डॉ. राममनोहर लोहिया का जीवन परिचय

डॉ. राममनोहर लोहिया का जीवन परिचय

डॉ. राममनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च, 1910 को अकबरपुर में पिता श्री हीरालाल, माता श्रीमति चन्दा के घर हुआ था। ढ़ाई वर्ष की आयु में मां का देहान्त हो गया। उन्हें दादी के अलावा सरयूदेई, (परिवार की नाईन) ने पाला। टंडन पाठशाला में चौथी तक पढ़ाई करने के बाद विश्वेश्वरनाथ हाईस्कूल में दाखिल हुये। पिताजी के साथ 1918 में अहमदाबाद कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार शामिल हुए। बम्बई के मरवाड़ी स्कूल में पढ़ाई की। लोकमान्य गंगाधर तिलक की मृत्यु के दिन विद्यालय के लड़कों के साथ 1920 में पहली अगस्त् को हड़ताल की। गांधी जी की पुकार पर 10 वर्ष की आयु में स्कूल त्याग दिया। पिताजी को विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के आन्दोलन के चलते सजा हुई। 1921 में फैजाबाद किसान आन्दोलन के दौरान जवाहरलाल नेहरू से मुलाकात हुई। 1924 में प्रतिनिधि के रूप में कांग्रेस के गया अधिवेशन में शामिल हुए। 1925 में मैट्रिक की परीक्षा दी। कक्षा में 61 प्रतिशत नम्बर लाकर प्रथम आये। इंटर की दो वर्ष की पढ़ाई बनारस के काशीविश्वविद्यालय में हुई। कॉलेज के दिनों से ही खद्दर पहनना शुरू कर दिया। 1926 में पिताजी के साथ गौहाटी कांग्रेस अधिवेशन में गये। 1927 में इंटर पास किया तथा आगे की पढ़ाई के लिए कलकता जाकर ताराचंद दत्त स्ट्रीट पर स्थित 'पोद्दार छात्र हास्टल' में रहने लगे। विद्यासागर कॉलेज में दाखिला लिया। अखिल बंग विद्यार्थी परिषद के सम्मेलन में सुभाष चन्द्र बोस के न पहुंचने पर उन्होंने सम्मेलन की अध्यक्षता की। 1928 में कलकता में कांगेस अधिवेशन में शामिल हुए। 1928 से अखिल भारतीय विद्यार्थी संगठन में सक्रिय हुए। साइमन कमिश्न के बहिष्कार के लिए छात्रों के साथ आन्दोलन किया। कलकता में युवकों के सम्मेलन में जवाहर लाल नेहरू अध्यक्ष तथा सुभाष चन्द्र बोस और लोहिया विषय समिति के सदस्य चुने गए। 1930 में द्वितीय श्रेणी में बी.ए. की परीक्षा पास की। 1930 जुलाई को लोहिया अग्रवाल समाज के आर्थिक सहयोग से पढ़ाई के लिए इंग्लैंड रवाना हुए। जहां से वे बर्लिन गये। विश्वविद्यालय के नियम के अनुसार उन्होंने प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो. बर्नर जेम्बार्ट को अपना प्राध्यापक चुना। 3 महीने में जर्मन भाषा सीखी। 12 मार्च 1930 को गांधी जी ने दांडी यात्रा प्रारम्भ की। जब नमक कानून तोड़ा गया तब पुलिस अत्याचार से पीड़ित होकर पिता हीरालाल जी ने लोहिया को विस्तृत पत्र लिखा। 23 मार्च को लाहौर में भगत सिंह को फांसी दिये जाने के विरोध में लीग ऑफ नेशन्स की बैठक में बर्लिन में पहुंच कर सीटी बजाकर दर्शक दीर्घा से विरोध प्रकट किया। सभा कक्ष से उन्हें निकाल दिया गया। भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे बीकानेर के महाराजा द्वारा प्रतिनिधित्व किये जाने पर लोहिया ने खुली चिठी लिखकर उसे अखबारों में छपवाकर उसकी कॉपी बैठक में बंटवाई। गांधी इर्विन समझौते का लोहिया ने प्रवासी भारतीय विद्यार्थियों की संस्था मध्य यूरोप हिन्दुस्तानी संघ की बैठक में संस्था के मंत्री के तौर पर समर्थन किया। कम्युनिस्टों ने विरोध किया। बर्लिन के स्पोटर्स पैलेस में हिटलर का भाषण सुना। 1932 में लोहिया ने नमक सत्याग्रह विषय पर अपना शोध प्रबंध पूरा कर बर्लिन विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

