सूरज की मौत

कुशीम अपनी कुर्सी पर बैठ गया और कुशीम ने कहा । )

कुशीम : कहीं जाने से पहले यहां आओ मनोहर को कुछ समझ नहीं आया।

( कुशीम का कहा मानकर मनोहर कुशीम के सामने आकर खड़ा हो गया लीला कुशीम के साथ खड़ी थी तभी कुशीम ने सब सैनिकों को वहां से जाने का आदेश दिया और कहा । ) 

कुशीम : तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे खिलाफ जाने की ?

( मनोहर हैरानी से कुशीम को देख रहा था तभी लीला ने कहा । )

लीला : अजब है तुम्हारी लीला तुम्हें क्या लगा तुम उन दोनों को बचाने की कोशिश करोगे और बापूजी को पता भी नहीं चलेगा बेशक उन दोनों सैनिकों ने तुम्हारी बात अच्छे से मानी लेकिन बापूजी के कुछ सैनिक तुम्हारे पीछे गए थे क्योंकि बापू जी को पूरा यकीन था तुम ऐसा कुछ करोगे ही ।

( मनोहर परेशान हो गया तभी कुशीम ने कहा । ) 

कुशीम : अब गलती की है तो सजा भी मिलेगी ।

( कुशीम अपनी खुशी से खड़ा हुआ और जाकर मनोहर के बाल पकड़ लिए और खींचकर जेल में ले गया उसे जेल के अंदर धक्का दे दिया मनोहर जाकर जमीन पर गिरा मनोहर के पैर में मोच आई थी तभी कुशीम ने कहा । ) 

कुशीम : पीछे देखो पीछे से तुम आराम से सूरज की मौत का नजारा देख पाओगे लेकिन सूरज मौत तक तुम यही रहोगे ।

( तभी कुशीम ने दरवाजा बंद कर दिया मनोहर खड़ा हुआ और डंडों को पड़कर बाहर की कर तरफ देखते हुए कहा । )  

मनोहर : बापूजी आप करना क्या चाहते हैं आप मुझे जाने दीजिए क्यों लेना चाहते हैं आप सूरज की जान क्या चाहिए आपको ?

( लेकिन उन सबका कोई फायदा नहीं था क्योंकि कुशीम और लीला पहले ही वहां से जा चुके थे मनोहर के जेल के बाहर दो सैनिक खड़े थे तभी मनोहर जेल के पीछे पिछले हिस्से में चला गया जहां पर सैनिकों की नजर नहीं जा पाती उसने पीछे खिड़की से देखा बहार एक मंच लगा हुआ था मनोहर परेशान हुआ और उसने अपना एक हाथ जेल की दीवार पर मार दिया मनोहर का हाथ दिवार पर इतनी जोर की लगा की दीवार में दरारें आ गई तभी मनोहर वही नीचे बैठ गया और प्रार्थना करने लगा मनोहर सूरज और तारा की सलामती की प्रार्थना कर रहा था क्योंकि वह जानता था सूरज और तारा ने कल से कुछ नहीं खाया कल दोपहर जब मनोहर ने उन्हें खाना खिलाया था उसके बाद से वह दोनों भूखे हैं लेकिन मनोहर कुछ कर भी नहीं कर सकता था मनोहर प्रार्थना करने के सिवाए कुछ नहीं कर सकता था ।

मनोहर वहीं जमीन पर बैठ गया और तारा और सूरज की सलामती की प्रार्थना करने लगा वहीं दूसरी तरफ सूरज अभी भी जमीन पर बेहोश पड़ा था और तारा वही बंधी हुई थी तारा को गर्मी के कारण प्यास लग रही थी लेकिन उधर उसे पानी पिलाने वाला कोई भी नहीं था तारा प्यास के कारण खांसती जा रही थी कुछ देर बाद वहां पर दो सैनिक आए यह वही तो सैनिक थे जिन्होंने तारा और सूरज को उस मैदान में बंद किया था तभी उन दोनों सैनिक में से एक सैनिक बाहर से एक बड़ी गाड़ी ले आया और उसमें उन दोनों ने मिलकर सूरज को बिठा दिया तभी तारा ने कहा। )

