सच्चाई की लड़ाई

सच्चाई की लड़ाई

कुशीम का आतंक

( यह कहानी है एक ऐसी दुनिया की है जिस दुनिया में दो समूह है एक समूह मुंडा और एक साखी इस दुनिया में रहते तो दो समूह थे लेकिन दोनों में से किसी को एक दूसरे के बारे में नहीं पता था एक समूह मुंडा समूह जिसका एक मालिक और बाकी सब लोग मालिक की सेवा करना ही सब लोग अपना कर्तव्य और धर्म मानते थे वहीं दूसरी तरफ साखी समूह में हर कोई मिलजुल कर प्यार से रहता था मुंडा समूह का राजा यानी कि मलिक था कुशीम ! कुशीम एक बूढ़ा आदमी था जिसकी बड़ी दाढ़ी - मूंछें थी उसकी दाढ़ी और मूंछें सफेद रंग की थी इसका एक बेटा भी था जिसका नाम था मनोहर और उसकी पत्नी जिसका नाम था लीला कुशीम और उसका परिवार एक बड़े से महल में रहता था जो की काले रंग का बना हुआ था काले रंग का महल किसी ने शायद कभी ना देखा हो और न ही सुना हो लेकिन कुशीम ने अपना महल काले रंग का बनवाया था क्योंकि उसे काले रंग पे अपनी और अपने परिवार की महानता दिखानी थी उस जगह पर काले रंग का मतलब महान वहां पर काला केवल वही पहन सकता थे। जो बहुत ज्यादा अमीर हो या फिर उसके पास बहुत से गुलाम हो कुशीम काले रंग का महल की बहुत बड़ी-बड़ी दीवारें थी जिसके आर पर कोई भी नहीं जा सकता था उस महल की शुरुआत एक बड़े काले दरवाजे से होती है जिसे चाहे तो एक हाथी भी अंदर जा सकता था अंदर जाने पर एक बड़ा सा रास्ता जो की कुशीम के घर तक जाता था कुशीम के महल और रास्ते के बीच एक बहुत बड़ा बगीचा था जिसमें अलग - अलग तरह के फूल लगे हुए थे हजारों लोग उस महल में काम करते थे हजारों लोगों की रोजी रोटी उस महल से चलती थी लेकिन दिक्कत यह थी की

कुशीम बहुत ज्यादा अत्याचार करता था अपने लोगों पर उसके मन में किसी के लिए भी दया नहीं थी एक बार की बात है कुशीम अपने महल के बीचो-बीच बैठा था जिसमें एक दरबार लगा हुआ था ।

एक लाल रंग की कालीन जो कि पूरे दरबार में फैली हुई थी । उस दरबार में केवल एक ही कुर्सी थी जिस पर कुशीम बैठता था । कुशीम उस कुर्सी पर बैठा था उसकी एक तरफ उसका बेटा मनोहर और दूसरी तरफ उसकी बहू लीला खड़ी थी तभी वहां पर कुछ सैनिक एक पतले दुबले इंसान को लेकर आए । वो इंसान बहुत कमजोर लग रहा था तभी उन दोनों सैनिकों ने उस आदमी को लाकर कुशीम के सामने खड़ा कर दिया और अपना एक हाथ आगे करते हुए सिर झुकाया और एक साथ कहा ।)

सैनिक : मालिक को सलाम !

सैनिक 1 : मालिक यह आदमी हमारे ही बगीचे का एक नौकर है ।

सैनिक 2 : इसने एक गणगौर पाप किया है ।

कुशीम : सज़ा तो मिलेगी इसका गुना बताओ !

सैनिक 1 :  मलिक इसमें मालकिन के पसंदविदा फूल को तोड़ दिया और अब वह फूल खत्म हो चुका है ।

( कुशीम अपनी कुर्सी से खड़ा हुआ और कहा । )

कुशीम : तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इतना बड़ा गुनाह कर के भी मेरे आगे इस तरह खड़े हो ।

( तभी सैनिकों ने उस आदमी को छोड़ा और कहा । )

सैनिक 2 : मलिक के आगे खड़े होने की तमीज भी सीखनी होगी तुम्हें ?