1933 में मद्रास पहुंचे। रास्ते में समान जब्त कर लिया गया। तब समुद्री जहाज से उतरकर हिन्दु अखबार के दफ्तर पहुंचकर दो लेख लिखकर 25 रुपया प्राप्त कर कलकता गये। कलकता से बनारस जाकर मालवीय जी से मुलाकात की। उन्होंने रामेश्वर दास बिड़ला से मुलाकात कराई जिन्होंने नौकरी का प्रस्ताव दिया। लेकिन दो हफ्ते साथ रहने के बाद लोहिया ने सचिव बनने से इनकार कर दिया। तब पिता जी के मित्र सेठ जमुना लाल बजाज लोहिया को गांधी जी के पास ले गये। तथा उनसे कहा कि ये लड़का राजनीति करना चाहता है। कुछ दिन तक जमुनालाल बजाज के साथ रहने के बाद, शादी का प्रस्ताव मिलने पर शहर छोड़कर वापस कलकता चले गये।

विश्व राजनीति के आगामी 10 वर्ष विषय पर ढाका विश्वविद्यालय में व्याख्यान देकर कलकता आने-जाने की राशि जुटाई। पटना में 17 मई 1934 को आचार्य नरेन्द्र देव की अध्यक्षता में देश के समाजवादी अंजुमन-ए-इस्लामिया हॉल में इकट्ठे हुए, जहां समाजवादी पार्टी की स्थापना का निर्णय लिया गया। यहां लोहिया ने समाजवादी आन्दोलन की रूपरेखा प्रस्तुत की। पार्टी के उद्ेदश्यों में लोहिया ने पूर्ण स्वराज्य का लक्ष्य जोड़ने का संशोधन पेश किया, जिसे अस्वीकार कर दिया गया। 21-22 अक्टूबर 1934 को बम्बई के व बर्लि स्थिति 'रेडिमनी टेरेस' में 150 समाजवादियों ने इकट्ठा होकर कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की। लोहिया राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य चुने गये। कांग्रेस सोशलिस्ट सप्ताहिक मुखपत्र के सम्पादक बनाये गये। गांधी जी के विरोध में जाकर उन्होंने कांउसिल प्रवेश का विरोध किया। गांधी जी ने लोहिया के लेख पर दो पत्र लिखे। 1936 के मेरठ अधिवेशन में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी ने कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों के लिए पार्टी का दरवाजा खोल दिया। लोहिया बार-बार कम्युनिस्टों के प्रति सचेत रहने की चेतावनी जयप्रकाश नारायण जी एवं अन्य नेताओं को देते रहे हालाकि बाद में 1935 में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में लखनऊ में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ जहां लोहिया को परराष्ट्र विभाग का मंत्री नियुक्त किया गया। जिसके चलते उन्हें इलाहाबाद आना पड़ा। 1938 में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी में लोहिया राष्ट्रीय कार्यकारणी के फिर से सदस्य चुने गये। उन्होंने कांग्रेस के परराष्ट्र विभाग के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 1940 में रामगढ़ कांग्रेस में कम्युनिस्टों को पार्टी से निकालने का निर्णय लिया गया। 1939 में त्रिपुरी कांग्रेस में सुभाष चन्द्र बोस को समाजवादियों ने समर्थन किया। डॉ. लोहिया तटस्थ बने रहे। लोहिया ने गांधी जी द्वारा यह कहे जाने पर की बोस का चुनाव मेरी शिकस्त है पर प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव गांधी जी से सम्मान पूर्वक आवाह्न करता हैं कि यह उनकी शिकस्त नहीं हुई है। गांधी जी के इच्छानुसार सुभाष चन्द्र बोस कार्यसमिति बनाने को तैयार नहीं हुुए तथा नेहरू सहित अन्य कांग्रेस के नेताओं ने बोस के साथ कार्यसमिति में रहने से इन्कार कर दिया तब सुभाषचन्द्र बोस ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया तथा कांग्रेस से नाता तोड़ लिया। लोहिया ने महायुद्ध के समय युद्ध भर्ती का विरोध, देशी रियासतों में आन्दोलन, ब्रिटिश माल जहाजों से माल उतारने व लादने वाले मजदूरों का संगठन तथा युद्धकर व युद्धकर्ज को मंजूर तथा अदा न करने जैसे चार सूत्रीय मुद्दों को लेकर युद्ध विरोधी प्रचार शुरू कर दिया। 1939 के मई महीने में दक्षिण कलकता की कांग्रेस कमेटी में युद्ध विरोधी भाषण करने पर उन्हें 24 मई को गिरफ्तार किया गया। कलकता के चीफ प्रेसीडेन्सी मजिस्ट्रेट के सामने लोहिया ने स्वयं अपने मुकदमे की पैरवी और बहस की। 14 अगस्त् को उन्हें रिहा कर दिया गया। 9 अक्टूबर, 1939 को कांग्रेस समिति के बैठक बर्धा मं हुई जिसमें लोहिया ने समझौते का विरोध किया। उसी समय उन्होंने शस्त्रों का नाश हो नामक प्रसिद्ध लेख लिखा। 11 मई, 1940 को सुलतानपुर के जिला सम्मेलन में लोहिया ने कांग्रेस से सत्याग्रह छेड़ने की अपील की। गांधी जी ने हरिजन में एक जून को पत्र लिख कर सत्याग्रह अभी नहीं नामक लेख लिखा। गांधी जी ने मूल रूप में लोहिया द्वारा दिये गये चार सूत्रों को स्वीकार किया।