तारा : ( खांसते हुए ) कहां ले जा रहे हो तुम भैया को छोड़ दो उन्हें ।

सैनिक 2 : चिंता मत करो तुम्हें अकेला नहीं छोड़ेंगे साथ लेकर ही जाएंगे ।

( इतना कहकर सैनिक 2 ने तारा को आजाद कर किया लेकिन उसके हाथ अभी भी बंधे हुए थे तभी उन दोनों ने तारा को भी उस गाड़ी में बिठा दिया तारा ने सूरज को उठाने की कोशिश की लेकिन पानी की कमी होने के कारण सूरज बेहोश था तभी सैनिकों ने गाड़ी चलाई कुछ देर बाद वो दोनों फिर से महल में पहुंच गए महल में पहुंचने के बाद उन दोनों को महल के अंदर नहीं बल्कि उसे जगह ले जाया गया जहां पर एक स्विमिंग पूल था तारा वही बंधी हुई थी और सूरज के पास बैठी थी और सूरज को दीवार के सहारे बिठाया था तभी वहां पर कुशीम और लीला आ गए कुशीम ने सैनिकों को आंखों से इशारा किया तभी दोनों में से एक सैनिक ने जाकर हथकड़ी ले आया तारा एक हथकड़ी देख हैरान थी तभी सैनिक ने तारा और सूरज के हाथ हथकड़ी से बांध दिए कुछ समझ नहीं आ रहा था तभी तारा ने पूछा।) 

तारा : आप क्या करना चाहते हैं हथकड़ी बांधने का क्या मतलब है ?

( तभी लीला ने कहा। )

लीला : चुप रहोगी तो जल्दी समझ आ जाएगा तभी ।

( सैनिक ने तारा की रसिया खोल दी और पड़कर उस स्विमिंग पूल के पास ले आया सिर्फ तारा ही नहीं सूरज भी उस स्विमिंग पूल के पास थे तभी कुशीम ने आदेश दिया। )

कुशीम : फेंक दो !

( सैनिकों ने बिना कुछ सोचे तारा और बेहोश सूरज हो उस स्विमिंग पूल में फेंक दिया तारा को तैरना नहीं आता था और सूरज बेहोश था तभी सैनिकों ने ऊपर से जाली लगा दी तारा जैसे तैसे कर उस जाली के सहारे ऊपर आई और सांस लेने लगी तभी तारा ने सूरज को भी ऊपर खींच तारा के लिए अपना और सूरज का वजन उठाने बहुत मुश्किल था तभी कुशीम ने उसके हाथ पर अपना एक पैर रखते हुए उसे दबाना शुरू किया तारा को बहुत दर्द हो रहा था तारा दर्द के मारे चिल्ला रही थी तभी कुशीम ने और जोर लगाते हुए कहा। )

कुशीम : अब आया ना मजा अब रहोगे तुम दोनों पूरी रात यहीं पर और कल सुबह होगी तुम्हारी मौत मैं भी देखता हूं कौन बचाता है तुम्हें।

( तारा बहुत दर्द में थी लेकिन वहां पर मौजूद किसी को भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा था तभी कुशीम ने अपना पांव तारा के हाथ से हटाया और वहां से चला गया लीला भी उसके पीछे-पीछे चली गई दोनों सैनिकों ने जाली के ऊपर अनगिनत पत्थर रख दिए ताकि तारा और सूरज उधर से बाहर ना निकल सके तारा के पास और कोई रास्ता नहीं था उसे किसी भी तरह सूरज को उठाना ही था ताकि कम से कम सूरज अपना वजन तो खुद उठा सके तारा ने सूरज को उठाने की कोशिश की लेकिन उसकी हर कोशिश असफल थी तभी तारा को याद आया कि सूरज को पानी चाहिए था और उसके आसपास हर जगह पानी ही था तभी तारा ने सूरज को मुंह नीचे किया जिसके कारण सूरज ने पानी पिया सूरज अभी भी कमजोर था तभी सूरज ने अपनी आंखें खोली और अपने आप को एक स्विमिंग पूल में तारा के साथ हथकड़ी से बंधा हुआ पाया तभी सूरज ने भी उस जाली को पकड़ा और ऊपर अपने सहारे खड़ा हो गया तभी सूरज ने तारा से पूछा। ) 

सूरज : तारा यह सब क्या चल रहा है ?

