उसके कपड़े उतारने लगे, एक चाकू से उसके कपड़े फाड़ने लगे एक ही पल में निहारिका उन वहशी दरिंदों के सामने पूरी नंगी बंधी थी और रहम की भीख मांग रही थी। तभी एक काला आदमी जो उनका बॉस था आपने कपड़े उतार के लेता ही था कि एक जोर दार चीख पूरे वातावरण में गूंज उठी, सभी चोक गए। बॉस ने कहा - जाकर देखो जरा, कोन है और अमन कहां है? जाकर देखो, तभी एक ओर चीख गूंजी जिसे सभी ने पहचान लिया। वो चीख उनके दोस्त की ही थी, सभी बाहर को भागने लगे, जब सभी बाहर आए तो वहां का नजारा देखकर सभी को सांप सूंघ गया। सामने एक बहुत बड़ा सा काला साया उनकी ओर पीठ करके खड़ी थी और उसके हाथ में उनके दोस्त अमन कि गर्दन थी, उस साएं ने एक ही हाथ से इतने हत्ते - कट्टे आदमी को उठा रखा था। सभी देखकर चीख पड़े, उनके बॉस ने हड़बड़ाहट में आपनी पिस्तौल निकली और उस साएं पर गोलियां चलाने लगा। पूरे जंगल में गोलियों की आवाज गूंज उठी उसने नो गोली उस साएं पर चलाई पर उसे देखकर जरा भी नहीं लगा कि उसे कुछ लगा भी है। उसने एक ही झटके में अमन कि गर्दन पर आपने पेन नाखून गाड़ दिए और एक ही पल में गर्दन धड से अलग कर दिया। उसके बाद एक गुर्रारहट वातावरण में गूंजी और वो साया उन बाकी के लोगो पर झपटी, उसने एक ही छलांग मारी और सीधे गोलियां चलाने वाले के गर्दन पकड़ ली, बाकी सभी समझ चुके थे कि इस साएं से लड़ना उनके औकात से बाहर है, इसलिए सर पे पैर रख के भागे। गोली चलाने वाले की गर्दन उस साएं की हाथ में थी और उस साएं का चेहरा वो साफ साफ देख पा रहा था, उसकी आंखे अंगार की तरह जल रही थी नुकीले दांत मुंह से बाहर झांक रहे थे, पूरा जिस्म जले हुए चमड़े जैसा था नाखून नुकीले थे और एक गन्दी बदबू सड़ी लाश की आ रही थीं।