7 जून, 1940 को डॉ. लोहिया को 11 मई को दोस्तपुर (सुल्तानपुर) में दिये गये भाषण के कारण गिरफ्तार किया गया। उन्हें कोतवाली में सुल्तानपुर में इलाहाबाद के स्वराज भवन से ले जाकर हथकड़ी पहनाकर रखा गया। 1 जुलाई, 1940 को भारत सुरक्षा कानून की धारा 38 के तहत दो साल की सख्त सजा हुई। सजा सुनाने के बाद उन्हें 12 अगस्त् को बरेली जेल भेज दिया गया। 15 जून, 1940 को गांधी जी ने हरिजन में लिखा की मैं युद्ध को गैर कानूनी मानता हूं किन्तु युद्ध के खिलाफ मेरे पास कोई योजना नहीं है इस वास्ते मैं युद्ध से सहमत हूं। 25 अगस्त् को गांधी जी ने लिखा की 'लोहिया और दूसरे कांग्रेस वालों की सजाएं हिन्दुस्तान को बांधने वाली जंजीर को कमजोर बनाने वाले हथौड़े के प्रहार हैं। सरकार कांग्रेस को सिविल-नफरमानी आरम्भ करने और आखिरी प्रहार करने के लिए प्रेरित कर रही है। यद्यपि कांग्रेस उसे उस दिन तक के लिए स्थगित करना चाहती है जब तक इंग्लैण्ड मुसीबत में हो।' गांधी जी ने बम्बई में कहा कि 'जब तक डॉ. राममनोहर लोहिया जेल में है तब तक मैं खामोश नहीं बैठ सकता, उनसे ज्यादा बहादुर और सरल आदमी मुझे मालूम नहीं। उन्होंने हिंसा का प्रचार नहीं किया जो कुछ किया है उनसे उनका सम्मान बढ़ता है।' 4 दिसम्बर, 1941 को अचानक लोहिया को रिहा कर दिया गया तथा देश के अन्य जेलों में बन्द कांग्रेस के नेताओं को छोड़ दिया गया। 19 अप्रैल, 1942 को हरिजन में लोहिया का लेख विश्वासघाती जापान या आत्मसंतुष्ट ब्रिटेन गांधी जी द्वारा प्रकाशित किया गया। गांधी जी ने टिप्पणी की कि मेरी उम्मीद है कि सभी सम्बंधित इसके प्रति ध्यान देंगे। 1942 में इलाहाबाद में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ, जहां लोहिया ने खुलकर नेहरू का विरोध किया। इसके बाद अल्मोड़ा जिला सम्मेलन में लोहिया ने नेहरू को झट पलटने वाला नट कहा। गांधी जी के साथ एक सप्ताह रहकर लोहिया ने गांधी जी को वाइसराय के नाम पत्र लिखने के लिए प्रेरित किया। जिसमें गांधी जी ने लिखा की अहिंसानिष्ठ सोशलिस्ट डॉ. लोहिया ने भारतीय शहरों को बिना पुलिस व फौज के शहर घोषित करने की कल्पना निकाली है। लोहिया जी के द्वारा 'दुनिया की सभी सरकारों को नई दुनिया की बुनियाद बनाने की योजना की कल्पना गांधी जी के सामने रखी गयी, जिसमें एक देश की दूसरे देश में जो पूंजी लगी है उसे जब्त करना, सभी लोगों को संसार में कही भी आने-जाने व बसने का अधिकार देना, दुनिया के सभी राष्ट्रों को राजनैतिक आजादी तथा विश्व नागरिकता' की बात कही गयी थी। गांधी जी ने इसे हरिजन में छापा और अपनी ओर से समर्थन भी किया तथा अंग्रेजों के खिलाफ जल्दी लड़ाई छेड़ने को लेकर गांधी जी ने दस दिन रूकने के लिए लोहिया को कहा।