( तारा ने सब कुछ सच-सच सूरज को बता दिया तभी वहां पर दो सैनिक दो बड़ी बाल्टी पानी लेकर आए उन दोनों सैनिकों ने पूरी की पूरी बाल्टी तारा और सूरज के ऊपर डाल दी तारा के हाथ छूट गए और वह नीचे डूबने लगी सूरज को तैराकी आई थी इसलिए सूरज नहीं जाकर तारा को बचाया और ऊपर लाकर वापस से जाली को थमाया अब उनके पास सांस लेने के लिए ज्यादा जगह नहीं बची थी तभी उन सैनिकों ने नीचे बैठते हुए कहा। )

सैनिक 1 : क्या हुआ निकल गई हवा अभी तो असली मजाक कल आएगा। 

सैनिक 2 : कल देखो क्या-क्या होगा ? 

( इतना कहकर दोनों वहां से चले गए तारा और सूरज के लिए पूरी रात उसे स्विमिंग पूल में बिताना आसान नहीं था एक तो वह लोग लटके पड़े थे ऊपर से ठंडी हवाएं जो की रात को बहुत ज्यादा चलने लगती है थी तारा ने ना जाने कितनी बार हिम्मत हारी लेकिन सूरज ने तारा को संभाला और बार-बार उसे हिम्मत देता है तकलीफ सूरज को भी हो रही थी लेकिन उसकी बहन के आगे उसे अपनी तकलीफ नहीं दिख रही थी वहीं दूसरी तरफ मनोहर पूरी रात बैठकर तारा और सूरज की सलामती के लिए प्रार्थना कर रहा था सुबह होने पर पूरे गांव में चहल - पहल चलने लगी सब लोग उस मंच के आसपास आ गए सब लोगों की जबान पर एक ही बात थी कि कौन था वह जिसने उनके मालिक को इतना सताया की जिंदगी में पहली बार मालिक किसी को सबके सामने सजा देने जा रहे हैं और अफवाहें यह भी फैली थी कि कुशीम पहली बार उसे दिया हुआ शैतानी खंजर का इस्तेमाल करेगा शैतानी खंजर का इस्तेमाल आज तक किसी ने भी होते हुए नहीं देखा था यहां तक की कुशीम ने भी पहली बार ही उस खंजर का इस्तेमाल करने जा रहा था यह बात सब लोगों को पता थी सिवाए मनोहर , तारा और सूरज के तभी वहां पर कुशीम आया और अपनी कुर्सी पर बैठ गया सब लोगों ने कुशीम को सलाम किया लीला भी कुशीम के साथ ही आकर खड़ी हो गई उनके आसपास चार सैनिक मौजूद थे तभी दो सैनिक मिलकर सूरज और दो सैनिक मिलकर तारा को लाए दोनों की हालत बहुत खराब थी दोनों की हालत देखकर ही लग रहा था की उन दोनों के साथ बहुत बुरा सलूक हुआ था मनोहर भी अंदर जेल में खड़ा सब देख रहा था मनोहर भी उन लोगों की ऐसी हालत देख नहीं पा रहा था तभी कुशीम ने सूरज को आगे लाने का इशारा किया तारा को वही पीछे ही रुकवा दिया गया तारा भी मंच पर तो खड़ी थी लेकिन एक कोने में तभी सूरज के सामने एक आदमी जिसके हाथों में पटिया बंधी हुई थी वह आकर खड़ा हो गया सूरज ने बड़ी मुश्किल से अपनी आंखें खोल रखी थी क्योंकि पूरी रात भर उसने अपनी बहुत सी शक्ति लगा दी थी जिसके कारण सूरज और तारा दोनों ही बहुत कमजोर थे तभी कुशीम के आदेश पर और आदमी ने सूरज को मारना शुरू किया सूरज को मार खाता देख तारा उसे