उस साएं को देखकर उस पहलवान जैसे आदमी की भी पतलून गीली हो गई और वह चिल्ला भी नहीं पा रहा था। तभी उस आदमी ने उसके पैर देखे उल्टे हवा में लटक रहे थे वह समझ चुका था सामने एक बेहद ताकतवर चुडैल खड़ी है और वह बचने वाला नहीं है। तभी उस चुडैल ने अपने नुकीले नाखून उसके पेट में गाड़ दिए और धीरे धीरे आपने कंकाल जैसा हाथ उसके जिस्म में घुसाने लगी। आदमी उस दर्द मै आखिर जोर दार चीख पड़ा, आ ...........अ!!!!! फिर अगले ही पल उसने उस आदमी का दिल उसके जिस्म से बाहर निकाल दिया और वह वहीं चिहुंक कर रह गया। उसी के सामने निहारिका का बॉयफ्रेंड राहुल अधमरी हालत में पड़ा हुआ था वह भागने कि हालत में भी नहीं था, वह उस साएं को ओर उस आदमी की खून से भरी लाश देखकर चीख उठा, उसे लगा अब मैं भी नहीं बच पाऊंगा पर उसके अनुमान के विपरीत वह चुडैल उसे गुर कर जंगल की ओर भाग गई। उस चुडैल के जाते ही राहुल सान्न रह गया उसे विश्वास है नहीं हो रहा था कि वह उस वहशी चुडैल से जिंदा बच गया, वह एक पल शांति से बैठा ही था कि उसे निहारिका की आवाज सुनाई दी। प्लीज़ मुझे जाने दो, भगवान के लिए मुझे छोड़ दो। राहुल एक झटके से उठा पर अगले ही पल धड़ाम से गिर पड़ा, उसके पैर की हड्डी टूट चुकी थी, वह हाथों के बल घस्ट्टे हुए अंदर गुफा में पहुंचा। अंदर जाते ही उसके सामने निहारिका पड़ी हुई मिल गई, हाथ पैर जंजीरों में कैद पूरी नंगी वह तड़प रही थी आपने को उन जंजीरों से मुक्त करवाने के लिए, राहुल उसकी हालत देखकर रो पड़ा। वह घसीतिते हुए उसके पास गया और उसके हाथ खोलने लगा, एक हाथ खोलते ही निहारिका ने फुर्ती से अपने दूसरे हाथ भी खोला ओर पैर खोलकर बैठ गई। उसके सामने जमीन पर पड़ा राहुल था और वह बिल्कुल नंगी थी, उसके सभी कपड़ों को उन दरिंदो ने बेरहमी से फाड़ दिया था। उसने झिजकते हुए राहुल को उठाया और पत्थर की सेज पर बैठा के पूछा तुम तुम ठीक तो हो। राहुल ने कहा - ठीक हूं पर मेरे पैर की हड्डी टूट चुकी हैं और बाहर एक भयानक चुडैल घूम रही है हमे यहां से जल्दी निकालना होगा। तभी उसकी नजर निहारिका पे पड़ी पूरी नंगी वह आपने स्तनों को ढकने की कोशिश कर रही थी, राहुल ने कहा- तुम एक काम करो मेरी शर्ट उतार कर पहन लों जल्दी ओर यहां से भागो। निहारिका ने जल्दी ही उसकी बात पर अमल किया ओर उसकी शर्ट उतार कर पहन ली वह काफी लंबा शर्ट था जो उसके जांघों तक आ रही थी। निहारिका को वह शर्ट पहनकर आचा लगा वह झट से राहुल को कंधे का सहारा देकर उठाने लगी और बाहर आने लगे, बाहर आते ही फिर निहारिका कमजोर पड़ने लगी एक तो राहुल इतना हट्टा कट्टा नौजवान जिसे संभाना मुश्किल हो रहा था और वह अभी भी बस एक शर्ट में ही थी नीचे से नंगी वह घबराने लगी मुझे किसी ने ऐसे देख लिया तो। तभी राहुल ने स्कॉर्पियो कि ओर इशारा करते हुए कहा - देखो निहारिका उस गाड़ी के दरवाजे खुले हुए हैं हो सकता है चाबी भी वहीं हो जलदी वहां चलो। राहुल का अनुमान सही निकला गाड़ी की चाबी अभी भी लगी हूई ही थी उस कर को देखकर निहारिका को ऐसा लगा मानो कोई देवदूत उसे बचाने आ गया हो, उसने झट से राहुल को पीछे सीट पर लेटाया और खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ गई और एक ही पल में गाड़ी चलने के लिए स्टार्ट हो गई। वो लोग गाड़ी आगे बढ़ने ही वाले थे कि सामने से निहारिका को दो आदमी आपनी और भागते हुए दिख गए। वो लोग वहीं थे जो थोड़ी देर पहले दरिंदगी से उसे नंगा कर रहे थे। उन्हें देखकर निहारिका का खून खोल उठा उसने गाड़ी तेजी से उनकी ओर दौड़ा दी एक ही पल में गाड़ी उन दोनों को उड़ाते हुए निकल गई, आईआरवीएम में निहारिका ने देखा उनकी छत विचात लाश, वो देखकर निहारिका को खुशी हुई बदला लेने की खुशी उसके सुंदर चेहरे पर साफ़ झलक रही थी। उसने गाड़ी सो की स्पीड में दौड़ा दी और सीधे अपने घर जाकर गाड़ी रोकी, पहले आपने कपड़े बदले फिर राहुल को हॉस्पिटल ले गई।