( आदमी ने कुशीम के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा। )

आदमी : मुझे माफ कर दीजिए मैंने कुछ नहीं किया वह बस गलती से हो गया।

कुशीम : मानते हो ना गलती हुई है तो गलती की सजा भी मिलेगी ।

( कुशीम ने सैनिक 1 को इशारा किया कुशीम का इशारा मिलते ही सैनिक 1 ने अपना एक हाथ ज़ोर से आदमी के कंधे पर मारा सैनिक 1 का हाथ इनती ज़ोर के लगा कि आदमी अपने घुटनों के बल बैठ कर चिल्लाने लगा तभी कुशीम ने सैनिक 2 को इशारा किया सैनिक 2 को इशारा मिलते ही सैनिक 2 वहां से चला गया।तभी पहले सैनिक ने आदमी के दोनों हाथ पीछे कर रस्सी से बांध दिए तभी कुशीम न कहा। )

कुशीम : तुम्हारी हिम्मत कैसे हुए , तुमने इतना बड़ा गुनाह किया बड़ी सज़ा भी मिलेगी ।

( कुशीम के इतना कहते ही सैनिक 2 अपने हाथ में एक बड़ा हथोड़ा लेकर आदमी के साथ आकर खड़ा हो गया तभी पहले सैनिक ने उस आदमी को खड़ा करा तभी कुशीम ने कहा । )

कुशीम: इसके दोनो पैर की हड्डियां तोड़ दी जाए ।

आदमी : नहीं ऐसा मत कीजिए माफ कर दीजिए मुझे ।

( तभी कुशीम ने अपने बेटे  की तरफ देखते हुए कहा।)

कुशीम : तुमको मेरा फैसला मंजूर है ?

मनोहर : जी पिताजी मैं आपके साथ हूं मां के पसंदीदा फूल हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण थे लेकिन इस आदमी ने  उनको नुकसान पहुंचाया है इसे तो सजा मिलनी चाहिए।

( तभी कुशीम ने अपनी बहू की तरफ देखा और कहा। )

कुशीम : क्या तुम्हें मेरा फैसला मंजूर है लीला जी हां पापा जी मुझे भी आपका फैसला मंजूर है ?

लीला : अजीब कर दी इसने लीला सजा  तो मिलनी चाहिए ।

( तभी कुशीम ने कहा। )

कुशीम : सब लोग मेरे साथ हैं सैनिक हमला करो !

( कुशीम के आदेश मिलते ही सैनिक 1 ने उसे आदमी को कसकर पकड़ लिया और सैनिक दोनों 2 ने अपने हाथ में रखे हथौड़े को बस आदमी के पैरों पर मारना शुरू किया एक हथोड़ा लगते ही आदमी की चीख निकल गई वह अपना एक पैर इस्तेमाल भी नहीं कर सकता था उसके पैर में इतना दर्द हो रहा था मानो कि अगर उसने उस पैर पर जरा सा भी ज़ोर दिया तो वह वहीं गिर जाएगा तभी सैनिक 2 ने आदमी के दूसरे पैर पर भी हथोड़ा मार आदमी दर्द के मारे चल रहा था लेकिन किसी को भी उसके ऊपर जरा सी भी दया नहीं आई उल्टा वहां पर मौजूद कुशीम और लीला उसकी हालत देख हंस रहा था जैसे मजा आ रहा हो उसे परेशान करने में लेकिन मनोहर सिर झुका कर खड़ा था कुशीम ने सैनिक 2 से कहा । )

कुशीम : रुक क्यों गए रूकना थोड़ी ना है मेरे अगले आदेश तक तुम्हारे हथौड़े रुकने नहीं चाहिए ।

आदमी : ( दर्द में तड़पते हुए ) मुझे इतनी बड़ी सजा मत दीजिए माफ कर दीजिए मुझे ।

कुशीम : अपना काम जारी रखो और तुम !