बचाने के लिए आगे जाने की कोशिश करने लगी लेकिन दो सैनिकों ने मिलकर उसे रोक रखा था तारा रोते हुए सूरज की जान की भीख मांग रही थी लेकिन किसी को भी कुछ फर्क नहीं पड़ रहा था उस आदमी ने सूरज को इतना मारा कि वह सीधा खड़ा होने के लायक भी नहीं था लेकिन दो सैनिकों ने मिलकर उसे पकड़ रखा था जिसके कारण वह वहां पर खड़ा था तारा बार-बार रोते हुए अपने भाई की जान की भीख मांग रही थी लेकिन वहां पर मौजूद किसी को भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा था और तो और जो लोग वहां पर सूरज की मौत का तमाशा देखने आए थे वह लोग भी खड़े होकर हंस रहे थे हैरानी की बात यह थी किसी ने भी कुशीम के खिलाफ जाने की कोशिश भी नहीं की हर कोई कुशीम के साथ था उन्हें सूरज और तारा में सही में शैतान दिखते थे अंदर खड़े मनोहर की रूह कहां गई मनोहर उन्हें रोकना चाहता था लेकिन वो कुछ भी नहीं कर पा रहा था मनोहर की जिंदगी में पहली बार आंखों में से आंसू निकले थे सूरज को इतना मारा जा रहा था कि उसके मुंह से खून निकलने लग रहा था उसके चेहरे पर भी बहुत चोट आई थी अगर कुछ देर और वह उसे आदमी की मारता तो शायद सूरज वहीं मर जाता लेकिन कुशीम ने अंतिम समय पर उस आदमी को रोका और वहां से जाने का आदेश दिया तभी कुशीम भी खड़ा होकर वहां से चला गया तारा रोती जा रही थी उसे अपने भाई की सलामती चाहिए थी लेकिन उस वक्त कुछ भी नहीं कर पा रही थी एक तो वह कमज़ोर थी और ऊपर से दो आदमी ने उसे पकड़ रखा था वह आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही थी तो उसे ही तकलीफ हो रही थी लेकिन अपनी तकलीफ को नजर अंदाज करते हुए तारा ने बहुत कोशिश की लेकिन सूरज तक एक कदम भी नहीं बढ़ा पाई तभी कुशीम मंच पर एक सफेद रंग की तलवार लेकर आया वह एक इकलौती तलवार थी जिसकी धार गोल थी सब लोगों ने उसे शैतान का खंजर माना था यहां तक की कुशीम ने भी उसे कभी इस्तेमाल नहीं किया था क्योंकि वह उसे ऐसे समय पर इस्तेमाल करना चाहता था जब उसे किसी की मौत में और भी संतुष्टि चाहिए हो शैतान का खंजर देख अंदर खड़ा मनोहर ने अपने दोनों हाथ जोड़ रही है और अपनी दोनों आंखें बंद कर ली और सूरज की सलामती की प्रार्थना करने लगा वह किसी भी तरह सूरज को बताना चाहता था लेकिन जैसे इस बार शैतान का हाथ कुशीम के साथ हो कुशीम गया और सूरज को खंजर खोप दिया एक बार से कुशीम को संतुष्टि नहीं मिली उसने दो तीन बार उसे खंजर को सूरत के पेट में डाला और बाहर निकाल कुछ देर बाद सूरज वहीं ढेर हो गया। लेकिन हैरानी की बात यह थी इस बार पहली बार किसी के शरीर में से काला धुआं निकलने लगा काला धुआं निकलता देखा कुशीम ने सब लोगों को दिखाते हुए कहा । )