***************************************************** वहीं कहीं दूर किसी घर के एक कमरे में ड्रेसिंग टेबल पर बैठी एक लड़की सज सवर रही थी, वह इतनी खूबसूरत ओर गोरी चित्ती थीं कि बॉलीुड की हिरोइन भी फैल हो जाए। उसके गुलाबी होठ, नशीली आंखें और कथिला बदन किसी के भी तन मन में कामवासना जागने के लिए काफी थी। उसने आपनी घड़ी देखी और हड़बड़ा कर उठ खड़ी हुई, अरे बाप रे इतनी देर हो गई है। वह भाग के नीचे उतरी और सड़क पर दौर पड़ी, उसने एक ऑटो रोका और उसमे बैठके अपनी मन्नजिल उसे बताया। वह एक जॉब इंटर व्यू के लिए जा रही थी, वह एक गरीब परिवार की लड़की थी और पढ़ाई करने शहर अाई थी, पढ़ाई कंप्लीट होते ही उसे घर वाले बुला रहे थे अगर ये जॉब उसे नहीं मिली तो वापस जाना ही पड़ेगा उसे गाव। तभी ऑटो एक जगह पर रुकी एक आलीशान बिल्डिंग कांच जड़ी हूई ओर सामने एक बोड लगा था - BMW CARS INDIA

वो लड़की ऑटो से भागते हुए उतरी और अंदर जा के मेजबान को अपना नाम बताया - हाय! मैं नूपुर शिखावत जॉब इंटरव्यू के लिए अई हूं। उस लड़की ने उसे ऊपर भेज दिया, अंदर एक केबिन में जा के बड़े अदब से कहा - गुड मॉ्निंग सिर!!!! सामने एक तीस साल का नौजवान युवक बैठा था जो कि कंप्यूटर पर काम कर रहा था, बिना उसकी ओर देखे कहा - गुड मॉर्निंग! आइए बैठिए। नूपुर सहमति सी सामने लगी कुर्सी पर बैठ गई, उसने अब सर उठाकर उसका चेहरा देखा। देखते ही एक पल को जैसे रुक सा गया, वह उसे देखते ही रह गया। उसकी खूबसूरती देखकर वो वहीं घायल हो गया और अपना सुध बुध खो बैठा, फिर आपने आप को संभालते हुए कहा- जी आपका नाम? नूपुर ने मुस्का के अपना नाम बतलाया उसके बाद उस लड़के ने अपना नाम बताया, मैं धनराज खुराना इस शोरूम का डायरेक्टर कम मैनेजर। यह मेरे डैड की शोरूम है। उसके बाद उस लड़के ने एक के बाद एक कई सवाल पूछे जिसका जवाब नूपुर नहीं दे पाई, वो मोटर गाड़ियों के बारे में कुछ खास नहीं जानती थी, उसे लगा वो इंटरव्यू ने फेल हो गई और उसे अब गांव जाना पड़ेगा वापस हमेशा के लिए, वह सिर झुकाए बैठी रही उसकी ना सुनने के इंतजार में। तभी धनराज ने कहा - ओके! तुम्हारी नोकरी पक्की कल से काम पे आ जाना सुबह के नो बजे। उसकी बात सुनकर नूपुर दंग रह गई उसे आपनी कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था, उसने खुशी से थैंक यू कहा और बाहर चली गई। अगले दिन सुबह के नो बजे नूपुर सज संवर के शोरूम पहुंच चुकी थीं, वह बाहर से जितनी खुश लग रही थी अंदर से उतनी ही डरी हुई थी क्यूंकि वो जानती थी की ये नोकरी उसे उसकी काबिलियत पर नहीं बल्कि जिस्म की खूबसूरती के बदौलत मिली है। तभी कल का लड़का धनराज शोरूम पहुंचा उसने आते ही नूपुर के बारे में पूछा ओर देखते ही लपका। उसने उसकी आवभगत की और बातें करता रहा इसी बीच नूपुर को कई बार लगा की वो उसे वासना भारी नजर से देख रहा है पर नूपुर मजबूर थी।

आगे वो एक बहु बड़ी मुसीबत में पड़ने वाली है ऐसा उसकी चट्टी इंद्री चीख - चीख कर कह रही थी, उसने मन ही मन जो भी होगा देखा जायेगा कहा और अपने आपको संभाला.

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