दस दिन बाद 7 अगस्त् सन, 1942 को गांधी जी ने तीन घंटे तक भाषण देकर कहा कि हम अपनी आजादी लड़कर प्राप्त करेंगे। अगले दिन 8 अगस्त् को भारत छोड़ो प्रस्ताव बम्बई में बहुमत से स्वीकृत हुआ। गांधी जी ने करो या मरो का संदेश दिया। 9 अगस्त् को जब गांधी जी व अन्य कांग्रेस के नेता गिरफ्तार कर लिये गए, तब लोहिया ने भूमिगत रहकर भारत छोड़ो आन्दोलन को पूरे देश में फैलाया। लोहिया, अच्युत पटवर्धन, सादिक अली, पुरूषोतम टिकरम दास, मोहन लाल सक्सेना, रामनन्दन मिश्र, सदाशिव महादेव जोशी, साने गुरूजी, कमलादेवी चटोपाध्याय, अरूणा आसिफअली, सुचेता कृपालनी और पुणिमा बनर्जी आदि नेताओं का केन्द्रीय संचालन मंडल बनाया गया। लोहिया पर नीति निर्धारण कर विचार देने का कार्यभार सौंपा गया। भूमिगत रहते हुए जंग जू आगे बढ़ो, क्रान्ति की तैयारी करो, आजाद राज्य कैसे बने जैसी पुस्तिकाएं लिखीं। 20 मई, 1944 को लोहिया जी को बम्बई में गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के बाद लाहौर किले की एक अंधेरी कोठरी में रखा गया। जहां 14 वर्ष पहले भगत सिंह को फांसी दी गयी थी। पुलिस द्वारा लगातार उन्हें यंत्रणा दी गयी, 15-15 दिन तक उन्हें सोने नहीं दिया जाता था। किसी से मिलने नहीं दिया गया 4 महीने तक ब्रुश या पेस्ट तक भी नहीं दिया गया। हर समय हथकड़ी बांधे रखी जाती थी। लाहौर के प्रसिद्ध वकील जीवनलाल कपूर द्वारा 'हैबियस कारपस' की दरखास्त लगाने पर उन्हें तथा जयप्रकाश नारायण को स्टेट प्रिजनर घोषित कर दिया गया। मुकदमे के चलते सरकार को लोहिया को पढ़ने-लिखने की सुविधा देनी पड़ी। पहला पत्र लोहिया ने ब्रिटिश लेबर पार्टी के अध्यक्ष प्रो. हेराल्ड जे. लास्की को लिखा जिसमें उन्होंने पूरी स्थिति का विस्तृत ब्यौरा दिया। 1945 में लोहिया को लाहौर से आगरा जेल भेज दिया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने पर गांधी जी तथा कांग्रेस के नेताओं को छोड़ दिया गया। केवल लोहिया व जयप्रकाश ही जेल में थे। इसी बीच अंग्रेजों की सरकार और कांग्रेस की बीच समझौते की बातचीत शुरू हो गयी। इंग्लैैण्ड में लेबर पार्टी की सरकार बन गयी सरकार का प्रतिनिधि मंडल डॉ. लोहिया से आगरा जेल में मिलने आया। तभी लोहिया के पिता हीरालाल जी की मृत्यु की खबर आयी। किन्तु लोहिया जी ने सरकार की कृपा पर पेरोल पर छुटने से इन्कार कर दिया।

11 अप्रैल, 1946 को लोहिया को आगरा जेल से रिहा कर दिया गया। 15 जनू को लोहिया ने गोवा के पंजिम में गोवा मुक्ति आन्दोलन की पहली सभा ली। लोहिया को 18 जून को गोवा मुक्ति आन्दोलन के शुरूआत के दिन ही गिरफ्तार कर लिया गया। 14 अगस्त् 1946 को हरिजन में गांधी जी ने लिखा कि लोहिया को बधाई दी जानी चाहिए। 30 दिसम्बर, 1946 को नवाखली में हिन्दु और मुसलमान के बीच के अविश्वास को दूर करने में गांधी जी के साथ विस्तृत कार्यक्रम तैयार किया। पूरे साल नवाखली, कलकता, बिहार, दिल्ली सभी जगह लोहिया गांधी जी के साथ मिलकर साम्प्रदायिकता की आग को बुझाने की कोशिश करते रहे। 9 अगस्त् 1947 से लगातार हिंसा रोकने का प्रयास चलता रहा। 14 अगस्त् की रात को हिन्दु-मुस्लिम भाई-भाई के नारों के साथ लोहिया ने सभा की। 31 अगस्त् को वातावरण फिर बिगड़ गया, गांधी जी अनशन पर बैठ गये तब लोहिया ने दंगाईयों के हथियार इकट्ठे कराये। लोहिया के प्रयास से शांति समिति की स्थापना हुई तथा 4 सितम्बर को गांधी जी ने अनशन तोड़ा। 29 सितम्बर को बेलगांव में लोहिया को फिर गिरफ्तार कर लिया गया।