कुशीम : देखो मैं सही था यह आदमी शैतान के यहां से ही आया था ।

( सभी यह सब देख बहुत हैरान थी लेकिन आखिर सूरज था तो उसका भाई ही किसी भी तरह सूरज को बताना चाहती थी लेकिन अब वह मर चुका था तारा जैसे अंदर से टूट गई थी वह रोती ही जा रही थी तभी कुशीम ने सैनिकों को तारा को छोड़ने का आदेश दिया तार भाग कर सूरज के पास आई इससे पहले की तारा सूरज को छु पाती सूरज का शरीर वहां से गायब हो गया तारा उस जगह को पकड़ कर रोने लगी जहां पर सूरज का मृत शरीर पड़ा था कुशीम ने सबको वहां से जाने का आदेश दिया और सैनिकों को कुछ देर बाद तारा को महल में लाने का आदेश देकर कुशीम और लीला भी वहां से चले गए दो सैनिक तारा के आसपास खड़े थे तारा रोती जा रही थी तभी उनमें से एक सैनिक ने तारा को सहानुभूति देने की कोशिश की लेकिन दूसरे सैनिक ने उस रोका और उसके कान में कहा । )

दूसरा सैनिक : ( कान में ) हम कुछ भी नहीं कर सकते अगर हमने ऐसा किया तो हमारी भी मौत है हम जानते हैं कि यह लोग शैतान के यहां से नहीं आए लेकिन मलिक ने हर एक के मन में ही डाल दिया है कि यह लोग शैतान के यहां से आए हैं हम लोग कुछ नहीं कर सकते । 

( उस सैनिक ने भी अपने आप को संभाला और वही रोक लिया वहीं दूसरी तरफ कुशीम में जाकर मुकेश को आजाद कर दिया लेकिन उसे बाहर जाने से पहले उसका हाथ पकड़ा और कहा।)

कुशीम : तुम्हें क्या लगा तुम बचा लोग सूरज को कैसा लगा सूरज की मौत का तमाशा?

( मुकेश ने अपना हाथ छुड़वाने की कोशिश की लेकिन बदकिस्मती से कुशीम मुकेश से ज्यादा ताकतवर था क्योंकि मुकेश को सारी विद्या देने वाला कुशीम ही था कुशीम के कारण ही मुकेश उसके गांव का सबसे ताकतवर आदमी था तभी मुकेश ने हाथ छुड़वाने की कोशिश करते हुए कहा।) 

मुकेश : अब तो आपको खुशी मिल गई ना मर गया ना सूरज अब तो कम से कम मुझे तारा के पास जाने दो कम से काम उसे संभालने दो ।

( तभी लीला पीछे से आई और कहा। )

लीला : अजब है तुम्हारी लीला तुम्हें उस तारा के पास जाना है जाओ मैं भी देखती हूं कैसे संभालोगे तुम उसे बिचारी अपने भाई के प्यार को याद कितना रो रही है ।

( लीला की बात से कुशीम और लीला दोनों हंसने लगे तभी मुकेश ने कुशीम के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा । ) 

मुकेश : अब तो मर गया ना सूरज अब तो कम से कम मुझे जाने दीजिए ।

( मुकेश की बातें सुन कुशीम ने भी मुकेश का हाथ छोड़ दिया और कहा। )

कुशीम : जा जो करना है कर ले लेकिन एक बात याद रखियो बाप, बाप होता है बेटे को बाप से उलझने की कोशिश नहीं करनी चाहिए ।

( कुशीम की बात सुन मुकेश वहां से भागता हुआ चला गया और जाकर तारा के पास पहुंचा और जाकर तारा के पास नीचे बैठ गया मुकेश ने तारा के कंधे पर हाथ रखा और कहा। )

मुकेश : तारा 

( तारा ने अपना सर उठाया और मुकेश की ओर देखा मुकेश को देख तारा और जोर से रोने लगी तभी मुकेश ने तारा के आंसू पूछते हुए कहा।) 

मुकेश : मुझे माफ करना तारा मैं तुम्हारे भाई को नहीं बचा पाया ।

तारा : ( रोते हुए ) कोई नहीं बचा पाया यहां पर कोई नहीं सब सिर्फ और सिर्फ अपने से मतलब रखना चाहता है और मुकेश जी आप आपको माफी मांगने की जरूरत नहीं है आपने मेरे और भैया के लिए बहुत कुछ किया और रही बात आपकी मेरी मदद न करने की तो मैं जानती हूं आप उस वक्त जेल में बंद थे ।

मुकेश : लेकिन तारा तुम्हें किसने बताया ? 

तारा : कल रात सैनिक आपकी ही बातें कर रहे थे मैं समझ सकती हूं ।

( तभी वहां पर एक तीसरा सैनिक आया और उसने कहा । )

सैनिक 3 : बड़े मलिक का हुकुम है कि तारा को अंदर ले जाया जाए ।

( सैनिक 3 की बात सुन सैनिक 1 और 2 ने तारा को उसकी बाजू से पकड़ने की कोशिश की लेकिन इससे पहले की दोनों में से कोई भी सैनिक तारा को छू पाता तारा ने उन्हें रोकते हुए कहा।) 

तारा : जबरदस्ती ले जाने की जरूरत नहीं है मैं चल रही हूं।

( तारा का ऐसा रूप देख मुकेश हैरान था तारा उठकर सैनिकों के साथ जाने लगी मुकेश वही खड़ा हैरानी से तारा को देख रहा था और उसने मन में सोचा। )

मुकेश : ( मन में ) इतनी छोटी सी उम्र में कितना कुछ सह लिया इस को देखो अपना बच्चे जैसे दिल को छुपा कर कितनी समझदार हो गई है कुछ ही पलों में लेकिन मुझे किसी भी तरह इसे बापूजी के कहर से बचना होगा लेकिन कैसे क्या कर सकता हूं मैं तारा के लिए ? 

