पॉचवा दिन - 13 अगस्त
मैं धारवाड़ के लिए समय से निकलना चाहता था, लेकिन देवेन्द्र भाई के आग्रह के चलते मड़गांव गये। वहॉ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संगठन के अध्यक्ष ने जाते ही संवाल किया कि आपने मुख्यमंत्री के खिलाफ क्यों बयान दिया? मैने बताया कि हमने कोई बयान नही दिया लेकिन अखबारो में यह छापा है कि मुख्यमंत्री को यात्रा का टैक्स माफ करना चाहिए था तथा यात्रा के स्वागत के लिए आना चाहिए था इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है। सभी अखबारो में मुख्य पृष्ट पर छापा की ़गोवा सरकार द्वारा लोहिया विचार यात्रा पर अर्थदण्ड किया है। निन्दनीय है। वे पुढारी तथा गोमतंक सहित कई अखबारो ने कार्यक्रम को सचित्र प्रकाशित किया तथा अर्थदंड की खबर छापी। लोहिया मैदान में डॉ. लोहिया के आध्यपक पुतले पर पुष्पाजंली देकर धारवाड़ के लिए निकले। कर्नाटक के आर.टी.ओ. बेरियर पर रोका गया। रूपए 10,000 का टैक्स मांगा गया। लोहिया यात्रा के बारे में बताये जाने पर अफसर ने छोड दिया। धारवाड़ मंे कार्यक्रम नीलगंगैया पुजार (पूर्व विधायक) की अध्यक्षता में किया गया। कार्यक्रम में पूर्व मेयर बनाप्पा कबिर, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राचप्पा हड़पद, साहित्यकार डॉ0 राजेन्द्र पोतदार सम्मिलित हुये। हमारे पहुंचने के बाद शहर में पैदल मार्च करते हुए नीलकंठ आसुठी के नेतृत्व में नारे लगवाए, मार्च किया।
धारवाड़ से दावणगेरे के लिए निकले जहॉ बहुत देरी से पूर्व सांसद के.जी. महेश्वारप्पा के अध्यक्षता में कार्यकम हुआ। कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री दिवगंत जे.एच. पटेल के छोटा भाई प्रो. एस.एच. पटेल एवं उनका भतीजा तेजस्वी पटेल, उमेश पाटिल, टी. मल्लिकार्जुन आदि शामिल थे। नेताओ ने अपने भाषण में जे.एच. पटेल और गोपाल गौड़ा तथा डॉ. लोहिया के स्मरण सुनाए। प्रो. एस.एस. पटेल ने कहॉ कि विचारो के भी अपने पैर होते हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. सुनीलम् के विचार सुनने के बाद मेरी निराशा खत्म हुई है तथा मुझे समाजवाद का भविष्य फिर दिखलायी पडने लगा हैं। उन्होंने कहा कि गोपालगौडा के पुत्र राममनोहर से तथा तेजस्वी पटेल में बहुत उम्मीदे है। मैने बताया कि श्री जे.एच. पटेल बैतूल स्थित डॉ. लोहिया समता आदिवासी केन्द्र के न्यासी थे। वे श्री जार्ज फर्नाडिस के अत्यन्त नजदीकी सहयोगी रहे। रात को हमने जे.एच. पटेल के निवास पर भोजन किया तथा गांव के कम्युनिस्टी सेन्टर में रूके। 3500 की आबादी वाले गांव के लोगो ने बताया कि नजीर (नीर साहब) ने 3 कि.मी.दूर से गांव में पानी लाने की व्यवस्था की थी। नाजीर साहब रामकृष्ण हेगडे मंत्री मण्डल में मंत्री थे। गांव की पेयजल समस्या हल करने के कारण उन्हें 'नीर साहब' के नाम से जाना जाता है। ग्रामवासियो ने बताया कि गांव का जे.एच. पटेल के साथ इतना गहराई से रिष्ता जुडा हुआ था की एक बार जब मुख्यमंत्री निजलिंगप्पा गांव में आये तब उन्हें किसी ने पानी तक के लिए नही पूछा वोट देना तो दूर की बात है।
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