26, 27, 28 फरवरी 1947 को सोशलिस्ट पार्टी का कानपुर में सम्मेलन हुआ, जहां कांग्रेस शब्द हटा दिया गया। लोहिया की अध्यक्षता में सोशलिस्ट पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में तटस्थ रहने का निर्णय लिया गया। जनवरी 1947 में लोहिया ने नेपाली राष्ट्री कांग्रेस को स्थापित करने तथा राणाशाही के विरूद्ध सत्याग्रह प्रारम्भ करने की पहल की। 25 जनवरी, 1948 को बम्बई हड़ताल को लेकर लोहिया जी ने गांधी जी से हड़ताल का समर्थन मांगा। 28 जनवरी को गांधी जी ने लोहिया को अपने साथ रूकने के लिये बुलाया, लेकिन विस्तार से बात नहीं हो सकी। 29 जनवरी को गांधी जी ने कहा कि कल आना कल पेट भर के बात होगी। 30 जनवरी को लोहिया जब बिड़ला भवन के लिए निकले तब उन्हें गांधी जी की हत्या की खबर सुनने को मिली।

मार्च 1948 में नासिक सम्मेलन में सोशलिस्टो ने कांग्रेस से अलग होेने का निश्चय किया। लोहिया की प्रेरणा से रियासतों की समाप्ति का आन्दोलन 650 रियासतों में समाजवादी चला रहे थे। 2 जनवरी, 1948 को रीवा में हमें चुनाव चाहिए, विभाजन रद्द करो के नारे के साथ आन्दोलन किया गया जिसमें पुलिस ने गोली चलाई 4 आन्दोलनकारी शहीद हुए। 1949 में नागपुर में पार्टी के राष्ट्रीय समिति की बैठक में हिमालय नीति पेश की। 25 मई, 1949 को सोशलिस्ट पार्टी द्वारा लोहिया के नेतृत्व में नेपाली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष विश्वेश्वर प्रसाद कोइराला के आमरण अनशन तथा नेपाल में राणाशाही के अत्याचार के खिलाफ सभा की गई। नेपाली दूतावास की ओर जब जुलूस बढ़ा तब लाठी चार्ज किया गया। लोहिया को गिरफ्तार किया गया। 20 जनू को देश भर में लोहिया दिवस मनाया गया। मुकदमे में दो महीने की कैद हुई। 3 जुलाई को उन्हें रिहा कर दिया गया। 1949 में पटना में सोशलिस्ट पार्टी का दूसरा राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। इसी सम्मेलन में लोहिया ने चौखंभा राज्य की कल्पना प्रस्तुत की। पटना में हिन्द किसान पंचायत की स्थापना भी हुई जिसका अध्यक्ष लोहिया को चुना गया। 25 नवम्बर, 1949 को लखनऊ में एक लाख किसानों ने विशाल प्रदर्शन किया। 26 फरवरी, 1950 को रीवा में हिन्द किसान पंचायत का पहला राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ। दिल्ली में 3 जून, 1951 को जनवाणी दिवस पर प्रदर्शन किया गया। रोजी-रोटी कपड़ा दो नहीं तो गद्दी छोड़ दो, प्रदर्शनकारियों का मुख्य नारा था। 14 जून, 1951 को सागर स्टेशन में लोहिया को गिरफ्तार कर बंगलूर के हवालात में बन्द कर दिया गया। 3 जुलाई को लोहिया छूटे। 24 जुलाई को वे विश्व सरकार के समर्थकों के सम्मेलन में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम गये, 17 साल बाद वे पुनः बर्लिन पहुंचे। लोहिया इंगलैण्ड, पश्चिम अफ्रीका, दक्षिण पश्चिम एशिया के कई देशों में गये, इस्रायल से होकर 15 नवम्बर को स्वदेश लौटे।

1951 में लोहिया को 3 जुलाई को समाजवादियों के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में बुलाया गया। सम्मेलन में ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने लोहिया की बातों का समर्थन करते हुए अनेक मुद्दों पर सहमति दिखाई। लोहिया जर्मनी, योगस्लाबिया, अमेरिका, हवाई, जापान, हांगकांग, थाईलैंड, सिंगापुर, मलाया, इंडोनेशिया तथा लंका भी गये। लोहिया की विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीन से प्रिंसटन में मुलाकात हुई। आइंस्टीन ने कहा कि किसी मनुष्य से मिलना कितना अच्छा होता है- आदमी कितना अकेला पड़ जाता है। लोहिया ने अमरीका में सैकड़ों स्थानों पर भाषण किये। उस समय उन्होंने एशिया की समस्त सोशलिस्ट पार्टियों का संगठन निर्मित करने का विचार बनाया। 25 मार्च से 29 मार्च 1952 में एशियाई सोशलिस्ट कान्फ्रेंस हुई, लेकिन इसमें लोहिया शामिल नहीं हो सके। जयप्रकाश नरायण भारतीय प्रतिनिधि मंडल के नेता बन कर रंगून गये। मई 1952 में पंचमढ़ी में सोशलीस्ट पार्टी का सम्मेलन हुआ। आम चुनाव में हार के बाद लोहिया ने चुनावों की पराजय की शव परीक्षा (समीक्षा) के बदले ठोस विचारों की ओर पार्टी को ले जाने का विचार दिया। गुजरात पार्टी सम्मेलन में इतिहास चक्र की नई व्याख्या लोहिया द्वारा प्रस्तुत की गयी। 24-25 सितम्बर, 1952 में सोशलिस्ट पार्टी की जनरल कौंसिल बैठक में किसान-मजदूर प्रजा पार्टी और सोशिलिस्ट पार्टी के विलय का निर्णय लिया गया। इस तरह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का जन्म हुआ। 29 से 31 दिसम्बर, 1953 को प्रजा सोशलिस्टा पार्टी का पहला सम्मेलन इलाहाबाद में हुआ। वहां लोहिया ने इलाहाबाद थीसिस प्रस्तुत की। लोहिया को उनके मना करने का बावजूद पार्टी का राष्ट्रीय महामंत्री चुना गया। 13-14 मई 1954 को उत्तर प्रदेश प्रजा सोशलिस्ट पार्टी द्वारा नहर रेट की बढ़ोतरी के खिलाफ आन्दोलन शुरू किया गया।