( इतना सोच मुकेश भी तारा और सैनिकों के पीछे महल में जाने लगा तारा और सैनिक जाकर कुशीम के आगे खड़े हो गए

दूसरा सैनिक : ( कान में ) हम कुछ भी नहीं कर सकते अगर हमने ऐसा किया तो हमारी भी मौत है हम जानते हैं कि यह लोग शैतान के यहां से नहीं आए लेकिन मलिक ने हर एक के मन में ही डाल दिया है कि यह लोग शैतान के यहां से आए हैं हम लोग कुछ नहीं कर सकते ।

( उस सैनिक ने भी अपने आप को संभाला और वही रोक लिया वहीं दूसरी तरफ कुशीम में जाकर मुकेश को आजाद कर दिया लेकिन उसे बाहर जाने से पहले उसका हाथ पकड़ा और कहा।)

कुशीम : तुम्हें क्या लगा तुम बचा लोग सूरज को कैसा लगा सूरज की मौत का तमाशा?

( मुकेश ने अपना हाथ छुड़वाने की कोशिश की लेकिन बदकिस्मती से कुशीम मुकेश से ज्यादा ताकतवर था क्योंकि मुकेश को सारी विद्या देने वाला कुशीम ही था कुशीम के कारण ही मुकेश उसके गांव का सबसे ताकतवर आदमी था तभी मुकेश ने हाथ छुड़वाने की कोशिश करते हुए कहा।)

मुकेश : अब तो आपको खुशी मिल गई ना मर गया ना सूरज अब तो कम से कम मुझे तारा के पास जाने दो कम से काम उसे संभालने दो ।

( तभी लीला पीछे से आई और कहा। )

लीला : अजब है तुम्हारी लीला तुम्हें उस तारा के पास जाना है जाओ मैं भी देखती हूं कैसे संभालोगे तुम उसे बिचारी अपने भाई के प्यार को याद कितना रो रही है ।

( लीला की बात से कुशीम और लीला दोनों हंसने लगे तभी मुकेश ने कुशीम के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा । )

मुकेश : अब तो मर गया ना सूरज अब तो कम से कम मुझे जाने दीजिए ।

( मुकेश की बातें सुन कुशीम ने भी मुकेश का हाथ छोड़ दिया और कहा। )

कुशीम : जा जो करना है कर ले लेकिन एक बात याद रखियो बाप, बाप होता है बेटे को बाप से उलझने की कोशिश नहीं करनी चाहिए ।

( कुशीम की बात सुन मुकेश वहां से भागता हुआ चला गया और जाकर तारा के पास पहुंचा और जाकर तारा के पास नीचे बैठ गया मुकेश ने तारा के कंधे पर हाथ रखा और कहा। )

मुकेश : तारा

( तारा ने अपना सर उठाया और मुकेश की ओर देखा मुकेश को देख तारा और जोर से रोने लगी तभी मुकेश ने तारा के आंसू पूछते हुए कहा।)

मुकेश : मुझे माफ करना तारा मैं तुम्हारे भाई को नहीं बचा पाया ।

तारा : ( रोते हुए ) कोई नहीं बचा पाया यहां पर कोई नहीं सब सिर्फ और सिर्फ अपने से मतलब रखना चाहता है और मुकेश जी आप आपको माफी मांगने की जरूरत नहीं है आपने मेरे और भैया के लिए बहुत कुछ किया और रही बात आपकी मेरी मदद न करने की तो मैं जानती हूं आप उस वक्त जेल में बंद थे ।

मुकेश : लेकिन तारा तुम्हें किसने बताया ?

