छंठवा दिन - 14 अगस्त
तेजस्वी पटेल ने सुबह महात्मा गांधी छात्रावास में नहाने, नास्ते का इंतजाम किया तथा अपने घर में सभी को लेकर गए। सभी को चाय पिलायी। हम जे.एच. पटेल के खेत में भी गये। जहॉ उनकी समाधी बनी हुई है। यहॉ सुपाड़ी के खेत है। वहॉ से सागर गये जहॉ हमारा इंतजार चल रहा था। मंच पर सोशलिस्ट पार्टी का चिन्ह बरगद का पेड़ रखा गया था। हल चक्र के साथ लाल कपडे़ पर सफेद रंग से बैनर बनाये गये थे। श्री गणपति अप्पा तथा जी.आर. जी. नागर, कागोडू थिमप्पा के भतीजे कागोडू अन्नैया, नागेन्द्र कुमार हमारा इंतजार कर रहे थे। कागोडू सत्यागृह को लेकर लंबी चर्चा चली जिस तरह से जब गणपती अप्पा को सहयोग चाहिए था तब लोहिया, जे.पी. रामानंद मिश्र, अशोक मेहता आये और उन्होंने आन्दोलन को खड़ा किया। कैसे गोपालगौडा ने भूमि सुधार आन्दोलन की नीव रखी इसका विस्तृत विवरण वक्ताओं से सुनने को मिला। सभी ने एक स्वर में कहा कि यात्रा को देखकर तथा डॉ. सुनीलम् के विचारो को सुनकर फिर से उम्मीद पैदा हुयी हैं। मैंने शिमोगा में लोहिया जन्मशताब्दी के गठन का प्रस्ताव किया जिसे सभी ने स्वीकार किया। हर वर्ष कागोडू सत्याग्रह को लेकर तथा गोपालगौडा की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। नेताओं ने अगले वर्ष कार्यक्रम के लिए मुझे आमंत्रित किया। सागर से निकलकर हम येडेहल्ली गये। जहॉ अरूण प्रसाद और साथियो ने हमारा स्वागत किया। आरग गांव में जो गोपालगौडा की जन्मभूमि है पर हमारा स्वागत पूर्व विधायक पटमकि रत्नाकर और उनके साथियो द्वारा किया गया। कोसे दूर स्थित कॉलेज के प्राचार्य और उनके साथियो ने नया निथन हल्बी नगर में कोणंटूर और उनके साथियो ने हमारा स्वागत किया। सिमोगा में आंगनवाड़ी संगठन चलाने वाले के सी.ओ. वसवराजू से मुलाकात हुई। भोजन के बाद लगातार चलने के बाद सुबह पॉच बजे बैंगलोर पहुंचे।
गोपालगौडा एक ऐसे समाजवादी नेता थे जिन्होंने समाजवाद को जिताया। तीन बार वे जीते। 1952, 62, 67 में विधानसभा के सदस्य रहे। 1957 से उन्होंने भूमि सुधार आन्दोलन शुरू किया। कागोडू सत्याग्रह चला। 8 लाख भूमिहीनो को 2 एकड़ भूमि मिली। हालाकि यह काम गोपालगौडा के मरने के बाद हुआ। जब भूमि सुधार एक्ट लागू किया गया जिसके लिए वे आजीवन संघर्ष करते रहे। गोपाल गौडा की प्रेरणा के साथ कर्नाटक में चार मुख्यमंत्री बने। देवराज अर्स, एस बगरघा एसएम कृष्णा, जे.एच. पटेल ने सार्वजनिक तौर को स्वंय की गोपाल गौडा के विचारो पर से जुडा बतलाया। गोपालगौडा ने कर्नाटक के एकीकरण में मुख्य भूमिका निभायी। लोहिया के साथ बहुत घनिष्ठ रिष्ता रहा। जब भी डॉ0 लोहिया कर्नाटक आए गोपाल गौडा उनके साथ रहे। लोहिया की तरह से गोपाल गौडा की मौत भी बैंगलूर के शासकीय अस्पताल विक्टोरिया अस्पताल में हुई। जो भी मिलने जाता था उनका हाल पूछता था वे कहते थे लाखो किसान हैं उनकी चिंता करो एक व्यक्ति की चिंता करने की जरूरत नहीं है।
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