4 जुलाई , 1954 को फरूखाबाद में वाणी स्वतंत्रता के संघर्ष को लेकर भाषण दिये जाने के कारण गिरफ्तार किया गया। नागपुर में 26-28 नवम्बर, 1954 के बीच केरल गोली कांड पर विचार करने के लिए सम्मेलन हुआ। लोहिया केरल मंत्रीमंडल से इस्तीफा मांग चुके थे। 31 दिसम्बर, 1955 तथा 1 जनवरी 1956 को सोशलिस्ट पार्टी का स्थापना हुई। लखनऊ में लोहिया के नेतृत्व में फिर एक लाख किसानों का प्रदर्शन हुआ। 1956 में लोहिया ने मैनकाइंड नामक पत्रिका शुरू की। सोशिलिस्ट पार्टी का प्रथम वार्षिक अधिवेशन भारत के मध्य बिंदु मध्यप्रदेश के ग्राम सिहोरा में 28, 29, 30 दिसम्बर 1956 को हुआ। 2 नवम्बर 1957 को लोहिया को क्रिमनल लॉ एमेंडमेंड एक्ट की धारा 7 की तहत डाकिये से कुछ कहने पर अकारण गिरफ्तार कर लिया गया। 12 नवम्बर, 1958 को लोहिया पूर्वोतर के दौरे पर निकले, जहां उन्हें दौरा करने से रोक दिया गया। एक साल बाद फिर उसी स्थान उर्वसियम (नेफा) से लोहिया ने पूर्वोत्तर में प्रवेश किया, जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 17 अप्रैल, 1960 को कानुपर के सर्किट हाउस में अनाधिकृत प्रवेश करने के कारण अपराध बताकर उन्हें पुनः गिरफ्तार किया गया। 1961 में अंग्रेजी हटाओ आंदोलन के दौरान लोहिया की सभा पर मद्रास में पत्थर बरसाये गये। 1961 में लोहिया एथेंस, रोम और काहिरा गये। 1962 में चुनाव हुआ लोहिया नेहरू के विरूद्ध फुलपुर में चुनाव मैदान में उतरे। 11 नवम्बर 1962 को कलकता में सभा कर लोहिया ने तिब्बत के सवाल को उठाया। 1963 के फरूखाबाद के लोकसभा उपचुनाव में लोहिया 58 हजार मतों से चुनाव जीते। लोकसभा में लोहिया की तीन आना बनाम पन्द्रह आना की बहस अत्यंत चर्चित रही, जिसमें उन्होंने 18 करोड़ आबादी के चार आने पर जिन्दगी काटने तथा प्रधानमंत्री पर 25 हजार रुपये प्रतिदिन खर्च करने का आरोप लगाया। 9 अगस्त् 1965 को लोहिया को भारत सुरक्षा कानून के अन्तर्गत गिरफ्तार किया गया। 30 सितम्बर 1967 को लोहिया को नई दिल्ली के विलिंग्टन अस्पताल (अब जिसे लोहिया अस्पताल कहा जाता है) में पौरूष ग्रंथि के आपरेशन के लिए भर्ती किया गया जहां 12 अक्टूबर 1967 को उनका देहांत 57 वर्ष की आयु में हो गया।