(कुशीम ने सैनिक 1 की तरफ इशारा करते हुए कहा।)

कुशीम : तुम इसे बाजू से नहीं गले से पकड़ो ताकि इसे हिलेने में भी तकलीफ हो !

( कुशीम की बात मानते हुए सैनिक 1 ने आदमी के गले को अपनी बाजू में फंसा लिया तभी सैनिक 2 ने हथौड़े मरना शुरू किया दो चार पांच सैनिक के हाथ रुकी नहीं रहे थे क्योंकि वह भी जानता था कि अगर उसके हाथ रुक तो कुशीम उसे भी सजा सुनाएगा और उसकी सजा उस आदमी की सजा से कई हजार गुना भयंकर होगी आदमी दर्द में तिलमिला रहा था उसने कई बार कुशीम को उसे माफ करने के लिए कहा लेकिन कुशीम आदमी को देख कर हंस रहा था तभी लीला ने कहा।)

लीला : अजीब है तेरी लीला इतने आराम से मारोगे तो कैसे चलेगा थोड़ा जोर लगाओ खाना नहीं खाया क्या ?

( लीला की बात सुन सैनिक 2 ने अपना पूरा जोर लगाकर आदमी को मारना शुरू किया तभी कुशीम ने रुकने का इशारा किया और कहा । )

कुशीम : इसे महल के बाहर फेंक दो और याद रहे वापस दिख ना जाए इसे महल की नौकरी से निकाला जाता है ।

आदमी : ऐसा मत कीजिए इतनी बड़ी सजा मत दीजिए मैं अपने घर को कैसे संभाल लूंगा ?

( कुशीम का आदेश मानते हुए सैनिकों ने उस आदमी को महल के बाहर फेंक दिया कुछ देर तक मैं आदमी वही तड़पता रहा और कुछ देर बाद  एक बुर्का पहना आदमी उसे उसके घर ले गया ।

वहीं दूसरी तरफ दो भाई बहन जिसका इस दुनिया में कोई भी नहीं था उनकी सोच थी कि उसे दुनिया में कोई ना कोई तो ऐसी जगह है जहां पर उनके समूह के अलावा और कोई समूह भी रह रहा है ऐसा तो हो नहीं सकता था कि एक धरती पर केवल कुछ लोग हों दोनों भाई बहन तारा और सूरज ने फैसला किया कि वह बिना किसी को बताए दूसरे समूह को ढूंढने निकलेंगे। अगले दिन सुबह सबके उठने से पहले दोनों भाई बहन गांव से बाहर निकल गए कुछ दिन तक जंगल में ढूंढने पर उन्हें कुछ नहीं मिला लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी लगभग 15 दिन बाद वह लोग मुंडा समूह के इलाके में पहुंचे उन्हें नहीं पता था की इस इलाके में पहुंचना उनकी सबसे बड़ी गलती हो सकती थी लेकिन उस वक्त सूरज और तारा बहुत खुश थे तभी सूरज ने कहा । )

सूरज : देखा तारा मैंने कहा था ना एक न एक जगह तो ऐसी जरूर होगी जहां पर हमारे समूह के अलावा भी कोई समूह रह रहा होगा और देखो आज हमें वह जगह मिल गई ।

तारा : वह सब तो ठीक है भाई लेकिन हो सकता है यहां पर जंगली जानवर भी हो हम एक रात जंगल में ही बिता लेते हैं

सूरज : ठीक है लेकिन अगले दिन हम वापस जरूर आएंगे ।

तारा : इसीलिए तो इतने दिनों का सफर किया बिल्कुल हम लोग वापस आएंगे।

( सूरज और तारा ने एक रात जंगल में बिताई और अगले दिन सुबह होने पर गांव की चौखट पर आ गए हैरानी की बात यह थी कि सुबह होने के बावजूद भी वहां पर कुछ ज्यादा लोग दिखाई नहीं दे रहे थे सूरज और तारा को अंदर जाने में थोड़ा अजीब लग रहा था तभी तारा ने कहा। )

तारा : भैया हमें अंदर जाना चाहिए इतना सुनसान होगी सुबह होने पर ?