तारा : कल रात सैनिक आपकी ही बातें कर रहे थे मैं समझ सकती हूं ।

( तभी वहां पर एक तीसरा सैनिक आया और उसने कहा । )

सैनिक 3 : बड़े मलिक का हुकुम है कि तारा को अंदर ले जाया जाए ।

( सैनिक 3 की बात सुन सैनिक 1 और 2 ने तारा को उसकी बाजू से पकड़ने की कोशिश की लेकिन इससे पहले की दोनों में से कोई भी सैनिक तारा को छू पाता तारा ने उन्हें रोकते हुए कहा।)

तारा : जबरदस्ती ले जाने की जरूरत नहीं है मैं चल रही हूं।

( तारा का ऐसा रूप देख मुकेश हैरान था तारा उठकर सैनिकों के साथ जाने लगी मुकेश वही खड़ा हैरानी से तारा को देख रहा था और उसने मन में सोचा। )

मुकेश : ( मन में ) इतनी छोटी सी उम्र में कितना कुछ सह लिया इस को देखो अपना बच्चे जैसे दिल को छुपा कर कितनी समझदार हो गई है कुछ ही पलों में लेकिन मुझे किसी भी तरह इसे बापूजी के कहर से बचना होगा लेकिन कैसे क्या कर सकता हूं मैं तारा के लिए ?

( इतना सोच मुकेश भी तारा और सैनिकों के पीछे महल में जाने लगा तारा और सैनिक जाकर कुशीम के आगे खड़े हो गए ।

आखिर क्या करना चाहता है कुशीम तारा के साथ ?

क्यों बुलाया तारा को महल में ?

क्या आजाद गांव का सपना अधूरा रह जायेगा ?

जानने के लिए पढ़िए " सच्चाई की लड़ाई "

Episodes
1 कुशीम का आतंक
2 बतमीज़ी की सजा
3 रक्सा मैदान की राह
4 मनोहर का नया चहरा
5 सूरज की मौत
6 कुशीम की मनमानी
7 राजा आयुष
8 सिक्के का दूसरा पहलू
9 लीला की चाल
10 मनोहर से मिलने की कोशिश
11 पल्लवी की बतमीज़ी
12 एक साजिश
13 पल्लवी की सजा
14 आयुष = सूरज
15 आयुष की सच्चाई का प्रभाव
16 राव का बर्ताव
17 लीला की बतमीज़ी
18 मनोज की आजादी
19 लीला की मौत
20 तारा गई आयुष के महल
21 लीला और पल्लवी की सज़ा
22 तस्वीर
23 हस्ताक्षर
24 चेतावनी
25 मनोहर लीला और कुशीम के साथ है ?
26 मनोहर की सांसें
27 जान बची
28 मनोहर की तलाश
29 मनोहर की सजा
30 रीता और स्वाति की मौत
31 परछाई का गुस्सा
32 स्वर्ण हांडी
33 परछाई और सूरज की लड़ाई
34 प्रेत आत्म !
35 लीला का कहर
36 परछाई की सच्चाई
37 कुशीम और लीला की मौत
38 कुरू के गुनाह
39 परछाई का गुस्सा
40 परछाई का गुस्सा
41 अलविदा परछाई
Episodes

Updated 41 Episodes

1
कुशीम का आतंक
2
बतमीज़ी की सजा
3
रक्सा मैदान की राह
4
मनोहर का नया चहरा
5
सूरज की मौत
6
कुशीम की मनमानी
7
राजा आयुष
8
सिक्के का दूसरा पहलू
9
लीला की चाल
10
मनोहर से मिलने की कोशिश
11
पल्लवी की बतमीज़ी
12
एक साजिश
13
पल्लवी की सजा
14
आयुष = सूरज
15
आयुष की सच्चाई का प्रभाव
16
राव का बर्ताव
17
लीला की बतमीज़ी
18
मनोज की आजादी
19
लीला की मौत
20
तारा गई आयुष के महल
21
लीला और पल्लवी की सज़ा
22
तस्वीर
23
हस्ताक्षर
24
चेतावनी
25
मनोहर लीला और कुशीम के साथ है ?
26
मनोहर की सांसें
27
जान बची
28
मनोहर की तलाश
29
मनोहर की सजा
30
रीता और स्वाति की मौत
31
परछाई का गुस्सा
32
स्वर्ण हांडी
33
परछाई और सूरज की लड़ाई
34
प्रेत आत्म !
35
लीला का कहर
36
परछाई की सच्चाई
37
कुशीम और लीला की मौत
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41
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