एपिसोड्स
1 लेखक की ओर से निवेदन
2 प्राक्कथन
3 सप्त क्रांति विचार यात्रा
4 राष्ट्र सेवा दल
5 राष्ट्रीय एकात्मता व अन्याय के खिलाफ संघर्ष
6 सप्त क्रांति विचार यात्रा और उसके बाद
7 डॉ. राममनोहर लोहिया का जीवन परिचय
8 पहला दिन, 9 अगस्त 2009 - मुम्बई लोनावाला पिंपरीचिचवड़,
9 दुसरा दिन, 10 अगस्त - सतारा, सांगली, कोल्हापुर
10 तीसरा दिन 11 अगस्त - बेलगांव
11 चौथा दिन - 12 अगस्त, पजिम, भड़गांव
12 पॉचवा दिन - 13 अगस्त
13 छंठवा दिन - 14 अगस्त
14 सातंवा दिन -15 अगस्त
15 आठवां दिन - 16 अगस्त
16 नववां दिन - 17 अगस्त
17 दसवां दिन - 18 अगस्त
18 ग्यारहवा दिन - 19 अगस्त , कन्याकुमारी
19 बारहवा दिन - 20 अगस्त
20 तेहरवा दिन -21 अगस्त
21 चौदह दिन - 22 अगस्त
22 पंद्रहवा दिन - 23 अगस्त
23 सोलहवा दिन - 24 अगस्त
24 सतहरवॉ दिन - 25 अगस्त, खम्मम (आन्धप्रदेश्)
25 अठारहवां दिन -26 अगस्त, हैदराबाद
26 उन्नीसवा दिन - 27 अगस्त, नजीमाबाद
27 बीसवॉ दिन - 28 अगस्त वर्धा
28 इक्कीसवा दिन - 29 अगस्त, नागपूर
29 बावीस वॉ दिन - 30 अगस्त, रायपुर
30 तेवीस वॉ दिन - 31 अगस्त पिथौरा
31 चौबीस वां दिन - 1 सितम्बर, बरगढ़
32 25 वॉ दिन - 2 सितम्बर
33 26 वॉ दिन - 3 सितम्बर
34 27 वॉ दिन - 4 सितम्बर
35 28 वॉ दिन - 5 सितम्बर
36 29 वॉ दिन - 6 सितम्बर
37 30 वॉ दिन - 7 सितम्बर, धनवाद, भूतगडिया, पुटवी
38 31 वां दिन -8 सितम्बर
39 32 वॉ दिन - 9 सितम्बर
40 33 वॉ दिन - 10 सितम्बर
41 34 वॉ दिन - 11 सितम्बर
42 35 वॉ दिन - 12 सितम्बर
43 36 वा दिन - 13 सितम्बर
44 37 वॉ दिन - 14 सितम्बर
45 38 वॉ दिन - 15 सितम्बर
46 39 वा दिन - 16 सितम्बर
47 40 वॉ दिन - 17 सितम्बर
48 41 वॉ दिन - 18 सितम्बर
49 42 वॉ दिन - 19 सितम्बर
50 43 वां दिन - 20 सितम्बर
51 44 वॉ दिन - 21 सितम्बर
52 45 वॉ दिन - 22 सितम्बर , अहमदाबाद, हिम्मतनगर,
53 46 वां दिन - 22 सितम्बर उदयपूर - जयपूर
54 47 वॉ दिन - 23 सितम्बर, जयपुर, भरतपुर
55 47 वॉ दिन - 24 सितम्बर
56 48 वॉ दिन - 25 सितम्बर, अलवार, सिरसा
57 49 वॉ दिन -26 सितम्बर भटिंडा, अमृतसर
58 50 वॉ दिन - 27 सितम्बर (अमृतसर)
59 51 वॉ दिन - 28 सितम्बर कठूआ, जम्मू कष्मीर, उद्यमपूर
60 52 वॉ दिन - 29 सितम्बर उधमपूर
61 53 वॉ दिन रामबंन -30 सितम्बर
62 54 वां दिन - 1 अक्टूबर श्रीनगर
63 55 वां दिन - 2 अक्टूबर श्रीनगर
64 56 वॉ दिन - 3 अक्टूबर लेहूडोड़ा
65 57 वॉ दिन - 4 अक्टूबर जम्मू होषियापूर पंजाब
66 58 वॉ -दिन 5 अक्टूबर, कोटलाखुर्द अनंतपूर
67 59 वॉ दिन - 6 अक्टूबर कांडीखाल, देहरादून
68 60 वॉ दिन -7 अक्टूबर
69 61 वां दिन -8 अक्टूबर नैनबाग
70 62 वॉ दिन - 9 अक्टूबर
71 63 वॉ दिन - 10 अक्टूबर
72 64 वॉ दिन - 11 अक्टूबर
73 65 वॉ दिन - 12 अक्टूबर - 2009 दिल्ली
एपिसोड्स