सूरज : क्या पता यहां का क्या रीति रिवाज हो चलो एक बार चल के ही देख लेते हैं ।

तारा : लेकिन अगर कोई गड़बड़ हो गई तो ?

सूरज : कुछ नहीं होगा अब एक नई चीज की जांच करनी है तो खतरा तो उठाना पड़ेगा ना !

तारा : ठीक है लेकिन आपको मुझे वादा करना होगा कि आप अपना और मेरा ख्याल रखेंगे ।

सूरज : इसमें वादा करने की क्या बात है बिल्कुल रखूंगा ।

क्या होगा अब सूरज और तारा के साथ क्या कुशीम उनके साथ अच्छे से बर्ताव करेगा या फिर कुछ गलत होने वाला है जानने के लिए पढ़िए "सच्चाई की लड़ाई"

Episodes
1 कुशीम का आतंक
2 बतमीज़ी की सजा
3 रक्सा मैदान की राह
4 मनोहर का नया चहरा
5 सूरज की मौत
6 कुशीम की मनमानी
7 राजा आयुष
8 सिक्के का दूसरा पहलू
9 लीला की चाल
10 मनोहर से मिलने की कोशिश
11 पल्लवी की बतमीज़ी
12 एक साजिश
13 पल्लवी की सजा
14 आयुष = सूरज
15 आयुष की सच्चाई का प्रभाव
16 राव का बर्ताव
17 लीला की बतमीज़ी
18 मनोज की आजादी
19 लीला की मौत
20 तारा गई आयुष के महल
21 लीला और पल्लवी की सज़ा
22 तस्वीर
23 हस्ताक्षर
24 चेतावनी
25 मनोहर लीला और कुशीम के साथ है ?
26 मनोहर की सांसें
27 जान बची
28 मनोहर की तलाश
29 मनोहर की सजा
30 रीता और स्वाति की मौत
31 परछाई का गुस्सा
32 स्वर्ण हांडी
33 परछाई और सूरज की लड़ाई
34 प्रेत आत्म !
35 लीला का कहर
36 परछाई की सच्चाई
37 कुशीम और लीला की मौत
38 कुरू के गुनाह
39 परछाई का गुस्सा
40 परछाई का गुस्सा
41 अलविदा परछाई
Episodes

Updated 41 Episodes

1
कुशीम का आतंक
2
बतमीज़ी की सजा
3
रक्सा मैदान की राह
4
मनोहर का नया चहरा
5
सूरज की मौत
6
कुशीम की मनमानी
7
राजा आयुष
8
सिक्के का दूसरा पहलू
9
लीला की चाल
10
मनोहर से मिलने की कोशिश
11
पल्लवी की बतमीज़ी
12
एक साजिश
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पल्लवी की सजा
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आयुष = सूरज
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आयुष की सच्चाई का प्रभाव
16
राव का बर्ताव
17
लीला की बतमीज़ी
18
मनोज की आजादी
19
लीला की मौत
20
तारा गई आयुष के महल
21
लीला और पल्लवी की सज़ा
22
तस्वीर
23
हस्ताक्षर
24
चेतावनी
25
मनोहर लीला और कुशीम के साथ है ?
26
मनोहर की सांसें
27
जान बची
28
मनोहर की तलाश
29
मनोहर की सजा
30
रीता और स्वाति की मौत
31
परछाई का गुस्सा
32
स्वर्ण हांडी
33
परछाई और सूरज की लड़ाई
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प्रेत आत्म !
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लीला का कहर
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परछाई की सच्चाई
37
कुशीम और लीला की मौत
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