73 एपिसोड्स को अपडेट किया गया

1
लेखक की ओर से निवेदन
2
प्राक्कथन
3
सप्त क्रांति विचार यात्रा
4
राष्ट्र सेवा दल
5
राष्ट्रीय एकात्मता व अन्याय के खिलाफ संघर्ष
6
सप्त क्रांति विचार यात्रा और उसके बाद
7
डॉ. राममनोहर लोहिया का जीवन परिचय
8
पहला दिन, 9 अगस्त 2009 - मुम्बई लोनावाला पिंपरीचिचवड़,
9
दुसरा दिन, 10 अगस्त - सतारा, सांगली, कोल्हापुर
10
तीसरा दिन 11 अगस्त - बेलगांव
11
चौथा दिन - 12 अगस्त, पजिम, भड़गांव
12
पॉचवा दिन - 13 अगस्त
13
छंठवा दिन - 14 अगस्त
14
सातंवा दिन -15 अगस्त
15
आठवां दिन - 16 अगस्त
16
नववां दिन - 17 अगस्त
17
दसवां दिन - 18 अगस्त
18
ग्यारहवा दिन - 19 अगस्त , कन्याकुमारी
19
बारहवा दिन - 20 अगस्त
20
तेहरवा दिन -21 अगस्त
21
चौदह दिन - 22 अगस्त
22
पंद्रहवा दिन - 23 अगस्त
23
सोलहवा दिन - 24 अगस्त
24
सतहरवॉ दिन - 25 अगस्त, खम्मम (आन्धप्रदेश्)
25
अठारहवां दिन -26 अगस्त, हैदराबाद
26
उन्नीसवा दिन - 27 अगस्त, नजीमाबाद
27
बीसवॉ दिन - 28 अगस्त वर्धा
28
इक्कीसवा दिन - 29 अगस्त, नागपूर
29
बावीस वॉ दिन - 30 अगस्त, रायपुर
30
तेवीस वॉ दिन - 31 अगस्त पिथौरा
31
चौबीस वां दिन - 1 सितम्बर, बरगढ़
32
25 वॉ दिन - 2 सितम्बर
33
26 वॉ दिन - 3 सितम्बर
34
27 वॉ दिन - 4 सितम्बर
35
28 वॉ दिन - 5 सितम्बर
36
29 वॉ दिन - 6 सितम्बर
37
30 वॉ दिन - 7 सितम्बर, धनवाद, भूतगडिया, पुटवी
38
31 वां दिन -8 सितम्बर
39
32 वॉ दिन - 9 सितम्बर
40
33 वॉ दिन - 10 सितम्बर
41
34 वॉ दिन - 11 सितम्बर
42
35 वॉ दिन - 12 सितम्बर
43
36 वा दिन - 13 सितम्बर
44
37 वॉ दिन - 14 सितम्बर
45
38 वॉ दिन - 15 सितम्बर
46
39 वा दिन - 16 सितम्बर
47
40 वॉ दिन - 17 सितम्बर
48
41 वॉ दिन - 18 सितम्बर
49
42 वॉ दिन - 19 सितम्बर
50
43 वां दिन - 20 सितम्बर
51
44 वॉ दिन - 21 सितम्बर
52
45 वॉ दिन - 22 सितम्बर , अहमदाबाद, हिम्मतनगर,
53
46 वां दिन - 22 सितम्बर उदयपूर - जयपूर
54
47 वॉ दिन - 23 सितम्बर, जयपुर, भरतपुर
55
47 वॉ दिन - 24 सितम्बर
56
48 वॉ दिन - 25 सितम्बर, अलवार, सिरसा
57
49 वॉ दिन -26 सितम्बर भटिंडा, अमृतसर
58
50 वॉ दिन - 27 सितम्बर (अमृतसर)
59
51 वॉ दिन - 28 सितम्बर कठूआ, जम्मू कष्मीर, उद्यमपूर
60
52 वॉ दिन - 29 सितम्बर उधमपूर
61
53 वॉ दिन रामबंन -30 सितम्बर
62
54 वां दिन - 1 अक्टूबर श्रीनगर
63
55 वां दिन - 2 अक्टूबर श्रीनगर
64
56 वॉ दिन - 3 अक्टूबर लेहूडोड़ा
65
57 वॉ दिन - 4 अक्टूबर जम्मू होषियापूर पंजाब
66
58 वॉ -दिन 5 अक्टूबर, कोटलाखुर्द अनंतपूर
67
59 वॉ दिन - 6 अक्टूबर कांडीखाल, देहरादून
68
60 वॉ दिन -7 अक्टूबर
69
61 वां दिन -8 अक्टूबर नैनबाग
70
62 वॉ दिन - 9 अक्टूबर
71
63 वॉ दिन - 10 अक्टूबर
72
64 वॉ दिन - 11 अक्टूबर
73
65 वॉ दिन - 12 अक्टूबर - 2009 दिल्ली

डाउनलोड

क्या आपको यह कहानी पसंद है? ऐप डाउनलोड करें और अपनी पढ़ाई का इतिहास रखें।
डाउनलोड

बोनस

ऐप डाउनलोड करने वाले नए उपयोगकर्ताओं को 10 अध्याय मुफ्त में पढ़ने का अवसर मिलता है

प्राप्त करें
NovelToon
एक विभिन्न दुनिया में कदम रखो!
App Store और Google Play पर MangaToon APP डाउनलोड करें